“देश, वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में इस वर्ष के बजट को एक शुभ शुरुआत के रूप में देख रहा है”
“इस वर्ष का बजट महिलाओं के नेतृत्व में विकास के प्रयासों को नई गति देगा”
“महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के परिणाम स्पष्ट नजर आते हैं और हम देश के सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन का अनुभव कर रहे हैं”
“विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी और गणित में लड़कियों का नामांकन आज 43 प्रतिशत है, जो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों से अधिक है”
“पीएम आवास ने घरों के आर्थिक निर्णयों में महिलाओं को नई आवाज दी है”
“पिछले नौ वर्षों में सात करोड़ से भी अधिक महिलाएं स्व-सहायता समूहों में शामिल हुई हैं”
“भारत महिलाओं के लिए सम्मान का दर्जा और समानता की भावना बढ़ाकर ही आगे बढ़ सकता है”
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा महिला दिवस पर लिखे गए आलेख का उद्धरण देते हुए सम्बोधन का समापन किया

नमस्कार!

हम सभी के लिए ये खुशी की बात है कि इस वर्ष के बजट को देश ने 2047 तक, विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की पूर्ति के एक शुभारंभ के रूप में देखा है। बजट को भावी अमृतकाल की दृष्टि से देखा और परखा गया है। ये देश के लिए शुभ संकेत है कि देश के नागरिक भी अगले 25 वर्षों को, इन्हीं लक्ष्यों से जोड़कर देख रहे हैं।

साथियों,

बीते 9 वर्षों में देश Women Led Development के विज़न को लेकर आगे बढ़ा है। भारत ने अपने बीते वर्षों के अनुभव को देखते हुए, Women Development से Women Led Development के प्रयासों को वैश्विक मंच पर भी ले जाने का प्रयास किया है। इस बार भारत की अध्यक्षता में हो रही G20 की बैठकों में भी ये विषय प्रमुखता से छाया हुआ है। इस वर्ष का बजट भी Women Led Development के इन प्रयासों को नई गति देगा, और इसमें आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है। मैं इस बजट वेबिनार में आप सभी का स्वागत करता हूं।

साथियों,

नारीशक्ति की संकल्पशक्ति, इच्छाशक्ति, उनकी कल्पना शक्ति, उनकी निर्णय शक्ति, त्वरित फैसले लेने का उनका सामर्थ्य निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी तपस्या, उनके परिश्रम की पराकाष्ठा, ये हमारी मातृशक्ति की पहचान है, ये एक प्रतिबिंब हैं। जब हम Women Led Development कहते हैं तब उसका आधार यही शक्तियां हैं। मां भारती का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने में, नारीशक्ति का ये सामर्थ्य भारत की अनमोल शक्ति है। यही शक्तिसमूह इस शताब्दी में भारत के स्केल और स्पीड को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है।

