QuoteA fit mind in a fit body is important: PM Modi
QuoteLifestyle diseases are on the rise due to lifestyle disorders and we can ensure we don't get them by being fitness-conscious: PM
QuoteLet us make FIT India a Jan Andolan: PM Modi

मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी श्रीमान नरेंद्र सिंह जी तोमर, डॉक्‍टर हर्षवर्धन जी, रमेश पोखरियाल निशंक जी और इस पूरे अभियान का जो नेतृत्‍व संभाल रहे हैं, श्रीमान किरेन रिजिजू जी, यहां उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, खेल जगत के सारे सितारे और मेरे प्‍यारे विद्यार्थी भाइयो और बहनो,

कुछ लोगों को लगता होगा कि हम तो स्‍कूल जाते नहीं हैं, कॉलेज जाते नहीं हैं, लेकिन मोदी जी ने सिर्फ विद्यार्थियों को क्‍यों कहा। आप लोग यहां आए हैं, उम्र कोई भी हो, लेकिन मुझे विश्‍वास है आपके भीतर का विद्यार्थी जिंदा है।

आप सभी को National Sports Day की अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आज के ही दिन हमें मेजर ध्‍यानचंद के रूप में एक महान sports person मिले थे। अपनी fitness, stamina और hockey stick से दुनिया को उन्‍होंने मंत्रमुग्‍ध कर दिया था। ऐसे मेजर ध्‍यानचंद जी को मैं आज आदरपूर्वक नमन करता हूं।

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आज के दिन Fit India Movement, ऐसा initiative launch करने के लिए एक Healthy India की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम और इस concept से movement के लिए, मैं खेल मंत्रालय को, युवा विभाग को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

यहां जो आज प्रस्‍तुति हुई, इस प्रस्‍तुति में हर पल fitness का कोई न कोई मैसेज था। परम्‍पराओं का स्‍मरण कराते हुए सहज रूप से हम अपने-आपको फिट कैसे रख सकते हैं, बहुत उत्‍तम तरीके से इन चीजों को प्रस्‍ततु किया। और ये चीजें इतने बढ़िया ढंग से प्रस्‍तुत हुई हैं कि मुझे मेरे भाषण की कोई जरूरत नहीं लगती है। यहां प्रस्‍तुति में जितनी बातें बताई गई हैं, उसी को अगर हम गांठ बांध लें और एकाध-दो, एकाध-दो को जिंदगी का हिस्‍सा बना लें; मैं नहीं मानता हूं कि फिटनैस के लिए मुझे कोई उपदेश देने की आवश्‍यकता पड़ेगी।

इस उत्‍तम कार्य रचना के लिए, इस उत्‍तम प्रकार की प्रस्‍तुति के लिए, जिन्‍होंने इसको conceptualize किया होगा, जिन्‍होंने इसमें नए-नए रंग-रूप भरे होंगे, और जिन्‍होंने परिश्रम करके इसको प्रस्‍तुत किया है; आप सभी बहुत-बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं। मैं भविष्‍य में चाहूंगा कि इसी में से एक अच्‍छा professional video बना करके सभी school, collages में दिखाया जाए ताकि सहज रूप से, क्‍योंकि एक जनआंदोलन बनना चाहिए।

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सा‍थियो,

आज का ये दिन हमारे उन युवा खिलाड़ियों को बधाई देने का भी है, जो निरंतर दुनिया के मंच पर तिरंगे की शान को नई बुलंदी दे रहे हैं। बेडमिंटन हो, टेनिस हो, एथलेटिक्स हो, बॉक्सिंग हो, कुश्ती हो या फिर दूसरे खेल, हमारे खिलाड़ी हमारी उम्मीदों और आकांक्षाओं को नए पंख लगा रहे हैं। उनका जीता हुआ मेडल, उनके तप और तपस्या का परिणाम तो है ही, ये नए भारत के नए जोश और नए आत्मविश्वास का भी पैमाना है। मुझे खुशी है कि बीते पांच वर्षों में भारत के sports के लिए बेहतर माहौल बनाने के जो प्रयास हुए हैं, उसका लाभ आज हमें दिखाई दे रहा है।

