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एम्स, गुवाहाटी और तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्र को समर्पित किया
'आपके द्वार आयुष्मान' अभियान की शुरुआत की
असम उन्नत स्वास्थ्य देखभाल नवाचार संस्थान की आधारशिला रखी
"पिछले नौ वर्षों में पूर्वोत्तर में सामाजिक अवसंरचना में बहुत सुधार हुए हैं"
"हम 'सेवा भाव' के साथ लोगों के लिए काम करते हैं"
“पूर्वोत्तर के विकास के माध्यम से भारत का विकास के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं”
"हमारी सरकारों में नीति, नीयत और निष्ठा किसी स्वार्थ से नहीं बल्कि- राष्ट्र प्रथम, देशवासी प्रथम की भावना से तय होती है"
“जब वंशवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार और अस्थिरता की राजनीति हावी होने लगती है, तो विकास असंभव हो जाता है”
“हमारी सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं से महिलाओं के स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिला है”
“हमारी सरकार 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र का आधुनिकीकरण कर रही है”
"भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में बदलाव का सबसे बड़ा आधार है, सबका प्रयास"

असम के गवर्नर श्रीमान गुलाब चंद कटारिया जी, मुख्यमंत्री श्रीमान हेमंता बिसवा सरमा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, देश के आरोग्य मंत्री मनसुख मांडविया जी, डॉक्टर भारती पवार जी, असम सरकार के मंत्री केशब महंता जी, यहां उपस्थित मेडिकल जगत के सभी महानुभाव, अन्य महानुभाव, अलग-अलग स्थानों पर video conference से जुड़े हुए सभी महानुभाव और असम के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

मां कामाख्यार,ए पोबिट्रॉ भूमीर पोरा ऑहोमोर होमूह,भाट्रि भॉग्निलोइ, मोर प्रोनाम, आप सभी को रोंगाली बीहू की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! इस पावन अवसर पर असम के, नॉर्थ ईस्ट के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को, आज एक नई ताकत मिली है। आज नॉर्थ ईस्ट को अपना पहला AIIMS मिला है। और असम को 3 नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं। IIT गुवाहाटी के साथ मिलकर आधुनिक रिसर्च के लिए 500 बेड वाले सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का भी शिलान्यास हुआ है। और असम के लाखों-लाख साथियों तक आयुष्मान कार्ड पहुंचाने का काम मिशन मोड पर शुरु हुआ है। नए एम्स से असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, मिज़ोरम और मणिपुर के साथियों को भी इसका बहुत लाभ मिलने वाला है। आरोग्य के इन सारे प्रोजेक्ट्स के लिए आप सभी को, नॉर्थ ईस्ट के सभी मेरे भाईयों बहनों को बहुत-बहुत बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

भाइयों और बहनों,

पिछले 9 वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बहुत चर्चा हुई है। आज जो भी नॉर्थ ईस्ट आता है, तो यहां के रोड, रेल, एयरपोर्ट्स से जुड़े कार्यों को देखकर प्रशंसा किए बिना रह नहीं सकता है। लेकिन नॉर्थ ईस्ट में एक और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत तेजी से काम हुआ है, और वो है- सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर। यहां शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं का जो विस्तार हुआ है, वो वाकई दोस्तों अभूतपूर्व है। पिछले वर्ष जब मैं डिब्रूगढ़ आया था, तो असम के अनेक जिलों में मुझे एक साथ कई अस्पतालों का शिलान्यास और उद्घाटन करने का अवसर मिला था। आज एम्स और 3 मेडिकल कॉलेज आपको सौंपने का मुझे सौभाग्य मिला है। बीते वर्षों में असम में डेंटल कॉलेजों की सुविधा का भी विस्तार हुआ है। इन सभी को नॉर्थ ईस्ट में लगातार बेहतर होती रेल-रोड कनेक्टिविटी से भी मदद मिल रही है। विशेषरूप से, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जो समस्या आती थीं, वो अब दूर हुई है। इससे माता और बच्चे के जीवन पर संकट बहुत कम हुआ है।

