PM Modi pays tribute to former President Dr. APJ Abdul Kalam
Dr. APJ Abdul Kalam was a "Rashtra-Ratna" before a "Rashtrapati": PM Modi
GoI to build a memorial for Dr. Kalam at Rameswaram, Tamil Nadu: PM
Dr. Kalam always sought fresh challenges to overcome in life, says PM Modi
Dr. Kalam always wanted to be remembered as a teacher: PM Narendra Modi
Dr. Kalam worked for the welfare of poor & farmers: PM Modi
On the birth anniversary of Dr. Kalam, we must explore how we can encourage innovation in India: PM
Dr. Kalam's life continues to be an inspiration for all of us: PM
PM Narendra Modi unveils a statue of Dr. APJ Abdul Kalam at DRDO Bhavan in New Delhi
Prime Minister Modi releases commemorative postal stamp on Dr. Kalam

 

आज 15 अक्‍तूबर, श्रीमान अब्‍दुल कलाम जी की जन्‍म जयंती पर आप सब इकट्ठे हुए है। आज DRDO के परिसर में उनकी एक प्रतिमा का अनावरण करने का मुझे सौभाग्‍य मिला। यह बात सही है कि कलाम साहब का जीवन इतना व्‍यापक, विशाल और गहरा रहा है कि उनको याद करने का गर्व होता है, लेकिन साथ में एक कसक भी रहती है कि काश! वो हमारे साथ होते तो। तो ये जो कमी महसूस होती है, इसको कैसे भरना है, ये हम सब के लिए एक चुनौती है और मुझे विश्‍वास है कि अब्‍दुल कलाम जी के आशीर्वाद से उन्‍होंने हम देशवासियों को जो शिक्षा-दीक्षा दी है, उससे हम अवश्‍य उसको पूरा करने का भरपूर प्रयास करेंगे और वही उनको सबसे बड़ी अंजलि होगी।

वे राष्‍ट्रपति बने, मैं समझता हूं कि उससे पहले वे राष्‍ट्र रत्‍न थे। ऐसा बहुत कम होता है कि एक व्‍यक्‍ति पहले राष्‍ट्र रत्‍न बने और बाद में राष्‍ट्रपति पद को स्‍वीकार करे और वह उनके जीवन की ऊंचाइयों से जुड़ा हुआ था। भारत सरकार ने तय किया है कि जहां पर उनका जन्‍म हुआ और जहां पर उनकी अंत्‍येष्‍टि हुई, उस गांव में एक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे, ऐसा स्‍मारक बनाया जाएगा। सरकार ने already वो जमीन acquire कर ली है। मैंने मंत्रियों की एक कमेटी भी बनाई है जो आने वाले दिनों में इसका आखिरी रूप तय करके, ऐसा कैसा स्‍मारक हो जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहे और कलाम साहब का जीवन हमेशा-हमेशा हम सबके लिए मार्गदर्शक बनता रहे।



दो बातें जो कलाम साहब की स्‍वाभाविक नजर आती हैं – एक तो उनके बाल। दूर से भी किसी को पता चलता है कि अब्‍दुल कलाम जी जा रहे हैं। और कुछ न बनाया हो, सिर्फ उनके बालों को किसी ने पेंट किया तो कह देगा कि हां, बाकी चेहरा कलाम साहब का होगा। लेकिन साथ-साथ एक और भी बात थी। जैसे उनके बाल थे, वैसा उनके भीतर एक बालक था। तो उनके बाल और उनके भीतर का बालक, ये दोनों, मैं समझता हूं हमेशा-हमेशा जो उनके निकट गए हैं उनको याद रहता है। इतनी सहजता, इतनी सरलता।

आमतौर पर वैज्ञानिकों के विषय में एक सोच ऐसी रहती है कि वो बड़े गंभीर चेहरा, उदासीन, Lab में ही डूबे रहने वाले, साल में कितनी बार मुस्‍कुराए वो भी शायद हिसाब लगाना पड़े। लेकिन कलाम साहब, हर पल एक बड़े जीवंत व्‍यक्‍तिव नज़र आता था। मुस्‍कुराते रहना, दौड़ते रहना और। दो प्रकार के लोग होते हैं, एक वो होते हैं जो Opportunity खोजते हैं, एक वो होते हैं जो Challenge खोजते हैं। कलाम साहब Challenges की तलाश में रहते थे। कौन-से नए Challenge है? उस Challenge को कैसे उठा ले और उस Challenge को पार कैसे करे और यही उनके हर पल जीवन में रहता था। आखिर तक!

