PM Modi's interview to DD News and Rajya Sabha TV

Published By : Admin | April 15, 2019 | 22:33 IST

एंकर - नमस्कार, पूरा देश इस वक्त चुनावी तपिश महसूस कर रहा है । और सिर्फ देश ही क्यों भारत में जो लोकसभा चुनाव हो रहे हैं उसकी चर्चा पूरी दुनिया में है । यूं तो हर चुनाव अहम होता है लेकिन इस बार के चुनाव खास इसलिए हैं क्योंकि आपको याद होगा कि 2014 के जो लोकसभा हुए थे, तीस साल बाद ऐसा हुआ था कि भारत की जनता ने एक पार्टी को बहुमत के साथ सत्ता सौंपी थी । उस वक्त जो चुनाव प्रचार चला था वो कुल मिलाकर एक नाम , एक व्यक्ति के इर्द गिर्द ऐसा लग रहा था सिमट गया , और वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी डीडी न्यूज़ और राज्य सभा टीवी के साथ खास बातचीत करने के लिए हमारे साथ हैं । बहुत बहुत शुक्रिया सर

प्रधानमंत्री - डीडी न्यूज़ और राज्य सभा टीवी के सभी दर्शकों को मेरा नमस्कार

सवाल - आपके आलोचक पहले कहा करते थे कि आपका सारा जोर अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करने में रहा है और रूस के साथ संबंध पिछड़ते जा रहे हैं । रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के मिलने के बाद क्या उन आलोचकों को जवाब मिला ?

प्रधानमंत्री - लोकतंत्र में आलोचना तो बहुत अच्छी है और जरूरी भी है । लेकिन substance के बिना यदि आलोचना हो तो वो आलोचना के बजाय आरोप होते हैं । मैं तो चाहूंगा कि criticism होना चाहिए , लेकिन criticism बहुत rarely देखने को मिला है , जो मैंने अनुभव किया कि सिर्फ आरोप ही आरोप चलते रहे हैं । और अगर उसने criticism करने का तय किया होता तो study करता । अमेरिका के साथ हमारे संबंधों का स्वरूप क्या हैं, रूस के साथ संबंधों का स्वरूप क्या हैं, issues क्या हैं, multilateral forums में हम कहां होते हैं , bilateral forums में हम कहां होते हैं, सारी चीज़ों को देखा होता , तो कोई इस प्रकार का फुटपाथिया conclusion नहीं निकालता।

सवाल - कई सम्मान आपको मिले, लेकिन रूस और यूएई के सम्मान जो आपको मिले उनके बारे में पूछा जा रहा है कि ये चुनाव के ही वक्त क्यों मिले ?

प्रधानमंत्री - देखिये दुनिया के देश तो अपने हिसाब से चलते हैं । उनका एक timing रहता है , अब देखिये हमने हमारे यहां पद्म पुरस्कार दिये , पर ये समय ध्यान तो नहीं रहता कि वहां क्या चल रहा है, कई विदेश के लोगों को भी देते हैं । अभी हमने भारत रत्न दिया , उसको भी कोई कह सकता है कि चुनाव के वर्ष में क्यों दिया । आलोचना करने का ये कोई logic नहीं है । दूसरा जब मैं पहली बार सउदी अरब गया , तो उनका सबसे बड़ा सम्मान दिया गया , मैं फलस्तीन गया , देश का पहला प्रधानमंत्री था जिसको वहां जाने का अवसर मिला , फलस्तीन ने भी बहुत बड़ा सम्मान दिया था, अफगनिस्तान ने भी बहुत बड़ा सम्मान दिया था । तो मैं समझता हूं कि एक स्वभाविक प्रक्रिया है । Election Commission ने भी इन स्वभाविक प्रक्रियाओं को चलने देने की बात हमेशा कही है ।

सवाल - बालाकोट के बाद जिस तरह से भारत को अंतरारीय समर्थन मिला है उससे ऐसा लगता है कि विदेशों से हमारे संबंध बेहतर हुए हैं ।

प्रधानमंत्री - आपकी बात एकदम सही है , आज विश्व के अंदर भारत में अपनी जगह बनाई है , पहले हम एक दर्शक थे अब हम एक प्लेयर हैं । जैसे मान लिजिए global warming और environment पे चर्चा होती थी , तो कभी हमें ऐसे ही देखा जाता था कि भारत रूकावट डालेगा , आज दुनिया कह रही है कि भारत lead कर रहा है । International Solar Alliance जैसे initiative लेकर के हमने concrete रूप लिया है। इजरायल और फलिस्तीन के बीच में संबंध में तनाव है लेकिन इजरायल और फलस्तीन दोनों से हमारा उतना ही प्यारपूर्ण संबंध है। दोनों जगह पर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मुझे जाने का सौभाग्य मिला है। अरेबियन कंट्रीज और इरान के बीच तनाव है। लेकिन अरेबिक कंट्रीज में जो हो रहा है, इरान में जो हो रहा है लेकिन हमारे साथ दोनों की दोस्ती है। और इसलिए हमारी कोशिश ये है कि भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हुए हमें दुनिया के साथ अपना तालमेल करना चाहिए। दूसरा, पहले दूनिया बाईपोलर थी इसलिए किसी न किसी खेमे में जाना पड़ता था आज ग्लोबलाइज एरा में पूरी दुनिया इंटर डिपेंडेंट भी है, इंटर-कनेक्टेड भी है। ऐसी स्थिति में भारत एक आइसोलेटेड अवस्था में नहीं रह सकता है। सबके साथ मिल जुल कर चलने का प्रयास करना चाहिए। और हमने पिछले दिनों यही प्रयास किया है और जिसके सुखद परिणाम मिले हैं।

सवाल - आप जैसे भारत की बात करते हैं, आपका जो संकल्प पत्र है उसमें भी भारत के विजन की बात की गई है। 2022 में जो न्यू इंडिया @ 75 की बात की गई है, ऐसे पांच क्या प्राथमिकताएं हैं आपकी जिससे आप उस विजन को पाएंगे ?

प्रधानमंत्री - एक तो हमने पहली बार ऐसा संकल्प पत्र लेकर आए हैं, जिसमें हम मिड वे देश को हिसाब देने का फैसला किया है। यानि 2022 के भी हमने लक्ष्य तय किए हैं और 2024 के भी लक्ष्य तय किए हैं। 2022 आजादी के 75 साल हो रहे हैं, देश में एक प्रेरणा का वातावरण बनाना चाहिए। आजादी के लिए जीने मरने वालों का पूण्य स्मरण करना चाहिए। उसी से Inspiration लेते हुए सवा सौ करोड़ देशवासियों को देश को आगे बढ़ाने का भागीदार बनाना चाहिए। और उसको ध्यान में रखते हुए हमने 2022 जबकि आजादी के 75 साल होंगे, हमने 75 कदम ऐसे तय किए हैं जिसको हम 2022 तक पूरा करेंगे। इसका मतलब ये हुआ कि 23 और 24 में लोग मुझसे पूछेंगे कि तुमने जो कहा था , क्या हुआ ? इसका मतलब ये हुआ इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेने का भूतकाल में किसी ने हिम्मत नहीं किया था, हमने किया। और मुझे विश्वास है कि 2022 तक हिन्दुस्तान के हर परिवार को जिसके पास घर नहीं है, उसको हम पक्का घर देंगे। हमने कहा 2022 तक हिन्दुस्तान में कोई एक भी परिवार ऐसा नहीं होगा जिसको बिजली का कनेक्शन न हो। तो एक प्रकार से Ease of Living, उसको हम बल दे रहे हैं। दूसरा हमारे जो सेक्टर हैं, किसान की जो आय है उसको 2022 तक हम डबल करना चाहते हैं। और उसमें इनपुट कॉस्ट कैसे कम हो, एग्रीकल्चर Yield per Acre कैसे ज्यादा हो, ज्यादा उत्पादन कैसे हो, फूड प्रोसेसिंग को बल कैसे मिले, फूड स्टोरेज, ग्रेन स्टोरेज, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउसिंग इन सबका अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसे तैयार हो .... उसके बाद उसके साथ पशुपालन, उसके साथ Fisheries, उसके साथ पोल्ट्री, उसके साथ हनी, ऐसी कई चीजों से उसको जोड़ना , और एक नया दृष्टिकोण हमने दिया है अन्नदाता ऊर्जादाता बने। खेत के किनारे पर हर किसान एक दो मीटर जमीन बर्बाद कर देता है बाड़ लगाकर उसकी फेंसिंग करके। अगर उसी को वो सोलर पैनल लगा दे तो एक प्रकार से वो ऊर्जा पैदा करेगा..अपने खेत में पंप वगैरह चलाने के लिए जो उर्जा चाहिए वो उसे मिल जाएगी और जो अतिरिक्त उर्जा है वो राज्य सरकार को हम आग्रह करेंगे कि खरीदिए ... तो देश का किसान ... अच्छा कुछ जगह ऐसी हैं जहां पर पानी नहीं है , साल में मुश्किल से एक आध फसल होती है .. उसको छह महीने सौलर पैनल से बिजली मिलेगी तो 365 दिन इन्कम का उसका एक जरिया पैदा होगा .. एक बड़ा रिवोल्युशनरी हमारा थिंकिंग है जो आने वाले दिनों में काम आएगा।

सवाल - जब आप सोलर पैनल की बात करते हैं तो एक समस्या उस वक्त आती है ... सोलर पैनल की महंगाई उसका कोस्ट। तो क्या आपने यह भी सोचा है कि कैसे उसको जब आप इतनी बड़ी योजना सोचते हैं तो जो स्टेप्स लेने पड़ेंगे सोलर पैनल को सस्ता करने के लिए ?

