India has transformed from Nation wants to know to Nation First: PM

Published By : Admin | November 26, 2019 | 19:34 IST
‘From Nation wants to know’ India has transformed to ‘Nation First’: PM Modi
Things which remained unsolved for decades have been solved now: PM Modi
When nation is first, country takes big decision and when country accepts that decision nation moves forward: PM Modi

श्रीमान अर्नब गोस्‍वामी जी, उपस्थित सभी महानुभाव, Republic TV रिपब्लिक भारत की पूरी टीम, यहां उपस्थित सभी गणमान्‍य अतिथिगण, friends.

पिछली बार जब मैं आपके बीच आया था तो Republic TV की ही चर्चा होती थी, लेकिन अब आपने रिपब्लिक भारत को भी स्‍थापित कर दिया है। अभी अर्नब बता रहे थे कि कुछ ही समय में आपकी regional channels launch करने की योजना है और global presence की भी तैयारी कर रहे हैं। इस‍के लिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।

साथियो, आज हमारे स‍ंविधान के 70 वर्ष भी हुए हैं, एक प्रकार से बहुत ही ऐतिहासिक दिवस है। मैं आप सभी और Republic TV के सभी दर्शकों को इस आयोजन की और संविधान दिवस की भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियो, आप सबसे बेहतर भला कौन समझ सकता है कि Nation wants to know- वहां से जो यात्रा शुरू हुई, वहां से Nation first का ये सफर कैसे तय हुआ है। बीते पांच वर्षों में पूरे देश ने इस transformation को देखा है। पांच-छह साल तक पहले जनता में और मीडिया में भी सिर्फ सवाल ही सवाल, सवाल ही सवाल, यही चलता रहता था। और ऐसा लगता था कि जैसे एक Recorded bulletin चला जा रहा है और बीच-बीच में वो ही बातें repeat होती रहती थीं। आमतौर पर चर्चा रहती थी- हजारों करोड़ के घोटाले तो दूसरे सप्‍ताह आता था लाखों करोड़ के घोटाले हैं, कभी भ्रष्‍टाचार के आरोप, कभी मुंबई, कभी दिल्‍ली, कभी जयपुर-बम धमाके, कभी नॉर्थ-ईस्‍ट में blockade, कभी आसमान छूती महंगाई- यानि एक बुलेटिन खत्‍म होता था तो अगली तारीख को वही बुलेटिन फिर आ जाता था और उन्‍हीं सब खबरों के साथ। अब उन हालातों को और परिस्थितियों से देश बहुत आगे बढ़ चुका है। अब समस्‍याओं और चुनौतियों से आगे समाधान पर बात हो रही है। दशकों पुरानी समस्‍याओं का समाधान होते हुए आज देश अपनी आंखों के सामने देख रहा है। और कभी-कभी लोग कह भी रहे हैं कि हमने सोचा नहीं था कि हम जीते जी ये देख पाएंगे, ऐसा कई लोग कहते हैं। और इसके दो प्रमुख कारण हैं- पहला, भारत के 130 करोड़ लोगों का आत्‍मविश्‍वास, जो कहता है-Yes, It is India’s moment, और दूसरा-भारत के 130 करोड़ लोगों की सोच, जो कहती है- Nation first, यानि सबसे पहले देश, सबसे ऊपर देश, सबसे आगे देश।

