QuoteUjjwala Yojana has positively impacted the lives of several people across India: PM
QuoteUjjwala Yojana has strengthened the lives of the poor, marginalised, Dalits, Tribal communities.
QuoteThis initiative is playing a central role in social empowerment: PM Ujjwala Yojana is leading to better health for India's Nari Shakti: PM Modi

नमस्कार। मुझे इस बात का अत्यंत हर्ष हो रहा है कि आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप सभी माताओं बहनों के आशीर्वाद लेने का अवसर मिला है। और आपके साथ कुछ गप शप करने का भी मुझे मौका मिला है।

आज के जीवन में नई-नई टेक्नोलॉजी उन्नति की प्रतीक मानी जाती है। और मैं गर्व से कह सकता हूं कि अब उज्ज्वला भी हमारी उन्नति की एक प्रतीक बन चुकी है। आज देश में एलपीजी ऊर्जा का सबसे स्वच्छ और सर्वसुलभ साधन बन चुका है। पिछले कुछ वर्षों से यह समाज में रहन-सहन के स्तर को आसान बनाने और गरीबों, दलितों, पीड़ितों, वंचितों, पिछड़ी जाति के, हमारी आदिवासी भाइयो बहनो को, इन सब महिलाओं को सशक्त बनाने में इसने बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा की।

सच तो यह है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना अब भारत में गरीब से गरीब परिवार का सामाजिक उत्थान और सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से देश के सतत विकास का एक बहुत बड़ा स्रोत बन चुका है। देश की आधी जनसंख्या को उनका उचित अधिकार दिलाना हमारी सरकार का प्राथमिक लक्ष्य रहा है। इसलिए देश की हर रसोई में स्वच्छ ईंधन सुनिश्चित कराने की दिशा में हमने बहुत बड़ा प्रयास किया है।

देश में एलपीजी गैस सिलेंडर की शुरुआत, देश आजाद हुआ उसके तुरंत बाद हो गई थी। लेकिन 2014 यानि करीब-करीब छह सात दशक के बाद भी सिर्फ 13 करोड़ परिवारों तक एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचा था। अब आप समझ सकते हैं कि ये शुरू में बड़े-बड़े लोगों को मिलता है, उन्हीं को पहुंचाया गया। समाज में भी जिसके घर में गैस का चूल्हा है। उसको बहुत बड़ा माना जाता था। सामान्य व्यक्ति के घर में गैस के चूल्हे की कल्पना नहीं हो सकती थी। मैं तो बराबर मुझे याद है। मैं जब छोटा था तो कुछ बड़े लोग ऐसी भी बातें करते थे। मैं हैरान हो जाता था। नहीं ...। नहीं ...। वो कहते थे कि गैस चूल्हा नहीं रखना चाहिए कभी आग लग जाएगी, कभी नुकसान हो जाएगा। तो मैं कभी पूछता था बचपन में ...। कि भई। तुम लोगों के घर में है। गरीब के घर में आएगा तो तुम्हें तकलीफ क्या है। तो जवाब नहीं देते थे लेकिन ऐसा भी एक झूठ फैलाया जाता था। आप सबको सुनकर सुखद आश्चर्य होगा कि पिछले चार वर्ष में ही हमारी सरकार ने एलपीजी के दस करोड़ नए कनेक्शन दिए हैं। यानि जितना साठ-सत्तर सालों में हुआ। करीब उतना ही काम हमने चार साल में कर दिया।

उन्होंने पहले जो दिया, बड़े-बड़े लोगों को दिया। हमने तय किया कि जिसके पास नहीं है, जो लकड़ी का चूल्हा जलाते हैं, धुएं की जिंदगी गुजारते हैं, जो माताएं-बहनें मजदूरी भी करती हैं, रोजी रोटी कमाने में मदद करती हैं और फिर लकड़ी ढूंढने जाना, खाना पकाना, इतना कष्ट मां-बहनों को होता था। हम उनको मुक्ति दिलाना चाहते थे। इसमें भी चार करोड़ कनेक्शन ...। ये हमने दस करोड़ में चार करोड़ कनेक्शन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत दिया। वो पूरी तरह मुफ्त में दिए गए।

सरकार ने इसी वर्ष प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों का लक्ष्य ...। पहले हमने सोचा था पांच करोड़ कर लेंगे लेकिन काम इतना अच्छा हुआ। डिपार्टमेंट के लोग भी लगे। हमारे सभी एमपी लगे, एमएलए लगे और उसके कारण इतनी सफलता मिली कि अब हमने लक्ष्य पांच करोड़ के बजाए आठ करोड़ कर दिया। आठ करोड़ बीपीएल परिवारों तक हम पहुंचना चाहते हैं। जिसे 2020 तक यानि ऐसा नहीं चलो भाई पचास साठ साल के बाद नहीं, 2020 यानि आज से दो साल के बाद हम इस काम को पूरा कर देना चाहते हैं। और इसके लिए करीब-करीब पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त आवंटन कर इसे कुल करीब-करीब 13 हजार करोड़ रुपए किया गया है।

मैं की बचपन की कथा मुझे आज याद आती है। शायद आप सबने भी जो स्कूल गए होंगे माताएं बहनें उन्होंने पढ़ी होगी। मुंशी प्रेमचंद। हमारे देश बहुत बड़े विद्वान लेखक थे। उनकी बहुत ही मशहूर कहानी – ईदगाह। उन्होंने 1933 में लिखी थी। इस कहानी का जो मुख्य किरदार एक छोटा सा बालक हामिद था। वह मेले में मिठाई न खाकर अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीद करके ले आता है। और चिमटा इसलिए ताकि खाना बनाते समय दादी के हाथ जल न जाए, उन्हें चोट न लगे। मुंशी प्रेमचंद की कहानी मुझे याद आज भी प्रेरणा देती है।

मुझे लगता है कि अगर एक हामिद कर सकता है तो देश का प्रधानमंत्री क्यों नहीं कर सकता है। मुझे दुख है कि इतनी पुरानी सामाजिक चुनौती को स्वतंत्रता के बाद की सरकारों के लिए उसको देखने का समय नहीं था। क्योंकि उनको तो बड़े-बड़े लोगों का काम करना था। गैस कनेक्शन उनकी प्राथमिक लिस्ट में था ही नहीं। और यही वजह है कि आजादी से लेकरके 2014 तक केवल और केवल 13 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए। कनेक्शन भी किस तरह मिलते थे। कैसे सांसदों, विधायकों से सिफारिश करवानी पड़ती थी। ये आप सब जानते हैं। गरीब तो सोच ही नहीं सकता था कि उसके घर में गैस का सिलेंडर हो सकता है। वो तो बेचारा हिम्मत ही नहीं करता था। उसको तो जिसके घर में गैस सिलेंडर मतलब घर के बाहर जैसे बीएमडब्ल्यू कार खड़ी है, वो जो भाव जगता था। गैस का चूल्हा है तो भी लोगों को ऐसा भाव लगता था।

पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार के प्रयासों का फल ये हुआ है कि आज देश में हर सौ परिवार में से 81 परिवार ऐसे हैं जिनके घर में गैस का सिलेंडर है, गैस का चूल्हा है, स्वच्छ ईंधन है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जल्द ही हम सभी परिवारों तक खाना बनाने के लिए एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य लेकरके चल रहे हैं। देखिए मैं आपको एक वीडियो दिखाता हूं। आपको अंदाज होगा।