प्रधानमंत्री - आप देखिए ...बहुत बढ़िया उदाहरण है एलईडी बल्ब को लेकर के ... एलईडी बल्ब कोई नई चीज नहीं थी। एलईडी बल्ब से लोग परिचित थे। कि हमारे आने से पहले एलईडी बल्ब की कीमत साढे तीन सौ रुपये - चार सौ रुपये तक थी ...एलईडी बल्ब के कारण हर परिवार मध्यमवर्ग का परिवार का बिजली का बिल सलाना दो तीन हजार रुपये तक बच जाता है... और देश का एनर्जी कंजम्पशन भी बच जाता है। और इस प्रकार से नेचुरल रिसोर्स भी बच जाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग को भी कम करने में मदद मिलती है । एक बहुत बड़ा इनिशिएटीव हमने लिया ...आज अरबों-खरबों एलईडी बल्ब बांटे गए .. स्थिति ये बनी कि इसकी कीमत 45 रूपये आ गई । इसका मतलब ये हुआ कि ... शुरू में जब मोबाइल फोन आया .. बहुत महंगा था .. आज मोबाइल फोन ... तो सोलर का भी ऐसा ही होने वाला है।

सवाल - प्रधानमंत्री जी जैसे आपने किसानों का जिक्र किया .. अपने संकल्प पत्र के संदर्भ में जैसे आपने 2022 तक उनकी आय को दोगुणा करने का लक्ष्य रखा है ...लेकिन लोग कहते हैं कि अभी भी जो किसानों की स्थिति है वो अभी Distress में हैं, आत्महत्याएं लगातार होती हैं देश के अलग-अलग हिस्सों से .. इसको लगातार राजनीतिक मुद्दा बना दिया जाता है ... देश में किसान आते हैं, दिल्ली में आते हैं, उनका प्रदर्शन होता है तो वो कहते हैं कि पिछले पांच सालों में किसानों को लेकर कोई ऐसा कदम ... वो कहते हैं लॉंग टर्म ठीक है 2022 के लिए लेकिन अभी तुरंत उनको राहत मिले ऐसा क्या किया गया?

प्रधानमंत्री - जैसे एक तो हमने सॉयल हेल्थ कार्ड का बड़ा अभियान चलाया। सॉयल हेल्थ कार्ड से उसको तुरंत यह पता चलने लगा कि उसके मिट्टी की हेल्थ कैसी है .. उससे वो यह तय कर पाया कि अब तक जो खेती वो करता था उसकी जमीन उसके लायक है ही नहीं ...उसने सिफ्ट करना चाहिए और लोगों ने ये माना ...पहले वो आवश्यकता से अधिक फर्टिलाइजर लगाता था ... जो फर्टिलाइजर लगाना चाहिए उससे अलग लगा देता था, दवाइयां भी जो पेस्टीसाइड्स उसे चाहिए ... बगल वाले किसान ने लाल डिब्बे वाली बोतल लाया तो ये भी लाल डिब्बे वाली बोतल ले आता था तो हमने उसको वैज्ञानिक तरीके तक ले जाने का एक बहुत बड़ा काम किया। दूसरी बात है एमएसपी .. ये बहुत बड़ा इश्यु है स्वामिनाथन कमिशन का ..2007 से फाइलें पड़ी थीं ..यूपीए सरकार उसको दबोच कर बैठ गई। उन्होंने किसानों की परवाह नहीं की। और उसमें लागत का डेड़ गुना मूल्य देना था .. अगर ये काम 2007 में हो गया होता तो हमारे देश के किसानों को इतनी मुसीबत न आती ...हमने ये काम किया और किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिया और इतना ही नहीं हमने एमएसपी का भी दायरा बहुत बढ़ा दिया ...पहले हमारे यहां कभी पल्सेस एमएसपी नहीं था.. हम पल्सेस बाहर से लाते थे । तीसरा महत्वपूर्ण काम हमने किया है कि (जितना) हो सके उतना एग्रिकल्चर सेक्टर का इंपोर्ट जीरो करके उसी चीज का रिक्वायरमेंट देश में कैसे पैदा करें ...जैसे आज भी पामोलीन हमको बाहर से लाना पड़ता है .. या तो हम पामोलिन के लिए जो भी हमारे एग्रिकल्चर सेक्टर में काम करते हैं वो उस पर बल दें...देश का इंपोर्ट कम हो तो देश के किसानों को ताकत मिलेगी । पहली बार हमने फसल बीमा योजना इसको हम लाए हमारे यहां कभी प्राकृतिक आपदा होती थी .. अगर ओले गिर गए .. आंधी तूफान आ गया तो किसान को मदद देने के जो तौर तरीके थे वो इतने आउटडेटेड थे .. उन सबको हमने बदल दिया और वो किसान को बहुत ही संतोष देने वाला .. हमने उसका दायरा बना दिया कि उसको कोई नुकसान न हो ..तो eNAM योजना हमने शुरू की उसको एक नेशनल लेवल का मार्केट मिले .. किसान अपने मोबाइल फोन पर तय कर सकता है कि उसका माल सही है कि उसको मार्केट कहां सही मिलेगा... पैसा कहां सही मिलेगा ... कि चीजें तय कर रहा है तो ऐसी अनेक चीजों को हमने किया है। अब हमने किसान सम्मान निधि दी है ... किसान सम्मान निधि .. कर्जमाफी जो लोग करते हैं तो एक प्रकार से दस साल में एक बार करते हैं ...राजनीतिक माहौल बना करके .. पहली बार देश में जब यूपीए सरकार थी ..किसानों का कर्ज छह लाख करोड़ रुपये था ...लेकिन सरकार बनने के बाद सिर्फ 52 हजार करोड़ रुपया माफ किया । यानि कहां छह लाख करोड़ रुपये का कर्ज और कहां माफी... यानि आपने पोलिटिकल गिमिक किया .. किसानों का चिटिंग किया ..किसानों को (आत्म)हत्या करने पर मजबूर कर दिया.. और 52 हजार करोड़ रुपये में भी कुछ लाख लोगों को मिला ..सब किसानों को तो कुछ भी नहीं मिला। जो मिला उसका भी सीएजी रिपोर्ट कहता है कि उसमें भी उनकी आदत के अनुसार 35-40 लोग बिल्कुल ही किसान नहीं थे, वो रुपये मार गए। तो इस सारी प्रक्रिया को हम समझ गए और हमने एक योजना बनाई.. हर साल ... हर साल यानि दस साल में उन्होंने 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था ... हम दस साल में सात लाख पचास हजार करोड़ रुपया किसान के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर करेंगे और दूसरा कर्ज लिया नहीं लिया उससे कोई लेना देना नहीं .. इस देश के पांच एकड़ और पांच एकड़ की नीचे की भूमि वाले सब किसानों को ये मदद मिलेगी...अब हमने इस संकल्प पत्र में कहा है कि 23 मई के बाद जो हमारी नई सरकार बनेगी जो बनने वाली है ... तो हम ये पांच एकड़ का भी जो हमने स्लैब रखा है वो भी निकाल करके हिन्दुस्तान के सभी किसानों को इसका बेनिफिट देंगे। हमने ब्याज जीरो कर दिया ...किसान जो भी लोन लेगा, जीरो करने का हमने संकल्प पत्र में कहा है ... तीसरी बात हमने ये भी कहा है उसको जो कर्ज लेता है .. उसको हमने डबल कर्ज देने की व्यवस्था की है .. तीसरी बात हमने कही है कि फिशर मैन को भी किसान कार्ड की जो फैसिलिटी मिलती है ... वो फिशर मैन को मिलेगा। तो वो भी उसके लिए इन्कम का एक साधन बनेगा ...तो दूध उत्पादन हो, पोल्ट्री हो, फिशिंग हो, हनी हो, अनेक चीजों को एक साथ कर रहे हैं ।

सवाल - प्रधानमंत्री जी जैसा आपने अभी कहा कि 23 के बाद सरकार बनने वाली है .. आप इतना कंफिडेंट किस आधार पर हैं .. अभी पहले दौर का चुनाव हुआ है ... अभी छह दौर के चुनाव और बांकि हैं तो इतना कंफिडेंस... आज बल्कि एक अखबार में खबर भी आई कि सरकार ने अपने सौ दिन का ऐजेंडा भी तय कर लिया है .. आप 2022 की बात कर रहे हैं .. 2047 की बात कर रहे हैं तो ये आत्मविश्वास का कारण क्या है ?

