Shri Narendra Modi's speech at Young Indian Leaders Conclave

Published By : Admin | June 29, 2013 | 11:26 IST

पने अनुभवी और वरिष्ठ महानुभावों को सुना है, लेकिन आपको भी बहुत कुछ कहना होगा, आपके मन में भी बहुत सी बातें होंगी और मैं ऐसा अनुभव करता हूँ कि जब सुनते हैं तो आपकी सोच, आपकी भावना, आपके सोचने का दायरा, इन द गिवन सर्कम्स्टैंसिस ऐन्ड सिच्यूएशन्स, इन सारी बातें हम लोगों के लिए एक थॉट प्रोवोकिंग प्रोसेस के लिए सीड्स का काम करती है और अगर मुझे इनोवेशन्स भी करने हैं, नए आईडियाज़ को भी विकसित करना है, तो मुझे भी कहीं ना कहीं सीड्स की जरूरत पड़ती है, खाद और पानी डालने का काम मैं कर लूँगा..! और ऐसा मौका शायद बहुत कम मिलता है..! मैं इसका पूरा फायदा उठाना चाहता हूँ और आप मुझे निराश नहीं करेंगे, इसका मुझे पूरा विश्वास है..!

दूसरी बात है, मैं सी.ए.जी. के इन सारे नौजवान मित्रों का अभिनंदन करना चाहता हूँ..! जितना मैं समझा हूँ, मुझे पूरा बैक ग्राउंड तो मालूम नहीं लेकिन मुझे जितना पता चला है, एक प्रकार से नेटीज़न का ये पहला बच्चा है, सोशल मीडिया का एक स्टेप आगे हो सकता है। ये देश में शायद पहला प्रयोग मैं मानता हूँ कि सभी नौजवान फेसबुक, ट्विटर से एक दूसरे से मिले, उनका एक समूह बना, समूह ने कुछ सोचा और कुछ करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मैं समझता हूँ कि सोशल मीडिया का ये भी एक एक्शन प्लेटफार्म हो सकता है। देश में सोशल मीडिया के क्षेत्र में काफी लोग एक्टिव हैं उनके लिए एक बहुत बड़ा उदाहरण रूप काम ये सी.ए.जी. के मित्रों ने किया है, इसलिए उनको मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ..!

दूसरा मैं देख रहा हूँ उनकी टीम स्पिरिट को..! सुबह से ये चल रहा है लेकिन तय करना मुश्किल है कि ये कौन कर रहा है, इसको कौन चला रहा है..! मित्रों, ये एक बहुत बड़ी ताकत है कि इतना सारा करना, इतने सारे लोगों को उन्होंने संपर्क किया, महीनों तक काम किया होगा, लेकिन उनमें से कोई एक चेहरा सामने नहीं आ रहा है, फोटो निकालने के लिए भी कोई धक्का-मुक्की नहीं कर रहा है..! मैं मानता हूँ कि ये कोई छोटी चीज नहीं है। मैं कब से नोटिस कर रहा हूँ और मैं नौजवानों की इस एक चीज से मैं कह सकता हूँ कि आप बहुत सफल होंगे, आपके प्रयास में बहुत सफल होंगे ऐसा मैं मानता हूँ..! खैर मित्रों, जितना समय ये मित्र देंगे, आखिर में मेरे लिए पाँच मिनट रखना, बाकी मैं सुनना चाहता हूँ..! आप मुझे अपने विचार बताएं। देखिए, ये सवाल जो है ना, वो अनएंडिग प्रोसेस है। अर्जुन ने इतने सवाल पूछे, कृष्ण ने इतने जवाब दिए फिर भी सवाल तो रहे ही हैं..! तो उसका कोई अंत आने वाला नहीं है। अच्छा होगा आप मन की बात बताएं तो हम सोचें..! डॉ. जफर महमूद ने बात बताई थी तो वो भी एक थॉट प्रोवोकिंग होता है, कि चलिए ये भी एक दृष्टिकोण है। वी मस्ट ट्राय टू अन्डरस्टैंड अदर्स, उस अर्थ में मैं इस युवा पीढ़ी को भी जानना समझना चाहता हूँ..!

थैक्यू दोस्तों, आप लोगों ने बहुत कम शब्दों में और अनेकविध विषयों को स्पर्श करने का प्रयास किया..! और मेरे लिए भी ये एक अच्छा अनुभव रहा और ये चीजें काम आएंगी..! मैं याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मेरे मित्र लिख भी रहे थे इसलिए आप की बातें बेकार नहीं जाएगी। वरना कभी-कभी ऐसा होता है कि हाँ यार, कह तो दिया, लेकिन पता नहीं आगे क्या होगा..!

दो-तीन विषयों को मैं छूना चाहूँगा। जैसे अभी यहाँ हमारे एज्यूकेशन की जो दुदर्शा है उसका वर्णन किया गया। एक छोटा प्रयोग हमने गुजरात में किया। जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना और मेरी अफसरों के साथ जो पहली मीटिंग थी तो उसमें ध्यान में आया कि हम गर्ल चाइल्ड एज्यूकेशन में देश में बीसवें नंबर पर खड़े थे। आई वॉज़ शॉक्ड, मैंने कहा हम गुजरात को इतना फॉरवर्ड और डेवलप्ड स्टेट मानते हैं, क्या हो गया हमारे राज्य को..! हमारे अफसरों के पास जवाब नहीं था। तो हमने सोचा कि हमको इसमें जिम्मा लेना चाहिए, इसमें कुछ करना चाहिए। हमने गर्ल चाइल्ड एज्यूकेशन का मूवमेंट चलाया। और गर्ल चाइल्ड एज्यूकेशन का मूवमेंट यानि जून महीने में मैं खुद गाँवों में जाता हूँ, जबकि यहाँ टेंपेरेचर होता है 45 डिग्री..! हम जाते हैं, तीन दिन गाँव में रहतें हैं, लोगों से मिलते हैं और हम लगातार पिछले दस साल से इस काम को कर रहे हैं..! आज स्थिति ये आई कि 100% एनरोलमेंट करने में हम सफल हुए हैं..! और मैं जब 100% कहता हूँ तो फिर वो सेक्यूलरिज्म की डिबेट बाजू में रह जाती है, क्योंकि 100% आया मतलब सब आ गए..! फिर वो जो बेकार में समाज को तोड़ने-फोड़ने की भाषा होती है उसका कोई रोल ही नहीं रहता है। अपने आप सॉल्यूशन निकल जाता है। फिर हमारे ध्यान में आया कि टीचर कम है, तो टीचर रिक्रूट किए, फिर हमारे ध्यान में आया इन्फ्रास्ट्रक्चर कम है, तो इन्फ्रास्ट्रक्चर किया, फिर हमें लगा कि क्वालिटी ऑफ एज्यूकेशन में प्राब्लम है, तो लाँग डिस्टेंस एज्यूकेशन को हमने बल दिया, हमने ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की, स्कूलों को बिजली का कनेक्शन दिया, स्कूलों में कम्प्यूटर दिए, एक के बाद एक हम करते गए..! उसके बाद भी ध्यान में आया कि भाई अभी भी इम्प्रूवमेंट नहीं हो रहा है। सुधार हुआ है पर गति तेज नहीं है, तो वी स्टार्टेट अ प्रेाग्राम कॉल्ड ‘गुणोत्सव’..! हमारे देश में इंजीनियरिेंग कॉलेज का ग्रेडेशन है, बिजनेस कॉलेज का ग्रेडेशन है। ‘ए’ ग्रेड के बिजनेस इन्सटीटयूट कितने हैं, ‘ए’ ग्रेड के मेडिकल कॉलेज कितने हैं..! हमने शुरू किया, ‘ए’ ग्रेड के गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल कितने हैं, ‘बी’ ग्रेड के कितने हैं, ‘सी’ ग्रेड के कितने हैं, ‘डी’ ग्रेड के कितने हैं..! और इतना बारीकी से काम किया, 40 पेज का एक क्वेश्चनर तैयार किया। कोई तीन सौ-चार सौ से भी ज्यादा सवाल हैं..! 40 पेज का क्वेश्चनर ऑनलाइन टीचर्स को दिया जाता है। स्कूल के लोगों को उसे भरना होता है। उसमें हर चीज होती है, बच्चे को पढ़ना-लिखता आता है, पढ़ने के संबंध में आप 10 में से कितने मार्क्स दोगे, स्कूल में सफाई है तो 10 में से कितने दोगे, अगर लाइब्रेरी का उपयोग हो रहा है तो 10 में से कितने दोगे, वो अपने आप भर कर देते हैं। फिर सारी सरकार गणोत्सव के लिए गाँव जाते हैं, मैं खुद भी तीन दिन जाता हूँ। बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं, उन्हें पढ़ना, लिखना, मैथेमेटिक्स वगैरह आता है, लाइब्रेरी का उपयोग, कम्प्यूटर का उपयोग, ये सारे चीजें बारीकी से हम देखतें है। और जो क्वेश्चन पेपर टीचर्स को दिया होता है, वो जो जाते हैं उनको भी दिया जाता है। जो जाते है उनको भी किस जगह पर जाते हैं वो पहले से नहीं बताया जाता, लास्ट मोमेंट उनका लिफाफा खुलता है और उस जगह पर उनको जाना होता है ताकि कोई मैनेज ना करे या पहले से कोई बात ना बताए। वो जो भरता है वो भी ऑनलाइन देते हैं। दोनों का कम्पेयर करते हैं, टीचर्स ने दिया था वो और जो सुपरवाइजर हमारे यहाँ से गया था वो, चाहे चीफ मीनिस्टर गया हो, मीनिस्टर गया हो, आई.ए.एस. अफसर जाते हैं, आई.पी.एस. ऑफिसर जाते हैं, सारे लोग देखते हैं। हमारा सबसे अच्छा एक्सपीरियंस ये था कि वहाँ के स्कूल के लोगों ने जो जवाब दिए थे और बाहर से गए हुए लोगों के जो जवाब थे, उनमें उन्नीस बीस का फर्क था, ज्यादा फर्क नहीं था..! ये अपने आप में सबसे अच्छा सिम्पटम था कि लोग सच बोल रहे थे और ध्यान में आया कि ‘ए’ ग्रेड की स्कूलें बहुत कम हैं, बहुत कम..! फिर हमने टारगेट दिया कि अच्छा भाई, ये बताओ कि अगली बार ‘ए’ ग्रेड की स्कूलें कितनी होंगी..? तो सचमुच में एज्यूकेशन पर बल दिया गया। वरना हमारा आउट-ले है, आउट-पुट है, बजट है, टीचर्स हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर है, सब है, सिर्फ शिक्षा नहीं है..! समस्या का समाधान निकलता है।