साथियो, Sports का सीधा नाता है Fitness से। लेकिन आज जिस Fit India Movement की शुरुआत हुई है, उसका विस्तार Sports से भी बढ़ करके आगे जाने का है। Fitness एक शब्द नहीं है बल्कि स्वस्थ और समृद्ध जीवन की एक जरूरी शर्त है। हमारी संस्‍कृति में तो हमेशा से ही Fitness पर बहुत ज्‍यादा जोर दिया गया है। किसी बीमारी के बाद परहेज से हमने ज्‍यादा बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए किए जाने वाले उपायों को प्राथमिकता दी है, उनको श्रेष्‍ठ माना है। Fitness हमारे जीवन का सहज हिस्‍सा रही है। और हमारे यहां तो हमारे पूर्वजों ने, हमारे साथियों ने बार-बार कहा है –

व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं।

आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥

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यानी व्‍यायाम से ही स्‍वास्‍थ्‍य, लम्‍बी आयु, शक्ति और सुख की प्राप्‍त होती है। निरोगी होना परम भाग्‍य है, और स्‍वास्‍थ्‍य से अन्‍य सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लेकिन समय रहते-रहते परिभाषाएं बदल गईं- पहले हमें सिखाया जाता था, हमें सुनने को मिलता था कि स्‍वास्‍थ्‍य से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं, अब सुनने को मिलता है स्‍वार्थ से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं। और इसलिए ये स्‍वार्थ भाव को स्‍वास्‍थ्‍य भाव तक फिर से वापिस ले जाने का एक सामूहिक प्रयास आवश्‍यक हो गया है।

साथियो,

मैं जानता हूं कि कुछ लोग ये सोच रहे होंगे Fitness जरूरी है ये तो हमें भी पता है, फिर अचानक इस तरह की movement की जरूरत क्‍या है? साथियो, जरूरत है और आज शायद बहुत ज्‍यादा जरूरत है। Fitness हमारे जीवन के तौर-तरीकों, हमारे रहन-सहन का अभिन्‍न अंग रहा है, लेकिन ये भी सच है कि समय के साथ Fitness को लेकर हमारे समाज-जीवन में, हमारी सोसायटी में एक उदासीनता आ गई है।

समय कैसे बदला है, उसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं। कुछ दशक पहले तक एक सामान्य व्यक्ति एक दिन में 8-10 किलोमीटर पैदल चल लेता था, कुछ एकाध घंटे भर साइकिल चला लेता था, कभी बस पकड़ने के लिए भागता था। यानी जीवन में शारीरिक गतिविधि सहज हुआ करती थी। फिर धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी बदली, आधुनिक साधन आए और व्यक्ति का पैदल चलना कम हो गया। Physical activity कम हो गई। और अब स्थिति क्या है? टेक्नोलॉजी ने हमारी ये हालत कर दी है कि हम चलते कम हैं और वही टेक्नोलॉजी हमें गिन-गिन के बताती है कि आज आप इतने steps चले, अभी 5 हजार steps नहीं हुए, 2 हजार steps नहीं हुए, और हम मोबाइल फोन देखते रहते हैं। यहां मौजूद आप में से कितने लोग 5 हजार, 10 हजार steps वाला काम करते हैं? कई लोग होंगे जिन्‍होंने इस प्रकार की watch पहनी होगी या मोबाइल फोन पर एप डालकर रखी होगी। मोबाइल पर चैक करते रहते हैं कि आज कितने steps हुए।