प्रधानमंत्री - पांच साल पूर्ण समर्पण भाव से ... पूरी निष्ठा से ... मैं नया था .. सीखने के लिए भी जितनी मेहनत करनी पड़ी एक विधार्थी की तरह सीखता भी रहा ...नया था इसलिए भी जितने भी अच्छे विचार आते थे उसको स्वीकार करता गया ...मेरे कोई बैगेजेज नहीं थे ..नया था तो मैं एक नयेपने से कर सकता था ...और दूसरा सबसे बड़ा लाभ मुझे था कि मैं गुजरात का लांगेस्ट सर्विंग चीफ मिनिस्टर था ...और एक अच्छा माने जाने वाले राज्य का मुख्यमंत्री था ...तो वो मेरा एक्सपिरियेंस था ... तो ये सारी चीजों से मैंने 2014 में काम को शुरु किया। और आपने देखा होगा कि इस सरकार को परिश्रम करने में कोई कमी नहीं थी ... कोई डिपार्टमेंट ऐसा नहीं होगा जो हमने इनिशिएटिव न लिया हो ...हमने पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस पर बल दिया .. हमने डिलिवरी को बल दिया .. अगर आजादी से लेकर हमारे आने तक देश में सैनिटेशन कवरेज 38 पर्सेंट था ... आज वो करीब-करीब 99 पर्सेंट तक पहुंच गया तो लास्ट माइल डिलिवरी में हम सफल हुए। आजादी से हम आए तब तक जितने एलपीजी गैस कनेक्शन थे उससे हमने डबल कर दिया पांच साल में ...तो लोग हमारी स्पीड भी देख रहे हैं, हमारा स्केल भी देख रहे हैं, और हमारे काम करने की स्किल भी देख रहे थे ... स्पीड, स्केल और स्किल ... ये पांच साल लगातार और एक दाग नहीं है ... कोई ऐसी गलती नहीं की है .. या कुछ ऐसा बुरा नहीं किया है ...कि जिसके कारण ... तो ये पांच साल का कठोर परिश्रम और पांच साल का संपूर्ण समर्पण किसी के अंदर भी विश्वास पैदा कर सकता है जो विश्वास मेरे अंदर पैदा हुआ है और दूसरा मैं लगातार हिन्दुस्तान का दौरा कर रहा हूं ..मैं दिल्ली में रह करके देश नहीं चलाया है ..मैंनें नार्मली पांच साल शनिवार रविवार, शनिवार -रविवार देश के किसी न किसी कोने में गया हूं .. लोगों से मिला हूं बात की है ..वहां के अफसरों से मिला हूं, किसी भी दल की सरकार हो ... वहां के नेताओं से बात की है, उनसे मिला हूं तो इनके कारण मेरी लगातार एक्टिविटी रही है और अभी जो रैलियां हुईं, अभी जो चुनावी रैलियां मेरी चल रही है ... मैं लोगों की जबर्दस्त वेभ चल रही है अप्रत्याशित वेभ है। मैंने 2014 में भी ऐसा वेभ नहीं देखा था।

सवाल- खास करके जो एक क्लीप चल रही है ... वो मैं देख रहा था ...

प्रधानमंत्री - अच्छा ... वो मेरा रोडशो नहीं था मैंग्लोर वाला ...रोड शो नहीं था ...मैं जब जा रहा था तो लोग बाहर खड़े थे तो मुझे लगा कि अच्छा चलो भाई मुंडी निकाल करके गाड़ी में से हाथ उपर कर लो .. तो मैं जब बाहर निकला तो मैं हैरान था ... मीलों तक यह हाल था ..तो फिर उनके सम्मान के लिए मैं बाहर खड़ा रहा। यह रोड शो नहीं था...और जब मैंने खुद ने सोशल मीडिया में यह दृश्य देखा किसी ने उपर से शायद लिया होगा .... तो मैं हैरान था कि इतने ... क्योंकि गाड़ी में से तो मुझे अगल बगल के 25-50 फीट तक ही दिखता था ..मैं हैरान था तो ये जो जनसैलाब है ये अभूतपूर्व है ।

सवाल - आप जो इतना रैली करते हैं लोगों से मिलते हैं तो आपको क्या लगता है कि सच में इस देश में लोगों के मन के क्या मुद्दे हैं जो वो आपके सामने रखते हैं ?

प्रधानमंत्री - पांच साल हमने जो सरकार चलाई उसमें हमने एड्रेस किया सामान्य मानविकी आवश्यकताएं जो आजादी के पहले दस बीस साल में मिल जानी चाहिए थी लेकिन वो विलंबित हो गई साठ साल तक नहीं मिली तो हमारी पहली प्राथमिकता रही और आपको मालूम होगा जब मुझे एनडीए का लीडर चुना गया तो पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में मैंने भाषण करते हुए कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। पांच साल मैंने सामान्य मानविकी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जान लगा दी। और उसको किया । उसको घर मिले, गैस मिले, बिजली मिले, बच्चों को शिक्षा मिले, आरोग्य की व्यवस्था, ऐसे अनेक INITIATIVE, अनेक INITIATIVE लिये, UNPRECEDENTED. और पहला पांच साल मेरा, आवश्यकताओं की पूर्ति का था, अगला पांच साल मेरा, आकांक्षाओं की पूर्ति का है। ASPIRATIONS की पूर्ति का है। अब मेरा ध्यान है, समान्य हिन्दुस्तान के नागरिक की ASPIRATIONS क्या हैं, आकांक्षाए क्या हैं? उस पर बल देना ये मेरा FOCUS है।

सवाल - सर अगर हम बात करें, MANIFESTO की, आपके संकल्प पत्र की या कांग्रेस के MANIFESTO की, एक बात सामने आती है, वो है, सामाजिक सुरक्षा, ये क्या आप मानते हैं कि इस देश में एक बड़ा मुद्दा होने जा रहा है, चाहे उनकी न्याय स्कीम हो, चाहे आप कहते हों कि हम 60 साल बाद इन लोगों को जो है वो पेंशन देंगे। तो सामाजिक सुरक्षा क्या एक बड़ा मुद्दा होने जा रहा है?

प्रधानमंत्री - पहली बात है, हर सरकार का ये दायित्व होता है, सोशल सिक्योरिटी। ये MANIFESTO में हो या न हो, और पिछले पांच साल भी हमने यही काम किया है, जब उसको रहने के लिए घर मिलता है, मतलब सामाजिक सुरक्षा, आयुष्मान भारत योजना के तहत, उसको पांच लाख रुपया, हेल्थकेयर के लिए मिलना, सामान्य मानवी के लिए एक रुपये में यानि कि 90 पैसे में INSURANCE मतलब सामाजिक सुरक्षा है, और इसमें करीब, आंकड़ा मुझे चेक करना पड़ेगा लेकिन मोटा-मोटा मुझे याद है, 3000 करोड़ रुपया, ये सामाजिक सुरक्षा के जो INSURANCE थे, वो ALREADY उन लोगों मिल चुके हैं। वैसे सरकार 3000 करोड़ रुपये की योजना बनाती, तो अख़बारों की HEADLINE होती, लेकिन सामान्य 90 पैसे की योजना से, 3000 करोड़ रुपया ग़रीबों के पास पंहुच गया।

सवाल - ये अगर एक चीज़ और मैं पूछूं कि, न्याय योजना जो कांग्रेस ने सामने रखी है, आप इसे कैसा मानते हैं, IMPLEMENTABLE मानते हैं?

प्रधानमंत्री - जब वो न्याय योजना की बात करते हैं इसका मतलब है उन्होंने, जाने-अनजाने में कहो, इस बात को स्वीकार किया है, कि पिछले 55 साल एक परिवार के शासन ने और 60-65 साल कांग्रेस सरकार ने, इस देश पर घोर अन्याय किया है। ये उन्होंने स्वीकार किया है। अब जो घोर अन्याय किया है, क्या उसे वो न्याय दे पाएंगे? जैसे, 1984 में सिख दंगों में सिखों की बेरहमी से कत्ल-ए-आम, क्या कांग्रेस उनको न्याय दे पाएगी? इस देश में 100 से अधिक बार, भारत के संविधान का दुरुपयोग करके, 356 का उपयोग कर के चुनी हुई सरकारों को उन्होंने तोड़ दिया, गिरा दिया, वो जो अन्याय हुआ, उसका न्याय वो करेंगे क्या? इस देश में एमजीआर को अपमानित किया गया, या उन्होंने कभी करुणानिधि को अपमानित किया, कभी उन्होंने नाम्बूदरीपाद को अपमानित किया, कभी बादल साहब को अपमानित किया, जो भी राजनीतिक दल नीचे उभर कर के आता, उसको बिल्कुल ही अपमानित किया, क्या उनके अपमान के सामने वो न्याय दिला पाएंगे क्या? ऐसी बहुत बड़ी सूची है। तीन तलाक के कारण, जो माताएं बहनें पीड़ित हैं, बर्बाद हो गई हैं, उन्हीं के कारण हुई हैं, कोई उन्होंने व्यवस्था नहीं की, कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं की, क्या उनको न्याय दिला पाएंगे? और इसलिये कांग्रेस को ये मंहगा पड़ने वाला है।