आजकल एक नई बीमारी देखने को मिल रही है, मैं देश में कही भी जाता हु, उत्तर में ,दक्षिण में, नॉर्थ ईस्ट में, पिछले 9 वर्षों में हुए विकास की चर्चा करता हूं, तो कुछ लोगों को बहुत परेशानी हो जाती है। ये नई बीमारी है, वो शिकायत करते हैं कि दशकों तक उन्होंने भी देश पर राज किया है, उन्हें क्रेडिट क्यों नहीं मिलता? क्रेडिट के भूखे लोगों और जनता पर राज करने की भावना ने देश का बहुत अहित किया है। अरे जनता तो जनार्दन का रूप होती है, ईश्वर का रूप होती है। पहले वाले क्रेडिट के भूखे थे, इसलिए नॉर्थ ईस्ट उन्हें दूर लगता था, एक पराएपन का भाव उन्होंने पैदा कर दिया था। हम तो सेवा भाव से, आपके सेवक होने की भावना से, समर्पण भाव से आपकी सेवा करते रहते हैं, इसलिए नॉर्थ ईस्ट हमें दूर भी नहीं लगता और अपनेपन का भाव भी कभी भी कम नहीं होता है।

मुझे खुशी है कि आज नॉर्थ ईस्ट में लोगों ने विकास की बागडोर आगे बढ़कर खुद संभाल ली है। वो नॉर्थ ईस्ट के विकास से, भारत के विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। विकास के इस नए आंदोलन में, केंद्र सरकार एक दोस्त बनकर, एक सेवक बनकर, एक साथी बनकर, सभी राज्यों के साथ काम कर रही है। आज का ये आयोजन भी इसी का एक जीता जागता उदाहरण है।

साथियों,

दशकों तक हमारा पूर्वोत्तर कई औऱ चुनौतियों से जूझता रहा है। जब किसी सेक्टर में परिवारवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार और अस्थिरता की राजनीति हावी होती है, तब विकास होना असंभव हो जाता है। और यही हमारे हेल्थकेयर सिस्टम के साथ हुआ। दिल्ली में जो एम्स है, वो 50 के दशक में बना था। देश के कोने-कोने से लोग आकर दिल्ली एम्स में इलाज कराते थे। लेकिन दशकों तक किसी ने ये नहीं सोचा कि देश के दूसरे हिस्सों में भी एम्स खोलने चाहिए। अटल जी की जब सरकार थी तो उन्होंने पहली बार इसके लिए प्रयास शुरू किए थे। लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद फिर सब ठप्प का ठप्प पड़ गया। जो एम्स खोले भी गए, वहां व्यवस्थाएं खस्ताहाल ही रहीं। 2014 के बाद हमने इन सारी कमियों को दूर किया। हमने बीते वर्षों में 15 नए एम्स पर काम शुरु किया, पन्द्रह। इनमें से अधिकतर में इलाज और पढ़ाई दोनों सुविधा शुरु हो चुकी है। एम्स गुवाहाटी भी इस बात का उदाहरण है कि हमारी सरकार, जो संकल्प लेती है, उसे सिद्ध करके भी दिखाती है। ये असम की जनता का प्यार है जो मुझे बार बार यहाँ खींच के ले आता है, शिलान्यास के समय भी आपके प्यार ने मुझे यहां बुला लिया और आज लोकार्पण के समय भी आपका प्यार बढ़ चढ़कर के और वो भी बिहू के पवित्र समय यहां मुझे आने का अवसर मिला गयाI ये आपका प्यार ही है।

