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PM unveils ‘Statue of Peace’ to mark 151st Birth Anniversary celebrations of Jainacharya Shree Vijay Vallabh Surishwer Ji Maharaj
PM Modi requests spiritual leaders to promote Aatmanirbhar Bharat by going vocal for local

প্রধান মন্ত্রী, শ্রী নরেন্দ্র মোদীনা ঙসি ভিদিও কন্ফরেন্সিংগী খুত্থাঙদা জৈনচার্য় শ্রী ভিজয় বল্লভ সুরিস্বের জী মহারাজকী ১৫১শুবা মপোক কুমওন থৌরমদা ‘ইহ-চিকপগী মীতম’ মায়খুম হাংদোকখ্রে‍। জৈন অচার্য়াবু ইকায় খুম্নবা ওইনা মায়খুম হাংদোক্লিবা মীতম অদুবু ‘ইং-চিকপগী মীতম’ হায়না মমীং থোল্লি‍। ইঞ্চ ১৫১ ৱাংবা মীতম অদু অস্তধাতু হায়বদি কোরিনা মরুওইবা মচাক ওইদুনা পোৎলম নিপাননা শাবনি অমদি রাজস্থানগী পালিদা লৈবা ভিজয় ভল্লভ সাধনা কেন্দ্র, জেতপুরাদা খিনবনি‍।

থৌরমদুদা প্রধান মন্ত্রীনা জৈনচার্য়া অমদি লাইনীংগী লুচিংবশিংগী মফমদা শ্রদ্ধাঞ্জলি কৎখি‍। বল্লভ অনি, সরদার বল্লভ ভাই পতেল অমদি জৈনচার্য়া শ্রী ভিজয় বল্লভ সুরিস্বের জী মহারাজকী মিং পল্লদুনা, প্রধান মন্ত্রীনা মালেমগী খ্বাইদগী ৱাংবা সরদার পতেলগী মীতম – ‘অমত্তা ওইবগী মীতম’ কত্থোকখ্রবা মতুংদা মহাক্না জৈনচার্য়া শ্রী ভিজয় বল্লভকী ‘ইং-চিকপগী মীতম’ মায়খুম হাংদোকপগী তাঞ্জা ফংবসি মহৈ য়াল্লে খল্লি হায়না হায়খি‍।

‘লমদমসিগীদমক খোঞ্জেল থোকপা’ হায়বা ৱাফম থম্লদুনা শ্রী মোদীনা নীংতম লাঞ্জঙগী মতমদা তৌখিবগুম্না লাইনীংগী লুচিংবশিংনসু ইরোমদোম লেপচবা ঙম্নবগী পাউজেল অসি শন্দোকপিদুনা ‘লমদমসিগীদমক খোঞ্জেল থোকপা’ হায়বসিগী কান্নবশিংগী মতাঙদা ৱা ঙাঙবিনবা ৱাফম থমখি‍। লৈবাকসিগী মীয়াম্না দিৱালি কুম্হৈগী মতমদা লমদমসিগী পোত্থোকশিং শৌগৎখিবা মওং মতৌ অদু পুক্নীং থৌগৎনিংঙাইনি হায়নসু মহাক্না ফোঙদোকখি‍।

