मंत्री परिषद् के मेरे सभी साथी, और उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सभी सुबह 9 बजे से बैठे हैं. काफी थकान भी महसूस कर रहे हैं. क्योंकि यहाँ खुद के संबधित विषय बहुत कम होंगे, लेकिन और विषयों को भी झेलना पढ़ रहा है.

सामान्य रूप से सरकार का एक स्वभाव रहता है, secrecy का. आज के इस अवसर पर आप अनुभव करते होंगे openness का - एक खुलापन। सरकार क्याा सोचती है, अब यह चीजें जितनी आज आपके सामने आई हैं, यही चीजें पाने के लिए पता नहीं कितनी आरटीआई करनी पड़ती है आपको। तो व्यकवस्था ऐसी विकसित की जा सकती है कि... उसी प्रकार से हमने देखा है कि बजट जब आता है तो ढेर सारे delegations memorandum लेकर के आते हैं। वो भी एक ऐसी formality हो जाती है कि सरकार कागज ले लेती है, कितना ही बड़ा higher position पर क्यों न हो, “अच्छा-अच्छा देख लेंगे।“ फिर वो कागज process में चला जाता है।

आज आपने देखा होगा कि आपकी जो concerns है उसकी आज चर्चा हुई है। सिर्फ सुना गया ऐसा नहीं है। चर्चा हुई, इतना ही नहीं उसमें से रास्ते खोजे गए। रास्ते खोजकर के हम मिलकर के achieve कैसे करे? हमारी collective responsibility का एक feeling आज आया। feeling of oneness - उस दिशा में एक प्रयास है।

जब मैं प्रारंभ से कहता हूं कि Minimum Government, Maximum Governance. यह विषय बहुत कम लोग समझ पाते है। कुछ लोग तो यह मानते है कि मंत्रियों की संख्या के आधार पर तय होता है कि Minimum Government है या नहीं है। यह उनकी समझदारी का problem है। लेकिन Minimum Government, Maximum Governance क्या होता है वो आज एक दिन में आपने देख लिया। शायद जितने निर्णय आज आप कर रहे हैं, मिल करके कर रहे हैं, शायद सरकारी फाइल और process में हुआ होता तो सालों निकल जाते। यह है Maximum Governance. Minimum Governance to Maximum Governance की दिशा में कैसे जा सकते है इसका यह एक स्वभाविक आपके सामने प्रस्तुत है।

मैं जब नया-नया आया मैंने 15 अगस्त को भी इस बात का उल्लेख किया था लाल किले पर से। मैं अनुभव कर रहा था यहां सरकार silo में चलती है। हरेक का अपना-अपना एक रजवाड़ा बना हुआ है वो अपना... पिछले छह-सात महीनों में सबसे पहला हमने काम किया उन सारे barriers को खत्म कर दिया। मिल-बैठकर के निर्णय करें, कागजी कार्रवाई आखिर में होती है।

आज हम उसमें से एक step आगे गए हैं और वो step है कि Public private partnership का model सिर्फ पूंजी और प्रोजेक्टि नहीं होता है। Public private partnership का model – design making process में भी हो सकता है। एक नया approach है। और उस नये approach को आज आपने अनुभव किया है। It is a beginning. लेकिन इससे आपको संकेत मिलता होगा कि किस दिशा में जाया जा सकता है। तो in true sense, Public private partnership का model “meeting of mind” से शुरू होता है, तो फिर achievement in manufacturing तक पहुंचता है और मैं मानता हूं कि आज पूरे दिनभर में आपने इस बात को अनुभव किया होगा।

मुझे याद है जिस दिन 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म> जयंती पर मैंने Make In India कार्यक्रम की यहां शुरूआत की थी, आप में से कई मित्र यहां थे। उसके बाद मैं काफी कुछ उसकी आलोचनाएं सुन रहा था। लेकिन आपने देखा होगा कि पिछले तीन महीने में एक विचार को सिद्ध करने के लिए government machinery ने किस प्रकार से अपने आपको तैयार किया है, सज्य किया है। आपको अनुभव आया होगा चर्चा में। कानून बदलने पड़े - तैयार है, नियम बदलने पड़े - तैयार है, व्यावस्थाओं को speedy करना है - तैयार है, यह जो एक बदलाव है उस बदलाव को हमें real धरती पर आगे उतारना है। और इसलिए आपको इसके साथ जोड़कर के इसके लिए हमने प्रयास किया है।

हम जानते है सरकार ज्याकदातर ABCD में फंसी हुई रहती है। सरकार का culture ABCD culture होता है। और यह ऊपर से नीचे तक होता है। और जब मैं ABCD कहता हूं मतलब..

