झारखंड के प्यारे भाइयों-बहनों, कुछ समय पहले चुनाव अभियान के दौरान बार-बार मेरा झारखंड आना हुआ था। और मैंने विकास के विषय में हर बार आपके सामने बातें रखीं। मैं झारखंड के नागरिकों का ह्दय से अभिनंदन करता हूं कि आपने विकास के मार्ग को चुना है। आपने हमें भारी समर्थन दिया है। और मैं झारखंड वासियों को विश्वास दिलाने आया हूं कि आपने मुझे जो प्यार दिया है, जो समर्थन दिया है, जो शक्ति दी है, इसके लिए मैं झारखंड का अंत:करण पूर्वक आभार व्यक्त करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं। लेकिन झारखंड के मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, सिर्फ आभार व्यक्त करके मैं अपना कर्तव्य पूर्ण नहीं मानता। आपने जो प्यार दिया है, उसे मैं ब्याज समेत लौटाने आया हूं। और विकास के माध्यम से, मैं यह प्यार आपको ब्याज समेत लौटाने वाला हूं।
झारखंड में हिन्दुस्तान के सभी राज्यों में सबसे समृद्ध राज्य बनने की क्षमता है। अगर मैं गुजरात के अनुभव से कहूं तो गुजरात से भी अनेक गुना आगे बढ़ने की ताकत झारखंड राज्य में है। जिस राज्य के पास इतनी प्राकृतिक संपदा हो, जिस राज्य के पास ऐसे कतर्व्यवान नौजवान हो, जिस राज्य के पास बिरसा मुंडा जैसे महापुरूषों की त्याग और तपस्या की परंपरा हो, वह राज्य पीछे रहने के लिए पैदा हुआ ही नहीं है।
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने झारखंड राज्य बनाया। इस सपने के साथ बनाया था कि विपुल प्राकृतिक संपदाओं से भरा यह राज्य न सिर्फ झारखंड का भला करेगा, बल्कि पूरे हिन्दुस्तान का भाग्य बदलने के लिए झारखंड एक अहम भूमिका निभा सकता है। इन सपनों के साथ, इस आशा के साथ झारखंड का निर्माण हुआ था।
भाइयों-बहनों, झारखंड की स्थिति हमें मंजूर नहीं है। हमें इसे बदलना है। मिल-जुल करके बदलना है। विकास की अनेक योजनाओं को ले कर झारखंड को प्रगति की नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया जा सकता है। आज यहां कुछ योजनाओं का लोकापर्ण करने का मुझे सौभाग्य मिला है और कुछ योजनाओं के शिलान्यास का भी सौभाग्य मिला है। मैं हैरान हूं - यहां पर कर्णपुर में यह सूपरथर्मल पावर प्रोजेक्ट - अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका शिलान्यास किया था। और इसके बाद, वह वहीं का वहीं पड़ा है। आप मुझे बताइये भाइयों, यह आप के साथ अन्याय है या नहीं है? यह अन्याय जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? मुझे लगता है कि वाजपेयी जी ने जहां काम छोड़ा है, उसे आगे बढ़ाना शायद मेरे ही भाग्य में लिखा हुआ है। करीब 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से यह बिजली का कारखाना बनेगा। न सिर्फ झारखंड का अंधेरा छंटेगा, हिन्दुस्तान में जहां-जहां अंधेरा है, उस अंधेरे को हटाने का काम भी इस झारखंड की धरती से होगा।
