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Mudra Yojana has become a job multiplier: PM Modi
Mudra Yojana has helped in relieving the entrepreneurs from the vicious cycle of moneylenders and middlemen: PM Modi
Mudra Yojana has opened up new opportunities for youth, women and those who wanted to start or expand their businesses: PM Modi
Mudra Yojana has transformed the lives of the poor: PM Modi
By aiding small and micro businesses, Mudra Yojana has helped to strengthen people economically, socially and has given people a platform to succeed: PM Modi

প্রধান মন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীনা ঙসি, লৈবাক অপুনবগী মুদ্রা য়োজনাগী কান্নবা ফংলবশিংগা ভিদিওগী থোংদা ৱারী শানখ্রে। ভিদিও কনফরেন্স অসি সরকারগী স্কিমশিংগী কান্নবা ফংলবশিংগা প্রধান মন্ত্রীগা ৱারী শানবগী পরিং অসিদা অনিশুবনি।

কান্নবা ফংলবশিংগা ৱারী শানবা ফংবা অদুদা নুংঙাইবা ফোদোক্লদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মদুদি, মুদ্রা য়োজনা অসি থবক পীবা ঙম্বা অমা ওইরে। মহাক্না মখা তানা হায়খি মদুদি খোংথাং অসিনা ইন্ত্রপ্রিনরশিংবু শেন্দোই চাবা অমসুং ময়াই চাবা কাংবুগী লাংদগী নান্থোকচবদা মতেং ওইহল্লে। মসিনা নহারোল, নুপীশিং অমসুং মখোয়গী ললোন-ইতিক হৌজনীংবা অমদি চাউথোকহঞ্জনীংবা মীওইশিংদা খুদোংচাবা অমা পীরে।

প্রধান মন্ত্রী মুদ্রা য়োজনাগী মখাদা, সরকার অসিনা হৌজিক ফাওবদা লোন কোতি ১২, শেনফম ওইনা লুপা কোতি লাখ ৫.৭৫ পীখ্রে। মসিগী মনুংদা লোনগী চাদা ২৮ শেনফম ওইনা লুপা কোতি লাখ ৩.২৫ অহানবা ওইনা ইন্ত্রপ্রিনর ওইরকপশিংদা পীখি। য়েন্থোকখিবা অপুনবা লোনগী মনুংদা ৭৪%না নুপীশিং অমসুং ৫৫%না এস.সি./এস.সি. অমসুং ও.বি.সি.শিংগী কাংলুপতা পীখি।

পি.এম.এম.ৱাই.গী কান্নবা ফংলবশিংদা ৱা ঙাংলদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মদুদি স্কিম অসিনা লাইরবশিংগী পুন্সিদা অহোংবা পুরক্লে। মহাক্না হায়খি মদুদি স্মোল অমসুং মাইক্রো ব্যুজিনেসতা কান্নবা পীরদুনা স্কিম অসিনা মীয়াম্বু শেনমিৎলোনগী ওইনা, খুন্নাইগী ওইনা মপাঙ্গল কলহল্লে অমসুং মীয়ামদা মাই পাকপগী ফম্বাক অমা পীরে।

মশানা থবক পীজবদা শাফু পীরদুনা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মদুদি হৌজিক্তি মশানা মশাবু থবক পীজবা অসি চাউথোকচনীংঙাইগী মরম অমা ওইরে অমসুং মীয়াম্না, মখোয়না ওইথোক্কনি খল্লুদবশিং মাই পাকপা ঙমহল্লে।
ৱারী শান্নবা অদুদা প্রধান মন্ত্রীনা হায়খি মদুদি মুদ্রা য়োজনা অসি চহি খরগী মমাংদা হৌদোক্লম্লবদি মীওই লাখ কয়ানা মখোয়গী ললোন-ইতিক হৌদোকচবদা মতেং ওইরমগনি অমসুং মাইগ্রেসন তৌখিবশিং চাউনা থিংবা ঙম্লমগনি।

প্রধান মন্ত্রীগা ৱারী শানরদুনা কান্নবা ফংলবশিংনা মতৌ করম্না মুদ্রা য়োজনানা মখোয় মশাগী ললোন-ইতিক তৌবদা অমদি অতোপ্পবু থবক পীবদা মতেং পাংবগে হায়বদু শন্দোক্না পনখি।

প্রধান মন্ত্রী মুদ্রা য়োজনা (পি.এম.এম.ৱাই.) অসি প্রধান মন্ত্রীনা এপ্রিল ৮, ২০১৫দা নন-কোর্পোরেৎ, নন-ফার্ম স্মোল/মাইক্রো ইন্তর্প্রাইজশিংদা লুপা লাখ ১০ ফাওবগী লোন পীননবগী পান্দমদা হৌদোকখি। লোনশিং অদু পি.এম.এম.ৱাই.গী মখাদা মুদ্রা হায়না খাইদোকখি। লোনশিং অসি কমর্সিয়েল বেঙ্কশিং, আর.আর.বি.শিং, স্মোল ফাইনান্স বেঙ্কশিং, কোওপরেতিব বেঙ্কশিং, এম.এফ.আই.শিং অমসুং এন.বি.এফ.শিংনা পী।

