QuoteSometimes I wonder if the current Congress party is the same that Sardar Vallabhbhai Patel and Netaji Subhas Chandra Bose were once a part of because the recent statements by some Congress, PDP and NC leaders were hailed in Pakistan because of their anti-India content: PM Modi in Jammu
QuoteOne of the senior-most leaders of the Congress, who manages the party’s overseas affairs recently gave a clean chit to the terrorists and to the state of Pakistan: Prime Minister Modi
QuoteI want to warn terrorists and their harbingers that any attempt towards harming India’s national security will come at heavy costs: PM Modi in Jammu

भारत माता की...जय, भारत माता की...जय।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान रविन्द्र रैना जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी और उधमपुर से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ जितेंद्र सिंह जी, जम्मू पुंछ के सांसद और फिर यहां से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान जुगल कुमार शर्मा जी, जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ निर्मल सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान कवींद्र गुप्ता जी, मंच पर उपस्थित अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयो और बहनो।

वीरों डोगरो की इस धरती को आपके इस चौकीदार का प्रणाम। मिट्ठी जाए डोगरे थे बोली, पे खंड मीठे लोग डोगरे, ये कहावत मैं तब अक्सर सुना करता था जब संगठन मंत्री के रूप में यहां आपके बीच में काम करता था। डोगरों की शौर्य गाथाएं यहां के कण-कण में रची बसी है और हम भाजपा के लोगों की तो रगों में प्रेमनाथ डोगरा जी की त्याग-तपस्या आज भी हमें प्रेरणा और ऊर्जा दे रही है। ये मेरा सौभाग्य है कि 2019 के चुनाव के लिए जब मैं पूरे देश से आशीर्वाद मांगने निकला हूं तो पहले दिन मुझे जम्मू आने का अवसर मिला है। माता वैष्णो देवी का आशीर्वाद मुझे प्राप्त हुआ है। साथियों, जम्मू शौर्य की भूमि है। श्रम और श्रद्धा की नगरी है। आप सभी एक प्रकार से मां भारती की ढाल हैं। मां भारती के वो रक्षक हैं जो दुश्मन के गोलों और साजिशों का सबसे पहले सामना कर रहे हैं। आप सभी के बुलंद हौसले को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं। भाइयो एवं बहनो, आने वाली 11 अप्रैल को आप जब ईवीएम का बटन कमल के फूल के सामने दबाएंगे तो उसकी आवाज देश के भीतर जमे आतंकियों और आतंकियों के साथियों में खलबली मचाएंगी ही, लेकिन बात यहां अटकेगी नहीं, सीमा पार भी उसकी गूंज सुनाई देगी। सीमा पार आतंकियों की फैक्ट्री चलाने वाले आज खौफ में हैं, डर के साए में जी रहे हैं, ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत को दहलाने के लिए सीमा पार से आने वाले आतंकी भी सौ बार सोच रहे हैं। लेकिन साथियों, मैं तो हैरान हूं, देश के दुश्मनों को सबक सिखाने के इस अभियान के बीच ये कांग्रेस और उसके साथियों को आखिर हो क्या गया है? समझ ही नहीं आता है कि क्या ये वही सरदार पटेल की कांग्रेस है जिसने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए दिन-रात एक कर दिया था। मुझे समझ नहीं आता कि क्या ये वही कांग्रेस है जिसमें रहकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंदुस्तान की कल्पना की थी। साथियों, मेरी आत्मा तो यही कहती है, नहीं ये वो कांग्रेस नहीं है। आपका क्या कहना है?...आप कल्पना कर सकते हैं? जम्मू-कश्मीर के मेरे प्यारे भाइयो और बहनो, आप कल्पना कर सकते हैं कि मोदी विरोध की जिद्द में कांग्रेस के नेताओं को देश का हित दिखाई देना ही बंद हो गया है? पूरा देश, हर देशवासी एक स्वर में बात कर रहा है, एक सुर में बात कर रहा है और ये कांग्रेस के नेता दूसरी बात कर रहे हैं, दूसरा सुर अलाप रहे हैं।