सवाल - आप अपने भाषणों में एक बात में एक बात कह रहे हैं जिसकों ले कर विपक्ष आप पर आरोप लगाता है। ये विपक्ष का आरोप है कि आप राष्ट्रीयता के मुद्दे को चुनावों में लेकर आए हैं। चाहे वो बालाकोट हो या बाकी सब चीज़ें हों, और उसके ज़रिये आप जो बाक़ी सब मुद्दे हैं, उनको दरकिनार कर के इन मुद्दों के ज़रिये वोट पाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री - मीडिया में एक छोटा सा वर्ग है। कुछ हाईपर सेक्युलर हैं। इन्होंने किसी भी चीज़ में से सरकार को या मोदी को घेरना, ये उन्होंने तौर-तरीका बनाया हुआ है। हमारे देश में बोफोर्स का मुद्दा था, रक्षा से जुड़ा हुआ था, देश के साथ जुड़ा हुआ था। मतलब नेशनलिज़्म से जुड़ा हुआ था। उसी प्रकार से उन्होंने अपने पिताजी के पाप को धोने के लिए राफेल का झूठा मुद्दा उठाया। छः महीने तक वो कोई भी सबूत के बिना जहां जाएं वहां यही बोलते रहे, इसका मतलब उन्होंने, इस राष्ट्रवाद के मुद्दे को, देशभक्ति के मुद्दे को भुनाने की भरपूर कोशिश की। एक प्रकार से उन्होंने ज़मीन जोत कर रखी थी। अब ये मेरी कुशलता है कि उसमें मैं कौन सा बीज बोऊं। और उन्होंने जो मेहनत की, जैसे चौकीदार के लिए उन्होंने दुनिया भर के लोगों को चौकीदार, चौकीदार कर के बात पहुंचा दी। तो मैंने धीरे आकर के सही रूप दे दिया उसे लोगों के सामने। तो ये उनके जो, वेस्टर्न वर्ल्ड के लोग जो उनके, मार्गदर्शक हैं, STRATEGIST, उनकी मर्यादाएं हैं, जहां तक आप मुझे बताईये, हमारे देश में सामान्य मानवी की सुरक्षा, क्या जिस देश के हज़ारों सेना के जवान बलि चढ़ गए, शहीद हो गए, उनके विषय में हम आगे क्या करेंगे, क्या ये चुनाव का मुद्दा नहीं होगा ? किसान मरें, तो चुनाव का मुद्दा, लेकिन जवान मरें तो चुनाव का मुद्दा नहीं। ये कैसे हो सकता है ? हमारे देश की सेना मज़बूत हो, देश की रक्षा के लिए, हम चालीस साल से आतंकवाद को भुगत रहे हैं। अगर इसको हम छिपाएंगे, देश की जनता के सामने, हमारा क्या VIEW है लेकर के नहीं जाएंगे, क्या LOGIC है? जम्मू कश्मीर की समस्या, पंडित नेहरू के ज़माने से देश के गले में ऐसी अटकी पड़ी है, क्या उसका SOLUTION निकालने की हिम्मत की? हमने 70 साल तक एक रास्ता पकड़ा, लेकिन परिणाम नहीं मिला, नया रास्ता पकड़ना पड़ेगा। और नया रास्ता पकड़ने के लिए हमने SPECIFIC योजनाएं बनाई हैं। धारा 370 हो या 35A हो, हमने SPECIFIC ROADMAP बनाया है। तो देश की जनता को विश्वास में लेकर हमें बताना चाहिए कि नहीं बताना चाहिए। तीसरी बात - क्या दुनिया का कोई देश देशभक्ति की प्रेरणा के बिना चल सकता है क्या? अगर हमें ओलम्पिक में मेडल लाना है तो देशभक्ति से मेरे देश के नौजवानों को भरूंगा जब जाकर के मेडल लाने की संभावना बनती है।

सवाल - पर प्रधानमंत्री जी जब आप कश्मीर की बात करते हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, 370, 35A की बात करते हैं। 370 बीजेपी के घोषणापत्र में हमेशा रहा, कांग्रेस ने कभी नहीं कहा, लेकिन इस बार कांग्रेस कह रही है, 370 हटने नहीं देंगे, आप 35A की बात करते हैं, लेकिन जब आप 35A की बात करते हैं, 370 की बात करते हैं तो फारूख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती कहते हैं कि कश्मीर को भारत से अलग कर देंगे। 2020 उन्होंने डेडलाइन दे दी है।

प्रधानमंत्री - उन्होंने हमेशा यही भाषा का प्रयोग किया है। यही इमोशनल ब्लैकमेलिंग किया है। EMOTIONAL EXPLOITATION किया है। कश्मीर की जनता को उन्होंने चुनाव बहिष्कार करने के लिए कहा था, पंचायतों के चुनाव जब हुए, चुनाव बहिष्कार के लिए कहा था। अब वे OUTDATED हो चुके हैं, वहां की जनता उन्हें LEADER मानने को तैयार नहीं है, उनके कहने पर चलने तो तैयार नहीं है, जब पंचायतों के चुनाव हमने करवाए, GOVERNOR RULE में, जिसको वो मना कर रहे थे, और दोनों पार्टियां मुफ्ती की पार्टी और अब्दुल्ला की पार्टी दोनों ने चुनाव का बहिष्कार किया था, तब भी, करीब-करीब 70 से 75 प्रतिशत पोलिंग हुआ। और आज हजारों पंच, सरपंच जीत कर के जम्मू कश्मीर में गांव का कारोबार चला रहे हैं, और भारत सरकार का सीधा पैसा, कोई भी बीच में बिचौलिया नहीं, सीधा उन तक पंहुचता है।

सवाल - प्रधानमंत्री जी अगर मैं थोड़ा सा lighter way में कहूं कि आपके भाषणों में या फिर कांग्रेस के नेताओं के भाषणों में, गांधी परिवार से विशेष प्रेम लगता है आपका, आप उनके बारे में कुछ बोलते हो, वो आपके बारे में कुछ बोलते हैं। तो CENTER OF ELECTION है वो कहीं न कहीं, नरेन्द्र मोदी हो गए हैं।

प्रधानमंत्री - अभी मैं एक टीवी इंटरव्यू दे रहा था, उस टीवी इंटरव्यू में मुझे पूछा गया, कि आप गांधी परिवार के किसी व्यक्ति का नाम देते क्यों नहीं, ऐसा मुझे पूछा गया। हकीकत ये है कि हम मुद्दों की चर्चा करते हैं, हम एक मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं वो है वंशवाद, बाबा साहेब अंबेडकर के भाषण सुन लीजिए, उनका जलंधर में भाषण है, पुणे में भाषण है। और बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था, और ये मैं THIRTIES, FORTIES की बात कर रहा हूं। बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था, कि वंशवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वंशवाद का घोर विरोध किया था। और अगर मैं वंशवाद का विरोध करता हूं, तो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कर रहा हूं। और इस देश में मैं इस मुद्दे पर लगातार बोल रहा हूं। देश में लोकतंत्र को बल मिलना चाहिए, वंशवाद लोकतंत्र पर हावी हो जाता है, 55 साल तक परिवारतंत्र चला इस देश में, तो देश की जो भी दुर्दशा है, उसके लिए 55 साल काम करने वाले लोग ज़िम्मवार हैं कि नहीं हैं। अगर कोई मुझे 55 महीनों के लिए ज़िम्मवार मानता है, तो 55 साल वाले कोई ज़िम्मवार नहीं, अगर ये मैं चर्चा मुद्दों पर करता हूं, अगर इसको कोई कहे, तो मैं नहीं जानता हूं। जहां तक मुझ पर गाली का सवाल है। वो तो नामदार हैं, वो बड़े घराने के लोग हैं, उनके पिता, दादी, नाना, बड़े-बड़े प्रधानमंत्री रहे हैं, और हम तो एक चायवाले गरीब परिवार से आए हुए, और आमतौर पर ऐसे बड़े-बड़े लोगों को छोटे लोगों को गाली देना वो अपना हक मानते हैं, तो वो उनकी जगह पर, मैं अपनी जगह पर।

सवाल - सर, अभी आपने कहा कि मैं तो गालियों का अभ्यस्त हो गया हूं, मेरे ख़्याल से शायद आप देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें पांच साल सबसे ज़्यादा इस तरह की गालियां मिलीं।

प्रधानमंत्री - पांच साल नहीं, 18-19 साल से मैं, इतनी गालियां मुझे दी गईं, और DICTIONARY का कोई ऐसा गंदा शब्द नहीं, जो मेरे लिए इस्तेमाल न किया गया हो। लेकिन मैंने अपना संतुलन नहीं खोया, मैं पूर्ण समर्पण भाव से, देश के लिए काम कर रहा हूं।

सवाल - कारण क्या है?

प्रधानमंत्री - कारण एक ही है। देश की जनता का मुझ पर प्यार, जो उनको स्वीकार्य नहीं है। कारण SIMPLE है।

सवाल - सर, चुनाव की बात पर एक बार फिर लौटते हैं, 2019 का चुनाव एक ऐसे टाइम में हो रहा है, जब हम देख रहे हैं कि सीमा पर सुरक्षा की अलग चुनौतियां बनी हुई हैं, जो सुरक्षा बल हैं उनकों रोज़ नहीं चुनौतियों का सामना, कश्मीर में सीमाओं पर करना पड़ रहा है, आप प्रधानमंत्री होने के नाते, वो भी आपकी ज़िम्मेदारी है वो सब चीज़ों पर आप नज़र रखें, चुनाव का आपका व्यस्त कार्यक्रम पूरे देश में आपको, भ्रमण करना, तो एक तरह से दोतरफ़ा चुनौतियां, DOUBLE आप के सामने चुनौतियां हैं, इनसे कैसे COPE UP कर पा रहे हैं आप।

प्रधानमंत्री - देखिये देश आज़ाद हुआ तब से, सीमा पार से मुसीबतें झेल रहा है, कोई अभी आई नहीं हैं, और आतंकवाद पिछले 40 साल से देश भुगत रहा है। आए दिन हिन्दुस्तान में बम धमाके होते थे, अलग-अलग शहरों में, तो वो तो कश्मीर में ढाई ज़िलों में सीमित हो गया। लेकिन चुनाव है इसका मतलब ये नहीं है कि देश को चलाने की मेरी ज़िम्मेवारी टल जाती है। आपने देखा होगा कि चुनाव घोषित हुए तो अभी मैं, सियोल गया था, अपनी DUTY को पूरी कर रहा था। आपने देखा होगा, हमने अंतरिक्ष में, SATELLITE तोड़ने वाला हमारी मिसाइल का जो सफल परीक्षण किया, और दुनिया की हम अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बने। तो सरकार तो चलती ही रहनी चाहिए। और मैं दो चुनौती क्या पचासों चुनौतियों को एक साथ, पिछले पांच साल से संभालते आया हूं, मुख्यमंत्री के नाते मेरा अनुभव भी है। तो करते रहना चाहिए।