A मतलब avoid,

B – Bypass,

C – Confuse,

D - Delay.

हमारी कोशिश है ABCD culture से एक ऐसे Road map पर जाए, जिसमें success ही success हो। और जब मैं success ही success Road की बात करता हूं, तो मैं उस Road की चर्चा करता हूं जिसमें R O A D:

R - Responsibility,

O - Ownership,

A - Accountability,

D - Discipline.

यह Roadmap पर हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

पूरी सरकारी व्यवस्था को उस दिशा में तैयार करने की हम कोशिश कर रहे हैं। इसके कारण शासन में काम करने वाले व्यक्तियों को भी “सामान्य जन की क्याा अपेक्षाएं हैं”, उसके अनुरूप अपनी चीजों को prioritise करने की आदत बन जाती हैं।

मैं समझता हूं इससे एक बहुत बड़ा लाभ होगा। एक उससे आगे का कदम जो मेरे मन में है, जिस पर हमें सोचना चाहिए। जिस प्रकार से आज हम इस forum में इस प्रकार के लोग मिले हैं, मैं मानता हूं मैं विकास के लिए जिन बातों को बल देना है, उसमें man, material, money, machine, minerals - इसका maximum movement कैसे हो। कोई stagnancy न हो, इन पांचों क्षेत्रों में। इन five M’s की movement कैसे बढ़े, उसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

जैसा अभी अरूण जी ने बताया हम जनवरी 1st week में financial sector को attend कर रहे हैं, विशेषकर के Banking sector के लोगों को बुला रहे हैं। इस गोल को पाने के लिए उनका रोल क्याह होगा उसकी वहां चर्चा करेंगे, रास्ते तय करेंगे।

एक महत्व, जैसा मैंने कहा हमारा काम है human resource development का, हमारा काम है innovation का, हमारा काम है research का। इन सारे क्षेत्रों को भी अगर हमें next generation की ओर ले जाना है, तो इन तीन बातों को हमारे DNA के रूप में लाना पड़ेगा। आज दुर्भाग्य से हमारी व्यावस्था में वो DNA नहीं है। Innovation, research, and human resource development ये पूरे part of the process होना चाहिए। Isolated नहीं होना चाहिए। और इसलिए मेरा second phrase का काम ऐसा है कि क्याह हम देश में पांच या छह या आठ regions में universities को, institutions को, manufacturing world को, और government policy makers को - साथ मिलकर के human resource development की हमारी next 20-30 years के लिए किस प्रकार के लोगों की जरूरत है। उन लोगों को तैयार करने के लिए हमारे आज जो सिलेबस है, हमारे institutions है वो capable enough है क्या? उसको हम बदलाव ला सकते हैं क्या? उसमें कोई नया मॉडल ला सकते हैं क्या? हम कल्पना कर सकते हैं, आज अगर मान लीजिए हम सोच रहे हैं हम बुलेट ट्रेन। क्या? बुलेट ट्रेन के लिए engineering skill के लोग हमारे पास है क्या? नहीं है तो We will have to create! हमने जिस गोल को achieve करना है उसको ध्यान में रखते हुए human resource development इस पर हम कैसे बल दें और हमारी इन व्यवस्थाओं को, और मैं चाहता हूं कि within a month or two इस एक skill development और human resource development को लेकर के एक हमार joint - उसको National level पर नहीं कर सकते, क्योंकि हमने कोई area identify करना हो, मानो chemical zone है तो chemical zone के लोग मिले फिर उसके साथ संबंधित institutions मिले तो शायद हमारा productive debate होगा। इस प्रकार से हम चर्चा कर करके इस पर काम करे, और उसी में - innovation and research.

अगर हम दुनिया के सामने innovation लेकर नहीं जाएंगे... हमारे IT sector में हम लोगों ने बहुत बड़ा अपना तजुर्बा बताया 25 साल पहले, लेकिन हम Google नहीं बना पाए। हमारा जो talented manpower था हमारा बाहर चला गया। क्या हम उस दिशा में सोच सकते हैं कि जगत में जो श्रेष्ठ है वो हमारे यहां भी पैदा हो सकता है और दुनिया इस बात को मानेगी। हमारे space का जब presentation हो रहा था मैं देख रहा था कि सब लोग तालियां बजा रहे थे। यह भारत के नौजवान scientist कर रहे हैं जी दुनिया में अपना रूतबा दिखा रहे हैं तो और क्षेत्र तो इससे सरल है। हम इसको कर सकते हैं।

और एक दूसरा जो विषय जैसे मैंने कहा हम जनवरी 1st week में Banking or financial sector को इसी विषय को लेकर के मिल रहे हैं। मैं चाहता हूं कि संबंधित लोग मिलकर के “regional दिशा में कैसे काम करे?”