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साथियो,

आप में से बहुत से लोग सजग हैं, सतर्क हैं, लेकिन देश में बहुत बड़ी संख्‍या ऐसे लोगों की भी है जो अपनी daily life में इतना मशगूल हैं कि अपनी Fitness पर ध्‍यान ही नहीं दे पाते। इनमें से कुछ लोग तो और भी विशेष हैं। और आपने देखा होगा कुछ चीजें फैशन स्‍टेटमेंट हो जाती हैं। और इसलिए Fitness की जरा बात करना दोस्‍तों में- भोजन की टेबल पर बैठे हैं, भरपूर खा रहे हैं, आवश्‍यकता से डबल खा चुके हैं और बड़े आराम से डायटिंग की चर्चा करते हैं। महीने में कम से कम दस दिन आपको अनुभव होता होगा कि आप डायनिंग टेबल पर बैठे हैं, भरपूर खा रहे हैं और बड़े मजे से डायटिंग पर बढ़िया-बढ़िया उपदेश दे रहे हैं। यानी ये लोग जोश में आकर बातें भी करते हैं और इससे जुड़े गैजेट खरीदते रहते हैं और उनको ध्‍यान में रहता है ऐसे कोई नया गैजेट होगा, शायद मेरा Fitness ठीक हो जाएगा। और आपने देखा होगा, घर में तो बहुत बड़ा जिम होगा, Fitness के लिए सब कुछ होगा, लेकिन उसकी सफाई के लिए भी नौकर रखना पड़ता है क्‍योंकि कभी जाते नहीं है और कुछ दिन बाद वो सामान घर के सबसे किनारे वाले कमरे में रख दिया जाता है। लोग मोबाइल पर Fitness वाले एप भी डाउनलोड करने में सबसे आगे होते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद उस एप को कभी देखते भी नहीं हैं, यानी ढाक के तीन पात।

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मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ। हमारे यहां गुजरात में एक ज्योतीन्द्र भाई दवे करके बहुत ही उत्‍तम प्रकार के हास्‍य लेखक थे। व्‍यंग्‍य लिखते थे और बड़ा interesting लिखते थे। और ज्‍यादातर वो अपने खुद पर व्‍यंग्‍य करते थे। अच्‍छा, उनके शरीर का वो वर्णन करते – वो कहते थे मैं कहीं खड़ा रहता हूं, दीवार के पास खड़ा हूं तो लोगों को लगता था कि हैंगर पर कुछ कपड़े टंगे हुए हैं, यानी वो इतने दुबले थे कि ऐसा लगता था कि जैसे हैंगर पर कपड़े टंगे हैं, तो कोई मानने को तैयार नहीं होता था कि मैं कोई इंसान वहां खड़ा हूं। फिर वो लिखते थे कि मैं घर से निकलता हूं तो मेरी जेब में पत्‍थर भर के चलता हूं। वो कोट पहनते थे, सभी जेब के अंदर पत्‍थर भरते थे। तो लोग मुझे मानते थे शायद मैं हिंसा कर बैठूंगा, मार दूंगा। तो लोग मुझे पूछते थे- इतने सारे पत्‍थर लेकर क्‍यों चलते हो? तो उन्‍होंने कहा कि मुझे डर लगता है कहीं हवा आए उड़ न जाऊं। ऐसी बड़ी मजेदार चीजें लिखते थे वो। एक बार किसी ने उनको कहा कि पत्‍थर-वत्‍थर ले करके घूमने के बजाय आप थोड़ा जरा व्‍यायाम करते रहिए, व्‍यायामशाला में जाइए। तो उन्‍होंने उस सज्‍जन को पूछा कि कितना व्‍यायाम करना चाहिए, बोले बस पसीना हो जाए इतना तो शुरू करो पहले। व्‍यायामशाला में जाओ और पसीना हो जाए, उतना करिए। तो बोले- ठीक है, कल से जाऊंगा। तो दूसरे दिन बोले- मैं व्‍यायामशाला पहुंच गया और ये हमारे जो कुश्‍तीबाज होते हैं, वो लोग अखाड़े में अपनी कुश्‍ती कर रहे थे। बोले- जा करके मैं देखने लगा और देखते ही मेरा पसीना छूट गया, तो मुझे लगा कि मेरी exercise को गई। यानी ये बात हंसी की जरूर है, मजाक अपनी जगह है, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा भी है, लेकिन कुछ चिंताएं इससे भी बड़ी हैं।

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आज भारत में diabetes, hypertension जैसी अनेक lifestyle diseases बढ़ती जा रही हैं। कभी-कभी तो सुनते हैं परिवार में 12-15 साल का बच्‍चा diabetic patient हो गया है। अपने आसपास देखिए, तो आपको अनेक लोग इनसे पीड़ित मिल जाएंगे। पहले हम सुनते थे कि 50-60 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन आज कभी-कभी खबर आती है 30 साल, 35 साल, 40 साल का नौजवान बेटा-बेटी चले गए, हार्ट अटैक आ रहा है। ये स्थिति वाकई बहुत चिंताजनक है, लेकिन इन सारी स्थितियों में भी उम्‍मीद की एक किरण भी है। अब आप सोचेंगे कि इन बीमारियों के बीच भी उम्‍मीद की किरण की बात कैसे कह रहा हूं। मैं स्‍वभाव से बहुत ही positive thinking करने वाला इंसान हूं। इसलिए मैं उसमें से भी कुछ अच्‍छी चीजें ढूंढकर निकालता हूं।