ब जैसे हमारे यहाँ एक विषय आया कि भाई, सरकार में पता नहीं फाइल कहाँ जाएगी, आदमी कहाँ जायेगा, पता नहीं रहता, दिक्कत रहती है..! मैंने एक बार हमारे अफसरों को कहा था कि मुझे तो लोग हिन्दुवादी मानते हैं और हिन्दुत्व से जुड़ा हुआ मुझे माना जाता है। हमने कहा, हिंदु धर्म में कहा है कि चार धाम की यात्रा करो तो मोक्ष मिल जाता है, लेकिन ये सरकार में फाइल जो है वो चालीस धाम की यात्रा करे तो भी उसका मोक्ष नहीं होता है..! मैंने कहा कम से कम कुछ तो करो भाई, फाइल बस जाती रहती है, घूमती रहती है..! एक बार मैंने मेरे अफसरों को बुलाया, मैंने कहा मान लीजिए कि एक विडो है, उस विडो को सरकार की तरफ से सोइंग मशीन लेने का अधिकार है। सरकार ने बनाया है नियम, उसको मिलना चाहिए। मुझे बताइए, वो विडो को ये सोइंग मशीन कैसे मिलेगा..? मैंने आई.ए.एस. अफसरों को पूछा था। मैंने कहा, कागज पर लिखो वन बाई वन स्टेप कि पहले वो कहाँ जाएगी, फार्म कहाँ से लेगी, फिर किस दफ्तर में जाएगी, फिर कहाँ देगी, कितनी फीस देगी..! यू विल बि सरप्राइज्ड, मेरी सरकार के वो दस अफसर बैठे थे, दस में से एक भी नहीं बता पाया कि वो विडो अपने हक का सोइंग मशीन कहाँ से लेगी..! फिर मैंने उनसे पूछा कि तुम इतने सालों से सरकार में हो, इतने सालों से तुम कानून और नियम बनाते हो, तुम्हें मालूम नहीं है तो एक बेचारी अनपढ़ महिला को कैसे मालूम पड़ेगा..? आई रेज़्ड द क्वेश्चन। उनको भी स्ट्राइक हुआ..! मित्रों, उसमें से हमारे यहाँ गरीब कल्याण मेला, एक कॉन्सेप्ट डेवलप हुआ और सरकार की इस योजना में लाभार्थी खोजने के लिए मैं सरकार को भेजता हूँ। पहले लोग सरकार को खोजते थे, हमने बदला, सरकार लोगों तक जाएगी..! वो लिस्ट बनाते हैं, कि भाई, ये हैन्डीकैप है तो इसको ये मिलेगा, ये विडो है तो इसको ये मिलेगा, ये सीनियर सिटीजन है तो इसको ये मिलेगा, ये ट्राइबल है तो इसको ये मिलेगा... सारा खोजते हैं और गरीब कल्याण मेले में सबको लाने की सरकारी खर्च से व्यवस्था करते हैं और मीडिया की हाजिरी में, लाखों लोगों की हाजिरी में पूरी ट्रांसपेरेंसी के साथ उनको वो दिया जाता है और दिया जाता है इतना ही नहीं, गाँव में बोर्ड लगाया जाता है कि आपके गाँव के इतने-इतने लोगों को ये ये मिला है। कोई गलत नाम होता है तो लोग कहेंगे कि भाई, ये मगनभाई के यहाँ तो ट्रेक्टर है और ये साइकिल ले कर आ गया सरकार से, यानि शर्म आनी शुरू हुई तो ट्रांसपेरेंसी आनी अपने आप शुरु हो जाती है। सारे लिस्ट को ऑनलाइन रखा।

लोग कहते हैं कि जन भागीदारी कैसे लाएं..? एक सवाल आया। देखिए, बहुत आसानी से होता है। सरकार में एक स्वभाव होता है सीक्रेसी का..! उसके दिमाग में पता नहीं कहाँ से भर गया है। एक बात दूसरे को पता ना चले, एक टेबिल वाला दूसरे टेबिल वाले को पता नहीं चलने देता, एक डिपार्टमेंट वाला दूसरे डिपार्टमेंट वाले को पता चलने नहीं देता, एक चैंबर वाला दूसरे चैंबर वाले को पता नहीं चलने देता... कोई बड़ा धमाका होने वाला हो ऐसी सोच रखते हैं..! मैंने कहा ये सब क्या कर रहे हो, यार..? नहीं बोले, ये तो जब फाइनल होगा तब कहेंगे..! मैंने सवाल उठाया, क्यों..? मित्रों, आपको जान कर खुशी होगी, मेरे यहाँ नियम है कि कोई भी पॉलिसी बन रही है तो उसकी ड्राफ्ट पॉलिसी हम ऑनलाइन रखते हैं। वरना पॉलिसी आना यानि सरकार कोई बहुत बड़ा धमाका करने वाली हो, ऐसा टैम्प्रामेंट था..! ड्राफ्ट पॉलिसी हम ऑनलाइन रखते हैं और लोगों को कहते हैं कि बताओ भाई, इस पॉलिसी में आप लोगों का क्या कहना है..? मित्रों, एसेम्बली में डिबेट होने से पहले जनता में डिबेट हो जाता है और वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप भी उसमें अपना जितना मसाला डालना चाहते हैं, डालते हैं, न्यूट्रल लोग भी डालते हैं, विज़नरी लोग भी डालते हैं। हमारे सरकार में बैठे लोगों की अगर सोचने की मर्यादाएं हैं तो हमारा विज़न एक्सपेंड हो जाता है क्योंकि इतने लोगों का इनपुट मिल जाता है। कभी हमने किसी बद इरादे से... मान लीजिए, बाईं ओर जाने का तय किया है तो लोगों का प्रेशर इतना है कि तुम गलत कर रहे हो, राइट को जाना पड़ेगा, तो उस पॉलिसी ड्राफ्ट में ही इतना सुधार आ जाता है कि वो राइट ट्रेक पर आ जाती है..! और आपको जान कर खुशी होगी मित्रों, इसके कारण हमारे पॉलिसी डिस्प्यूट मिनिमम हो रहें हैं और इस पॉलिसी के कारण डिसिजन लेने में सुविधा मिलती है। ये जन भागीदारी का उत्तम नमूना है मित्रों, यानि पॉलिसी मेकिंग प्रोसेस में भी आप लोगों को जोड़ सकते हैं, ये हमने गुजरात में कर के दिखाया है..! उसी प्रकार से, कभी-कभी एक काम आपने सोचा है, लेकिन सरकार क्या करती है, सरकार कहती है कि ये हमारा बहुत बड़ा विजनरी काम है, हम जनता पे थोप देंगे..! मित्रों, ये लोकतंत्र है, सरकारों को जनता पर कुछ भी थोपने का कोई अधिकार नहीं है..! मैं बारह साल सरकार में रहने के बाद हिम्मत के साथ ये बोल सकता हूँ कि जनता को साथ लेना ही चाहिए और आप जनता को साथ लेने में सफल हुए तो आप कल्पना नहीं कर सकते कि सरकार को कुछ नहीं करना पड़ता, सब काम जनता करके दे देती है..! मेरे यहाँ एक ‘सुजलाम् सुफलाम्’ कैनाल बन रहा था। वो करीब 500 किलोमीटर लंबा कैनाल था। मुझे कैनाल के लिए किसानों से जमीन लेनी थी और हमारे फ्लड वाटर को हम वहाँ पर डालना चाहते थे कि वो एक प्रकार से रिचार्जिंग का भी काम करेगी, ऐसी कल्पना थी। मैंने 10 डिस्ट्रिक्ट में दस-दस, पन्द्रह-पन्द्रह हजार लोगों के सेमीनार किये। खुद पावर पॉइंट प्रेजेन्टेशन करता था और उनको समझाता था कि ये कैनाल ऐसे जाएगी, इतने किलोमीटर का ये फायदा होगा, पानी पर्कोलेट होगा तो आपके कुंए में पानी आएगा, आपका बिजली का इतना खर्चा कम होगा, फसल आपकी तीन-तीन हो सकती है... सारा समझाया मैंने। आपको जानकर के आश्चर्य होगा मित्रों, दो सप्ताह के अंदर लोगों ने जमीन देने का काम पूरा किया..! दो साल में कैनाल बन गई, पानी पहुँच गया, तीन-तीन फसल लोगों ने लेना शुरू कर दिया। हमें कोई प्रॉबलम नहीं आया..! कहने का तात्पर्य ये है कि शासन जितना जनता जर्नादन के साथ जुड़ा होगा, उतनी परिणामों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं..! अगर हम लोगों को रोकते हैं तो काम नहीं होता।