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भाइयो और बहनो, बालाकोट में आतंकियों पर भारत ने जो प्रहार किया उसके बाद एक के बाद एक कांग्रेस के नेता ऐसी बात कर रहे हैं जो भारत के पक्ष में नहीं है। इतना ही नहीं यहां जम्मू कश्मीर में भी सालों तक जो राज करते रहे वो भी ऐसी बातें बोल रहे हैं जो भारत के गांवों का अनपढ़ व्यक्ति भी कभी स्वीकार नहीं कर सकता है। आप मुझे बताइए क्या आपको कांग्रेस की यह भाषा मंजूर है? पीडीपी की भाषा मंजूर है? एनसी की भाषा मंजूर है? अरे किसी भी देशवासी को ऐसी भाषा कैसे मंजूर हो सकती है, जिसकी बातों से तालियां पाकिस्तान में बजती हों। आज आतंकी और आतंक के सरपरस्त यह दुआएं मांग रहे हैं, अगर आप पाकिस्तान का टीवी देखोगे तो पता लग जाएगा। सोशल मीडिया में भरपूर आ रहा है, वहां पर यही है, वो दुआएं मांग रहे हैं कि कुछ भी हो जाए, चौकीदार से जैसे-तैसे छुटकारा मिले और ये महामिलावटी दिल्ली में आकर बैठ जाएं। क्या देश को ये मंजूर है? आपको यह मंजूर है? साथियों, कांग्रेस के नामदार के गुरु जो देश विदेश में उनके साथ रहते हैं, कांग्रेस की नीति निर्धारण करते हैं और वे बिना कोई संकोच, बिना कोई लाज शर्म, बिना कोई लाग लपेट हिंदुस्तान की धरती पर, टीवी मीडिया के सामने आतंकियों को क्लीन चिट दे रहे हैं, पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहे हैं।

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मेरे जम्मू के भाईयो-बहनो, जरा बताइए कि जब गुरु ही ऐसा होगा तो चेले कैसे होंगे? और चेले के साथी कैसे होंगे? 2-3 दिन पहले जो कुछ हुआ, वह तो और शर्मनाक है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक उम्मीदवार द्वारा अनाप शनाप बयानबाजी की गई, ये पूरे देश ने देखा है। देश यह भी देख रहा है कि कैसे कांग्रेस ने इन लोगों से हाथ मिलाया हुआ है। क्या कांग्रेस का हाथ ऐसे ही लोगों के काम के लिए है क्या, जो भारत के लिए अनाप-शनाप बोले, जो पाकिस्तान का जय-जयकार करे और कांग्रेस इनको कंधे पर बिठा दे? ये आपको मंजूर है क्या? कोई देश इसको स्वीकार कर सकता है क्या? इनको भारत माता की जय कहने में समस्या है, लेकिन आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों की जय कहने में उन्हें गर्व हो रहा है।

साथियो, आज कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की साझेदारी में एक चक्र पूरा कर दिया है। जम्मू-कश्मीर की स्थिति जो आज है, इसके लिए ये तीनों जिम्मेदार हैं। हैं कि नहीं हैं? कांग्रेस जिम्मेदार है कि नहीं है? नेशनल कॉन्फ्रेंस जिम्मेदार है कि नहीं है? पीडीपी जिम्मेदार है कि नहीं है? इन्ही की साझेदारी का परिणाम है कि इतने वर्षों तक कश्मीरी पंडितों को इतना कुछ सहना पड़ा। आतंक का जो जहर जम्मू कश्मीर में घुला है, उसके बड़े जिम्मेदार भी यही तीन दल हैं। इनके लिए सत्ता जरूरी है, परिवार की आकांक्षाएं जरूरी हैं, वंश और विरासत को बचाना जरूरी है। देश की सुरक्षा, देश का मान-सम्मान इनके लिए प्राथमिकता नहीं है, ये मायने नहीं रखता है।
साथियो, कांग्रेस के विचारकों का, कांग्रेस के नीति निर्धारकों का यही रवैया है, जिसने आतंक के पनाहगारों का हौसला बढ़ाया है। जिसके कारण जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश को दशकों से भुगतना पड़ रहा है, अपनों को खोना पड़ा है। ये वो लोग हैं जिन्होंने भारत के, हमारे सामर्थ्य पर कभी भरोसा नहीं किया। इनके पास बड़े और कड़े फैसले लेने की हिम्मत ही नहीं है। ये मरे पड़े लोग हैं जी।