साथियो,

Lifestyle disease हो रही है lifestyle disorder की वजह से। अब Lifestyle disorder को हम lifestyle बदल के, उसमें बदलाव करके, उसको ठीक भी कर सकते हैं। तमाम ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें हम अपने daily routine में छोटे-छोटे बदलाव करके, अपनी lifestyle में बदलाव करके उससे हम बच सकते हैं, उसको दूर रख सकते हैं। इन बदलावों के लिए देश को प्रेरित करने का नाम ही Fit India Movement है। और ये कोई सरकारी Movement नहीं है। सरकार तो एक catalytic agent के रूप में इस विषय को आगे बढ़ाएगी, लेकिन एक प्रकार से हर परिवार का एजेंडा बनना चाहिए, ये हर परिवार की चर्चा का विषय बनना चाहिए। अगर व्‍यापारी हर महीने हिसाब लगता है कितनी कमाई की, शिक्षा में रुचि रखने वाले परिवार में चर्चा करते हैं बेटों को कितने marks आया; उसी प्रकार से परिवार के अंदर सहज रूप से शारीरिक श्रम, शारीरिक व्‍यायाम, physical fitness, ये रोजमर्रा की जिंदगी की चर्चा के विषय बनने चाहिए।

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और साथियो, भारत में ही अचानक इस तरह की जरूरत महसूस हुई हो, ऐसा नहीं है। समय के साथ ये बदलाव सिर्फ भारत में ही आ रहा है, ऐसा भी नहीं है। पूरे विश्‍व में आज इस तरह के अभियानों की जरूरत महसूस की जा रही है। अनेक देश अपने यहां fitness के प्रति awareness बढ़ाने के लिए बड़े-बड़े अभियान चला रहे हैं। हमारे पड़ोस में चीन- Healthy China 2030, इसको mission mode में काम कर रहा है। यानी 2030 तक China का हर नागरिक तदुरुस्‍त हो, इसके लिए उन्‍होंने पूरा टाइम टेबल बनाया है। इसी तरह ऑस्‍ट्रेलिया अपने नागरिकों की physical activity बढ़ाने और inactive यानी आलसीपन जो है, कुछ करना-धरना नहीं, उस स्‍वभाव को बदलने के लिए उन्‍होंने ल्‍क्ष्‍य तय किया है कि 2030 तक देश के 15 प्रतिशत नागरिकों को आलस से बाहर निकाल करके fitness के लिए, activeness के लिए हम काम करेंगे। ब्रिटेन में जोर-शोर से अभियान चल रहा है कि 2020 तक पांच लाख नए लोग daily exercise के routine से जुड़ें, ये उन्‍होंने target तय किया है। अमेरिका 2021 तक अपने एक हजार शहरों को free fitness अभियान से जोड़ने का काम कर रहा है। जर्मनी में भी fit instead of fat, इसका बड़ा अभियान चल रहा है।

साथियो, मैंने आपको कुछ ही देशों के नाम गिनाए हैं। अनेक देश बहुत पहले से इस पर काम शुरू कर चुके हैं। इन सारे देशों में लोग fitness की जरूरत को समझते हैं, लेकिन फिर भी उन्‍होंने अपने यहां विशेष अभियान शुरू किए हैं। सोचिए- आखिर क्‍यों? क्‍योंकि सिर्फ कुछ लोगों को फिट रहने से नहीं, बल्कि पूरे देश के फिट रहने से ही देश का फायदा होगा। नए भारत का हर नागरि‍क फिट रहे, अपनी ऊर्जा बीमारियों के इलाज में नहीं बल्कि खुद को आगे बढ़ाने में, अपने परिवार, अपने देश को आगे बढ़ाने में लगाए, इस दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा।

