This is a moment filled with new dreams and new resolutions: PM Modi while inaugurating the Delhi BJP’s new Office
Next-gen GST reforms will save nearly Rs 20,000 on family's annual expenditure of Rs 1 lakh for meeting its daily needs: PM Modi
The BJP was founded 45 years ago, and with the guidance and blessings of our senior leaders, we have made significant progress: PM
BJP’s connection with Delhi goes back to the Jana Sangh days and is built on trust and commitment to the city: PM Modi

आप सबको नए कार्यालय की बहुत-बहुत बधाई। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान जेपी नड्डा जी, दिल्ली की मुख्यमंत्री बहन रेखा गुप्ता जी, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा जी, दिल्ली भाजपा की सह-प्रभारी बहन अलका गुर्जर जी, दिल्ली के सभी माननीय सांसद, दिल्ली सरकार के सभी मंत्रीगण, अन्य वरिष्ठजन साथी और यहां उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के समर्थ और समर्पित सभी कार्यकर्ता साथी। नवरात्र के इन पावन दिनों में आज दिल्ली भाजपा को अपना नया कार्यालय मिला है। ये नए सपनों और नए संकल्पों से भरा हुआ पल है। मैं दिल्ली भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना को 45 वर्ष हो चुके हैं। अटल जी, आडवाणी जी, नानाजीदेशमुख, राजमाता विजियाराजे सिंधिया जी, मुरली मनोहर जोशी जी ऐसे अनेक व्यक्तित्वों के आशीर्वाद और परिश्रम से ये पार्टी आगे बढ़ी। लेकिन साथियों, जिस बीज से भाजपा आज इतना बड़ा वटवृक्ष बना है, उसका रोपण अक्टूबर 1951 में हुआ था। तब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ की स्थापना हुई थी। और उसी दौर में दिल्ली जनसंघ को भी वैद्य गुरूदत्त जी के रूप में अपना पहला अध्यक्ष मिला। फिर समय-समय पर आडवाणी जी, डॉ.भाई महावीर, हरदयाल देवगुण जी दिल्ली जनसंघ की कमान संभालते रहे। 1980 में जब भाजपा की स्थापना हुई, तो वीके मल्होत्रा जी को दिल्ली भाजपा के पहले अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। आज दिल्ली भाजपा जिस मजबूती में हैं, वो बीते दशकों में हमारे लाखों कार्यकर्ताओं के त्याग और परिश्रम का परिणाम है। केदारनाथ साहनी जी, साहिब सिंह वर्मा जी, मदनलाल खुराना जी, ऐसे अनेक दिग्गज नेताओं ने हमें सेवा की अमिट राह दिखाई। अरुण जेटली जी और सुषमा स्वराज जी जैसे कितने ही व्यक्तित्वों ने पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

साथियों,

दिल्ली और बीजेपी का संबंध सिर्फ एक शहर और पार्टी का नहीं है। ये संबंध सेवा, संस्कार और सुख-दुख की साथी होने का है। पहले जनसंघ के रूप में और फिर भाजपा के रूप में, हमारी पार्टी दिल्ली के दिल से, दिल्ली के हितों से जुड़ी रही है। जनसंघ की स्थापना के बाद से हमने दिल्ली के लोगों की हर तरह से सेवा की। बंटवारे के बाद दिल्ली आए पीड़ितों के लिए जनसंघ के कार्यकर्ताओं ने पुनर्वास की व्यवस्थाएं बनाई। जब यहां मेट्रोपॉलिटन काउंसिल बनी, तो आडवाणी जी और वीके मल्होत्रा जी जैसे नेता दिल्ली के लोगों की आवाज बने। आपातकाल के दौर में, दिल्ली के लोगों के साथ जनसंघ के नेताओं ने सत्ता के दमन के खिलाफ संघर्ष किया। 1984 के जिन सिख दंगों में दिल्ली की आत्मा पर, मानवता पर एक भयंकर आघात हुआ, उस संकटकाल में भी, दिल्ली बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने हमारे सिख भाई-बहनों की हरसंभव रक्षा की। दिल्ली और बीजेपी का साथ भावना का है, भरोसे का है।