उज्ज्वला से चार तरह से जीवन में बहुत लाभ हुआ है - सबसे बड़ा तबियत के लिए, स्वास्थ्य के लिए। जिन-जिन रसोई घरों में एलपीजी से चूल्हे जल रहे हैं, वहां लकड़ी, सूखे पत्ते, गोबर के उपलों या केरोसिन जैसे ईँधनों से छुटकारा मिल गई है। यानि आज उज्ज्वला ने दी है जानलेवा धुएं से आजादी। नारी शक्ति को धुएं से मुक्ति मिली है। यानि पिछले चार वर्षों में दस करोड़ परिवार की महिलाओं और बच्चों को आग, सांस या फेफड़े से जुड़ी बीमारियों से बहुत बड़ी राहत मिली है। मेरा तो बचपन ही गरीबी में बीता है। मुझे मालूम है कि हमारी मां जब खाना पकाती थी तो इतना धुआं हो जाता था। कभी वो खुद छत पर जाकरके, जो मिट्टी के बने हुए छत रहती थी, उसकी कुछ नलियां जो रहती थी, उसको हटा देती थी और ऊपर एक छेद करती थी। खुद जाती थी ताकि धुआं ऊपर चला जाए ताकि बच्चों को परेशानी न हो। और मैं देखता था कि कितनी परेशानी से गुजारा करना पड़ता था। नारी का सम्मान और पूरे परिवार के स्वास्थ्य का भी ध्यान। यह काम किया है ये उज्ज्वला योजना ने।

आर्थिक सुरक्षा। ये भी एक बहुत बड़ा लाभ है। क्योंकि जो महिलाएं घर के कामकाज के अलावा दूसरी आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हुई है। एलपीजी ने उनकी कार्यक्षमता अप्रत्याशितत रूप से बढ़ा दी है। उनका जो समय जलावन इकट्ठा करने में बर्बाद होता था, लकड़ी लाना, ये लाना, वो लाना। अब वो समय बच गया और उसका उपयोग बाकी जो वो काम करती थी, उसमें लग गया। अगर सिलाई काम करके, मसाला पीसने का काम करके या कोई और काम करके ...। उसको जो एक्सट्रा इनकम कर सकती है, अब वो समय ज्यादा मिलने लगा है।

एक बड़ा काम। समाज की दृष्टि से, आने वाली पीढ़ियों के लिए हुआ है, दुनिया की दृष्टि से हुआ है। वो पर्यावरण की सुरक्षा या प्रकृति की सेवा। एलपीजी स्वच्छ ईंधन है यानि प्रदूषण से मुक्ति। लकड़ी के लिए वनों का कटाव कम हुआ है, पर्यावरण की रक्षा हुई है। प्रकृति की भी सेवा हो रही है। यानि स्वच्छ ईँधन, स्वस्थ भारत। ग्रामीण गरीब महिलाओं का सशक्तीकरण। उज्ज्वला योजना की सफलता क्या है। यह उन महिलाओं से बेहतर कौन बता सकता है जिन्होंने अपने जीवन में कई बसंत, जिंदगी का हर साल चूल्हा फूंकते-फूंकते बिताया है। जबसे उज्ज्वला योजना का लाभ मिलना प्रारंभ हुआ है, बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव स्पष्ट दिखने लगा है।

आपको ये बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि जिन चार करोड़ बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। उनमें 45 प्रतिशत लाभार्थी हमारे दलित परिवार से है, आदिवासी परिवारों से है। और अभी जो वीडियो जो दिखाया गया है। उसमें आकड़ा दिखाया गया है पौने चार करोड़। मैं बोल रहा हूं चार करोड़ लेकिन जब मेरा बोलना पूरा हो गया तो उसमें भी संख्या बढ़ गई है। क्योंकि ये लगातार बढ़ता जा रहा है। लगातार ये काम का विस्तार हो रहा है। उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों में ये सरकार दलितों और शोषितों को प्राथमिकता दे रही है।

स्टैंडअप इंडिया के माध्यम से हम इंटेरपेन्योरशिप, उद्यमशीलता को भी बढ़ावा दे रहे हैं। 2010 से 2014 के बीच, और ये जानकरके शायद हमारे दलित समाज के नेता बहन बैठे हैं ना, उनको भी आश्चर्य होगा। 2010 से 2014 के बीच जब पहले वाली सरकार थी तब दलितों को सिर्फ 445 पेट्रोल पंप उनको दिए गए थे, चार साल में 445। 2014 से 2018, हमने अब तक 12 सौ से ज्यादा पेट्रोल पंप, दलित परिवारों को दिए।

इतना ही नहीं। 2010 से 2014 जब पुरानी सरकार थी, पहले वाली सरकार थी। दलित भाइयो बहनो को ये एलपीजी गैस सिलेंडर के डिस्ट्रिब्यूटर का जो काम होता है, वो डिस्ट्रीब्यूटर का काम करीब नौ सौ दलित परिवारों को मिला था। लेकिन 2014 से 2018 में जब हमारी सरकार आई तो हमने चार साल में करीब-करीब 1300 परिवारों को एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशन दे चुके हैं। यानि कहां 400 और कहां 1300।

सरकार इस बात के प्रति बहुत ही गंभीर है कि देश के किसी भी कोने में, चाहे दूर से दूर गांव ही क्यों न हो, कोई भी बिचौलिया किसी भी परिवार का हक न मार पाए। इसलिए बीपीएल लाभार्थियों की चयन की प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी और भरोसेमंद रखी गई है।

उज्ज्वला योजना का सही लाभ मिल सके। इसके लिए हमने एलपीजी पंचायत भी शुरू की है। ग्रामीण इलाकों में एलपीजी के जो उपभोक्ता है। ये चर्चा के लिए बड़ा विशेष प्लेटफार्म बन गया है। यहां एलपीजी के सुरक्षित उपयोग और लाभों के संबंध में उन्हें शिक्षित किया जाता है ताकि उन्हें एलपीजी के उपयोग को लेकर कोई दुविधा न हो, कोई डर न हो। इस साल एक लाख एलपीजी पंचायत आयोजित करने की योजना हमने बनाई है। पंचायत में शामिल होने वालों से उनकी एलपीजी खपत के बारे में जानना और उनके रिफिल करने के बारे में समझाने में उनको मदद मिलेगी। इससे एलपीजी के उपयोग को बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी। इस पंचायत से दरअसल दो तरह के लाभ हैं। एक तो पता चलता है कि नए उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं क्या है। वहीं डिस्ट्रिब्यूटर्स को भी अपने नए ग्राहकों के बारे में समझ बढ़ाने में मदद मिलती है।

पिछले महीने 14 अप्रैल, यानि बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती से लेकर इस महीने के 5 मई तक जो ग्राम स्वराज अभियान चला। वो बहुत ही सफल हुआ। इस वर्ष 20 अप्रैल को मनाए गए उज्ज्वल दिवस के अवसर पर एक दिन में लगभग 11 लाख एलपीजी कनेक्शन बांटे गए। लगभग 16 हजार उज्ज्वला पंचायतें भी आयोजित की गई जिसमें लगभग 50 लाख लाभार्थियों ने खुद आकरके हिस्सा लिया। आपको बता दें कि एलपीजी की पहुंच करीब-करीब 70 प्रतिशत गांवों में 100 प्रतिशत जबकि 81 प्रतिशत गांवों में 75 प्रतिशत से अधिक है।

उज्ज्वला योजना के पूरे कार्यान्वयन में सुरक्षा सबसे सर्वोच्च है। ये मूलभूत विचार हैं। एलपीजी पंचायत के माध्यम से जो प्रतिभागियों को एलपीजी को सुरक्षित और जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग के बारे में जानकारी मिलेगी। उसके आधार पर उपभोक्ता अपने रसोई घर को सुरक्षित एलपीजी की स्थितियों के अनुरूप ढाल सकेगी। एलपीजी का उपयोग बहुत ही सरल है लेकिन इसमें सावधानी बरतना भी बहुत आवश्यकता है। आपकी सजगता में ही आपके परिवार की मुस्कान छिपी हुई है।