सा‍थियो,

जीवन में जब आप एक लक्ष्‍य तय कर लेते हैं तो उस लक्ष्‍य के अनुसार ही हमारा जीवन ढलना शुरू हो जाता है। जीवन ढल जाता है, हमारी आदतें वैसी बन जाती हैं, हमारी दिनचर्या वैसी बन जाती है। हमको सुबह आठ बजे उठने की आदत हो, लेकिन कभी सुबह 6 बजे अगर जहाज पकड़ना है, 6 बजे ट्रेन पकड़नी है, तो हम उठते ही हैं, तैयार होकर चलते ही हैं। किसी student ने अगर ये तय किया कि मुझे 10वीं या 12वीं के बोर्ड में कम से कम इतने पर्सेंट लाने ही हैं, तो आपने देखा होगा कि वो अपने-आप, अपने में एक बहुत बड़ा बदलाव लाना शुरू कर देता है। अपने लक्ष्‍य को हासिल करने की धुन में उसका आलस खत्‍म हो जाता है, उसकी sitting capacity बढ़ जाती है, उसकी concentration capacity बढ़ जाती है, वो दोस्‍तों से समय धीरे-धीरे कम करता जाता है, थोड़ा खाने की आदत कम करता जाता है, टीवी देखना बंद कर देता है, यानी जीवन को ढालने लग जाता है क्‍योंकि मन में लक्ष्‍य हो गया कि मुझे ये करना है।

इसी तरह कोई अगर अपने जीवन का लक्ष्‍य wealth creation बनाता है तो उसका जीवन भी बदल जाता है। वो चौबीसो घंटे अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में जुटा रहता है। ऐस ही जब जीवन में fitness के प्रति awareness आती है, health consciousness आती है, मन एक बार तय करे कि भाई मैं बिल्‍कुल ही कभी थकूंगा नहीं, कभी सांस फूलेगी नहीं, चलना पड़ेगा तो चलूंगा, दौड़ना पड़ेगा तो दौड़ूंगा, चढना पड़े तो चढूंगा, रुकूंगा नहीं। आप देखिए, धीरे-धीरे-धीरे आपकी जीवन दिनचर्या भी वैसी बनना शुरू हो जाती है। और फिर ऐसी चीजें जो शरीर को नुकसान करती हैं, उससे वो व्‍यक्ति दूर रहता है क्‍योंकि उसके अंदर एक consciousness आ जाती है, जागरूक हो जाता है। जैसे वो drugs की गिरफ्त में कभी नहीं आएगा, उसके लिए कभी drugs cool नहीं होगी, style statement नहीं बनेगी।

साथियो,

स्‍वामी विवेकानंद जी भी कहते थे कि अगर जीवन में purpose हो, पूरे passion के साथ उसके लिए काम किया जाए तो अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य, सुख-समृद्धि उसके by-product के रूप में आपके जीवन में आ जाते हैं। अपने जीवन के उददेश्‍य को हासिल करने के लिए हमारे भीतर एक जुनून, एक इच्‍छाशक्ति, एक लगन का होना भी उतना ही जरूरी है। जब एक purpose के साथ, passion के साथ हम काम करते हैं, आगे बढ़ते हैं तो सफलता हमारे कदम चूमने के लिए तैयार हो जाती है। और सफलता पर आपने वो कहावत भी सुनी होगी- There is no elevator to success, you have to take the stairs. यानी इस कहावत में भी आपको सीढ़ी के कदम चढ़ने के लिए ही कहा गया है। Step तो आप तभी चढ़ पाएंगे जब फिट होंगे, वरना लिफ्ट बंद हो गई तो सोचेंगे यार आज नहीं जाएंगे, कौन चौथी मंजिल पर जाएगा।