भाइयों-बहनों, आज मुझे यहां रांची-सीपत ट्रांसमिशन लाईन के लोकार्पण का भी अवसर मिला है। यह ट्रांसमिशन लाईन सिर्फ बिजली को ले जाएगी ऐसा नहीं है, यह ट्रांसमिशन लाईन सिर्फ बिजली को यहां लाएगी ऐसा नहीं है। यह ट्रांसमिशन लाईन पूरब को पश्चिम के साथ जोड़ने वाली लाईन है। यह सिर्फ ऊर्जा को वहन करने वाली नहीं, यहां के जन-जन में ऊर्जा पैदा करने वाली एक नई ताकत के रूप में यहां आई है। और उसके कारण विकास की एक नई ऊर्जा सारे पूर्वी भारत को प्राप्त हो, इसमें बड़ी अहम भूमिका झारखंड निभाने वाला है। मैं पहले से ही मानता हूं, अगर हम भारत को महान बनाना चाहते है, अगर हम भारत को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते है, तो हमारी भारत माता का कोई भी हिस्सा दुर्बल नहीं होना चाहिए। आज हम देखते हैं, भारत के पश्चिमी छोर पर कुछ न कुछ आर्थिक गतिविधियां नजर आती है। लेकिन भारत का पूरा पूर्वी छोर, मध्य से पूरब की तरफ देखें, वहां के लोग विकास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। गरीबी ने उनके सपनों को चूर-चूर करके रखा हुआ है। दिल्ली में आपने जिस सरकार को बिठाया है, उस सरकार का सपना है- पश्चिम हो या पूरब, उत्तर हो या दक्षिण, भारत का विकास संतुलित होना चाहिए। पूरब को भी उसका फायदा मिलना चाहिए और पूरब में विकास की संभावनाएं बढ़नी चाहिए। ये जो ट्रांसमिशन लाईन है, वह भविष्य में झारखंड के विकास में अहम भूमिका निभाने वाली है। यहां जो बिजली पैदा होगी, वह जब हिन्दुस्तान के कोने-कोने में पहुंचेगी तो झारखंड की आर्थिक स्थिति में भी उसके कारण बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है।
कल हमारी कैबिनेट की मीटिंग थी। उस कैबिनेट की मीटिंग में हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया। मैं नहीं जानता हूं कि वह खबर झारखंड के अखबारों में छपी है कि नहीं छपी है, लेकिन मैं जहां दिल्ली से निकला, वहां तो कोई ज्यादा मुझे नजर नहीं आई। एक-आध कोने में, एक-आध दो लाईन मुझे दिखाई दे रही थी। सामान्य रूप से भारत सरकार से कुछ लेना हो तो मुख्यमंत्रियों को इतने चक्कर काटने पढ़ते हैं, इतनी बार जाना पड़ता है, इतनी रिक्वेस्ट करनी पड़ती है, एमपीज़ को जाना पड़ता है, डेलिगेशन लेके जाना पड़ता है। और वहां वे सुनते हैं, फिर कहते हैं, “आपकी बात बहुत अच्छी है। हम जरूर देखेंगे।” ये दोबारा जाते हैं, तो फिर कहते हैं, “अच्छा वह रह गया फिर देखेंगे।” ये देखते ही देखते 10 साल चले गए।
भाइयों-बहनों, दिल्ली में बैठी हुई सरकार का एक कन्विक्शन है, यह हमारा विश्वास है अगर भारत को आगे बढ़ाना है तो हमें राज्यों को आगे बढ़ाना पड़ेगा। हम राज्यों के प्रति उदासीन रह करके, राज्यों की उपेक्षा करके, कभी भी भारत को आगे बढ़ा नहीं सकते। और इसलिए दिल्ली में बैठी हुई सरकार सभी राज्यों के विकास में सहायक होना चाहती है, मददगार होना चाहती है। राज्यों की उंगली पकड़ करके साथ चलने का प्रयास करना चाहती है। और इसलिए कल कैबिनेट में हमने एक महत्वपूर्ण फैसला किया: खनिज संपदा की रॉयल्टी का। और उसके कारण झारखंड को करीब-करीब 400 करोड़ रुपये का फायदा होगा। और एक बार नहीं, हर वर्ष होगा। और इसके लिए हेमंत सोरेन जी को कभी दिल्ली नहीं आना पड़ा। न कभी मेरे पास आना पड़ा, न कभी मेमोरंडम देना पड़ा। हम सामने से ले करके आए हैं। क्यों? क्योंकि हमारा विश्वास है, सबने मिल करके देश को आगे बढ़ाना है। जन-जन की ताकत को जोड़ करके हमें आगे बढ़ाना है।
