मंत्री परिषद् के मेरे सभी साथी, और उपस्थित सभी महानुभाव,

आप सभी सुबह 9 बजे से बैठे हैं. काफी थकान भी महसूस कर रहे हैं. क्योंकि यहाँ खुद के संबधित विषय बहुत कम होंगे, लेकिन और विषयों को भी झेलना पढ़ रहा है.

सामान्य रूप से सरकार का एक स्वभाव रहता है, secrecy का. आज के इस अवसर पर आप अनुभव करते होंगे openness का - एक खुलापन। सरकार क्याा सोचती है, अब यह चीजें जितनी आज आपके सामने आई हैं, यही चीजें पाने के लिए पता नहीं कितनी आरटीआई करनी पड़ती है आपको। तो व्यकवस्था ऐसी विकसित की जा सकती है कि... उसी प्रकार से हमने देखा है कि बजट जब आता है तो ढेर सारे delegations memorandum लेकर के आते हैं। वो भी एक ऐसी formality हो जाती है कि सरकार कागज ले लेती है, कितना ही बड़ा higher position पर क्यों न हो, “अच्छा-अच्छा देख लेंगे।“ फिर वो कागज process में चला जाता है।

आज आपने देखा होगा कि आपकी जो concerns है उसकी आज चर्चा हुई है। सिर्फ सुना गया ऐसा नहीं है। चर्चा हुई, इतना ही नहीं उसमें से रास्ते खोजे गए। रास्ते खोजकर के हम मिलकर के achieve कैसे करे? हमारी collective responsibility का एक feeling आज आया। feeling of oneness - उस दिशा में एक प्रयास है।

जब मैं प्रारंभ से कहता हूं कि Minimum Government, Maximum Governance. यह विषय बहुत कम लोग समझ पाते है। कुछ लोग तो यह मानते है कि मंत्रियों की संख्या के आधार पर तय होता है कि Minimum Government है या नहीं है। यह उनकी समझदारी का problem है। लेकिन Minimum Government, Maximum Governance क्या होता है वो आज एक दिन में आपने देख लिया। शायद जितने निर्णय आज आप कर रहे हैं, मिल करके कर रहे हैं, शायद सरकारी फाइल और process में हुआ होता तो सालों निकल जाते। यह है Maximum Governance. Minimum Governance to Maximum Governance की दिशा में कैसे जा सकते है इसका यह एक स्वभाविक आपके सामने प्रस्तुत है।

मैं जब नया-नया आया मैंने 15 अगस्त को भी इस बात का उल्लेख किया था लाल किले पर से। मैं अनुभव कर रहा था यहां सरकार silo में चलती है। हरेक का अपना-अपना एक रजवाड़ा बना हुआ है वो अपना... पिछले छह-सात महीनों में सबसे पहला हमने काम किया उन सारे barriers को खत्म कर दिया। मिल-बैठकर के निर्णय करें, कागजी कार्रवाई आखिर में होती है।

आज हम उसमें से एक step आगे गए हैं और वो step है कि Public private partnership का model सिर्फ पूंजी और प्रोजेक्टि नहीं होता है। Public private partnership का model – design making process में भी हो सकता है। एक नया approach है। और उस नये approach को आज आपने अनुभव किया है। It is a beginning. लेकिन इससे आपको संकेत मिलता होगा कि किस दिशा में जाया जा सकता है। तो in true sense, Public private partnership का model “meeting of mind” से शुरू होता है, तो फिर achievement in manufacturing तक पहुंचता है और मैं मानता हूं कि आज पूरे दिनभर में आपने इस बात को अनुभव किया होगा।

