PM Modi inaugurates Ro-Ro Ferry Service between Ghogha and Dahej

Published By : Admin | October 22, 2017 | 11:39 IST
The history of human civilisation illustrates the vitality of rivers and maritime trade: PM Modi
Ro-Ro ferry service will bring back to life our glorious past and connect Saurashtra with South Gujarat: PM Modi
In the last three years, a lot of importance has been given to the development of Gujarat: PM Modi
Gujarat has a long coastline, steps have been taken in developing coastal infrastructure: PM Modi

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today inaugurated Phase 1 of the RO RO (Roll on, Roll off) ferry service between Ghogha and Dahej. This ferry service shall reduce the travel time between Ghogha in Saurashtra, and Dahej in South Gujarat, from about seven or eight hours, to just over an hour. Phase 1, inaugurated today, enables passenger movement. When fully operationalized, this ferry service will also enable movement of vehicles.

The Prime Minister inaugurated the Sarvottam Cattle Feed Plant of Shree Bhavnagar District Cooperative Milk Producers Union Ltd.

Addressing a large gathering on the occasion, the Prime Minister said that he is happy to be in Gujarat to personally convey new year greetings. He said that this programme, for the launch of a ferry between Ghogha and Dahej, is of vital importance for the entire nation. Noting that this ferry service is a first of sorts, the Prime Minister said it is a dream come true for people of Gujarat.

He said that the history of human civilisation illustrates the vitality of rivers and maritime trade. Gujarat is the land of Lothal; how can we forget these aspects of our history, he added. This programme is to bring back to life our glorious past; and connect Saurashtra with South Gujarat, the Prime Minister said. The Prime Minister said that people from these two regions frequently travel to and fro; and this ferry service will save a lot of time, as well as fuel.

The Prime Minister said that in the last three years, a lot of importance has been given to the development of Gujarat. He said Gujarat has a long coastline, and we should harness the opportunities that arise out of this. He said that steps have been taken in developing coastal infrastructure. This ferry service too, he added, would not be restricted to this one route. He said that other places too would be linked through ferries. He said the goal of the Union Government is to make the transport sector integrated, and state-of-the-art.

The Prime Minister travelled on the maiden voyage of this service, from Ghogha to Dahej. During this voyage, he was given a briefing about the ship, and the ferry service. He also interacted with divyangjan children on board the ship.

Addressing a gathering in Dahej, the Prime Minister said that the Government's vision is ports for prosperity. India needs better ports and more ports, he added. Without proper connectivity, the economic development of a nation slows down, he asserted, adding that the Government has focused on port infrastructure.

The Prime Minister mentioned the Government's stress on the blue economy, which he said is integral to the vision of a new India.

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September 13, 2024

प्रधानमंत्री – आज मुझे आपको सुनना है। आप लोगों के क्या अनुभव रहें, वहां सबसे मिलते होंगे, कुछ ना कुछ अच्छी बातें हुई होंगी। वो मैं जरा सुनना चाहता हूं।

कपिल परमार - सर नमस्ते। हर-हर महादेव सर।

प्रधानमंत्री – हर-हर महादेव।

कपिल परमार – सर मैं ब्लाइंड जूड़ो से कपिल परमार 60kg खेलता हूं सर, और मेरा एक्सपीरियंस यह रहा की मैंने बहुत ज्यादा कंपटीशन खेल लिए थे 2021 से लेकर। तो मैंने 16 कंपटीशन खेले सर, जिसमें मेरे 14 में मेडल थे जिसमें मेरे आठ में मेरे गोल्ड थे, ब्राउन सिल्वर एशियन गेम में भी मेरा सिल्वर था, वर्ल्ड गेम में ब्रोंज था और वर्ल्ड चैंपियनशिप ब्रोंज था तो सर मेरा डर निकल गया था। ओलंपिक का इतना परेशान नहीं था, क्योंकि मैं कंपटीशन बहुत ज्यादा खेल लिए थे सर। तो सर मेरा एक्सपीरियंस ये है कि थोड़ा सा प्रेशर था तो हमारे देवेंद्र भाई साहब झांझरिया जी भाई साहब ने मेरे से एक बात बोली थी कि अपने को अपना बेस्ट देना है। बोला था कि जो आप प्रैक्टिस में करते हो वही आपको करना है। और सर मेरे कोच हैं उनका भी मेरे मनोरंजार जी, उन्होंने बहुत आशीर्वाद दिया, क्योंकि हम लोगों को संभालना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। क्योंकि सर हम हर कहीं टकरा जाते हैं और कोई हमसे आकर टकरा जाता है तो मैं उनसे पूछता कि आप ब्लाइंड हो कि मैं ब्लाइंड हूं। सर बहुत बार ऐसा होता है तो बस सर के हाथ पकड़ कर चलते हैं, हाथ पकड़ कर आते हैं तो थोड़ा बहुत जो दिखता है उसमें अपना काम कर लेते हैं सर, और सर आपका बहुत आशीर्वाद रहा।

प्रधानमंत्री - अच्छा कपिल उस दिन तुमने मुझे बताया कि स्टेडियम में से कपिल कपिल कपिल इतनी आवाज आ रही थी, तो मैं मेरे कोच की सूचनाएं सुन नहीं पा रहा था। वो मैं actually experience करना चाहता हूं कैसे,आपके कोच कहां है? सर जरा बताइए क्या मुश्किल होता है!

कोच - सबसे अहम बात है ब्लाइंड जूडो में कि जो instructions हम लोग बाहर से देते हैं, जो इनको सिखाया जाता है, उसमे हम लोग एक कोडिंग करते हैं कि एक जब हम जाएंगे तो यह यह बोलेंगे तो तुम्हें यह करना है, क्योंकि वहां दिखता तो है नहीं कुछ। तो उसे दिन हमारे साथ 2 mat area थे! 1 mat पर हमारी bout चल रही थी फाइट और दूसरे पर जो है वह फ्रांस की फाइट चल रही थी और फ्रांस की फाइट में इतना शोर हो रहा था करीब 15 से 18000 दर्शक वहां थे। तो जिसकी वजह से जब यह सेमीफाइनल खेलने गए तो जो मैं बोल रहा था वह यह नहीं समझ पा रहे थे और definitely क्योंकि सेमीफाइनल का एक प्रेशर था और जो खिलाड़ी था ईरान का उससे पहले यह सेमीफाइनल फाइनल में एशियाई खेलों में हारे थे। तो यकीनन उसका भी प्रेशर होगा। तो इस वजह से यह उसे दिन हमें भारत के लिए गोल्ड मेडल नहीं ला पाए

प्रधानमंत्री - तो सामने का जो कोच होगा वो भी अपने प्लेयर को इसी प्रकार से सूचना करता होगा।

कोच - जी जी, वह भी अब यह depend करता है coach to coach. कि वो जैसे हमारा इनका tie up जो भी हमारे coaches हमारे coaches जो खिलाड़ी है उनके साथ यह है कि हम लोग यह देखते हैं कि कौन किस तरीके से सिखाता है तो हम different उसकी जो है सोच में।

प्रधानमंत्री - मतलब कोच को भी औरों से अपने आप को अलग secret रखना पड़ता है।

कोच - रखना पड़ता है बिल्कुल बिल्कुल, क्योंकि वही चीज हम कहेंगे, वो कहेगा तो फिर नहीं समझ पाएगा।

प्रधानमंत्री – अच्छा आपको इसको कहना है कपिल को, कि कपिल बाईं ओर से ठोको, तो क्या बोलेंगे आप?

