प्रधानमंत्री ने झारखंड, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय और अन्य राज्यों के अंतर्गत टीकाकरण के कम कवरेज वाले 40 से अधिक जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बातचीत की
सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया कि देश, वर्ष के अंत तक अपने टीकाकरण कवरेज का विस्तार करे और नए आत्मविश्वास व निश्चय के साथ नए साल में प्रवेश करे
“अब हम टीकाकरण अभियान को प्रत्येक घर तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं; 'हर घर दस्तक' के मंत्र के साथ ऐसे हर दरवाजे, हर घर पर दस्तक दें, जो वैक्सीन की दो खुराकों के सुरक्षा कवच से वंचित हैं"
"अब तक के अनुभव को ध्यान में रखते हुए सूक्ष्म रणनीति विकसित करें, स्थानीय स्तर पर कमियों को दूर करके टीकाकरण के संभावित उच्च स्तर को हासिल करें"
"आपको अपने जिलों को राष्ट्रीय औसत के करीब ले जाने की पूरी कोशिश करनी होगी"
“आप स्थानीय धर्म गुरुओं से भी मदद ले सकते हैं, मैंने पाया है कि सभी धर्मों के गुरु हमेशा से टीकाकरण के महान समर्थक रहे हैं"
"आपको उन लोगों से प्राथमिकता के आधार पर संपर्क करना होगा, जिन्होंने निर्धारित समय के बावजूद दूसरी खुराक नहीं ली है"

आप सभी साथियों ने जो बातें रखीं, जो अनुभव बताए, वो बहुत अहम हैं। मैं देख रहा हूं कि आपके भी दिल में वो ही भावना है कि भई आपका राज्‍य, आपका जिला, आपका इलाका इस संकट से जल्‍द से जल्‍द मुक्‍त हो जाए। ये दिवाली का त्‍योहार है मैं मुख्‍यमंत्रियों की व्यस्तता समझ सकता हूं। और फिर भी मैं सभी आदरणीय मुख्‍यमंत्रियों का बहुत आभारी हूं कि वे समय निकालकर हमारे साथ बैठे हैं। ये बात सही है कि मैं डिस्ट्रिक्‍ट के लोगों से बात करना चाहता था, मैं मुख्‍यमंत्रियों को परेशान करना नहीं चाहता था। लेकिन ये कमिटमेंट है, मुख्‍मंत्रियों के दिल में भी अपने राज्‍य को 100% वैक्‍सीनेशन का जो उनका लक्ष्‍य है इसीलिए वो मुख्‍यमंत्री भी आज हमारे साथ बैठे और उनकी मौजूदगी हमारे डिस्ट्रिक्‍ट के जो अधिकारी हैं, उनको एक नया विश्‍वास देगी, नई ताकत देगी। और मेरे लिए बहुत खुशी की बात है और इसलिए मै मुख्‍यम‍ंत्रियों का विशेष रूप से आभार व्‍यक्‍त करता हूं...उन्‍होंने इसको इतना महत्‍व दिया और समय निकाल करके वो आज त्‍योहारों के दिन में भी बैठे हैं।

मैं हृदय से सभी मुख्‍यमंत्रियों का धन्‍यवाद करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि आज जो बातें हुई हैं, अब मुख्‍यमंत्री जी के आशीर्वाद के बाद तो ये बहुत तेजी से आगे बढ़ जाएंगी और हमें परिणाम मिलेगा। और मैं बताता हूं कि आज तक जितनी प्रगति हमने की है वो आप सबकी मेहनत से हुई है। आज डिस्ट्रिक्‍ट का, गांव का, छोटा-मोटा हर मुलाजिम, हमारी आशा वर्कर, कितनी मेहनत की है। कितने दूर-दूर इलाकों मे पैदल चल-चल करके लोगों ने वैक्‍सीनेशन पहुंचाया है। लेकिन 1 बिलियन के बाद अगर हम थोड़े से भी ढीले पड़ गए तो नया संकट आ सकता है। और इसलिए हमारे यहां तो कहा जाता है कि बीमारी और दुश्‍मन को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। उसको आखिरी अंत तक लड़ाई लड़नी पड़ती है। और इसलिए मैं चाहूंगा कि हमें थोड़ा सा भी ढीलापन लाने नहीं देना है।       