मुझे याद है जिस दिन 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म> जयंती पर मैंने Make In India कार्यक्रम की यहां शुरूआत की थी, आप में से कई मित्र यहां थे। उसके बाद मैं काफी कुछ उसकी आलोचनाएं सुन रहा था। लेकिन आपने देखा होगा कि पिछले तीन महीने में एक विचार को सिद्ध करने के लिए government machinery ने किस प्रकार से अपने आपको तैयार किया है, सज्य किया है। आपको अनुभव आया होगा चर्चा में। कानून बदलने पड़े - तैयार है, नियम बदलने पड़े - तैयार है, व्यावस्थाओं को speedy करना है - तैयार है, यह जो एक बदलाव है उस बदलाव को हमें real धरती पर आगे उतारना है। और इसलिए आपको इसके साथ जोड़कर के इसके लिए हमने प्रयास किया है।

हम जानते है सरकार ज्याकदातर ABCD में फंसी हुई रहती है। सरकार का culture ABCD culture होता है। और यह ऊपर से नीचे तक होता है। और जब मैं ABCD कहता हूं मतलब..

A मतलब avoid,

B – Bypass,

C – Confuse,

D - Delay.

हमारी कोशिश है ABCD culture से एक ऐसे Road map पर जाए, जिसमें success ही success हो। और जब मैं success ही success Road की बात करता हूं, तो मैं उस Road की चर्चा करता हूं जिसमें R O A D:

R - Responsibility,

O - Ownership,

A - Accountability,

D - Discipline.

यह Roadmap पर हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

पूरी सरकारी व्यवस्था को उस दिशा में तैयार करने की हम कोशिश कर रहे हैं। इसके कारण शासन में काम करने वाले व्यक्तियों को भी “सामान्य जन की क्याा अपेक्षाएं हैं”, उसके अनुरूप अपनी चीजों को prioritise करने की आदत बन जाती हैं।

मैं समझता हूं इससे एक बहुत बड़ा लाभ होगा। एक उससे आगे का कदम जो मेरे मन में है, जिस पर हमें सोचना चाहिए। जिस प्रकार से आज हम इस forum में इस प्रकार के लोग मिले हैं, मैं मानता हूं मैं विकास के लिए जिन बातों को बल देना है, उसमें man, material, money, machine, minerals - इसका maximum movement कैसे हो। कोई stagnancy न हो, इन पांचों क्षेत्रों में। इन five M’s की movement कैसे बढ़े, उसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

जैसा अभी अरूण जी ने बताया हम जनवरी 1st week में financial sector को attend कर रहे हैं, विशेषकर के Banking sector के लोगों को बुला रहे हैं। इस गोल को पाने के लिए उनका रोल क्याह होगा उसकी वहां चर्चा करेंगे, रास्ते तय करेंगे।

एक महत्व, जैसा मैंने कहा हमारा काम है human resource development का, हमारा काम है innovation का, हमारा काम है research का। इन सारे क्षेत्रों को भी अगर हमें next generation की ओर ले जाना है, तो इन तीन बातों को हमारे DNA के रूप में लाना पड़ेगा। आज दुर्भाग्य से हमारी व्यावस्था में वो DNA नहीं है। Innovation, research, and human resource development ये पूरे part of the process होना चाहिए। Isolated नहीं होना चाहिए। और इसलिए मेरा second phrase का काम ऐसा है कि क्याह हम देश में पांच या छह या आठ regions में universities को, institutions को, manufacturing world को, और government policy makers को - साथ मिलकर के human resource development की हमारी next 20-30 years के लिए किस प्रकार के लोगों की जरूरत है। उन लोगों को तैयार करने के लिए हमारे आज जो सिलेबस है, हमारे institutions है वो capable enough है क्या? उसको हम बदलाव ला सकते हैं क्या? उसमें कोई नया मॉडल ला सकते हैं क्या? हम कल्पना कर सकते हैं, आज अगर मान लीजिए हम सोच रहे हैं हम बुलेट ट्रेन। क्या? बुलेट ट्रेन के लिए engineering skill के लोग हमारे पास है क्या? नहीं है तो We will have to create! हमने जिस गोल को achieve करना है उसको ध्यान में रखते हुए human resource development इस पर हम कैसे बल दें और हमारी इन व्यवस्थाओं को, और मैं चाहता हूं कि within a month or two इस एक skill development और human resource development को लेकर के एक हमार joint - उसको National level पर नहीं कर सकते, क्योंकि हमने कोई area identify करना हो, मानो chemical zone है तो chemical zone के लोग मिले फिर उसके साथ संबंधित institutions मिले तो शायद हमारा productive debate होगा। इस प्रकार से हम चर्चा कर करके इस पर काम करे, और उसी में - innovation and research.