और एक विषय है जिस पर हमें बल देने की आवश्यरकता है भारत का विकास संतुलित होना चाहिए। अगर पश्चिम का हिस्सा भारत का समृद्धि की ओर बढ़े और पूरब का हिस्सा हमारे वैसे का वैसा रह जाए तो देश के लिए उचित नहीं है। हम - industrial houses को भी सोचना होगा और हम कैसे लोग हैं? कोयला east में है और बिजली west में पैदा करते हैं। मैं नहीं मानता हूं ऐसी कौन सी strategy है हमारी। हमारे पास प्राकृतिक सम्पदा सारी की सारी eastern part of India है। क्या हम हमारी योजनाओं में, और मैं चाहूंगा इसके लिए हमारे नीति निर्धारक भी attention दे और आप जो विकास करना चाहते हैं - अपना विकास, अपनी कंपनी का विकास, देश का विकास भी सोचिए। Eastern part of India उसके पास जो potential है, उसके पास जो सामर्थ्य है, वो सामर्थ्य हमारे देश के विकास में किस प्रकार से उपयोग हो, हमारी manufacturing center कैसे बने। वहां पर भी talented youth है, वहां minerals है, वहां संभावनाएं पड़ी है। उन संभावनाओं पर हम एक दशक में अगर ध्यान दें तो भारत का पश्चिमी छोर जिस प्रकार से आगे बढ़ा है अगर पूरब का छोर इक्वल आ जाएगा तो आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस growth target की चर्चा पूरी दुनिया हिंदुस्तान से अपेक्षा करती है उसको पाने का वो उत्तम से उत्तम रास्ता बन सकता है।

और इसलिए हम उस दिशा में भी अगर आगे बढ़े तो मैं समझता हूं कि हम काफी कुछ दे सकते हैं। मैं ज्यादा लम्बा समय नहीं लेना चाहता आपका। आज पूरे दिनभर यह जो प्रयास हुआ है, हरेक की जिम्मेदारी तय हो चुकी है, Roadmap तैयार हो चुका है, क्या‍ achieve करना है वो निर्धारित हो चुका है, नीतियों में क्या, परिवर्तन लाना है वो तय हो चुका है। अब मैं नहीं मानता हूं कि कोई कागजी कार्रवाई की जरूरत पड़ेगी अपने आप चीजें implement होगी। और हम जो Make in India का concept लेकर के चल रहे हैं, उस पर आगे बढ़ेंगे।

लेकिन बात Make in India से अटक नहीं सकती। हमारी कोशिश उससे आगे हो। हम दुनिया में India Brand कैसे develop कर सकते हैं? अगर दुनिया में India Brand develop करना है, तो Make in India उसके साथ एक catchline लगेगी: “Zero Defect”. अगर Zero Defect नहीं है, तो हम ग्लोबल मार्केट में archive नहीं कर सकते। उसी प्रकार से दुनिया environment conscious है। बहुत बड़ी हमारी जिम्मेदारी है तो “Zero Defect, Zero Effect”. हम वो manufacturing करेंगे environment पर effect न करे। हम वो manufacturing करेंगे जो zero defect हो और दुनिया भर के अंदर जिसकी मांग हो - उस काम के लिए हम आगे बढ़े।

मेरी आप सबको बहुतबहुत शुभकामनाएं। पूरे दिनभर इस का मंथन - पहली बार प्रयोग हुआ है। इसको हम और आगे बढ़ाने वाले हैं। सेक्टेर स्पेसिफिक तक जाने वाले हैं। मैं चाहता हूं कि आपके सुझाव हम सब मिलकर के देश को आगे बढ़ाने में काम आएंगे।

बहुत-बहुत धन्यनवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इसी हफ्ते 2015 में हम प्रवेश करेंगे। मेरी आप सबको नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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आइए, हम सब योग को एक जन-आंदोलन बनाएं; जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए: पीएम मोदी
June 21, 2025
Quoteयोग ने समस्‍त विश्व को एकजुट किया है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग सब के लिए है, सीमाओं से, पृष्ठभूमि से, उम्र या क्षमता से परे है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग हमें विश्व के साथ एकरूपता की दिशा में ले जाता है, यह हमें सिखाता है कि हम अलग-थलग नहीं, बल्कि प्रकृति का ही हिस्सा हैं: प्रधानमंत्री
Quoteयोग एक ऐसी प्रणाली है जो हमें 'मैं' से 'हम' की ओर ले जाती है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग मानवता के लिए सांस लेने, संतुलन बनाए रखने और फिर से संपूर्ण बनने के लिए आवश्यक पौज बटन है: प्रधानमंत्री
Quoteआइए, इस योग दिवस को मानवता के लिए योग 2.0 के आरंभ के रूप में मनाएं, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाती है: प्रधानमंत्री