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भाइयो और बहनो,

सफलता और फिटनेस का रिश्ता भी एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। आज आप कोई भी क्षेत्र लीजिए, अपने icons को देखिए, उनकी success stories को देखिए, चाहे वो Sports में हों, फिल्मों में हों, बिजनेस में हों, इनमें से अधिकतर फिट हैं। ये सिर्फ संयोग मात्र नहीं है। अगर आप उनकी lifestyle के बारे में पढ़ेंगे तो पाएंगे कि एक चीज, ऐसे हर व्यक्ति में Common है। सफल लोगों का Common character है - Fitness पर उनका फोकस, Fitness पर उनका भरोसा। आपने बहुत से डॉक्‍टरों को भी देखा होगा, बहुत popular होते हैं और दिन में 10-10, 12-12 घंटे अनेक patients के ऑपरेशन करते हैं। बहुत से उद्यमी सुबह एक मीटिंग एक शहर में करते हैं, दूसरी मीटिंग दूसरे शहर में करते हैं, उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती। उतनी ही alertness के साथ काम करते हैं। आप किसी भी प्रोफेशन में हों, आपको अपने प्रोफेशन में efficiency लानी है तो मेंटल और फिजिकल फिटनेस बहुत जरूरी है। चाहे Boardroom हो या फिर Bollywood, जो फिट है वो आसमान छूता है। Body fit है तो Mind hit है।

सा‍थियो,

जब फिटनेस की तरफ हम ध्यान देते हैं, हम फिटनेस पर ध्‍यान देते हुए अपने आपको फिट करने की कोशिश करते हैं, तो इससे हमें अपनी बॉडी को भी समझने का मौका मिलता है। ये हैरानी की बात है, लेकिन हम अपने शरीर के बारे में, अपनी ताकत, अपनी कमजोरियों के बारे में बहुत ही कम जानते हैं। इसलिए जब हम Fitness की अपनी यात्रा पर निकलते हैं तो अपनी बॉडी को बेहतर ढंग से समझना शुरु करते हैं। और मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है जिन्होंने ऐसे ही अपनी Body की शक्ति को जाना है, पहचाना है। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है, जिससे एक बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण में उन्हें मदद मिली है।

और इसलिए मैं चाहूंगा कि हर प्रकार से हम फिटनेस को एक उत्‍सव के रूप में, जीवन के एक हिस्‍से के रूप में, परिवार के सफलता के जितने भी मानक हों, उसमें फिटनेस भी एक परिवार की सफलता का मानक होना चाहिए। व्‍यक्ति के जीवन की सफलताओं में भी फिटनेस उसका एक मानक होना चाहिए। अगर इन भावों को ले करके हम चलते हैं और राज्‍य सरकारें हो, मैं उनको भी कहूंगा कि Fit India Movement को ज्‍यादा से ज्‍यादा विस्‍तार देने, इसे देश के दूर-दराज वाले क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए हर कोई आगे आए। अपने स्‍कूलों में, अपने कार्यालयों में, अपने राज्‍य के लोगों में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ाकर, उनके लिए आवश्‍यक संसाधन जुटाकर हमें ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को daily अपना कुछ समय फिटनेस को देने के लिए प्रेरित करना होगा। स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति, स्‍वस्‍थ परिवार और स्‍वस्‍थ समाज, यही नए भारत को श्रेष्‍ठ भारत बनाने का रास्‍ता है। जैसे आपने स्‍वच्‍छ भारत अभियान को अपने जीवन का हिस्‍सा बनाया है, उसी तरह Fit India Movement को भी अपने जीवन का हिस्‍सा बनाना है।

आइए, आप आज ये संकल्‍प लें, ये प्रतिज्ञा लें कि आप खुद भी फिट रहेंगे, अपने परिवार, मित्रों, पड़ोसियों, और जिनको भी आप जानते हैं, उन सभी को फिट रहने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे। मैं फिट तो इंडिया फिट।

इसी एक आग्रह के साथ एक बार फिर इस अभियान के लिए देशवासियों को मेरी अनेक-अनेक शुभकामनाएं हैं और समाज के हर तबके में नेतृत्‍व करने वाले लोगों से मेरा आग्रह है कि आप आगे आइए, इस movement को बल दीजिए, समाज के स्‍वस्‍थ होने में आप भी हिस्‍सेदार बनिए। इसी एक अपेक्षा के साथ, अनेक-अनेक शुभकामनाओं के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Our government is making the vision of women-led development the axis of development: PM Modi in Bhopal, Madhya Pradesh
May 31, 2025
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मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

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साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

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साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

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साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

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साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

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साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

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साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

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साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!