ভারতনা মালেমদা ইং-চিকপা, অহিংসা অমদি মরূপ মপাং ওইবগী লম্বী উৎখ্রে হায়না প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি‍। করিগুম্বা অদোম্না ভারতকী পুৱারীবু হঙ্গৎনা য়েংলবদি মথৌ তারকপা মতম খুদিংমক্তা লাইনীংবা মীগুম্বা অমা থোরক্তুনা খুন্নাইবু লমজিং লমতাক্তুনা লাক্লি, অচার্য়া ভিজয় বল্লভ অদুগুম্বা লাইনীংবা অমনি‍। জৈনচার্য়ানা লিংখৎলমবা মহৈ মশিংগী ইন্সতিত্যুসনশিংগী মতাঙদা পল্লদুনা, মহাক্না পঞ্জাব, রাজস্থান, গুজরাত, মহারাস্ত্র অমদি উত্তর প্রদেশনচিংবা স্তেতশিংদা ভারতকী ৱাখল্লোন নীংথিনা মমি তাবা মহৈ লোয়শঙ কয়া লিংখত্তুনা লৈবাকসিবু মহৈ মশিংগী লমদা মরোমদোম লেপচনবগী মায়কৈদা পুশিনবিরম্বগীদমক্তা প্রধান মন্ত্রীনা মহাকপা থাক ৱাংনা থাঙ্গৎখি‍। হায়রিবা ইন্সতিত্যুসনশিং অসিনা লৈবাকসিগী কান্নরবা থৌগল তৌরিবা ইন্দস্ত্রিএলিস্ত, ৱায়েল্লোয়, দোক্তর অমদি ইঞ্জিনিয়র কয়া পুথোকখ্রে হায়না মহাক্না ফোঙদোকখি‍।

হায়রিবা ইন্সতিত্যুসনশিং অসিনা নুপীশিংগী মহৈ মশিংগী লমদা পায়খৎলিবা থৌরাংশিং অসিদা লৈবাকসিনা লমন কয়া তোনশিল্লে হায়না প্রধান মন্ত্রীনা ফোঙদোকখি‍। হায়রিবা মহৈ লোয়শঙশিং অসিনা খুদোংথিরবা মতমশিংদা নুপীশিংগী মহৈ মশিং তম্বগী লমচিং ওইদুনা লাকখি‍। জৈনচার্য়ানা নুপীমচাশিংগীদমক মহৈ লোয়শঙ কয়া লিংখৎলম্মী অমদি নুপীশিংবু মেনস্ত্রীমদা পুরকখি‍। অচার্য়া ভিজয় বল্লভ জীগী পুন্সিদি অহিংবা পোৎলম খুদিংমক্কীদমক থৌজাল, মিনুংশি অমদি নুংশিবনা থল্লি হায়না মহাক্না হায়খি‍। মহাক্কী থৌজালগা লোয়ননা উচেকশিংগী অনা লাইয়েংশঙ অমদি শা-ষন লাইয়েংফম কয়া লৈবাকসিদা চলাইরি‍। হায়রিবশিং অসি অচমবা ইন্সতিত্যুসনশিং নত্তে‍। মখোয়সি ভারতকী মচৎ য়াওরবা অমদি ৱাখল্লোন উৎলিবা ঙাক্তনি‍।

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Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism: PM Modi
May 27, 2023
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“Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism”
“Under the guidance of Adheenam and Raja Ji we found a blessed path from our sacred ancient Tamil Culture - the path of transfer of power through the medium of Sengol”
“In 1947 Thiruvaduthurai Adheenam created a special Sengol. Today, pictures from that era are reminding us about the deep emotional bond between Tamil culture and India's destiny as a modern democracy”
“Sengol of Adheenam was the beginning of freeing India of every symbol of hundreds of years of slavery”
“it was the Sengol which conjoined free India to the era of the nation that existed before slavery”
“The Sengol is getting its deserved place in the temple of democracy”

नअनैवरुक्कुम् वणक्कम्

ऊँ नम: शिवाय, शिवाय नम:!

हर हर महादेव!