सवाल - जैसे, बालाकोट जैसे INCIDENTS जो हैं, उसमें आप अंतरराष्ट्रीय मीडिया की या फिर हमारे देश के मीडिया की भूमिका को कैसे देखते हैं।

प्रधानमंत्री - देश की जनता उसका ठीक से मूल्यांकन करती है, और धीरे-धीरे देश की स्थिति ऐसी हो रही है कि सोशल मीडिया पर ज़्यादा भरोसा करने लग गई है। और मैं इसको अच्छा नहीं मानता हूं।

सवाल - पर फिर भी प्रधानमंत्री जी जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में ख़बरें आईं और कुछ FAKE NEWS भी इस तरह की आईं कि भारत के सुरक्षा बल जो हैं उनकी, क्षमता को कम करके आंकने की विदेशी मीडिया की तरफ से कुछ ख़बरें आईं, और देश में कुछ लोगों ने उसको NARRATIVE बना दिया। ये आपको लगता नहीं कि ख़तरनाक है, एक तरह से चुनाव को प्रभावित करने की भी इस तरह से कोशिश हो रही है।

प्रधानमंत्री - मैं अभी भी मानता हूं, कि राजनीतिक द्वेष, राजनीतिक विरोध, राजनीतिक दुष्मनी, जिसको पालनी है पाले, कम से कम हम एक सीमा बनाएं, कि हम मोदी का विरोध करते करते भारत के दुश्मन न बन जाएं, भारत का विरोध न करें। कमनसीबी से, दुर्भाग्य से जो भाषा बोली जा रही है, वो मोदी विरोध के मूड में, शुरू तो मोदी के लिए करते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि वो इस हद को पार कर देते हैं, हिन्दुस्तान के ख़िलाफ बोल देते हैं।

सवाल - सर फेक न्यूज़ को लेकर जब बात चल रही है, आपने अभी राफेल का भी ज़िक्र किया, आपको लगता है कि इसको लेकर भी मीडिया में जिस तरह की ख़बरें लगातार आती रहीं, और ये भी कि इसमें बहुत सारी ख़बरें हिन्दुस्तान के बाहर से भी आईं, रफाल को लेकर के इतनी सब चीज़ें आईं और यहां तक की राहुल गांधी जी ने तो ये तक बोल दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चौकीदार चोर हैं। हालांकि आज सुप्रीम कोर्ट ने उसका संज्ञान लिया है, लेकिन इस तरह की चीज़ें इस तरह के NARRATIVE खड़े कर दिये जाते हैं, कैसा आपको लगता है ?

प्रधानमंत्री - मुझे क्या लगता है, मुद्दा नहीं है, मैं जानता हूं ये झूठ चल रहा है, मुझे कोई परेशानी नहीं होती, चिंता कांग्रेस जैसी पार्टी, जो सवा सौ साल पुरानी है, वो इस जगह पर पहुंच गई कि उसको झूठ के सहारे जीना पड़ रहा है, ये कांग्रेस के हर छोटे मोटे कार्यकर्ता को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। और सुप्रीम कोर्ट को आज इतना गंभीर COMMENT करना पड़ा, छोटी बात नहीं है ये।

सवाल - देश के बाहर से भी इस मुद्दे को राफेल के मुद्दे को ज़िंदा रखने की कोशिश की जा रही है, बार-बार, और उस कारण से भी ये होता है कि बार-बार जब ये मुद्दा थोड़ा ठंडा होता है, फिर उठना शुरू होता है क्योंकि कोई एक ख़बर विदेशी मीडिया में छप जाती है, तो आपको इसके पीछे कोई ख़ास डिज़ाइन दिख रही है।

प्रधानमंत्री - अभी तो साफ़ लग रहा है। साफ लग रहा है।

सवाल - तो सच कैसे सामने आएगा?

प्रधानमंत्री - सच तो आ चुका है जी। सच बाक़ी नहीं है। सीएजी का रिपोर्ट आ गया है, सुप्रीम कोर्ट का रिपोर्ट आ गया, पार्लियामेन्ट की टेबल पर वो सारी चीज़ें रख दी, सब आ चुका है जी। मीडिया के लोग सत्य बताने की हिम्मत नहीं करते।

सवाल - अच्छा प्रधानमंत्री जी अब चुनाव के संदर्भ में अब कुछ ख़ास राज्यों की बातें, क्योंकि आप बहुत CONFIDENT हैं, आप कह रहे हैं कि बिल्कुल CONFIDENT हैं कि 23 के बाद आप ही की सरकार बन रही है। अगर थोड़ा सा राज्यवार हम जाते हैं, कर्नाटक आपने मैंगलोर का ज़िक्र किया कि बहुत ही ज़बरदस्त वहां पर आपका WELCOME हुआ, लोगों की भीड़ दिखी। लेकिन जिस कर्नाटक को बीजेपी अपना दक्षिण का द्वार मानती थी, वहां पर एक COALITION अगर बन जाता है, जेडीएस और कांग्रेस का, तो उन्होंने विधानसभा चुनाव में हालांकि, दोनों मतभिन्नता के बावजूद अलग होकर लड़े थे, लेकिन बीजेपी को उन्होंने वहां रोक दिया। इस बार दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, आपको लगता है ये कर्नाटक में बीजेपी के लिए चुनौती है, आप शायद पिछला जैसा प्रदर्शन न दोहरा पाएं।

प्रधानमंत्री - आप महाराष्ट्र का याद करिये पिछली बार का, एनसीपी और कांग्रेस साथ लड़ रहे थे, वो सत्ता में थे कि नहीं थे, उनकी जुगलबंदी ज़बरदस्त थी कि नहीं थी, महाराष्ट्र का क्या नतीजा आया। अभी विधानसभा के चुनाव हुए उत्तर प्रदेश में, कांग्रेस-सपा मिलकर के बड़ी ताकत से लड़ रहे थे कि नहीं लड़ रहे थे, क्या परिणाम आया। अभी त्रिपुरा में, परदे के पीछे सारा गठबंधन हो चुका था, त्रिपुरा के अंदर इतने लंबे समय का लेफ्ट वहां समाप्त हो गया। तो ये जो आप लोग हल्के फुल्के तरीकों से ANALYSIS करते हो, वो मीडिया में लिखने के लिए काम आएगा, धरती की सच्चाई नहीं बदलता है।

सवाल - आपको उत्तर प्रदेश में भी ऐसा लगता है क्योंकि दो धुर विरोधी दल एक साथ हैं, और ये माना जाता है कि उसका अच्छा ख़ासा वोट बैंक है, उत्तर प्रदेश में क्योंकि बहुत अच्छी Performance थी बीजेपी की पिछली बार, आपको वहां पर भी ऐसा लगता है कि ऐसा होगा ?

प्रधानमंत्री - भारतीय जनता पार्टी पहले से बेहतर परफॉर्म करेगी। देश की जनता, उत्तर प्रदेश की जनता, पहले से ज़्यादा, उत्तर प्रदेश का मिज़ाज ही है, कि पैतृक सीट चार-चार दशक से जो परिवार हैं, उनको मैदान छोड़ कर के भागना पड़ा है। अगर गठबंधन में ये ताकत होती और गठबंधन ने उनको समर्थन किया हुआ है। और वहां तो इनका सबका गठबंधन है। फिर भी भागना पड़ा है। यही बताता है कि ज़मीन की सच्चाई क्या है। मुझे सबूत देने की ज़रूरत नहीं है।

सवाल - आप अमेठी का ज़िक्र कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री - मैं अमेठी का ही कर रहा हूं, मुझे बोलने में कोई संकोच नहीं है।

सवाल - तो आपको लगता है कि राहुल गांधी अमेठी से डरकर वायनाड की सीट पर गए हैं।

प्रधानमंत्री - मुझे लगता नहीं, ये हक़ीक़त है, हक़ीक़त है।

सवाल - प्रधानमंत्री जी, लेकिन जैसे आपने उत्तर प्रदेश की, अभी हमने आपसे सवाल पूछा, उत्तर प्रदेश के संदर्भ में आपने कहा, कई लोग, बीजेपी के कुछ लोग ऐसा मानते हैं, शायद मेरी जो जानकारी है, उनको ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में क्योंकि जो गठबंधन हुआ है, थोड़ा सा बीजेपी को वहां नुकसान हो सकता है। उनका मानना है कि अगर नुकसान होगा तो पश्चिम बंगाल में हम भरपाई कर लेंगे, क्योंकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी की स्थिति बहुत अच्छी है। लेकिन वहां पर ममता जी जो हैं वो पैर नहीं रखने दे रहीं बीजेपी को। क्योंकि जिस तरह से वहां की ख़बरें आ रही हैं। कभी हिंसा हो जाती है, कभी चुनाव को लेकर के लोगों ने अभी चिंता जताई, क्या आपको लगता है ये एक चुनौती है।

प्रधानमंत्री - जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, मैं दोबारा डंके की चोट पर कह रहा हूं, उत्तर प्रदेश की जनता मन बना चुकी है। उत्तर प्रदेश की जनता कई वर्षों के बाद संकट से बाहर निकली हुई है। और इसलिए उत्तर प्रदेश के लोग राजनीति को भली भांति समझते हैं, देशनीति को भली भांति समझते हैं, और इसलिए मेहरबानी करके उत्तर प्रदेश के नाम से हम वार्ताएं चलाना बंद करें। तीसरी बात, पश्चिम बंगाल, आप ही कह रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को रोकने के लिए वहां की सरकार पूरी जुटी है। बीजेपी वहां ताकत है तभी तो रोक रहे हैं। ताकत न होती, तो हमको नोटिस ही नहीं करते। इसका मतलब ये हुआ कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में बहुत तेज़ी से जनसमर्थन प्राप्त कर रही है। और हम अनुभव करते हैं, मैं अभी जहां जहां जाकर आया, तो हमको ये जो रोकने की कोशिश हो रही है, उनको कांग्रेस की चिंता नहीं है, अब उनको लेफ़्ट की भी चिंता नहीं है, लेफ्ट ने बंगाल में 30 साल तक राज किया, उस लेफ़्ट की भी चिंता नहीं है, उनको चिंता सता रही है, बीजेपी की, इसका मतलब है, कि वहां की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को स्वीकार कर लिया है।