साथियों,

जनसंघ के जमाने में और उसके बाद भी, जब भी बड़े राष्ट्रीय आयोजन हुए, आंदोलन हुए, उसके केंद्र में हमेशा दिल्ली ही रही। और उस समय शहर में तीन-तीन, चार-चार बड़े आंदोलन जनसंघ और बीजेपी के लोग करते थे। हमारे ज्यादा लोग चुनकर के देश में कोई ज्यादा लोग नहीं आए थे, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दों पर आंदोलन की ऐसी परंपरा हम लोगों ने खड़ी की थी, हमारे भूतपूर्व सभी नेताओं ने, कार्यकर्ताओं ने। और मैं देख रहा था कि हिंदुस्तान के कोने-कोने से जब लोग दिल्ली आते थे, तो कभी भी उनको ये महसूस नहीं होने दिया, दिल्ली के कार्यकर्ताओं ने कि हम कहीं बाहर के हैं। दिल्ली के कार्यकर्ता देशभर से आए हुए कार्यकताओं को अपने घरों में रखते थे। क्योंकि उस समय हमारे पास उतनी व्यवस्थाएं नहीं थीं। और जब सारी, जनसंघ के जमाने में, भाजपा के जमाने में कार्यकर्ता आते थे तो पांच-पांच, सात-सात दिन रूकते थे। अगली ट्रेन का आरक्षण मिले ना मिले, इंतजार करना पड़ता था। इतनी दूर से आने पड़ता था। तो इन सबको पांच-पांच, सात-सात दिन तक दिल्ली के कार्यकर्ता अपने घरों में रखते थे। और उनकी सारी व्यवस्थाएं देखते थे। यानि एक प्रकार से पूरे देश में इस विचार को पहुंचाने में दिल्ली के कार्यकर्ताओं के वो अथक पुरूषार्थ, परिश्रम आज बीजेपी को यहां पहुंचाने में मदद की है। और इसलिए, आज जब हम इस नए कार्यालय में प्रवेश कर रहे हैं, तो हमें दिल्ली भाजपा के इतिहास, उसके सेवाकार्यों से निरंतर प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।

साथियों,

हमारे लिए कोई भी भाजपा कार्यालय, किसी देवालय से, किसी मंदिर से कम नहीं है। कोई भी भाजपा कार्यालय सिर्फ इमारतें नहीं हैं, ये वो मजबूत कड़ियां हैं, जो पार्टी को जमीन से, जन-अपेक्षाओं से जोड़े रखती हैं। भाजपा, सत्ता के लिए नहीं, सेवा के लिए सरकार में है। ये कार्यालय इसी चेतना को जागृत रखते हैं। इसलिए, हमें निरंतर प्रयास करते रहना होगा कि दिल्ली भाजपा के इस नए कार्यालय की पहचान, यहां की सुविधाओं से नहीं, बल्कि जन-सुनवाई और जनसेवा से होनी चाहिए। हमें हमेशा-हमेशा याद रखना होगा। इस कार्यालय में हमारा कार्यकर्ता किसी ना किसी जरूरतमंद की उम्मीदें लेकर आएगा। हम उन उम्मीदों पर खरा उतरें, ये हम सबका सामूहिक प्रयास होना चाहिए। इस कार्यालय में बैठकर लिए गए निर्णयों में जितनी संवेदना और सेवाभाव होगा, उतना ही दिल्ली के लोगों का हित होगा।

साथियों,

कई वर्षों के अंतराल के बाद दिल्ली में आज भाजपा की सरकार है। दिल्ली के लोगों ने अपने सपनों, अपने बेहतर भविष्य की उम्मीद भाजपा पर जताई है। इसलिए नए प्रदेश कार्यालय में बैठने वाले प्रत्येक जनप्रतिनिधि का दायित्व बहुत बड़ा है। दिल्ली के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली भाजपा, हमारी ये सरकार कठोर परिश्रम कर रही है। झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों के लिए नए घर बनाना। दिल्ली के सैकड़ों सरकारी स्कूलों-अस्पतालों को बेहतर बनाना, दिल्ली में सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसें चलवाना, यमुना जी को साफ करवाने के लिए दिन-रात मेहनत करना, यमुनाजी के तट पर शहर के दूसरे हिस्सों में शानदार लिविंग स्पेस बनाना, मेट्रो-फ्लाईओवर के काम को गति देना। दिल्ली सरकार, दिल्ली के नवनिर्माण में लगी है। और इसलिए दिल्ली भाजपा सरकार और दिल्ली भाजपा कार्यालय जब कंधे से कंधा मिलाकर ऐसे ही चलेंगे, तो हम विकसित भारत, विकसित दिल्ली का सपना और तेजी से पूरा कर पाएंगे।

साथियों,

भाजपा-NDA की सरकारों ने देश में सुशासन का एक नया मॉडल दिया है। हम विकास भी और विरासत भी के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हमने देश की, देशवासियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हमने बड़े-बड़े घोटालों से देश को मुक्ति दिलाकर, भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग का विश्वास जगाया है।

