माननीय प्रधानमंत्री श्री अनिरुद्ध जगन्‍नाथ, गणमान्‍य अतिथियों, 

भारतीय नौसेना के हमारे जवान, समुद्र के हमारे रक्षक, जो आज यहां मौजूद हैं- मैं आपका विशेष तौर पर अभिनंदन करता हूं।

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barrac (5) बाराकुडा को नेशनल कोस्‍ट गार्ड ऑफ मॉरिशस की सेवा में प्रदान करना हमारे लिए बहुत गौरव की बात है। 

मुझे यह विशेषाधिकार देने के लिए धन्‍यवाद। भारत को अपना भागीदार बनाने के लिए धन्‍यवाद।

यह पोत कोलकाता से हिंद महासागर का चक्‍कर लगाते हुए इस खूबसूरत किनारे पर पहुंचा है। 

पीढि़यों पहले, भारत के लोग नयी दिशा और नये जीवन की ओर चले थे।

आज, बाराकुडा अपने साथ भारत की जनता की सद्भावना और शुभकामनाएं लाया है। वह हमारे अनूठे विश्‍वास और भरोसे का प्रतिनिधित्व करता है। 

वह हिंद महासागर क्षेत्र- हमारे समान सामुद्रिक आशियाने, की शांति और सुरक्षा के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बाराकुडा एक खूबसूरत पोत है। वह बहुत सक्षम भी है और उसे मॉरिशस की विशिष्‍टताओं के मुताबिक बनाया गया है। 

अब वह मॉरिशस के ध्‍वज के साथ गर्व से तैर रहा है। यह आपके टापुओं और जलक्षेत्र की हिफाजत करेगा। आपदा और आपात परिस्थितियों में आपकी मदद के लिए मुस्‍तैद रहेगा। 

लेकिन, यह उससे बढ़कर काम करेगा। यह हमारे हिंद महासागर को ज्‍यादा सुरक्षित और महफूज बनाएगा। 

ऐसा करते हुए मॉरिशस एक महत्‍वपूर्ण अंतर्राष्‍ट्रीय उत्‍तरदायित्‍व को पूर्ण करेगा, क्‍येांकि हिंद महासागर विश्‍व के भविष्‍य के लिए महत्‍वपूर्ण है। यह महासागर विश्‍व की दो-तिहाई तेल लदान, इसका एक-तिहाई कार्गो, और इसके कंटेनर ट्रैफिक के आधे हिस्‍से का बोझ वहन करता है। इसके ट्रैफिक का तीन-चौथाई से ज्‍यादा हिस्‍सा विश्‍व के अन्‍य क्षेत्रों में जाता है। 

विशाल हिंद महासागर क्षेत्र 40 से ज्‍यादा देशों और दुनिया की करीब 40 प्रतिशत आबादी की मेजबानी करता है। यह ऑस्‍ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के पूर्वी समुद्र तट को छूता है। यह द्वीपीय देशों के रत्‍नों से दमकता है। 

सम्‍भयता के संबंधों पर गौर करें, तो इस विशाल क्षेत्र में बहुत विविधता है! सोचिए इसमें कितने अपार अवसर होंगे! 

आज, विश्‍व का मानना है कि 21वीं सदी एशिया और प्रशांत की गतिशीलता और ऊर्जा से संचालित हो रहा है, लेकिन इसका रुख हिंद महासागर की लहरे निर्धारित करेंगी। इसीलिए हिंद महासागर आज पहले से कहीं ज्‍यादा दुनिया के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। 

हम महासागर में बढ़ते वैश्विक हितों और उपस्थिति को भी देख रहे हैं। इस बदलती दुनिया में भी, सौभाग्‍य की कुंजी इसी महासागर के पास है और हम तभी खुशहाल होंगे, जब सागर सबके लिए सुरक्षित, महफूज और मुक्‍त होंगे। 

यह सुनिश्चित करना हम सभी की विशालतम सामूहिक जिम्‍मेदारी होगी। लेकिन हमें अन्‍य चुनौतियों का भी सामना करना होगा, जो हमारे क्षेत्र में असामान्‍य नहीं हैं।

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barrac (6)

हम सुनामी और चक्रवातों की त्रासदी देख चुके हैं। 

आतंकवाद हम तक समुद्र के रास्‍ते पहुंचा। समुद्री डकैती की वजह से इस हद तक लोगों को जान गंवानी पड़ी है और कारोबार पर असर पड़ा है, जो आधुनिक युग में विश्‍वास से परे है।

गैर कानूनी रूप से मछलियां पकड़ने और तेल रिसाव से हमारी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को नुकसान पहुंचा है। हम अपने तटों और द्वीपों पर जलवायु परिवर्तन का बढ़ता प्रभाव महसूस कर रहे हैं। 