भाईयों-बहनों, आज एक ऑयल टर्मिनल का भी लोकार्पण हुआ है। और इसके कारण इस पूरे क्षेत्र में ऑयल पहुंचाने की सुविधा बढ़ने वाली है। लेकिन जो महत्वपूर्ण बात मुझे कहनी है, आने वाले दिनों में गैस बेस्ड इकोनॉमी का महात्म्य बढ़ने वाला है। देश में गैस ग्रिड बने, डोमेस्टिक उपयोग के लिए, ट्रांसपोर्टेशन के लिए, ऊर्जा के लिए, उद्योग के लिए गैस को सर्वाधिक उपयोग की दिशा में कैसे जाएं, गैस पहुंचाने के लिए नेटवर्क कैसे तैयार हो, उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। और उसी प्रयास के तहत जगदीशपुर-फूलपुर-हल्दिया गैस पाईपलाईन – आने वाले दिनों में ये काम भी ये सरकार अपने हाथ में लेने वाली है। और उसके कारण हमारे पूर्वी हिन्दुस्तान के गोरखपुर हो, पटना हो, वाराणसी हो, जमशेदपुर हो, दुर्गापुर हो, कोलकाता हो – इन शहरों में पाईप से घर-घर गैस पहुंचाने का हमारा मकसद है। अब गैस सिलिंडर के लिए हमारी माताओं-बहनों को इंतजार न करना पड़े। जैसे नल में पानी आता है, वैसे नल में गैस भी आने लग जाए, इस काम को हम करना चाहते हैं।
भाईयों-बहनों, यहां के नौजवानों के पास टैलेंट है। यहां पर औद्योगिक विकास की भारी संभावना है। अगर न संभावना होती, तो कभी किसी ने जमशेदपुर न बनाया होता। यहां ताकत पड़ी है, लेकिन बीच के कालखंड में सब अटक गया। यहां पर इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स के निर्माण के लिए बहुत संभावनाएं हैं। भारत सरकार – यहां के नौजवानों को रोजगार मिले, इलेक्ट्रिक गुड्स मेन्यूफैक्चरिंग का यहां काम हो – उसको प्राथमिकता देना चाहती है। और उसके कारण – आज छोटे-छोटे इलेक्ट्रिक गुड्स भी विदेश से लाने पड़ते हैं – वह लाना बंद होगा, और भारत की आवश्यकता की पूर्ति में झारखंड का भी कोर्इ-न-कोई योगदान हो – उस दिशा में हम आगे जाने वाले हैं। झारखंड के नौजवानों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए रांची में बहुत ही जल्द इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नॉलोजी, आईआईआईटी, इसका काम भी बहुत ही जल्द हम प्रारंभ करने वाले हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि झारखंड को आधुनिक बनाने की दिशा में हम कितना योगदान कर सकते हैं।
15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से मैंने एक बात कहीं थी, डिजीटल इंडिया की। वक्त बदल चुका है। अगर टेलीफोन थोड़े समय के लिए अगर बंद हो जाए, कनेक्टिविटी अगर थोड़े समय के लिए बंद हो जाए तो आप परेशान हो जाते हैं, कि नहीं हो जाते हैं? मोबाइल फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो जाए तो परेशान हो जाते है कि नहीं हो जाते हैं? मोबाइल फोन के बिना जिंदगी गुजारना आज संभव है क्या? झारखंड जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में भी मोबाइल फोन ने इतनी जगह बना ली है, जिंदगी में। क्या कारण हैं? कारण है टेक्नॉलोजी। उसके कारण आई हुई सरलता। क्या हमारे पूरी शासन व्यवस्था में ऐसी सरलता हम ला सकते है या नहीं ला सकते हैं? सामान्य मानव के लिए सरकार उसकी हथेली में होनी चाहिए, यह हमारा सपना है। सरकार दिल्ली में न हो, सरकार रांची में न हो, सरकार हिन्दुस्तान के नागरिक की हथेली में हो। यह काम है डिजीटल इंडिया का। आपके मोबाइल फोन में पूरी की पूरी सरकार लाई जा सकती है। आप अपने मोबाइल फोन से सरकार में क्या काम है, कहां काम है, कैसे काम है, इस काम को कर सकते हैं – इतना टेक्नॉलोजी और विज्ञान का विकास हुआ है। लेकिन भारत इसमें बहुत पीछे है। बहुत कुछ करना बाकी है। लेकिन कहीं से तो शुरूआत करनी चाहिए। और इसलिए डिजीटल इंडिया का सपना पूरा करने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये की लागत से, पूरी शासन व्यवस्था, उसका सरलीकरण हो। डिजीटल फोर्म में इजिली अवेलबल हो।
