The youth of Bihar has the ability to transform the state: PM #ParivartanRally
Bihar has decided to fight against those who ruled and ruined the state: PM #ParivartanRally
India will prosper only when Bihar develops: PM #ParivartanRally
If Bihar elects NDA Govt, our first priority will be to provide 24/7 electricity all villages: PM #ParivartanRally
We have come up with Mudra bank, Jan Dhan Yojana, social security schemes for the welfare of people: PM #ParivartanRally
Elect a stable NDA Govt with 2/3rd majority for development of Bihar: PM #ParivartanRally

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

मंच पर विराजमान हमारे वरिष्ठ नेता डॉ. सी पी ठाकुर जी, औरंगाबाद के सांसद श्रीमान सुशील जी, रालोसपा के सह-प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण जी, एवं औरंगाबाद से विधान पार्षद राजेंद्र कुमार सिंह, भाजपा, औरंगाबाद के अध्यक्ष पुरुषोत्तम जी, लोजपा के श्री अनूप ठाकुर, रालोसपा के श्री अशोक मेहता, हम पार्टी के श्री अजय सिंह, और इस चुनाव में औरंगाबाद से भाजपा के उम्मीदवार श्री रामाधार सिंह, नवीननगर के उम्मीदवार गोपाल नारायण सिंह, कुटुम्बा से हम पार्टी के उम्मीदवार संतोष कुमार सुमन जी, ओबारा से लोजपा के उम्मीदवार चंद्रभूषण वर्मा जी, भाजपा के उम्मीदवार श्री मनोज शर्मा जी, रविगंज से लोजपा के उम्मीदवार श्री प्रमोद कुमार सिंह, गुरुवा से भाजपा के उम्मीदवार राजीव डांगी जी, शेरघाटी से हम पार्टी के उम्मीदवार श्री मुकेश कुमार; मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे भाईयों और बहनों

मुझे औरंगाबाद आने का ये पहला सौभाग्य मिला है और इस ऐसी चमचमाती धूप में आप लोगों ने इतना ताप होने के बावजूद जो मुझे आशीर्वाद और प्यार दिया है, मैं आपको नमन करता हूँ। आपका आशीर्वाद ही मेरी सबसे बड़ी पूँजी है। मुझे दूर-दूर तक, जहाँ तक मेरी नज़र जाती है, लोग ही लोग नज़र आ रहे हैं। मैं नहीं मानता हूँ कि वहां तक मेरी आवाज़ पहुँच रही होगी जहाँ लोग खड़े हैं। चुनाव में रैलियां तो बहुत देखी हैं लेकिन यहाँ तो आंधी है। ये चुनाव 21वीं सदी में बिहार की जगह कहाँ होगी, न कि हिन्दुस्तान के नक़्शे पर बल्कि दुनिया के नक़्शे पर बिहार की जगह कहाँ होगी, इसके लिए यह चुनाव है।

कौन विधायक बने, न बने, किसकी सरकार बने, किसकी न बने, कौन पार्टी जीते, कौन न जीते, ये चुनाव इस बात के लिए नहीं है बल्कि इस बात के लिए है कि बिहार का भविष्य क्या होगा। ये चुनाव इस बात का है कि नौजवानों का भाग्य कौन बदलेगा, बिहार को विकास की नई ऊंचाईयों पर कौन ले जाएगा। इसलिए इस चुनाव में जब आप मतदान करें तो आप इस ‘महास्वार्थबंधन’ के इतिहास को पहले जान लें; ये लोग क्यों इकठ्ठा आए हैं। महास्वार्थबंधन बनाने वाले ये तीनों लोगों ने बिहार में कभी-न-कभी राज किया है। कांग्रेस ने 45 साल तक राज किया; लालू जी और नीतीश जी, बड़े भाई, छोटे भाई ने 25 साल राज किया और तीनों ने मिलाकर के 60 साल तक बिहार में राज किया। मुझे बताईये कि 60 साल कम समय है क्या? दुनिया में कुछ देश जो 30-40 साल पैदा हुआ, आज वे दुनिया में नंबर – 1 तक पहुँच गए और इन्होंने ने 60 साल सरकार चलाई लेकिन बिहार के नौजवान को रोजगार तक नहीं दे पाए।

बिहार ने दो-दो रेल मंत्री दिए। लालू जी और नीतीश जी, दोनों रेल मंत्री रहे अब मुझे बताईये कि अगर आपको कोलकाता जाना है तो टिकट मिलता है क्या? ट्रेन में जगह मिलती है क्या? जिन लोगों ने ऐसी सरकारें चलाई हो, ऐसे लोगों पर और भरोसा कर सकते हैं क्या? 16 को मतदान है। भारी संख्या में मतदान करें ताकि बिहार के भाग्य का रास्ता खुल जाए। आपका मिज़ाज ही परिवर्तन लाने वाला है इस बार बिहार में भाग्य बदलने का जिम्मा मेरे नौजवानों ने उठाया है। सारे बिहार का जवान एकजुट हो गया है कि अब बिहार को बर्बाद नहीं होने देना है।