अगर हम दुनिया के सामने innovation लेकर नहीं जाएंगे... हमारे IT sector में हम लोगों ने बहुत बड़ा अपना तजुर्बा बताया 25 साल पहले, लेकिन हम Google नहीं बना पाए। हमारा जो talented manpower था हमारा बाहर चला गया। क्या हम उस दिशा में सोच सकते हैं कि जगत में जो श्रेष्ठ है वो हमारे यहां भी पैदा हो सकता है और दुनिया इस बात को मानेगी। हमारे space का जब presentation हो रहा था मैं देख रहा था कि सब लोग तालियां बजा रहे थे। यह भारत के नौजवान scientist कर रहे हैं जी दुनिया में अपना रूतबा दिखा रहे हैं तो और क्षेत्र तो इससे सरल है। हम इसको कर सकते हैं।

और एक दूसरा जो विषय जैसे मैंने कहा हम जनवरी 1st week में Banking or financial sector को इसी विषय को लेकर के मिल रहे हैं। मैं चाहता हूं कि संबंधित लोग मिलकर के “regional दिशा में कैसे काम करे?”

और एक विषय है जिस पर हमें बल देने की आवश्यरकता है भारत का विकास संतुलित होना चाहिए। अगर पश्चिम का हिस्सा भारत का समृद्धि की ओर बढ़े और पूरब का हिस्सा हमारे वैसे का वैसा रह जाए तो देश के लिए उचित नहीं है। हम - industrial houses को भी सोचना होगा और हम कैसे लोग हैं? कोयला east में है और बिजली west में पैदा करते हैं। मैं नहीं मानता हूं ऐसी कौन सी strategy है हमारी। हमारे पास प्राकृतिक सम्पदा सारी की सारी eastern part of India है। क्या हम हमारी योजनाओं में, और मैं चाहूंगा इसके लिए हमारे नीति निर्धारक भी attention दे और आप जो विकास करना चाहते हैं - अपना विकास, अपनी कंपनी का विकास, देश का विकास भी सोचिए। Eastern part of India उसके पास जो potential है, उसके पास जो सामर्थ्य है, वो सामर्थ्य हमारे देश के विकास में किस प्रकार से उपयोग हो, हमारी manufacturing center कैसे बने। वहां पर भी talented youth है, वहां minerals है, वहां संभावनाएं पड़ी है। उन संभावनाओं पर हम एक दशक में अगर ध्यान दें तो भारत का पश्चिमी छोर जिस प्रकार से आगे बढ़ा है अगर पूरब का छोर इक्वल आ जाएगा तो आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस growth target की चर्चा पूरी दुनिया हिंदुस्तान से अपेक्षा करती है उसको पाने का वो उत्तम से उत्तम रास्ता बन सकता है।

और इसलिए हम उस दिशा में भी अगर आगे बढ़े तो मैं समझता हूं कि हम काफी कुछ दे सकते हैं। मैं ज्यादा लम्बा समय नहीं लेना चाहता आपका। आज पूरे दिनभर यह जो प्रयास हुआ है, हरेक की जिम्मेदारी तय हो चुकी है, Roadmap तैयार हो चुका है, क्या‍ achieve करना है वो निर्धारित हो चुका है, नीतियों में क्या, परिवर्तन लाना है वो तय हो चुका है। अब मैं नहीं मानता हूं कि कोई कागजी कार्रवाई की जरूरत पड़ेगी अपने आप चीजें implement होगी। और हम जो Make in India का concept लेकर के चल रहे हैं, उस पर आगे बढ़ेंगे।