सवाल - पश्चिम बंगाल की बात हो रही है, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की राजनीति को आप कैसे देखते हैं । जो कुछ उन्होनें सेन्ट्रल एजेंसियों के साथ किया। आप क्या इसे federalism पर कुठाराघात मानते हैं।

प्रधानमंत्री - मैं लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री रह कर आया हूं। भारत सरकार की सभी एजेंसियों ने मुझे दिन रात परेशान किया है। 10 साल यूपीए की सरकार रही । 8-8 घंटे तक मामूली पुलिस वालों ने मेरा ग्रिलिंग किया। मैं मुख्यमंत्री था। लेकिन फिर भी letter and spirit में कॉन्स्टीट्यूशन का पालन करते हुए, एक शब्द नहीं बोला। तो federalism के लिए हरएक का दायित्व बनता है। मैं आप जैसे विद्वान लोगों पर छोड़ता हूं, कि वो जो कर रहे है कि सही कर रहे है कि नहीं उस पर मूल्याकांन करे और आवश्यक हो तो लिखे। दूसरी बात उन्होनें अपनी जनता के साथ जो किया है, वो और ख़तरनाक है। चिंता उसकी मुझे ज्यादा है। पंचायत चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव हुए जम्मू-कश्मीर में known टेरिरिज्म कि चर्चा है known हिंसा की चर्चा है। जम्मू-कश्मीर में हजारों लोग पंचायत चुनाव में जीतकर आये। एक पोलिंग बूथ पर एक भी घटना नहीं घटी। एक भी हिंसा की घटना नहीं हुई। पश्चिम बंगाल में कोई गांव ऐसा नहीं था जहां हिंसा ना हुई हो, और बहुत बड़ी मात्रा में लोगों की हत्याई हुई। अपने खुद के नागरिकों को मर जाते देखना और जिला परिषद, तालुका के चुनाव, पंचायत चुनाव के चुनाव राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इस देश की मीडिया ने इस बात को दबा दिया। जितनी मात्रा में सत्य बाहर आना चाहिए था उतना बाहर नहीं आ पाया। उसके कारण अब उनको इस रास्ते पर जाने में मौज आ रही है.. आनंद आ रहा है कि कोई पूछने वाला नहीं है।

सवाल- ऐसे में वो ये आरोप भी लगाते हैं, उनके साथ कांग्रेस भी मिल जाती है कि आपकी सरकार केन्द्रीय एजेंसियों का गलत तरीके से राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल करती है।

प्रधानमंत्री - ऐसा एक भी सबूत नहीं है। दूसरा यूपीए के समय के जो केस हैं, अगर उसकी प्रोसेस चल रही है उसके लिए कोर्ट कह रही है कि ये करो, वो करो। अब जो कोर्ट कहेंगे, तो वो करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। दूसरी बात मान लीजिए रेल के डिब्बे में 5.. 25.. लोग एक छोटा नेता भी जाता हो बिना टिकट के पकड़ा जाये.. तो इलेक्शन है इसलिए नहीं पकड़ना चाहिए क्या। इलेक्शन है तो बिना टिकट कोई जाएगा, तो रेल के अंदर कोई हाथ नहीं लगायेगा ऐसा होता है क्या। कानून तो सबके लिए होता है। मेरे लिए भी होना चाहिए।

सवाल- प्रधानमंत्री जी अभी बंगाल की चर्चा हुई और आपने कहा औऱ न्याय के संदर्भ में कहा, कांग्रेस ने राज्य सरकारों को बर्ख़ास्त किया, उसी संदर्भ में, अगर मैं आंकड़ा देखूं तो आज़ादी के बाद करीब 124 बार लगभग केन्द्र की सरकारों ने राज्य सरकारों को बर्खास्त किया, लेकिन जब बंगाल में इस तरह की हिंसा हुई , बंगाल में जब राजनीतिक कार्यकर्ताओं, सिर्फ बीजेपी नहीं, कांग्रेस के राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, केरल में बीजेपी-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, आरएसएस के लोगों को मारा गया। लोग कहते रहे है कि ये फिट केस है 356 के लिए, लेकिन फिर भी वहां पर आपने ये नहीं किया।

प्रधानमंत्री - मेरा अभी भी मत है, even जम्मू-कश्मीर में हम सरकार बनाने का इंतजार करते रहते थे। हमने Assembly को भी सस्पेंशन एनिमेशन में रखा, लेकिन जब कोई सरकार नहीं बन पा रही है तो क्या करें, मजबूरन हमको 356... हम 356 आखिरी उपाय होना चाहिए, इस मत के हैं।

सवाल- मैं कर्नाटक और दक्षिण की राजनीति में एक बार फिर आता हूं। कर्नाटक और तमिलनाडू में खासकर के तमिलनाडू की बात करें तो बहुत सालों बाद ऐसा हो रहा है कि जयललिता जैसी शख्सियत नहीं हैं। डीएमके के बड़े नेता नहीं है, तो वहां की राजनीति को आप कैसे देखते हैं, बीजेपी का तमिलनाडू और कर्नाटक में भी.. क्योंकि कर्नाटक में आप क्या उम्मीद लगा कर बैठे हैं।

प्रधानमंत्री - भारतीय जनता पार्टी साउथ में भी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। चाहे वो केरल हो, तमिलनाडू हो पुद्दुचेरी हो। साउथ का कोई राज्य ले लिजिए ।

सवाल- प्रधानमंत्री जी थोड़ा सा चुनाव से हटते हैं, हमारे देश में आने वाले समय में Middle class बड़ी संख्या में होने वाला है। आपने पिछले दिनों में भी इस पर बात की है। बजट जो आया उसमे भी टैक्स रिबेट की बात की गई। आप उनकी आकांक्षाओं को कैसे देखते हैं और पूरा करने के लिए क्या सोच है।

प्रधानमंत्री - आपने सही सवाल पूछा। अभी जो कांग्रेस पार्टी के GUIDE AND PHILOSOPHER हैं। अमेरिका से खास आये हैं। उन्होंने बयान दिया मिडिल क्लास SELFISH है। मिडिल क्लास पर कर डालने ही पड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी ऑफिशियली कह रही है कि अगर वो सरकार में आये तो वो मिडिल क्लास की कमर तोड़ देगी। मेरा CONVICTION है, कि देश में मिडिल क्लास का बल्क बढ़ता जा रहा है। मिडिल क्लास संस्कारों और स्वभाव से गलत करने का आदि नहीं है। वो ईमानदारी से नियम कानून का पालन करने वाला.. जीने वाला देश का बढ़ा वर्ग है। आज भी देश में टैक्स में सर्वाधिक कॉन्ट्रीब्यूश्न मिडिल क्लास का होता है। हमने बहुत सालों तक मिडिल क्लास की उपेक्षा की। हमारा मत है कि मिडिल क्लास को सम्मान मिलना चाहिए.. उसके लिए अवसर मिलने चाहिए। कई वर्षो से मिडिल क्लास मांग कर रहा था कि हमारा income tax, 2 लाख से कुछ ज्यादा रियायत दिजिए। सरकारें आईं गईं। हमने 5 लाख रुपये तक की आय को ध्यान में रखते हुए ज़ीरो कर दिया। 5 लाख तक ज़ीरो ये बहुत बड़ा काम है। उसी प्रकार से होम लोन मिडिल क्लास का सपना होता है अपना घर हो। पहली बार किसी सरकार ने शहरी मध्यम वर्ग के लिए सोचा। हाउसिंग के लिए.. हमने किया। रेरा का कानून बनाया। ये जो बिल्डर लोग थे। वो मिडिल क्लास को लूटते थे। वो बेचारा पैसे दे देता था। सालों तक मकान नहीं मिलता था। मकान मिलता भी था तो उसकी अपेक्षा के अनुसार नहीं मिलता था। वो परेशान हो जाता था। कोई पूछने वाला नहीं था। हमने रेरा का कानून बनाया। मिडिल क्लास के हकों की रक्षा की। यानि ऐसे आपको ऐसी ढेर सारी योजनाएं मिलेंगी। जिसके कारण मिडिल क्लास को बेनेफिट हुआ है। आगे भी मैं मानता हूं कि निओ मिडिल क्लास... मिडिल क्लास जो लोग गरीबी से निकलकर बाहर आ रहे हैं। इनको स्पेशली अटेंशन करने की जरुरत है। और ये बहुत बड़ा बल्क है.. जो आने वाले समय में हिंदुस्तान का भाग्य बदलने वाली ताकत बनने वाला है।

सवाल- प्रधानमंत्री जी मैं एक बार फिर से चुनाव पर आता हूं। खासकर आपके गृह राज्य गुजरात पर आता हूं। 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात कांग्रेस मुक्त हो गया था। 26 की 26 सीटें आपने जीती लेकिन जब उसके बाद विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी 100 का आंकड़ा भी टच नही कर पाई 99 पर रुक गई। उसके बाद इस बार आप वडोदरा से भी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, तो कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि आपके दिल्ली आने के बाद गुजरात में भाजपा कमजोर हो गई है।

प्रधानमंत्री - भारतीय जनता पार्टी करीब 1987-88 के बाद से गुजरात में उभरने लगी। हम एक लोकसभा का चुनाव समझौते में लड़े थे... चिम्मन भाई के साथ। बीजेपी को 12 सीट लड़ने को मिली थी, और सामने उनको 14 सीट मिली थी। हम 12 में से 12 जीत गये और वो 14 में से 11 जीते तो हम पहली बार 26 में से 26 लाये नहीं उस ज़माने में भी 12 सीटें लड़े थे और 12 जीते थे। इस बार भी गुजरात की जनता 26 में से 26 सीट भाजपा को डंके की चोट पर भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाएगी और स्वाभाविक है कि गुजरात के लोग विकास को पसंद करते हैं।

सवाल - विकास की हम जब बात करते हैं आपने अभी की तो विकास के साथ-साथ हमारी जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है तो ये स्वाभाविक है जो ऑपर्च्युनिटीज है जो कम है ऐसे में है जो यंग लोग है, युवा लोग है उनकी आकांक्षाएं है, जो मिडिल क्लास है उसपर हमनें बात की। इन जनसंख्या की इतनी बढ़ते हुए समय में, न्यू टेक्नोलॉजी के समय में आप किस तरह से देखते हैं कि उनकी आकांक्षाएं पूरी होगी?