आप मुझे बताईये कि ये जो सब लोग चुनाव लड़ रहे हैं, लालू जी हों, नीतीश जी हों, मैडम सोनिया जी हों, इन लोगों को अपने 60 वर्षों के काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं? बिहार में इन्होंने क्या सब काम किये, ये बताना चाहिए कि नहीं? लेकिन पूरा चुनाव देख लीजिये, अभी तक इन तीनों ने बिहार के लिए क्या किया, इस पर एक शब्द भी बोलते नहीं हैं। इनका एक ही काम है – मोदी को गाली देना। सुबह-सुबह डिक्शनरी खोल के बैठ जाएंगे कि आज मोदी को कौन सी नई गाली देंगे। अब तो डिक्शनरी भी खाली हो गई है और उन्होंने फैक्ट्री खोल कर रखी है, नई-नई गालियां बनाने की फैक्ट्री और उस फैक्ट्री से रोज माल लेकर निकलते हैं और दिन-रात मोदी को गालियां देते हैं। क्या ये चुनाव है? चुनाव में काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं? उनके पास कहने को कुछ बचा नहीं है। कोई भी सरकार जब चुनाव में जाती है तो उसका दायित्व बनता है कि वो जनता को अपने काम का हिसाब दे लेकिन ये अपना हिसाब नहीं दे रहे।

60 साल इन्होंने बर्बादी लाने का काम किया है। उद्योग-धंधे अगर नहीं आएंगे तो नौजवानों को रोजगार मिलेगा क्या? नौजवानों को रोजगार चाहिए और इनका पलायन बंद होना चाहिए। अभी कुछ दिन पहले मैं फ़रीदाबाद मेट्रो स्टेशन पर उद्घाटन के सिलसिले में गया था। मेट्रो में सफ़र के दौरान यात्री नमस्ते करने आते थे तो सभी यात्रियों से मैं उनके बारे में पूछता था और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मुझे जितने नौजवान मिले, उसमें एकाध कोई और हो तो हो, बाकि सारे नौजवान बिहार के थे। मैंने पूछा क्या कर रहे हो तो उन्होंने कहा कि नौकरी के लिए आया हूँ और किसी कारखाने में इंटरव्यू है तो वहीँ जा रहा हूँ। सारे लोग नौकरी की तलाश में थे और ज्यादातर नौजवान थे। वे मुझे कह रहे थे कि नौकरी के लिए आये तो हैं लेकिन चुनाव के समय जाने वाले हैं और इस सरकार को हटाने वाले हैं। पूरे देश में ये मिज़ाज है बिहारियों का।

अभी अमेरिका में भी मुझे बिहार के कुछ लोग मिले थे। उनसे मिलकर इतना गर्व हुआ कि मेरे देश के नागरिकों ने अमेरिका में आकर के ख़ुद को इतना आगे बढ़ाया है। ये सारे बिहार के थे। अगर बिहार के लोग अमेरिका और हिन्दुस्तान के किसी कोने में जाकर कमाल कर सकते हैं तो बिहार में क्यों नहीं कर पा रहे हैं। इसका कारण है कि बिहार में उन्हें अवसर नहीं मिल रहा है। बिहार की जवानी बिहार को बदलने के लिए दीवानी बन गई है और इसी के साथ बिहार को बर्बाद करने वालों की रवानगी भी तय हो गई है। आप मुझे बताएं कि बिहार के मुख्यमंत्री जी ने ये कहा था न कि वो हर घर में 24 घंटे बिजली पहुंचाएंगे? उन्होंने ये भी कहा था कि 2015 के चुनाव तक अगर हर घर बिजली नहीं पहुंचा पाया तो वोट मांगने नहीं आऊंगा; ऐसा कहा था? अब आप बताईये कि क्या हुआ? बिजली तो नहीं आई लेकिन वोट मांगने आये कि नहीं आये? धोखा किया न; वादे से मुकर गए न? क्या ऐसे लोगों पर भरोसा किया जा सकता है?

इसलिए मैं कहता हूँ कि अब बिहार ऐसी सरकार झेल नहीं सकता है जो बिहार को बर्बाद करने के लिए बने। मैं हैरान हूँ। हम जब जंगलराज को याद करते हैं तो लालू जी परेशान नहीं होते हैं लेकिन नीतीश जी परेशान हो जाते हैं। आपने ही तो लालू राज को जंगलराज कहा था और लालू जी के साथ बैठ गए। इसलिए अब आप जंगलराज बोलने से डरते हो और कोई अन्य बोले तो परेशान हो जाते हो। जंगलराज में कौन सा उद्योग चला – अपहरण का उद्योग। त्यौहार के समय लोग शाम में घर से बाहर निकलने से डरते थे; नई गाड़ी खरीदने के बाद डरते थे कि कहीं कोई उठा कर न ले जाए और अगर मांगने गए तो मार खाने का डर। अब आप बताएं कि बिहार को दुबारा उस स्थिति में लेकर जाना है क्या?