कोच - हमारा कहना यह होता है सर।

प्रधानमंत्री – कपिल ऐसा ही होता है ना?

कपिल परमार- सर हम बोलते हैं कि हम मार दें, तो मगर अटैक तो करता हूं कभी खाली चला जाता है तो वापस खड़ा हो जाता हूं।

कोच - लेकिन टेक्निक का नाम बताते हैं। जो पोजीशन आगे पीछे पांव की दिखती है तो वो टेक्निक का नाम जो इनको सिखाया होता है, वो बताते हैं तो फिर ये वो अप्लाई करते हैं। क्योंकि कहां पर आफ बैलेंसिंग हो रही है, आगे हो रही है, पीछे हो रही है, तो वह टेक्निक बताते हैं।

प्रधानमंत्री - तो आप सामने वाले की पोजीशन भी बताते होंगे?

कोच - जी जी जी बिल्कुल उसके जो movement होते हैं। जैसे उसने आगे किया वेट उसका आगे जा रहा है तो हम आगे वाली टेक्निक उसको मार सकते हैं। ऐसे ही अगर उसने पीछे वेट किया या पीछे मुंह कर रहा है तो पीछे वाली टेक्निक बताते हैं और जिससे कि हम उसके पॉइंट लेते हैं।

प्रधानमंत्री - आप जब वहां बैठे होते हैं तो आपके भी हाथ पर हिलते होंगे?

कोच - बहुत ज्यादा और बस बस नहीं चलता है कि हम लोग भी mat पर चले जाएं as a coach.

कपिल परमार - सर ऐसा हो रहा था कि सेमीफाइनल में जो रेफरी थे, जो मेरे हाथ पकड़ कर ले जा रहा था उनके हाथ खुद हिल रहे थे। क्योंकि बड़े मैच में उनको भी decision गलत दे दिया। जैसे थर्ड अंपायर रहता है पूरा उसके बाद ही बताया जाता है पर मेरा decision बहुत जल्दी दे दिया था रोल करके, वो मेरी भी गलती रही कुछ सेमीफाइनल में मैं दब गया। पर next time में सर आपसे वादा करता हूं।

प्रधानमंत्री – नहीं आप बहुत अच्छा कर रहे हो बहुत बधाई हो।

कपिल परमार – Thank You Sir, Thank You So Much.

कोच - जय हिंद सर, मैं एक सोल्जर हूं और मेरी वाइफ है सिमरन शर्मा और एक मेरे पास प्रीति है मैं athletic का एक कोच हूं para athletic का। तो मेरे दो athlete हैं। दोनों 100-200 मीटर करते हैं और फर्स्ट टाइम जो एथलेटिक में ट्रैक में मेडल आया है सर मेरे ही एथलीट लेकर आए हैं अभी। और तीन मेडल आए हैं हमारा काफी वहां पर सीखने को मिला सर। जैसे कि वहां पर हमारा 100 मीटर में एक इवेंट में मतलब दो मेडल आ गए। तो दो मेडल एक ही रूम में दो एथलीट है 100 मीटर के दोनों के दोनों पहली बार खेलने जा रहे हैं। देश के लिए पहली बार मेडल जीतने के लिए जा रहे हैं ट्रैक में। तो जब दो मेडल एक रूम में रखे हों और दूसरे खिलाड़ी का अभी इवेंट भी ना हुआ हो तो उस प्रेशर को मैं as a coach as a husband मैं कैसा feel कर रहा हूं। मैं उसको समझ रहा हूं दूसरे एथलीट जो है उसका गेम भी नहीं हुआ और उसमें दो मेडल रखे हैं। हाई प्रेशर है कि भई मेरा तो मेडल भी नहीं आया उसके दो मेडल आ चुके हैं। तो उसको उससे बाहर निकालने के लिए बार-बार उसको मुझे engage करना पड़ रहा था, बहुत busy रखना पड़ रहा था पूरे दिन। तो वहां से बहुत कुछ सीखने को मिला हम 100 मीटर में हार गए सर।

प्रधानमंत्री- अच्छा वहां तो तुमने दिन निकाल दिए अब घर में क्या होगा तेरा। हैं सिमरन।

सिमरन- सर, यह जितना अच्छा बनकर दिखा रहा है इतना है नहीं। जब हम यहां पर आए थे तो यहां से जाने से पहले बात हुई थी। Actually हम दोनों में यह बात होती थी कि ट्रैक को पहला मेडल कौन देगा। तो फिर जब इवेंट लिस्ट आई तो उसमें पता चला कि प्रीति का इवेंट पहले है तो हम sure हो गए थे कि पहला मेडल तो ये ही देगी। तो जब हम यहां पर आए तो उससे पहले यह गज्जू, मतलब यह कोच बोल रहे थे कि तुम्हें एक महीने का रेस्ट दिया जाएगा। फिर उसके बाद जब अभी हम यहां पर आए, अभी हम सुबह ही बात चल रही थी तो सुबह मेरे से बोल रहे थे कि एक वीक का रेस्ट मिलेगा और उससे ज्यादा का नहीं मिलेगा। तो मैंने बोला क्यों नहीं मिलेगा तो बोल रहे ब्रॉन्ज मेडल पर इतना ही मिलता है।

प्रधानमंत्री- अब तुझे खाना नहीं मिलेगा।

कोच - Thank You Sir.

खिलाड़ी- यह मेरा तीसरा पैरालंपिक था। मैं पिछले में भी आपसे मिला था आपने मुझे बहुत मोटिवेट किया था लेकिन शायद इस बार भी थोड़ी कसर रह गई। मैं रियो पैरालंपिक में भी चौथा था, टोक्यो में भी चौथा था और इस बार पेरिस में भी चौथा हो गया सर। तो सर यह चार नंबर मेरे से कुछ ज्यादा ही प्रेम में है तो मैं इसी चार नंबर को शायद मोटिवेशन में लेता हूं तो सोचता हूं कि अगला मेरा चौथा पैरालंपिक होगा तो शायद चौथे में मैं कुछ करूं और जैसे कि सर मैं अपने आप को फैलियर तो नहीं कहूंगा। जैसा कि मैं पारा की हिस्ट्री में ना कि इंडिया की में, All over the world पैरा की history में मैं अकेला ही ऐसा एथलीट हूं जो इतने बड़े इवेंट में इतनी बार ऐसे रहा है! तो फिर मैं कहीं ना कहीं सोचता हूं कि ओलंपिक में ऐसी कई history हैं। जैसे कि एक discuss thrower भी है फ्रांस की, जिनका 5वे ओलंपिक में सिल्वर मेडल आया। एक Tripple jumper भी हैं शायद USA के हैं, कहां के हैं उनका पांचवे ओलंपिक में मेडल आया। तो शायद मैं फिर अपने आप को यह भी मोटिवेशन देता हूं कि तू पहला एथलीट पैरा वर्ल्ड में बनेगा जो जो सबको मोटिवेशन देगा कि भाई जब उसने चौथे में जीता था तो तुम लोग पहले में क्यों हार मान रहे हो। यहां कुछ एथलीट्स ऐसे हैं जैसे की यह गुड़िया है यह फोर्थ है काफी लोग फोर्थ हैं तो यह निराश हो रहे हैं। तो मैं इसमें भी थोड़ा ठीक feel कर रहा हूं कि इनके coaches ऐसे कह रहे हैं उसको देख लो।