जब भी मेरा बहुत निकट संबंध रहा क्‍योंकि जब मैं मुख्‍यमंत्री था तब भी उनका गुजरात बार-बार आना होता था। अहमदाबाद से उनका विशेष लगाव था क्‍योंकि उनके career की पहली शुरूआत उन्‍होंने अहमदाबाद में शुरू की थी और विक्रम साराभाई के साथ उन्‍होंने काम किया। तो उसके कारण उनका लगाव भी गुजरात के साथ बहुत था। तो मेरा भी उस समय उनसे संबंध बहुत रहता था। कच्‍छ का भूकंप हो या आपत्‍ति की इतनी बड़ी घटना हो, वो आना, छोटी-छोटी चीजों में guide करना और उस समय भूकंप की परिस्‍थिति के पुनरनिर्माण के काम में विज्ञान और technology का सहारा कैसे लिया जाए ताकि relief तेज गति से हो, rehabilitation तेज गति से हो, reconstruction तेज गति से हो, ऐसी हर बारीक चीज में वो मार्गदर्शन करते थे वो सहायता करते थे।

जीवन भर उनकी एक विशेषता रही है और किसी ने उनको पूछा था कि आपको कैसे याद रखा जाए और उन्‍होंने जवाब में कहा था कि मुझे शिक्षक के रूप में याद रखा जाए। ये शिक्षक का तो सम्‍मान है लेकिन साथ-साथ उनके जीवन का conviction क्‍या था, commitment क्‍या था, उसका भी परिचायक था। उनको लगता है कि भई 5-50 व्‍यक्‍तियों का समूह जरूर कुछ कर दिखा सकता है। लेकिन भारत जैसे देश ने पीढ़ियों तक आगे बढ़ने के लिए, प्रभाव पैदा करने के लिए तेज गति से चलना है तो आने वाली पीढ़ियों को तैयार करना होगा और वो एक टीचर तैयार कर सकता है और ये उनके सिर्फ शब्‍द नहीं थे, उनके पूरे जीवन में ही नजर आता है।

राष्‍ट्रपति पद से मुक्‍ति के दूसरे दिन... ये छोटी बात नहीं है। इतने बड़े पद पर रहने के बाद कल क्‍या करूं, कल कैसा जाएगा, कल से कैसा होगा? आप सब को मालूम है जब अफसर retired होता है तो क्‍या हो जाता है। यानी आज कहां खड़ा है और दूसरे दिन वो अपने आपको कहां महसूस करता है, वो अपने आपको एक खालीपन महसूस करता है। एकदम से वो लगता है बस, अब जीवन का अंत शुरू हो गया है, ऐसा ही मान लेता है। दिमाग में retirement भर जाता है। कलाम साहब की विशेषता देखिए कि राष्‍ट्रपति पद, इतनी बड़ी ऊंचाई और निवृत्‍ति भी आदर्श और गौरव के साथ। दूसरे ही दिन जहाज पकड़ के चैन्‍नई जाना, चैन्‍नई में क्‍लासरूम में पढ़ाना शुरू करना। ये भीतर के commitment के बिना संभव नहीं होता है। एक व्‍यक्‍ति ने अपने जीवन में उसको inherent कर दिया होता है, तब होता है और जीवन का अंत भी देखिए। कहां रामेश्‍वरम्, कहां दिल्‍ली, कहां दुनिया में जय-जयकार और कहां नॉर्थ ईस्‍ट। किसी को कहा जाए कि नॉर्थ ईस्‍ट जाओ तो कहे अरे साहब, किसी और का भेज दो। ऐसा करो अगली बार मैं जाऊंगा इस बार जरा कोई और को। वहां पर इस उम्र में जाना और student के साथ अपने आखिरी पल बिताना। ये उनके भीतर का एक जो एक सातत्‍य था, एक commitment था, उसको प्रतिबिंबित करता है।

भारत शक्‍तिशाली हो, लेकिन सिर्फ शस्‍त्रों से शक्‍तिशाली हो ये कलाम साहब की सोच नहीं थी। शस्‍त्रों का सामर्थ्‍य आवश्‍यक है और उसमें कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए और उसमें उन्‍होंने जितना योगदान दे सकते थे, दिया। लेकिन वो इसे मानकर के चलते थे कि देश सरहदों से नहीं, देश कोटि-कोटि लोगों से पहचाना जाता है। देश की पहचान सीमाओं के आधार पर तय नहीं होती है। देश की ताकत उसके जन कैसे सामर्थ्‍यवान है, उस पर होती है और इसलिए कलाम साहब उन दोनों धाराओं को साथ लेकर के चलते थे कि एक तरफ innovation हो, research हो, रक्षा के क्षेत्र में भारत अपने पैरों पर खड़ा हो और Third World Countries, गरीब देशों का भी उपकारक हो, उस दिशा में भारत अपनी जगह बनाए और दूसरी तरफ भारत का मानव समुदाय संपन्‍न हो।