हमने यह भी देखा है कि तटीय और द्वीपीय देशों में अस्थिरता और गड़बड़ी का सागरों की सुरक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है। 

भारत हिंद महासागर के दोराहे पर है। 

गुजरात के लोथल के दुनिया के प्रारम्भिक बंदरगाहों में से होने की वजह से भारत की सामुद्रिक परम्‍परा बहुत लम्‍बी है। 

हमारे सांस्‍कृतिक पदचिन्‍ह एशिया और अफ्रीका में फैले हैं। हम महासागरों के पार भारतवंशियों की सशक्‍त मौजूदगी में हम यह बात देख सकते है।

समुद्रों ने कई सहस्‍त्राब्दियों से हमारे पड़ोसियों के साथ हमारे वाणिज्यिक, सांस्‍कृतिक और धार्मिक संबंध जोड़े हैं। 

हमारे हाल के इतिहास ने हमारा ध्‍यान हमारे महाद्वीपीय पड़ोसियों पर केंद्रित कर दिया है। लेकिन भारत ने अपने आसपास फैले सागरों से कई तरह से आकार लिया है। 

आज, हमारा 90 प्रतिशत व्‍यापार और 90 प्रतिशत तेल आयात समुद्र के रास्‍ते होता है। हमारी तटरेखा 7500 किलोमीटर, 1200 द्वीप और 2.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशिष्‍ट आर्थिक क्षेत्र है। 

भारत वैश्विक रूप से ज्‍यादा जुड़ता जा रहा है। हम महासागर और आसपास के क्षेत्रों पर पहले से ज्‍यादा निर्भर होंगे। हमें इसके भविष्‍य को आकार देने का हमारा उत्‍तरदायित्‍व भी समझना होगा। 

इसलिए, हिंद महासागर क्षेत्र हमारी नीतिगत प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है। 

हिंद महासागर क्षेत्र के लिए हमारा विजन हमारे क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, अपनी क्षमताओं का इस्‍तेमाल हमारे समान सामुद्रिक आशियाने में सभी के लिए करने पर आधारित है। इसका अभिप्राय बहुत सी बाते हैं: 

पहली, हम अपने मुख्‍य भूभाग और महाद्वीपों की सुरक्षा के लिए कुछ भी करेंगे और हमारे हितों की रक्षा करेंगे। 

इसी तरह हम सुरक्षित, महफूज और स्थिर हिंद महासागर क्षेत्र सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेंगे, जो हमें हर तरह की समृद्धि प्रदान करता है और हम महासागर की प्रचंडता अथवा संकट से घिरे लोगों को अपनी क्षमताओं से बचाएंगे।

दूसरी, हम क्षेत्र के अपने मित्रों, खास तौर पर सामुद्रिक पड़ोसी देशों और द्वीपीय देशों के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाएंगे। हम उनकी सामुद्रिक सुरक्षा क्षमताओं और उनकी आर्थिक ताकत का भी निर्माण जारी रखेंगे। 

तीसरी, सामूहिक कार्रवाई और सहयोग हमारे सामुद्रिक क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट शांति एवं सुरक्षा लाएगा। यह हमें आपात स्थितियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए भी तैयार करेगा। 

इसीलिए, 2008 में, भारत ने हिंद महासागर नौ‍सैनिक संगोष्ठि को प्रोत्‍साहन दिया था। आज, इसके माध्‍यम से क्षेत्र की 35 नौसेनाओं एक साथ आयी हैं। हमारा लक्ष्‍य सामुद्रिक चुनौतियों पर आपसी समझ बढ़ाना और उनसे निपटने की सामूहिक योग्‍यता को सशक्‍त बनाना है। 

हम सामुद्रिक सहयोग के लिए समुद्री डकैती आतंकवाद और अन्‍य अपराध से निपटने से लेकर सामुद्रिक सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने तक के हमारे क्षेत्रीय तंत्रों- को सशक्‍त बनाने के प्रयासों का भी समर्थन करते हैं। 

भारत ने मालदीव और श्रीलंका के साथ सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग शुरू किया है और हमें आशा है कि मॉरिशस, सेशेल्‍स और क्षेत्र के अन्‍य देश भी इस पहल से जुड़ेंगे। चौथी, हम क्षेत्र में ज्‍यादा एकीकृत और सहयोगपूर्ण भविष्‍य चाहते हैं जो सभी के लिए निरंतर विकास की सम्‍भावनाओं में वृद्धि करे। 

हमें व्‍यापार, पर्यटन और निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास, सामुद्रिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, निरंतर मछली पालन, सामुद्रिक पर्यावरण की सुरक्षा तथा महासागर अथवा ब्‍लू इकॉनोमी में सहयोग को अवश्‍य बढ़ावा देना चाहिए।