साथियों,

100 साल की इस सबसे बड़ी महामारी में देश ने अनेक चुनौतियों का सामना किया है। कोरोना से देश की लड़ाई में एक खास बात ये भी रही कि हमने नए-नए समाधान खोजे, Innovative तरीके आजमाए। हर इलाके में लोगों ने अपने दिमाग से नई नई चीजें की हैं, आपको भी अपने-अपने जिलों में वैक्सीनेशन बढ़ाने के लिए नए-नए Innovative तरीकों पर और ज्यादा काम करना होगा। नया तरीका नया उत्साह नई तकनीक ये इसमें जान भरती रहेगी। आपको ये भी याद रखना होगा कि देश के जिन राज्यों ने शत-प्रतिशत पहली डोज़ का पड़ाव पूरा किया है, उनमें भी कई जगहों पर अलग-अलग तरह की चुनौतियां रही हैं। कहीं भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से मुश्किल हुई, तो कहीं साधनों-संसाधनों की चुनौती रही। लेकिन ये जिले, इन चुनौतियों को पार करके ही आगे निकले हैं। वैक्सीनेशन से जुड़ा कई महीने का Experience हम सबके पास है। हमने बहुत कुछ सीखा है और एक unknown enemy से कैसे लड़ा जा सकता है यह हमारी छोटे-छोटे आशा वर्कर्स ने भी सीख लिया है। अब आपको Micro-Strategy बनाते हुए आगे चलना है। अब हम राज्य का हिसाब, जिले का हिसाब उसको भूल जाएं, हम हर गाँव, गाँव में भी मोहल्ला, उसमें भी चार घर बाकी रह गए हों तो वो चार घर, बारीकी की तरफ हम जितना जाएंगे हम परिणाम प्राप्त करेंगे। और जहां कहीं भी, जो भी कमियां हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर करके ही रहना है। जैसा अभी आपसे बातचीत में भी स्पेशल कैंप लगाने की बात उठी। ये विचार अच्छा है। अपने जिलों में एक-एक गांव, एक-एक कस्बे के लिए अगर अलग-अलग रणनीति बनानी हो तो वो भी बनाइए। आप क्षेत्र के हिसाब से 20-25 लोगों की टीम बनाकर भी ऐसा कर सकते हैं। जो टीमें आपने बनाई हों, उनमें एक Healthy Competition हो, इसका भी प्रयास हम कर सकते हैं। हमारे जो NCC-NSS के युवा साथी हैं, आप उनकी भी ज्यादा से ज्यादा मदद लीजिए। आप अपने-अपने जिलों का क्षेत्रवार टाइम-टेबल भी बना सकते हैं, अपने स्थानीय लक्ष्य तय कर सकते हैं। मैं ग्रास रूट लेवल के सरकार के हमारे साथियों से बात करता रहता हूं मैंने देखा है कि महिला अधिकारी जो कि वैक्सीनेशन के काम से जुड़ी है वो बड़ी जी जान से जुट गई हैं, उन्होंने अच्छे परिणाम दिए हैं । हमारे जो सरकार में महिला वर्कर्स है, even पुलिस में भी हमारी जो महिलायें हैं, उनको कभी-कभी 5 दिन 7 दिन के लिए इस काम के लिए साथ में ले चलिए। आप देखिए परिणाम बहुत तेजी से मिलेगा। आपके जिले जल्द से जल्द राष्ट्रीय औसत के पास पहुंचे, मैं तो चाहता हूँ उससे भी आगे निकल जाए, इसके लिए आपको पूरी ताकत लगा देनी होगी। मुझे पता है कि आपके सामने एक चुनौती अफवाह और लोगों में भ्रम की स्थिति भी है। और जैसे जैसे हम आगे बढ़ेंगे शायद शायद यह समस्याएं हमें concentrated areas में सामने आएंगी। अभी बातचीत के दौरान भी आपमें से कइयों ने इसका जिक्र किया है। इसका एक बड़ा समाधान है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए। आप इसमें स्थानीय धर्मगुरुओं को भी जोड़े,  उनकी  मदद लें, उनके छोटे-छोटे वीडियो बनाएं 2-2,3-3 मिनट के और उनके वीडियो पॉपुलर करें, हर घर में उन धर्मगुरुओं की वीडियो पहुंचाएं धर्मगुरु उनको समझाएं इसके लिए आप प्रयास करें। मैं तो अक्सर अलग-अलग पंथों के गुरुओं से लगातार मिलता रहता हूं। मैंने बहुत प्रारंभ में सभी धर्म गुरुओं से बात कर कर के इस काम में मदद के लिए उनको अपील की थी। सभी वैक्सीनेशन के बहुत हिमायती हैं कोई विरोध नहीं करते हैं। अभी 2 दिन पहले मेरी वेटिकन में पोप फ्रांसिस जी से भी मुलाकात हुई थी। वैक्सीन पर धर्मगुरुओं के संदेश को भी हमें जनता तक पहुंचाने पर विशेष जोर देना होगा। 