साथियो, मैं जम्मू कश्मीर के एक-एक नागरिक को ये विश्वास दिलाने आया हूं, ये कितनी भी ताकत लगा लें, ये चौकीदार इनके रास्ते पर मजबूती से खड़ा रहेगा। आप लोगों ने मुझे बहुत निकट से देखा है, आपके बीच में देखा है और वो दिन आपको भी याद होगा, ढाई दशक पहले लाल चौक पर तिरंगा फहराते हुए जो मैंने कहा था, आज भी वही जज्बा और आचरण लेकर चल रहा हूं। सत्ता के मोह में ना तो मैंने अपने रुख को बदला है और आपको भरोसा है आगे भी ऐसी कोई गुंजाइश नहीं बची है। आतंक के साथी चाहे सीमा पार हों या फिर देश के भीतर, एक बात कान खोलकर सुन लें भारत के हितों, भारत की सुरक्षा के विरुद्ध उठाया गया एक भी कदम भारी पड़ेगा। आज सुरक्षा एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। आतंकियों की फंडिंग से लेकर उनसे जुड़े लिंक को खंगाल रही है। ऐसे संगठन जो आतंकियों को बढ़ावा देते हैं, उन पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
भाइयो और बहनो, आज जब पुरानी रीति-नीति को बदल रहा हूं तो कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेताओं को नींद नहीं आती है, तकलीफ हो रही है। ये आए दिन चौकीदार को गाली देने में जुटे हैं। आप मुझे बताइए, आपका ये चौकीदार जो कर रहा है वो सही है या नहीं? जम्मू कश्मीर के हित में जो फैसले लिए जा रहे हैं वो आपको सही लगते हैं या नहीं लगते हैं? मैं ठीक दिशा में जा रहा हूं। अगर जम्मू के लोगों को चौकीदार पर विश्वास है, पक्का है, हर गांव में है! हर गली में है! घर में है? अगर आपका इतना विश्वास है चौकीदार पर तो पक्का लिखकर रखिए, ये महामिलावटी लोगों की महागिरावट तय है।

साथियो, एलओसी और सीमा से सटे अनेक गांवों को पाकिस्तान की नापाक हरकतों के चलते दिक्कत हो रही है, इसका मुझे पूरा अहसास है। अपनी बौखलाहट, इस बौखलाहट में वो हमारे गांवों को, रिहायशी बस्तियों को, हमारे पशुओं को निशाना बना रहे हैं। लेकिन आप आश्वस्त रहिए ये लंबे समय तक नहीं चलेगा। जिस सामर्थ्य के साथ, जितनी शक्ति से हमारी सेना जवाब दे रही है, उसके सामने ज्यादा दिन वो टिक नहीं पाएंगे। आपको क्या लगता है? टिक पाएंगे? नहीं टिक पाएंगे। एक तरफ हमारी सेना सही जवाब दे रही है तो दूसरी तरफ सरकार आपकी सुरक्षा और सुविधा का भी इंतजाम कर रही है। इसके लिए सीमा पर करीब 20 हजार बंकर बनाए गए हैं। साथियो, जीवन अमूल्य होता है, उसे पैसों से नहीं तौला जा सकता लेकिन अगर दुर्भाग्य से, नापाक गोलीबारी से किसी की जान चली जाती है तो उसका मुआवजा भी पांच गुना बढ़ा दिया गया है। साथियों, हिंसा और साजिश के प्रति अपनी लड़ाई को लेकर मेरी शक्ति और मेरा विश्वास इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि मुझे जम्मू कश्मीर के युवा चौकीदारों का समर्थन मिल रहा है। माताओं, बहनों के आशीर्वाद मिल रहे हैं। यहां के नौजवान, सेना और दूसरे सुरक्षाबलों में भर्ती होने के लिए भारी संख्या में आगे आ रहे हैं। हमारी सरकार ने यहां के युवा साथियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए अवसरों में भारी वृद्धि की है। सेना और केंद्रीय बलों में एक विशेष भर्ती अभियान के तहत 20 हजार से अधिक युवा साथियों को हमने भर्ती कराया है। साथियो, आपका ये चौकीदार राष्ट्र रक्षा के लिए भी पूरी तरह समर्पित है और जम्मू कश्मीर के संतुलित विकास के प्रति भी उतना ही सजग है। फोर लेन की सड़के हों, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईएम, आईआईटी हो, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे अनेक प्रोजेक्ट जम्मू को मिले हैं। किश्तवार में बड़े हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का शिलान्यास तो मैंने पिछले महीने ही किया है। इसके अलावा जम्मू का रिंग रोड हो, चेनाव नदी पर बना इंद्री पत्तन परगवाल पुल हो, चेनानी नाशरी टनल हो, चेनानी गोहा सड़क हो, जम्मू अखनूर फोर लेन सड़क हो, सुंदरवनी, नौशेरा, राजौरी और सुंदरवनी के रास्ते पहुंचता यहां का नेशनल हाइवे हो, ऐसे अनेक प्रोजेक्ट थे, यहां की कनेक्टिविटी का सुदृढ़ होना सुनिश्चित हुआ है।