प्रधानमंत्री- देखिए मैं समझता हूं कि यह आपका जो जीवन की तरफ देखने का दृष्टिकोण है ना वह शायद आपकी सबसे बड़ी ताकत है। आप तो एक नया लॉजिक निकालो कि मैंए दुनिया को इतना दिया है, कि मेरे रहते हुए अब तक नौ लोगों को आगे किया है मैंने चौथे पर रहकर के।

खिलाड़ी- सर कोई बात नहीं मतलब अभी समय नहीं है but इस बार जो रहा है। वो शिष्यों का समय रहा है। हम तीन एथलीट ऐसे हैं जो अपने शिष्यों को सपोर्ट कर रहे हैं। देवेंद्र भाई साहब हैं इनके शिष्य का गोल्ड आया है और एक और है सोमनराणा हैं उनके शिष्य का ब्रॉन्ज आया है और मैं नवदीप का कोच नहीं हूं but मैं नवदीप का गुरु हूं। इसको मतलब जैवलिन स्टार्ट से लेकर आज तक की journey as a बड़े भाई, गुरु के तौर पर रहा है। तो इस बार मैंने नवदीप को दे दिया कि इस बार तू ले जा। लेकिन अगली बार सर जरूर पूरा promise करता हूं मेरा रहेगा और सर बीते तीन ओलंपिक जितने भी पैरालंपिक मैंने देखे हैं। उसमें मैंने यह feel किया है कि जैसे सभी लोग बात करते हैं कि ये country इतनी बड़ी है तो expectations पहले ही लेकर जाते हैं बहुत तगड़े गेम्स होंगे बहुत तगड़े गेम्स होंगे लेकिन सर मुझे ऐसा believe है। अगर इंडिया 2036 का ओलंपिक पैरालंपिक करवाती है तो मुझे नहीं लगता धरती का उसे तगड़ा इवेंट कहीं पर हुआ होगा। सर हम उसमें भी अपनी उसमें पूरी कोशिश करेंगे की बुढ़ापे में भी देवेंद्र भाई साहब को एक आइडल मानते हुए अपने हाड़ गोडों को बचाते हुए उसमें कोशिश करेंगे कि उसमें भी खेल पाए।

प्रधानमंत्री- हीं नहीं, आपका जीवन की तरफ देखने का ये दृष्टिकोण है ये अपने आप में बहुत ही inspire करने वाला है कि भाई मैं आगे भी कुछ करुंगा और करके रहूंगा। मैं आपको बधाई देता हूं।

खिलाड़ी-Thank You Sir.

कोच- नमस्कार जी।

प्रधानमंत्री- नमस्कार जी

राधिका सिंह- मैं मेंटल कोच हूं राधिका सिंह शूटिंग टीम के साथ और आप कह रहे थे कि अपना एक्सपीरियंस शेयर करें और सबसे ज्यादा जरूरी है एक ग्रुप की मोहब्बत एक दूसरे के लिए। तो शूटिंग टीम में कोई एक दूसरे से compete नहीं कर रहा है सब अपने आप से compete कर रहे हैं तो वो आगे बढ़ रहे हैं और जितनी भी उनकी क्षमता है, जितनी तैयारी है, उसके आगे वो अपनी weakness नहीं देख रहे, strength नहीं देख रहे, वो अपनी स्पोर्ट के लिए मोहब्बत देख रहे हैं। तो यह बहुत बड़ी बात है कि हमारी टीम बहुत जुड़ी हुई रही और although मैं एक ही इवेंट के लिए दो बच्चों को तैयार कर रही थी। कोई competitiveness नहीं था, उनमें तो यह बहुत बड़ी ताकत है कि हम आपस में मोहब्बत से आगे बड़े और वह मोहब्बत स्पोर्ट्स में दिखती है सर।

प्रधानमंत्री - नहीं आप ये मेंटल हेल्थ को करती हैं तो उसमें क्या क्या करती हैं?

राधिका सिंह - सर जो subconscious mind है 90% जो दिमाग होता है उसमें कोई कमजोरियां हैं तो उनको चेंज करना और जो आपकी स्ट्रेंथ हैं उनको आगे लाना अपनी personality से जोड़ना और अपने आप को आगे लेकर चलना।

प्रधानमंत्री- नहीं कोई इन लोगों का योगा का संबंध कोई मेडिटेशन का संबंध ऐसी कुछ specific training वगैरह आप लोग करते हैं?

राधिका सिंह - सर योगा भी है हमारी टीम में एक योग भी कराते थे। तो रोज सुबह मेडिटेशन होती थी रोज शाम को जो भी सीखते थे बच्चे वो रोज दोहराते थे। मतलब रोज मेंटल ट्रेनिंग करते थे अपनी। तो वह टाइम उनका रेंज पर प्रैक्टिस, उनका योगा से प्रैक्टिस मतलब टीम में बहुत ऑर्डर रहा सर।

प्रधानमंत्री - तो दुनिया के बहुत देशों के स्टूडेंट्स खिलाड़ी होंगे जो योगा मेडिटेशन नहीं जानते होंगे। तो हमारे लोगों का क्वालिटी में क्या फर्क पड़ता है?

राधिका सिंह - जी बहुत फर्क पड़ता है because आप अपने अंदर के दिमाग को जब कंट्रोल ले आओ तो आप अपनी गेम को बहुत आगे लेकर जा सकते हो। तो ये आपने भी बहुत अच्छा किया है कि योगा हमारे country में बहुत बढ़ाई है और I think School’s में सर इसको आप सब्जेक्ट बनाएं। Because इसमें जो साइंस में जो शक्ति है वह किसी और चीज में नहीं सर।

प्रधानमंत्री - बधाई हो।

राधिका सिंह – Thank You Sir.