वे शिक्षा के बड़े आग्रही थे। वे हमेशा कहते थे, योग का महत्‍व समझाते थे और उसके साथ वो commitment भी था उनका। religion को spiritualism में convert करना चाहिए। spiritualism को प्राधान्‍य देना चाहिए। ये उनका conviction था। यानी, एक प्रकार से समाज जीवन में किन मूल्‍यों की आवश्‍यकता है, उन मूल्‍यों पर वो बल देते थे। शायद ये बड़ी हिम्‍मत का काम है, लेकिन वो करते थे। किसी भी समारोह में जाते थे और वहां student मिल गए तो फिर वो खिलते थे। उनका लगता था कि हां, एक ऐसे में बगीचे में आया हूं जहां ये फूल खिलने वाले हैं। उनको तुरंत feel होता था, एकदम से उनका natural connect होता था और ऐसे समारोह में वो बाद में संकल्‍प करवाते थे। एक-एक वाक्‍य बच्‍चों से बुलवाते थे। ये कठिन इसलिए है आज के जमाने में क्‍योंकि इस प्रकार की बात करो तो दूसरे दिन पता नहीं कितने-कितने विवाद खड़े हो जाते हो। लेकिन वे कभी इन चिंताओं में नहीं रहे। हर बार उस संकल्‍प को दोहराते रहे। क्‍या हम जब भी कलाम साहब को याद करेंगे, जहां भी कलाम साहब की चर्चा होगी, उन संकल्‍प के संबंध में, उसको लोगों में सार्वजनिक रूप से बार-बार कैसे लाए? उनका संकल्‍प था, जो हमें बताया जाता था, उसको चरितार्थ करना, ये हमारा दायित्‍व बनता है। उस दायित्‍व को पूरा करने के लिए हमारी नई पीढ़ी को हम कैसे तैयार करें? उस संकल्‍प को बार-बार दोहराते जाए कि ये परंपरा चलती रहे और चेतना जगाने का प्रयास निरंतर चलता रहे, उस दिशा में हम कैसे प्रयास करे।

आज विश्‍व में भारत अपना एक विशेष स्‍थान बनाता जा रहा है। दुनिया किसी जमाने में भारत को एक बड़े market के रूप में देखती थी। आज विश्‍व ने भारत को एक सहयात्री के रूप में देखना शुरू किया है। भारत की तरफ देखने का दुनिया का नजरिया बदला है। लेकिन आर्थिक संपन्‍नता ही या सिर्फ market ही हमें drive करेगा क्‍या?

आने वाले दिनों में हमारे पास innovation के लिए बहुत संभावनाएं हैं। Eight hundred million, Thirty Five से नीचे जनसंख्‍या जहां हो, 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 से नीचे हो। आज IT के कारण दुनिया में हमने अपनी जगह बना दी उसका कारण innovation था। हम innovation को बल कैसे दें। हम कलाम साहब की हर जन्‍म जयंती पर DRDO में एक ऐसा seminar organize कर सकते हैं क्या? एक दिन, दो दिन, तीन दिन जो भी हो इसमें young scientist हो, innovation करने वाले लोग हो या जिनका scientific temper का spark जिसके अंदर हो, ऐसे बच्‍चे हो। कभी स्‍कूल के बच्‍चों का एक-आध दिन कार्यकाल हो, कभी innovation में लगे हुए 35 से नीचे young scientist. इनको बुला करके इन्‍हीं विषयों पर सेमीनार हमेशा-हमेशा, कलाम साहब को याद करना मतलब innovation को promote करना। यह हमें परंपरा बना सकती है। तो उनकी जन्‍म जयंती को बनाने में हम एक नई जिम्‍मेदारी की ओर भी समाज को लेते चले जाएंगे और वह उनके लिए सबसे बड़ा संतोष का विषय बन सकता है, ऐसा मुझे लगता है।

दुनिया में अब भारत को उस विषय पर सोचने की आवश्‍यकता है कि हम विश्‍व को क्‍या दे सकते हैं। हम क्‍या बन सकते हैं? क्‍या हो सकते हैं? या कोई हमारे लिए क्‍या कर सकता है? उससे थोड़ा ऊपर जा करके थोड़ा हट करके हमारी वो ऐसी कौन सी विरासत है, जो हम विश्‍व को दे सकते हैं। और जो विश्‍व सहज रूप से स्‍वीकार करेगा और जो विश्‍व के कल्‍याण के लिए काम आयेगा। हमने उन पहलुओं पर धीरे-धीरे अपने आप को तैयार करना चाहिए।

आज पूरा विश्‍व cyber crime को ले करके बड़ा परेशान है। क्‍या हमारे नौजवान वो innovation करे, जिसमें cyber security की गारंटी के लिए भारत की पहल हो। भारत एक ऐसी जगह हो जहां cyber security के लिए पूरी संभावनाएं है। जितनी सीमा सुरक्षा महत्‍व की बनी है, उतनी ही cyber की security महत्‍व पर बनी है। तभी भी विश्‍व बदलता चला जाता है, उसमें हम किस प्रकार से contribute कर सकते हैं? हमारी खोज, हमारे विज्ञान, हमारे संसाधन, common man की जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं। quality of life में कोई change ला सकते हैं। भारत गरीब देश रहा है। हमारे यह सारे संसाधन, संशोधन यह सब कुछ गरीब की quality of life में बदलाव लाने के लिए हो सकता है। अब हमने 2022 तक हर गरीब को घर देने का सोचा है। अब उसमें हमें नई टेक्‍नोलॉजी, नई चीजें लानी पडेंगी। वो कौन से material से अच्‍छे मकान बन सकते हैं, वो नई खोज करनी पड़ेगी। वो कौन सी technique होगी कि जिसके कारण fastest मकान बना सकते हैं। वो कौन सी technique होगी जिससे हम low cost मकान बना सकते हैं। क्‍यों न हो? कलाम साहब चाहते थे देश के किसान का कल्‍याण करना है। देश के गरीब का कल्‍याण है, तो हमारी नदियों को जोड़ना। यह नदियों को जोड़ना सिर्फ परपरागत engineering work से होने वाला नहीं है। हमें innovation चाहिए, expertise चाहिए, space science की मदद चाहिए। इन सारी बातों को करके हम क्‍या लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं? यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी है, जिसमें हमें बदलाव लाना है।