हाँ एक विषय आया, यंग जनरेशन को कैसे जोड़ा जाए..! मेरे यहाँ एक प्रयोग किया है, अभी वो फुलप्रूफ और परफेक्ट है ऐसा मैं क्लेम नहीं करता, लेकिन इतना मैं कनवींस जरूर हो गया हूँ कि वी आर इन अ राइट डायरेक्शन, इतना मैं कह सकता हूँ..! मैं ये नहीं कहता हूँ कि मुझे बहुत बड़ा कोई सॉल्यूशन मिल गया है..! उस में हमने सी.एम. फैलोशिप शुरू किया है। उसकी वैबसाइट भी है, आप कभी देख सकते हैं। और मैं नौजवानों को कहता हूँ कि भाई, ये भी एक जगह है जिसको एक्सपीरियंस करना चाहिए। और आपको जानकर के खुशी होगी मित्रों, मेरे यहाँ ढेड-ढेड, दो-दो करोड़ के जिनके पैकेज हैं ऐसे नौजवान अपनी नौकरी छोड़ कर के सरकार की टूटी-फूटी एम्बेसेडर में बैठ कर काम कर रहे हैं। हाईली क्वालिफाइड नौजवान, अच्छी पोजिशन में विदेशों में काम करने वाले नौजवान मेरी ऑफिस में काम कर रहे हैं..! और हर वर्ष जब हम ये करते हैं, तो बारह सौ-पन्द्रह सौ नौजवानों की एप्लीकेशन आती है। अभी मैं धीरे-धीरे इसको डेवलप कर रहा हूँ। थोड़ी कमियाँ हैं, थोडा फुलप्रूफ हो जाएगा तो मैं ज्यादा लोगों को भी लेने वाला हूँ। अब ये दो चीजे हैं, नौजवान को अवसर भी मिलता है, कॉरपोरेट वर्ल्ड में होने के बावजूद भी सरकार क्या होती है ये समझना उसके लिए एक अनूठा अवसर होता है, वो हम उसको दे रहे हैं। एट द सेम टाइम, सरकार की सोच में कोई इनिशियेटिव नहीं होता है, बस चलता रहता है। उसमें एक फ्रेश एयर की जरूरत होती है, नई सोच की जरूरत होती है और ये नई सेाच के लिए मुझे ये सी.एम. फैलोशिप बहुत काम आ रहा है। ये नौजवान इतने ब्राइट हैं, इतने स्मार्ट हैं, इतने क्विक हैं... अनेक नई-नई चीजें हमें देते रहते हैं और उसका हमें फायदा होता है..!

ब जैसे हमारे प्रोफेसर साहब अभी कह रहे थे कि इनोवेशन का काम होना चाहिए..! मित्रों, गुजरात देश का पहला राज्य है जिसने अलग इनोवेशन कमीशन बनाया है। और जो इनोवेशन करते हैं उसको हमारी एक कमेटी जाँच करती है, अगर हमको वो इनोवेशन स्केलेबल लगता है तो उसको हम कानूनन लागू करते हैं और उसके कारण हमारे यहाँ कई लोगों को नए-नए इनोवेशन करने का अवसर मिलता है। इतना ही नहीं, हमने एक और काम किया है। मेरा एक प्रोग्राम चलता है, ‘स्वांत: सुखाय’..! वो काम जिसको करने से मुझे आनंद आता है और जो जनता की भलाई के लिए होना चाहिए। और मेरी सरकार में किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार का प्रोजेक्ट लेने की इजाजत है। इससे क्या हो रहा है, अपनी नौकरी करते-करते उसको एक आद चीज ऐसी लगती है जिसमें उसका मन लग जाता है। तो मैं उसको कहता हूँ कि रिसोर्स मोबलाइज़ करने की छूट है, लेकिन ट्रांसपरेन्सी होनी चाहिए..! और आप इस काम को कीजिए..! आज मेरा अनुभव है कि दस साल पहले जिन अफसरों ने स्वांत: सुखाय में कोई कार्यक्रम किया, जैसे मान लीजिए आप अंबाजी जाएंगे तो अंबाजी नगर में पीने के पानी की दिक्कत थी। तो वहाँ हमारा फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का एक अधिकारी था, उसने अंबाजी के नजदीक जो पहाड़ियाँ थीं, वहाँ बहुत बड़ी मात्रा में उसने चैक डेम बनाए और पर्वत का पानी वहाँ रोकने की कोशिश की। ये प्रयोग इतना सफल रहा कि अंबाजी का पीने के पानी का प्रॉबलम सॉल्व हो गया। अब उसने तो अपना स्वांत: सुखाय काम किया, और आज तो उसको वहाँ से ट्रांसफर हुए दस साल हो गए, लेकिन आज अगर उसके रिश्तेदार आते हैं तो गुजरात में वो क्या दिखाने ले जाता है..? उस प्रोजेक्ट को दिखाने ले जाता है कि देखिए, मैं जब यहाँ था तो मैंने ये काम किया था..! ये जो उसका खुद का आंनद है, ये आनंद अपने आप इन्सपीरेशन को जनरेट करता है, ऑटो जनरेट हो जाता है। मैंने देखा है कि मेरे यहाँ बहुत सारे अफसर अपने संतोष और सुख के लिए, सरकार की मर्यादाओं में रहते हुए कोई ना कोई नया काम करते हैं। हम थोड़ा मौका दें, थोड़ा खुलापन दें, तो बहुत बड़ा लाभ होता है और गुड गर्वनेंस की दिशा में ऐसे सैकड़ों इनिशियेटिव्स आपको मिल सकते हैं और आज जो आपको परिणाम मिला है वो उसी के कारण मिला है।

दूसरी बात है, एक विषय आया था, जात-पात, धर्म और वोट बैंक का विषय आया था। मैं एक बार एक प्रधानमंत्री का भाषण लाल किले पर से सुन रहा था, एंड आई वॉज़ शॉक्ड..! देश के एक प्रधानमंत्री ने एक बार अपने भाषण में लाल किले पर से कहा था, हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई... ऐसा सब वर्णन किया था..! मैंने कहा, क्या जरूरत है भाई, मेरे देशवासियों इतना कहते तो नहीं चलता क्या..? बात मामूली लगेगी आपको..! क्या मेरे देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर से मेरे प्यारे देशवासियों, ये नहीं बोल सकते थे क्या..? नहीं, उनको इसी में इन्टरेस्ट था..! मित्रों, गुजरात में आप लोगों ने मुझे सुना होगा। आज मुझे बारह साल हो गए मुख्यमंत्री के नाते, मेरे मुख से हमेशा निकला है, पहले बोलता था पाँच करोड़ गुजराती, फिर बोलता था साढ़े पाँच करोड़ गुजराती, आज बोलता हूँ छह करोड़ गुजराती..! मित्रों, एक नया पॉलिटिकल कोनोटेशन है ये और आने वाले लोगों को इसको स्वीकार करना पड़ेगा। मित्रों, क्या जरूरत है कि हम इस प्रकार की भिन्नताओं को रख कर के सोचते हैं..? कोई आवश्यकता नहीं है, मित्रों..!