कोच- पहले तो बहुत बड़ी खुशी की बात की कपिल ने ना ही पैरा जूडो में जबकि able जूडो में भी पहला भारत को मेडल दिया है। अब तक able या पैरा जूडो में कोई मेडल नहीं था और कपिल के नाम एक और history है, कि Visually impaired in any game का पहला मेडल भी कपिल ने इंडिया को दिया है। So हम सब लोगों को उसकी बधाई। हमारे जो जूडो के टॉप शॉट्स हैं, वर्ल्ड के उन सब लोगों ने पर्सनली पोडियम से उतर के आकर हम लोगों को congratulate किया, बोले we didn't expect such a quick uprise in para judo. So hats off to you guys and sir वो हम लोग अकेले नहीं कर सकते थे। SAI, OGQ phenomenal सपोर्ट हम लोगों को मिला है and of course the government of India I mean needless to say. तो Sir Thank You So Much and जितने और कोचेस हैं UK, USA जो हम लोगों के अच्छे फ्रेंड्स हैं कोरिया वह सब लोग आए बोले we knew you are going up ahead but we didn't realise you gone up so soon. So we felt very proud and Thank You to the entire team that is backing us up. Thank You So Much Sir.

प्रधानमंत्री - बहुत-बहुत बधाई।

कोच- मैं संदीप चौधरी जी के लिए एक बात कहूंगा- गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चलते हैं। तो ये आपने सबको यह बताया जो घुड़सवार होता है वहीं गिर सकता है बच्चे कभी नहीं गिरते। तो यह मेरा आपके लिए बहुत बड़ी, और सर मैं हरविंदर के लिए बताऊंगा, शीतल हरविंदर मैं आर्चरी से हूं तो जैसा मैडम ने बताया कि जूडो में हरविंदर का पहला आर्चरी able और पैरालंपिक में फर्स्ट मेडलिस्ट है टोक्यो में ब्रोंज और अभी हिस्ट्री में फर्स्ट इसका मेडल है जो able के बराबर शूट करके आया है 28, 28, 29. लास्ट aero आपने देखा होगा सर बिल्कुल क्लोज टू था अगर वो 10 लगता तो हम किंबूजिन और अपना ब्रेडलिएरशन (नाम स्पष्ट नहीं) के बराबर शूट कर देते।

अमीषा - नमस्ते सर, मेरा नाम अमीषा है और मैं उत्तराखंड से हूं। यह मेरा पहला पैरालंपिक था और मैं बहुत grateful हूं कि मुझे 2 साल में मैंने अपना गेम स्टार्ट किया है। 2 साल ही हुए हैं और 2 साल में मैंने लाइफ में इतना बड़ा experience लिया मुझे बहुत ज्यादा कुछ सीखने को मिला and thank you to my coach जिन्होंने मुझे कॉन्फिडेंस दिया कि मैं कर सकती हूं क्योंकि मैं बहुत डरी हुई थी तो आपने कहा था कि वहां लोगों को observe करना।

प्रधानमंत्री – अब लोग डरते होंगे, पहले आप डरी थीं, अब लोग डरते होंगे।

अमीषा - आपने कहा था कि लोगों को observe वगैरह करना है तो मैंने वह भी बहुत किया और बहुत कुछ सीखने को मिला है।

प्रधानमंत्री - परिवार में से क्या रिस्पांस है अब। परिवार के तुम्हारी फैमिली के लोग क्या कहते हैं?

अमीषा - अब तो फैमिली बहुत खुश है और वो पहले से ही सपोर्ट करते थे लेकिन अब और ज्यादा सपोर्ट करती है।

प्रधानमंत्री - और ज्यादा दे रहे हैं।

सुमित अंतिल- नमस्ते सर मेरा नाम सुमित अंतिल है और मैं बैक टू बैक सेकंड गोल्ड मेडल है सर मेरा। मेरे को अभी भी याद है सर जब टोक्यो में गोल्ड लेकर आया था तो आपने मेरा promise लिया था कि ऐसे ऐसे से दो गोल्ड और चाहिए मेरे को, तो यह दूसरा सर आपके लिए है। क्योंकि उसके बाद में जैसे जब पैरालंपिक से पहले हम काफी nervous थे क्योंकि मैं आर्टिकल्स पढ़ रहा था कि हर तरफ मोस्ट फेवरीट रहता है एथलीट जो गोल्ड मेडल को डिफेंड करेगा उसमें मेरा भी नाम था। But जब 20 अगस्त को आपसे बात हुई तो वही पल याद आ गया सर टोक्यो वाला कि अबकी बार फिर से अच्छा करना है और हमारे साथ में मेरी पूरी टीम है सर मेरे फिजियो, मेरे कोच, हम सभी की तरफ से सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। क्योंकि हमें ये लगता है सर कि मेडल लेकर आएंगे तो आपसे मिलेंगे, आपसे पर्सनली बात करेंगे और बहुत-बहुत धन्यवाद सर आपका।

प्रधानमंत्री - बधाई हो।

एथलीट- जैसे हम सारे लोग mostly sponsored athlete हैं गवर्नमेंट से different organisation से। तो वहां से कभी ना कभी ऐसा प्रेशर आता रहता है की आपको परफॉर्म करना है यह सारी चीज़ें। जब आप बोलते हो कि आप जाओ बस खेलो जीत हार तो लगी रहती है पर नीचे वाले यह सब ऐसे लगते हैं कि अरे देख लेंगे इन्हें क्या जाता है। और जब अपने देश का प्रधानमंत्री हमें मोटिवेट कर रहा है तो यह बहुत छोटी चीज लगने लगती है। लास्ट टाइम सर मैं आपसे बात की थी मैं टोक्यो इतना अच्छा नहीं रहा था मेरा। उसमें मेरा 8th रैंक रही थी फिर भी मैंने आपसे एक question पूछा था कि आप जब विदेशी जगह पर जाते हैं आपका एक्सपीरियंस कैसा रहता है? आप nervous feel करते हैं क्या करते हैं? तो जो आपने जवाब दिया था कि आपके साथ आप पूरा देश represent करते हो तो आपको confidence यह सारी चीज़े। तो इन्हीं चीजों के साथ इस बार मैं भी गया था तो सारी चीज़े हमें ऐसे एकदम confidence दे रही थी। वो सब लास्ट टाइम जैसा प्रेशर नहीं था मैं अपने आप को confident फील कर रहा था और हमारी टीम ने गवर्नमेंट ने, हमारे कोच साहब ने, सब लोगों ने बहुत अच्छे सपोर्ट किया और यह कंपटीशन खेल कर कर बहुत मजा आया सर. Thank You Sir!