आज भी दुनिया में प्रति हेक्‍टर जो crop है उसकी तुलना में हमारा बहुत कम है। आज दुनिया में प्रति cattle जितना milk मिलता है, उसकी तुलना में हमारा कम है। वो कौन से वैज्ञानिक तरीके हों, वो कौन सा वैज्ञानिक temper हो जो किसान के घर तक पहुंचे, पशुपालक के घर तक पहुंचे? ताकि उसकी जिंदगी में बदलाव आए। और इसलिए विज्ञान को हमने सामान्‍य मानव की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए उस applicable science को कैसे लाया जाए? उस technology को कैसे हम innovate करें। यह ठीक है DRDO में जो लोग बैठे हैं उनका क्षेत्र अलग है। लेकिन उसके बावजूद भी, यह वो बिरादरी है, जिसका innovation, विज्ञान, खोज यह उसके सहज प्रकृति के हिस्‍से हैं। हम धीरे-धीरे उसको expand करते हुए, अब्‍दुल कलाम जी को याद करते हुए, हम देश को क्‍या दे सकते है? और यही ताकत दुनिया को देने की ताकत बन सक‍ती है।

और कभी-कभार हम पढ़ते है जब सुनते हैं कि भई, हमारे यहां किसान अन्‍न पैदा करता है, लेकिन काफी मात्रा में बर्बाद हो जाता है। क्‍या उपाय हो सकते हैं? हर प्रकार के उपाय हो सकते हैं। temporary भी क्‍यों न हो उसके रख-रखाव की व्‍यवस्‍था क्‍या हो सकती हैं? ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिसमें हमने हमारी परंपरा की पुरानी पद्धतियों में से प्रेरणा लेना, नई innovation करना और उसमें से नए equipment तैयार करना, व्‍यवस्‍थाएं खड़ी करना, जो विज्ञान के द्वारा समाज जीवन में परिवर्तन का एक कारण बन सकते हैं, सहारा बन सकते हैं।

विश्‍व जिस प्रकार से बदल रहा है, उसमें सामूहिक सुरक्षा एक बहुत बड़ा विषय बनता जा रहा है। Blue Economy की तरफ दुनिया बढ़ रही है। अब जब Blue Economy की तरफ बढ़ रही है, तब समुद्रिक जीवन में उसके साथ जुड़े हुए व्‍यापार से भी संबंध है, सामुद्रिक खोज एक बहुत बड़ा क्षेत्र अधूरा पड़ा है। संपदाओं का अपरंपार भंडार सामुद्रिक संपत्ति में पड़ा हुआ है। लेकिन at the same time मानव जात के सामने चुनौती है Blue Sky, Environment, Climate दुनिया में आज चिंता और चर्चा के विषय है। और इसलिए Blue Economy जो सामुद्रिक शक्ति की चिंता भी करें और Blue Sky बचा रहे हैं उसकी भी चिंता करे। उस प्रकार की technology का हमारा innovation कैसा है? हमारा manufacturing जब हम कहते हैं कि zero defect-zero effect. हम ग्‍लोबली जाना चाहते हैं कि हमारे innovation की स्थिति कैसे बने कि हमारे manufacture में कोई defect भी न हो और उसके कारण environment पर कोई effect भी न हो। जब हम इन चीजों को ले करके चलेंगे, मैं समझता हूं कि हमारे युवा वैज्ञानिकों के सामने चुनौतियां हैं। और देश के युवा वैज्ञानिक अब्‍दुल कलाम साहब ने जो हमें रास्‍ता दिखाया, अब्‍दुल कलाम साहब के जीवन की स्‍वयं की यात्रा तो सामान्‍य गरीब परिवार से निकले यहां तक पहुंचे, लेकिन वो जिस क्षेत्र में गए वहां भी वैसे ही हाल था। अभी हमने देखा रॉकेट का एक Part साइकिल पर ले जा रहे थे। यानी institute भी इतनी गरीब थी, इस गरीबी वाले institute से जुड़ करके इतनी बड़ी विशाल संस्‍था का निर्माण कर दिया। सिर्फ पूरा अपनी व्‍यक्ति का जीवन गरीब झोपड़ी से ले करके राष्‍ट्रपति भवन तक आए ऐसा नहीं, जहां गए वहां, जहां था उसको उत्‍तम और बड़ा बनाने का भरपूर सफल प्रयास किया। यह अपने आप में बहुत बड़ा योगदान है। और उस अर्थ में हम भी जहां हो वहां, नई ऊंचाईयों को पार करने वाली अवस्‍था कैसे पैदा कर सकते हैं। उसके लिए हम और योगदान क्‍या दे सकते हैं?