हाँ पर एक विषय आया कि भाई, इलेक्टोरल रिफार्म में क्या किया। मैं मानता हूँ मित्रों, हमारे देश में इलेक्टोरल रिफार्म की बहुत जरूरत है, उसे और अधिक वैज्ञानिक बनाना चाहिए..! अब जैसे हमारे गुजरात में एक प्रयेाग किया ऑनलाइन वोटिंग का। गुजरात पहला राज्य है जिसने ऑनलाइन वोटिंग की व्यवस्था खड़ी की है और वो हमारा फुलप्रूफ सॉफ्टवेयर है, आप अपने घर से वोट दे सकते हैं। आप मानो उस दिन मुंबई में हो और चुनाव अहमदाबाद में हो रहा है, तो आप मुंबई से भी अपने मोबाइल या अपने कम्प्यूटर से वोट डाल सकते हैं..! हमने उसको प्रायोगिक स्तर पर हमारे पिछले चुनाव में किया था, लेकिन आने वाले दिनों में हम उसको और आगे बढ़ाना चाहते हैं। और तब पोलिंग बूथ पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, उसको उस दिन शहर में रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी..! लेकिन ये हमने स्थानिय निकायों के लिए किया है। पायलट प्रेाजेक्ट है लेकिन बहुत ही सक्सेस गया है, आने वाले दिनों में हम उसको स्केल-अप करना चाहते हैं..! हमने गुजरात में एक कानून बनाया था, दुर्भाग्य से हमारे गर्वनर साहब ने उसको साइन नहीं किया इसलिए वो अटका पड़ा है। हमने कहा कि पंचायती व्यवस्था में कम्पलसरी वोटिंग..! एसेम्बली या पार्लियामेंट के चुनाव का कानून मैं बना नहीं सकता, लेकिन कॉर्पोरेशन, नगरपालिका, जिला पंचायत, तालुका पंचायत, इसके लिए कम्पलसरी वोटिंग..! उसमें एक और विशेषता रखी है, कम्लसरी वोटिंग के साथ-साथ आपको ये जो दस नौजवान खड़े हैं, जो दस दूल्हे आए हैं, अगर ये सब आपको पसंद नहीं है तो इन सबको रिजेक्ट करने का भी वोट..! मित्रों, देश में बुरे लोगों को उम्मीदवार बनाने की जो फैशन चली है और आखिरकार आपको किसी एक उम्मीदवार को पंसद करना पड़ता है, तो लेसर एविल वाला जो कंसेप्ट डेवलप हुआ है उसमें से देश को बाहर लाना पड़ेगा और हम सबको रिजेक्ट करें ये व्यवस्था हमको डेवलप करनी होगी और इतने परसेंट से ज्यादा रिजेक्शन आता है तो वो सारे के सारे कैन्डीटेड चुनाव के लिए ही बेकार हो जाएंगे, वहाँ चुनाव की प्रोसेस नए सिरे से होगी..! तब पॉलिटिकल पार्टियाँ अच्छे लोगों को उम्मीदवार बनाने के लिए मजबूर होगी, मित्रों। और अच्छे लोगों को उम्मीदवार बनाना उनकी मजबूरी होगी, तो मैं मानता हूँ कि जो आप चाहते हैं कि अच्छे लोग क्यों राजनीति में नहीं आते, उनके आने की संभावना बढ़ जाएगी, मित्रों..! आज क्या है, वो अपने हिसाब से चलते हैं। यही है, वोट ले आइए यार, कुछ भी करो, चुनाव जीतना है..! मजबूरी है लेकिन रास्ते भी है, अगर कोई तय करके रास्ते निकाले तो रास्ते निकल सकते हैं..!

ब हमने एक प्रयोग किया, मित्रों..! मैं छोटा था तब मेरे गाँव में डॉ. द्वारकादास जोशी नाम के सर्वोदय के बहुत बड़े लीडर थे। विनोबा जी के बड़े निकट थे और बड़ा ही तपस्वी जीवन था। और हमारे गाँव में हमारे लिए वो हीरो थे, हमारे लिए वो ही सबकुछ थे, वो ही हमको सबकुछ दिखते थे और उनकी बातें हमको याद भी रहती थी। विनोबा जी और गांधीजी दोनों ने एक बात बहुत अच्छी बताई थी। विनोबा जी ने विशेष रूप से उसका उल्लेख किया था। वो कहते थे कि लोकसभा या एसेम्बली का चुनाव होता है, तो गाँव में ज्यादा दरार नहीं होती है। चुनाव होने के बाद गाँव फिर मिल-जुल कर आगे बढ़ता है। लेकिन गाँव के पंचायत के जो चुनाव होते हैं, तो गाँव दो हिस्सों में बंट जाता है और चुनाव के कारण कभी-कभी बेटी ब्याह की होगी वो भी वापिस आ जाती है..! क्यों..? क्योंकि चुनाव में झगड़ा हो गया..! तो गाँव के गाँव बिखर जाते हैं..! गाँव में मिल-जुल के सर्वसम्मति क्यों ना बने..? हमारी सरकार ने एक योजना बनाई ‘समरस गाँव’..! गाँव मिल कर के यूनेनिमसली अपनी बॉडी तय करे। उसमें 30% महिला का रिर्जवेशन होगा, दलितों का होगा, ट्राइबल का होगा, जो नियम से होगा वो सब कुछ होगा..! जब पहली बार मैं इस योजना को लाया था... मैं 7 अक्टूबर, 2001 को मुख्यमंत्री बना था और 11 अक्टूबर, 2001 जयप्रकाश नारायण जी का जन्म दिन था, तो मैंने चार दिन बाद जयप्रकाश जी के जन्म दिन पर इस योजना को घोषित किया था। क्योंकि मैं आया उसके दो या तीन दिन बाद दस हजार गाँव में चुनाव होने वाले थे। तो मैंने सेाचा कि भई इस पर सोचना चाहिए, तो मैंने ‘समरस गाँव’ योजना रखी। मित्रों, आपको जानकर के खुशी होगी कि मेरे यहाँ वॉर्ड, नगर सब मिलाकर मैं देखूं, तो टोटल इलेक्टोरेट में से 45% यूनेनिमस हुआ था, 45%..! आज के युग में ये होना अपने आप में बहुत बड़ी ताकत है। फिर हमने डेवलपमेंट के लिए उनको एक स्पेशल ग्रांट दिया। आगे बढ़ कर के क्या हुआ कि कुछ गाँव में सरपंच के रूप में महिला की बारी थी। उन गाँवों के लोगों ने तय किया कि भाई, इस बार महिला सरपंच है तो सारे मैम्बर भी महिलाओं को बनाएंगे..! और मेरे यहाँ 356 गाँव ऐसे हैं जहाँ एक भी पुरूष पंचायत का मैम्बर नहीं है, 100% वुमन मैंबर हैं और वो पंचायत अच्छे से अच्छे चलाती हैं..! वुमन एम्पावरमेंट कैसे होता है..! मित्रों, सारे निर्णय वो करती है। इसके लिए मैंने फिर क्या किया कि उन महिलाओं को सफल होने के लिए कुछ मेहनत करनी चाहिए थी, तो मैंने ऑफिशियल लेवल पर व्यवस्था की कि भाई, ये महिला पंचायतें जो हैं, इनको जरा स्पेशल अटेंशन दीजिए, स्पेशल ग्रांट भी देनी पड़े तो दीजिए। आज परिणाम ये आया कि पुरूषों के द्वारा चालाई जा रही और पंचायतों से ये महिलाएं सफलता पूर्वक आगे बढ़ रही हैं..!

मित्रों, ऐसा नहीं है कि सारे दरवाजे बंद हैं, अगर खुला मन रख के, सबको साथ लेकर के चलें... और मेरी सरकार का तो मंत्र है, ‘सबका साथ, सबका विकास’..! मित्रों, सरकार को डिस्क्रिमिनेशन करने का अधिकार नहीं है, सरकार के लिए सब समान होने चाहिए, ये हमारा कन्वीक्शन है। लेकिन अगर देश में गरीबी है तो उसका रिफ्लेक्शन सभी जगह होगा। इस पंथ में भी होगा, उस पंथ में भी होगा, इस इलाके में भी होगा, उस इलाके में भी होगा। अशिक्षा है तो अशिक्षा यहाँ भी होगी, अशिक्षा वहाँ भी होगी। लेकिन जानबूझ कर किसी को अशिक्षित रखा जाए, ये भारत का संविधान किसी को अनुमति नहीं देता है और ना ही हिन्दुस्तान के संस्कार हमें अनुमति देते हैं..! इन मूलभूत बातों को ध्यान में रख कर के आगे बढ़ने का प्रयास करने से परिणाम आ सकता है।