साथियो, इन सभी कार्यों के बीच आप याद रखिएगा कि कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सबने जम्मू के साथ छल किया है, भेदभाव किया है। विकास के तमाम प्रोजेक्ट्स को लटकाने और भटकाने का काम किया है। जम्मू में विक्रमचौक से गांधीनगर तक के फ्लाईओवर की मांग कितने साल से अटकी थी, हमने उसे पूरा किया है। साथियो, आपका ये चौकीदार विकास की पंचधारा यानी बच्चों को पढ़ाई, बुजुर्गों को दवाई, युवा को कमाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई ये सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी सोच के साथ हमने बड़े कदम उठाए हैं जिनका लाभ पूरे जम्मू कश्मीर को भी मिला है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत जम्मू कश्मीर के लगभग 14 लाख किसान परिवारों को सीधी मदद मिलना तय हुआ है। इसमें से साढ़े 4 लाख को पहली किश्त मिल चुकी है, बाकियों के खाते में भी बहुत जल्द मदद पहुंच जाएगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत यहां के 6 लाख गरीब परिवारों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा सुनिश्चित हुई है। ऐसे ही 9 लाख से अधिक गरीब बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है। 25 हजार से अधिक गरीबों के पक्के घर बनाए जा चुके हैं। अभी जिनको गैस कनेक्शन और घर नहीं मिला है, उनको भी मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं, उनको भी बहुत जल्द उनका हक मिल जाएगा। साथियो, गरीब परिवारों के लिए हमने ऐसे अनेक काम तो किए ही हैं, मध्यम वर्ग के लिए भी बहुत बड़ा कदम इस बजट में उठाया है। 5 लाख रुपए तक की कर योग्य आय पर टैक्स हमने पूरी तरह से माफ कर दिया है।

भाइयो और बहनो, देश के साधनों और संसाधनों में हमारे युवा साथियों को अवसरों की समानता मिले, सरकारी सेवाओं और शिक्षण संस्थानों में सबको भागीदारी मिले, इसके लिए हमने अनेक बड़े कदम उठाए हैं। 2 फैसले हैं जो भाजपा की और कांग्रेस की नीति और नीयत को साफ-साफ उजागर करते हैं। अंतराष्ट्रीय सीमा पर बसे लोग लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे थे, कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। पिछले महीने ही हमारी सरकार ने बड़ा फैसला लिया और राज्य सरकार की सेवाओं में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे लोगों को तीन प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर दिया। इसी तरह पहाड़ी लोगों के लिए भी तीन प्रतिशत का आरक्षण दिया गया और दूसरा फैसला भी आरक्षण से जुड़ा है। यह मांग भी दशकों से हो रही थी लेकिन कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति आड़े आती थी। सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को आरक्षण की मांग दशकों से हो रही थी लेकिन किसी में संविधान संशोधन की हिम्मत नहीं थी। हमने इच्छाशक्ति दिखाई और गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू हो चुका है। यही सबका साथ सबका विकास का हमारा मंत्र है और इसी पर हम आगे बढ़ रहे हैं।

साथियो, इसके साथ ही पाकिस्तान से आए शरणार्थी परिवारों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आकर यहां बसे बहन, भाइयों का भी ध्यान रखा जा रहा है। भाइयो और बहनो, ये सारे काम इसलिए हो पा रहे हैं…क्यों हो पा रहे हैं भई? ये सब क्यों हो पा रहा है? ये सब क्यों हो रहा है? क्या कारण है? ...कारण मोदी नहीं है, ये मोदी के कारण नहीं हो रहा है, ये आपके एक वोट के कारण हो रहा है। आपके वोट की ताकत है, 2014 में आपने आपका एक वोट देकर मेरा हौसला बढ़ाया था। आपने जो पिछला वोट दिया था, उसका नतीजा आप देख रहे हैं। दिख रहा है या नहीं दिख रहा है? आपका वोट काम में आया या नहीं आया? आपके लिए उपयोगी हुआ या नहीं हुआ? अब इस बार आपका वोट जम्मू कश्मीर के विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा। समृद्ध और सुरक्षित राज्य बनाएगा। आपके चौकीदार के ऐसे ही अनेक प्रयासों की रोशनी में 11 अप्रैल के दिन आपको पोलिंग बूथ पर भारी संख्या में जाना है। आप सब वोट देने जाएंगे? औरो को भी वोट देने के लिए कहेंगे? आपकी मेरी बात घर-घर पहुंचाएंगे? एक-एक मतदाता को समझाएंगे? आपका एक वोट नए भारत की नीति और नेतृत्व को मजबूत करेगा। आपका वोट मजबूत सरकार और मजबूत भारत की राह तय करेगा। आप यहां हम सभी को अपना आशीर्वाद देने के लिए आए, इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मेरे साथ बोलिए..भारत माता की...जय, भारत माता की...जय, भारत माता की...जय।
एक और नारा बोलेंगे... मैं भी चौकीदार, मैं भी चौकीदार, मैं भी चौकीदार।
सभी चौकीदारों को नमस्कार। धन्यवाद।

  • श्रवण कुमार सायक September 29, 2024

    🙏🙏💐
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May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!