कलाम साहब का जीवन सदा-सर्वदा हमें प्रेरणा देता रहेगा। और हम सब अपने संकल्‍पों को पूरा करने के लिए जी जान से जुटेंगे। इसी एक अपेक्षा के साथ कलाम साहब को शत-शत वंदन करता हूं और उनका जीवन सदा-सर्वदा हमें प्रेरणा देता रहे इसी एक आशा-अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय।

मंदार पर्वत// माता जोगिनी // और बाबा बैजनाथ की इस पावन भूमि// मा आप सभी को...जय जोहार। की हाल चाल छै ?

मैं झारखंड में जहां-जहां गया हूं। हर एक रैली अगली रैली का रिकॉर्ड तोड़ देती है। आज जो मैं देख रहा हूं, ये अद्भुत दृश्य है। जिनको राजनीति का हिसाब-किताब करना, ये जिनका कारोबार है, इतना इधर जाएगा तो ये होगा, उधर जाएगा तो ये होगा, ऊपर जाएगा तो ये होगा। इन सबको मैं कह रहा हूं, मेहनत मत करो यार, जरा एक बार झारखंड में चक्कर लगा लो, नतीजा क्या आएगा, पता चल जाएगा।

साथियों,

आपको लगता होगा कि आज मोदी जी क्यों आए हैं। क्या मैं आपसे वोट मांगने आया हूं? आपका प्यार इतना है, आपके आशीर्वाद इतने हैं कि वो तो आप मेरी झोली भर ही देते हैं। लेकिन मैं आज आपको निमंत्रण देने आया हूं। न्योता देने आया हूं। 23 तारीख को चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी-एनडीए सरकार का शपथ समारोह होगा। मैं आप सबको न्योता देने आया हूं उस शपथ समारोह के लिए।

साथियों,

आने वाले नेमान पर्व की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं ! आज झारखंड में पहले चरण का मतदान हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग गाजे-बाजे के साथ, एक लोकतंत्र का उत्सव मनाते हुए जुलूस निकाल रहे हैं। एक-एक पोलिंग बूथ में 10-12 जुलूस निकल रहे हैं और लोग थाली बजाते, घंटी बजाते, गीत गाते-गाते लोकतंत्र का उत्सव मनाने के लिए मतदान करने के लिए निकल पड़े हैं। सुबह से लंबी-लंबी कतारें लग गईं। साथियों, ये खबर ही अपने आप में ताकतवर खबर है। और इसलिए मैं एडवांस में झारखंड के लोगों का आभार भी व्यक्त कर देता हूं। आपके इस समर्थन के लिए, आपके इस प्यार के लिए। और यहां मैं देख रहा हूं हैं, इतनी ही बड़ी संख्या में यहां आपका आना, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आप आए, ये दिखाता है कि झारखंड के लोग जेएमएम सरकार को हटाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। और मुझे तो लगता है कि झारखंड का मिजाज इस बार जेएमएम-कांग्रेस की सरकार हटाना, इतना ही नहीं है, इस बार झारखंड का मिजाज उनको कड़ी से कड़ी चुनावी सजा देने का मूड दिखता है मुझे। साथियों, जन-जन में, मन-मन में हर कोने में गांव हो, शहर हो, पहाड़ हो, जंगल हो, पढ़े-लिखे लोग हों, अनपढ़ लोग हों, व्यापारी हो, दुकानदार हो, मजदूर हो, माता हो, बहन हो, नौजवान हो, सब ओर एक ही आवाज गूंज रही है, एक ही आवाज गूंज रही है- रोटी, बेटी और माटी की पुकार, झारखंड में भाजपा-NDA सरकार। रोटी, बेटी और माटी की पुकार...।

साथियों,

गोड्डा की ये भूमि, शक्ति की भूमि है, मां योगिनी की भूमि है। हृदय पीठ भी यहां से ज्यादा दूर नहीं है। शक्ति की इस धरती से मैं झारखंड की माताओं-बहनों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हमारी सरकार जब भी कोई बड़ी नीति बनाती है या कोई बड़े फैसले लेती है, तो झारखंड की माताओं-बहनों-बेटियों के भी बहुत से आशीर्वाद मिलते हैं। गोड्डा, साहिबगंज और पाकुड़ से भी अनेकों ऐसे आशीर्वाद मिलते रहते हैं। बीते कुछ सालों से यहां की बहनें मुझे लगातार एक बात जरूर बताती है। वे बताती हैं, मोदी जी आप हमारे लिए जो योजनाएं लाते हैं। यहां JMM-RJD और कांग्रेस वाले उनको लूट लेते हैं।

साथियों,

मैंने झारखंड की लाखों बहनों के नाम से पक्के घर देने के लिए पैसा दिया है। वो पैसा मैं सीधे बहनों के खाते में भेजता हूं। लेकिन यहां की सरकार ये पक्का घर आपको मिलने नहीं दे रही है। ये अपनी ही कोई फर्ज़ी स्कीम लेकर आई ताकि उसमें इनके लोगों को कट-कमीशन मिले। इन्होंने यही किया है। मैं आप सभी की परेशानी जानता हूं। आपको बालू नहीं मिलती, गिट्टी नहीं मिलती। ये सबकुछ JMM-कांग्रेस-RJD के लोग बेच कर खा जाते हैं। मैंने पूरे देश की बहनों के लिए घर पर ही अपना नल लगाने की योजना शुरू की। जहां भाजपा-NDA की सरकार है, वहां तो धड़ा-धड़ नल लग रहे हैं। लोगों के घर में पानी पहुंच रहा है। गोड्डा-साहिबगंज की बहनों के घर में नल के लिए भी हमने दिल्ली से पैसा भेजा। लेकिन आपके घर में नल लगा ही नहीं। आपके नल का पैसा भी JMM-कांग्रेस-RJD के लोगों ने हड़प लिया, खा लिया।