साथियों,

भाजपा के सुशासन का एक और मजबूत पहलू है। हमारी सरकारों का फोकस डिलीवरी पर है। और सामान्य जन की बचत बढ़ाने पर भी है। मैं आपको टैक्स का एक उदाहरण देता हूं। 2014 में जब कांग्रेस की सरकार थी। ये बयानबाजी करने वाले लोग, बयान-बहादुर, आए दिन झूठे बयान देने में एक्सपर्ट हैं। लेकिन मैं जरा उनका कच्चा चिठ्ठा खोलता हूं। 2014 तक हमारे देश में इनकम टैक्स का क्या हाल था। दो लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर टैक्स लग जाता था। हमारे आने से पहले दो लाख की आय के ऊपर टैक्स लग जाता था। आज 12 लाख रुपए तक की इनकम पर भी टैक्स जीरो है।

साथियों,

यही स्थिति Goods और Services पर लगने वाले टैक्स की भी थी। 2014 से पहले अगर एक सामान्य परिवार अपनी रोज की जरूरतों पर साल में एक लाख रुपया अगर खर्च करता है, तो उसे करीब पच्चीस हजार रुपया टैक्स देना पड़ता था। ये मैं 2014 से पहले की कथा सुना रहा हूं। हम 2017 में GST लेकर आए, तो सामान सस्ते हुए, टैक्स भी कम हुआ। अब नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म्स के बाद एक लाख के खर्च पर उस परिवार को सिर्फ पांच या छह हजार रुपए का ही टैक्स देना पड़ता है। यानि 11 साल पहले की तुलना में सीधे करीब बीस हजार की बचत उस परिवार को हर साल तय है। अगर इनकम टैक्स और GST की बचत दोनों को मिला लें, तो हर साल देशवासियों के करीब ढाई लाख करोड़ रुपये की बचत होने वाली है।

साथियों,

भाजपा सरकारों के हर नेक काम का लाभ, हर लाभार्थी तक पहुंचना जरूरी है। इसके लिए भाजपा के हर कार्यकर्ता को हमेशा जागरूक रहना है। निरंतर काम करना है। आज के इस शुभ अवसर पर, जब इतनी बड़ी संख्या में नए-पुराने सभी कार्यकर्ताओं से मैं मिला हूं, तो मैं आपसे कुछ मांगने के लिए भी अपेक्षा लेकर आता हूं। और आप तो भली-भांति मुझे जातने हैं। कि मैं ऐसे ही काम नहीं करता, कुछ काम आपको भी देते रहता हूं। मेरा आपसे कुछ आग्रह है, जो मैं दिल्ली और देशभर के अपने कार्यकर्ता परिवार से साझा करना चाहता हूं। हमें ये सुनिश्चित करना है कि नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म्स का फायदा सामान्य से सामान्य व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। हमें ग्राहकों को भी जानकारी देनी है और अपने दुकानदार भाइयों को भी जागरूक करना है। जहां हम विपक्ष में हैं, वहां तो हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। वहां जो सरकार है, वो GST में कमी का पूरा लाभ जनता को दे, ये हमें पक्का करना ही होगा। ये विपक्ष में बयानबाज लोग हैं, करते उल्टा हैं, ये हिमाचल वालों ने जैसे ही हमने जीएसटी से दाम कम कर दिया, उन्होंने सीमेंट पर पैसा बढ़ा दिया और तिजोरी भरने का खेल शुरू कर दिया। यानि जो जनता को मिलना चाहिए, जो जनता के हक का है। वो हिमाचल में सरकार लूटने में तुरंत, उसी दिन लग गई।

साथियों,

हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है और स्वदेशी को अपनाना है। ये भाजपा कार्यकर्ताओं की जिम्मेवारी है कि हर दुकान पर एक बोर्ड लगा रहना चाहिए। और बोर्ड भी बड़ा हो, डेढ़-दो फुट का बोर्ड हो और उस पर लिखा हो– गर्व से कहो ये स्वदेशी है। ये हर दुकान पे लगना चाहिए। ये दायित्व बीजेपी के हर कार्यकर्ता का है। ये स्वदेशी है, ये भाव गर्व-पूर्वक व्यक्त होना चाहिए। हमें गांव-गांव, गली-गली का अभियान बनाना है। विदेशी उत्पादों पर जितनी हमारी निर्भरता कम होगी, उतना ही देश के लिए बेहतर होगा।