इसके आसार नजर आ रहे हैं। जनवरी से जुलाई तक बिहार में 4000 घटनाएं अपहरण की हुई हैं। अब आप मुझे बताईये कि क्या फिर से ये अपहरण के दिन आने देने हैं? कल रात की घटना लीजिये, एक पुलिस अफ़सर को गोलियों से भून दिया गया। उसका गुनाह सिर्फ़ इतना था कि वो कुछ लोगों को रोक कर पूछना चाहता था कि कौन हो और कहाँ जा रहे हो। सिर्फ़ इतनी बात पर उस पर गोलियां चलाई गई और वो भी पटना में, सरकार के सीने पर और एक पुलिस अफ़सर को। जहाँ एक पुलिस अफ़सर सुरक्षित नहीं है, वहां आम लोग सुरक्षित होंगे क्या? अभी तो उनके साथ बैठने का ये हाल है, चुनाव नतीजे आ गए और अगर आपने गलती कर दी तो सोचिए कि बिहार का क्या हाल होगा।

मैं आपसे कहने आया हूँ कि आप बिहार को बर्बाद होने से बचाईये। बिहार में वो ताकत है कि अगर बिहार आगे बढ़ गया तो सारा हिन्दुस्तान आगे बढ़ जाएगा लेकिन 60 साल तक बिहार की इस ताकत को दरकिनार किया गया। बिजली के क्षेत्र में हमने 24 घंटे बिजली देने का बीड़ा उठाया है। मैंने कहा है कि 2022 में जब भारत की आज़ादी के 75 साल होंगे, तब हम हिन्दुस्तान में 24 घंटे बिजली देने का काम पूरा कर देंगे। अकेले आपके औरंगाबाद जिले को बिजली के लिए 300 करोड़ रूपया देने का निर्णय कर लिया है। पूरे बिहार को 6000 करोड़ रूपया देने का निर्णय कर लिया है। जब मैं पूरे हिन्दुस्तान का अंदाज़ा लगा रहा था तो मैंने अफ़सरों को बुलाया और पूछा कि कितने गाँव हैं जहाँ बिजली नहीं है। उन्होंने हिसाब लगाया तो 18,000 गाँव ऐसे हैं जहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। फिर जब मैंने पूछा कि सबसे ज्यादा गाँव किस राज्य के हैं तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बिहार के 4000 गाँव आज भी अँधेरे में हैं।

हमारी सरकार बनी तो सबसे पहले मेरा काम होगा – इन 4000 गांवों में बिजली पहुँचाना। ऐसा नहीं है कि पैसे नहीं हैं लेकिन उनके इरादे सही नहीं हैं। सरकार चलाना उनकी रुचि का विषय नहीं है और इसलिए वे 24 घंटे राजनीति करते रहते हैं। भूतकाल में पंचवर्षीय योजना के तहत भारत सरकार ने बिहार को बिजली के लिए करीब 8000 करोड़ रूपया देने का निर्णय किया लेकिन ये सरकार ऐसी थी कि उसमें से 1200-1300 करोड़ से ज्यादा ले नहीं पाई। अगर इनमें पैसे उठाकर काम करने की ताक़त नहीं है तो क्या ये आपका भला कर पाएंगे क्या? लेकिन अब बिहार के भाग्य को बदलने और जीवन में बदलाव लाने के उद्देश्य से मैं आपके पास आया हूँ।

आज मैं कोई भी हिसाब लगाता हूँ, जैसे सबसे ज्यादा शौचालय कहाँ बने हैं तो नाम आता है बिहार का। ये शौचालय अमीरों के घर में नहीं बने हैं बल्कि गरीबों के घर में बने हैं ताकि हमारी गरीब मां-बहनों को खुले में शौच के लिए न जाना पड़े। अब आप देखें कि ये गरीबों की बात करने वालों ने शौचालय क्यों नहीं बनाये? दिल्ली में हमारी सरकार बनाने के बाद हमने शौचालय बनाने का काम शुरू किया और पिछले एक साल में 95 लाख शौचालय बनाने का काम पूरा कर दिया है और आगे भी ये काम तेज़ गति से चल रहा है।