साथियो, आपको याद होगा   कुछ वर्ष पहले मैंने एक छोटी सी अपील की थी। और मैंने कहा था जिससे संभव हो पाए वो अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दे। छोटी सी अपील थी, लेकिन इस अपील के बाद एक करोड़ से ज्‍यादा लोगों ने अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी, यही तो है Nation first. जुलाई 2017 के बाद से 63 लाख, उससे भी ज्‍यादा senior citizens, जिनको रेलवे में सफर करने पर, यात्रा करने पर सब्सिडी मिलती है, 63 लाख ऐसे passengers जो senior citizens, उन्‍होंने voluntary ली, उस सब्सिडी को छोड़ दिया- यही तो है Nation first. आपको याद होगा अपने गांव में शौचालय बनवाने के लिए 105 वर्ष की एक आदिवासी बुजुर्ग महिला ने अपनी कमाई की एकमात्र साधन-अपनी बकरियां बेच दी थीं। टॉयलेट बनाया और टॉयलेट बनाने की movement चलाई थी- यही तो है Nation first. पुणे के रिटायर्ड टीचर्स जिन्‍होंने स्‍वच्‍छता अभियान के लिए अपनी पेंशन का बहुत बड़ा हिस्‍सा दान कर दिया था- क्‍या ये Nation first नहीं है? कोई खुद से समुद्र तटों की सफाई का नेतृत्‍व कर रहा है, कोई गरीब बच्‍चों का भविष्‍य बनाने के लिए उन्‍हें पढ़ा रहा है, कोई गरीबों को डिजिटल लेन-देन सिखा रहा है। अनगिनत ऐसी बातें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में हैं, और वही, वही है Nation first. साथियो, ये Nation first राष्‍ट्र निर्माण के प्रति प्रत्‍येक देशवासी का समर्पण है। अपने देश के प्रति अपनी जिम्‍मेदारी का भाव है जो आज भारत को नई ऊर्जा दे रहा है। और इसलिए इस बार की summit की जो theme आपने रखी है- India’s moment, Nation first- वो देश के emotion और aspiration, यानि कुल मिलाकर आज के देश के मिजाज को प्रतिबिम्बित करती है, reflect करती है1

साथियो, Nation first की इस भावना पर चलते हुए हमने जो काम किया, उस पर जनता का भरोसा कितना ज्‍यादा है वो आप इस साल के लोकसभा चुनाव में देख चुके हैं। देश की जनता जानती और मानती है कि हमने Nation first को अपना प्राण-तत्‍व मानकर के ही काम किया है।  अब इसी mandate से हमें ये आदेश दिया है कि जनता कि आवश्यकताओं के साथ ही आकांक्षाओं-अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए निरंतर काम हो। आखिर ये अपेक्षाएं क्‍या हैं? ये अपेक्षाएं हैं – देश को दशकों पुरानी चुनौतियों से उस दलदल से बाहर निकालना।

साथियो जब Nation first होता है, तब हमारे संकल्‍प भी बड़े होते हैं और उनको सिद्ध करने के प्रयास भी व्‍यापक होते हैं। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताना चाहता हूं-

साथियो, आर्टिकल 370 और 35ए- इसकी वजह से भारत ने जो भोगा है वो भी आप जानते हैं और अब कैसे इस चुनौती का समाधान किया गया है ये भी आपने देखा है। आर्टिकल 370 को हमारे संविधान में पहले दिन से अस्‍थाई कहा गया है, temporary कहा गया था, लेकिन फिर भी कुछ लोगों और कुछ परिवारों के राजनीतिक स्‍वार्थ की वजह से इसे phychologically स्‍थाई मान लिया गया था। ऐसा करके उन लोगों ने संविधान की भावना का अपमान किया, उसे नजरअंदाज किया। आर्टिकल 370 की वजह से जो अनिश्चितता बनी, उसने वहां अलगाव फैलाने वालों को हौसला-हवा दी। हमारी सरकार ने आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए- इसको हटाकर देश के संविधान की सर्वोपरिता को पुन: स्‍थापित किया है। अब जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में विकास के नए मार्ग खुलने की शुरूआत हुई है।