साथियों,

पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से हमारे यहां डॉक्टरों और दूसरे मेडिकल प्रोफेशनल्स की बहुत कमी रही है। ये कमी, भारत में क्वालिटी हेल्थ सर्विस के सामने बहुत बड़ी दीवार थी। इसलिए बीते 9 वर्षों में हमारी सरकार ने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल प्रोफेशनल बढ़ाने पर बड़े स्तर पर काम किया है। 2014 से पहले 10 सालों में करीब डेढ़ सौ मेडिकल कॉलेज ही बने थे। पिछले 9 वर्षों में हमारी सरकार में करीब 300 नए मेडिकल कॉलेज बने हैं। पिछले 9 वर्षों में, देश में MBBS सीटें भी दोगुनी बढ़कर 1 लाख से अधिक हो चुकी हैं। पिछले 9 वर्षों में, देश में मेडिकल की पीजी सीटों में भी 110 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हमने मेडिकल शिक्षा के विस्तार के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन की स्थापना की है। पिछड़े परिवारों को, backward family के बच्चे डॉक्टर बन सकें, इसके लिए हमने आरक्षण की सुविधा का भी विस्तार किया है। दूर-दराज वाले क्षेत्रों के बच्चे भी डॉक्टर बन सकें, इसलिए हमने पहली बार भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प दिया है। इस वर्ष के बजट में डेढ़ सौ से अधिक नर्सिंग कॉलेज खोलने का ऐलान भी किया गया है। अगर मैं नॉर्थ ईस्ट की बात करूं तो यहां भी बीते 9 वर्षों में मेडिकल कॉलेज की संख्या दोगुने से अधिक हो चुकी है। अभी अनेक मेडिकल कॉलेजों पर काम चल रहा है, कई नए मेडिकल कॉलेज यहां बनने जा रहे हैं। बीते 9 वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में मेडिकल की सीटों की संख्या भी बढ़कर पहले के मुकाबले दोगुनी हो चुकी है।

भाइयों और बहनों,

आज भारत में हेल्थ सेक्टर में इतना काम इसलिए हो रहा है क्योंकि आप सभी देशवासियों ने 2014 में एक स्थिर और मजबूत सरकार बनाई। भाजपा की सरकारों में नीति, नीयत और निष्ठा किसी स्वार्थ से नहीं बल्कि- राष्ट्र प्रथम, देशवासी प्रथम इसी भावना से हमारी नीतियां तय होती हैं। इसलिए हमने वोटबैंक के बजाय देश की जनता की मुश्किलों को कम करने पर फोकस किया। हमने लक्ष्य बनाया कि हमारी बहनों को इलाज के लिए दूर ना जाना पड़े। हमने तय किया कि किसी गरीब को, पैसे के अभाव में अपना इलाज ना टालना पड़े। हमने प्रयास किया कि हमारे गरीब परिवारों को भी घर के पास ही बेहतर इलाज मिले।

साथियों,

मैं जानता हूं कि इलाज के लिए पैसे ना होना, गरीब की कितनी बड़ी चिंता होती है। इसीलिए हमारी सरकार ने 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान योजना शुरू की। मैं जानता हूं कि महंगी दवाइयों से गरीब और मध्यम वर्ग कितना परेशान होता है। इसलिए हमारी सरकार ने 9 हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्र खोले, इन केंद्रों पर सैकड़ों दवाइयां सस्ते में उपलब्ध कराईं। मैं जानता हूं हार्ट के ऑपरेशन में, घुटने के ऑपरेशन में गरीब और मध्यम वर्ग का कितना ज्यादा खर्च हो रहा था। इसलिए हमारी सरकार ने स्टेंट की कीमतों को नियंत्रित किया, Knee-Implant की कीमतों को नियंत्रित किया। मैं जानता हूं कि जब गरीब को डायलिसिस की जरूरत होती है तो वो कितना परेशान होता है। इसलिए हमारी सरकार ने हर जिले में मुफ्त डायलिसिस वाली योजना शुरू की, लाखों लोगों को इसका फायदा पहुंचाया। मैं जानता हूं गंभीर बीमारी का समय से पता लगना कितना जरूरी है। इसलिए हमारी सरकार ने देश भर में डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोले हैं, वहां जरूरी टेस्ट की सुविधा दी है। मैं जानता हूं कि टीबी की बीमारी कितने दशकों से गरीबों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसलिए हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान शुरु किया है। हमने बाकी दुनिया से 5 वर्ष पहले ही देश को टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। मैं जानता हूं कि बीमारी किस तरह गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार को बर्बाद कर देती है। इसलिए हमारी सरकार ने प्रिवेंटिव हेल्थ केयर पर फोकस किया, बीमारी हो ही नहीं, बीमारी आए ही नहीं, इस पर फोकस किया। योग-आयुर्वेद, फिट इंडिया अभियान चलाकर हमने लोगों को निरंतर सेहत के प्रति जागरूक किया है।