साथियों,

आपके जिलों में रहने वाले लोगों की सहायता के लिए, उन्हें प्रेरित करने के लिए, वैक्सीनेशन अभियान को अब हर घर तक ले जाने की तैयारी है। हर घर दस्तक इसी मंत्र के साथ हर उस घर में दस्तक दी जाएगी, जहां अभी तक दोनों टीके का संपूर्ण सुरक्षा कवच नहीं मिला है। अभी तक आप सभी ने लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंचाने और वहां सुरक्षित टीकाकरण के लिए प्रबंध किए। अब हर घर टीका, घर-घर टीका, इस जज्बे के साथ हम सबको हर घर पहुंचना है।

साथियों,

इस अभियान की सफलता के लिए हमें कम्यूनिकेशन के लिए टेक्नॉलॉजी से लेकर अपने सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का भरपूर उपयोग करना है। हमारे पास देश के अनेक राज्यों, अनेक जिलों में ऐसे मॉडल हैं, जो दूर-सदूर गांवों से लेकर शहरों तक शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए अपनाए गए हैं। सामाजिक या भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से जो भी मॉडल आपके लिए, या किसी क्षेत्र विशेष के लिए अनुकूल हो उसको ज़रूर अपनाना चाहिए। एक काम आप लोग और कर सकते हैं। आपके ही सहयोगियों ने, आपके ही साथियों ने अन्य जिलों में तेजी के साथ टीकाकरण किया है। संभव: है, आप जिन चुनौतियां का सामना कर रहे हैं, वैसी ही चुनौतियों से वो भी गुजरे हों। आप उनसे भी जानिए कि उन्होंने कैसे वैक्सीनेशन की गति बढ़ाई, समस्याओं का समाधान कैसे किया। कौन से नए तौर तरीके अपनाएं, उनको की गई आपकी एक फोन कॉल भी आपके जिले में बदलाव ला सकती है। अगर उन्होंने अपने जिलों में कुछ Innovative किया है, कुछ अच्छी Practice अपनाई है, तो वो आप अपने जिलों में भी दोहरा सकते हैं। जो हमारे आदिवासी, वनवासी साथी हैं, उनको वैक्सीन लगाने के लिए भी हमें अपने प्रयासों को और बढ़ाना होगा। अभी तक के हमारे अनुभव बताते हैं कि स्थानीय नेतृत्व, समाज के दूसरे सम्मानित साथियों का साथ और सहयोग एक बहुत बड़ा फैक्टर है। हमने कुछ दिन भी तय करने हैं, जैसे बिरसा मुंडा जी की अब जयंती आएगी। बिरसा मुंडा जी की जयंती से पहले पूरा आदिवासी क्षेत्र में माहौल बना दें, और एक प्रकार से बिरसा मुंडा जी को हमारी श्रद्धांजलि के रूप में इस बार हम वैक्सीन लगवाएंगे। ऐसी कुछ इमोशनल चीजें हम जोड़ें और मैं चाहूंगा कि इस आदिवासी समुदाय के संपूर्ण टीकाकरण में भी ये अप्रोच बहुत काम आएगी। टीकाकरण से जुड़े कम्यूनिकेशन को जितना हम सरल रूप में करेंगे, स्थानीय भाषा-बोलियों में करेंगे, मैंने देखा है कि कुछ लोगों ने तो गीत बनाए हैं ग्रामीण भाषा में गीत गाते गाते वैक्सीनेशन की बात कर रहें हैं। इसके बेहतर परिणाम आएंगे। 

साथियों,

हर घर पर दस्तक देते समय, पहली डोज़ के साथ-साथ आप सभी को दूसरी डोज़ पर भी उतना ही ध्यान देना होगा। क्योंकि जब भी संक्रमण के केस कम होने लगते हैं, तो कई बार Urgency वाली भावना कम हो जाती है। लोगों को लगने लगता है कि, इतनी भी क्या जल्दी है, लगा लेंगे। मुझे याद है जब हम 1 बिलियन पार कर गए तो मैं अस्पताल गया था वहां मुझे एक सज्जन मिले मैंने उनसे बात की इतने दिन क्यों नहीं लगवाई। तो कहने लगे नहीं-नहीं मैं तो पहलवान हूं तो मेरा मन करता था कि क्या जरूरत है लेकिन अब जब 1 बिलियन हो गए तो मुझे लगता है कि मैं अछूत माना जाऊंगा, लोग मुझे पूछेंगे और मेरी मुंडी नीची हो जाएगी। तो मेरा मन कर गया कि चलो अब मैं भी लगवा लूं, इसलिए वह आ गए और इसलिए मैं कहता हूं कि हमें किसी भी हालत में लोगों की सोच को धीमा नहीं होने देना है इस सोच की वजह से दुनिया के अनेक देशों में, आप देखिए अच्छे-अच्छे समृद्ध देशों में भी फिर से कोरोना की खबरें चिंता पैदा कर रही हैं। हमारे जैसे देश को तो ये जरा भी, हम इसको स्वीकार नहीं कर सकते, हम सहन नहीं कर सकेंगे । इसलिए टीके की दोनों डोज़ तय समय पर लगना बहुत ज़रूरी है। आपके क्षेत्र के जिन लोगों को अभी तक तय समय पूरा होने के बावजूद दूसरी डोज नहीं लगी है, उनसे भी आपको प्राथमिकता के आधार पर संपर्क करना होगा, उन्हें दूसरी डोज लगवानी ही होगी। 