साथियो, देश के सामने एक और विषय था जो सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा था, दशकों से अलग-अलग अदालतों में इस पर सुनवाई हो रही थी। और ये विषय था अयोध्‍या का। पहले जो दल सत्‍ता में रहे उन्‍होंने इस संवेदनशील और भावात्‍मक विषय को सुलझाने के लिए इच्‍छाशक्ति ही नहीं दिखाई। वो इसमें अपना वोट खोज रहे थे, इसलिए अदालतों में इसे अटकाने के लिए जोर लगाते रहे। कोई कारण नहीं था कि ये विवाद पहले हल न होता। लेकिन कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों की स्‍वार्थ भरी राजनीति ने अयोध्‍या विवाद को इतने दिन तक खींचा। अगर ऐसे लोगों का बस चला होता तो इस विषय को ये लोग कभी सुलझने ही नहीं देते।

सा‍थियो, अपनी राजनीति चमकाने के लिए, अहम विषयों को टालते रहने के लिए कुछ लोगों ने हमेशा देश में भय का एक artificial logic खड़ा किया। भारत अगर ऐसा करेगा तो वैसा हो जाएगा, देश में कुछ इस तरह का फैसला हो गया तो ऐसा हो जाएगा, Escalation हो जाएगा, backlash होगा, interference जैसे logic से वो अपनी बातें justify करते रहते थे।

साथियो, आज 26/11 मुम्‍बई हमले की बरसी है। हम अच्‍छी तरह जानते हैं इस हमले के बाद आतंक के सरपरस्‍तों के साथ कितनी नरमी बरती थी। अब देश आतंक के खिलाफ कैसे कार्रवाई करता है, ये क्‍या मुझे बताने की जरूरत है क्‍या? आतंकियों को सख्‍त कार्रवाई से बचाने वाले सारे logic अब ध्‍वस्‍त हो चुके हैं।

Friends, तीन तलाक का विषय भी इतने दशकों तक ऐसे ही नहीं खींचा गया। इस विषय को भी जितना खींच सकते थे, खींचा गया और वही डर का artificial logic दिखाया गया। इसी तरह गरीबों को आरक्षण के विषय में भी हमेशा एक भ्रम पैदा किया गया। वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने कभी किसी को झूठे दिलासे देकर उकसाया तो किसी को डराकर अपना मतलब निकाल लिया। ऐसा आखिर कब तक चलता रहता। चाहे आर्टिकल 370 हो, अयोध्‍या हो, तीन तलाक हो या गरीबों को आरक्षण- देश ने ऐसे फैसले लिए, पुरानी चुनौतियों का सामना किया और अब आगे बढ़ चला है, और ऐसा नहीं है कि देश विरोधी ताकतों ने लोगों को भड़काने के, अलगाव बढ़ाने के, उकसाने के प्रयास नहीं किए हैं। सब कुछ कोशिशें हुई हैं, प्रयास हुए हैं, लेकिन जनता ने ही उन्‍हें विफल कर दिया और जनता का यही भाव Nation first है। आज समय का चक्र ये भी देख रहा है कि जब Nation first होता है तो देश बड़े फैसले भी लेता है और उन फैसलों को स्‍वीकार करने की क्षमता दिखाकर आगे भी बढ़ता है।

साथियो, बदलते हुए भारत की ये सोच हमारे, आपके, देश के हर राजनीतिक दल के लिए भी एक बहुत बड़ा मजबूत संदेश है। देश की जनता उलझनों में नहीं रहना चाहती। नकारात्‍मकता में नहीं रहना चाहती। वो सिर्फ, सिर्फ और सिर्फ देश का विकास होते हुए देखना चाहती है।

सा‍थियो, नई सफलताओं के द्वार तभी खुलते हैं जब जीवन में चुनौतियों को स्‍वीकार किया जाता है। अब आप अर्णब को ही देख लीजिए, उसका टीवी शो देख लीजिए जो इतनी लम्‍बी-चौड़़ी विंडो बनाकर, इतने सारे गेस्‍ट बुलाकर अर्णब की अदालत शुरू होती है। और ये क्‍या कम रिस्‍की होता है क्‍या? अर्णब के मेहमान भी तो उनके शो में आने का रिस्‍क उठाते ही हैं। खैर मजाक अपनी जगह है। अर्णव ने चुनौती स्‍वीकार की  और इसलिए आज Republic TV जैसा नेटवर्क वो स्‍थापित कर पाए हैं।