प्रधानमंत्री- पहली बात है कि इसको एक तो हमने भारत में बढ़ता हुआ मिडिल क्लास, 800 मिलियन से ज्यादा यूथ हमारे देश में है। हमें इसको एसेट मानना चाहिए। इसी प्रकार से हिन्दुस्तान अर्बनाइज हो रहा है, इसको भी हमनें चुनौती नहीं मानना चाहिए, अवसर मानना चाहिए। ये ग्रोथ सेंटर बनने वाले हैं। तीसरी बात है हमारे देश के टैलेंट को आज स्टार्ट-अप में हम दुनिया के सबसे बड़े इको-सिस्टम वाले बन गए हैं। ये कौन कर रहा है ये स्टार्ट-अप? स्टार्ट-अप कोई चालीस-पचास साल वाले नहीं कर रहे हैं ये युवा कर रहे है और आज दुनिया में नाम कमा रहे है और कुछ लोग तो ऐसे हैं हर दो साल में नया स्टार्ट-अप बनाकर पुरानी कंपनियों को बेच रहे हैं। तो एक नया क्षेत्र बन रहा है इसलिए हमने मुद्रा योजना से इस प्रकार से इनिसिएटिव लेने वालों को बिना गारंटी धन देने के लिए हमने दरवाजे खोलकर रखे हैं और 17 करोड़ लोगों ने इसका बेनेफिट लिया है और इसमें से सवा चार करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार बैंक से रुपया लिया है। सवा चार करोड़ लोग, जिन्होंने कोई ना कोई अपना कारोबार शुरू किया है। हम टेक्नोलॉजी पर बल देना चाहते हैं। हम आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहते हैं। उसमें हमें इस टैलेंट की जरूरत पड़ेगी। हम वर्ल्ड क्लास बेंचमार्क वाले इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल देना चाहते हैं उसमें हमें इस टैलेंट की जरूरत पड़ेगी। ये नवजवान की शक्ति तो देश को आगे ले जाएगी।

सवाल - ठीक बात है आपको नहीं लगता है कि जनसंख्या पर बात होनी चाहिए। इतनी तेजी से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही है वो कहीं ना कहीं रिसोर्सेज़ पर दवाब डालेगी।

प्रधानमंत्री- सबसे पहले लोगों को शिक्षित करना होगा और जैसे साउथ के राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि को कंट्रोल करने में काफी सफलता पाई है तो इस बार हमारे फाइनेंस कमीशन ने जिन-जिन राज्यों ने जनसंख्या में कंट्रोल किया है ऐसे राज्यों को फाइनेंस कमीशन से अन्याय नहीं होगा, ये भूमिका ली है। पहली बार ये भूमिका ली है, इसका बेनेफिट एक प्रकार से लोगों को मिलेगा। ये भी एक तरीका है राज्यों को मजबूत करने का।

सवाल – प्रधानमंत्री जी, पिछले पांच साल में आपके सरकार की आर्थिक नीतियों पर पूरे देश और दुनिया में बहस होती रही। अभी दो दिन पहले आईएमएफ की एक रिपोर्ट आई है जो ये कहती है भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा, साथ-साथ उसने ये भी माना कि एनपीए को लेकर आपकी सरकार ने जो कदम उठाए उनकी सराहना भी की गई लेकिन एक वर्ग लगातार कहता है कि जो ग्रोथ है, जॉबलेस ग्रोथ है और इसमें डिमोनेटाइजेशन जैसे कदम उठाए गए, जीएसटी जैसे कदम उठाए गए, उसके कारण नुकसान हुआ।

प्रधानमंत्री - देखिए, डिमोनेटाइजेशन को लेकर वो लोग रो रहे है जिनको कुछ खोना पड़ा। जिनकी बनी-बनायी सारी, बोरों में रूपये-पैसे भरे रहते थे, उनके लिए मुसीबत आई और इसलिए ये रोते रहते हैं लेकिन आज ये पूरा सिद्ध हो चुका है कि हमारे कदम सही थे और उसके के कारण देश में फॉर्मल इकॉनमी को बल मिला है। जो ईमानदारी से कमाता है, काला-धन जिसके पास है नहीं, वो आज बाजार में अपनी इच्छानुसार चीज ले पाता है। पहले नहीं ले पाता था, उनसे लोग मांगते थे कि 50 पर्सेंट चेक और 50 पर्सेंट काला-धन। वो बेचारा लाएगा कहां से काला धन। तो उसको तो ये मुसीबत थी। दूसरा, टैक्स का दायरा बढ़ा है। आपने देखा है कि आजादी से अब तक टैक्स देने वालों की संख्या डबल हो गई है तो एक प्रकार से सफलता को, जहां तक वर्ल्ड बैंक हो, आईएमएफ हो- सबने माना है कि भारत तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी इकॉनमी है औऱ आने वाले दिनों में भी तेज गति से बढ़ने वाली बनी रहेगी। तीसरा, जब हमारे देश के, 2014 में हमारे आने से पहले, जब देश ग्याहरवीं नंबर की इकॉनमी बना तो हमारे वित्त मंत्री उस समय के, यूपीए के वित्त मंत्री ने, बड़ा उछल-उछलकर, बड़ा सीना तानकर, अब हम ग्याहरवें नंबर की इकॉनमी बन गए है- इसका गौरव गान किया था। हम पांच साल में 6 नंबर पर पहुंच गए और आने वाले दिनों में हम पांच नंबर पर बहुत जल्द पहुंचने वाले है और इसलिए जो एक्सपर्ट लोग कहते है, जो देश की स्थिति बनी है। इसको समझना होगा, जिनके पास कोई मुद्दे ही नहीं है वो आलोचना करते रहेंगे।

सवाल- आपने कहा मुद्दे नहीं है, कुछ मुद्दे लगातार पांच साल में बनते रहे, कभी कहा गया देश में अघोषित आपातकाल है, कभी अवॉर्ड वापसी शुरू हो गया, कभी ये कहा गया है कि आपकी सरकार देश में लोगों को बोलने की आजादी नहीं देती, इस तरह की चीजें लगातार पांच साल होती रही। कैसे आप इनको देखते हैं?

प्रधानमंत्री - एक तो देश की जनता ने इन लोगों की किसी बात को नहीं माना। देश की जनता के गले उतरा नहीं। तो एक सेट ऑफ पीपल है। उसके पीछे कारण क्या है ? सबसे बड़ा कारण ये है कि ये सेट ऑफ परसन लोग कौन है। आपको एक बात हमारे देश में उभर कर नहीं आती है और अच्छा सवाल पूछा आपने तो, मैं देश की जनता को जानकारी देना चाहता हूं। हमारे देश में विदेश से धन डोनेशन के रूप में लाना हो तो उसके लिए कानून है और उस कानून के अंतर्गत जो भी विदेश से धन लाते है। किसी संगठन के लिए लाते है, कोई चैरिटी के नाम पर लाता है, कोई एजुकेशन के नाम पर लाता है, कोई हेल्थ के नाम पर लाता है। जो भी लाते है उनको सरकार को अपना हिसाब देना होता है, कंपलसरी है। कोई हिसाब देता ही नहीं था। विदेशों से धन आते रहते थे तो हमने आकर कानून का पालन करने की कोशिश की। चिठ्ठी भेजी कि आपको पिछले दिनों ये जो विदेश से पैसा मिला है उसका क्या कर रहे है जरा बताओ। आप हैरान हो जाओगे- 20 हजार ऐसे लोग निकले... 20 हजार संस्थाएं, संगठन जिन्होंने हिसाब देने से मना कर दिया और नई एप्लीकेशन भी नहीं डाली। इसका मतलब हुआ कि वो रुपये किसी ना किसी बुरे काम के लिए उपयोग होते थे। देश का नुकसान करने के लिए होते थे। अब ऐसे जरूर लोग होंगे कि जिनकी इन 20 हजार संस्थाओं में, संगठनों में झूठे कारनामे चलते थे, किसी-ना-किसी का लिंक होगा। अब वो दूकानें बंद हो गई और मोदी ने इतना बड़ा कदम उठाया। 20 हजार ऐसे कितने पॉवरफुल लोग होंगे, तो उसमें से कुछ लोग होंगे जो कुछ सज्जन लोगों को उपयोग करके इस प्रकार से सिग्नेचर करा देते होंगे और इस प्रकार से हो-हल्ला करते होंगे।