लेकिन बात Make in India से अटक नहीं सकती। हमारी कोशिश उससे आगे हो। हम दुनिया में India Brand कैसे develop कर सकते हैं? अगर दुनिया में India Brand develop करना है, तो Make in India उसके साथ एक catchline लगेगी: “Zero Defect”. अगर Zero Defect नहीं है, तो हम ग्लोबल मार्केट में archive नहीं कर सकते। उसी प्रकार से दुनिया environment conscious है। बहुत बड़ी हमारी जिम्मेदारी है तो “Zero Defect, Zero Effect”. हम वो manufacturing करेंगे environment पर effect न करे। हम वो manufacturing करेंगे जो zero defect हो और दुनिया भर के अंदर जिसकी मांग हो - उस काम के लिए हम आगे बढ़े।

मेरी आप सबको बहुतबहुत शुभकामनाएं। पूरे दिनभर इस का मंथन - पहली बार प्रयोग हुआ है। इसको हम और आगे बढ़ाने वाले हैं। सेक्टेर स्पेसिफिक तक जाने वाले हैं। मैं चाहता हूं कि आपके सुझाव हम सब मिलकर के देश को आगे बढ़ाने में काम आएंगे।

बहुत-बहुत धन्यनवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इसी हफ्ते 2015 में हम प्रवेश करेंगे। मेरी आप सबको नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।

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झारखंड की प्रगति के लिए केंद्र ने निवेश बढ़ाया और विकास कार्यों की रफ्तार तेज की: टाटानगर में पीएम मोदी
September 15, 2024
Flags off Six Vande Bharat trains enhancing connectivity
Distributes sanction letters to 32,000 Pradhan Mantri Awas Yojana-Gramin (PMAY-G) beneficiaries and releases first installment of assistance of Rs 32 crore
Participates in Griha Pravesh celebrations of 46,000 beneficiaries
“Jharkhand has the potential to become the most prosperous state of India, Our government is committed to developed Jharkhand and developed India”
“Mantra of 'Sabka Saath, Sabka Vikas' has changed the thinking and priorities of the country”
“Expansion of rail connectivity in eastern India will boost the economy of the entire region”
“PM Janman Yojana is being run for tribal brothers and sisters across the country”

झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष गंगवार जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, अन्नपूर्णा देवी जी, संजय सेठ जी, सांसद विद्युत महतो जी, राज्य सरकार के मंत्री इरफ़ान अंसारी जी, झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी जी, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष सुदेश महतो जी, विधायक गण, अन्य महानुभाव,भाइयों और बहनों।

मैं बाबा वैद्यनाथ और बाबा बासुकीनाथ के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं भगवान बिरसा मुंडा की वीर भूमि को भी नमन करता हूं। आज बहुत ही मंगल दिन है। इस समय झारखंड में प्रकृति पूजा के पर्व कर्मा की उमंग है। आज सुबह जब में रांची एयरपोर्ट पर पहुंचा तो एक बहन ने कर्मा पर्व के प्रतीक इस जावा से मेरा स्वागत किया। इस पर्व में बहनें अपने भाई की कुशलता की कामना करती हैं। मैं झारखंड के लोगों को कर्मा पर्व की बधाई देता हूं। आज इस शुभ दिन झारखंड को विकास का नया आशीर्वाद मिला है। 6 नई वंदेभारत ट्रेनें, साढ़े 6 सौ करोड़ से ज्यादा की रेलवे परियोजनाएं, कनेक्टिविटी और यात्रा सुविधाओं का विस्तार और इस सबके साथ-सा झारखंड के हजारों लोगों को पीएम-आवास योजना के तहत अपना पक्का घर..... मैं झारखंड की जनता जनार्दन को इन सभी विकास कार्यों के लिए बधाई देता हूँ। इन वंदेभारत ट्रेनों से जो और राज्य भी जुड़ रही हैं, मैं उन सभी को भी बधाई देता हूँ।

