Published By : Admin | January 12, 2016 | 20:36 IST
शेअर करा
First Group of Secretaries present ideas and suggestions on Energy Conservation and Efficiency to PM
Group of Secretaries present ideas & suggestions to PM for transformative change in various areas of governance
As a follow-up to Prime Minister's exhortation to Secretaries to come up with ideas for transformative change in various areas of governance, the first Group of Secretaries (out of eight groups) presented their ideas and suggestions on Energy Conservation and Efficiency to the Prime Minister.
The Prime Minister, Shri Narendra Modi, and Union Ministers Shri Rajnath Singh, Shri Arun Jaitley, Smt. Sushma Swaraj, Vice Chairman of NITI Aayog Shri Arvind Panagariya, besides all Secretaries to the Government of India were present. During and after the presentation, several members of the audience, including the Prime Minister asked questions related to the theme of the presentation, and gave their suggestions.
The Prime Minister appreciated the presentation and said that the Secretaries had completed their assignment much the same way that he had envisaged. He also appreciated the interjections and suggestions, and complimented all those involved in the presentation for the day.
Kashi and culture are the two names of the same energy: PM Modi
September 23, 2023
शेअर करा
Inaugurates 16 Atal Awasiya Vidyalayas
“Efforts like Kashi Sansad Sanskritik Mahotsav strengthen the cultural vibrancy of this ancient city”
With the blessings of Mahadev, Kashi is scripting unprecedented dimensions of development”
“Kashi and culture are the two names of the same energy”
“Music flows in every corner of Kashi, after all, this is the city of Natraj himself
“When I came here in 2014, the dream of development and heritage of Kashi that I had imagined is now slowly coming true”
“Varanasi has been a center of learning for centuries due its all inclusive spirit”
“I want the culture of tourist guides to flourish in Kashi and Tourist Guides of Kashi to be the most respected in the world”
हर हर महादेव!
उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, मंच पर उपस्थित सभी महानुभाव, काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के सभी प्रतिभागी साथियों, और रुद्राक्ष सेंटर में उपस्थित मेरे प्यारे काशीवासियों!
बाबा के आशीर्वाद से काशी का सम्मान आज नित नई-नई ऊँचाइयों को छू रहा है। G-20 समिट के जरिए भारत ने पूरी दुनिया में अपना झण्डा गाड़ा है, लेकिन उसमें काशी की चर्चा विशेष है। काशी की सेवा, काशी का स्वाद, काशी की संस्कृति और काशी का संगीत....जी-20 के लिए जो-जो मेहमान काशी आया वो इसे अपनी यादों में समेटते हुए साथ लेकर के गया है। मैं मानता हूँ कि G-20 की ये अद्भुत सफलता महादेव के आशीर्वाद से ही संभव हुई है।
साथियों,
बाबा की कृपा से काशी अब विकास के ऐसे आयाम गढ़ रही है, जो अभूतपूर्व हैं। आपको भी लगता है ना? आप बोलेंगे तो पता चलेगा। मैं जो कह रहा हूं आपको सच लग रहा है? आप बदलाव देख रहे हैं? काशी चमक रही है? दुनिया में काशी का नाम बढ़ता चला जा रहा है?
साथियों,
आज ही मैंने बनारस के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास किया है। और अभी-अभी मुझे यूपी के 16 अटल आवासीय विद्यालयों के लोकार्पण का अवसर भी मिला है। मैं इन सभी उपलब्धियों के लिए काशीवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। उत्तर प्रदेश के लोगों को बधाई देता हूं, मेरे श्रमिक परिवारों को बधाई देता हूं।
मेरे परिवारजनों,
2014 में जब मैं यहाँ आया था, तो मैंने जिस काशी की कल्पना की थी, विकास और विरासत का वो सपना अब धीरे-धीरे साकार हो रहा है। दिल्ली में व्यस्तता के बीच भी मैं काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के जो आपका कार्यक्रम चला और मैंने तो देखा बहुत व्यापक रूप से लोगों ने हिस्सा लिया, तो मैं कभी रात को देर से पहुंचता था तो भी दो पांच दस मिनट निकालकर के वीडियो देख लेता था क्या चल रहा है? और मैंने देखा बड़ी प्रभावित करने वाली आपकी प्रस्तुतियां थी। अद्भुत संगीत, अद्भुत प्रस्तुति! मुझे गर्व है कि सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के जरिए मुझे इस क्षेत्र की, इस धरती की, इतनी प्रतिभाओं से सीधा जुड़ने का अवसर मिल गया। और अभी तो इस आयोजन का ये पहला साल रहा है। लेकिन फिर भी इसमें करीब 40 हजार लोगों ने, कलाकारों ने हिस्सा लिया, और लाखों दर्शक प्रत्यक्ष रूप में इसका आनंद लेने के लिए आए। मुझे विश्वास है, बनारस के लोगों के प्रयास से, आने वाले वर्षों में ये सांस्कृतिक महोत्सव अपने आप में काशी की एक अलग पहचान बनने वाला है। इसका सामर्थ्य इतना बढ़ने वाला है कि हर कोई लिखेगा कि मैं उस स्पर्धा में मैंने हिस्स लिया था। मैंने उस स्पर्धा में ईनाम पाया था। और दुनिया भी पूछेगी अच्छा उसमें आप नंबर लाए थे तो आ जाइये आपके इंटरव्यू की जरूरत नहीं है, ये होने वाला है। ये देश दुनिया के पर्यटकों के लिए ये हमारा काशी आकर्षण का एक नया केंद्र भी बनेगा ये मानकर के चलिए।
मेरे परिवारजनों,
काशी और संस्कृति, एक ही चीज के, एक ही ऊर्जा के दो नाम हैं। आप उनको अलग कर ही नहीं सकते। और काशी को तो देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। और काशी की तो गली-गली में गीत गूँजते हैं। और ये स्वाभाविक भी है। क्योंकि ये नटराज की अपनी नगरी है। और सारी नृत्य कलाएं नटराज के तांडव से ही प्रकट हुई हैं। सारे स्वर महादेव के डमरू से उत्पन्न हुये हैं। सारी विधाओं ने बाबा के विचारों से जन्म लिया है। इन्हीं कलाओं और विधाओं को भरत मुनि जैसे आदि आचार्यों ने व्यवस्थित और विकसित किया। और काशी मतलब ‘सात वार- नौ त्यौहार’, ये ‘सात वार- और नौ त्यौहार’ वाली मेरी काशी में कोई भी उत्सव गीत-संगीत के बिना पूरा हो ही नहीं सकता। चाहे घर की बैठकी हो या बजड़े पर बुढवा मंगल, भरत मिलाप हो या नाग नथैया, संकटमोचन का संगीत समारोह हो या देव-दीपावली पर यहाँ सब कुछ सुरों में समाया हुआ है।
साथियों,
काशी में शास्त्रीय संगीत की जितनी गौरवशाली परंपरा है, उतने ही अद्भुत यहाँ के लोकगीत भी हैं। यहाँ तबला भी है, यहाँ शहनाई और सितार भी है। यहाँ सारंगी के सुर भी हैं, यहाँ वीणा का वादन भी है। ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती और कजरी जैसी कितनी ही विधाओं को बनारस ने सदियों से सहेजकर रखा है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवारों ने, गुरू-शिष्य परम्पराओं ने भारत की इस मधुर आत्मा को जीवित बनाए रखा। बनारस का तेलिया घराना, पियरी घराना, रामापुरा-कबीरचौरा मोहल्ले के संगीतज्ञ, ये विरासत अपने आपमें कितनी समृद्ध रही है! बनारस के ऐसे कितने ही कलाकार हैं, जिन्होंने पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है। मैं सबके नाम लेना शुरू करूंगा तो शायद कितने दिन निकल जाएँ। कितने ही विश्व प्रसिद्ध नाम यहाँ अभी हमारे सामने उपस्थित हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे बनारस के ऐसे कई सांस्कृतिक आचार्यों से मिलने का, उनके साथ समय बिताने का सौभाग्य मिला है।
साथियों,
आज यहां काशी सांसद खेल प्रतियोगिता के पोर्टल को भी लॉन्च किया गया है। सांसद खेल प्रतियोगिता हो, सांसद सांस्कृतिक महोत्सव हो, काशी में नई परंपराओं की ये तो शुरुआत है। अब यहां काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा। कोशिश यही है कि काशी के इतिहास, यहां की समृद्ध विरासत, यहां के त्योहार, यहां के खान-पान के प्रति जागरूकता और बढ़े। सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी बनारस के शहरी और ग्रामीण इलाकों में अलग-अलग स्तर पर आयोजित की जाएगी।
साथियों,
काशी के बारे में सबसे ज्यादा काशी के ही लोग जानते हैं, और यहां का हर व्यक्ति, हर परिवार वो सच्चे अर्थों में काशी का ब्रांड एंबेसडर है। लेकिन साथ ही ये भी जरूरी है कि सभी लोग काशी के बारे में अपनी जानकारी को अच्छी तरह बता पाएं। और इसलिए शायद देश में पहली बार मेरे मन में एक इच्छा है, यहां शुरू करूं। अब सबका साथ मिलेगा? आपको पता तो है नहीं मैं क्या कहने वाला हूं, फिर भी हां कह दिया। देखिए कोई भी टूरिस्ट प्लेस होता है, यात्रा धाम होता है तो वहां पर आज के युग में उत्तम से उत्तम गाइड बहुत आवश्यक होते हैं। और गाइड प्रतिभावान हो, जानकारियों के संबंध में परफैक्ट हो, गोलमोल नहीं। ये दो सौ साल है दूसरा बोलेगा ढाई सो साल पुराना है, तीसरा बोलेगा तीन सौ साल पुराना है, ऐसा नहीं। वो 240 बोलेगा मतलब 240। ये ताकत काशी में होनी चाहिए। और आजकल टूरिस्ट गाइड का भी एक बहुत बड़ा रोजगार बन रहा है। क्योंकि जो टूरिस्ट आता है वो सब चीजों को समझना चाहता है। और टूरिस्ट गाइड को पैसे भी देना चाहता है। और इसलिए मेरी एक इच्छा है और मैं कोशिश कर रहा हूं शुरू करेंगे अब यहां काशी सांसद टूरिस्ट गाइड उसकी कम्पटीशन भी आयोजित की जाएगी। आप गाइड बनकर के आइये, लोगों को समझाइये कि जगह के विषय में और इनाम पाईये। उसके कारण लोगों को पता चलेगा कि इस शहर में गाइड का एक कल्चर बन रहा है। और मुझे ये काम इसलिए करना है कि मैं चाहता हूं कि मेरी काशी का पूरी दुनिया में डंका बजना चाहिए। और में चाहता हूं कि पूरी दुनिया में अगर कोई कहीं गाइड की बात करे तो काशी के गाइड्स का नाम सबसे सम्मान से लिया जाए। मैं सभी काशी वासियों से अपील करना चाहूंगा कि आप अभी से तैयारी करिए, और बढ़-चढ़कर के उसमें हिस्सा लें।
मेरे परिवारजनों,