आप सभी को उज्ज्वला योजना का लाभ मिल रहा है। आपने देखा है कि इस योजना से कैसे आपके जीवन में बदलाव आया है। सरकार की कई और ऐसी योजनाएं हैं जिनसे अगर आप अब तक नहीं जुड़ी हैं तो उनसे भी जुड़ सकती हैं। दूसरे को भी इसके लिए प्रेरित कर सकती हैं। जैसे जन धन के तहत बैंक एकाउंट खुलता है तो बहुत सुविधा मिलती है। डेबिट कार्ड मिलेगा। पैसे निकाल पाओगे, बचत कर पाओगे। इसी तरह 12 रुपए वाला प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और 90 पैसे वाला, एक दिन में 90 पैसे वाला प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना आपके और आपके परिवार को सुरक्षा कवच भी उपलब्ध कराता है। जो लोग अभी भी शौचालयों से वंचित हैं। आप उन्हें भी जगाने का काम कर सकते हैं। जिन्हें अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है। वो इसका भी लाभ उठा सकते हैं। अगर उज्ज्वला के चलते आपका समय बच रहा है तो उस समय का सदुपयोग के लिए भी सरकार के पास बहुत सारी योजना है। मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर आप अपना स्वयं का कारोबार भी शुरू कर सकती हैं।

मैं चाहूंगा कि आप लोग भी मुझसे कुछ अपने अनुभव बताना चाहते होंगे, कुछ कहना चाहते होंगे। आपसे कुछ बातें करते-करते मैं भी कुछ जरूर बताऊंगा। मैं आशा करता हूं कि आप एक बार शुरू करें तो पता चले कि आप क्या कहना चाहते हैं।

पीएम मोदी - बताइये ! सुष्मिता जी ...। मयूरभंज से बोल रही हैं।

मयूरभंज, उड़ीसा से सुष्मिता - नमस्कार।

पीएम मोदी - नमस्ते। कब मिला आपको एलपीजी गैस कनेक्शन सुष्मिता जी। कब मिला ...।

आपको रेगूलर सिलिंडर मिल जाता है जब खाली  हो जाता है तो। अच्छा किसी ने आप से बीच में पैसा नहीं न खाया ने आप से ...। किसी ने ऐसा तो नहीं किया कि मुझे दो सौ रुपया दो तो मैं दूंगा। किसी ने नहीं न दिया। हां ...। कभी किसी बिचौलिये को एक रुपया भी नहीं देना है और ऐसी कोई गड़बड़ करता है तो आप मुझे एक चिट्ठी भेज दीजिए।

सुष्मिता - हमलोग की जो गैस दीदी है वो आये तो कनेक्शन लिया।

पीए मोदी - इससे फर्क क्या पड़ा। पहले जब गैस का चूल्हा नहीं था और अब चूल्हा आ गया तो आपके जीवन में क्या फर्क पड़ा।

सुष्मिता - पहले जब गैस नहीं था तो दिन का आधा टाइम चूल्हा जलाने और खाना बनाने में बीत जाता था। अपने बच्चे और परिवार को टाइम नहीं दे पाती थी। अभी जब कनेक्शन मिल गया तो बहुत जल्दी खाना बना पाती हूं और अपने बच्चे और पारिवार को टाइम दे पाती हूं।

पीएम मोदी - अच्छा। पहले जब लकड़ी का चूल्हा था तो बहुत चीजें नहीं बना सकती थी। बहुत कम ...। वो तो लकड़ी के चूल्हे ...। अब तो आप नई-नई वेरायटी बनाती होगीं। बच्चों को खाना भी अच्छा लगता होगा। नई-नई चीजें सीख ली होगीं आपने।

सुष्मिता - जब सर बारिश का मौसम होता है तो मिट्टी के चूल्हे में पानी भर जाता था। काठ भी भींग जाता था, वो भी जलता नहीं था। और बच्चे लोग बारिश के मौसम में खाना भी नहीं खा पाते थे, भूखे रहते थे। अब जो बारिश का मौसम आ रहा है, उसमें परेशानी नहीं उठाना पड़ेगा।

पीए मोदी - चलिए। ये अच्छी बात है लेकिन मैंने आप से जो पूछा कि अब आप बच्चों को नई-नई चीजें खिलाती हैं कि पहले लकड़ी वाले चूल्हे पर जो आप बड़ी-बड़ी, मोटी-मोटी रोटी बनाती थीं वहींखिलाती हैं।

सुष्मिता - बच्चा अब जो कुछ मांगता है कि मम्मी ये दे दो, वो दे दो तो तुरंत बना कर दे देती हूं। और बच्चा भी खुश है और ये आपको धन्यवाद कि आपके द्वारा एलपीजी पास आया है इसलिए परिवार वाले बहुत खुश हैं।

पीएम मोदी - तो आप ऐसी कौन सी चीज बढ़िया बनाती हैं जो बच्चों को खाना अच्छा लगता है। कौन-कौन सी चीज आपके बच्चों को प्यारी है।

सुष्मिता - उनको मैगी, चाऊमीन, चटपटे चीजें पसंद हैं।

पीएम मोदी - (हंसते हुए) मैगी बनाती हैं।

सुष्मिता - हार्लिक्स बनाती हूं तो अपने बच्चों के लिए पानी भी गरम करना पड़ता है तो फटाफट करके दे पाते हैं। झट से चूल्हे जलाओ, गरम करो और हो गया।

पीएम मोदी - अब तो पतिदेव चाय मांगते होंगे तो तुरंत चाय दे देती होंगी। ...तो घर में झगड़े भी कम होते होंगे।  

सुष्मिता - हां-हां वह भी समस्या थी।

पीएम मोदी - तो ...आप सब खुश हैं।

सुष्मिता - हां, हां, बहुत खुश हैं।

पीएम मोदी - तो आप के बगल में जो लोग बैठे हैं वो भी खुश हैं।

सुष्मिता के बगल में बैठी महिलाएं - हां, खुश हैं।

पीएम मोदी - तो आप आशीर्वाद देगीं मुझे ...।

पीएम मोदी - चलिए ...। बहुत बहुत धन्यवाद।

सुष्मिता की अनुवादक - सर ये बोल रही है कि एलपीजी यूज करने के बाद इन लोगों के पास sufficient टाइम बच रहा है। जो ये कुछ काम धंधा करना चाहती हैं, जो अपना संसार आगे बढ़ाने में, पति की मदद करना चाहती हैं। उनके लिए कुछ उपाय कर दीजिए।

पीएम मोदी - देखिए ...। आपने मुझे बहुत अच्छी बात बतायी है। यही विचार मैं चाहता हूं कि हर बहन में पैदा होना चाहिए। कि भई अब गैस का चूल्हा आ गया। पहले लकड़ी इकट्ठा करना, ये करना, कभी लकड़ी जलती नहीं थी, बारिश में परेशानी होती थी, अब ये समय बच गया है।  अब ये समय बच गया है। अब इस समय का क्या उपयोग करना। एक, पहले आप अपने बच्चों पर कम ध्यान दे रही थी। अब जितना ज्यादा बच्चों पर ध्यान दे सकते हैं, देना चाहिए।

आर्थिक Activity करनी है। मान लीजिए कि आपके ...। लोगों को टिफिन पहुंचाने का काम शुरू करें। पांच लोग, छह लोग जो सरकार में नौकरी करने के लिए बाहर से आते हैं। प्राइवेट नौकरी करने के लिए आते हैं तो उनको खाने की तकलीफ होती है। अगर आप उनको खाने का टिफिन पहुंचाने की सर्विस शुरूकरें। गैस का चूल्हा है। आप खाना पका सकती हैं। तीन लोगों, चार लोगों को टिफिन पहुंचाएं तो आपकी इनकम शुरू हो जाएगी।

और घर में नई-नई चीज खाना पक जायेगी। आपके पास समय है तो समय का बहुत अच्छा उपयोग आप कर सकती हैं। अब मैं चाहूंगा ...।

कि दूसरा ...। एक काम यहां आपको करना चाहिए। थोड़ा बहुत आपको सीखना चाहिए। कभी कभी क्या होता है कि बच्चों को जो पसंद होता है वही हम खिलाते रहते हैं। उनका वजन कैसे बढ़े। उनकी ऊंचाई कैसे बढ़े। वो बिलकुल जल्दी बिल्कुल ...। हमारी बेटी भी हो तो एकदम से दुबली पतली न हो, हमारा बेटा हो तो वो भी दुबला पतला न हो। तो वो खाना मिले जो उसके शरीर के लिए उपयोगी हो। कभी क्या होता है खर्चा तो हम करते हैं लेकिन बच्चे को जो पसंद आया वो करते हैं। अब आपने जैसे बता दिया कि मैगी।अब वो सब्जी खाता ही नहीं होगा। अगर सब्जी नहीं खाता होगा तो क्या होगा ...। और इसलिए आप भी जब रसोई घर में समय बचा है तो ऐसी  चीजें ...। लोगों से पूछ करके बच्चों को वो खिलाएं जिससे बेटी का शरीर भी मजबूत हो, बेटे का शरीर भी मजबूत हो, उसका वजन भी बढ़े, उसका खून भी बढ़े। आप देखिए आपका बुढ़ापा और उनका बुढ़ापा सब अच्छा जाएगा। तो आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं मयूरभंज की सभी बहनों को।

पीएम मोदी - अब कौन हैं। हां बताइए। छत्तीसगढ़ रायपुर से। नमस्ते। मीना जी।

रायपुर, छत्तीसगढ़ से मीना निर्मलाकार - देश के प्रधानमंत्री को जय जोहार।

पीएम मोदी - जय जोहार। और सभी छत्तीसगढ़ की बहनों, माताओं को जय जोहार।

मीना - मेरा नाम मीना निर्मलाकार है। छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिला के सारा गांव के रहने वाले हैं।

पीएम मोदी - हां बताइए।

मीना - खेती मजदूरी का काम करते हैं सर।

पीएम मोदी - गैस का चूल्हा कब मिला।

मीना - मिला 2016 में। अगस्त महीना में मिली सर।

पीएम मोदी - कितना महीना चलता है एक गैस का सिलेंडेर।

मीना - एक महीना में एक सिलिडेंर लग जाता है सर।

पीएम मोदी - अच्छा। और घर में सुबह चाय गैस पर बनाती हैं। दोपहर को खाना गैस पर बनाती हैं। शाम का खाना गैस पर बनाती हो।

मीना – हां।

पीएम मोदी - बच्चे क्या कहते हैं। पहले लकड़ी से चूल्हे से जलाती थी और अब गैस का चूल्हा आ गया तो तुम्हारे बच्चे क्या कहते हैं।

मीना - बहुत खुश हो जाते हैं सर।

पीएम मोदी - वो तो कहते होंगे कि मीना बहुत बड़ी हो गयी है। ऐसा कहते होंगे बच्चे। अच्छा जो अड़ोस-पड़ोस में जो लोग हैं, जो बड़े-बड़े लोग हैं जिनके घरों में स्कूटर है, गाड़ी है, अच्छा घर है। पहले उनके घर में गैस का चूल्हा था। तुम्हारे घर में नहीं था। तब तुम्हें क्या लगता था।

मीना - हमारे घर में चूल्हा रहता तो हम भी जल्दी खाना वाना बना लेते। मोहल्ला वाले कहते थे हमारे घर में गैस का चूल्हा है। जल्दी खाना वाना बना के टाइम बचता है।

पीएम मोदी - अच्छा अब तुम्हारे घर में आ गया तो उन लोगों को क्या लगता है।

मीना – (हंसती हैं) अब हमारे घर में भी आ गया है।

पीएम मोदी - अब उनको अच्छा नहीं लगता होगा। अच्छा नहीं लगता होगा न ...। उनको लगता होगा कि देखो पहले हमारे घर में गैस का चूल्हा था तो हम बड़ा सीना तान के घूमते थे। अब तो मोदी जी ऐसा आदमी है कि गरीबों को भी दे दिया ...। अब तो हमारी वो रही नहीं ...। ऐसा कहते होंगे ना ...।

मीना - नहीं सर। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद सर कि हम गरीबों के परिवार के लिए ऐसा किया। सिलेंडर दिया। गैस चूल्हा दिया।

पीएम मोदी - अच्छा क्या फायदा हुआ। घर में गैस का चूल्हा आने से आपको क्या लाभ हुआ। एक मां के नाते आपको क्या फायदा हुआ।

मीना - सर जल्दी खाना बन जाता है हमारे घर। तो जन सेवा भी कर लेते हैं। आस-पड़ोस में भी बता देते हैं कि सिलेंडेर मिलने से समय बच जाता है। आदमी को भी समय दे पाते हैं।

पीएम मोदी - अच्छा अभी। चाय मांगे तो तुरंत चाय बना के  देती हो, मेहमान आये तो तुरंत चाय मिल जाती है।

मीना - हां सर।

पीएम मोदी - लेकिन इससे खर्चा भी बढ़ गया होगा न। पहले की तुलना में खर्चा बढ़ गया है कि कम हो गया है।

मीना - खर्चा कम हुआ है सर।

पीएम मोदी - कम हुआ है।

मीना - गैस से।

पीएम मोदी - लोग ऐसा झूठ फैलाते हैं कि मोदी ने लोगों को गैस का चूल्हा दिया। पहले तो लकड़ी जंगल से लाते थे तो कोई खर्चा नहीं होता था। अब मोदी ने चूल्हा दे दिया तो लोगों को खर्चा करना पड़ रहा है। गरीब कहां से खर्चा करेगा।

मीना - नहीं सर। पहले लकड़ी लाने के लिए धूप में निकलना पड़ता था। धुआं से निजात मिली है। सब चीज से मुक्ति मिली है। घर परिवार, आस पड़ोस में अच्छा माहौल है सर।

पीएम मोदी - फिर वो झूठ फैलाते हैं, वो झूठ कहते हैं न।

मीना - हां सर।

पीएम मोदी - हां तो ऐसे लोगों की बातों में कभी आना मत। अच्छा कभी बच्चों का वजन बढ़े, बेटी का वजन बढ़े, बेटी पढ़े, इसके लिए ध्यान देती हो क्या।

मीना - हां सर, देते हैं सर।

पीएम मोदी - देखिए पहले क्या होता था कि घर में लकड़ी का चूल्हा था। मां भी कहीं काम करने के लिए मजदूरी के लिए जाती थी तो घर का सारा काम बेटी को दे देती थी। लकड़ी इकट्ठा करने बेटी जाएगी। खाना कौन पकाएगा, बेटी पकाएगी। सब्जी कौन काटेगा, बेटी काटेगी। सारा बोझ बेटी पर आ जाता था, इसलिए बेटी पढ़ ही नहीं पाती थी। अब गैस ये चूल्हा आ गया, समय बच गया। क्या इसका फायदा आपकी बेटी को मिलता है।

मीना - मिलता है सर। पढ़ाई भी करते हैं। अभी छोटे छोटे हैं सर। बेटी आंगनबाड़ी में जाती है, बेटा दूसरी में पढ़ता है।

पीएम मोदी - अच्छा बेटी आंगनवाड़ी में जाती है। तुम्हें पता है उनका वजन करते हैं।

मीना - हां वजन करते हैं।

पीएम मोदी - वजन बढ़ रहा है उनका।

मीना - हां।

पीएम मोदी - बढ़ रहा है।

मीना - हां बढ़ रहा है सर। वह भी वजन कर लेते हैं। आस-पड़ोस के भी कर देते हैं।

पीएम मोदी - हां।

पीएम मोदी - चलिए। मीना जी आपके बगल में जो हैं उनका नाम बता दीजिए। कौन-कौन हैं।

उर्मिला - उर्मिला सिन्हा।

पीएम मोदी - उर्मिला जी नमस्ते।

विमला - विमला सर।

पीएम मोदी - नमस्ते।

पीएम मोदी - आप हमें आशीर्वाद देंगे।

मीना, उर्मिला, विमला - जी सर।

पीएम मोदी - बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्ते।

मीना - धन्यवाद सर।

पीएम मोदी - हां, अनंतनाग। अर्जुमन आरा जी। अब तो रमजान का महीना चल रहा है। तो बहुत सुबह उठकर तीन बजे खाना पकाना पड़ता होगा और लकड़ी का चूल्हा गया और गैस का चूल्हा आया तो बहुत फर्क आया होगा। हां बताइए।

अर्जुमन आरा - अब हमारा टाइम बचता है। पहले तो चूल्हा जलाते थे तो बच्चे आग की तरफ जाते थे, खतरा रहता था, बर्तन साफ करने हमारा बहुत टाइम जाता था। अगर कोई बच्चा बीमार पड़ता था तो हास्पिटल ले जाते थे तो उसमें सारे दिन चला जाता था। इससे हम एक टाइम का भी खाना नहीं पका पाते थे। अब जब की उज्ज्वला गैस हमारे घर में आयी है तो इससे हमें बहुत सहुलियतें वैगरह मिल गयी है। रमजान के महीने में तो बहुत ही ज्यादा। अब हम सुबह ही उठकर, पन्द्रह मिनट, आधा घंटे में ही बना लेते हैं, खा भी सकते हैं और बच्चों को भी खिला सकते हैं।

पीएम मोदी - देखिए मेरा जहां घर था, मेरे अड़ोस-पड़ोस में सारे मुस्लिम परिवार वाले थे। मेरे सारे दोस्त मुस्लिम बच्चे ही थे। जब मैं छोटा था। मैं देखता था कि उनके घर में बड़ी तकलीफ होती थी। मेरे दोस्त भी ऐसे ही थे गरीब परिवार के थे कोई बड़े परिवार के नहीं थे। तो उनके घर में उनकी माता को सुबह तीन बजे उठना पड़ता था, बहनों को उठना पड़ता था। तीन बजे से वो खाने की तैयारी करते थे, ताकि रोजा शुरू होने से पहले सारा काम हो जाए। मैं मानता हूं कि अब गैस सिलेंडर आने के बाद से माताओं और बहनों को ऐसे अवसर पर बहुत तकलीफ होती थी। बहुत कठिनाइयों से मुक्ति मिली है। आप के यहां तो मौसम का भी मार रहता है। लकड़ी गिली ही रहती है। वो तो और दिक्कत करती होगी।

अर्जुमन आरा - पूरा दिन रोजा रखते थे। शाम को भी दिक्कत होती थी। लकड़ियां लाकर रखनी पड़ती थी। और सुबह 1 बजे से ही, तीन बजे से खाना बनाना होता था।

पीएम मोदी - अब तो सुविधा हो गई होगी।

अर्जुमन आरा - बिलकुल सर, पहले तो बच्चे सोते थे तो उनको भी धुआं लगता था, खांसते थे। और खांसी से वह भी उठ जाते थे, नींद से पहले ही। परेशानी भी हो जाती थी। बच्चों को संभालना और खाना पकाना।

पीएम मोदी - अच्छा बच्चियों को अब पढ़ने में सुविधा हो गयी है।

अर्जुमन आरा - जी सर। बहुत सहुलियत हो गई है। खांसी वांसी से बच गये हैं। धुएं से बच गये, उससे घर में काफी खुशहाली आयी। उसकी वजह से मैंने सिलाई का काम भी सीखा है। जिससे आमदनी भी आती है। और सिलेंडर आसानी से खरीद लेते हैं।

पीएम मोदी - देखिए। कश्मीर में जो हमारी माताऐं बहनें हैं। उनको भगवान ने बड़ा कौशल दिया है। उनकी अंगुलियों में ऐसी ताकत है। ऐसी अदभुत चीजें बनाती है कि मैं मानता हूं कि ये गैस सिलेंडर के कारण वो माताएं बहनों  को जो लकड़ी के चूल्हे में जो हाथ जलाने पड़ते थे। उन अंगुलियों का उपयोग अच्छी-अच्छी चीजें बनाने और मार्केट खड़ा करने की ताकत है। हर मां, बहन-बेटी को यह हस्तकला का अद्भुत काम आता है। तो उसमें कोई बढ़ोत्तरी हुई है।

अर्जुमन आरा - सर आपको पता ही है कि रमजान के महीने में कुछ चीजें तैयार करनी पड़ती हैं तो उसमें हमें बहुत ज्यादा सहुलियतें मिलती हैं।

पीएम मोदी - एकदम सरल हो गया सब कुछ।

अर्जुमन आरा - शुक्रिया सर। आपकी सरकार से गैस का सिलेंडर मिला।

पीएम मोदी - बहुत मुझे अच्छा लगा। आप सब लोग हमें आशीर्वाद दीजिए। आपके आशीर्वाद बने रहे। सब मिलके गरीब का भला करें। गरीब का भला करें।

अर्जुमन आरा - रमजान का महीना चल रहा है। सुबह हम नमाज पढ़ते हैं, कुरान पढ़ते हैं और दुआ देंगे कि अगले हर साल आपकी ही सरकार आए।

पीएम मोदी - मैं आपका बहुत आभारी हूं।

अर्जुमन आरा - हम दुआ करेंगे।

पीएम मोदी - आपने आशीर्वाद दिया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन हम सबका काम है कि गरीब को दोनों टाइम खाना मिले। गरीब के बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिले। गरीब के जो नौजवान हैं। उनको काम काज का अवसर मिले और हमारे जो बुजुर्ग हैं,  उनको दवाई में कोई तकलीफ न हो। आपको मालूम होगा। मैं चाहूंगा कि आप और बहनों को बताएं कि सरकार एक जन औषधि केन्द्र चलाती है। देश भर में साढ़े तीन हजार जन औषधि केन्द्र हैं। कुछ लोग हैं जो permanent रूप से बीमार रहते हैं। डायबिटीक पेसेंट हैं। उन्हें रोज दवा लेनी पड़ती हैं जिसका 100 रुपये दवाई का बिल होता था, जन औषधि केन्द्र में ऐसी ही उत्तम दवाई मिलती है और 20 -25 रुपये में मिलती है। इतना बड़ा फायदा होता है कि आपके अगल-बगल में जो बीमार रहते हैं, उन्हें जरुर बताइये कि सरकार ने जन औषधि बनायी है। दवाई वहीं से लें ताकि उनका 60-70 रुपया उनका बच जायेगा। और हर रोज जिनको दवाई लेनी पड़ती है। उनको तो बहुत फायदा होगा। तो ये काम आप जरूर कीजिए। मैं मानता हूं कि आप इतने जागरूक हैं। आपको सारी चीजें पता है और आप गरीब का भला चाहते हैं। मेरे लिए खुशी की बात है। तो मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं कि आपने आशीर्वाद दिए।

अर्जुमन आरा - उम्मीद है कि आप आगे भी हम गरीबों के लिए ऐसी ही सहूलियतें लाएंगे।

पीएम मोदी - जरूर आप बताते रहिए, हम करते रहेंगे। धन्यवाद।

पीएम मोदी - जी कौन हैं। अब तमिलनाडु। वड्डकम ...। वड्डकम ...। हां बैठिए। हां बताइये गैस का कैसा फायदा है।

रुतरमा - पहले लकड़ी पर काम करते थे। अब गैस आया है तो बहुत अच्छा लगता है। कुकिंग करने में आसानी हो गया है।

पीएम - तो पहले लकड़ी के चूल्हे पर डोसा इडली सब बन जाता था। डोसा बनता था।

रुतरमा - पहले डोसा इडली बनने के लिए बहुत मुश्किल था। अभी बनने में अच्छा है। पहले मुश्किल था।

पीएम - मैं तमिलनाडु आऊंगा तो मुझे डोसा खाने को मिलेगा।

रुतरमा - जरूरी आइये।

पीएम - अच्छा लगा। नमस्ते। आप से मिलने का मौका मिल गया। वड्डकम। बहुत-बहुत धन्यवाद।

पीएम - कौन हैं ये असम से। हेमा जी नमस्ते जी। हां बैठिए। बैठिए। पीछे पूरी ब्रह्मपुत्रा दिखाई दे रही है। अपना अनुभव बताइए ...। गैस कनेक्शन मिलने के बाद।

हेमा - गैस जब से मिला है तब से समय से पहले काम कर पाते हैं। अभी काम पर आ जा पा रहे हैं। टाइम से सब काम हो जाता है।

पीएम - पहले जब लकड़ी का चूल्हा था तो आप खाना पकाती थी तो आप पकाने में समय जाता था तो घर वाले आप लोगों पर जोर नहीं लगाते होंगे कि जाओ मजदूरी करने के लिए आप बता देते होंगे कि अभी-अभी खाना पकाना है, अभी दो घंटे लगेंगे। अब आपका समय बच गया तो घर वाले कहते होंगे कि जाओ अब मजदूरी करो। कमा कर लाओ। ऐसा होता है क्या। हिन्दी समझ आ गया जो बताया।  

हेमा - समझ में आ रही है लेकिन बोल नहीं पा रही है।

पीएम - तो ऐसा होता हैं कि घर में अभी भी झगड़ा होता है।
हेमा - अभी समय बच रहा है। झगड़ा भी गैस की वजह से नहीं हो रहा है। पहले लकड़ी काटने के लिए दोनों को जाना पड़ता था। अब बच्चों को टाइम दे पा रही हैं। समय से काम हो रहा है।

पीएम - अब धुआं चला गया तो घर मे कोई बुजुर्ग हैं। उसे अच्छा लग रहा है पहले धुएं में बहुत तकलीफ होती थी। ऐसा कोई हो घर में बुजुर्ग।

हेमा - घर में बुजुर्ग हैं। पहले घर में धुआं जलता था।  अभी धुआं नहीं है।

पीएम - अभी एकदम सब खुश हैं। बच्चे भी खुश हैं। बच्चे पढ़ने मे ध्यान देते हैं।

हेमा - ध्यान दे रहे हैं।

पीएम - चलिए। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। और मैं चाहूंगा ...। खाना आसानी से बन रहा है ...। बच्चों का वजन बढ़े, बेटी का वजन बढ़े, ऐसा खाना खिलाइये बच्चों को।

हेमा - धन्यवाद।

पीएम - नमस्ते। देश भर के एलपीजी कनेक्शन वाले सभी बहनों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार। आपकी जिंदगी में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। लेकिन इस बदलाव का उपयोग आपके जीवन में भी आना चाहिए सिर्फ किचन में नहीं। ये सरकार आप के साथ चलना चाहती है। आपकी आशाओं आकाक्षाओं के अनुकूल चलना चाहती है। और इसलिए इतनी सारी योजनाएं हैं। मैं चाहूंगा कि मेरी गरीब मां, बहनें, मेरे दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, आदिवासी, गांव में रहने वाले, जंगलों में रहने वाले, पहाड़ों में रहने वाले, ऐसे सबकी जिंदगी में कोई न कोई बदलाव आए।

और मेरा अनुभव है कि अगर घर में महिला को सुविधा शुरू हुई तो घर में महिला घर के लिए सब कुछ कर देती है। और इसलिए मेरी कोशिश है कि हमारी माताओं बहनों को जो कठिनाइयां हैं, चाहे शौचालय की हो, चाहे बिजली की हो, चाहे घर की हो, चाहे चूल्हे की हो, चाहे खाने की हो। आपको मालूम होगा कि गरीब के घर में एक थाली में जो खाना आता है न। अगर तीस रुपये की थाली है तो 27 रुपया भारत सरकार देती है क्योंकि हमारे गरीब को मदद मिल जाये तो गरीब अपने पैरों पर खड़े होने की ताकत रखता है। यों सारी योजनाएं कि आप ताकतवार बनें, और आप खुद गरीबी से लड़ें। तय करें कि हमारे जीते जी हमारे सर पर ये जो गरीबी का नाम लगा हुआ है, वह हम मिटा कर रहेंगे। हम बच्चों को और कुछ दे या न दे लेकिन गरीबी देकर नहीं जाएंगे। अगर यह हर मां-बाप तय कर ले तो इस देश की गरीबी जाने वाली है। ये पक्का है।

इसी के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। मुझे अच्छा लगा कि देश भर की उज्ज्वला योजना से जुड़ी हुई जिनके घर में कभी लकड़ी का चूल्हा धुएं की परेशानी ...। आज सुख चैन की जिंदगी जीना शुरू किया है तो ऐसी माताओं के आशीर्वाद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Bihar will prosper and will also play a big role in the prosperity of the country: PM Modi in Siwan
June 20, 2025
QuoteBihar will prosper and will also play a big role in the prosperity of the country: PM
QuoteA record 25 crore Indians have defeated poverty in the last decade: PM
QuoteBihar will become a big center of Made in India,today, the first engine from the Marhowra Locomotive Factory is being exported to Africa: PM

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

रऊआ सब लोगन के प्रणाम कर तानी। बाबा महेंद्र नाथ, बाबा हंसनाथ, सोहगरा धाम, मां थावे भवानी, मां अंबिका भवानी, प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद अऊरी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पावन भूमि पर रऊआ सब के अभिनंदन कर तानी!

बिहार के राज्यपाल श्रीमान आरिफ मोहम्मद खान जी, यहां की जनता की सेवा में समर्पित मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी जीतन राम मांझी जी, गिरिराज सिंह जी, ललन सिंह जी, चिराग पासवान जी, रामनाथ ठाकुर जी, नित्‍यानंद राय जी, सतीश चंद्र दुबे जी, राजभूषण चौधरी जी, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, संसद के मेरे साथी उपेंद्र कुशवाहा जी, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायक गण और मेरे प्यारे बिहार के भाइयों और बहनों!

सिवान की ये धरती हमारे स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरक स्‍थली है। यह हमारे लोकतंत्र को, देश को, संविधान को ताकत देने वाली भूमि है। सिवान ने राजेंद्र बाबू जैसी महान संतान देश को दी। संविधान निर्माण से लेकर देश को दिशा दिखाने में राजेंद्र बाबू की बहुत बड़ी भूमिका रही। सिवान ने ब्रज किशोर प्रसाद जी जैसी महान समाज सुधारक भी देश को दिए। ब्रज बाबू ने महिला सशक्तिकरण को अपने जीवन का मकसद बनाया था।

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साथियों,

मुझे खुशी है ऐसी ही महान आत्माओं के जीवन मिशन को एनडीए की यह डबल इंजन सरकार दृढ़ निश्‍चय के साथ आगे बढ़ा रही है। आज का यह कार्यक्रम इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है। आज इस मंच से हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। विकास की ये सारी परियोजनाएं बिहार को उज्ज्वल भविष्‍य की तरफ ले जाएगी, समृद्ध बिहार बनाएगी। सिवान, सासाराम, बक्सर, मोतिहारी, बेतिया और आरा जैसे बिहार के सारे इलाके फलें-फूलें, इस दिशा में ये प्रोजेक्ट बड़ी भूमिका निभाएंगे। इनसे गरीब, वंचित, दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े, हर समाज का जीवन आसान होगा। मैं बिहार की जनता को, आप सभी को इन प्रोजेक्‍ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं अभी जब आप लोगों के बीच से आ रहा था, अभी कल ही बारिश हुई। सुबह भी थोड़ा बारिश का लाभ आया, इसके बावजूद भी इतनी बड़ी मात्रा में आपका आना, हमें आशीर्वाद देना, मैं आपका हृदय से जितना धन्यवाद करूं, उतना कम है।

भाइयों और बहनों,

जैसा आप सब जानते हैं, मैं कल ही विदेश से लौटा हूं। इस दौरे में मेरी दुनिया के बड़े-बड़े समृद्ध देशों के नेताओं से बात हुई। सारे नेता भारत की तेज प्रगति से बहुत प्रभावित हैं। वो भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनते देख रहे हैं और निश्चित तौर पर इसमें बिहार की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। बिहार समृद्ध होगा और देश की समृद्धि में भी बड़ी भूमिका निभाएगा।

साथियों,

मेरे इस विश्वास का कारण बिहार के आप सभी लोगों का सामर्थ्य है। आपने मिलकर बिहार में जंगलराज का सफाया किया है। यहां के हमारे नौजवानों ने तो 20 साल पहले के बिहार की बदहाली सिर्फ किस्सों और कथाओं में ही सुनी है। उन्हें बहुत अंदाजा नहीं है कि जंगलराज वालों ने बिहार की क्या हालत बना दी थी। जिस बिहार ने सदियों तक भारत की प्रगति को नेतृत्व दिया, उसको पंजे और लालटेन के शिकंजे ने पलायन का प्रतीक बना दिया था।

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साथियों,

बिहार के रहने वाले हर व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी बात होती है, उसका स्‍वाभिमान। मेरे बिहारी भाई-बहन कठिन से कठिन परिस्थिति में काम करके दिखा देते हैं। वह कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करते। लेकिन पंजे और लालटेन वालों ने मिलकर बिहार के स्वाभिमान को बहुत ठेस पहुंचाई। इन लोगों ने ऐसी लूट-खसोट मचाई की गरीबी बिहार का दुर्भाग्य बन गई। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार बिहार को विकास की पटरी पर वापस लाई है और मैं बिहारवासियों को विश्वास देने आया हूं, हमने भले ही बहुत कुछ किया हो, करते रहे हैं, करते रहेंगे, लेकिन इतने से शांत होकर के चुप रहने वाला मोदी नहीं है, अब बहुत हो गया, बहुत कर लिया जी नहीं, मुझे तो बिहार के लिए और भी बहुत कुछ करना है, आपके लिए करना है, यहां के गांव-गांव के लिए करना है, यहां के घर-घर के लिए करना है, यहां के हर नौजवान के लिए करना है। अगर मैं सिर्फ बीते 10-11 साल की बात करूं तो इन 10 वर्षों में बिहार में करीब 55 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनी हैं, डेढ़ करोड़ से ज्यादा घरों को बिजली के कनेक्शन से जोड़ा गया है, डेढ़ करोड़ लोगों को, वहां के घरों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, 45 हजार से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स बनाए गए हैं, आज बिहार के छोटे-छोटे शहरों में नए-नए स्टार्ट-अप्स खुल रहे हैं।

साथियों,

बिहार की प्रगति की ये गति लगातार बढ़ती है, इसको बढ़ाते रहना है और इसी समय बिहार में जंगलराज लाने वाले मौका देख रहे हैं कि किसी भी तरह फिर से अपने पुराने कारनामे करने का मौका ढूंढ रहे हैं। बिहार के आर्थिक संसाधनों पर कब्जा करें, इसके लिए वो तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, इसलिए मेरे बिहार के प्यारे भाइयों-बहनों, आप के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपके बच्‍चों के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए, आपको बहुत ही सतर्क रहना है। समृद्ध बिहार की यात्रा पर ब्रेक लगाने के लिए तैयार बैठे लोगों को कोसों दूर रखना है।

साथियों,

गरीबी हटाओ के नारे हमारे देश ने दशकों तक सुने हैं, आपकी दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी ने गरीबी हटाओ! गरीबी हटाओ! हर चुनाव में, ये आकर के बोलते थे। लेकिन जब आपने हमें मौका दिया, एनडीए को मौका दिया, तो NDA सरकार ने दिखाया है कि गरीबी कम भी हो सकती है। बीते एक दशक में रिकॉर्ड 25 करोड़ भारतीयों ने गरीबी को पराजित किया है। वर्ल्ड बैंक जैसी दुनिया की जानी-मानी संस्थाएं, भारत की इस बड़ी उपलब्धि की प्रशंसा कर रही हैं। और भारत ने जो ये कमाल किया है, इसमें बिहार का यहां हमारे नीतीश जी की सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। पहले बिहार की आधे से अधिक आबादी, बहुत अधिक गरीब की श्रेणी में आती थी। लेकिन बीते दशक में बिहार के करीब पौने चार करोड़ साथियों ने खुद को गरीबी से मुक्त किया है।

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साथियों,

आज़ादी के इतने दशकों तक भी इतने लोग गरीब थे, नारे गूंजते रहे, गरीबी बढ़ती रही और ये इसलिए नहीं हुआ कि बिहार के लोगों की मेहनत में कोई कमी थी, देशवासियों की मेहनत में कोई कमी थी। बल्कि इसलिए क्योंकि इनके सामने आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं था। लंबे समय तक कांग्रेस के लाइसेंस राज ने देश को गरीब रखा और गरीब को अति गरीबी में धकेल दिया। जब हर चीज के लिए कोटा-परमिट फिक्स था। छोटे-छोटे काम करने के लिए परमिट चाहिए होता था। कांग्रेस-RJD के राज में गरीब को घर नहीं मिलता था, राशन, बिचौलिए खा जाते थे, इलाज गरीब की पहुंच से दूर था, पढ़ाई और कमाई के लिए संघर्ष था, बिजली-पानी का एक कनेक्शन लगाने के लिए ही सरकारी दफ्तरों के अनगिनत चक्कर लगाने पड़ते थे। गैस कनेक्शन के लिए सांसदों की सिफारिश लगानी पड़ती थी। नौकरी बिना घूस, बिना सिफारिश के मिलती ही नहीं थी। और इसके सबसे बड़े भुक्तभोगी कौन थे, इनमें से ज्यादातर साथी मेरे दलित समाज के, महादलित समाज के, पिछड़े समाज के, अति पिछड़े समाज के यही मेरे भाई-बहन इसके शिकार हुए थे। इन्हें गरीबी हटाने का सपना दिखाकर खुद कुछ परिवार करोड़पति-अरबपति हो गए।

साथियों,

बीते 11 वर्षों से हमारी सरकार, गरीब के रास्ते की हर मुश्किल को दूर करने में जुटी है और आगे भी करती रहेगी और इतनी मेहनत करते हैं, तब ऐसे अच्‍छे परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। अब जैसे गरीबों के लिए आवास हैं, अभी जिन परिवारों को मुझे आवास की चाबी देने का मुझे मौका मिला, वह इतने आशीर्वाद दे रहे थे, उनके चेहरे पर इतना संतोष था, भाव-विभोर थे।

साथियों,

बीते दशक में देशभर में चार करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर मिल चुके हैं। मैं आपको पूछूं, जवाब देंगे आप लोग? मैं अगर पूछूं, तो आप जवाब देंगे? मैंने अभी कहा, चार करोड़ लोगों को यानी चार करोड़ परिवारों को पक्के घर, कितने लोगों को, जरा जोर से बोलिए कितने लोगों को? चार करोड़! आप कल्पना कीजिए, चार करोड़ लोगों को पक्के घर मिलना, सिर्फ वह चार दीवारें नहीं हैं, उन घरों में सपने सजते हैं, उन घरों में संकल्प पलते हैं। आने वाले समय में तीन करोड़ और पक्के घर तैयार होने जा रहे हैं। मैंने पहले कहा ना, सेवा के काम में मैं रुकने वाला नहीं हूं। जितना हुआ, पहले वालों से बहुत अच्छा हुआ, फिर भी मोदी चैन की नींद नहीं सोएगा, वह दिन-रात काम करता रहेगा, आपके लिए करता रहेगा क्योंकि आप मेरे परिवार के सदस्य हैं और मेरे परिवार का एक भी सदस्य पीछे न रहे, दुखिया न रहे, यह मैं सपना लेकर के चला हूं। इसका बहुत अधिक फायदा बिहार के मेरे गरीब भाई-बहन, दलित भाई-बहन, महादलित भाई-बहन, पिछड़े भाई-बहन, अति पिछड़े भाई-बहन, ये सारी जो योजनाएं चला रहा हूं, सबसे पहले फायदा इनको मिल रहा है। बिहार में पीएम आवास योजना से 57 लाख से ज्यादा पक्के घर बने हैं। यहां सिवान जिले में भी गरीबों के एक लाख दस हजार से ज्यादा पक्के घर बन चुके हैं, मैं एक जिले की बात बोल रहा हूं और ये काम निरंतर जारी है। आज भी बिहार के 50 हज़ार से अधिक परिवारों के लिए घर की किश्त जारी की गई है। और जानते हैं, मेरे लिए दोहरी खुशी किस बात की है? ये घर ज्यादातर माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मेरी जिन बहनों-बेटियों के नाम पर कभी कोई भी संपत्ति नहीं होती थी, अब वो अपने घर की मालकिन बन रही हैं।

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साथियों,

हमारी सरकार घर के साथ-साथ मुफ्त राशन, बिजली और पानी की सुविधा भी दे रही है। बीते सालों में देशभर में 12 करोड़ से अधिक नए परिवारों के घर नल पहुंचा है। इसमें सिवान के भी साढ़े चार लाख से अधिक परिवारों को पहली बार नल से जल मिला है। गांवों में हर घर में नल हो, शहरों में पीने के लिए पर्याप्त पानी हो, हम इस लक्ष्य को लेकर काम कर रहे हैं। बीते सालों में बिहार के अनेक शहरों के लिए पानी की पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट बनाए गए। अब दर्जनों और शहरों के लिए पाइप लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स स्वीकृत किए गए हैं। ये सारे प्रोजेक्ट, गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन और बेहतर बनाएंगे।

भाइयों और बहनों,

आरजेडी-कांग्रेस की करतूतें, इनके कारनामे, बिहार विरोधी हैं, निवेश विरोधी हैं। जब भी अपने मुंह से ये लोग विकास की बात करते हैं, तो लोगों को दुकान-कारोबार, उद्योग-धंधे, सब में ताले लटकते नजर आते हैं। इसलिए, ये बिहार के नौजवानों के दिल में कभी भी जगह नहीं बना पाए। ये लोग, बेहाल इंफ्रास्ट्रक्चर, माफिया राज, गुंडाराज और भ्रष्टाचार के पोषक रहे हैं।

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साथियों,

बिहार का प्रतिभाशाली नौजवान आज जमीन पर होने वाले काम देख रहा है, उसे परख रहा है। NDA, कैसा बिहार बना रही है, इसका उदाहरण मढ़ौरा रेल फैक्ट्री है। आज मढ़ौरा की लोकोमोटिव फैक्ट्री से पहला इंजन, अफ्रीका को एक्सपोर्ट किया जा रहा है। यह आप ही का जाएगा, वहां की गाड़ी को खींचेगा। आप सोचिए, अफ्रीका में भी बिहार की जय-जयकार होने वाली है। ये फैक्ट्री उसी सारण जिले में बनी है, जिसको पंजे और आरजेडी वालों ने पिछड़ा कहकर अपने हाल पर छोड़ दिया था। आज ये जिला दुनिया के मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट मैप पर अपनी जगह बना चुका है। जंगलराज वालों ने तो बिहार का विकास इंजन ही ठप कर दिया था, अब बिहार में बना इंजन, अफ्रीका की रेल चलाएगा। ये बहुत बड़े गर्व की बात है, मुझे पक्का विश्वास है बिहार, मेड इन इंडिया का एक बड़ा सेंटर बनेगा। यहां का मखाना, यहां के फल-सब्जियां तो बाहर जाएंगी ही, बिहार के कारखानों में बनने वाला सामान भी दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचेगा। बिहार के नौजवान जो सामान बनाएंगे, वो आत्मनिर्भर भारत को ताकत देगा।

साथियों,

इसमें बिहार में बन रहा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत काम आएगा। आज बिहार में रोड, रेल, हवाई यात्रा और जलमार्ग, हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। बिहार को लगातार नई ट्रेनें मिल रही हैं। यहां वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चल रही हैं। आज हम एक और बड़ी शुरुआत करने जा रहे हैं। सावन शुरु होने से पहले आज बाबा हरिहरनाथ की धरती, वंदे भारत ट्रेन से बाबा गोरखनाथ की धरती से जुड़ गई है। पटना से गोरखपुर की नई वंदे भारत ट्रेन, पूर्वांचल के शिव भक्तों को मिली नई सवारी है। ये ट्रेन भगवान बुद्ध की तपोभूमि को, उनकी महापरिनिर्वाण भूमि कुशीनगर से जोड़ने का भी माध्यम है।

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साथियों,

ऐसे प्रयासों से बिहार में उद्योग-धंधों को तो बल मिलेगा ही, इससे पर्यटन को सबसे अधिक फायदा होगा। इससे दुनिया के टूरिज्म मैप में भी बिहार और अधिक निखर कर सामने आएगा। यानी बिहार के नौजवानों के लिए रोजगार के अनगिनत अवसर बनने वाले हैं।

साथियों,

देश में सबको आगे बढ़ने के अवसर मिले, किसी के साथ भी भेदभाव न हो, ये हमारे संविधान की भावना है। हम भी इसी भाव से कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। लेकिन ये लालटेन और पंजे वाले कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। हम कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। वह कहते हैं- परिवार का साथ, परिवार का विकास। इनकी राजनीति का कुल जमा निचोड़ यही है। अपने-अपने परिवारों के हित के लिए ये देश के, बिहार के करोड़ों परिवारों का अहित करने से भी नहीं चूकते हैं। खुद बाबा साहेब अंबेडकर भी इस प्रकार की राजनीति के बिल्कुल खिलाफ थे। इसलिए ये लोग कदम-कदम पर बाबा साहेब का अपमान करते हैं। अभी पूरे देश ने देखा है कि RJD वालों ने बाबा साहेब की तस्वीर के साथ क्या व्यवहार किया हैं। मैं देख रहा था, बिहार में पोस्टर लगे हैं कि बाबा साहेब के अपमान पर माफी मांगो, लेकिन मैं जानता हूं, ये लोग कभी माफी नहीं मांगेंगे, क्योंकि इन लोगों के मन में दलित, महादलित, पिछड़े, अति पिछड़े के प्रति कोई सम्मान नहीं है। आरजेडी और कांग्रेस बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर को पैरों में रखती है, जबकि मोदी बाबा साहेब अंबेडकर को अपने दिल में रखता है। बाबा साहेब का अपमान करके ये लोग खुद को बाबा साहेब से भी बड़ा दिखाना चाहते हैं। बिहार के लोग बाबा साहेब का ये अपमान कभी नहीं भूलेंगे।

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साथियों,

बिहार की तेज प्रगति के लिए जो लॉन्चिंग पैड चाहिए, वो नीतीश जी के प्रयासों से तैयार हो चुका है। अब एनडीए को मिलकर, बिहार को तरक्की की नई बुलंदी देनी है। मुझे बिहार के नौजवानों पर भरोसा है। हम सभी मिलकर बिहार का प्राचीन गौरव फिर लौटाएंगे, बिहार को विकसित भारत का मजबूत इंजन बनाएंगे, इसी विश्वास के साथ, आप सभी को विकास कार्यों की फिर से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। मेरे साथ दोनों मुट्ठी बंद करके हाथ ऊपर करके बोलिए, भारत माता की जय! जिसके पास तिरंगा है, वह तिरंगा लहराएंगे।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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