साथियों,

सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन अभियान के तहत हम एक दिन में करीब-करीब ढाई करोड़ वैक्सीन डोज लगाकर दिखा चुके हैं, हमारी ताकत का हमने एहसास कर लिया है। ये दिखाता है कि हमारी कैपेबिलिटी क्या है, हमारा सामर्थ्य क्या है। टीके को घर-घर पहुंचाने के लिए जो भी ज़रूरी सप्लाई चेन नेटवर्क है, वो तैयार है। इस महीने कितनी वैक्सीन उपलब्ध होगी इसकी विस्तृत जानकारी भी हर राज्य को एडवांस में दी जा चुकी है। इसलिए आप अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से इस महीने के लिए अपने टारगेट्स एडवांस में प्लान कर सकते हैं। मैं फिर एक बार कहता हूँ, इस बार 1 बिलियन डोज के बाद दिवाली मनाने का उमंग आया है हम नए लक्ष्य पार करके क्रिसमस को उमंग से मनाएंगे इस मिजाज के साथ आगे बढ़ना है। 

आखिरी में, मैं आप साथियों को एक बात और याद दिलाना चाहता हूं। आप वो दिन याद कीजिए, जब आपकी सरकारी सेवा का पहला दिन था। मैं सभी डिस्ट्रिक्ट के अधिकारियों से, उनके साथ बैठी हुई टीम को मैं बड़ी हृदय से अपील करना चाहता हूं आप कल्पना कीजिए जिस दिन पहला दिन था ड्यूटी का, जिस दिन आप मसूरी से ट्रेनिंग से निकले थे आप कौन सी भावनाओं से भरे हुए थे, आप का जज्बा कौन सा था, कौन से सपने थे, मुझे पक्का विश्वास है आपके मन में यही इरादा होगा कि आप कुछ अच्छा करेंगे कुछ नया करेंगे समाज के लिए जी जान से जुटेंगे फिर एक बार उन सपनों को याद कीजिए, उन संकल्पों को याद कीजियें, और हम तय करें कि समाज में जो पीछे हैं, जो वंचित हैं, उनके लिए अपना जीवन समर्पित करने का इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता है। उसी भाव को याद करते हुए जुट जाइए। मुझे विश्वास है, आपके साझा प्रयास से, बहुत जल्द आपके जिलों में वैक्सीनेशन की स्थिति में सुधार आएगा। आइए, हर घर दस्तक, घर घर जाकर के टीका अभियान को हम सफल बनाएं। आज देश के जो लोग मुझे सुन रहे हैं। मैं आप से कहता हूं आप भी आगे आइए, आपने टीका लगवाया अच्छी बात है लेकिन आप औरों को टीका लगवाने के लिए मेहनत कीजिए तय कीजिए हर दिन 5 लोगों, 10 लोगों को 2 लोगों को इस काम से जोड़ेंगे। ये मानवता का काम है, मां भारती की सेवा का काम है, 130 करोड़ देशवासियों के कल्याण का काम है, हम कोई कोताही ना बरतें हमारी दिवाली उन संकल्पों की दिवाली बने। आजादी के 75 साल हम मनाने जा रहे हैं। यह आजादी के 75 साल खुशियों से भरे हो, आत्मविश्वास से भरे हो, एक नई उमंग और उत्साह से भरे हो, इसके लिए अब बहुत कम समय में मेहनत करना है, मेरा आप सब पर भरोसा है आप जैसी यंग टीम पर मेरा भरोसा है और इसलिए मैंने जानबूझकर विदेश से आते ही मेरे देश के इन साथियों से मिलने का विचार किया। सारे मुख्यमंत्री जी भी मौजूद रहे, इसकी गंभीरता कितनी है यह आज मुख्यमंत्रियों ने भी दिखा दिया है। मैं सभी आदरणीय मुख्यमंत्रियों का भी आभारी हूं। मैं फिर एक बार आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ। नमस्कार!

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।