साथियों,

आजकल देशभर में स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान भी चल रहा है। ये बहनों-बेटियों के स्वास्थ्य की जांच का बहुत बड़ा अभियान है। अब तक लाखों कैंप्स में 3 करोड़ से ज्यादा महिलाओं की मुफ्त जांच हो चुकी है। टीबी, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर ऐसी अनेक बीमारियों को शुरुआत में ही पकड़ना बहुत जरूरी है। स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार से इसमें बहुत मदद मिल रही है। दिल्ली के भाजपा कार्यकर्ताओं को भी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा बहनें इन हेल्थ कैंप्स का लाभ ले पाएं।

साथियों,

दिल्ली देश की राजधानी तो है ही, ये सांस्कृतिक विविधताओं की भी राजधानी है। दिल्ली में एक मिनी इंडिया बसता है। अलग-अलग राज्यों के लाखों लोग यहां बसे हुए हैं। इसलिए हमें दिल्ली में निरंतर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को भी मजबूत करना है। बीते वर्षों में ये हमने दिल्ली में होते देखा है। यहां सिख गुरुओं के प्रकाश पर्व बहुत उल्लास से मनाए गए। हमने यहां असम के वीर योद्धा लाचित बोरफुकन जी की 400वीं जयंती पर बहुत बड़ा आयोजन किया। हम यहां छठ महापर्व भी मनाते हैं। दुर्गा पूजा में बंगाल के रंगों का आनंद लेते हैं। पोंगल और पुथांडु पर प्रकृति का नमन करते हैं। मुझे भी कई बार दिल्ली के ऐसे अनेक उत्सवों में जाने का अवसर मिला है। अभी मैंने देखा हमारी मुख्यमंत्री बहन रेखा गुप्ता जी भी तेलगू छात्र संघ द्वारा आयोजित बथुकम्मा उत्सव में शामिल हुईं। मेरा दिल्ली भाजपा से आग्रह है। सभी कार्यकर्ताओं से आग्रह है। देश के कोने-कोने के ऐसे पर्वों को, क्योंकि वहां के लोग यहां रहते हैं। उनके साथ मिलकर हिंदुस्तान के किसी भी कोने का कोई भी उत्सव ऐसा नहीं हो, कि जो हम यहां रहने वाले उस राज्य के लोगों के साथ मिलकर धूम-धाम से सेलीब्रेट ना करें। ये हमने करना चाहिए। देश से यहां रहने के लिए लोगों को लगना कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना ये सिर्फ नारा नहीं है, भाजपा मेरा परिवार है। उस भाव से वो प्रगट होती है। देश का हर उत्सव दिल्ली में भारत और भारतीयता के उत्सव जैसा बने, हम सबको इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

जब हमें लगता है कि सिंगापुर एयरपोर्ट पर उतरते हैं तो दीवाली के समय वहां रोशनी होती है। दीवाली की शुभकामनाएं लिखी होती हैं। दुनिया के अनेक देशों में जब दीवाली का दीया वहां के मुखिया जलाते हैं तो हमें आनंद होता है कि नहीं होता है। हमें गर्व होता है कि देखिए, हमारे देश की दीवाली वहां मना रहे हैं। वैसे ही हिंदुस्तान के हर राज्य का प्रमुख त्योहार अगर हम यहां मनाएंगे, उस पूरे राज्य में खुशी की लहर छा जाएगी दोस्तो। देश की एकता के लिए बहुत जरूरी है और हम जिन विचारों को लेकर के जीए हैं। देशभक्ति हमारे लिए प्रथम है। हमें उसको बढ़-चढ़कर के पूरा करना है।

साथियों,

मुझे दिल्ली भाजपा पर, भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता पर पूरा विश्वास है। आप जनता-जनार्दन की अपेक्षाओं पर इसी तरह खरा उतरते रहिए। ऐसे ही दिल्ली को दुनिया की सबसे बेहतरीन, हमें संकल्प लेकर के चलना है साथियो, हमें एक बेहतरीन राजधानी बनाने के लिए दिन-रात एक कर देने हैं, दोस्तो। और मुझे पूरा विश्वास है कि आप जब ये करेंगे ना, तो देश बड़े गर्व से भर जाएगा। देश के हर कोने में कि हमारी राजधानी ऐसी है। और ये हमें करना चाहिए। एक बार फिर आप सभी को इस नए कार्यालय के लिए, आने वाली विजयादशमी, दीपावली और छठ पर्व की मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

मेरे साथ बोलिए...

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM Modi
November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!