सामान्य से सामान्य मानव, सरकार के किसी भी पुर्जे तक तुरंत पहुंच पाए, घर बैठे पहुंच पाए – ऐसी व्यवस्था हो। सामान्य नागरिक को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जैसे उसे गैस पाईपलाईन से गैस मिलता है, पानी की पाईपलाईन से पानी मिलता है, उसी प्रकार से डिजीटल के द्वारा इंफोरमेशन भी मिले, इस प्रकार का प्रबंध करने की कल्पना के साथ आज झारखंड की धरती से इस डिजीटल इंडिया के लिए कुछ प्रकल्प का प्रारंभ हुआ है। जिसमें ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक पार्ट की कल्पना है, जिसमें नेटवर्क और अधिक ताकतवर बनाने की कल्पना है। इन प्रयासों का परिणाम यह होगा कि झारखंड भी डिजीटल वर्ल्ड की दुनिया में बहुत ही तेजी से अपनी जगह बना लेगा।
भाईयों-बहनों, एक के बाद एक, ये सरकार इतनी तेज गति से क्यों चल रही है? एक के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय क्यों कर पा रही है? मेरे झारखंड के बहनों-भाइयों, इसलिए कर पाई है कि देश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में एक सरकार को चुना है। अगर हमें भी पूर्ण बहुमत न मिला होता, अस्थिरता होती, गठजोड़ की दुनिया होती तो, शायद आज जिस विश्वास के साथ मैं एक के बाद एक कदम उठा रहा हूं, शायद नहीं उठा पाता। पूर्ण बहुमत का महात्म्य मैं समझता हूं। देश भी समझता है। स्थिर शासन का महत्व मैं समझता हूं, झारखंड के लोग भी समझते हैं। और भाईयों-बहनों, अब झारखंड एक महत्वपूर्ण उमर के दौर से गुजर रहा है। झारखंड की उमर हो गई है, 13-14 साल। परिवार में भी बेटा या बेटी, जब 13 या 14 साल के हो जाते हैं, तो मां-बाप उसकी स्पेशल केयर करते हैं। ज्यादा उनकी चिंता करते हैं। अच्छी स्कूल मिले, अच्छा कालेज मिले, अच्छे दोस्त मिले, उनका सही डेवलपमेंट हो। क्योंकि ये एज ऐसी होती है, उसमें बेटे या बेटी के जीवन में जो होगा, उसी की धरोहर पर उसकी पूरी जिंदगी बनती है। व्यक्ति के जीवन में 13 से 18 साल की उमर का जैसा महत्व होता है, वैसा ही महत्व राज्य के जीवन में भी होता है। और इसलिए अब झारखंड उस महत्वपूर्ण उमर के दौर में प्रवेश कर रहा है।
आपको तय करना है – जब झारखंड 18 साल का हो, तब झारखंड कैसा होना चाहिए? इस महत्वपूर्ण समय में झारखंड कैसा हो? झारखंड के सपने कैसे हो? झारखंड की योजनाएं कैसी हो? उन योजनाओं को चलाने वाली व्यवस्था कैसी हो? इस पर गंभीरता से सोचने का समय, ये झारखंड की जनता के पास आया है। और इसलिए भाइयों-बहनों, ये झारखंड के महत्वपूर्ण वर्ष, विकास के वर्ष में हम बने रहें। झारखंड की ये 13 से 18 साल की उमर का दौर, झारखंड को नई ऊंचाईयों को प्राप्त करने वाला बने। नए सपने हो, नई ऊर्जा हो, उसे प्राप्त करने के लिए सवा तीन करोड़ झारखंड वासियों का अनगिनत पुरूषार्थ हो। तो भाइयों-बहनों, जिस बिरसा मुंडा को ले कर के हम सीना तान कर के घूम रहे हैं, वही झारखंड की जनता देश के सामने सीना तान कर के खड़ी हो सकती है और उस काम को करने के लिए मैं आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए:
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।