साथियो, हमारी सरकार ने न सिर्फ चुनौतियों को स्‍वीकार किया है, बल्कि उनके समाधान को लेकर गंभीरता से प्रयास भी किए हैं। मुझे याद है जब 2014 में सरकार बनने के बाद पिछली सरकार के दौरान हुए एनपीएस और उसे छिपाने के लिए की गई गड़बड़ियों की बात सामने आई थी तो क्‍या स्थिति थी। हमने इस घोटाले को देश के सामने ला करके इससे निपटने का रास्‍ता बनाया। अब insolvency and bankruptcy code (IBC) की वजह से करीब तीन लाख करोड़ रुपये की वापसी सुनिश्चित हुई है। वैसे आपको याद है ना एनपीएस को लेकर कुछ लोगों ने कितना हल्‍ला मचाया था। ये एक पैटर्न का ही हिस्‍सा था। हर संसद सत्र से पहले ये लोग कोई न कोई नया झूठ गढ़ लेते हैं और फिर इसे      सभी पर थोपा जाने लगता है। एक सत्र होगा, एक किसी पसंदीदा जगह कोई खबर छपवाई जाएगी या breaking news बना दिया जाएगा और फिर पूरा उनका इको सिस्‍टम उसे लेकर के उड़ जाएगा। आप लोग मीडिया में तो backgrounder package बनाते हैं, सारी कड़ियों को जोड़ते हैं। याद करिए एनपीएस को लेकर यही पैटर्न चला, ईवीएम को लेकर यही पैटर्न चला, राफेल को लेकर यही पैटर्न चला। कुछ दिन पहले जब सरकार ने ऐतिहासिक रूप से कॉरपोरेट टैक्‍स कम किया तो फिर कुछ-कुछ शुरूआत की गई थी, और आजकल इलेक्‍शन बोर्ड इनका favorite बन गया है।

साथियो, देश में पारदर्शी व्‍यवस्‍था के लिए पारदर्शी तरीके से कुछ भी हो रहा हो तो कुछ लोगों को पेट में दर्द होने लगता है। आप मुझे बताइए- आधार पर विवाद आप सबको याद होगा। यह लोग सुप्रीम कोर्ट तक चले गए थे कि आधार को कानूनी मान्यता न मिल पाए। इन लोगों ने आधार को बदनाम करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी।

साथियो, आज आधार देश के सामान्‍य मानवी के अधिकार सुनिश्चित करने का बहुत बड़ा माध्‍यम बन चुका है, और इतना ही नहीं, आधार Biometric-identification का ये जो डाटा है हमारे पास, दुनिया को अचरज हो रहा है। विश्‍व का कोई देश का नेता ऐसा नहीं होगा जिसने मुझे आधार और आधार की Process, उसके Product, इसके विषय में चर्चा न की हो। इतनी महत्‍वपूर्ण हमारे पास अमानत- विवादों में डाल दो।

साथियो, हमारे यहां आधार के कारण क्‍या परिणाम आए हैं, मैं एक छोटा सा उदाहरण देता हूं- हमारे यहां कागजों में आठ करोड़ से ज्‍यादा, आप हैरान हो जाएंगे, आठ करोड़ से ज्‍यादा ऐसे लोग थे, जो कभी जन्‍मे ही नहीं थे। जन्‍म नहीं हुआ, फिर भी शादी हो गई, widow भी हो गए, widow pension भी चालू हो गया। यह वो लोग जिनका अस्तित्‍व सिर्फ कागजों पर था। यह कागजी लोग गैस सब्सिडी लेते थे, पेंशन लेते थे, तनख्‍वाह लेते थे, स्‍कॉलरशिप लेते थे, सरकार के खजाने से फायदे जाते थे। अब कहां जाते होंगे, वो मुझे बताने की जरूरत नहीं है। आधार ने इनकी सच्चाई सामने लाने में बहुत बड़ी मदद की, और इससे करीब-करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए- मैं दोबारा बोलता हूं- डेढ़ लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बच गए, leakages बच गया, भ्रष्‍टाचार खत्‍म हुआ। डेढ़ लाख करोड़ रुपए कोई कम रकम नहीं है जी। साल दर साल लगभग इतनी ही राशि गलत हाथों में पहुंच रही थी और कोई रोकने वाला नहीं था। सिस्टम की इस बड़ी लीकेज को रोकने का काम हमने किया,  आधार के माध्‍यम से किया। क्‍यों- आप जानते हैं उसके कारण कितने लोगों का नुकसान हुआ होगा। कितने लोगों के जेब भरने बंद हुए होंगे? कितने लोगों के मन में हम कांटे की तरह चुभते होंगे, लेकिन यह सब इसलिए किया, क्योकि Nation first.