प्रधानमंत्री - बधाई हो।

कोच व एथलीट- सर नमस्कार, जो मैंने 16 साल से तपस्या की थी और कहीं ना कहीं मेरा स्टूडेंट है धर्मवीर, जिसका गोल्ड मेडल आया है। हम दोनों आपस में एक दूसरे के कंपीटीटर भी हैं और उसको मैं खुद ट्रेनिंग कर कर लेकर आया। तो कहीं ना कहीं आपसे बात हुई थी 20 तारीख को तो यह लगा था कि बहुत पॉजिटिव एक vibe आईं थी कि आपको अपना बेस्ट करना है और एक कोच के लिए इससे बड़ी इससे बड़ी बात नहीं हो सकती कि शायद मैं अकेला ही एथलीट होउंगा वर्ल्ड में जो अपने स्टूडेंट के साथ कंपटीशन कर रहा था ग्राउंड में। और कहीं ना कहीं मेरी तपस्या सफल हुई सर धर्मवीर के मेडल से और इसमें बहुत बड़ा contribution रहा, सर हम लोगों की टीम में क्योंकि हमारी सबसे severe disability है। तो SAI ने और Ministry ने जो decision लिए हम लोगों के supporting स्टाफ में आदमी बढ़ाकर वहां बल्कि 33 पर्सेंट का ही ratio था की 33 पर्सेंट ही लोग अंदर रह सकते हैं सपोर्टिंग स्टाफ में! तो देवेंद्र भाई जी ने बहुत अच्छा डिसीजन लिया उसको रोटेशन में करते रहे जब हमारे इवेंट आए, हमारे लोगों को अंदर ले आए और दूसरे लोगों को बाहर कर दिया तो बहुत अच्छा combination हुआ, उसका यही फायदा हुआ कि सर हमारे इतने मेडल आए। SAI का भी जैसा हमारा खाने का था वहां Indian food की बहुत problem थी और vegetarian के लिए बड़ी दिक्कत थी तो SAI ने जो अंदर कैंप के विलेज के अंदर ही जो खाने का arrange किया वह इतनी अच्छी healthy diet थी कि किसी को भी प्रॉब्लम नहीं आई सर। तो बहुत-बहुत धन्यवाद सर पूरी टीम का और हम लोगों को इतना मोटिवेशन करने के लिए. Thank You So Much Sir.

प्रधानमंत्री- बधाई हो।

खिलाड़ी -एशियन गेम्स में मैं participants रह गई थी, मेडल नहीं जीत पाई थी तो जब आप सब से मिल रहे थे मेडलिस्ट से आगे मिल लिए थे तो आप आए और लाइन से सब जगह पर दोनों तरफ आमने-सामने लाइन लगी हुई थी तो कुछ लोगों से यहां मिलकर आप उस तरफ मुड़ गए थे तो बहुत नजदीक से मैंने आपको देखा लेकिन मैं मिल नहीं पाई बात नहीं हो पाई तो वह अंदर एक tease थी कि अब दोबारा तो मिलना ही है और उसके लिए मैंने एशियन गेम्स के बाद जान लगा दी थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, उनसे पर्सनली मिलना ही है। तो उसे शायद मुझे inspiration मिली और मैं कर पाई। मेरे बच्चों को मैंने 6 महीने हो गए मैं मिली नहीं, घर ही नहीं गई, तो मेरा बेटा छोटा है तो उसे जब भी घुमाने लेकर जाती थी मोबाइल में जीपीएस लगाकर तो उसे पता है मोबाइल में रास्ता ढूंढ़ लेते हैं तो वह ऐसे बोलने लग गया मुझे की मम्मा आप रास्ता ही भूल गए घर का आप जीपीएस फोन में लगाकर घर तो आ जाओ कम से कम। तो Sir Thank You So Much आप लोगों का सबका बहुत सपोर्ट रहा है, आशीर्वाद रहा है, जिसकी वजह से हम लोग कर सकें हैं पूरी टीम का सपोर्ट रहा है हमारे हमारे कोचेस का तो Thank You So Much Sir!

प्रधानमंत्री - बहुत बधाई हो।

शरद कुमार- सर मैं शरद कुमार हूं और मेरा यह सेकंड मेडल रहा है मैं थर्ड टाइम पैरालंपिक गया हूं।

प्रधानमंत्री - शरद और संदीप दोनों को भाषण करने को बोलूं तो कौन सबसे ज्यादा अच्छा करेगा?

शरद कुमार- सर संदीप बहुत अच्छा बोलता है शायद इसलिए थोड़ा सा fourth रह गया। सर but मैं as an एथलीट मैं यह कहना चाहता हूं कि जब से पैरा मूवमेंट स्टार्ट हुआ है मैं तब से जुड़ा हुआ हूं इससे और आज इस लेवल पर सारे एथलीट हैं मुझे खुद proud feeling होता है। इन सबको जिस तरह से जब जाते हैं, कोचस Coaches, Physiotherapist सब एक टीम जब हम लोग बाहर जाते हैं तो इंडिया को अब ऐसे लोग देख रहे हैं कि ये पहले सोचते थे यह लोग आगे आ सकते हैं? लेकिन अब पैरा में इन्होंने categorise कर दिया कि इंडिया एक sporting nation already है और सर यह of course SAI की सबसे पहले इमेज से स्टार्ट हुआ। और फिर हम लोग सपोर्ट स्टाफ आने लग गए और एथलीट्स में भी जिस तरह positivity आया और सर main तो एक और है आपसे मिलने और जाने से पहले आप जो सबसे बात करते हो और फिर आने के बाद सबसे मिलते हैं। I think सारे medalist सारे athlete यही सोचते हैं कि हमें यही मौका मिले, सर लोग पैरा को अभी तक अपनाए नहीं जिस तरह आपने अपनाया है।

पलक कोहली- नमस्ते सर, I am Palak Kohli और यह मेरा सेकंड कंसेक्युटिव पैरालंपिक था। और टोक्यो में मैं fourth finish किया था और यहां पर मैंने fifth finish किया। But दोनों इस पैरालंपिक जाने का मेरा journey बिल्कुल ही different था। मेरे को after Tokyo Paralympics 2022 में सर bone tumor हो गया था, स्टेज 1 कैंसर हो गया था and near to one and half year मैंने कुछ भी कंप्लीट नहीं किया कोई टूर्नामेंट कुछ भी नहीं किया and last year मैं 2023 में comeback किया and मैं काफी हैप्पी हूं और काफी प्राउड हूं कि मेरे मेरे सपोर्टिंग स्टाफ मेरे कोचेस गौरव सर के सपोर्टर गाइडेंस के कारण में क्वालीफाई कर पाई पेरिस के लिए। And मेरे बहुत सारे मेजर टूर्नामेंट आफ्टर टॉक्यो छूट गए थे वर्ल्ड चैंपियनशिप because मेरे को walk over देना पड़ा। एशियन गेम्स में मुझे कोविड हो गया था। इस ईयर मैंने वर्ल्ड चैंपियनशिप क्वालीफाई किया और मैं ब्रॉन्ज मेडल जीता and फिर मैंने पेरिस के लिए क्वालीफाई किया बैक टू बैक। मेरा वर्ल्ड रैंकिंग एकदम 38 लास्ट हो गया था because मैंने टूर्नामेंट नहीं खेले थे and again से मैंने अपना आपको टॉप 4 वर्ल्ड नंबर 4 में आई हूं और मैंने पेरिस के लिए क्वालीफाई किया। थर्ड डिसएप्वाइंटिंग है कि मैं मेडल नहीं जीत पाई but आपकी blessings और सबके साथ I think I am looking forward for LA 2028 and it definitely sir I like to have a picture on the podium with you Sir, Thank You Sir.