मुझे बताईये कि अमीरों का खाता होता है न लेकिन गरीब कभी बैंक में नहीं जा पता था। हमने जन-धन के माध्यम से ऐसा अभियान चलाया कि इस देश के हर गरीब परिवार का बैंक खाता खोल दिया गया और आज पहली बार गरीब को लगने लगा है कि वे साहूकारों के पास जाने की बजाय बैंक के पास जा सकते हैं। ब्याज के कारण मरने के बजाय वे सम्मान से जी सकते हैं।

हम मुद्रा योजना लेकर आए जिसके तहत जो छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले लोग हैं, दूध बेचते हैं, सब्ज़ी बेचते हैं, पशुपालन करते हैं, धोबी का काम करते हैं, नाई का काम करते हैं, कपड़े बेचते हैं, अख़बार बेचते हैं, ऐसे लोगों को पैसों की बहुत जरुरत पड़ती है; घर में कोई बीमार हो जाए या मेहमान आ जाएं तो भी औरों से पैसे मांगने पड़ते हैं; उन्हें पैसे उपलब्ध कराये गए। इन्हें बैंकों से पैसा नहीं मिल पाता है। मुद्रा योजना से अकेले बिहार में 3 लाख लोगों को पैसे देने का काम पूरा कर दिया। पूरे हिन्दुस्तान में करीब-करीब 26 हज़ार करोड़ रूपया बैंकों से इन गरीबों को देने का काम हमने किया है। गरीब को ताक़तवर बनाना है, उनकी आर्थिक शक्ति बढ़ानी है।

हमने अभी बीमा योजना शुरू की; हर महीने में सिर्फ़ एक रूपया अर्थात 12 महीने में 12 रूपया कल जब मैं नवादा में था कि वहां एक मुस्लिम परिवार ने 12 रुपये वाली स्कीम ली थी और उसके परिवार में अचानक कुछ हो गया; महीना भर हुआ था और उसे 2 लाख रुपये का चेक आ गया। गरीब के लिए कैसे काम होता है, ये हमारी सरकार ने करके दिखाया है।

मेरा एक और सपना है जिसे पूरा करने के लिए बिहार में एक ऐसी सरकार चाहिए जो बिहार का भला करना चाहती है। मैं चाहता हूँ कि 2022 में सबके पास अपना एक घर हो। गरीबों को घर मिले, ये बहुत बड़ा बीड़ा हमने उठाया है घर में पानी का नल हो, नल में जल हो, बिजली हो, शौचालय हो और नजदीक में गरीब बच्चों के पढने के लिए अच्छी शिक्षा की व्यवस्था हो। इस काम को करने के लिए अगर राज्य सरकार ऐसी होगी कि हम केंद्र से बात नहीं करेंगे, हम उसे घुसने नहीं देंगे तो क्या ये संभव हो पाएगा?

मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप भाजपा और एनडीए के हमारे साथियों, राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा को इस चुनाव में विजयी बनाईए और बिहार के भाग्य को बदलने का फ़ैसला कर लीजिए। बिहार में तीन-तीन पीढ़ी बर्बाद हो गई लेकिन अब इसे बर्बाद होने नहीं देना है। ये चुनाव है, एक तरफ जंगलराज और दूसरी तरफ विकासराज। सारी समस्याओं का समाधान विकास में ही रखा है इसलिए मैं कहता हूँ कि विकास के लिए वोट दीजिये दलित हों, पीड़ित हों, शोषित हों, वंचित हों, गरीब हो, इन सबका भला विकास से ही होगा। जवानों को रोजगार मिलेगा तो परिवारों की स्थिति अपने आप बदल जाएगी। इस काम को पूरा करने के लिए बिहार में दो-तिहाई बहुमत के साथ एनडीए की सरकार बनाईए।

आज पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है। अमेरिका, भूटान, रूस, चीन में भारत का गुणगान हो रहा है कि नहीं? ये मोदी के कारण नहीं बज रहा है बल्कि सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों के कारण बज रहा है। आपने ऐसा काम किया है जिस काम के कारण दुनिया में हिन्दुस्तान का डंका बज रहा है। आपने 30 साल के बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है। इसके कारण दुनिया के किसी भी नेता से मिलता हूँ, उनसे हाथ मिलाता हूँ और गले लगाता हूँ तो उन्हें मोदी नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी दिखाई देते हैं। आज वे सब भारत का लोहा मानने लगे हैं। हिन्दुस्तान में बिहार का डंका बजाने, बिहार का जय-जयकार करने के लिए बिहार में भी आपको दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनानी पड़ेगी। ये सारी दुनिया बिहार की ताक़त को मान लेगी और विकास के रास्ते खुल जाएंगे और बिहार बदल जाएगा। यहाँ आया हुआ एक-एक व्यक्ति 50-50 लोगों को समझाएगा और उन्हें वोट डालने के लिए प्रेरित करेगा और एनडीए की सरकार बनाएगा। मेरे साथ मुट्ठी बंद करके बोलिये -

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

 

 

 

 

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आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।