हुत अच्छे विषय मुझे आपसे जानने को मिले हैं..! एक विषय आया है एग्रीकल्चर का..! हमारे कश्मीर के मित्र ने भी अच्छे शब्दों का प्रयोग किया कि देश में बहुत प्रकार के कल्चर हैं, लेकिन कॉमन कल्चर एग्रीकल्चर है..! नाइसली प्रेज़न्टेड..! ये बात सही है मित्रों, एग्रीकल्चर में हम पुराने ढर्रे से चल रहे हैं, थोड़ा मॉर्डन, साइंटिफिक अप्रोच एग्रीकल्चर में बहुत जरूरी है। बहुत जल्दी हमें एग्रोटैक की आवश्कता होगी। और नेक्स्ट सितंबर, मोस्ट प्रॉबेबली, 10, 11 और 12 को हम एशिया का सबसे बड़ा एग्रोटैक फेयर यहाँ आयोजित कर रहे हैं। क्योंकि मेरे किसान एग्रो-टैक्नोलॉजी को कैसे उपयोग में लाए, एग्रीकल्चर सैक्टर में कैसे वो प्रोडक्टिविटी बढ़ाएं, इस पर हम ज्यादा बल दे रहे हैं। और अल्टीमेटली देश की जो माँग है, देश का जो पेट है उस पेट को भरना है और जमीन कम होती जा रही है, लोगों की खेती में संख्या कम होती जा रही है, जैसे अभी हमारे कलाम साहब ने भी बताया। तो उसका मतलब हुआ कि हमको एग्रोटैक पर जाना पड़ेगा, प्रोडक्टिविटी बढ़ानी पड़ेगी। मैं कभी-कभी कहता हूँ कि ‘फाइव-एफ’ फॉर्मूला तथा ‘ई-फोर’ फॉर्मूला..! एग्रीकल्चर सैक्टर में मैं कहता हूँ कि जैसे मेरे यहाँ कॉटन ग्रोइंग है, तो मैंने कहा कि भाई, आज हम कॉटन एक्सपोर्ट करते हैं। कभी भारत सरकार कॉटन एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा देती है, पिछली बार मेरे किसानों को 7000 करोड़ का नुकसान हो गया। हमने कहा नाउ वी हैच टू चेंज आवर पॉलिसी..! हम क्यों डिपेन्डेंट रहें..? इसलिए वी ब्रोट अ ‘फाइव-एफ’ फॉर्मूला, और ‘फाइव-एफ’ फॉर्मूला में फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैब्रिक, फैब्रिक टू फैशन और फैशन टू फॉरेन... वही कपास, कपास का धागा, धागे का कपड़ा, कपड़े से रेडिमेड गारमेंट, रेडिमेड गारमेंट से एक्सपॉर्ट..! देखिए, वैल्यू एडिशन की दिशा में हमको जाना पड़ेगा..! मित्रों, हम पोटेटो बेचते हैं, बाजार में 10 रूपया दाम होगा तो महिला सोचती है कि एक किलो की बजाए पाँच सौ ग्राम ले जाँऊगी..! लेकिन अगर हम पोटेटो चिप्स बना कर के बेचते हैं, तो मेरे किसान की आय ज्यादा होती है। हमें वैल्यू एडीशन की ओर बल देना होगा, तभी हमारे किसानों को वो खेती वायेबल होगी। हम उस पर बल देने के पक्ष में रहे हैं और उस दिशा में वैज्ञानिक ढंग से काम भी कर रहे हैं।

मित्रों, आपको जानकर के हैरानी होगी और मैं हैरान हूँ कि हमारे देश की मीडिया का ध्यान इस बात पर क्यों नहीं गया है। एक बहुत बड़ा सीरियस डेवलपमेंट हो रहा है। भारत सरकार यूरोपियन देशों के साथ वार्ता कर रही है, एक एम.ओ.यू. साइन होने की दिशा में जा रहे हैं। और वो क्या है..? ये देश कैसा है, कि हिन्दुस्तान से मटन एक्पोर्ट करने के लिए सब्सीडि दी जा रही है, प्रमोशन एक्टीविटी हो रही है, इनकम टैक्स एक्ज़मशन हो रहा है और देश के लिए मिल्क एंड मिल्क प्रोडक्ट यूरोप से इम्पोर्ट करने के लिए एम.ओ.यू. हो रहा है..! मैं हैरान हूँ कि ये देश कैसे चलेगा..! जैसे हमारे यहाँ पर गुजरात में मिल्क प्रोडक्ट के साथ में अमूल जैसी इतनी बड़ी इंस्टीट्यूशन खत्म हो जाएगी..! लेकिन फिर भी वो उस दिशा में जा रहे हैं, यानि उनके निर्णय में कौन सा प्रेशर है, किसका प्रेशर है ये खोज का विषय है। लेकिन लॉजिक नहीं है..! हमारे हिन्दुस्तान के कैटल की प्रोडक्टिविटि कैसे बढ़े, हमारी रिक्वायर्मेंट की पूर्ति कैसे हो, आपको इन बातों पर बल देना चाहिए, लेकिन अगर मीट पर ज्यादा इनकम होती है तो अच्छे-अच्छे दूध देने वाले पशु भी काट कर विदेश भेजे जाएंगे और विदेश वालों का फायदा ऐसे होगा कि वहाँ से मिल्क यहाँ एक्सपोर्ट करेंगे, उनको बहुत बड़ी पैदावार होगी..! मित्रों, ऐसी मिस मैच पॉलिसी लेकर के आते हैं जिसके कारण देश तबाह हो रहा है..! हम आगे चल कर देखेंगे कि इसको कैसे सही रूप में समझा जाए..! अभी तो मेरे पास बहुत प्राइमरी नॉलेज है, मैं पूरी जानकारी इकट्ठी कर रहा हूँ। मैं अभी किसी पर ब्लेम नहीं कर रहा हूँ, लेकिन मैंने जितना सुना है, जाना है, अगर ये सही है तो चिंता का विषय है..! और इसलिए मैं मानता हूँ कि हमें एक कन्सीस्टेंट पॉलिसी के साथ एग्रीकल्चर क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है और हम उस काम को कर सकते हैं। हमें उस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

स्मॉल स्केल इन्डस्ट्री की बहुत बड़ी ताकत होती है..! मित्रों, नौजवान को रोजी-रोटी कमाने के लिए भगवान ने दो हाथ दिए हैं, हमें उन हाथों को हुनर देना चाहिए, स्किल डेवलपमेंट..! और मैं तीन बातों पर बल देने के पक्ष में हूँ। अगर भारत को चाइना के साथ कम्पीटीशन करना है, और भारत का हमेशा चाइना के साथ कम्पीटीशन होना चाहिए..! भारत को पाकिस्तान के साथ स्पर्धा का मन छोड़ देना चाहिए। मित्रों, ये एक ऐसा दुर्भाग्य है कि आए दिन सुबह-शाम पाकिस्तान-इंडिया, पाकिस्तान-इंडिया चलता रहता है। अमेरिका से भी कोई विदेशी मेहमान आते हैं तो वो भी क्लब करके आते हैं, दो दिन हिन्दुस्तान में और एक दिन पाकिस्तान में..! मैं तो कहता हूँ कि प्रतिबंध लगाओ कि भाई, हिन्दुस्तान आना है तो सीधे-सीधे यहाँ आओ और यहाँ से सीधे-सीधे अपने घर वापिस जाओ..! हिन्दुस्तान को अगर कम्पीटिशन करनी है तो एशियन कन्ट्रीज में हम चाइना के साथ तुलना में कहाँ खड़े हैं, जापान के साथ आज तुलना में कहाँ खड़े हैं, अर्बन डेवलपमेंट में हम सिंगापुर के सामने आज कहाँ खड़े हैं..! हमारी सोच बदलनी होगी, मित्रों..! मूलभूत रूप में हम इस दायरे से बाहर नहीं आएंगे तो हम लंबे विज़न के साथ काम नहीं कर सकते। ये बात सही है कि एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्ट्री का रोल बदल चुका है, लेकिन वो समझने को तैयार नहीं हैं..! वो कभी जमाना रहा होगा जब यू.एन.ओ. का जन्म हुआ होगा, लेकिन सारी चीजें अब इररिलेवेंट हो रही हैं..! आज एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्ट्री का काम ट्रेड एंड कॉमर्स हो गया है। डिप्लोमेसी वाले दिन चले गए हैं, मित्रों। डिप्लोमेसी नेबरिंग कंट्री के साथ होती है, बाकी तो ट्रेड एंड कॉमर्स होता है। और इसलिए हमारी जो एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्ट्री का पूरा मिशन है, उस मिशन के अंदर जो लोग रखे जाएं वो इस कैलीबर के रखने पड़ेंगे। उसका पूरी तरह रिइंजीनियरिंग करना पड़ेगा। अभी तो जो लोग बैठे हैं उनसे ये अपेक्षा तो नहीं कर सकते..! मित्रों, सारे विषयों पर एक नई सोच के साथ बहुत कुछ किया जा सकता है।