साथियो, इन लोगों की चली होती तो देश में GST भी कभी लागू नहीं हो पाता। जीएसटी को भी तो जानकार बहुत बड़ा राजनीतिक रिस्‍क मानते थे। जिस भी देश में इसे लागू किया गया वहां पर सरकारें गिर गई थीं। इस चुनौती ने हमारे कदम रोके नहीं, बल्कि हमने राजनीतिक लाभ-हानि की चिंता के बिना देश के हित में इसे लागू किया। आज GST की वजह से ही देश में एक ईमानदार Business Culture मजबूत हो रहा है और महंगाई पर भी नकेल कसी जा रही है। आज सामान्य नागरिक से जुड़ी, यह शायद मीडिया में दिखाई नहीं दिया जाता है, पता नहीं उनको क्‍या तकलीफ है? आज सामान्य नागरिक से जुड़ी 99 पर्सेंट, मैं बहुत जिम्‍मेदारी के साथ कह रहा हूं, 99 पर्सेंट चीजों पर, पहले के मुकाबले औसतन आधा टैक्स लग रहा है। जीएसटी के पहले जो लगता था उससे आज आधा लग रहा है। एक समय था जब रेफ्रिजरेटर, मिक्सर, जूसर, वैक्यूम क्लीनर, गीजर, मोबाइल फोन, वॉशिंग मशीन, घड़ियां- इन सब पर 31 percent से ज्यादा टैक्स लगा करता था। आज इन्हीं सब चीजों पर 10 से 12 percent तक ही टैक्‍स लगता है। यहां तक कि पहले गेहूं, चावल, दही, लस्‍सी, छाछ- इस पर भी टैक्‍स लगता था। आज ये सब जीएसटी के बाद टैक्‍स फ्री हो गए हैं।

साथियो, मैं आपको एक उदाहरण देना चाहता हूं- दशकों से दिल्ली के लाखों परिवारों के जीवन में बहुत बड़ी अनिश्चितता थी। यानि एक प्रकार से भारत विभाजन हुआ, तब से ले करके। आजाद भारत की उम्र के साथ-साथ इनकी भी मुसीबतें बढ़ती गईं। लोग अपनी मेहनत की कमाई से, जैसे-तैसे पैसे जुटाकर, यहां घर खरीदते थे, लेकिन वो घर पूरी तरह उनका नहीं हो पाता था। ये समस्या निरंतर बनी हुई थी। हमारी सरकार ने इसे खत्‍म करने का फैसला लिया और अब अकेले दिल्‍ली की बात बता रहा हूं मैं। 50 लाख से अधिक दिल्‍ली वालों को अपने घर और बेहतर जीवन का भरोसा मिला है। इसी तरह दशकों से हमारे देश का Real Estate Sector बिना किसी पर्याप्‍त Regulation से चल रहा था। इसका खामियाजा दिल्‍ली-एनसीआर के लोगों ने कितना उठाया है, ये यहां के लोग भली-भांति जानते हैं। लेकिन ये मुसीबत पूरे देश में है। वर्षों पुरानी स्थिति को बदलने के लिए हमारी सरकार ने ‘रेरा’ समेत अनेक कानून बनाए, फैसले लिए। अभी हाल ही में सरकार ने Real Estate के अधूरे और अटके हुए projects को पूरा करने के लिए करीब-करीब 25 हजार करोड़ रुपए जुटाने का काम शुरू किया है। निश्चित तौर पर इसका लाभ हमारे मध्‍यम वर्ग को होगा और उनके सपनों का घर मिलने में उनको मदद मिलेगी। पहले बिल्‍डर कैसे फले-फूले, कैसे मंजूरियां मिलीं, उस दौर के फैसलों को देखेंगे और आज हमारी सरकार के कार्यों को परखेंगे तो फिर स्‍पष्‍ट होगा कि जो Nation First ले करके चलते हैं, उनकी दिशा क्‍या होती है, नीति क्‍या होती है, नियत क्‍या होती है और सामान्‍य मानवी की भलाई कैसे होती है, ये हमारे Nation First के मंत्र से निकलता है।