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, मेरे परम मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी, के. राममोहन नायडू जी, प्रतापराव जाधव जी, चंद्रशेखर जी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा जी, राज्य के डिप्टी सीएम पवन कल्याण गारू, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आप सबको नमस्कार!

देश और दुनियाभर के सभी लोगों को इंटरनेशनल योग डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज 11वीं बार पूरा विश्व 21 जून को एक साथ योग कर रहा है। योग का सीधा-साधा अर्थ होता है जुड़ना और ये देखना सुखद है कि कैसे योग ने पूरे विश्व को जोड़ा है। मैं बीते एक दशक में योग की यात्रा को जब देखता हूं, तो बहुत कुछ याद आता है। वो दिन जब संयुक्त राष्ट्र में भारत ने प्रस्ताव रखा कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिले और तब कम से कम समय में दुनिया के 175 देश हमारे इस प्रस्ताव के साथ खड़े हुए। आज की दुनिया में ऐसी एकजुटता, ऐसा समर्थन सामान्य घटना नहीं है। ये सिर्फ एक प्रस्ताव का समर्थन भर नहीं था, ये मानवता के भले के लिए दुनिया का सामूहिक प्रयास था। आज 11 साल बाद, हम देख रहे हैं कि योग दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बन चुका है। मुझे गर्व होता है, जब मैं देखता हूँ कि हमारे दिव्यांग साथी ब्रेल में योग शास्त्र पढ़ते हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग करते हैं, गांव-गांव में युवा साथी योग ओलंपियाड में भाग लेते हैं। यहां सामने देखिये, ये नेवी के सभी जहाजों में भी अभी बहुत शानदार योगा कार्यक्रम चल रहा है। चाहे सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियाँ हों, या एवरेस्ट की चोटी हो, या फिर समंदर का विस्तार हो, हर जगह से एक ही संदेश आता है— योग सभी का है, और सभी के लिए है। Yoga is for Everyone, Beyond Boundaries, Beyond Backgrounds, Beyond age or ability.

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साथियों,

आज मुझे इस बात की खुशी है कि हम सभी विशाखापट्टनम में हैं। ये शहर प्रकृति और प्रगति, दोनों की संगम स्थली है। यहां के लोगों ने इतना अच्छा आयोजन किया है। मैं चंद्रबाबू नायडू गारु और पवन कल्याण गारू को बधाई देता हूं, आपके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश ने योगांध्रा अभियान का एक शानदार initiative लिया। मैं विशेष तौर पर नारा लोकेश गारू के प्रयासों की भी विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं। योग का सोशल सेलिब्रेशन कैसे होना चाहिए, समाज के हर वर्ग को कैसे जोड़ना चाहिए, ये उन्होंने बीते एक डेढ़ महीने के इस योगांध्रा अभियान में करके दिखाया है, और इसके लिए भाई लोकेश अनेक अनेक बधाई के पात्र हैं। और मैं तो देशवासियों को भी कहूंगा कि ऐसे अवसरों को आप किस प्रकार से सामाजिक स्तर पर गहराई से ले जाया जा सकता है, भाई लोकेश ने जो काम किया है, उसको एक नमूने के रूप में देखना चाहिए।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि योगांध्रा अभियान से दो करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पब्लिक पार्टिसिपेशन की यही वो स्पिरिट है, जो विकसित भारत का मुख्य आधार है। जब जनता खुद आगे बढ़कर किसी मुहिम को थाम लेती है, किसी लक्ष्य को Own कर लेती है, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति से हमें कोई रोक नहीं पाता। जनता-जनार्दन की ये सद-इच्छा औऱ आपके प्रयास यहां इस आयोजन में हर तरफ नजर आ रहे हैं।

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Friends,

The theme of this year’s International Day of Yoga is ‘Yoga for One Earth, One Health’. This theme reflects a deep truth. The health of every entity on Earth is interconnected. Human well-being depends on the health of the soil that grows our food, on the rivers that give us water, on the health of the animals that share our eco-systems, on the plants that nourish us. Yoga awakens us to this inter-connected-ness. Yoga leads us on a journey towards oneness with the world. It teaches us that we are not isolated individuals but part of nature. Initially we learn to take good care of our own health and wellness. Gradually, our care and concern extends to our environment, society and planet. Yoga is a great personal discipline . At the same time, it is a system that takes us from Me to We.