मय की सीमा है लेकिन आप सबसे सुनने का मुझे अवसर मिला। बहुत सी बातें हैं जिसमें अभी भी कुछ करना बाकी होगा, मेरे राज्य में भी बहुत सी बातें होंगी जिसमें अभी भी कुछ करना बाकी होगा। लेकिन जब लोगों से मिलते हैं, सुनते हैं तो ध्यान आता है कि हाँ भाई, इस बात की ओर ध्यान देना होगा, उस बात की ओर ध्यान देना होगा..! मुझे खुशी हुई, और खास तौर पर मैं सी.ए.जी. के मित्रों का आभारी हूँ। वैसे मेरे लिए कार्यक्रम था सुबह कलाम साहब के साथ आना, कलाम साहब का स्वागत करना, शुरू में मुझे कुछ बोलना, बाद में कलाम साहब का बोलना और उसके बाद मुझे जाना..! मैंने सामने से कहा था कि भाई, इतने लोग आ रहे हैं तो क्या मैं बैठ सकता हूँ..? तो सी.ए.जी. के मित्रों ने मुझे अनुमति दी की हाँ, आप बैठ सकते हैं, तो मैं उनका आभारी हूँ और मुझे कई प्रकार के कई विषयों को सुनने को मिला। और मित्रों, जैसे कलाम साहब कहते थे, राजनेताओं के लिए चाइना में एक अलग पद्घति है। वहाँ एक निश्चित पॉलिटिकल फिलॉसोफी है और उसको लेकर के चलते हैं। लेकिन हमने हमारे सिस्टम में ट्रेनिंग को बड़ा महत्व दिया है। आपको शायद पता होगा, जब पहली बार मेरी सरकार बनी तो पूरी सरकार को लेकर मैं तीन दिन आई.आई.एम. में पढ़ने के लिए गया था..! और आई.आई.एम. के लोगों को हमने कहा कि भई, बताइए हमको, सारी दुनिया को आप पढ़ाते हो, सारी दुनिया की कंपनीओं को आप चलाते हो, तो हमें भी तो चलाओ ना... और उन्होंने काफी मेहनत की थी। बहुत नए-नए विषयों को हमें पढ़ाया था। हमारे मंत्रियों के लिए भी उपयोगी हुआ था। मैं हमारे कुछ अफसरों को भी लेकर गया था। मैं मानता हूँ कि लर्निंग एक कन्टीन्यूअस होना चाहिए..! मेरे यहाँ सरकार के अफसरों के लिए एक वाइब्रेंट लेक्चर सीरीज चलता है। उस वाइब्रेंट लेक्चर सीरीज में मैं दुनिया के एक्सपर्ट लोगों को बुलाता हूँ और उनसे हम सुनने के लिए बैठते हैं। मैं भी जैसे यहाँ सुनने के लिए बैठा था, वहाँ बैठता हूँ। अभी जैसे पिछले हफ्ते मिस्टर जिम ओ’नील करके दुनिया के एक बहुत ही बड़े इकोनोमिस्ट हैं, वो आए थे। दो घंटे हमारे साथ बैठे, काफी बातें हुई..! तो मित्रों, कई विषय हैं जिस पर हम प्रयास कर रहे हैं। आपके मन में और भी कई सुझाव होंगे। मित्रों, मैं सोशल मीडिया में बहुत एक्टिव हूँ। सोशल मीडिया में आप जो भी सुझाव भेजोगे, मैं उसको पढ़ता हूँ, मेरे तक वो पहुंचते हैं..! जरूरी हुआ तो मैं सरकार में फॉलो करता हूँ। आप बिना संकोच आपके मन में जो बातें आएं, मुझे डायरेक्ट पोस्ट कर सकते हैं और मैं आपको विश्वास देता हूँ कि वो कहीं ना कहीं मेरे दिमाग के एक कोने में पड़ी होगी, कभी ना कभी तो वो पौधा बन के निकलेगी और हो सकता है वो पौधा वट वृक्ष बने, हो सकता है वही पौधा फल भी दे और हो सकता है कि वो फल को खाने वालों में आप स्वयं भी हो सकते हैं..! ऐसे पूरे विश्वास के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं, थैंक्यू..!

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We will not let Maharashtra become an ATM for the Maha-Aghadi's mega scandals: PM Modi in Akola
November 09, 2024
Where BJP-Mahayuti is, there is momentum; where there is momentum, Maharashtra progresses: PM Modi
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Congress Party knows that the weaker the country, the stronger Congress will be. That’s why it is their nature to divide people based on caste: PM Modi in Akola
Our goal is an empowered farmer driving the nation’s progress: PM Modi in Akola rally

भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय।

जय भवानी// जय भवानी// अकोल्यातील// माझा// सर्व// बंधू आणि// भगिनींना// माझा नमस्कार// भगवान राजराजेश्वर// बार्शिटाकलीची// कालिकादेवी// अकोटचे नंदिकेश्वर// बालापूरची बालादेवी // पातुरची रेणुकादेवी// काटेपुर्णाची ढगादेवी//यान्ना मी// कोटी कोटी वंदन करतो।

मैं संत गजानन महाराज को शीश झुकाकर नमन करता हूं। विदर्भ का आशीर्वाद हमेशा मेरे लिए खास रहा है। अब एक बार फिर मैं विधानसभा चुनाव में महायुति के लिए आपसे आशीर्वाद मांगने आया हूं।

साथियों,

आज 9 नवंबर की तारीख है और ये 9 नवंबर की तारीख बहुत ही ऐतिहासिक तारीख है। आज के ही दिन 2019 में देश की सर्वोच्च अदालत ने राम मंदिर पर फैसला दिया था। 9 नवंबर की ये तारीख, जय श्रीराम। 9 नवंबर की ये तारीख इसलिए भी याद रखी जाएगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, हर धर्म के लोगों ने, बहुत ही संवेदनशीलता का परिचय दिया। राष्ट्र प्रथम की यही भावना, भारत की बहुत बड़ी ताकत है।

साथियों,

2014 से 2024 ये 10 वर्ष, महाराष्ट्र ने बीजेपी को लगातार दिल खोलकर आशीर्वाद दिया है। बीजेपी के ऊपर महाराष्ट्र के इस भरोसे की वजह भी है। इसकी वजह है, महाराष्ट्र के लोगों की देशभक्ति, महाराष्ट्र के लोगों की राजनैतिक समझ और महाराष्ट्र के लोगों की दूरदृष्टि! इसलिए महाराष्ट्र की सेवा का मेरे लिए सुख ही अलग है। केंद्र में हमारी सरकार को अभी 5 महीने ही हुए हैं। इन पांच महीनों में लाखों करोड़ रुपए की परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इसमें बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से जुड़े इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स भी हैं। मैंने अभी कुछ ही समय पहले जिस वाढवण पोर्ट की आधारशिला रखी है, अकेले उसकी लागत ही करीब-करीब 80 हजार करोड़ रुपए है। और महाराष्ट्र में बनने वाला ये पोर्ट हिंदुस्तान का सबसे बड़ा पोर्ट बनने वाला है। आज हिंदुस्तान के सभी बंदरगाह की कुल ताकत जो है उससे डबल ताकत अकेले ये महाराष्ट्र में वाढवण में बनने वाले नए बंदरगाह की होने वाली है। पिछले दो कार्यकाल में मोदी ने गरीबों को 4 करोड़ पक्के घर बनाकर दिए हैं। आप बताएंगे, कितने? जरा जोर से बोलिए। ये 4 करोड़ घर, ये आंकड़ा बहुत बड़ा है। इतना ही नहीं, उस समय जो लक्ष्य था वो पूरा कर दिया। लेकिन बाद में कुछ राज्यों ने, कुछ मुख्यमंत्रियों ने चिट्ठी लिखी कि परिवार बड़े हो रहे हैं। नए लोग परिवार के अलग-अलग घरों में रहने जा रहे हैं। हमारे इलाके में कुछ और घरों की जरूरत है। हमने ये बात मान करके अब गरीबों के लिए 3 करोड़ नए घर बनाने की शुरुआत कर दी है। इससे महाराष्ट्र के भी लाखों गरीबों का पक्के घर का सपना पूरा होगा। अब आप मुझे बताइए, ये जिन लोगों को पक्के घर मिल रहे हैं वो आशीर्वाद देंगे कि नहीं देंगे? जरा बोलिए, आशीर्वाद देंगे कि नहीं देंगे? पवित्र काम करने से पुण्य मिलता है कि नहीं मिलता है? ये पुण्य किसको मिलेगा? ये पुण्य किसको मिलेगा? अरे पूरी ताकत से बताओ ये पुण्य किसको मिलेगा? मोदी को नहीं, ये पुण्य आपको मिलेगा, क्योंकि आपके एक वोट ने मोदी को गरीबों के लिए घर बनाने का मौका दिया। और इसलिए पुण्य के अधिकारी आप हैं। अच्छा मेरा एक काम करोगे? अकोला के लोग जरा पूरी ताकत से बताओ मेरा एक काम करोगे? शाबाश, बड़ा जोर है भाई! अच्छा एक काम करना। अभी आप चुनाव में गांव-गांव जाएंगे, घर-घर जाएंगे, लोगों को मिलेंगे और कहीं जाते हुए आपको नजर आए कि कोई परिवार अभी भी झोपड़ी में रह रहा है, कोई परिवार अभी भी कच्चे घर में रह रहा है। तो उसका नाम-पता लिखकर मुझे भेज दीजिए। और उसको बता दीजिए कि मोदी जी ने मुझे भेजा है, तुझे पक्का घर मिलेगा। ये वादा करके आओगे मेरी तरफ से? देखिए, मेरे लिए आप ही मोदी हैं। तो वादा कर दोगे। आप वादा करके आइए, मैं वादा पूरा करूंगा।

साथियो,
चुनाव के समय मैंने 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज की गारंटी देने का वादा किया था। हमारी सरकार ने सीनियर सिटीजन्स, बुजुर्गों की सेवा के लिए ये योजना लॉंन्च कर दी है। 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को वय-वंदना आयुष्मान कार्ड मिलने शुरू हो गए हैं। सबका साथ-सबका विकास की भावना के साथ ही, इस योजना का लाभ, हर वर्ग, हर समाज, हर धर्म के बुजुर्गों को मिलेगा। आपके परिवार में भी जो 70 साल के ऊपर के हैं न, उनके बीमारी के खर्च की चिंता आप मत करना, उनका ये बेटा करेगा।