साथियो, आज भारत में जिस स्‍पीड और स्‍केल पर काम हो रहा है वो अभूतपूर्व है। 60 महीने में करीब 60 करोड़ भारतीयों तक टॉयलेट की सुविधा पहुंचाना, तीन साल से कम समय में आठ करोड़ घरों को मुफ्त गैस कनेक्‍शन से जोड़ना, एक हजार दिन से भी कम समय में 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाना, पांच साल में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों को अपना घर देना, 37 करोड़ से ज्‍यादा गरीब लोगों को बैंकिंग सिस्‍टम से जोड़ना, दुनिया की सबसे बड़ी health  insurance scheme आयुष्‍मान भारत की शुरूआत करना, 50 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देना, करीब 15 करोड़ किसान परिवारों के खाते में सीधी मदद पहुंचाना- इस प्रकार की योजनाएं और प्रोग्राम आप तभी प्‍लान और execute कर सकते हैं जब आप में और आपकी पूरी टीम में Nation First का मंत्र जीवनमंत्र बन जाता है, जब आप स्‍वार्थों से निकलकर सबका साथ सबका विकास और सबका विश्‍वास को नीति और राजनीति का आधार बनाते हैं।

भाइयो और बहनों, Nation First की इसी सोच ने पूर्वोत्‍तर में अलगाव को खत्‍म करने, उसे देश के growth का नया इंजन बनाने के लिए प्रेरित किया है। इसी सोच ने हमें हमें, विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गए, देश के 112 Aspirational Districts पर नई Approach के साथ काम करने की सीख दी

सा‍थियो, Nation First की यही सोच थी जिसने दशकों से चल रहे टीकाकरण अभियान को redesign करने के लिए प्रेरित किया। हमने जानलेवा बीमारियों से बचाने वाले टीकों की संख्‍या तो बढ़ाई, मिशन इंद्रधनुष ने दूर-सुदूर क्षेत्रों तक टीकाकरण अभियान को पहुंचा दिया है।

सा‍थियो, Nation First ने हमें maternity leave को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने का रास्‍ता दिखाया ताकि माताओं को अपने नवजात शिशुओं की पर्याप्‍त देखभाल करने का समय मिल सके।  इसी सोच ने हमें हर स्‍कूल में बच्चियों के लिए अलग शौचालय बनाने का मार्ग दिखाया ताकि बच्चियों को असमय स्‍कूल छोड़ना न पड़े।

साथियो, Nation First  की यही भावना थी जिसने गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए 37 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खुलवाए। देश का सामान्‍य मानवी भी आसानी से digital लेनदेन कर सके, इसी सोच के साथ रूपे कार्ड दिए गए, BHIM एप लॉन्‍च किया गया। आपको जान करके खुशी होगी, अब तक देश में 55 करोड़ से ज्‍यादा RUPAY डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं और इस कार्ड का मार्केट शेयर अब 30 पर्सेंट तक पहुंच रहा है। रूपे कार्ड- ये धीरे-धीरे Global Brand बनने की ओर बढ़ रहा है।