साथियों,

Me to We’ का ये भाव ही भारत की आत्मा का सार है। जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है। भारत की संस्कृति हमें सिखाती है, सर्वे भवन्तु सुखिनः, यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। ‘मैं’ से ‘हम’ की ये यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। यही सोच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।

साथियों,

दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है। Yoga is the pause button that humanity needs to breathe to balance to become whole gain.

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मैं विश्व समुदाय से आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक आग्रह करूंगा। Let this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.O, where Inner Peace becomes Global Policy. जहां योग सिर्फ personal practice न रहे, बल्कि global partnership का माध्यम बने। जहां हर देश, हर समाज, योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। जहां हम मिलकर एक शांत, संतुलित और sustainable विश्व को गति दें। जहां योग, विश्व को टकराव से सहयोग, और तनाव से समाधान की ओर ले जाए।

साथियों,

विश्व में योग के प्रसार के लिए भारत, योग की साइंस को आधुनिक रिसर्च से और अधिक सशक्त कर रहा है। देश के बड़े-बड़े मेडिकल संस्थान योग पर रिसर्च में जुटे हैं। योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान मिले, ये हमारा प्रयास है। हम देश के मेडिकल और रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स में, योगा के क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड थेरेपी को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दिशा में दिल्ली के एम्स ने भी बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। एम्स की रिसर्च में सामने आया है कि योग की Cardiac और न्यूरोलॉजी डिस्ऑर्डर्स के उपचार और वूमन हेल्थ और Mental Well-being में अहम भूमिका है।

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साथियों,

National Ayush Mission के ज़रिए भी योग और वेलनेस के मंत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। Yoga Portal और YogAndhra Portal के ज़रिए, देशभर में 10 लाख से अधिक इवेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। आज देश के कोने-कोने में इतनी सारी जगहों पर आयोजन हो रहे हैं। ये भी दिखाता है कि योग का दायरा कितना ज्यादा बढ़ रहा है।

साथियों,

हम सभी जानते हैं, आज हील इन इंडिया का मंत्र भी दुनिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। भारत-दुनिया के लिए हीलिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा है। योग की इसमें भी बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि योग के लिए Common Yoga Protocol बनाया गया है। Yoga Certification Board के साढ़े छह लाख से अधिक trained वॉलंटियर्स, करीब 130 मान्यता प्राप्त संस्थान और मेडिकल कॉलेजों में 10 दिन का योग मॉड्यूल, ऐसे अनेक प्रयास, एक होलिस्टिक इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। देशभर में हमारे जो आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, वहां trained योग टीचर तैनात किए जा रहे हैं। दुनियाभर के लोगों को भारत के इस वेलनेस इकोसिस्टम का फायदा मिले, इसलिए विशेष ई-आयुष वीज़ा दिए जा रहे हैं।

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साथियों,

आज योग दिवस पर मैं ओबेसिटी की तरफ भी फिर से सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। बढ़ती ओबेसिटी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा चैलेंज है। मैंने मन की बात कार्यक्रम में भी, इस पर विस्तार से चर्चा की थी। इसके लिए अपने खान-पान में 10 परसेंट ऑयल कम करने का चैलेंज भी शुरु किया था। मैं एक बार फिर देशवासियों से, दुनियाभर के लोगों को इस चैलेंज से जुड़ने का आह्वान करता हूं। अपने खाने में कैसे हम कम से कम 10 परसेंट ऑयल कंजम्शन कम करें, इसके लिए जागरूकता फैलानी है। ऑयल की खपत कम करना, unhealthy diet से बचना और योग करना, ये बेहतर फिटनेस की जड़ी बूटी है।

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साथियों,

आइए, हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन दोलन बनाएं। एक ऐसा आंदोलन, जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए। जहां हर व्यक्ति दिन की शुरुआत योग से करे और जीवन में संतुलन पाए। जहां हर समाज योग से जुड़े और तनाव से मुक्त हो। जहां योग मानवता को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बने। और जहां ‘Yoga for One Earth, One Health’ एक वैश्विक संकल्प बन जाए। एक बार फिर आंध्र के नेतृत्व को बधाई देते हुए, आंध्र के लोगों को बधाई देते हुए और विश्वभर में फैले हुए योग practitioners और योग प्रेमियों को बधाई देते हुए, आप सबको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!