सबसे पहले, विभिन्न आदीनम् से जुड़े आप सभी पूज्य संतों का मैं शीश झुकाकर अभिनंदन करता हूं। आज मेरे निवास स्थान पर आपके चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। ये भगवान शिव की कृपा है जिसकी वजह से मुझे एक साथ आप सभी शिव भक्तों के दर्शन करने का मौका मिला है। मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां साक्षात आकर के आशीर्वाद देने वाले हैं।

पूज्य संतगण,

हम सभी जानते हैं कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वीरमंगई वेलु नाचियार से लेकर मरुदु भाइयों तक, सुब्रह्मण्य भारती से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जुड़ने वाले अनेकों तमिल लोगों तक, हर युग में तमिलनाडु, भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ रहा है। तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है। बावजूद इसके, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया, जो दिया जाना चाहिए था। अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है। अब देश के लोगों को भी पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक तमिलनाडु के साथ क्या व्यवहार हुआ था।

जब आजादी का समय आया, तब सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर प्रश्न उठा था। इसके लिए हमारे देश में अलग-अलग परंपराएं रही हैं। अलग-अलग रीति-रिवाज भी रहे हैं। लेकिन उस समय राजाजी और आदीनम् के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था। ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का। तमिल परंपरा में, शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था। सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै आदीनम् द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार किया गया था। आज उस दौर की तस्वीरें हमें याद दिला रही हैं कि तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच कितना भावुक और आत्मीय संबंध रहा है। आज उन गहरे संबंधों की गाथा इतिहास के दबे हुए पन्नों से बाहर निकलकर एक बार फिर जीवंत हो उठी है। इससे उस समय की घटनाओं को समझने का सही दृष्टिकोण भी मिलता है। और इसके साथ ही, हमें ये भी पता चलता है कि सत्ता के हस्तांतरण के इस सबसे बड़े प्रतीक के साथ क्या किया गया।

मेरे देशवासियों,

आज मैं राजाजी और विभिन्न आदीनम् की दूरदर्शिता को भी विशेष तौर पर नमन करूंगा। आदीनम के एक सेंगोल ने, भारत को सैकड़ों वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से मुक्ति दिलाने की शुरुआत कर दी थी। जब भारत की आजादी का प्रथम पल आया, आजादी का प्रथम पल, वो क्षण आया, तो ये सेंगोल ही था, जिसने गुलामी से पहले वाले कालखंड और स्वतंत्र भारत के उस पहले पल को आपस में जोड़ दिया था। इसलिए, इस पवित्र सेंगोल का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि ये 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इस सेंगोल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसने गुलामी के पहले वाले गौरवशाली भारत से, उसकी परंपराओं से, स्वतंत्र भारत के भविष्य को कनेक्ट कर दिया था। अच्छा होता कि आजादी के बाद इस पूज्य सेंगोल को पर्याप्त मान-सम्मान दिया जाता, इसे गौरवमयी स्थान दिया जाता। लेकिन ये सेंगोल, प्रयागराज में, आनंद भवन में, Walking Stick यानि पैदल चलने पर सहारा देने वाली छड़ी कहकर, प्रदर्शनी के लिए रख दिया गया था। आपका ये सेवक और हमारी सरकार, अब उस सेंगोल को आनंद भवन से निकालकर लाई है। आज आजादी के उस प्रथम पल को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के समय हमें फिर से पुनर्जीवित करने का मौका मिला है। लोकतंत्र के मंदिर में आज सेंगोल को उसका उचित स्थान मिल रहा है। मुझे खुशी है कि अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ये सेंगोल इस बात की याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है, जनता-जनार्दन के प्रति जवाबदेह बने रहना है।