 

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Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism: PM Modi
May 27, 2023
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“Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism”
“Under the guidance of Adheenam and Raja Ji we found a blessed path from our sacred ancient Tamil Culture - the path of transfer of power through the medium of Sengol”
“In 1947 Thiruvaduthurai Adheenam created a special Sengol. Today, pictures from that era are reminding us about the deep emotional bond between Tamil culture and India's destiny as a modern democracy”
“Sengol of Adheenam was the beginning of freeing India of every symbol of hundreds of years of slavery”
“it was the Sengol which conjoined free India to the era of the nation that existed before slavery”
“The Sengol is getting its deserved place in the temple of democracy”

नअनैवरुक्कुम् वणक्कम्

ऊँ नम: शिवाय, शिवाय नम:!

हर हर महादेव!

सबसे पहले, विभिन्न आदीनम् से जुड़े आप सभी पूज्य संतों का मैं शीश झुकाकर अभिनंदन करता हूं। आज मेरे निवास स्थान पर आपके चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। ये भगवान शिव की कृपा है जिसकी वजह से मुझे एक साथ आप सभी शिव भक्तों के दर्शन करने का मौका मिला है। मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां साक्षात आकर के आशीर्वाद देने वाले हैं।

पूज्य संतगण,

हम सभी जानते हैं कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वीरमंगई वेलु नाचियार से लेकर मरुदु भाइयों तक, सुब्रह्मण्य भारती से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जुड़ने वाले अनेकों तमिल लोगों तक, हर युग में तमिलनाडु, भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ रहा है। तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है। बावजूद इसके, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया, जो दिया जाना चाहिए था। अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है। अब देश के लोगों को भी पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक तमिलनाडु के साथ क्या व्यवहार हुआ था।

जब आजादी का समय आया, तब सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर प्रश्न उठा था। इसके लिए हमारे देश में अलग-अलग परंपराएं रही हैं। अलग-अलग रीति-रिवाज भी रहे हैं। लेकिन उस समय राजाजी और आदीनम् के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था। ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का। तमिल परंपरा में, शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था। सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै आदीनम् द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार किया गया था। आज उस दौर की तस्वीरें हमें याद दिला रही हैं कि तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच कितना भावुक और आत्मीय संबंध रहा है। आज उन गहरे संबंधों की गाथा इतिहास के दबे हुए पन्नों से बाहर निकलकर एक बार फिर जीवंत हो उठी है। इससे उस समय की घटनाओं को समझने का सही दृष्टिकोण भी मिलता है। और इसके साथ ही, हमें ये भी पता चलता है कि सत्ता के हस्तांतरण के इस सबसे बड़े प्रतीक के साथ क्या किया गया।

मेरे देशवासियों,

आज मैं राजाजी और विभिन्न आदीनम् की दूरदर्शिता को भी विशेष तौर पर नमन करूंगा। आदीनम के एक सेंगोल ने, भारत को सैकड़ों वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से मुक्ति दिलाने की शुरुआत कर दी थी। जब भारत की आजादी का प्रथम पल आया, आजादी का प्रथम पल, वो क्षण आया, तो ये सेंगोल ही था, जिसने गुलामी से पहले वाले कालखंड और स्वतंत्र भारत के उस पहले पल को आपस में जोड़ दिया था। इसलिए, इस पवित्र सेंगोल का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि ये 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इस सेंगोल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसने गुलामी के पहले वाले गौरवशाली भारत से, उसकी परंपराओं से, स्वतंत्र भारत के भविष्य को कनेक्ट कर दिया था। अच्छा होता कि आजादी के बाद इस पूज्य सेंगोल को पर्याप्त मान-सम्मान दिया जाता, इसे गौरवमयी स्थान दिया जाता। लेकिन ये सेंगोल, प्रयागराज में, आनंद भवन में, Walking Stick यानि पैदल चलने पर सहारा देने वाली छड़ी कहकर, प्रदर्शनी के लिए रख दिया गया था। आपका ये सेवक और हमारी सरकार, अब उस सेंगोल को आनंद भवन से निकालकर लाई है। आज आजादी के उस प्रथम पल को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के समय हमें फिर से पुनर्जीवित करने का मौका मिला है। लोकतंत्र के मंदिर में आज सेंगोल को उसका उचित स्थान मिल रहा है। मुझे खुशी है कि अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ये सेंगोल इस बात की याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है, जनता-जनार्दन के प्रति जवाबदेह बने रहना है।