मेरे लिए भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में नीला चक्र नीली क्रांति अथवा महासागरीय अर्थव्‍यवस्‍था की सम्‍भावनाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है। इस प्रकार महासागरीय अर्थव्‍यवस्‍था हमारे लिए इतनी महत्‍वपूर्ण है।

जो लोग महासागरों के समीप रहते हैं, उनके लिए जलवायु परिवर्तन बहस का विषय नहीं है, बल्कि उनके वजूद के लिए गम्‍भीर खतरा हैं। हमें अपने क्षेत्र में नेतृत्‍व संभालना चाहिए और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तटस्‍थ वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करना चाहिए। 

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barracud (2)

हमारी इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन क्षेत्र में निरंतर एवं समृद्ध भविष्‍य के हमारे विजन का महत्‍वपूर्ण माध्‍यम साबित हो सकती है।

हम अक्‍सर जमीन के क्षेत्र के आसपास क्षेत्रीय समूहों को परिभाषित करते हैं। अब वक्‍त आ गया है कि हम हिंद महासागर के गिर्द सशक्‍त समूह बनाने के लिए आगे आएं। हम आने वाले वर्षों में इसे नए जोश के साथ आगे बढ़ाएंगे। 

आईओआरए के सचिवालय के लिए मॉरिशस से बेहतर कोई और जगह हो ही नहीं सकती थी। मुझे खुशी है कि महासचिव भारत से हैं। 

पांचवीं, हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्‍थायित्‍व और खुशहाली इस क्षेत्र में रहने वालों की प्राथमिक जिम्‍मदारी है। 

लेकिन हम जानते हैं कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनके इस क्षेत्र में जबरदस्‍त हित और दांव हैं। 

भारत उनसे गहन संपर्क बनाए हुए है। हम ऐसा वार्ता,यात्रा,अभ्‍यासों, क्षमता निर्माण और आर्थिक भागीदारी के जरिये कर रहे हैं।

हमारा लक्ष्‍य विश्‍वास और पारदर्शिता का वातावरण बनाना, सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक नियमों और कानूनों के प्रति सम्‍मान, प्राप्‍त करना, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता, सामुद्रिक मसलों का शांतिपूर्ण हल और सामुद्रिक सहयोग बढ़ाना है। 

हम हिंद महासागर के लिए ऐसा भविष्‍य चाहते हैं जो एसएजीएआर- यानी सिक्‍योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति) के नाम पर खरा उतरे। 

हमें मॉनसून से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो क्षेत्र में हम सभी को पोषित करता है और आपस में जोड़ता है। 

हम भागीदारी के जरिये अपने क्षेत्र को उसी तरह एकजुट करेंगे, जैसे कभी भागौलिक रूप से रहे हैं। 

एक महासागर जो हमारी दुनिया को जोड़ता है उसे सभी के लिए शांति और समृद्धि का मार्ग बनना चाहिए।

यह कोई इत्‍तेफाक नहीं है कि हिन्‍द महासागर क्षेत्र के लिए अपनी आशाएं मैं मॉरिशस में व्‍यक्‍त कर रहा हूं। 

मॉरिशस के साथ हमारी भागीदारी दुनिया में हमारे सशक्‍त सामुद्रिक संबंधों में से है। 

19 PM MODI unveiling of plaque for Commissioning of Offshore Patrol Vessel Barrac (8)

हमारी भागीदारी बढ़ेगी। हम मिलकर अपनी क्षमताओं का निर्माण करेंगे। हम मिलकर प्रशिक्षण लेंगे और मिलकर समुद्र में गश्‍त करेंगे।

लेकिन इस भागीदारी की बुनियाद बहुत बड़ी है। यह हमारे साझा मूल्‍य और समान विजन है। 

हम अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर क्षेत्र के लिए अपने उत्‍तरदायित्‍व का वहन करना चाहते हैं। 

मॉरिशस हिंद महासागर के सुरक्षित और सतत भविष्‍य के लिए प्रमुख लीडर है। हमें, भारत को आपका भागीदार होने पर गर्व है। 

बहुत बहुत धन्यवाद और आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है: प्रधानमंत्री
मंदी, अविश्वास और विखंडन की दुनिया में, भारत विकास और विश्वास लाता है और एक सेतु-निर्माता की भूमिका निभाता है: प्रधानमंत्री
आज, भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रमुख विकास इंजन बन रहा है: प्रधानमंत्री
भारत की नारी शक्ति अद्भुत काम कर रही है, हमारी बेटियां आज हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं: प्रधानमंत्री
हमारी गति स्थिर है, हमारी दिशा एकरूप है, हमारा इरादा हमेशा राष्ट्र प्रथम है: प्रधानमंत्री
आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है: प्रधानमंत्री

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।