भाइयो और बहनों, Nation First की इसी सोच की वजह से जल जीवन मिशन की शुरुआत हुई। आने वाले समय में इस मिशन पर करीब-करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, ताकि देश के दूर-दराज वाले इलाकों में लोगों को पीने का स्वच्छ पानी मिल सके, हर घर तक जल पहुंच सके।

साथियो, अब लोगों के जीवन को आसान बनाने, उनकी आय बढ़ाने के इरादे के साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का बनाने का लक्ष्य आज देश ने रखा है। मुझे विश्वास है कि Nation First की भावना के साथ काम करते हुए हमें हर फैसले का उचित परिणाम मिलेगा और देश हर लक्ष्य को प्राप्त करेगा।

साथियो, मुझे उम्मीद है कि इस summit में इसी भावना के साथ, नए भारत की नई संभावनाएं, नए अवसरों पर विस्‍तार से चर्चा होगी। और फिर एक बार संविधान दिवस पर, रिपब्लिक परिवार से मिलने का मौका मिला। आपके माध्‍यम से देश और दुनिया में फैले हुए आपके दर्शकों तक अपनी बात पहुंचाने का अवसर मिला। इसके लिए मैं आपका आभारी हूं, और मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

मुझे यहां बात करने का आपने अवसर दिया, इसके लिए भी मैं आपका बहुत आभारी हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi interacts with NCC Cadets, NSS Volunteers, Tribal guests and Tableaux Artists
January 24, 2025
PM interacts in an innovative manner, personally engages with participants in a freewheeling conversation
PM highlights the message of Ek Bharat Shreshtha Bharat, urges participants to interact with people from other states
PM exhorts youth towards nation-building, emphasises the importance of fulfilling duties as key to achieving the vision of Viksit Bharat

Prime Minister Shri Narendra Modi interacted with NCC Cadets, NSS Volunteers, Tribal guests and Tableaux Artists who would be a part of the upcoming Republic Day parade at his residence at Lok Kalyan Marg earlier today. The interaction was followed by vibrant cultural performances showcasing the rich culture and diversity of India.

In a departure from the past, Prime Minister interacted with the participants in an innovative manner. He engaged in an informal, freewheeling one-on-one interaction with the participants.

Prime Minister emphasized the importance of national unity and diversity, urging all participants to interact with people from different states to strengthen the spirit of Ek Bharat Shreshtha Bharat. He highlighted how such interactions foster understanding and unity, which are vital for the nation’s progress.

Prime Minister emphasised that fulfilling duties as responsible citizens is the key to achieving the vision of Viksit Bharat. He urged everyone to remain united and committed to strengthening the nation through collective efforts. He encouraged youth to register on the My Bharat Portal and actively engage in activities that contribute to nation-building. He also spoke about the significance of adopting good habits such as discipline, punctuality, and waking up early and encouraged diary writing.

During the conversation, Prime Minister discussed some key initiatives of the government which are helping make the life of people better. He highlighted the government’s commitment to empowering women through initiatives aimed at creating 3 crore “Lakhpati Didis.” A participant shared the story of his mother who benefited from the scheme, enabling her products to be exported. Prime Minister also spoke about how India’s affordable data rates have transformed connectivity and powered Digital India, helping people stay connected and enhancing opportunities.

Discussing the importance of cleanliness, Prime Minister said that if 140 crore Indians resolve to maintain cleanliness, India will always remain Swachh. He also spoke about the significance of the Ek Ped Maa Ke Naam initiative, urging everyone to plant trees dedicating them to their mothers. He discussed the Fit India Movement, and asked everyone to take out time to do Yoga and focus on fitness and well-being, which is essential for a stronger and healthier nation.

Prime Minister also interacted with foreign participants. These participants expressed joy in attending the programme, praised India’s hospitality and shared positive experiences of their visits.