साथियों,
कांग्रेस और अघाड़ी वालों ने महाराष्ट्र के लोगों की जिस मांग को दशकों तक पूरा नहीं होने दिया, मोदी ने वो भी पूरा कर दिया। बताऊं क्या बात की हमने। हमें मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने का सौभाग्य मिला है। मराठी को वो सम्मान मिला है, जिससे पूरे महाराष्ट्र का गौरव जुड़ा है। केंद्र में NDA सरकार तेज गति से चल रही है, उतनी ही तेज गति वाली महायुति सरकार मुझे फिर से यहां महाराष्ट्र में चाहिए। और इसलिए आपके पास मैं आज आशीर्वाद मांगने आया हूं। मिलेगा न? पक्का मिलेगा न? हर बूथ में से मिलेगा न? हर गांव से मिलेगा? हर मोहल्ले से मिलेगा। इसलिए पूरे महाराष्ट्र में आज गूंज रहा है- भाजपा-महायुति आहे// तर गति आहे// महाराष्ट्राची प्रगति आहे।

साथियों,
महायुति सरकार के अगले 5 वर्ष कैसे होंगे, इसकी एक झलक महायुति के वचननामे में भी दिख रही है। महिलाओं की सुरक्षा और अवसर, माझी लाडकी बहिण योजना का विस्तार, युवाओं के लिए लाखों रोजगार, विकास के बड़े-बड़े काम, महायुति सरकार महाराष्ट्र के विकास को डबल स्पीड से आगे बढ़ाएगी। यानि, स्वाभिमानी युवा// शिक्षण रोजगार // महायुतीचे सरकार// करील स्वप्न साकार।

साथियों,

महायुति के घोषणापत्र के बीच, महाअघाड़ी वालों का घोटालापत्र भी आया है। अब तो पूरा देश जानता है, महाअघाड़ी यानी, भ्रष्टाचार! महाअघाड़ी यानी, हजारों करोड़ के घोटाले! महाअघाड़ी यानी, पैसों की उगाही! महाअघाड़ी यानी, टोकन मनी! महाअघाड़ी यानी, ट्रांसफर-पोस्टिंग का धंधा। मैं महाअघाड़ी की घटक, कांग्रेस का एक उदाहरण आपको देता हूं। जहां कांग्रेस सरकार बन जाती है, वो राज्य कांग्रेस के शाही परिवार का ATM बन जाता है। ATM पता है न, लोग उस में से पैसे निकालते हैं, ये कांग्रेस का ATM बन जाता है, शाही परिवार का ATM बन जाता है। इन दिनों हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटका जैसे राज्य ये कांग्रेस के शाही परिवार के ATM बन गए हैं। लोग बता रहे हैं, इन दिनों महाराष्ट्र में चुनाव के नाम पर कर्नाटका में वसूली डबल हो गई है। चुनाव महाराष्ट्र में, वसूसी डबल हो रही है कर्नाटका में, तेलंगाना में। आरोप है कि कर्नाटका में इन लोगों ने शराब के दुकानदारों से 700 करोड़ रुपए की वसूली कराई है। आप कल्पना कर सकते हैं, जो कांग्रेस पार्टी घोटाले करके चुनाव लड़ रही हो, वो चुनाव जीतने के बाद कितने घोटाले करेगी! हमें महाराष्ट्र में बहुत सावधान रहना है। हम महाराष्ट्र को महाअघाड़ी के महाघोटालेबाजों का ATM नहीं बनने देंगे।

साथियों,

हमारे अकोला को कपास के उत्पादन के लिए जाना जाता है। कपास, टेक्सटाइल इंडस्ट्री का बहुत बड़ा आधार है। लेकिन, हमारे कपास किसान को दशकों तक इन संभावनाओं का लाभ नहीं मिला। ये हालात अब बदल रहे हैं। कपास किसानों की आय बढ़े, इसके लिए उद्योग और इनफ्रास्ट्रक्चर दोनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मैंने महाराष्ट्र में टेक्सटाइल पार्क का शिलान्यास किया है। टेक्सटाइल पार्क से महाराष्ट्र में कपास किसानों के लिए समृद्धि के नए अवसर तैयार होंगे।

भाइयों बहनों,

किसान की तकलीफ़ों की जननी अगर कोई है, तो वो कांग्रेस है। यहां कितने समय तक कांग्रेस की सरकारें रहीं, महाराष्ट्र और विदर्भ में पानी का संकट गहराता गया। लेकिन, कांग्रेस और उसके साथियों की सरकारों ने क्या किया? वो आंख मूंदकर अपनी जेबें भरने में लगे रहे। सिंचाई के जो प्रोजेक्ट्स देवेन्द्र फड़नवीस जी ने शुरू किए थे, अघाड़ी वालों ने उन पर भी ब्रेक लगा दिया। जबसे महायुति सरकार महाराष्ट्र में आई है, सिंचाई से जुड़ी परियोजनाओं को फिर से गति मिली है। हमारी सरकार ने वैनगंगा-नलगंगा-पैनगंगा नदियों को लिंक करने की योजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना से अमरावती, यवतमाल, अकोला, बुलढाणा, वाशिम, नागपुर और वर्धा में पानी की कमी दूर होगी। और इस पर करीब-करीब 90 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। नदियां आपस में जुड़ें, कहीं बाढ़ और कहीं सूखा, ये समस्या खत्म हो, इसके लिए हमारी सरकार ने हजारों करोड़ रुपए दिये हैं। इससे महाराष्ट्र के इस भाग में पानी की समस्या दूर होगी और उत्पादन बेहतर होगा। हम किसानों को कम पानी का उपयोग कर सिंचाई करने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं। पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत महाराष्ट्र में सूक्ष्म सिंचाई कवरेज को 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया गया है, जिसका मकसद है पर ड्राप मोर क्रॉप।

साथियों,

हमारा संकल्प है- किसान खुद इतना सशक्त हो कि वो देश की प्रगति का नायक बनकर उभरे! इसीलिए, हम किसान की आय बढ़ा रहे हैं और खर्च कम कर रहे हैं। हमने पीएम-किसान सम्मान निधि शुरू की। महायुति सरकार ने उसमें अपना भी सहयोग किया। इसका परिणाम है कि महाराष्ट्र के किसानों को सालाना 12 हजार रुपए मिल रहे हैं। कपास और सोयाबीन किसान को अलग से 5-5 हजार रुपए अतिरिक्त दिए जा रहे हैं। हम किसानों को फसल के नुकसान से बचाने के लिए फसल बीमा योजना लेकर आए हैं। अगले 5 वर्षों में इन नीतियों का और व्यापक असर दिखेगा।

साथियों,

कांग्रेस पार्टी जानती है, देश जितना कमजोर होगा, कांग्रेस उतनी मजबूत होगी। और जब कांग्रेस मजबूत होगी तो देश मजबूर हो जाएगा। इसलिए कांग्रेस क्या करती है, पिछले 75 साल का इतिहास देख लीजिए, उनके तौर तरीके, उसके सबूत ढूंढ़ने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है, अगल-बगल में मिल जाएंगे। कांग्रेस क्या करती है, अलग-अलग जातियों को लड़ाना, यही कांग्रेस की फितरत है। आजादी के बाद से ही कांग्रेस ने कभी SC समाज को, हमारे दलित समाज को एकजुट नहीं होने दिया। कांग्रेस ने हमारे जनजातीय समूह, आदिवासी समाज हमारे ST समाज को भी अलग-अलग जातियों में बांटकर रखा। OBC नाम सुनते ही कांग्रेस चिढ़ जाती है। OBC समाज की अलग पहचान न बने, इसके लिए कांग्रेस ने भांति-भांति के खेल खेले हैं। कांग्रेस चाहती है कि SC समाज की अलग-अलग जातियां, आपस में ही लड़ती रहें, झगड़ा करती रहें। वो जानती है कि SC समाज की अलग-अलग जातियां आपस में झगड़ती रहेंगी तो उनकी आवाज बिखर जाएगी, उनका वोट बिखर जाएगा। और ऐसा होते ही, कांग्रेस के लिए सरकार में आने का रास्ता बन जाएगा। इसलिए यहां चर्मकार जाति को कांग्रेस मांग जाति से लड़ाना चाहती है, कांग्रेस, मातंग को महार जाति से, बुरड जाति को वाल्मीकि जाति से, कैकाड़ी को खटिक जाति से, और मोची जाति को कांग्रेस और जातियों से लड़ाना चाहती है। जब आप SC के तौर पर एकजुट नहीं रहेंगे, अपनी ही अलग-अलग जातियों में बंटकर झगड़ा करेंगे तो कांग्रेस इसका फायदा उठाएगी। कांग्रेस SC समाज के अधिकार उनसे छीन लेगी, SC को कमजोर करके सरकार बना लेगी। यही उसकी चाल है, यही उसका चरित्र है। इसलिए आपको कांग्रेस की इस खतरनाक साजिश से सावधान रहना है। आपको याद रखना है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं, तो...। एक हैं, तो...।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की धरती से, हरियाणा के अपने भाई-बहनों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हरियाणा के लोगों ने सबसे पहले एक हैं, तो सेफ हैं के मंत्र पर चलते हुए कांग्रेस की साजिश को नाकाम किया है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में वहां कांग्रेस को धूल चटा दी है। अभी एक महीने पहले ही हुआ है। वहां के लोग भूले नहीं है कि कैसे कांग्रेस सरकार के समय, दलितों के खिलाफ बड़े-बड़े दंगे हुए थे, उन दंगों में दलितों को बेरहमी से मारा गया था। और कांग्रेस दलितों को मारने वालों के साथ खड़ी थी। यही कांग्रेस और उसके साथियों का असली चेहरा है।