साथियों,

आज हम भारत के सामाजिक जीवन में बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन महसूस कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जिस प्रकार Women Empowerment के लिए काम किया है, आज उसके परिणाम नजर आने लगे हैं। आज हम देख रहे हैं कि भारत में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। पिछले 9-10 वर्षों में हाइस्कूल या उसके आगे की पढ़ाई करने वाली लड़कियों की संख्या तीन गुना बढ़ी है। भारत में साइन्स, टेक्नालजी, इंजीन्यरिंग और मैथ्स में लड़कियों का enrolment आज 43 परसेंट तक पहुंच चुका है, और ये समृद्ध देश, विकसित देश अमेरिका हो, यूके हो, जर्मनी हो इन सबसे भी ज्यादा है। इसी तरह, मेडिकल फील्ड हो या खेल का मैदान हो, बिज़नस हो या पॉलिटिक्ल एक्टिविटी हो, भारत में महिलाओं की केवल भागीदारी नहीं बढ़ी है, बल्कि वो हर क्षेत्र में आगे आकर नेतृत्व कर रहीं हैं। आज भारत में ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें महिलाशक्ति का सामर्थ्य नजर आता है। जिन करोड़ों लोगों को मुद्रा लोन दिये गए, उनमें से करीब 70 प्रतिशत लाभार्थी देश की महिलाएं हैं। ये करोड़ों महिलाएं अपने परिवार की आय ही नहीं बढ़ा रही हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था के नए आयाम भी खोल रही हैं। पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से बिना गारंटी आर्थिक मदद देना हो, पशुपालन को बढ़ावा देना हो, फिशरीज को बढ़ावा देना हो, ग्रामोद्योग को बढ़ावा देना हो, FPO's हों, खेल-कूद-स्पोर्ट्स हो, इन सभी को जो प्रात्साहन दिया जा रहा है, उसका सर्वाधिक लाभ और अच्छे से अच्छे परिणाम महिलाओं के द्वारा आ रहे हैं। देश की आधी आबादी के सामर्थ्य से हम देश को कैसे आगे ले जाएं, हम नारीशक्ति के सामर्थ्य को कैसे बढ़ाएं, इसका प्रतिबिंब इस बजट में भी नजर आता है। महिला सम्मान सेविंग सर्टिफिकेट स्कीम, इसके तहत महिलाओं को 7.5 परसेंट इंटरेस्ट रेट दिया जाएगा। इस बार के बजट में पीएम आवास योजना के लिए करीब 80 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। ये राशि, देश की लाखों महिलाओं के लिए घर बनाने में काम आएगी। भारत में बीते वर्षों में पीएम आवास योजना के जो 3 करोड़ से अधिक घर बने हैं, उनमें से अधिकांश महिलाओं के ही नाम हैं। आप कल्पना कर सकते हैं वो भी एक जमाना था जब महिलाओं के लिए न तो कभी खेत उनके नाम होते थे, न खलिहान उनके नाम होते थे,ना दुकान होती थी, ना घर होते थे। आज इस व्यवस्था से उन्हें कितना बड़ा सपोर्ट मिला है। पीएम आवास ने महिलाओं को घर के आर्थिक फैसलों में एक नई आवाज दी है।

साथियों,

इस बार के बजट में नए यूनिकॉर्न्स बनाने के लिए, अब हम स्टार्टअप की दुनिया में तो यूनिकार्न सुनते हैं लेकिन क्या सेल्फ हेलप ग्रुप में भी ये संभव है क्या? ये बजट उस सपने को पूरा करने के लिए सपोर्ट करने वाली घोषणा लेकर के आया है। देश के इस विज़न में कितना स्कोप है, ये आप बीते वर्षों की ग्रोथ स्टोरी में देख सकते हैं। आज देश में पाँच में से एक नॉन-फ़ार्म बिज़नस महिलाएं संभाल रहीं हैं। बीते 9 वर्षों में सात करोड़ से ज्यादा महिलाएं सेल्फ़ हेल्प ग्रुप्स में शामिल हुईं हैं, और वो अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहीं हैं। ये करोड़ों महिलाएं कितना वैल्यू creation कर रहीं हैं, और इसका अंदाजा आप इनकी कैपिटल requirement से भी लगा सकते हैं। 9 वर्षों में इन सेल्फ़ हेल्प ग्रुप्स ने सवा 6 लाख करोड़ रुपए का लोन लिया है। ये महिलाएं केवल छोटी entrepreneur ही नहीं हैं, बल्कि ये ग्राउंड पर सक्षम रिसोर्स पर्सन्स का काम भी कर रहीं हैं। बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी के रूप में ये महिलाएं गाँव में विकास के नए आयाम बना रही हैं।