प्रधानमंत्री - पलक पिछली बार तो तुम लखनऊ में तुम्हारी ट्रेनिंग हुई थी।

पलक कोहली – Yes Sir, Yes Sir.

प्रधानमंत्री - तुम्हारे मम्मी पापा से भी मेरी बात हुई थी।

पलक कोहली - Yes Sir, Yes Sir. टोक्यो जाने से पहले।

प्रधानमंत्री - इस बार क्या मूड है?

पलक कोहली - सर अब मैं लखनऊ में ही गौरव सर यहां पर है सर के under ही ट्रेनिंग कर रही हूं और मैंने उन्हीं के गाइडेंस में मेरे को पैरा बैडमिंटन पता चला था and घर में like जब मुझे bone tumor हो गया था तो काफी सारे लोग बोल रहे थे कि you know पलक का तो करें खत्म sports में and all, and डॉक्टर ने बताया था कि अब हम कुछ एश्योरिटी नहीं दे सकते आप नॉर्मल लाइफस्टाइल भी हो पाओगे कि नहीं and उसके बाद सर काफी कॉम्प्लिकेशंस रहे। मेरे को एक डिसेबिलिटी मेरे हार्ट में ऑलरेडी था। और मेरे को ट्यूमर के बाद मेरे leg में भी डिसेबिलिटी हो गया। जिससे मेरे दोनों leg length में भी differences आ गए और और भी कॉम्प्लिकेशंस आ गए तो मेरी फैमिली हमेशा मुझे खुश देखना चाहती है और उनकी ब्लेसिंग है मेरे साथ and they want me to be happy तो उनका बस यह concern है कि मेरे को हिम्मत नहीं हारनी।

प्रधानमंत्री - देखो आप पलक तुम्हारा केस ऐसा है कि तुम बहुत लोगों को इंस्पायर कर सकती हो। क्योंकि इतनी कठिनाइयों के बाद और चलिए ट्रैक पर गाड़ी आई जिंदगी बनाई बीच में रुकावट आ गई और बीच में नहीं समस्या आई और फिर भी तूने अपना मकसद नहीं छोड़ा यह बहुत बड़ी बात है बहुत बधाई हो आपको।

पलक कोहली - Thank you so much sir thank you so much sir.

श्याम सुंदर स्वामी - नमस्ते सर मैं राजस्थान बीकानेर से आया हूं, श्याम सुंदर स्वामी नाम है पैराआर्चरी से हूं। सर हमारे बीकानेर में करणी सिंह राजा वह पांच बार ओलंपिक खेल कर आए थे। हम देवेंद्र भैया से हम बहुत मतलब क्योंकि 40 साल के बाद मैं एक टोक्यो ओलंपिक में पार्टिसिपेट करके आया था। तो भैया को देखा था कि भाई गेम होता है ऐसे। तो मैं भी फिर पैरा में मैं सर पहले able खेलता था। 2016 में मेरे को पता चला कि पैरा का भी कुछ है क्योंकि भैया का अखबार में फोटो आया था बहुत बड़ा। तो भैया से सीख कर और फिर मैं 40 साल के बाद टोक्यो ओलंपिक पार्टिसिपेट करके आया था सर।

खिलाड़ी - इस बार सर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला खासकर के जो मेरी ही कैटेगरी के गोल्ड मेडलिस्ट है नितेश कुमार जी, इनसे सीखने को मिला। सर पूरे लाइफ में जिनसे वह जीते, एक बार भी उनसे मैच इससे पहले नहीं जीते थे। और उनकी वजह से जबकि मैं उनको हरा चुका हूं और मुझे उनसे सीखने को मिला है कि अगर वह कर सकते हैं तो मैं जरूर उनको दोबारा हरा सकता हूं मैं पूरे वर्ल्ड में सबको हरा सकता हूं।

प्रधानमंत्री – बधाई हो।

खिलाड़ी – Thank You Sir.

कोच - मेरा नाम डॉक्टर सत्यपाल है और मैं पैरा एथलेटिक्स का कोच हूं। शायद ही यहां पर कोई कोच होगा जो मेरे से पहले पैरा एथलीट को ट्रेनिंग करा रहा होगा। मैंने 2005 -06 में पैरा एथलीट को ट्रेनिंग कराना शुरू किया।

प्रधानमंत्री - कैसे विचार आया आपको ये?

कोच- सर मैं नेहरू स्टेडियम में ट्रेनिंग कराने जाता था तो एक दो एथलीट्स वहां पर जिनके लिए लिम्फ डिफिशिएंसी थी वो आते थे। तो मैंने उनको देखा, पढ़ा फिर देवेंद्र जी के बारे में सुना कि उन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। तब मैंने इसके बारे में स्टडी किया और मैंने स्टार्ट किया थोड़ा-थोड़ा करना, तो सभी कोचेस नेहरू स्टेडियम में मुझे बड़ी अजीब नजरों से देखते थे कि मैं दीपा मलिक जी की चेयर को पुश करके जाता हूं, किसी पैरा एथलीट को ट्रेनिंग कराने जाता हूं, अंकुर धामा का हाथ पकड़ कर उसको नेहरू स्टेडियम में घुमाता हूं तो सोचते थे कि मैं अपना टाइम खराब कर रहा हूं। आज वही पैरा एथलीट, वही coaches जो मुझे क्रिटिसाइज करते थे आज वो सब पैरा एथलीट्स को ट्रेनिंग कराना चाहते हैं। ये मेरे दिल से बोल रहा हूं कि मैंने इस फील्ड में काम किया है। मैं बहुत खुश हूं और आने वाले टाइम में मैं आपसे प्रॉमिस करता हूं की 29 नहीं मैं 50 के मेडल का यहां से प्रॉमिस करके जाता हूं कि हम सब इतना काम करेंगे हम 50 मेडल लेकर आएंगे।

प्रधानमंत्री – शाबास।

कोच - Thank you sir.

प्रधानमंत्री - देखिए साथियों यह बात सही है कि हर खेल में जो सपोर्ट स्टाफ होता है या कोचिंग करने वाले लोग होते हैं बहुत मेहनत करनी पड़ती है हर क्षेत्र में। लेकिन दिव्यांगों के साथ काम करना उनको सिखाने से पहले खुद को उस जिंदगी को जीने के लिए मन से तैयार करना पड़ता है। खुद को उस पोजीशन में रखना पड़ता है। कौन सी उसकी दिक्कतें है उसको खुद के जीवन में आत्मसात करना पड़ता है तब जाकर कह सकते हैं वरना मैं तो रूटीन में कह दूंगा यार दौड़ो, अरे वह कहेगा मैं नहीं दौड़ सकता वो कोच समझ सकता है यह नहीं दौड़ सकता उसके लिए तरीका यह होना चाहिए और इसलिए मैं मानता हूं कि जो पैरा एथलीट्स को जो ट्रेन करते हैं वह coaches extra ordinary होते हैं, उनके अंदर एक्स्ट्राऑर्डिनरी ताकत होती है जी। और इसको बहुत कम लोग समझ पाएंगे मैं भली-भांति समझता हूं और मैंने कई बार जब फोन पर भी सब से बात करने का मौका मिलता है तो मैं इस बात का जिक्र करता हूं। क्योंकि जो सामान्य है उसको सिर्फ टेक्निक सिखानी होती है। इसको तो जीना भी सिखाना होता है जी। और इसलिए यह वाकई बहुत बड़ी साधना है जी और इसलिए मैं तो मानता हूं कि आप जो साथी यह काम कर रहे हैं वह सबसे ज्यादा अभिनंदन के अधिकारी हैं।

कोच- सर अभी मैं इंटरनेशनल कंपटीशन में जाने का स्टार्ट करके 30 साल हो गया as a Athlete Administrator. ‌ एक टाइम में एक भी फ्लैग नहीं दिखता था। अभी इंडिया का फ्लैग दिखना स्टार्ट हो गया। हमारे खिलाड़ी भी पैरा स्पोर्ट्स की वजह से हम मेडल जीत सकता है बोल कर आ गया। हम लोग जब पार्टिसिपेट करते थे तो उस टाइम सोचते थे कि पार्टिसिपेट करना है। अभी वह कॉन्सेप्ट चेंज हो गया। लेकिन आपको मैं बहुत धन्यवाद बोलता हूँ सर। मैं बहुत लोगों को बोलता हूँ, हमारा ब्रांड एंबेसडर कौन है हमारे मोदी जी हमारे ब्रांड एंबेसडर हैं। And again sir, India able बॉडी में भी अच्छा मेडल लेकर आ सकता है इसलिए मैं ईस्ट जर्मनी में था चेन्नई में भी था। इंडिया में आजकल वेरी गुड फैसिलिटी है। वह ठीक से use करना है फिजिकल एजुकेशन टीचर को एक्टिव कर दिया तो 100% हम अच्छा मेडल लेकर आएंगे सर। Thank You Sir.

निषाद कुमार - सर मेरा नाम निषाद कुमार है और T 47 हाई जंप से हूं और मैंने बैक टू बैक पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीता है। सर मैं अपना experience share करना चाहता हूं कि जब हम टोक्यो के लिए टीम वहां पहुंची थी तो वहां कोविड था तो उस टाइम ऑडियंस के बगैर हमने कंपीट किया था। तो अभी हम पैरालंपिक में पेरिस में खेले तो वहां पर एक दम पूरा स्टेडियम भरा हुआ था। तो जिस दिन में कंपीट कर रहा था तो पूरी ऑडियंस इंडिया इंडिया नाम से चिल्ला रही थी। तो वो बहुत हमें मोटिवेट किया, उससे पुश मिला अपनी परफॉर्मेंस को और मेडल डिपेंड करने के लिए और अगले दिन मेरे medal ceremony थी और वहां पर मेडल के बाद मैं अपने दूसरे टीम मेंबर्स को हाई जंप में सपोर्ट करने के लिए पहुंचा तो मेडल मेरे गले में था, उस टाइम फ्रेंच फैमिली मेरे को देख रही थी कि कल हम इस खिलाड़ी को सपोर्ट कर रहे थे आज ही हमारे बीच में बैठा है और ये काफी टाइम से वो मुझे देख रही थी कि हमें कब मौका मिले इस खिलाड़ी के साथ फोटो लेने का तो जैसे ही कंपटीशन खत्म हुआ तो मैं अपनी फोटो के लिए मैं नीचे गया और उन्होंने मुझे फोटो मांगी तो उनके बच्चे थे साथ में छोटे-छोटे, तो मैंने उनके साथ फोटो लिए और उनके हाथ बच्चों के हाथ में मेडल दिया, वह I think 6 से 7 साल के होंगे तो वह बच्चे एकदम मायूस से हो गए कि मेडल हमें देखने को मिल रहा है, कल हम इस खिलाड़ी के लिए हम cheer up रहे थे और आज हमारे बीच में खड़े हैं और फोटो ले रहे हैं हमारे को तो उनकी मम्मी ने मेरे को बोला कि हमारे यहां पेरिस में आना कंपटीशन देखना ये सक्सेसफुल हो गया कि आप हमारे बीच में हमारे बच्चों के साथ फोटो ले रहे हो और उनको ऑटोग्राफ दिया आपने। तो वो फेमिली पूरी खुश हो गई तो यह मेरा एक्सपीरियंस है सर जो मतलब बहुत अच्छा रहा।

प्रधानमंत्री- बहुत बढ़िया।

विशाल कुमार - Thank you sir

योगेश कथूनिया - नमस्कार सर! मेरा नाम योगेश कथूनिया। मैं सिल्वर मेडलिस्ट हूं दो बार। तो मैं अपना एक्सपीरियंस सर एक चीज शेयर करना चाहता हूं एक्सपीरियंस नहीं है वह है कंसिस्टेंसी। वह कंसिस्टेंसी सर आपकी वजह से आई है, क्योंकि आपने जो डिफरेंट स्कीम्स इंडिया में लॉन्च की है चाहे वह TOPS स्कीम्स हो, चाहे खेलो इंडिया स्कीम्स हो, NSUs हो, वो सर आपकी वजह से है कि आज हम सारे 29 मेडल लेकर आए हैं और सर में एक चीज और करना चाहूंगा बाकी लोगों के लिए आप पीएम का मतलब होता है कि Prime Minister और हम सबके लिए पीएम का मतलब है-परम मित्र।

प्रधानमंत्री- वाह। मुझे ये पद आपने दिया बहुत अच्छा लगा। मैं भी चाहता हूं जी सच्चे अर्थ में एक मित्र के रूप में आपके साथ काम करता रहूं।

नवदीप- सर मेरा नाम नवदीप है।

प्रधानमंत्री- इस बार जिनकी रील सबसे ज्यादा पॉपुलर हुई, एक आप हैं दूसरा शीतल है।

नवदीप- सर मैं f41 के कैटिगरी में जैवलिन थ्रो करता हूं सर। दूसरी बार पैरालंपिक पार्टिसिपेट कर रहा हूं। सर मेरा इवेंट है ना सबसे लास्ट दिन था सर और मैं तकरीबन 21 तारीख को चला गया था सर उधर। तो जैसे ही मेडल सर आने शुरू हुए ना सर तो एक मन में घबराहट होनी शुरू हो गई थी कि सबके आ रहे हैं मेरा क्या होगा। तो फिर भी सर जैसे सीनियर एथलीट्स थे, जैसे सुमित भाई था, अजीत भाई साहब थे, संदीप भाई साहब थे, देवेंद्र सर थे, सबसे सर एक-एक दिन मिलकर सर एक्सपीरियंस gain किया सर, कि आप कैसा फील करते हो मेरे को क्या करना चाहिए और सर end तक आते-आते मैं बिल्कुल फ्री माइंड होकर खेलने लगा।

प्रधानमंत्री-वाह।

नवदीप - Thank you sir.

रक्षिता राजू- नमस्कार सर, मैं रक्षिता राजू विजुअली इंपेयर्ड एथलीट हूँ। यह मेरा पहला ओलंपिक है। I am very happy and experienced lot of and I am two times para Asian games gold medalist हूँ। I am thankful to my guide runners and my coach Rahul Balakrishna sir. वो इधर ही है मेरे साथ without a guide runner, I can't run. I feel very happy and definitely in 2028 I will get a gold medal in the Paralympics.

प्रधानमंत्री - वाह, Congratulations and wish you all the best.

रक्षिता राजू- My guide runner and my coach motivated me a lot. I am very very thankful because morning and evening without any expectation मेरा साथ टाइम स्पेंड करते थे, बहुत-बहुत धन्यवाद सर।

प्रधानमंत्री - चलिए साथियों मुझे बहुत अच्छा लगा आप सबसे बात करने का अवसर मिला। इस बार आप लोग जब गए तब मैं physically तो मिल नहीं पाया था क्योंकि काफी लोग अलग-अलग जगह पर ट्रेनिंग कर रहे थे और समय की भी कुछ कठिनाई थी। तो मैंने वर्चुअली भी कोशिश की कि आप सबसे बात करूं और उस दिन मैंने एक बात कही थी शायद आपको याद होगा। मैंने कहा था मैं आज आप लोगों को देशवासियों का एक संदेश देने आया हूं और मैंने कहा था कि पूरा हिंदुस्तान कह रहा है विजयी भव:। आपने देशवासियों की जो भावना थी ना उसको बराबर मन में ले लिया कि नहीं देश चाहता है कि हम करेंगे। मैं समझता हूं यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। दूसरा मैं देख रहा हूं क्योंकि मैं आप लोगों के साथ जरा ज्यादा जुड़ा हुआ हूं। आपके यहां शायद परमात्मा ने कोई एक्स्ट्रा क्वालिटी दी है ऐसा मैं अनुभव कर रहा हूं। शरीर में कुछ ना कुछ कमी जरूर होगी, लेकिन आपके व्यक्तित्व में परमात्मा ने कुछ एक्स्ट्रा दिया है। और वो मैं देख रहा हूं कि आपने शायद व्यक्तिगत जीवन में इतनी कमियों से गुजारा किया है उसका संघर्ष किया है। खुद की सहज वो ट्रेनिंग भी हुई है किसी समय आपने लोगों का उपहास भी सहन किया होगा, मजाक करते हुए भी आपके कान पर कभी कुछ पड़ा होगा। हर प्रकार की मुसीबतों से आप गुजरे हुए लोग हैं और इसके कारण मैं देख रहा हूं कि खेल में जय पराजय का कोई प्रभाव आपके मन पर नहीं है, यह बहुत बड़ी बात है जी। वरना पराजित व्यक्ति यानी मान लीजिए मेडल नहीं मिला तो एक तो उसको बोझ होता है अरे मैं तो गया। आप में से किसी को वह बोझ नहीं है, यह बहुत बड़ी जीवन की सिद्धि है जी और वही आपको आगे ले जाने की ताकत देती है। और इसलिए मैं मानता हूं कि मैं चाहता हूं कि इस खेल में और लोग आए अधिक मेडल आए वो तो बात अच्छी है, होना भी चाहिए। लेकिन मैं आप लोगों के माध्यम से देश में एक कल्चर पैदा करना चाहता हूं। वो कल्चर यह है कि देश के हर नागरिक को समाज में जिनके जीवन में इस प्रकार की कठिनाई है जो हमारे दिव्यांगजन हैं। उनकी तरफ देखने का दृष्टिकोण बदले। वे उनके प्रति सम्मान के भाव से देखें दया भाव से नहीं। वह हमें मंजूर नहीं है दया भाव नहीं चाहिए सम्मान से देखें मैं तुमसे कम नहीं हूं। ये मिजाज मुझे देश में पैदा करना है और मेरे दिव्यांग भाई बहनों में भी मुझे वो मिजाज पैदा करना है। वह खेलते हो ना खेलते हो अलग बात है, उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है। तो बाकी ओलंपिक के खिलाड़ी और बाकी विजेताओं से ज्यादा मेरे लिए आपका खेलना आपका देश के लिए वहां जाना, वहां जाने के लिए अनेक वर्षों तक सुबह 4:00 बजे 5:00 बजे उठकर के पसीना बहाना, ये मेहनत कभी भी बेकार नहीं जाएगी मैं आपको विश्वास देता हूं।

क्योंकि अब आपके लिए भी सभी दिव्यांगजनों के लिए समाज में एक नया वातावरण पैदा होना शुरू हो चुका है। व्यवस्थाएं भी विकसित हो रही हैं। हर एक को लगता है कि अरे भाई मुझे भी तो हेल्प करनी चाहिए मुझे साथ रहना चाहिए। मैं बैठा हूं, वो खड़े हैं मैं खड़ा हो जाऊं उनको बैठा दूं। यानी बदलाव आता है तो आप जो ये कंट्रीब्यूशन कर रहे हैं वो एक पूरे समाज के मन को बदलने का आपका कंट्रीब्यूशन है। सिर्फ मेडल नहीं, मेडल से ज्यादा आप माहौल बदल रहे हैं। हर दिव्यांगजन के मन में आप एक विश्वास पैदा कर रहे हैं कि हम भी कुछ कम नहीं है। और मैं मानता हूं कि हमें इस चीज को उसी रूप में करना है आखिरकार मेडल, मेडल की संख्या आजकल तो युग ही ऐसा है कि इन चीजों को काउंट किया ही जाता है। लेकिन 140 करोड़ का देश आज जिस जज्बे के साथ खड़ा हुआ है खेलने के लिए नहीं जीतने के लिए जा रहे हैं। मैं एक पार्टिसिपेंट हूं, ऐसा नहीं है मैं एक परफॉर्मर हूं, यह जो मिजाज है ना वो इस देश की ताकत बनता है। और आप देश की उसे ताकत में नहीं ऊर्जा भरते हैं। तो मेरी तरफ से आप सबको बहुत-बहुत बधाई। सबका मूड देखकर के मुझे अच्छा लगा। वरना मैंने कुछ लोगों को देखा है कि दूसरा ओलंपिक आने तक चेहरे पर हंसी ही नहीं आती है। क्योंकि वह पिछले ओलंपिक में रह गया था। वो मुझे दृश्य यहां नज़र नहीं आ रहा है, मतलब मुझे लगता है नेक्स्ट ओलंपिक भी आप जीत चुके हैं। यह आपकी आंखों से मैं पढ़ पा रहा हूं, आपके अंदर जो विश्वास है वह मैं देख पा रहा हूं। तो साथियों मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं हैं। बहुत बधाई। धन्यवाद।