साथियों,

आज जब मैं सरकार की इन योजनाओं की सफलता देखता हूं, तो खुद को धन्य मानता हूं कि मैं गरीब की इतनी सेवा करने का परमात्मा ने और जनता जनार्दन ने मुझे आशीर्वाद दिया। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना आज देश के करोड़ों गरीबों का बहुत बड़ा संबल बनी है। बीते वर्षों में आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के 80 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं। जन-औषधि केंद्रों की वजह से गरीब और मध्यम वर्ग के 20 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं। स्टेंट और Knee-Implant की कीमत कम होने से गरीब और मध्यम वर्ग के हर साल 13 हजार करोड़ रुपए बच रहे हैं। मुफ्त डायलिसिस की सुविधा से भी किडनी के गरीब मरीजों के 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने से बचे हैं। आज यहां असम के करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा नागरिकों को आयुष्मान भारत कार्ड देने का अभियान भी शुरु हुआ है। इस अभियान से असम के लोगों को बहुत बड़ी मदद मिलने वाली है, उनके पैसे बचने वाले हैं।

साथियों,

मैं अक्सर देश के कोने-कोने में हमारी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से मुलाकात करता रहता हूं। इसमें बहुत बड़ी संख्या में हमारी माताएं-बहनें, हमारे देश के बेटें-बेटियां, हमारी महिलाएं शामिल होती हैं। वो मुझे बताती हैं कि पहले की सरकारों में और अब भाजपा सरकार के समय में स्वास्थ्य सुविधाओं में कितना बड़ा फर्क आया है। आप और हम ये जानते हैं कि जब स्वास्थ्य की बात होती है, इलाज की बात होती है, तो हमारे यहां महिलाएं अक्सर पीछे रह जाती हैं। हमारी माताओं बहनों को खुद को लगता है कि क्यों अपने इलाज पर घर का पैसा खर्च करवाएं, क्यों अपनी वजह से दूसरों को इतनी तकलीफ दें। संसाधनों की कमी की वजह से, आर्थिक तंगी की वजह से, जिन हालातों में देश की करोड़ों महिलाएं रह रही थीं, उसमें उनका स्वास्थ्य ही सबसे ज्यादा प्रभावित था।

भाजपा के नेतृत्व वाली हमारी सरकार ने जो योजनाएं शुरू कीं, उसका बहुत बड़ा लाभ हमारी माताओं – बहनों को, महिलाओं की सेहत को हुआ है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने करोड़ों शौचालयों ने, महिलाओं को बहुत सारी बीमारियों से बचाया है। उज्जवला योजना के तहत मिले गैस, उस गैस कनेक्शन से महिलाओं को जानलेवा धुएं से मुक्ति दिलाई है। जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल आने से, करोड़ों महिलाओं का पानी से होने वाली बीमारियों से बचाव हुआ है। मिशन इंद्रधनुष ने करोड़ों महिलाओं का मुफ्त टीकाकरण करके उन्हें गंभीर बीमारी से बचाया है। आयुष्मान भारत योजना ने महिलाओं को अस्पताल में 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना ने महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आर्थिक मदद दी है। राष्ट्रीय पोषण अभियान ने महिलाओं को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने में मदद की है। जब सरकार संवेदनशील होती है, जब गरीब के प्रति सेवा की भावना होती है, तो ऐसे ही काम किया जाता है।