साथियों,

कांग्रेस ने बाबासाहेब आंबेडकर के साथ जो किया, जो आज कर रही है, वो भी सबको जानना जरूरी है। नेहरू जी से लेकर आज तक, कांग्रेस के शीर्ष परिवार ने बाबासाहेब आंबेडकर को बार-बार अपमानित किया है। कांग्रेस के समय, बाबासाहेब आंबेडकर के किसी भी बड़े काम का श्रेय कभी भी बाबासाहेब को नहीं दिया। आज देखिए, जो बड़े-बड़े डैम हैं, बड़ी-बड़ी नदी जल परियोजनाएं हैं, इसमें सबसे बड़ी भूमिका जब बाबासाहेब केंद्र में मंत्री थे, बाबासाहेब आंबेडकर की रही, लेकिन इसका श्रेय बाबासाहेब को नहीं, कांग्रेस के एक परिवार ने हड़प लिया, उनके ही नाम सब कर दिया। देश के पहले कानून मंत्री के रूप में बाबासाहेब आंबेडकर ने देश के लिए अनेक बड़े निर्णय लिए। लेकिन कांग्रेस ने ये श्रेय भी बाबासाहेब को कभी नहीं दिया। कांग्रेस के लोग बाबासाहेब से इसलिए भी नफरत करते हैं क्योंकि संविधान निर्माण का श्रेय उनको जाता है। कांग्रेस ने छल-कपट से चुनाव में बाबासाहेब को हरवाया, देश के एक महान नेता की राजनीति खत्म कर दी। क्यों? क्योंकि बाबासाहेब दलित मां के बेटे थे। बाबासाहेब को भारत रत्न भी तब मिला, तब केंद्र में बीजेपी के समर्थन से सरकार बनी।

साथियों,

मेरे लिए बाबासाहेब आंबेडकर, उनकी नीतियां हमेशा प्रेरक रही हैं, सदा-सर्वदा पूजनीय रही हैं। हमारी सरकार ने बाबासाहेब के योगदान को देश दुनिया के सामने प्रखरता से रखा है। देश-विदेश में बाबासाहेब जहां-जहां रहे, हमने उन सभी स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित किया है। महू में उनका जन्मस्थान, नागपुर में दीक्षा भूमि, मुंबई की चैत्यभूमि, दिल्ली में जहां उन्होंने अपना अंतिम समय बिताया और लंदन में आंबेडकर मेमोरियल होम, ये पंचतीर्थ, आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।

साथियो,

मैं आज अकोला की इस धरती से इस शाही परिवार को चुनौती देता हूं। 75 साल हो गए। उनकी चार-चार पीढ़ियों ने देश पर राज किया है। लेकिन इस परिवार ने अगर इन पंचतीर्थों की मुलाकात की हो, बाबासाहेब को श्रद्धांजलि दी हो तो जरा देश के सामने रखें। ये मोदी है जो पंचतीर्थ पर जा करके बाबासाहेब को नमन करके आया है। अरे दिल्ली में बाबासाहेब के तीर्थ पर ये शाही परिवार का एक भी सदस्य अब तक गया नहीं है। यही इनके कारनामे हैं। इतना ही नहीं, दुनिया पूरी नई करेंसी में चली जा रही है। एक जमाना था चमड़े की नोटें हुआ करती थी। उसके पहले कभी पत्थर की हुआ करती थी। बाद में कभी तांबे की करेंसी होती थी। यानी अलग-अलग प्रकार की होती थी। फिर कागज की करेंसी आई, अब डिजिटल करेंसी चल रही है। यूपीआई अपने मोबाइल से पैसे लो, मोबाइल से पैसे दो। आपको मालूम है हमने इसका नाम क्या रखा है। ये मोदी है जिसकी बाबासाहेब के प्रति श्रद्धा है, इसलिए उस पूरी करेंसी का नाम भीम-यूपीआई रखा गया है। और भविष्य में जब भी शत-प्रतिशत डिजिटल करेंसी हो जाएगा न, हर बच्चा-बच्चा भीम-यूपाई को याद करेगा, बाबासाहेब को याद करेगा, ये काम मोदी ने कर दिया है।

साथियों,

इन दिनों पूरा देश एक और संवेदनशील विषय को लेकर चिंतित है। जम्मू कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस और उसके साथियों ने आर्टिकल-370 को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव पास किया है। आप मुझे बताइये, मैं आपसे पूछना चाहता हूं, क्या इस देश में फिर से जम्मू-कश्मीर में 370 लागू होनी चाहिए? पूरी ताकत से बोलो ताकि ये कांग्रेस वालों के कान फट जाएं। क्या फिर से 370 लागू होनी चाहिए। क्या 370 को लागू होने देंगे? ये कौन लोग हैं जो फिर से 370 को लागू करना चाहते हैं। अलगाववादी इसकी मांग करते हैं या नहीं करते हैं? आतंकवादी संगठनों ने 370 हटाने का विरोध किया था या नहीं? पाकिस्तान 370 का रोना रोता है या नहीं रोता है? जितनी भारत विरोधी ताकतें हैं, सबके सब 370 का समर्थन करते हैं। और, वही कांग्रेस की भी भाषा बन गई है। जम्मू-कश्मीर में 370 फिर से लगाना यानी, कश्मीर को फिर से हिंसा की आग में झोंकना! कश्मीर में 370 यानी, राज्य में बाबासाहेब के संविधान को फिर से जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालना है। ये जो लोग संविधान की किताबें और कोरे कागज की किताबें बांटते फिरते हैं न, ये कैसे पापी लोग हैं मैं बताता हूं। और हम सबकी आंखों में कितनी धूल झोंकी उन्होंने देशवासियों की आंखों में। बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की बातें करते हैं। 75 साल तक इस देश में दो संविधान चलते थे। एक जम्मू-कश्मीर का संविधान अलग था और दूसरा देश में जम्मू-कश्मीर के सिवाय, बाबासाहेब आंबेडकर वाला संविधान था। हम उनको पूजते थे। क्या बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान जम्मू-कश्मीर में लगेगा कि नहीं लगेगा? इनके मुंह पर ताले लग जाते थे। ये हमारी संविधान के प्रति श्रद्धा थी। ये हमारी बाबासाहेब के प्रति श्रद्धा थी। हमने 370 की दीवार को तोड़ दिया और बाबासाहेब के संविधान को जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया। और जब बाबासाहेब का संविधान लागू हुआ न, तब जा करके, 370 हटने के बाद, 75 साल के बाद पहली बार कश्मीर और जम्मू के दलितों को आरक्षण मिला। 75 साल तक नहीं मिला था। उनको संवैधानिक अधिकार नहीं मिले थे, पहली बार मिले। कांग्रेस फिर से कश्मीर को दशकों पीछे धकेलना चाहती है। कांग्रेस जानती है इसी 370 की वजह से कश्मीरी हिंदुओं को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा था। ये जम्मू, ये जम्मू-कश्मीर के दलितों-पिछड़ों का अधिकार छीनना चाहती है और यहां महाराष्ट्र में आकर दलितों-पिछड़ों से वोट भी मांग रहे हैं।

साथियों,

20 नवंबर को महाराष्ट्र के साथ-साथ आपको देश के भी भविष्य को दिशा देने का मौका मिलेगा। आपको विकास को चुनना है, शांति और सुरक्षा को चुनना है। मेरा आग्रह है, आप महायुति के सभी उम्मीदवारों को भारी बहुमत से जिताइए। हम मिलकर समृद्ध महाराष्ट्र और विकसित भारत का सपना पूरा करेंगे। आप यहां इतनी बड़ी तादाद में आए, मैं देख रहा था पूरा वहां अभी भी भीड़ के भीड़ चली आ रही है अभी भी। ये प्यार ये आशीर्वाद और मैंने कल दो रैली देखी आज तीसरी रैली देख रहा हूं। कोई सर्वे काम नहीं आने वाला। ये विजय का विश्वास नजर आ रहा है। आप यहां इतनी बड़ी संख्या में हम सबको आशीर्वाद देने आए। इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। जो विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे सभी उम्मीदवार यहां आगे आ जाएं। जो असेंबली का चुनाव लड़ रहे हैं, वो सभी साथी जरा आगे आ जाएं। सब आ जाएं जो चुनाव लड़ रहे हैं।
आप सबको मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद।
बोलिए,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय।