Our government has continuously worked to strengthen the Constitution and bring its spirit to every citizen: PM Modi in Purnea
The result of June 4th will determine the security of ‘Seemanchal’ region: PM Modi in Purnea

भारत माता की…. भारत माता की….जय

माई पूर्ण देवी, बिसहरी माय की जय… मैं भक्त प्रहलाद और महर्षि मेही बाबा की इस पावन धरती को नमन करता हूं। मौर्य साम्राज्य के रूप में भारत के गौरव को दूर दूर तक फैलाने वाले सम्राट अशोक की आज जयंती भी है। उनसे प्रेरणा लेने वाले बड़ी संख्या में लोग आज भाजपा को अपना आशीर्वाद देने आए हैं। एनडीए सरकार की तीसरी पारी को लेकर पहले से भी ज्यादा उत्साह नजर आ रहा है, आपका यह उत्साह बता रहा है फिर एक बार.... फिर एक बार..... फिर एक बार..... फिर एक बार..... विकसित भारत के लिए 4 जून.... 4 जून.... 4 जून....

साथियों,

आज एनडीए सरकार के लिए वंचित शोषित वर्ग हमारी पहली प्राथमिकता है। जिसको किसी ने नहीं पूछा, हम उसको पूज रहे हैं. एक समय था जब केंद्र की सरकारें बिहार को पिछड़ा कहकर पीछा छुड़ा लेतीं थी, बिहार की सरकारें सीमांचल को पिछड़ा कह कर के पलड़ा झाड़ लेती थी लेकिन हमने सीमांचल और पूर्णिया के पूर्ण विकास को अपना मिशन बनाया है। एनडीए सरकार ने सीमांचल के भाग्य को बदलने के लिए आकांक्षी जिला और अब आकांक्षी ब्लॉक ऐसी बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना चलाई। आज हमारे पूर्णिया ने देश में सबसे बेहतर प्रगति करने वाले आकांक्षी जिलों में अपनी जगह बनाई है। मैं इसके लिए पूर्णिया के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आपका उत्साह अद्भुत है.. ऐसा उत्साह बहुत कम ही देखने को मिलता है लेकिन अगर आपका उत्साह मेरी आवाज पहुंचने ही नहीं देगा तो फिर इस सभा का फायदा क्या होगा। तो मेरी बात वहां बैठे लोग सुन सके इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप आपके नारे आपके उत्साह को थोड़ा नीचे करें तो अच्छा होगा करेंगे मेरी बात को.. मेरी बात को मानेंगे, पक्का मानेंगे.. बिहार के लोग इतने बढ़िया है यहां के नौजवान इतने बढ़िया है कि मेरी हर बात को स्वीकार करते हैं यह मेरा सौभाग्य है।

साथियों,

बिहार और पूर्णिया के पास सामर्थ्य की कभी कमी नहीं थी हमारे बिहार का किसान भरपूर मक्का उत्पादन करता है बिहार में जूट और मखाने की खेती भी खूब होती है.. पिछले 10 वर्षों में हमने जूट की एमएसपी को बढ़ाकर दो गुना किया है बिहार का 20 प्रतिशत मखाना अकेले पूर्णिया के किसान ही पैदा करते हैं। हमने आपके सामर्थ्य को प्रोत्साहन दिया, नतीजा यह हुआ कि आपने मखाना के सीड प्रोडक्शन को करीब दो गुना कर दिया आज एनडीए सरकार मखाने को सुपर फूड के रूप में प्रमोट कर रही है... मोटे अनाज यानी श्री अन्न की तो मोदी ने पूरी दुनिया में मार्केटिंग की है आपने जी-20 में देखा होगा मोदी ने दुनिया के बड़े-बड़े राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को श्री अन्न, मोटा अनाज खिलाया कहा कि हमारे छोटे किसानों की मेहनत है इसमें अब मोटा अनाज गरीब का खाना नहीं अमीरों का खाना बन रहा है... इसका फायदा सीधे हमारे किसानों तक पहुंच रहा है मक्के को भी मुनाफे की फसल बनाने के लिए हमारी सरकार ने एमएसपी पर खरीद बढ़ाई और अब तो मक्के से एथेनॉल भी बनाया जा रहा है देश का पहला, पूरे भारत का पहला ग्रीन फील्ड एथेनॉल प्लांट पूर्णिया में लगाया गया है। हमारे नीतीश जी ने ही इसका उद्घाटन किया था, साथियों कृषि और उद्योग के इन अवसरों को गति देने के लिए पूर्णिया में रेल और रोड के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी आधुनिक बनाया जा रहा है कुछ समय पहले ही मैंने कटिहार जोगबानी रेल सेक्शन के विद्युतीकरण लोकार्पण किया था, हमारी सरकार सीमांचल में अच्छी सड़कों का निर्माण भी करवा रही है और अब तो वह दिन दूर नहीं जब पूर्णिया में हवाई जहाज भी उतरेगी... हमारी सरकार सीमांचल में वंदे भारत, नमो भारत, जैसी ट्रेनों के जरिए कनेक्टिविटी बढ़ाने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी काम करेगी।

साथियों,

मोदी के के लिए आपके सपने ही मोदी का संकल्प है इसलिए गांव गरीब दलित वंचित दशकों से जिन समस्याओं से जूझ रहे थे मोदी ने 10 साल में उनका समाधान दिया है देश के 25 करोड़ गरीबी से बाहर तब आए जब हमनें दिन-रात उनके लिए मेहनत की देश के चार करोड़ गरीबों को पीएम आवास कब मिला जब आपने मोदी को सेवा करने का आशीर्वाद दिया। देश के 50 करोड़ से ज्यादा दलितों, वंचितों, गरीबों का बैंक में खाता तब खुला जब आपने मोदी को आशीर्वाद देकर के सेवा करने का मौका दिया। करोड़ों माताओं- बहनों को चूल्हे के धुएं से मुक्ति तब मिली जब मोदी ने उज्ज्वला सिलेंडर देकर उनकी सुध ली देश के 11 करोड़ परिवारों तक पहली बार पाइप से पानी तब पहुंचा जब मोदी ने हर घर जल को अपना मिशन बनाया। आज 11 करोड़ छोटे किसानों के खातों में किसान सम्मान निधि भी एनडीए सरकार ही भेज रही है... इन योजनाओं का बहुत बड़ा लाभ हमारे ततमा समाज, महलदार समाज और ऋषिदेव समाज के मेरे परिजनों को भी हुआ है, लेकिन साथियों मोदी इतने से संतुष्ट नहीं है जो काम हुआ है ना वह तो ट्रेलर है ट्रेलर... अभी हमें पूर्णिया को, सीमांचल को, बिहार को और पूरे हिंदुस्तान को बहुत आगे लेकर जाना है। कई बार लोग पूछते हैं कि मोदी के लिए समाज के आखिरी पायदान पर खड़ा व्यक्ति हमारा दलित, पिछड़ा, आदिवासी यह इतनी प्राथमिकता क्यों है... ये समाज मोदी की प्राथमिकता इसलिए है क्योंकि यही समाज सबसे ज्यादा गरीबी से प्रभावित है और मोदी गरीबी से ही निकलकर आपके बीच आया है। मोदी के ऊपर अपने इस समाज का, बाबा साहब का और उनके संविधान का बहुत बड़ा कर्ज है। इसलिए हमारी सरकार ने संविधान को एक श्रद्धा का स्थान मिले... संविधान को आस्था का स्थान मिले.... संविधान के प्रति देश का प्रत्येक व्यक्ति समर्पित हो, संविधान की भावना को हर देशवासी तक पहुंचाने के लिए लगातार काम किया है। हमारी ही सरकार ने देश में संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की... आज बाबा साहब के संविधान को सेलिब्रेट करने के लिए बच्चों के स्कूलों से लेकर, सुप्रीम कोर्ट और संसद तक में कार्यक्रम किए जाते हैं और ये वक्त तो बहुत विशेष है, इस साल संविधान के 75 वर्ष की शुरुआत हो रही है जैसे हमनें आजादी के 75 वर्ष पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया इसी तरह इस वर्ष हमें संविधान के 75 वर्ष का पर्व मनाना है हमनें तय किया है हम देश के कोने- कोने में बाबा साहब के संविधान की भावना को लेकर जाएंगे.. देश की युवा पीड़ी को, देश की गौरवशाली संविधान के निर्माण की प्रक्रिया, उसके अध्याय, उसका महत्व बताएंगे, लेकिन दूसरी तरफ वो लोग हैं जिन्होंने आपातकाल में संविधान को रद्द करने, संविधान को बंधक बनाने, और संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का काम किया था...हमें याद रखना है जो लोग सत्ता और सरकार को एक परिवार की मुट्ठी में रखना चाहते हैं, संविधान उनकी आंखों में हमेशा खटकते है इसलिए अब यह लोग संवैधानिक व्यवस्था से हुए चुनाव के नतीजों को अस्वीकार करने की धमकी देने लगे हैं लेकिन इनके मंसूबे कामयाब ना हो संविधान दलित, पिछड़ा, आदिवासी की ताकत बना रहे इसके लिए हमें एकजुट होकर साथ खड़े रहना है।

साथियों,

अगले पांच वर्षों के कामकाज के लिए बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी किया है... इस संकल्प पत्र में मोदी ने गारंटी दी है। देश के सभी जरूरतमंदों को आगे भी फ्री राशन, मुफत राशन मिलता रहेगा। मोदी ने गारंटी दी है गरीब, दलित, वंचित के कल्याण से जुड़ी योजनाओं को हम हर जरूरतमंद तक लेकर जाएंगे। हमारी सरकार 3 करोड़ नये पक्के घर बनाएगी। देश में 70 साल से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को मुफ्त इलाज की जिम्मेदारी भी सरकार उठाएगी। आप अपने परिवार में अपने बुजुर्गों को कह दीजिए अब वो बीमारी को छुपाए नहीं, अगर कोई तकलीफ है तो मोदी बैठा है ये मोदी की गारंटी है....

साथियों,

पिछले 10 वर्षों में एनडीए सरकार ने वो काम किए हैं जिन्हें पहले असंभव माने जाते थे। आज हर कोई कह रहा है बड़े कामों का दम सिर्फ भाजपा के पास है, एनडीए के पास है। आपको याद होगा पहले अड़ोस-पड़ोस के देश यहां हमला करके चले जाते थे, सीमा पर हमारे जवानों की आए दिन शहादत होती थी आप लोगों को दुख के साथ ही गुस्सा भी आता था आपका मन करता था कि इन्हें घर में घुसकर मारो... मोदी ने आपकी इच्छा का पालन किया और इसका नतीजा क्या हुआ जो देश हमें आंखें दिखाता था वो कटोरा लेकर के भटक रहा है।

साथियों,

दशकों से देश में लोग मांग कर रहे थे कि कश्मीर में अलग झंडा, अलग संविधान नहीं चलना चाहिए जो लोग दिन-रात संविधान के नाम पर हमको गालियां देते हैं ना इतने दशकों तक उन्होंने राज किया, आजादी के बात उनके हाथ में सत्ता आई अब तक आई लेकिन उनमें हिम्मत नहीं थी कि बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को जम्मू- कश्मीर में लागू कर पाएं। बाबासाहब का संविधान वहां लागू नहीं होता था ये मोदी है, जो संविधान को समर्पित है। आज जम्मू- कश्मीर में भी आन-बान-शान के साथ हमारा संविधान लागू हो गया। कश्मीर से आपकी इच्छा थी 370 हटनी चाहिए तो ये घमंडिया गठबंधन वाले क्या कहते थे, ये कहते थे कि 370 हटी तो कश्मीर में आग लग जाएगी। आज आर्टिकल 370 का द-एंड हो चुका है। अगर कश्मीर में नहीं भारत को बांटने वालों के मंसूबों में जलन हो रही है आग लगी है।

साथियों,

कल रामनवमी का पवित्र त्यौहार भी है, ये लोग राम मंदिर के लिए भी यही कहते थे, बोलते थे कि राम मंदिर बना तो देश में आग लग जाएगी... आज हमारा राम मंदिर पूरी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ा रहा है। अब कुंठा में घिरे ये कांग्रेस के लोग घमंडिया गठबंधन के लोग राम मंदिर का अपमान कर रहे हैं घमंडिया गठबंधन ने तो सनातन को मिटाने की कसम खा रखी है, 26 अप्रैल को आपका वोट इन्हें बताएगा कि सनातन मिटता है या ये लोग रहते हैं।