साथियों,

हमारी सरकार, भारत के हेल्थ सेक्टर का 21वीं सदी की आवश्यकता के मुताबिक आधुनिकीकरण भी कर रही है। आज आय़ुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन से देशवासियों को डिजिटल हेल्थ आईडी दी जा रही है। देशभर के अस्पतालों, हेल्थ प्रोफेशनल्स को, एक प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा है। इससे एक क्लिक पर ही देश के नागरिक का पूरा हेल्थ रिकॉर्ड उपलब्ध हो जाएगा। इससे अस्पतालों में इलाज की सुविधा बढ़ेगी, सही डॉक्टर तक पहुंचना सरल होगा। मुझे खुशी है कि इस योजना के तहत अभी तक लगभग 38 करोड़ डिजिटल आईडी बनाई जा चुकी हैं। इसमें 2 लाख से अधिक हेल्थ फैसिलिटी और डेढ़ लाख से अधिक हेल्थ प्रोफेशनल्स वैरिफाई हो चुके हैं। आज ई-संजीवनी भी, घर बैठे-बैठे उपचार का पसंदीदा माध्यम बनती जा रही है। इस सुविधा का लाभ देशभर के 10 करोड़ साथी ले चुके हैं। इससे समय और पैसा, दोनों की बचत सुनिश्चित हो रही है।

भाइयों और बहनों,

भारत के हेल्थकेयर सिस्टम में परिवर्तन का सबसे बड़ा आधार है- सबका प्रयास। कोरोना के इस संकटकाल में भी हमने सबका प्रयास की ताकत देखी है। दुनिया के सबसे बड़े, सबसे तेज़, सबसे प्रभावी कोविड टीकाकरण अभियान की प्रशंसा, आज दुनिया कर रही है। हमने मेड इन इंडिया वैक्सीन बनाई, उन्हें बहुत कम समय के भीतर, दूर-दूर तक पहुंचाया। इसमें आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, प्राइमरी हेल्थकेयर वर्कर से लेकर फार्मास्यूटिकल सेक्टर तक के हर साथी ने शानदार काम किया है। इतना बड़ा महायज्ञ, तभी सफल होता है, जब सबका प्रयास हो और सबका विश्वास हो। सबका प्रयास की भावना के साथ हमें आगे बढ़ना है। आइए, सबका प्रयास से स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत के मिशन को हम पूरी निष्ठा से आगे बढ़ाएं। एक बार फिर एम्स और मेडिकल कॉलेज के लिए असम के लोगों को मैं फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं और आपने जो प्यार दिखाया, इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए, आपको प्रणाम करते हुए, आपका धन्यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।

 

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जी-20 की सफलता के पीछे सामूहिकता की शक्ति : पीएम मोदी
September 22, 2023
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"आज का कार्यक्रम मजदूर एकता के बारे में है और आप और मैं दोनों मजदूर हैं"
"क्षेत्र में सामूहिक रूप से काम करने से अलग-थलग रहकर काम करने की भावना ख़त्म हो जाती है और एक टीम का निर्माण होता है"
"सामूहिक भावना में शक्ति है"
“एक सुव्यवस्थित कार्यक्रम के दूरगामी लाभ होते हैं, सीडब्ल्यूजी व्यवस्था ने निराशा की भावना पैदा की, जबकि जी20 ने देश को बड़े आयोजन के प्रति आश्वस्त किया
"मानवता के कल्याण के लिए भारत मजबूती से खड़ा है और जरूरत के समय हर जगह पहुंचता है"

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।