साथियों,

एक समय था जब आधुनिक सुविधाएं, आधुनिक विकास देश के केवल कुछ शहरों तक सीमित रहता था। झारखंड जैसे राज्य, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और विकास के मामले में पीछे छूट गए थे। लेकिन,‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र ने देश की सोच और प्राथमिकताओं को बदल दिया है। अब देश की प्राथमिकता देश का गरीब है। अब देश की प्राथमिकता देश का आदिवासी है। अब देश की प्राथमिकता देश का दलित, वंचित और पिछड़ा समाज है। अब देश की प्राथमिकता महिलाएं हैं,युवा हैं,किसान हैं। इसीलिए, आज दूसरे राज्यों की तरह ही झारखंड को वंदेभारत जैसी हाइटेक ट्रेनें मिल रही हैं, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर मिल रहा है।

साथियों,

आज तेज विकास के लिए हर राज्य, हर शहर वंदेभारत जैसी हाइस्पीड ट्रेन चाहता है। अभी कुछ ही दिन पहले मैंने उत्तर और दक्षिण के राज्यों के लिए 3 नई वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई थी। और आज, टाटानगर से पटना, टाटानगर से ओडिशा के ब्रह्मपुर, ⁠⁠राउरकेला से टाटानगर होते हुए हावड़ा, भागलपुर से दुमका होते हुए हावड़ा, देवघर से गया होते हुए वाराणसी, और ⁠गया से कोडरमा-पारसनाथ-धनबाद होते हुए हावड़ा के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस की सेवाएं शुरू हुई है। और अभी जब मंच पर आवास वितरण का कार्यक्रम चल रहा था, उसी समय मैंने झंडी दिखाकर के इन सभी वंदे भारत ट्रेनों को विदाई भी दे दी और वो अपने गंतव्य स्थान पर चल पड़ी हैं। पूर्वी भारत में रेल कनेक्टिविटी के विस्तार से इस पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इन ट्रेनों से कारोबारियों, छात्रों को बहुत लाभ होगा। इससे यहां आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी तेज होंगी। आप सभी जानते हैं...आज देश और दुनिया से लाखों की संख्या में श्रद्धालु काशी आते हैं। काशी से देवघर के लिए वन्देभारत ट्रेनों की सुविधा होगी, तो उनमें से बड़ी संख्या में लोग बाबा वैद्यनाथ के भी दर्शन करने जाएंगे। इससे यहाँ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। टाटानगर तो देश का इतना बड़ा औद्योगिक केंद्र है। यातायात की अच्छी सुविधा यहाँ के औद्योगिक विकास को और गति देगी। पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा मिलने से झारखंड के युवाओ के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

साथियों,

तेज विकास के लिए आधुनिक रेल इनफ्रास्ट्रक्चर उतना ही जरूरी है। इसीलिए, आज यहां कई नए प्रोजेक्ट्स भी शुरू किए गए हैं। मधुपुर बाईपास लाइन की आधारशिला रखी गई है। इसके तैयार होने के बाद हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन पर ट्रेनों को रोकने की जरूरत नहीं होगी। बाईपास लाइन शुरू होने से गिरिडीह और जसीडीह के बीच यात्रा का भी समय कम हो जाएगा। आज हजारीबाग टाउन कोचिंग डिपो की भी आधारशिला रखी गई है। इससे कई नई ट्रेन सेवाओं को शुरू करने में सुविधा होगी। कुरकुरा से कनारोआं तक रेल लाइन का दोहरीकरण होने से झारखंड में रेल कनेक्टिविटी और मजबूत हुई है। इस सेक्शन के दोहरीकरण का काम पूरा होने से अब स्टील उद्योग से जुड़े माल की ढुलाई और आसान हो जाएगी।