साथियों,

हमारा सीमांचल बिहार का एक संवेदनशील इलाका है... वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पूर्णिया और सीमांचल को अवैध घुसपेठ का ठिकाना बनाकर यहां की सुरक्षा को दांव पर लगाया है। इसका शिकार हमारे दलित, वंचित, पिछड़े और गरीब को होना पड़ा है। हमारे दलित भाइयों के घरों तक को जलाया गया था लेकिन मैं आपको आश्वासन देना चाहता हूं, देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाला हर तत्व सरकार की नजर में है। 4 जून का परिणाम इसी सीमांचल की सुरक्षा तय करेगा और जो लोग राजनीतिक फायदे के लिए सीएए का विरोध कर रहे हैं वो भी एक बात जरूर जान लें ये मोदी है ये ना डरने वाला है और ना ही झुकने वाला है।

साथियों,

आपने वह दौर भी देखा है, जब बिहार में जंगल राज था उस समय बिहार के इस इलाके में महा-जंगल राज हुआ करता था हिंसा, अराजकता, अपहरण और भ्रष्टाचार का यहां उद्योग चलता था। नीतीश जी के नेतृत्व में हमने बहुत मुश्किल से उस दौर को बदला है लेकिन आज एक बार फिर जंगल राज और महा- जंगल राज वाले लोग उस दौर की वापसी चाहते हैं, इनका एक ही एजेंडा है भ्रष्टाचार और लूट। हमारे पूर्णिया में कहते हैं ना हर बहे से खर खाए, बकरी खाए अचार, भाव ये मेहनत गरीब जनता करे और मलाई ये आरजेडी वाले लूटें... मोदी के रहते ये मुमकिन नहीं है इसलिए सब भ्रष्टाचारी के लूट के ठिकाने बचाने के लिए वो अब एक हो रहे हैं। मैं कहता हूं भ्रष्टाचार हटाओ, ये कहते हैं भ्रष्टाचारी बचाओ। मैं आपको एक गारंटी देता हूं, अगले पांच साल भ्रष्टाचार के खिलाफ और बड़ी कार्रवाइयों के पांच साल मान के चलिए।

साथियों,

पूर्णिया से एनडीए उम्मीदवार श्री संतोष कुमार जी, संतोष कुमार जी और कटिहार से दुलाल चंद्र गोस्वामी जी ये हमारे प्रत्याशी हैं। 26 अप्रैल को आपको इसी उत्साह के साथ इन्हें वोट करना है, पूर्णिया और कटियार से जीत का रिकॉर्ड बनाना चाहिए। बनाओगे... घर-घर जाओगे? पोलिंग बुथ जीतोगे? पोलिंग बुत जितना है, जीतोगे? हर पोलिंग बुत जितना है, जीतोगे? अच्छा मेरा एक और काम करोगे? मेरा एक और काम करोगे? करोगे क्या? ये मेरा काम है, करोगे? देखिए यहां से जाने के बाद घर- घर जाइए और जाकर के सबको कहिए कि हमारे मोदी जी आए थे, उन्होंने आपको प्रणाम कहा है। मेरा प्रणाम पहुंचा दोगे... देखिए मेरा प्रणाम पहुंचेगा तो सभी परिवार के लोग मुझे आशीर्वाद देंगे और जब परिवार के बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है ना तो नई ऊर्जा मिलती है नई शक्ति मिलती है और मैं उसके लिए दौड़ता रहूंगा, आपके लिए दौड़ता रहूंगा और पहले ही मैंने कहा था मेरा पल- पल आपके नाम। मेरा पल- पल देश के नाम और इसलिए मेरा संकल्प है 24/7…. 24/7 फॉर 2047… विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए 24/7 हर पल आपका।

मेरे साथ बोलिए, भारत माता की…… भारत माता की……… भारत माता की……

बहुत-बहुत धन्यवाद...

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Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM Modi
November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!