हमारा बनारस सदियों से शिक्षा का भी एक बड़ा केंद्र रहा है। बनारस की शैक्षणिक सफलता का सबसे बड़ा आधार है- इसका सर्वसमावेशी स्वभाव! देश और दुनिया के कोने-कोने से आकर लोग यहाँ पढ़ाई करते हैं। आज भी दुनिया के कितने ही देशों से लोग यहाँ संस्कृत सीखने आते हैं, ज्ञान लेने आते हैं। आज हमने इसी भावना को केंद्र में रखकर यहाँ से अटल आवासीय विद्यालयों का शुभारंभ किया है। आज जिन अटल आवासीय विद्यालयों का लोकार्पण हुआ है उन पर करीब 11 सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। और ये स्कूल इतने भव्य स्कूल हमारे श्रमिक, हमारे यहां मजदूरी करने वाले जो लोग हैं और समाज के जो सबसे कमजोर वर्ग हैं, उनके बेटे बेटियों के लिए किया गया काम है। और इससे उनको अच्छी शिक्षा मिलेगी, संसकार मिलेंगे, आधुनिकतम शिक्षा मिलेगी। जिन लोगों की कोरोना में दु:खद मृत्यु हो गई, उनके बच्चों को भी इन आवासीय विद्यालयों में निःशुल्क पढ़ाया जाएगा। मुझे बताया गया है कि इन स्कूलों में कोर्स के साथ-साथ संगीत, कला, क्राफ्ट, कंप्यूटर, और स्पोर्ट्स के लिए भी शिक्षक होंगे। यानी, गरीब के बच्चे भी अब अच्छी से अच्छी पढ़ाई का, सर्वांगीण शिक्षा का सपना पूरा कर पाएंगे। और केंद्र सरकार की ओर से हमने इसी तरह जनजातीय समाज के बच्चों के लिए एकलव्य आवासीय स्कूल बनाए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए हमने शिक्षा व्यवस्था की पुरानी सोच को भी बदला है। अब हमारे स्कूल्स आधुनिक बन रहे हैं। क्लासेस स्मार्ट हो रही हैं। भारत सरकार ने देश के हजारों स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए पीएम-श्री अभियान भी शुरू किया है। इस अभियान के तहत देश के हजारों स्कूलों को मॉर्डन टेक्नोल़ॉजी से लैस किया जा रहा है।
साथियों,
काशी में सांसद के तौर पर जो भी नए कार्यक्रम शुरू हो रहे हैं, उन सभी में मुझे आपका भरपूर सहयोग मिल रहा है। ये जो अटल आवासीय विद्यालय है ना, ये जो construction workers होते हैं। जो कभी ये गांव दूसरे गांव ऐसा काम करते हैं ना, बच्चों की पढ़ाई छुट जाती है और उसके लिए एक बजट रखा जाता है। उसमें से उनके बच्चों की चिंता करने का विषय होता है। आप देखिए कि तत्कालीन राजनीतिक लाभ लेने का जिनका इरादा नहीं होता है, स्वार्थभाव नहीं होता है वो कैसे काम करते हैं। और जिनके दिल दिमाग में सिर्फ चुनाव ही भरा रहता है, कैसे भी करके वोट बटोरने के खेल खेलने की आदत रहती है। वो ऐसे पैसों को कैसे बर्बाद करते हैं आप हिन्दुस्तान में जानकारी लेंगे तो पता चलेगा। ये पैसे सभी राज्यों के पास हैं और भारत सरकार ने पूरी की पूरी उनको छूट देकर रखी है। लेकिन ज्यादातर राज्य वोट मिलने वाले कामों के लिए उन पैसों को खपा रहे हैं। जबकि योगी जी ने और मेरी बात तो बहुत पहले हुई थी लेकिन उन्होंने मन में रखा और आज और ये बच्चे इतने तैयार होंगे ना उस परिवार को फिर मजदूरी करने की नौबत ही नहीं रहेगी। अभी मैं अटल आवासीय विद्यालय के कुछ बच्चों से मिलकर आया, श्रमिक परिवार के बच्चे थे, पक्का घर भी कभी देखा नहीं था। लेकिन इतने कम समय में जो आत्मविश्वास मैंने उनका देखा, मैं उनके सभी टीचर्स को भी बधाई देता हूं। जिस आत्मविश्वास से वो बातें कर रहे थे और प्रधानमंत्री को जिस प्रकार से वो बता रहे थे, ऐसे सवाल पूछ रहे थे, मैं भी तो कोई स्लेबस पढ़कर आया नहीं था। मुझे दिख रहा था कि इन बच्चों में स्पार्क है, सामर्थ्य है, मैं पक्का मानता हूं दोस्तों, 10 साल के भीतर-भीतर देखना इन स्कूलों में से उत्तरप्रदेश की और काशी की आन-बान-शान निखरने वाली है।
मेरे प्यारे काशीवासियों,
मुझ पर अपने आशीर्वाद ऐसे ही बनाए रखिए। इसी भावना के साथ, आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद!