QuoteUjjwala Yojana has positively impacted the lives of several people across India: PM
QuoteUjjwala Yojana has strengthened the lives of the poor, marginalised, Dalits, Tribal communities.
QuoteThis initiative is playing a central role in social empowerment: PM Ujjwala Yojana is leading to better health for India's Nari Shakti: PM Modi

नमस्कार। मुझे इस बात का अत्यंत हर्ष हो रहा है कि आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप सभी माताओं बहनों के आशीर्वाद लेने का अवसर मिला है। और आपके साथ कुछ गप शप करने का भी मुझे मौका मिला है।

आज के जीवन में नई-नई टेक्नोलॉजी उन्नति की प्रतीक मानी जाती है। और मैं गर्व से कह सकता हूं कि अब उज्ज्वला भी हमारी उन्नति की एक प्रतीक बन चुकी है। आज देश में एलपीजी ऊर्जा का सबसे स्वच्छ और सर्वसुलभ साधन बन चुका है। पिछले कुछ वर्षों से यह समाज में रहन-सहन के स्तर को आसान बनाने और गरीबों, दलितों, पीड़ितों, वंचितों, पिछड़ी जाति के, हमारी आदिवासी भाइयो बहनो को, इन सब महिलाओं को सशक्त बनाने में इसने बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा की।

सच तो यह है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना अब भारत में गरीब से गरीब परिवार का सामाजिक उत्थान और सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से देश के सतत विकास का एक बहुत बड़ा स्रोत बन चुका है। देश की आधी जनसंख्या को उनका उचित अधिकार दिलाना हमारी सरकार का प्राथमिक लक्ष्य रहा है। इसलिए देश की हर रसोई में स्वच्छ ईंधन सुनिश्चित कराने की दिशा में हमने बहुत बड़ा प्रयास किया है।

देश में एलपीजी गैस सिलेंडर की शुरुआत, देश आजाद हुआ उसके तुरंत बाद हो गई थी। लेकिन 2014 यानि करीब-करीब छह सात दशक के बाद भी सिर्फ 13 करोड़ परिवारों तक एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचा था। अब आप समझ सकते हैं कि ये शुरू में बड़े-बड़े लोगों को मिलता है, उन्हीं को पहुंचाया गया। समाज में भी जिसके घर में गैस का चूल्हा है। उसको बहुत बड़ा माना जाता था। सामान्य व्यक्ति के घर में गैस के चूल्हे की कल्पना नहीं हो सकती थी। मैं तो बराबर मुझे याद है। मैं जब छोटा था तो कुछ बड़े लोग ऐसी भी बातें करते थे। मैं हैरान हो जाता था। नहीं ...। नहीं ...। वो कहते थे कि गैस चूल्हा नहीं रखना चाहिए कभी आग लग जाएगी, कभी नुकसान हो जाएगा। तो मैं कभी पूछता था बचपन में ...। कि भई। तुम लोगों के घर में है। गरीब के घर में आएगा तो तुम्हें तकलीफ क्या है। तो जवाब नहीं देते थे लेकिन ऐसा भी एक झूठ फैलाया जाता था। आप सबको सुनकर सुखद आश्चर्य होगा कि पिछले चार वर्ष में ही हमारी सरकार ने एलपीजी के दस करोड़ नए कनेक्शन दिए हैं। यानि जितना साठ-सत्तर सालों में हुआ। करीब उतना ही काम हमने चार साल में कर दिया।

उन्होंने पहले जो दिया, बड़े-बड़े लोगों को दिया। हमने तय किया कि जिसके पास नहीं है, जो लकड़ी का चूल्हा जलाते हैं, धुएं की जिंदगी गुजारते हैं, जो माताएं-बहनें मजदूरी भी करती हैं, रोजी रोटी कमाने में मदद करती हैं और फिर लकड़ी ढूंढने जाना, खाना पकाना, इतना कष्ट मां-बहनों को होता था। हम उनको मुक्ति दिलाना चाहते थे। इसमें भी चार करोड़ कनेक्शन ...। ये हमने दस करोड़ में चार करोड़ कनेक्शन प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत दिया। वो पूरी तरह मुफ्त में दिए गए।

सरकार ने इसी वर्ष प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों का लक्ष्य ...। पहले हमने सोचा था पांच करोड़ कर लेंगे लेकिन काम इतना अच्छा हुआ। डिपार्टमेंट के लोग भी लगे। हमारे सभी एमपी लगे, एमएलए लगे और उसके कारण इतनी सफलता मिली कि अब हमने लक्ष्य पांच करोड़ के बजाए आठ करोड़ कर दिया। आठ करोड़ बीपीएल परिवारों तक हम पहुंचना चाहते हैं। जिसे 2020 तक यानि ऐसा नहीं चलो भाई पचास साठ साल के बाद नहीं, 2020 यानि आज से दो साल के बाद हम इस काम को पूरा कर देना चाहते हैं। और इसके लिए करीब-करीब पांच हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त आवंटन कर इसे कुल करीब-करीब 13 हजार करोड़ रुपए किया गया है।

मैं की बचपन की कथा मुझे आज याद आती है। शायद आप सबने भी जो स्कूल गए होंगे माताएं बहनें उन्होंने पढ़ी होगी। मुंशी प्रेमचंद। हमारे देश बहुत बड़े विद्वान लेखक थे। उनकी बहुत ही मशहूर कहानी – ईदगाह। उन्होंने 1933 में लिखी थी। इस कहानी का जो मुख्य किरदार एक छोटा सा बालक हामिद था। वह मेले में मिठाई न खाकर अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीद करके ले आता है। और चिमटा इसलिए ताकि खाना बनाते समय दादी के हाथ जल न जाए, उन्हें चोट न लगे। मुंशी प्रेमचंद की कहानी मुझे याद आज भी प्रेरणा देती है।

मुझे लगता है कि अगर एक हामिद कर सकता है तो देश का प्रधानमंत्री क्यों नहीं कर सकता है। मुझे दुख है कि इतनी पुरानी सामाजिक चुनौती को स्वतंत्रता के बाद की सरकारों के लिए उसको देखने का समय नहीं था। क्योंकि उनको तो बड़े-बड़े लोगों का काम करना था। गैस कनेक्शन उनकी प्राथमिक लिस्ट में था ही नहीं। और यही वजह है कि आजादी से लेकरके 2014 तक केवल और केवल 13 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए। कनेक्शन भी किस तरह मिलते थे। कैसे सांसदों, विधायकों से सिफारिश करवानी पड़ती थी। ये आप सब जानते हैं। गरीब तो सोच ही नहीं सकता था कि उसके घर में गैस का सिलेंडर हो सकता है। वो तो बेचारा हिम्मत ही नहीं करता था। उसको तो जिसके घर में गैस सिलेंडर मतलब घर के बाहर जैसे बीएमडब्ल्यू कार खड़ी है, वो जो भाव जगता था। गैस का चूल्हा है तो भी लोगों को ऐसा भाव लगता था।

पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार के प्रयासों का फल ये हुआ है कि आज देश में हर सौ परिवार में से 81 परिवार ऐसे हैं जिनके घर में गैस का सिलेंडर है, गैस का चूल्हा है, स्वच्छ ईंधन है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जल्द ही हम सभी परिवारों तक खाना बनाने के लिए एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचाने का लक्ष्य लेकरके चल रहे हैं। देखिए मैं आपको एक वीडियो दिखाता हूं। आपको अंदाज होगा।

उज्ज्वला से चार तरह से जीवन में बहुत लाभ हुआ है - सबसे बड़ा तबियत के लिए, स्वास्थ्य के लिए। जिन-जिन रसोई घरों में एलपीजी से चूल्हे जल रहे हैं, वहां लकड़ी, सूखे पत्ते, गोबर के उपलों या केरोसिन जैसे ईँधनों से छुटकारा मिल गई है। यानि आज उज्ज्वला ने दी है जानलेवा धुएं से आजादी। नारी शक्ति को धुएं से मुक्ति मिली है। यानि पिछले चार वर्षों में दस करोड़ परिवार की महिलाओं और बच्चों को आग, सांस या फेफड़े से जुड़ी बीमारियों से बहुत बड़ी राहत मिली है। मेरा तो बचपन ही गरीबी में बीता है। मुझे मालूम है कि हमारी मां जब खाना पकाती थी तो इतना धुआं हो जाता था। कभी वो खुद छत पर जाकरके, जो मिट्टी के बने हुए छत रहती थी, उसकी कुछ नलियां जो रहती थी, उसको हटा देती थी और ऊपर एक छेद करती थी। खुद जाती थी ताकि धुआं ऊपर चला जाए ताकि बच्चों को परेशानी न हो। और मैं देखता था कि कितनी परेशानी से गुजारा करना पड़ता था। नारी का सम्मान और पूरे परिवार के स्वास्थ्य का भी ध्यान। यह काम किया है ये उज्ज्वला योजना ने।

आर्थिक सुरक्षा। ये भी एक बहुत बड़ा लाभ है। क्योंकि जो महिलाएं घर के कामकाज के अलावा दूसरी आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हुई है। एलपीजी ने उनकी कार्यक्षमता अप्रत्याशितत रूप से बढ़ा दी है। उनका जो समय जलावन इकट्ठा करने में बर्बाद होता था, लकड़ी लाना, ये लाना, वो लाना। अब वो समय बच गया और उसका उपयोग बाकी जो वो काम करती थी, उसमें लग गया। अगर सिलाई काम करके, मसाला पीसने का काम करके या कोई और काम करके ...। उसको जो एक्सट्रा इनकम कर सकती है, अब वो समय ज्यादा मिलने लगा है।

एक बड़ा काम। समाज की दृष्टि से, आने वाली पीढ़ियों के लिए हुआ है, दुनिया की दृष्टि से हुआ है। वो पर्यावरण की सुरक्षा या प्रकृति की सेवा। एलपीजी स्वच्छ ईंधन है यानि प्रदूषण से मुक्ति। लकड़ी के लिए वनों का कटाव कम हुआ है, पर्यावरण की रक्षा हुई है। प्रकृति की भी सेवा हो रही है। यानि स्वच्छ ईँधन, स्वस्थ भारत। ग्रामीण गरीब महिलाओं का सशक्तीकरण। उज्ज्वला योजना की सफलता क्या है। यह उन महिलाओं से बेहतर कौन बता सकता है जिन्होंने अपने जीवन में कई बसंत, जिंदगी का हर साल चूल्हा फूंकते-फूंकते बिताया है। जबसे उज्ज्वला योजना का लाभ मिलना प्रारंभ हुआ है, बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव स्पष्ट दिखने लगा है।

आपको ये बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि जिन चार करोड़ बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। उनमें 45 प्रतिशत लाभार्थी हमारे दलित परिवार से है, आदिवासी परिवारों से है। और अभी जो वीडियो जो दिखाया गया है। उसमें आकड़ा दिखाया गया है पौने चार करोड़। मैं बोल रहा हूं चार करोड़ लेकिन जब मेरा बोलना पूरा हो गया तो उसमें भी संख्या बढ़ गई है। क्योंकि ये लगातार बढ़ता जा रहा है। लगातार ये काम का विस्तार हो रहा है। उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों में ये सरकार दलितों और शोषितों को प्राथमिकता दे रही है।

स्टैंडअप इंडिया के माध्यम से हम इंटेरपेन्योरशिप, उद्यमशीलता को भी बढ़ावा दे रहे हैं। 2010 से 2014 के बीच, और ये जानकरके शायद हमारे दलित समाज के नेता बहन बैठे हैं ना, उनको भी आश्चर्य होगा। 2010 से 2014 के बीच जब पहले वाली सरकार थी तब दलितों को सिर्फ 445 पेट्रोल पंप उनको दिए गए थे, चार साल में 445। 2014 से 2018, हमने अब तक 12 सौ से ज्यादा पेट्रोल पंप, दलित परिवारों को दिए।

इतना ही नहीं। 2010 से 2014 जब पुरानी सरकार थी, पहले वाली सरकार थी। दलित भाइयो बहनो को ये एलपीजी गैस सिलेंडर के डिस्ट्रिब्यूटर का जो काम होता है, वो डिस्ट्रीब्यूटर का काम करीब नौ सौ दलित परिवारों को मिला था। लेकिन 2014 से 2018 में जब हमारी सरकार आई तो हमने चार साल में करीब-करीब 1300 परिवारों को एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशन दे चुके हैं। यानि कहां 400 और कहां 1300।

सरकार इस बात के प्रति बहुत ही गंभीर है कि देश के किसी भी कोने में, चाहे दूर से दूर गांव ही क्यों न हो, कोई भी बिचौलिया किसी भी परिवार का हक न मार पाए। इसलिए बीपीएल लाभार्थियों की चयन की प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी और भरोसेमंद रखी गई है।

उज्ज्वला योजना का सही लाभ मिल सके। इसके लिए हमने एलपीजी पंचायत भी शुरू की है। ग्रामीण इलाकों में एलपीजी के जो उपभोक्ता है। ये चर्चा के लिए बड़ा विशेष प्लेटफार्म बन गया है। यहां एलपीजी के सुरक्षित उपयोग और लाभों के संबंध में उन्हें शिक्षित किया जाता है ताकि उन्हें एलपीजी के उपयोग को लेकर कोई दुविधा न हो, कोई डर न हो। इस साल एक लाख एलपीजी पंचायत आयोजित करने की योजना हमने बनाई है। पंचायत में शामिल होने वालों से उनकी एलपीजी खपत के बारे में जानना और उनके रिफिल करने के बारे में समझाने में उनको मदद मिलेगी। इससे एलपीजी के उपयोग को बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी। इस पंचायत से दरअसल दो तरह के लाभ हैं। एक तो पता चलता है कि नए उपभोक्ताओं की अपेक्षाएं क्या है। वहीं डिस्ट्रिब्यूटर्स को भी अपने नए ग्राहकों के बारे में समझ बढ़ाने में मदद मिलती है।

पिछले महीने 14 अप्रैल, यानि बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती से लेकर इस महीने के 5 मई तक जो ग्राम स्वराज अभियान चला। वो बहुत ही सफल हुआ। इस वर्ष 20 अप्रैल को मनाए गए उज्ज्वल दिवस के अवसर पर एक दिन में लगभग 11 लाख एलपीजी कनेक्शन बांटे गए। लगभग 16 हजार उज्ज्वला पंचायतें भी आयोजित की गई जिसमें लगभग 50 लाख लाभार्थियों ने खुद आकरके हिस्सा लिया। आपको बता दें कि एलपीजी की पहुंच करीब-करीब 70 प्रतिशत गांवों में 100 प्रतिशत जबकि 81 प्रतिशत गांवों में 75 प्रतिशत से अधिक है।

उज्ज्वला योजना के पूरे कार्यान्वयन में सुरक्षा सबसे सर्वोच्च है। ये मूलभूत विचार हैं। एलपीजी पंचायत के माध्यम से जो प्रतिभागियों को एलपीजी को सुरक्षित और जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग के बारे में जानकारी मिलेगी। उसके आधार पर उपभोक्ता अपने रसोई घर को सुरक्षित एलपीजी की स्थितियों के अनुरूप ढाल सकेगी। एलपीजी का उपयोग बहुत ही सरल है लेकिन इसमें सावधानी बरतना भी बहुत आवश्यकता है। आपकी सजगता में ही आपके परिवार की मुस्कान छिपी हुई है।

आप सभी को उज्ज्वला योजना का लाभ मिल रहा है। आपने देखा है कि इस योजना से कैसे आपके जीवन में बदलाव आया है। सरकार की कई और ऐसी योजनाएं हैं जिनसे अगर आप अब तक नहीं जुड़ी हैं तो उनसे भी जुड़ सकती हैं। दूसरे को भी इसके लिए प्रेरित कर सकती हैं। जैसे जन धन के तहत बैंक एकाउंट खुलता है तो बहुत सुविधा मिलती है। डेबिट कार्ड मिलेगा। पैसे निकाल पाओगे, बचत कर पाओगे। इसी तरह 12 रुपए वाला प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और 90 पैसे वाला, एक दिन में 90 पैसे वाला प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना आपके और आपके परिवार को सुरक्षा कवच भी उपलब्ध कराता है। जो लोग अभी भी शौचालयों से वंचित हैं। आप उन्हें भी जगाने का काम कर सकते हैं। जिन्हें अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है। वो इसका भी लाभ उठा सकते हैं। अगर उज्ज्वला के चलते आपका समय बच रहा है तो उस समय का सदुपयोग के लिए भी सरकार के पास बहुत सारी योजना है। मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर आप अपना स्वयं का कारोबार भी शुरू कर सकती हैं।

मैं चाहूंगा कि आप लोग भी मुझसे कुछ अपने अनुभव बताना चाहते होंगे, कुछ कहना चाहते होंगे। आपसे कुछ बातें करते-करते मैं भी कुछ जरूर बताऊंगा। मैं आशा करता हूं कि आप एक बार शुरू करें तो पता चले कि आप क्या कहना चाहते हैं।

पीएम मोदी - बताइये ! सुष्मिता जी ...। मयूरभंज से बोल रही हैं।

मयूरभंज, उड़ीसा से सुष्मिता - नमस्कार।

पीएम मोदी - नमस्ते। कब मिला आपको एलपीजी गैस कनेक्शन सुष्मिता जी। कब मिला ...।

आपको रेगूलर सिलिंडर मिल जाता है जब खाली  हो जाता है तो। अच्छा किसी ने आप से बीच में पैसा नहीं न खाया ने आप से ...। किसी ने ऐसा तो नहीं किया कि मुझे दो सौ रुपया दो तो मैं दूंगा। किसी ने नहीं न दिया। हां ...। कभी किसी बिचौलिये को एक रुपया भी नहीं देना है और ऐसी कोई गड़बड़ करता है तो आप मुझे एक चिट्ठी भेज दीजिए।

सुष्मिता - हमलोग की जो गैस दीदी है वो आये तो कनेक्शन लिया।

पीए मोदी - इससे फर्क क्या पड़ा। पहले जब गैस का चूल्हा नहीं था और अब चूल्हा आ गया तो आपके जीवन में क्या फर्क पड़ा।

सुष्मिता - पहले जब गैस नहीं था तो दिन का आधा टाइम चूल्हा जलाने और खाना बनाने में बीत जाता था। अपने बच्चे और परिवार को टाइम नहीं दे पाती थी। अभी जब कनेक्शन मिल गया तो बहुत जल्दी खाना बना पाती हूं और अपने बच्चे और पारिवार को टाइम दे पाती हूं।

पीएम मोदी - अच्छा। पहले जब लकड़ी का चूल्हा था तो बहुत चीजें नहीं बना सकती थी। बहुत कम ...। वो तो लकड़ी के चूल्हे ...। अब तो आप नई-नई वेरायटी बनाती होगीं। बच्चों को खाना भी अच्छा लगता होगा। नई-नई चीजें सीख ली होगीं आपने।

सुष्मिता - जब सर बारिश का मौसम होता है तो मिट्टी के चूल्हे में पानी भर जाता था। काठ भी भींग जाता था, वो भी जलता नहीं था। और बच्चे लोग बारिश के मौसम में खाना भी नहीं खा पाते थे, भूखे रहते थे। अब जो बारिश का मौसम आ रहा है, उसमें परेशानी नहीं उठाना पड़ेगा।

पीए मोदी - चलिए। ये अच्छी बात है लेकिन मैंने आप से जो पूछा कि अब आप बच्चों को नई-नई चीजें खिलाती हैं कि पहले लकड़ी वाले चूल्हे पर जो आप बड़ी-बड़ी, मोटी-मोटी रोटी बनाती थीं वहींखिलाती हैं।

सुष्मिता - बच्चा अब जो कुछ मांगता है कि मम्मी ये दे दो, वो दे दो तो तुरंत बना कर दे देती हूं। और बच्चा भी खुश है और ये आपको धन्यवाद कि आपके द्वारा एलपीजी पास आया है इसलिए परिवार वाले बहुत खुश हैं।

पीएम मोदी - तो आप ऐसी कौन सी चीज बढ़िया बनाती हैं जो बच्चों को खाना अच्छा लगता है। कौन-कौन सी चीज आपके बच्चों को प्यारी है।

सुष्मिता - उनको मैगी, चाऊमीन, चटपटे चीजें पसंद हैं।

पीएम मोदी - (हंसते हुए) मैगी बनाती हैं।

सुष्मिता - हार्लिक्स बनाती हूं तो अपने बच्चों के लिए पानी भी गरम करना पड़ता है तो फटाफट करके दे पाते हैं। झट से चूल्हे जलाओ, गरम करो और हो गया।

पीएम मोदी - अब तो पतिदेव चाय मांगते होंगे तो तुरंत चाय दे देती होंगी। ...तो घर में झगड़े भी कम होते होंगे।  

सुष्मिता - हां-हां वह भी समस्या थी।

पीएम मोदी - तो ...आप सब खुश हैं।

सुष्मिता - हां, हां, बहुत खुश हैं।

पीएम मोदी - तो आप के बगल में जो लोग बैठे हैं वो भी खुश हैं।

सुष्मिता के बगल में बैठी महिलाएं - हां, खुश हैं।

पीएम मोदी - तो आप आशीर्वाद देगीं मुझे ...।

पीएम मोदी - चलिए ...। बहुत बहुत धन्यवाद।

सुष्मिता की अनुवादक - सर ये बोल रही है कि एलपीजी यूज करने के बाद इन लोगों के पास sufficient टाइम बच रहा है। जो ये कुछ काम धंधा करना चाहती हैं, जो अपना संसार आगे बढ़ाने में, पति की मदद करना चाहती हैं। उनके लिए कुछ उपाय कर दीजिए।

पीएम मोदी - देखिए ...। आपने मुझे बहुत अच्छी बात बतायी है। यही विचार मैं चाहता हूं कि हर बहन में पैदा होना चाहिए। कि भई अब गैस का चूल्हा आ गया। पहले लकड़ी इकट्ठा करना, ये करना, कभी लकड़ी जलती नहीं थी, बारिश में परेशानी होती थी, अब ये समय बच गया है।  अब ये समय बच गया है। अब इस समय का क्या उपयोग करना। एक, पहले आप अपने बच्चों पर कम ध्यान दे रही थी। अब जितना ज्यादा बच्चों पर ध्यान दे सकते हैं, देना चाहिए।

आर्थिक Activity करनी है। मान लीजिए कि आपके ...। लोगों को टिफिन पहुंचाने का काम शुरू करें। पांच लोग, छह लोग जो सरकार में नौकरी करने के लिए बाहर से आते हैं। प्राइवेट नौकरी करने के लिए आते हैं तो उनको खाने की तकलीफ होती है। अगर आप उनको खाने का टिफिन पहुंचाने की सर्विस शुरूकरें। गैस का चूल्हा है। आप खाना पका सकती हैं। तीन लोगों, चार लोगों को टिफिन पहुंचाएं तो आपकी इनकम शुरू हो जाएगी।

और घर में नई-नई चीज खाना पक जायेगी। आपके पास समय है तो समय का बहुत अच्छा उपयोग आप कर सकती हैं। अब मैं चाहूंगा ...।

कि दूसरा ...। एक काम यहां आपको करना चाहिए। थोड़ा बहुत आपको सीखना चाहिए। कभी कभी क्या होता है कि बच्चों को जो पसंद होता है वही हम खिलाते रहते हैं। उनका वजन कैसे बढ़े। उनकी ऊंचाई कैसे बढ़े। वो बिलकुल जल्दी बिल्कुल ...। हमारी बेटी भी हो तो एकदम से दुबली पतली न हो, हमारा बेटा हो तो वो भी दुबला पतला न हो। तो वो खाना मिले जो उसके शरीर के लिए उपयोगी हो। कभी क्या होता है खर्चा तो हम करते हैं लेकिन बच्चे को जो पसंद आया वो करते हैं। अब आपने जैसे बता दिया कि मैगी।अब वो सब्जी खाता ही नहीं होगा। अगर सब्जी नहीं खाता होगा तो क्या होगा ...। और इसलिए आप भी जब रसोई घर में समय बचा है तो ऐसी  चीजें ...। लोगों से पूछ करके बच्चों को वो खिलाएं जिससे बेटी का शरीर भी मजबूत हो, बेटे का शरीर भी मजबूत हो, उसका वजन भी बढ़े, उसका खून भी बढ़े। आप देखिए आपका बुढ़ापा और उनका बुढ़ापा सब अच्छा जाएगा। तो आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं मयूरभंज की सभी बहनों को।

पीएम मोदी - अब कौन हैं। हां बताइए। छत्तीसगढ़ रायपुर से। नमस्ते। मीना जी।

रायपुर, छत्तीसगढ़ से मीना निर्मलाकार - देश के प्रधानमंत्री को जय जोहार।

पीएम मोदी - जय जोहार। और सभी छत्तीसगढ़ की बहनों, माताओं को जय जोहार।

मीना - मेरा नाम मीना निर्मलाकार है। छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिला के सारा गांव के रहने वाले हैं।

पीएम मोदी - हां बताइए।

मीना - खेती मजदूरी का काम करते हैं सर।

पीएम मोदी - गैस का चूल्हा कब मिला।

मीना - मिला 2016 में। अगस्त महीना में मिली सर।

पीएम मोदी - कितना महीना चलता है एक गैस का सिलेंडेर।

मीना - एक महीना में एक सिलिडेंर लग जाता है सर।

पीएम मोदी - अच्छा। और घर में सुबह चाय गैस पर बनाती हैं। दोपहर को खाना गैस पर बनाती हैं। शाम का खाना गैस पर बनाती हो।

मीना – हां।

पीएम मोदी - बच्चे क्या कहते हैं। पहले लकड़ी से चूल्हे से जलाती थी और अब गैस का चूल्हा आ गया तो तुम्हारे बच्चे क्या कहते हैं।

मीना - बहुत खुश हो जाते हैं सर।

पीएम मोदी - वो तो कहते होंगे कि मीना बहुत बड़ी हो गयी है। ऐसा कहते होंगे बच्चे। अच्छा जो अड़ोस-पड़ोस में जो लोग हैं, जो बड़े-बड़े लोग हैं जिनके घरों में स्कूटर है, गाड़ी है, अच्छा घर है। पहले उनके घर में गैस का चूल्हा था। तुम्हारे घर में नहीं था। तब तुम्हें क्या लगता था।

मीना - हमारे घर में चूल्हा रहता तो हम भी जल्दी खाना वाना बना लेते। मोहल्ला वाले कहते थे हमारे घर में गैस का चूल्हा है। जल्दी खाना वाना बना के टाइम बचता है।

पीएम मोदी - अच्छा अब तुम्हारे घर में आ गया तो उन लोगों को क्या लगता है।

मीना – (हंसती हैं) अब हमारे घर में भी आ गया है।

पीएम मोदी - अब उनको अच्छा नहीं लगता होगा। अच्छा नहीं लगता होगा न ...। उनको लगता होगा कि देखो पहले हमारे घर में गैस का चूल्हा था तो हम बड़ा सीना तान के घूमते थे। अब तो मोदी जी ऐसा आदमी है कि गरीबों को भी दे दिया ...। अब तो हमारी वो रही नहीं ...। ऐसा कहते होंगे ना ...।

मीना - नहीं सर। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद सर कि हम गरीबों के परिवार के लिए ऐसा किया। सिलेंडर दिया। गैस चूल्हा दिया।

पीएम मोदी - अच्छा क्या फायदा हुआ। घर में गैस का चूल्हा आने से आपको क्या लाभ हुआ। एक मां के नाते आपको क्या फायदा हुआ।

मीना - सर जल्दी खाना बन जाता है हमारे घर। तो जन सेवा भी कर लेते हैं। आस-पड़ोस में भी बता देते हैं कि सिलेंडेर मिलने से समय बच जाता है। आदमी को भी समय दे पाते हैं।

पीएम मोदी - अच्छा अभी। चाय मांगे तो तुरंत चाय बना के  देती हो, मेहमान आये तो तुरंत चाय मिल जाती है।

मीना - हां सर।

पीएम मोदी - लेकिन इससे खर्चा भी बढ़ गया होगा न। पहले की तुलना में खर्चा बढ़ गया है कि कम हो गया है।

मीना - खर्चा कम हुआ है सर।

पीएम मोदी - कम हुआ है।

मीना - गैस से।

पीएम मोदी - लोग ऐसा झूठ फैलाते हैं कि मोदी ने लोगों को गैस का चूल्हा दिया। पहले तो लकड़ी जंगल से लाते थे तो कोई खर्चा नहीं होता था। अब मोदी ने चूल्हा दे दिया तो लोगों को खर्चा करना पड़ रहा है। गरीब कहां से खर्चा करेगा।

मीना - नहीं सर। पहले लकड़ी लाने के लिए धूप में निकलना पड़ता था। धुआं से निजात मिली है। सब चीज से मुक्ति मिली है। घर परिवार, आस पड़ोस में अच्छा माहौल है सर।

पीएम मोदी - फिर वो झूठ फैलाते हैं, वो झूठ कहते हैं न।

मीना - हां सर।

पीएम मोदी - हां तो ऐसे लोगों की बातों में कभी आना मत। अच्छा कभी बच्चों का वजन बढ़े, बेटी का वजन बढ़े, बेटी पढ़े, इसके लिए ध्यान देती हो क्या।

मीना - हां सर, देते हैं सर।

पीएम मोदी - देखिए पहले क्या होता था कि घर में लकड़ी का चूल्हा था। मां भी कहीं काम करने के लिए मजदूरी के लिए जाती थी तो घर का सारा काम बेटी को दे देती थी। लकड़ी इकट्ठा करने बेटी जाएगी। खाना कौन पकाएगा, बेटी पकाएगी। सब्जी कौन काटेगा, बेटी काटेगी। सारा बोझ बेटी पर आ जाता था, इसलिए बेटी पढ़ ही नहीं पाती थी। अब गैस ये चूल्हा आ गया, समय बच गया। क्या इसका फायदा आपकी बेटी को मिलता है।

मीना - मिलता है सर। पढ़ाई भी करते हैं। अभी छोटे छोटे हैं सर। बेटी आंगनबाड़ी में जाती है, बेटा दूसरी में पढ़ता है।

पीएम मोदी - अच्छा बेटी आंगनवाड़ी में जाती है। तुम्हें पता है उनका वजन करते हैं।

मीना - हां वजन करते हैं।

पीएम मोदी - वजन बढ़ रहा है उनका।

मीना - हां।

पीएम मोदी - बढ़ रहा है।

मीना - हां बढ़ रहा है सर। वह भी वजन कर लेते हैं। आस-पड़ोस के भी कर देते हैं।

पीएम मोदी - हां।

पीएम मोदी - चलिए। मीना जी आपके बगल में जो हैं उनका नाम बता दीजिए। कौन-कौन हैं।

उर्मिला - उर्मिला सिन्हा।

पीएम मोदी - उर्मिला जी नमस्ते।

विमला - विमला सर।

पीएम मोदी - नमस्ते।

पीएम मोदी - आप हमें आशीर्वाद देंगे।

मीना, उर्मिला, विमला - जी सर।

पीएम मोदी - बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्ते।

मीना - धन्यवाद सर।

पीएम मोदी - हां, अनंतनाग। अर्जुमन आरा जी। अब तो रमजान का महीना चल रहा है। तो बहुत सुबह उठकर तीन बजे खाना पकाना पड़ता होगा और लकड़ी का चूल्हा गया और गैस का चूल्हा आया तो बहुत फर्क आया होगा। हां बताइए।

अर्जुमन आरा - अब हमारा टाइम बचता है। पहले तो चूल्हा जलाते थे तो बच्चे आग की तरफ जाते थे, खतरा रहता था, बर्तन साफ करने हमारा बहुत टाइम जाता था। अगर कोई बच्चा बीमार पड़ता था तो हास्पिटल ले जाते थे तो उसमें सारे दिन चला जाता था। इससे हम एक टाइम का भी खाना नहीं पका पाते थे। अब जब की उज्ज्वला गैस हमारे घर में आयी है तो इससे हमें बहुत सहुलियतें वैगरह मिल गयी है। रमजान के महीने में तो बहुत ही ज्यादा। अब हम सुबह ही उठकर, पन्द्रह मिनट, आधा घंटे में ही बना लेते हैं, खा भी सकते हैं और बच्चों को भी खिला सकते हैं।

पीएम मोदी - देखिए मेरा जहां घर था, मेरे अड़ोस-पड़ोस में सारे मुस्लिम परिवार वाले थे। मेरे सारे दोस्त मुस्लिम बच्चे ही थे। जब मैं छोटा था। मैं देखता था कि उनके घर में बड़ी तकलीफ होती थी। मेरे दोस्त भी ऐसे ही थे गरीब परिवार के थे कोई बड़े परिवार के नहीं थे। तो उनके घर में उनकी माता को सुबह तीन बजे उठना पड़ता था, बहनों को उठना पड़ता था। तीन बजे से वो खाने की तैयारी करते थे, ताकि रोजा शुरू होने से पहले सारा काम हो जाए। मैं मानता हूं कि अब गैस सिलेंडर आने के बाद से माताओं और बहनों को ऐसे अवसर पर बहुत तकलीफ होती थी। बहुत कठिनाइयों से मुक्ति मिली है। आप के यहां तो मौसम का भी मार रहता है। लकड़ी गिली ही रहती है। वो तो और दिक्कत करती होगी।

अर्जुमन आरा - पूरा दिन रोजा रखते थे। शाम को भी दिक्कत होती थी। लकड़ियां लाकर रखनी पड़ती थी। और सुबह 1 बजे से ही, तीन बजे से खाना बनाना होता था।

पीएम मोदी - अब तो सुविधा हो गई होगी।

अर्जुमन आरा - बिलकुल सर, पहले तो बच्चे सोते थे तो उनको भी धुआं लगता था, खांसते थे। और खांसी से वह भी उठ जाते थे, नींद से पहले ही। परेशानी भी हो जाती थी। बच्चों को संभालना और खाना पकाना।

पीएम मोदी - अच्छा बच्चियों को अब पढ़ने में सुविधा हो गयी है।

अर्जुमन आरा - जी सर। बहुत सहुलियत हो गई है। खांसी वांसी से बच गये हैं। धुएं से बच गये, उससे घर में काफी खुशहाली आयी। उसकी वजह से मैंने सिलाई का काम भी सीखा है। जिससे आमदनी भी आती है। और सिलेंडर आसानी से खरीद लेते हैं।

पीएम मोदी - देखिए। कश्मीर में जो हमारी माताऐं बहनें हैं। उनको भगवान ने बड़ा कौशल दिया है। उनकी अंगुलियों में ऐसी ताकत है। ऐसी अदभुत चीजें बनाती है कि मैं मानता हूं कि ये गैस सिलेंडर के कारण वो माताएं बहनों  को जो लकड़ी के चूल्हे में जो हाथ जलाने पड़ते थे। उन अंगुलियों का उपयोग अच्छी-अच्छी चीजें बनाने और मार्केट खड़ा करने की ताकत है। हर मां, बहन-बेटी को यह हस्तकला का अद्भुत काम आता है। तो उसमें कोई बढ़ोत्तरी हुई है।

अर्जुमन आरा - सर आपको पता ही है कि रमजान के महीने में कुछ चीजें तैयार करनी पड़ती हैं तो उसमें हमें बहुत ज्यादा सहुलियतें मिलती हैं।

पीएम मोदी - एकदम सरल हो गया सब कुछ।

अर्जुमन आरा - शुक्रिया सर। आपकी सरकार से गैस का सिलेंडर मिला।

पीएम मोदी - बहुत मुझे अच्छा लगा। आप सब लोग हमें आशीर्वाद दीजिए। आपके आशीर्वाद बने रहे। सब मिलके गरीब का भला करें। गरीब का भला करें।

अर्जुमन आरा - रमजान का महीना चल रहा है। सुबह हम नमाज पढ़ते हैं, कुरान पढ़ते हैं और दुआ देंगे कि अगले हर साल आपकी ही सरकार आए।

पीएम मोदी - मैं आपका बहुत आभारी हूं।

अर्जुमन आरा - हम दुआ करेंगे।

पीएम मोदी - आपने आशीर्वाद दिया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन हम सबका काम है कि गरीब को दोनों टाइम खाना मिले। गरीब के बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिले। गरीब के जो नौजवान हैं। उनको काम काज का अवसर मिले और हमारे जो बुजुर्ग हैं,  उनको दवाई में कोई तकलीफ न हो। आपको मालूम होगा। मैं चाहूंगा कि आप और बहनों को बताएं कि सरकार एक जन औषधि केन्द्र चलाती है। देश भर में साढ़े तीन हजार जन औषधि केन्द्र हैं। कुछ लोग हैं जो permanent रूप से बीमार रहते हैं। डायबिटीक पेसेंट हैं। उन्हें रोज दवा लेनी पड़ती हैं जिसका 100 रुपये दवाई का बिल होता था, जन औषधि केन्द्र में ऐसी ही उत्तम दवाई मिलती है और 20 -25 रुपये में मिलती है। इतना बड़ा फायदा होता है कि आपके अगल-बगल में जो बीमार रहते हैं, उन्हें जरुर बताइये कि सरकार ने जन औषधि बनायी है। दवाई वहीं से लें ताकि उनका 60-70 रुपया उनका बच जायेगा। और हर रोज जिनको दवाई लेनी पड़ती है। उनको तो बहुत फायदा होगा। तो ये काम आप जरूर कीजिए। मैं मानता हूं कि आप इतने जागरूक हैं। आपको सारी चीजें पता है और आप गरीब का भला चाहते हैं। मेरे लिए खुशी की बात है। तो मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं कि आपने आशीर्वाद दिए।

अर्जुमन आरा - उम्मीद है कि आप आगे भी हम गरीबों के लिए ऐसी ही सहूलियतें लाएंगे।

पीएम मोदी - जरूर आप बताते रहिए, हम करते रहेंगे। धन्यवाद।

पीएम मोदी - जी कौन हैं। अब तमिलनाडु। वड्डकम ...। वड्डकम ...। हां बैठिए। हां बताइये गैस का कैसा फायदा है।

रुतरमा - पहले लकड़ी पर काम करते थे। अब गैस आया है तो बहुत अच्छा लगता है। कुकिंग करने में आसानी हो गया है।

पीएम - तो पहले लकड़ी के चूल्हे पर डोसा इडली सब बन जाता था। डोसा बनता था।

रुतरमा - पहले डोसा इडली बनने के लिए बहुत मुश्किल था। अभी बनने में अच्छा है। पहले मुश्किल था।

पीएम - मैं तमिलनाडु आऊंगा तो मुझे डोसा खाने को मिलेगा।

रुतरमा - जरूरी आइये।

पीएम - अच्छा लगा। नमस्ते। आप से मिलने का मौका मिल गया। वड्डकम। बहुत-बहुत धन्यवाद।

पीएम - कौन हैं ये असम से। हेमा जी नमस्ते जी। हां बैठिए। बैठिए। पीछे पूरी ब्रह्मपुत्रा दिखाई दे रही है। अपना अनुभव बताइए ...। गैस कनेक्शन मिलने के बाद।

हेमा - गैस जब से मिला है तब से समय से पहले काम कर पाते हैं। अभी काम पर आ जा पा रहे हैं। टाइम से सब काम हो जाता है।

पीएम - पहले जब लकड़ी का चूल्हा था तो आप खाना पकाती थी तो आप पकाने में समय जाता था तो घर वाले आप लोगों पर जोर नहीं लगाते होंगे कि जाओ मजदूरी करने के लिए आप बता देते होंगे कि अभी-अभी खाना पकाना है, अभी दो घंटे लगेंगे। अब आपका समय बच गया तो घर वाले कहते होंगे कि जाओ अब मजदूरी करो। कमा कर लाओ। ऐसा होता है क्या। हिन्दी समझ आ गया जो बताया।  

हेमा - समझ में आ रही है लेकिन बोल नहीं पा रही है।

पीएम - तो ऐसा होता हैं कि घर में अभी भी झगड़ा होता है।
हेमा - अभी समय बच रहा है। झगड़ा भी गैस की वजह से नहीं हो रहा है। पहले लकड़ी काटने के लिए दोनों को जाना पड़ता था। अब बच्चों को टाइम दे पा रही हैं। समय से काम हो रहा है।

पीएम - अब धुआं चला गया तो घर मे कोई बुजुर्ग हैं। उसे अच्छा लग रहा है पहले धुएं में बहुत तकलीफ होती थी। ऐसा कोई हो घर में बुजुर्ग।

हेमा - घर में बुजुर्ग हैं। पहले घर में धुआं जलता था।  अभी धुआं नहीं है।

पीएम - अभी एकदम सब खुश हैं। बच्चे भी खुश हैं। बच्चे पढ़ने मे ध्यान देते हैं।

हेमा - ध्यान दे रहे हैं।

पीएम - चलिए। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। और मैं चाहूंगा ...। खाना आसानी से बन रहा है ...। बच्चों का वजन बढ़े, बेटी का वजन बढ़े, ऐसा खाना खिलाइये बच्चों को।

हेमा - धन्यवाद।

पीएम - नमस्ते। देश भर के एलपीजी कनेक्शन वाले सभी बहनों को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार। आपकी जिंदगी में एक बहुत बड़ा बदलाव आया है। लेकिन इस बदलाव का उपयोग आपके जीवन में भी आना चाहिए सिर्फ किचन में नहीं। ये सरकार आप के साथ चलना चाहती है। आपकी आशाओं आकाक्षाओं के अनुकूल चलना चाहती है। और इसलिए इतनी सारी योजनाएं हैं। मैं चाहूंगा कि मेरी गरीब मां, बहनें, मेरे दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, आदिवासी, गांव में रहने वाले, जंगलों में रहने वाले, पहाड़ों में रहने वाले, ऐसे सबकी जिंदगी में कोई न कोई बदलाव आए।

और मेरा अनुभव है कि अगर घर में महिला को सुविधा शुरू हुई तो घर में महिला घर के लिए सब कुछ कर देती है। और इसलिए मेरी कोशिश है कि हमारी माताओं बहनों को जो कठिनाइयां हैं, चाहे शौचालय की हो, चाहे बिजली की हो, चाहे घर की हो, चाहे चूल्हे की हो, चाहे खाने की हो। आपको मालूम होगा कि गरीब के घर में एक थाली में जो खाना आता है न। अगर तीस रुपये की थाली है तो 27 रुपया भारत सरकार देती है क्योंकि हमारे गरीब को मदद मिल जाये तो गरीब अपने पैरों पर खड़े होने की ताकत रखता है। यों सारी योजनाएं कि आप ताकतवार बनें, और आप खुद गरीबी से लड़ें। तय करें कि हमारे जीते जी हमारे सर पर ये जो गरीबी का नाम लगा हुआ है, वह हम मिटा कर रहेंगे। हम बच्चों को और कुछ दे या न दे लेकिन गरीबी देकर नहीं जाएंगे। अगर यह हर मां-बाप तय कर ले तो इस देश की गरीबी जाने वाली है। ये पक्का है।

इसी के लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। मुझे अच्छा लगा कि देश भर की उज्ज्वला योजना से जुड़ी हुई जिनके घर में कभी लकड़ी का चूल्हा धुएं की परेशानी ...। आज सुख चैन की जिंदगी जीना शुरू किया है तो ऐसी माताओं के आशीर्वाद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Let this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.0, where Inner Peace becomes Global Policy: PM Modi
June 21, 2025
QuoteYoga has united the entire world: PM
QuoteYoga is for Everyone, Beyond Boundaries, Beyond Backgrounds, Beyond age or ability: PM
QuoteYoga leads us on a journey towards oneness with the world, It teaches us that we are not isolated individuals but part of nature: PM
QuoteYoga is a system that takes us from Me to We: PM
QuoteYoga is the pause button humanity needs, to breathe, to balance, to become whole again: PM
QuoteLet this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.0, where Inner Peace becomes Global Policy: PM

Andhra Pradesh Governor Syed Abdul Nazir Ji, the popular Chief Minister of this state, my dear friend Chandrababu Naidu Garu, my colleagues in the Union Cabinet, K. Rammohan Naidu Ji, Prataprao Jadhav Ji, Chandrashekhar Ji, Bhupati Raju Srinivas Verma Ji, the state's Deputy CM Pawan Kalyan Garu, other dignitaries and my dear brothers and sisters! Namaskar to all of you!