साथियों,

झारखंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने राज्य में निवेश भी बढ़ाया है, और काम की गति भी तेज की गई है। इस साल झारखंड में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट दिया गया है। अगर हम इसकी तुलना 10 साल पहले मिलने वाले बजट से करें, तो ये 16 गुना ज्यादा है। रेल बजट बढ़ने का असर आप लोग देख रहे हैं, आज राज्य में नई रेल लाइंस बिछाने, उनके दोहरीकरण करने, और स्टेशनों पर आधुनिक सुविधाएं बढ़ाने का काम तेजी से हो रहा है। आज झारखंड भी उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां रेलवे नेटवर्क का 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत झारखंड के 50 से अधिक रेलवे स्टेशनों का भी कायाकल्प किया जा रहा है।

साथियों,

आज यहां झारखंड के हजारों लाभार्थियों का पक्का घर बनाने के लिए, पहली किश्त जारी की गई है। पीएम आवास योजना के तहत हजारों लोगों को पक्का घर भी बनाकर दिया गया है। घर के साथ साथ उन्हें शौचालय, पानी, बिजली, गैस कनेक्शन की सुविधाएं भी दी गई है। हमें याद रखना है...जब एक परिवार को अपना घर मिलता है, तो उसका आत्मसम्मान बढ़ जाता है...वो अपना वर्तमान सुधारने के साथ ही बेहतर भविष्य के बारे में सोचने लगता है। उसे लगता है कि कुछ भी संकट हो तो भी उसके पास एक अपना घर तो रहेगा ही। और इससे झारखंड के लोगों को सिर्फ पक्के घर ही नहीं मिल रहे...पीएम आवास योजना से गांवों को और शहरों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी तैयार हो रहे हैं।

साथियों,

2014 के बाद से देश के गरीब, दलित, वंचित और आदिवासी परिवारों को सशक्त बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। झारखंड समेत देशभर के आदिवासी भाई-बहनों के लिए पीएम जनमन योजना चलाई जा रही है। इस योजना के माध्यम से उन जनजातियों तक पहुंचने की कोशिश हो रही है, जो बहुत पिछड़े हैं। ऐसे परिवारों को घर, सड़क, बिजली-पानी और शिक्षा देने के लिए अधिकारी खुद उन तक पहुंचते हैं। ये प्रयास विकसित झारखंड के हमारे संकल्पों का हिस्सा है। मुझे विश्वास है, आप सबके आशीर्वाद से ये संकल्प जरूर पूरे होंगे, हम झारखंड के सपनों को साकार करेंगे। इस कार्यक्रम के बाद मैं एक और विशाल जनसभा में भी जा रहा हूँ। 5-10 मिनट में ही मैं वहां पहुंच जाऊंगा। वहाँ बहुत बड़ी संख्या में लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। वहाँ मैं विस्तार से झारखंड से जुड़े दूसरे विषयों पर भी बात करूंगा। लेकिन मैं झारखंडवासियों की क्षमा भी मांगता हूं क्योंकि मैं रांची तो पहुंच गया लेकिन प्रकृति ने मेरा साथ नहीं दिया और इसलिए यहां से हेलिकॉप्टर निकल नहीं पा रहा है। वहां पहुंच नहीं पा रहा है और इसके कारण मैं वीडियो कान्फ्रेंस से इन सारे कार्यक्रमों का आज उद्धघाटन और लोकार्पण कर रहा हूं। और अभी सार्वजनिक सभा में भी मैं सबसे वीडियो कान्फ्रेंस जी भरकर के बहुत सी बातें करने वाला हूं। मैं फिर एक बार आप सभी यहाँ आए, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। नमस्कार।