साथियों,

यहां की हमारी गांव की, गरीब, आदिवासी, दलित-पिछड़े, हमारे वंचित परिवार की बहनें, उनका चूल्हा जलता रहे, कोई गरीब बच्चा भूखा सो न जाए, इसके लिए मैंने मुफ्त चावल की योजना शुरु की। लेकिन बहनें बताती हैं कि इन्होंने चावल वाली योजना भी नहीं छोड़ा। थाली में भी ये चोरी करना छोड़ते नहीं हैं। और ये लूट का पैसा जा कहां रहा है? ये वही पैसा है जो नोटों के पहाड़ के रूप में हमने टीवी पर देखा है। आप मुझे बताइए, JMM-कांग्रेस को रत्तीभर भी पछतावा होता क्या? इतने सारे रुपये पकड़े जा रहे और जो नहीं पकड़े गए वो तो कहीं दबे पड़े होंगे। वो मैं बाद में हिसाब करने वाला हूं उनका। लेकिन थोड़ा सा भी पछतावा होता कि इतनी चोरी पकड़ी गई, जरा मुंडी नीचे करके जरा अच्छी बात बोलते। ये माफी तो नहीं मांगेंगे, मुझे मालूम है। वो आपके सामने अपने इस पाप के लिए शर्मिंदगी भी महसूस नहीं करेंगे। नोटों के पहाड़, और वो वाला नेता जो जेल गया। देखिए नोटों के पहाड़ वाला नेता जो जेल गया उसके परिवार के सदस्य को ही इन्होंने टिकट दे दिया। मतलब चोरी करने को सर्टिफाई कर दिया। और यह सिर्फ टिकट दिया ऐसा नहीं है वह आपके घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है। सीधी-सीधी झारखंड के लोगों को चुनौती है, हमारी आदिवासी माताओं बहनों को चुनौती है। ये सोचते हैं कि JMM-कांग्रेस कुछ भी करें, इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

मेरे प्यारे भाई-बहनों

झारखंड के भाई-बहनों इनके इस अहंकार को तोड़ना है, इनके इस भ्रम को तोड़ना है। अरे ये लोकतंत्र है, हम मालिक नहीं हैं, मालिक आप हैं। माताओं-बहनों, आप लिख लीजिए, जो अभी झौंपड़ी में रहता है, ऐसे हर परिवार को भाजपा-NDA सरकार पक्का घर देगी। ये मोदी की गारंटी है। झारखंड में गरीब को पक्का घर भी मिलेगा, उसमें पानी का नल भी मिलेगा, और मुफ्त गैस कनेक्शन भी मिलेगा। मैं तो हर बहन के घर का बिजली बिल, ये जो बिजली का बिल होता है ना, आप सबको मैं कहता हूं मेरी कोशिश है कि आज जो बिजली का बिल आता है, आप सोचते हैं यार कैसे रहेंगे, चलो इस बार यह कट करें और पैसे दे दे वरना बिजली कट हो जाएगी। अब मोदी क्या करने वाला है मालूम है, आपका बिजली का बिल जीरो। अब आपको लगेगा मोदी जादू कहां से करेगा, ये जादू नहीं है। हम हर घर को करीब पौने लाख रुपया यानी 75 से 80 हजार रुपया उनको सोलार पैनल लगाने के लिए देंगे। उससे बिजली पैदा होगी, आपकी बिजली तो जीरो बिल वाली, लेकिन अगर ज्यादा बिजली हो गई, आपकी जरूरत से ज्यादा बिजली है तो सरकार आपकी बिजली खरीदेगी। पहले आप सरकार को पैसे देते थे, अब सरकार आपको पैसे देगी, ये काम मोदी कर रहा है। ये हर परिवार उसमें अभी रजिस्ट्री करवा रहे हैं, काम चल रहा है। और इससे मुफ्त बिजली भी मिलेगी और ज्यादा बिजली पैदा हुई तो सरकार उसे खरीदकर आपको पैसे भी देगी, आप कमाई करेंगे।

साथियों,

भाजपा सरकार की पहचान है, हम आपके लिए जीते हैं, हम आपके बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए मर मिटते हैं, दिन-रात काम करते हैं और इसलिए जो कहते हैं वो करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखते हैं। अभी ओडिशा में भाजपा ने सुभद्रा योजना घोषित की थी चुनाव के पहले। और छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना की घोषणा की थी। आज मुझे आपको ये हिसाब देते हुए आनंद हो रहा है, मैं अपना रिपोर्ट कार्ड दे रहा हूं कि हमारी उड़ीसा की सरकार ने और छत्तीसगढ़ की सरकार ने सरकार बनते ही माताओं-बहनों के लिए जो योजना बनाई थी सीधे उनके खाते में पैसा जमा करने की, वह योजना लागू हो गई, पैसे उनके खाते में जमा हो गए। अब झारखंड भाजपा ने गोगो दीदी योजना शुरु करने की गारंटी दी है। यहां भाजपा-NDA सरकार बनते ही, हर महीने हजारों रुपए बहनों के खाते में आना शुरू हो जाएंगे।