सवाल – प्रधानमंत्री जी, एक अंतिम सवाल पूछूंगा आपसे... आपसे पहले प्रधानमंत्री हुए मनमोहन सिंह । उन्होंने एक बयान दिया जो बहुत चर्चा में आया, उन्होंने कहा कि इस देश के रिसोर्सेज पर एक खास धर्म विशेष का पहला हक होना चाहिए। आप जवाब दें।

प्रधानमंत्री- उस मीटिंग में मैं मुख्यमंत्री के रूप में मौजूद था और जब मनमोहन सिंहजी ऐसा बोले तो पूरे सदन में एक बहुत बड़ा धक्का लगा था, लोग चौंक गए थे कि क्या बोल रहे हैं और उसी समय मैंने बाहर आकर मीडिया को बाइट दिया था कि इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार इस देश के गरीबों का है, वंचितों का है, पीड़ितों का है, शोषितों का है। हमें हमारे देश की संपत्ति को ये संप्रदाय के रंग से नहीं रंगना चाहिए। इस प्रकार का वोट बैंक पॉलिटिक्स नहीं करना चाहिए और इतने बड़े महत्वपूर्ण फोरम में प्रधानमंत्री के मुंह से इस प्रकार की घोषणा ये देश कभी स्वीकार नहीं करेगा, मैंने उस दिन भी कहा था, आज भी कह रहा हूं कि इस देश के संसाधनों का उपयोग देश के भविष्य के लिए होना चाहिए। देश के हर गरीब के लिए होना चाहिए।

सवाल – प्रधानमंत्री जी, एक तो चुनाव चल रहे है उसके लिए आपको शुभकामनाएं और डीडी दूरदर्शन और राज्यसभा टीवी की तरफ से हमें समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रधानमंत्री - मैं भी दूरदर्शन और राज्यसभा टीवी का बहुत आभारी हूं कि आपसे मिलने का मौका मिला और आपके माध्यम से आपके दर्शकों से मिलने का अवसर मिला है। बहुत-बहुत धन्यवाद ।

 

 

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Joint Statement on the visit of PM Modi to the Hashemite Kingdom of Jordan
December 16, 2025

At the invitation of His Majesty King Abdullah II ibn Al Hussein of the Hashemite Kingdom of Jordan, Hon’ble Prime Minister of the Republic of India, Shri Narendra Modi visited the Hashemite Kingdom of Jordan on December 15-16, 2025.

The Leaders acknowledged the fact that the visit of Prime Minister Modi is taking place at a significant time, as the two countries celebrate the 75th anniversary of the establishment of bilateral diplomatic relations.

The Leaders appreciated the long-standing relationship between their countries which is characterized by mutual trust, warmth and goodwill. They positively assessed the multi-faceted India-Jordan relations that span across various areas of cooperation including political, economic, defence, security, culture, and education among others.

The Leaders appreciated the excellent cooperation between the two sides at the bilateral level and in multilateral forums. They warmly recalled their earlier meetings in New York (September 2019), in Riyadh (October 2019), in Dubai (December 2023) and in Italy (June 2024).

Political Relations

The Leaders held bilateral as well as expanded talks in Amman on 15 December 2025, where they discussed relations between India and Jordan. They also agreed to expand cooperation between the two countries in areas of mutual interest and to stand together as trusted partners in pursuing their respective development aspirations.

The Leaders noted with satisfaction the regular convening of political dialogue between the two countries as well as the meetings of the various Joint Working Groups in diverse areas. They further agreed to fully utilize the established mechanisms to consolidate bilateral relations. In this regard, the leaders commended the outcomes of the Fourth Round of Political Consultations between the two foreign ministries that was held in Amman on April 29, 2025. The fifth round will be held in New Delhi.

Looking forward, the Leaders reaffirmed their determination to sustain the positive trajectory of relations between the two countries, to promote high-level interactions, and continue to cooperate and collaborate with each other.

Economic Cooperation

The Leaders appreciated the strong bilateral trade engagement between India and Jordan, currently valued at USD 2.3 billion for 2024, making India the third largest trading partner for Jordan. They agreed on the need to diversify the trade basket to further enhance bilateral trade. The Leaders also agreed on the early convening of the 11th Trade and Economic Joint Committee in the first half of 2026, to monitor progress in economic and trade relations.

The Leaders welcomed the convening of the Jordan- India Business Forum on the sidelines of the visit on 16 December 2025. A high-level business delegation from the two countries discussed ways to further strengthen and expand trade and economic cooperation between the two countries.

The Leaders acknowledged the importance of cooperation in the field of customs. They further agreed to fully utilize the Agreement on Cooperation and Mutual Administrative Assistance in Customs Matters. This agreement facilitates sharing of information to ensure proper application of Customs Laws and combating of customs offences. It also provides facilitation of trade by adopting simplified customs procedures for efficient clearance of goods traded between the two countries.

Both Leaders underlined the potential for enhanced economic cooperation between the two countries, taking into account Jordan’s strategic geographic location and advanced logistics capabilities. In this context, both sides reaffirmed the importance of strengthening transport and logistics connectivity, including the regional integration of Jordan’s transit and logistics infrastructure as a strategic opportunity to advance shared economic interests and private-sector collaboration.

Technology and Education

The two sides reviewed bilateral cooperation in the fields of digital technology and education and agreed to collaborate in various fields such as the capacity building of officials in digital transformation, promoting institutional cooperation for feasibility study in the implementation of Digital Transformational solutions and in other areas. They also agreed to explore further avenues of cooperation in the implementation of digital transformation initiatives of both the countries. The two sides expressed interest in expanding and upgrading the infrastructure and the capacity building programs of the India and Jordan Centre of Excellence in Information Technology, hosted at Al Hussein Technical University.

The two sides discussed the road map for collaboration in the field of Digital Public Infrastructure (DPI). In this context, both sides welcomed the signing of a letter of intent for entering into an agreement on sharing of Indian experience of DPI. Both sides agreed to collaborate in ensuring a safe, secure, trusted and inclusive digital environment.

The two sides recognized the vital role of technology in education, economic growth and social development and agreed on continued collaboration in the areas of digital transformation, governance and capacity building.

The Indian side highlighted the important role of capacity building in sustainable development and expressed commitment to continue collaboration in this field through the Indian Technical and Economic Cooperation (ITEC) Programme in various fields including information technology, agriculture, and healthcare. The Jordanian side appreciated the increase of ITEC slots from 35 to 50 with effect from the current year.

Health

The Leaders underscored their commitment to working together in the field of healthcare through sharing of expertise, especially in advancing tele-medicine and capacity building in training of health workforce. They acknowledged the importance of health and pharmaceuticals as a key pillar of bilateral cooperation, underlining its role in promoting the well-being of their peoples and in advancing the Sustainable Development Goals (SDGs).

Agriculture

The Leaders acknowledged the crucial role of the agricultural sector in advancing food security and nutrition and expressed a shared commitment to strengthening collaboration in this sector. In this context, they reviewed current cooperation between the two sides in the field of fertilizers, especially phosphates. They also agreed on increasing collaboration in exchange of technology and expertise to enhance the efficiency of agriculture and related sectors.

Water Cooperation

The Leaders welcomed the signing of the MoU on Cooperation in the field of Water Resources Management & Development and acknowledged the importance of cooperation between the two sides in areas such as water-saving agricultural technologies, capacity building, climate adaptation and planning and aquifer management.

Green and Sustainable Development

The Leaders discussed the importance of increasing collaboration in the field of climate change, environment, sustainable development and encouraging the use of new and renewable energy. In this context, they welcomed the signing of the MoU on Technical Cooperation in the field of New and Renewable Energy. Through the signing of this MoU, they agreed on the exchange and training of scientific and technical personnel, organization of workshops, seminars and working groups, transfer of equipment, know-how and technology on a non-commercial basis and development of joint research or technical projects on subjects of mutual interest.

Cultural Cooperation

The two sides expressed their appreciation for the growing cultural exchanges between India and Jordan, and welcomed the signing of the Cultural Exchange Programme for the period 2025–2029. They supported the idea of expanding cooperation in the fields of music, dance, theatre, art, archives, libraries and literature, and festivals. They also welcomed the signing of the Twinning Agreement between the City of Petra and Ellora Caves Site, focusing on the development of the archaeological sites and on promotion of social relations.

Connectivity

The two sides acknowledged the importance of direct connectivity in fostering bilateral relations. It is an important cornerstone for promotion of trade, investment, tourism, and people-to-people exchanges and helps in cultivating deeper mutual understanding. In this regard, they agreed to explore the possibility of enhancing direct connectivity between the two countries.

Multilateral Cooperation

His Majesty King Abdullah II praised India’s leadership in the International Solar Alliance (ISA) and the Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) and the Global Biofuels Alliance (GBA). India welcomed Jordan’s expression of willingness in joining the ISA, CDRI and GBA. The two sides recognized biofuels as a sustainable, low-carbon option to achieve decarbonization commitments and deliver greater economic and social development for the people of both countries.

At the end of the visit, Prime Minister Shri Narendra Modi expressed his sincere thanks and appreciation to His Majesty King Abdullah II for the warm reception and generous hospitality extended to him and his accompanying delegation. He also conveyed his best wishes for the continued progress and prosperity of the friendly people of the Hashemite Kingdom of Jordan. For his part, His Majesty extended his sincere wishes to Prime Minister Narendra Modi and the friendly people of India for further progress and prosperity.