पूज्य संतगण,

आदीनम की महान प्रेरक परंपरा, साक्षात सात्विक ऊर्जा का प्रतीक है। आप सभी संत शैव परंपरा के अनुयायी हैं। आपके दर्शन में जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना है, वो स्वयं भारत की एकता और अखंडता का प्रतिबिंब है। आपके कई आदीनम् के नामों में ही इसकी झलक मिल जाती है। आपके कुछ आदीनम् के नाम में कैलाश का उल्लेख है। ये पवित्र पर्वत, तमिलनाडु से बहुत दूर हिमालय में है, फिर भी ये आपके हृदय के करीब है। शैव सिद्धांत के प्रसिद्ध संतों में से एक तिरुमूलर् के बारे में कहा जाता है कि वो कैलाश पर्वत से शिव भक्ति का प्रसार करने के लिए तमिलनाडु आए थे। आज भी, उनकी रचना तिरुमन्दिरम् के श्लोकों का पाठ भगवान शिव की स्मृति में किया जाता है। अप्पर्, सम्बन्दर्, सुन्दरर् और माणिक्का वासगर् जैसे कई महान संतों ने उज्जैन, केदारनाथ और गौरीकुंड का उल्लेख किया है। जनता जनार्दन के आशीर्वाद से आज मैं महादेव की नगरी काशी का सांसद हूं, तो आपको काशी की बात भी बताऊंगा। धर्मपुरम आदीनम् के स्वामी कुमारगुरुपरा तमिलनाडु से काशी गए थे। उन्होंने बनारस के केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। तमिलनाडु के तिरुप्पनन्दाळ् में काशी मठ का नाम भी काशी पर रखा गया है। इस मठ के बारे में एक दिलचस्प जानकारी भी मुझे पता चली है। कहा जाता है कि तिरुप्पनन्दाळ् का काशी मठ, तीर्थयात्रियों को बैकिंग सेवाएं उपलब्ध कराता था। कोई तीर्थयात्री तमिलनाडु के काशी मठ में पैसे जमा करने के बाद काशी में प्रमाणपत्र दिखाकर वो पैसे निकाल सकता था। इस तरह, शैव सिद्धांत के अनुयायियों ने सिर्फ शिव भक्ति का प्रसार ही नहीं किया बल्कि हमें एक दूसरे के करीब लाने का कार्य भी किया।

पूज्य संतगण,

सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिलनाडु की संस्कृति आज भी जीवंत और समृद्ध है, तो इसमें आदीनम् जैसी महान और दिव्य परंपरा की भी बड़ी भूमिका है। इस परंपरा को जीवित रखने का दायित्व संतजनों ने तो निभाया ही है, साथ ही इसका श्रेय पीड़ित-शोषित-वंचित सभी को जाता है कि उन्होंने इसकी रक्षा की, उसे आगे बढ़ाया। राष्ट्र के लिए योगदान के मामले में आपकी सभी संस्थाओं का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। अब उस अतीत को आगे बढ़ाने, उससे प्रेरित होने और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करने का समय है।

पूज्य संतगण,

देश ने अगले 25 वर्षों के लिए कुछ लक्ष्य तय किए हैं। हमारा लक्ष्य है कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समावेशी विकसित भारत का निर्माण हो। 1947 में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका से कोटि-कोटि देशवासी पुन: परिचित हुए हैं। आज जब देश 2047 के बड़े लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है तब आपकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। आपकी संस्थाओं ने हमेशा सेवा के मूल्यों को साकार किया है। आपने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का, उनमें समानता का भाव पैदा करने का बड़ा उदाहरण पेश किया है। भारत जितना एकजुट होगा, उतना ही मजबूत होगा। इसलिए हमारी प्रगति के रास्ते में रुकावटें पैदा करने वाले तरह-तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगे। जिन्हें भारत की उन्नति खटकती है, वो सबसे पहले हमारी एकता को ही तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि देश को आपकी संस्थाओं से आध्यात्मिकता और सामाजिकता की जो शक्ति मिल रही है, उससे हम हर चुनौती का सामना कर लेंगे। मैं फिर एक बार, आप मेरे यहां पधारे, आप सबने आशीर्वाद दिये, ये मेरा सौभाग्य है, मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, आप सबको प्रणाम करता हूँ। नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर आप सब यहां आए और हमें आशीर्वाद दिया। इससे बड़ा सौभाग्य कोई हो नहीं सकता है और इसलिए मैं जितना धन्यवाद करूँ, उतना कम है। फिर एक बार आप सबको प्रणाम करता हूँ।

ऊँ नम: शिवाय!

वणक्कम!