साथियों,

पहले कांग्रेस, फिर आरजेडी और JMM, इन दलों ने इस क्षेत्र में लंबे समय तक राज किया है। लेकिन आपको इन्होंने क्या दिया है? इन्होंने संथाल परगना को सिर्फ पलायन दिया है, गरीबी दी है, बेरोज़गारी दी है। खुद मुख्यमंत्री इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं। लेकिन यहां के लोगों को काम के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। भारत में रेलवे को डेढ़ सौ साल से ज्यादा का समय हो चुका है। लेकिन गोड्डा में आजादी के 75 साल बाद भी रेल नहीं पहुंच पाई थी। गोड्डा में रेल तब पहुंची, जब आपने मोदी पर भरोसा किया। अब यहां से दर्जनभर से अधिक ट्रेनें चलती हैं। मैं तो बाबा विश्वनाथ की काशी का सांसद हूं। काशी के लोगों ने चुन करके एमपी बनाया है और आप सबने मिलकर के मुझे पीएम बनाया है। और आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो मैं गर्व से कह सकता हूं कि अब आप बाबा बैधनाथ के दर्शन करके वंदे भारत ट्रेन में बैठ के सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जा सकते हैं। एक दिन में दो-दो ज्योतिर्लिंग।

साथियों,

भाजपा-NDA सरकार, इस क्षेत्र में उद्योगों को भी बढ़ावा दे रही है। यहां बिजली के कारखाने लगे हैं। यहां सीमेंट के कारखाने लगे हैं। यहां बड़ी संख्या में रोजगार मिले हैं। साहिबगंज में एक बहुत बड़ा मल्टीमोडल टर्मिनल बना है। इससे यहां नए उद्योगों को बल मिलेगा। JMM-कांग्रेस वालों का उद्योगों का दूर-दूर तक नाता नहीं है। उनका एक ही उद्योग है पेपरलीक उद्योग, उनका उद्योग है माफिया राज फैलाना। उनको माफिया राज फैलाना आता है। ये लोग पेपर लीक माफिया पैदा करते हैं। ये सरकारी भर्ती में घूस और ट्रांस्फर-पोस्टिंग का कारोबार करते हैं। आप चाहते हैं ना ऐसे भ्रष्ट्चारियों को कड़ी सजा मिले? सजा मिलनी चाहिए ना? जरा जोर से बताइए, कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ना? कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ना? आप भाजपा-NDA सरकार बनाइए, युवाओं का भविष्य बर्बाद करने वालों को पाताल से भी खोजकर लाया जाएगा। झारखंड भाजपा ने लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी का वादा किया है। हमारे बेटे-बेटियों को अच्छी शिक्षा और भत्ते का वादा किया है। ये सारे वादे भाजपा-एनडीए सरकार जरूर पूरे करेगी। संथाल-परगना की पहचान, पलायन से नहीं बल्कि पर्यटन से हो, ये काम हम करने वाले हैं।

साथियों,

किसानों का कल्याण, हमेशा से भाजपा की प्राथमिकता रहा है। भाजपा-NDA सरकारें जहां भी हैं वहां सिंचाई की सुविधाएं बना रही हैं। जहां पानी कम है, वहां टपक सिंचाई पर बल दिया जा रहा है। ये भाजपा सरकार है, जो छोटे किसानों के खाते में सीधे पैसा भेज रही है। इससे किसानों को बहुत मदद मिल रही है। अब झारखंड भाजपा ने धान किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदने की गारंटी दी है। कांग्रेस के समय में सिर्फ 8-10 वन उपज पर ही MSP मिला करता था। भाजपा सरकार अब करीब-करीब 90 वन-उपज पर MSP दिया करती है। झारखंड भाजपा ने भी वन उपज के लिए कई घोषणाएं की हैं। इन सारे प्रयासों से किसानों की आय बढ़ेगी।

साथियों,

झारखंड की ये धरती, सिद्धो-कान्हो, चांद-भैरव, फूलो-झानो, तिलका-मांझी की भूमि है। झारखंड धरती आबा बिरसा मुंडा की भूमि है। दो दिन बाद यानि 15 नवंबर से भाजपा सरकार, धरती आबा की डेढ़ सौवीं जयंति को पूरे धूमधाम से मनाने जा रही है। हम सिद्धो-कान्हो और दूसरे सेनानियों के भव्य स्मारक बनाने जा रहे हैं, रिसर्च सेंटर्स बनाने जा रहे हैं। ये भाजपा-NDA की सरकार है, जिसने पहली बार आदिवासी समाज को इतनी भागीदारी दी। ये भाजपा-NDA ही है, जिसने देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति दीं। द्रौपदी मुर्मू जी के रूप में एक आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति बनाया। लेकिन JMM की सहयोगी कांग्रेस ने क्या किया? आदिवासी बेटी को हराने के लिए इन लोगों ने पूरा जोर लगा दिया। और ये भूलना नहीं है।