साथियों,

सहकारिता क्षेत्र, उसमें भी महिलाओं की हमेशा बड़ी भूमिका रही है। आज कॉपरेटिव सेक्टर में आमूलचूल बदलाव हो रहा है। आने वाले वर्षो में 2 लाख से ज्यादा मल्टी-पर्पस कॉपरेटिव, डेयरी कॉपरेटिव और फिशरीज कॉपरेटिव बनाये जाने वाले हैं। 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग से, प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें महिला किसानों और producer ग्रुप्स की बड़ी भूमिका हो सकती है। इस समय देश ही नहीं, पूरी दुनिया में मिलेट्स यानी श्रीअन्न को लेकर जागरूकता आ रही है। उनकी डिमांड बढ़ रही है। ये भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। इसमें महिला सेल्फ़ हेल्प ग्रुप्स की भूमिका को और बढ़ाने के लिए आपको काम करना होगा। आपको एक और बात याद रखनी है। हमारे देश में 1 करोड़ आदिवासी महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप्स में काम करती हैं। उनके पास ट्राइबल क्षेत्रों में उगाए जाने वाले श्रीअन्न का पारंपरिक अनुभव हैं। हमें श्रीअन्न की मार्केटिंग से लेकर इनसे बने processed foods से जुड़े अवसरों को टैप करना होगा। कई जगहों पर माइनर फारेस्ट produce को प्रोसेस करके मार्केट तक लाने में सरकारी संस्थाएं सहायता कर रही है। आज ऐसे कितने सारे self हेल्प ग्रुप, रिमोट इलाको में बने है, हमें इसे और व्यापक स्तर पर लेकर जाना चाहिए।

साथियों,

ऐसे तमाम प्रयासों में युवाओं के, बेटियों के स्किल डेव्लपमेंट की बहुत बड़ी भूमिका होगी। इसमें विश्वकर्मा योजना एक बड़े ब्रिज का काम करेगी। हमें विश्वकर्मा योजना में महिलाओं के लिए विशेष अवसरों को पहचानकर उन्हें आगे बढ़ाना होगा। GEM पोर्टल और e-कॉमर्स भी महिलाओं के व्यवसाय को विस्तार देने का बड़ा माध्यम बन रहे हैं। आज नई टेक्नोलोजी का फायदा हर सेक्टर ले रहा है। हमें सेल्फ़ हेल्प ग्रुप्स को दी जाने वाले ट्रेनिंग में ज्यादा से ज्यादा नई टेक्नोलोजी के प्रयोग पर बल देना चाहिए।

साथियों,

देश आज 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। जब हमारी बेटियां सेना में जाकर देश की सुरक्षा करती दिखाई देती हैं, राफेल उड़ाती दिखाई देती हैं, तो उनसे जुड़ी सोच भी बदलती है। जब महिलाएं entrepreneurs बनतीं हैं, फैसले लेती हैं, रिस्क लेती होती हैं, तो उनसे जुड़ी सोच भी बदलती है। अभी कुछ दिन पहले ही नागालैंड में पहली बार दो महिलाएं विधायक बनी हैं। उनमें से एक को मंत्री भी बनाया गया है। महिलाओं का सम्मान बढ़ाकर, समानता का भाव बढ़ाकर ही भारत तेजी से आगे बढ़ सकता है। मैं आप सभी से आह्वान करूंगा। आप सभी, महिलाओं-बहनों-बेटियों के सामने आने वाली हर रुकावट को दूर करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ें।

साथियों,

8 मार्च को महिला दिवस राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी ने महिला सशक्तिकरण उस पर एक बहुत ही भावुक आर्टिकल लिखा है। इस लेख का अंत राष्ट्रपति मुर्मू जी ने जिस भावना से किया है वो सभी को समझनी चाहिए। मैं इस लेख से उन्हीं को Quote कर रहा हूं। उन्होंने कहा है - ''हम सबकी, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की ये जिम्मेदारी है कि इस प्रगति को तेज गति प्रदान की जाए। इसलिए आज मैं आप सबसे, प्रत्येक व्यक्ति से, अपने परिवार, आस-पड़ोस अथवा कार्यस्थल में एक बदलाव लाने के लिए स्वयं को समर्पित करने का आग्रह करना चाहती हूं। ऐसा कोई भी बदलाव, जो किसी बच्ची के चेहरे पर मुस्कान बिखेरे, ऐसा बदलाव, जो उसके लिए जीवन में आगे बढ़ने के अवसरों में वृद्धि करे। आपसे मेरा ये अनुरोध, हृदय की गहराइयों से निकला है।'' मैं राष्ट्रपति जी के इन्हीं शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं। आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएँ देता हूं। बहुत बहुत धन्यवाद!

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