पूज्य संतगण,

आदीनम की महान प्रेरक परंपरा, साक्षात सात्विक ऊर्जा का प्रतीक है। आप सभी संत शैव परंपरा के अनुयायी हैं। आपके दर्शन में जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना है, वो स्वयं भारत की एकता और अखंडता का प्रतिबिंब है। आपके कई आदीनम् के नामों में ही इसकी झलक मिल जाती है। आपके कुछ आदीनम् के नाम में कैलाश का उल्लेख है। ये पवित्र पर्वत, तमिलनाडु से बहुत दूर हिमालय में है, फिर भी ये आपके हृदय के करीब है। शैव सिद्धांत के प्रसिद्ध संतों में से एक तिरुमूलर् के बारे में कहा जाता है कि वो कैलाश पर्वत से शिव भक्ति का प्रसार करने के लिए तमिलनाडु आए थे। आज भी, उनकी रचना तिरुमन्दिरम् के श्लोकों का पाठ भगवान शिव की स्मृति में किया जाता है। अप्पर्, सम्बन्दर्, सुन्दरर् और माणिक्का वासगर् जैसे कई महान संतों ने उज्जैन, केदारनाथ और गौरीकुंड का उल्लेख किया है। जनता जनार्दन के आशीर्वाद से आज मैं महादेव की नगरी काशी का सांसद हूं, तो आपको काशी की बात भी बताऊंगा। धर्मपुरम आदीनम् के स्वामी कुमारगुरुपरा तमिलनाडु से काशी गए थे। उन्होंने बनारस के केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। तमिलनाडु के तिरुप्पनन्दाळ् में काशी मठ का नाम भी काशी पर रखा गया है। इस मठ के बारे में एक दिलचस्प जानकारी भी मुझे पता चली है। कहा जाता है कि तिरुप्पनन्दाळ् का काशी मठ, तीर्थयात्रियों को बैकिंग सेवाएं उपलब्ध कराता था। कोई तीर्थयात्री तमिलनाडु के काशी मठ में पैसे जमा करने के बाद काशी में प्रमाणपत्र दिखाकर वो पैसे निकाल सकता था। इस तरह, शैव सिद्धांत के अनुयायियों ने सिर्फ शिव भक्ति का प्रसार ही नहीं किया बल्कि हमें एक दूसरे के करीब लाने का कार्य भी किया।

पूज्य संतगण,

सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिलनाडु की संस्कृति आज भी जीवंत और समृद्ध है, तो इसमें आदीनम् जैसी महान और दिव्य परंपरा की भी बड़ी भूमिका है। इस परंपरा को जीवित रखने का दायित्व संतजनों ने तो निभाया ही है, साथ ही इसका श्रेय पीड़ित-शोषित-वंचित सभी को जाता है कि उन्होंने इसकी रक्षा की, उसे आगे बढ़ाया। राष्ट्र के लिए योगदान के मामले में आपकी सभी संस्थाओं का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। अब उस अतीत को आगे बढ़ाने, उससे प्रेरित होने और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करने का समय है।

पूज्य संतगण,

देश ने अगले 25 वर्षों के लिए कुछ लक्ष्य तय किए हैं। हमारा लक्ष्य है कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समावेशी विकसित भारत का निर्माण हो। 1947 में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका से कोटि-कोटि देशवासी पुन: परिचित हुए हैं। आज जब देश 2047 के बड़े लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है तब आपकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। आपकी संस्थाओं ने हमेशा सेवा के मूल्यों को साकार किया है। आपने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का, उनमें समानता का भाव पैदा करने का बड़ा उदाहरण पेश किया है। भारत जितना एकजुट होगा, उतना ही मजबूत होगा। इसलिए हमारी प्रगति के रास्ते में रुकावटें पैदा करने वाले तरह-तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगे। जिन्हें भारत की उन्नति खटकती है, वो सबसे पहले हमारी एकता को ही तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि देश को आपकी संस्थाओं से आध्यात्मिकता और सामाजिकता की जो शक्ति मिल रही है, उससे हम हर चुनौती का सामना कर लेंगे। मैं फिर एक बार, आप मेरे यहां पधारे, आप सबने आशीर्वाद दिये, ये मेरा सौभाग्य है, मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, आप सबको प्रणाम करता हूँ। नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर आप सब यहां आए और हमें आशीर्वाद दिया। इससे बड़ा सौभाग्य कोई हो नहीं सकता है और इसलिए मैं जितना धन्यवाद करूँ, उतना कम है। फिर एक बार आप सबको प्रणाम करता हूँ।

ऊँ नम: शिवाय!

वणक्कम!