साथियों,

कांग्रेस हमेशा से ही आदिवासियों की घोर विरोधी रही है। कांग्रेस ने झारखंड आंदोलन के दौरान अनेक आदिवासी माताओं की कोख उजाड़ी है। और ये JMM वाले आज सत्ता के लिए कांग्रेस की ही गोद में जा बैठे हैं। कुर्सी के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। संथाल परगना में तो हम देख रहे हैं कि इन्होंने कैसे रोटी-बेटी और माटी को ही दांव पर लगा दिया है। यहां आदिवासी समाज की संख्या लगातार घट रही है। आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर धोखे से कब्जे करवाए जा रहे हैं। घुसपैठ की समस्या झारखंड में विकराल होती जा रही है। हमें मिलकर झारखंड को तबाह होने से रोकना ही होगा। और मुझे खुशी है, इस बड़े लक्ष्य के लिए भाजपा परिवार का विस्तार हो रहा है। झारखंडी गौरव को बचाने की इस बड़ी लड़ाई में, अब तो सिद्धो-कान्हो के वंशज मंडल मूर्मू जी भी हमारे साथ हैं। और मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे सार्वजनिक रूप से इस महान परंपरा की विरासत, उनका सम्मान करने का अवसर मिला है। मैं उनका भाजपा में स्वागत करता हूं।

साथियों,

कांग्रेस को SC/ST/OBC से हमेशा से नफरत रही है। इसलिए नेहरू जी से लेकर राजीव गांधी तक, इन्होंने आरक्षण का हमेशा विरोध किया। ये लोग कभी नहीं चाहते थे कि SC/ST/OBC एकजुट हो जाएं। इसलिए आजादी के बाद दशकों तक कांग्रेस ने SC/ST/OBC समाज को बांटे रखा। और जैसे ही SC/ST/OBC एकजुट हुए, कांग्रेस कमजोर हो गई। केंद्र सरकार में उसकी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बननी बंद हो गई। अब कांग्रेस, केंद्र में सरकार बनाने के लिए छटपटा रही है। इसलिए उसने SC/ST/OBC की एकता को तोड़ने का, आपको बांटने का खेल खेला है, एक नई साजिश रची है। कांग्रेस SC/ST/OBC की सामूहिक ताकत को कमज़ोर करना चाहती है। जैसे संथाल में अनेकों आदिवासी जातियां हैं। यहां संथाल हैं, पहाड़िया हैं, पहाड़िया में भी अनेक उप-जातियां हैं। यहां कोरा, मुडी-कोरा हैं, लोहरा हैं, महली हैं, ओरांव-धनगर हैं, मुंडा-पातर हैं, खरवार हैं। ऐसी हर जाति जब आदिवासी के रूप में, ST के रूप में एक आवाज़ से कोई बात कहती है, तो उसमें वज़न होता है। लेकिन कांग्रेस इस आदिवासी पहचान को तोड़कर, इसे छोटी-छोटी जातियों में बांटना चाहती है। ये संथाल को पहाड़िया से, कोरा को लोहरा से, महली को ओरांव-धनगर से, मुंडा को खरवार से, ऐसे एक जनजाति को दूसरे से लड़ाने में जुटे हैं, टुकड़े करने में जुटे हैं। इसमें JMM, कांग्रेस का पूरा साथ दे रही है। इससे आदिवासियों की एकता कमज़ोर होगी और कांग्रेस-JMM अपने वोटबैंक की मदद से सत्ता हासिल करेगी। और इसके बाद कांग्रेस द्वारा आपका आरक्षण भी छीन लिया जाएगा। और इसलिए भाई-बहनों एक बात कभी भी मत भूलना और अब तो इसकी ज्यादा जरूरत है। हमें याद रखना है, एक हैं तो सेफ हैं। एक हैं तो... सेफ हैं। एक है तो... सेफ हैं। एक है तो... सेफ हैं।

साथियों,

झारखंड का ये चुनाव, सिर्फ आने वाले 5 सालों के लिए नहीं है। ये आने वाले 25 सालों का भविष्य तय करेगा। 20 नवंबर को अपने बाल-बच्चों के भविष्य के लिए आपको वोट डालना है। आपको रोटी, बेटी और माटी को बचाने के लिए, इन्हें सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए वोट डालना है। अब कुछ ही दिन बाकी हैं। आप सबसे मेरी प्रार्थना है दिन-रात जुटना है घर-घर जाना है। साथियों, मैंने इतनी सारी रैलियां की हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलने की मैंने कोशिश की है लेकिन फिर भी हर घर तक तो पहुंच नहीं पाता। अब ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप मोदी बनकर मेरा संदेश पहुंचा दें। संथाल के घर-घर में पहुंचाएं, और हर घर में जाकर कहना, अपने मोदी भाई आए थे और मोदी जी ने आपको जय जोहार कहा है। मेरा जय जोहार पहुंचा देंगे। पक्का पहुंचा देंगे? हर घर से मेरे लिए आशीर्वाद लेंगे? पक्का लेंगे? मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

मेरे साथ बोलिए,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय ।
बहुत-बहुत धन्यवाद