Best wishes to everyone in the country and across the world on International Yoga Day. Today, for the 11th time, the whole world is doing yoga together on 21 June. Yoga simply means to connect and it is wonderful to see how yoga has connected the whole world. When I look back at the journey of yoga over the past decade, I remember many things. The day when India proposed in the United Nations that 21 June be recognised as International Yoga Day and then in the shortest time 175 countries of the world stood with our proposal. Such solidarity and support are not a common occurrence in today's world. This was not just support for a proposal, it was a collective effort of the world for the good of humanity. Today, after 11 years, we see that yoga has become a part of the lifestyle of millions of people around the world. I feel proud when I see that our Divyang friends read Yoga Shastras in Braille, scientists do yoga in space, young friends in villages participate in Yoga Olympiad. Look here, a very wonderful yoga program is going on in all the Navy ships. Be it the steps of the Sydney Opera House, or the peak of Everest, or the expanse of the ocean, the message everywhere is the same – Yoga belongs to all, and is for all. Yoga is for everyone, beyond boundaries, beyond backgrounds, beyond age or ability.

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Friends,

Today I am happy that we all are in Visakhapatnam. This city is a confluence of both nature and progress. The people here have organised this event so well. I congratulate Chandrababu Naidu Garu and Pawan Kalyan Garu, under your leadership Andhra Pradesh took a great initiative of YogAndhra Abhiyan. I would also like to specially praise the efforts of Nara Lokesh Garu. How should be the social celebration of yoga, how should every section of the society be connected, he has shown this in the YogAndhra campaign of the last one and a half months, and for this brother Lokesh deserves many congratulations. And I would also like to tell my countrymen that the work done by Lokesh brother should be seen as an example of how such opportunities can be taken deeply to the social level.

Friends,

I have been told that more than two crore people are associated with the YogAndhra campaign. This is the spirit of public participation which is the main basis of developed India. When the public itself comes forward and takes up a campaign, owns a goal, then no one can stop us from achieving that goal. This good will of the people and your efforts are visible everywhere in this event.

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Friends,

The theme of this year’s International Day of Yoga is ‘Yoga for One Earth, One Health’. This theme reflects a deep truth. The health of every entity on Earth is interconnected. Human well-being depends on the health of the soil that grows our food, on the rivers that give us water, on the health of the animals that share our eco-systems, on the plants that nourish us. Yoga awakens us to this inter-connected-ness. Yoga leads us on a journey towards oneness with the world. It teaches us that we are not isolated individuals but part of nature. Initially we learn to take good care of our own health and wellness. Gradually, our care and concern extend to our environment, society and planet. Yoga is a great personal discipline. At the same time, it is a system that takes us from Me to We.

Friends,

This sentiment of ‘Me to We’ is the essence of the soul of India. When a person thinks about the society above his own interests, only then the entire humanity is benefited. Indian culture teaches us, सर्वे भवन्तु सुखिनः, that is, the welfare of all is my duty. This journey from ‘Me’ to ‘We’ is the basis of service, dedication and co-existence. This thinking promotes social harmony.

Friends,

Unfortunately, today the entire world is going through some kind of tension. Unrest and instability are increasing in many areas. In such a situation, yoga gives us direction to peace. Yoga is the pause button that humanity needs to breathe to balance to become whole gain.

I would like to make a request to the world community on this important occasion. Let this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.O, where Inner Peace becomes Global Policy. Where yoga is not just a personal practice but becomes a medium of global partnership. Where every country, every society makes yoga a part of lifestyle and public policy. Where we together give impetus to a peaceful, balanced and sustainable world. Where yoga takes the world from conflict to cooperation and from tension to solution.

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Friends,

To spread yoga in the world, India is further strengthening the science of yoga through modern research. Major medical institutions of the country are engaged in research on yoga. It is our endeavour to ensure that the scientific nature of yoga finds a place in the modern medical system. We are also encouraging evidence-based therapy in the field of yoga in the country's medical and research institutions. AIIMS, Delhi has also done very good work in this direction. AIIMS research has revealed that yoga plays an important role in the treatment of cardiac and neurological disorders and in women's health and mental well-being.

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Friends,

The mantra of yoga and wellness is also being promoted through the National Ayush Mission. Digital technology has also played a big role in this. Through the Yoga Portal and YogAndhra Portal, more than 10 lakh events have been registered across the country. Today, events are being organised at so many places in every corner of the country. This also shows how much the scope of yoga is expanding.

Friends,

We all know that today the mantra of Heal in India is also becoming very popular in the world. India is becoming the best destination for healing for the world. Yoga also has a big role in this. I am happy that a Common Yoga Protocol has been created for yoga. More than 6.5 lakh trained volunteers of Yoga Certification Board, 10-day yoga module in about 130 recognized institutes and medical colleges, many such efforts are creating a holistic ecosystem. Trained yoga teachers are being deployed in our Ayushman Arogya Mandirs across the country. Special e-AYUSH visas are being given so that people from all over the world can benefit from this wellness ecosystem of India.

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Friends,

Today on Yoga Day, I would like to draw everyone's attention towards obesity once again. Increasing obesity is a big challenge for the whole world. I had also discussed this in detail in Mann Ki Baat programme. For this, I had also started a challenge to reduce 10 percent oil in our food. I once again appeal to the countrymen and people across the world to join this challenge. We need to spread awareness on how we can reduce oil consumption in our food by at least 10 percent. Reducing oil consumption, avoiding unhealthy diet and doing yoga is the key to better fitness.

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Friends,

Let us together make Yoga a mass movement. A movement that takes the world towards peace, health and harmony. Where every person starts the day with yoga and finds balance in life. Where every society is connected to yoga and is free from stress. Where yoga becomes a medium to bind humanity together. And where 'Yoga for One Earth, One Health' becomes a global resolution. Once again, while congratulating the leadership of Andhra, congratulating the people of Andhra and congratulating the yoga practitioners and yoga lovers spread across the world, I wish you all a very Happy International Yoga Day. Thank you!