"जब दूसरों की आकांक्षाएँ, अपनी आकांक्षाएँ बन जाएँ, जब दूसरों के सपनों को पूरा करना अपनी सफलता का पैमाना बन जाए, तो फिर वो कर्तव्य पथ इतिहास रचता है"
“आज आकांक्षी जिले, देश के आगे बढ़ने के अवरोध को समाप्त कर रहे हैं। वे गतिरोधक के बजाय गतिवर्धक बन रहे हैं”
"आज आज़ादी के अमृतकाल में देश का लक्ष्य है सेवाओं और सुविधाओं का शत प्रतिशत सैचुरेशन"
“डिजिटल इंडिया के रूप में देश एक साइलेंट रिवॉल्यूशन का साक्षी बन रहा है। हमारा कोई भी जिला इसमें पीछे नहीं छूटना चाहिए”

नमस्कार !

कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित देश के अलग-अलग राज्यों के सम्मानित मुख्यमंत्रीगण, लेफ्टिनेंट गवर्नर्स, केंद्रीय मंत्रीमंडल के मेरे सहयोगी, सभी साथी, राज्यों के सभी मंत्री, विभिन्न मंत्रालयों के सचिव और सैकड़ों जिलों के जिलाधिकारी, कलेक्टर-कमिश्नर, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

जीवन में अक्सर हम देखते हैं कि लोग अपनी आकांक्षाओं के लिए दिन रात परिश्रम करते हैं और कुछ मात्रा में उन्हें पूरा भी करते हैं। लेकिन जब दूसरों की आकांक्षाएँ, अपनी आकांक्षाएँ बन जाएँ, जब दूसरों के सपनों को पूरा करना अपनी सफलता का पैमाना बन जाए, तो फिर वो कर्तव्य पथ इतिहास रचता है। आज हम देश के Aspirational Districts-आकांक्षी जिलों में यही इतिहास बनते हुए देख रहे हैं। मुझे याद है, 2018 में ये अभियान शुरू हुआ था, तो मैंने कहा था कि जो इलाके दशकों से विकास से वंचित हैं, उनमें लोगों की सेवा करने का अवसर, ये अपने आप में एक बहुत बड़ा सौभाग्‍य है। मुझे ख़ुशी है कि आज जब देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो आप इस अभियान की अनेकों उपलब्धियों के साथ आज यहाँ उपस्थित हैं। मैं आप सभी को आपकी सफलता के लिए बधाई देता हूं, आपके नए लक्ष्यों के लिए शुभकामनाएं देता हूँ। मैं मुख्‍यमंत्रियों का भी और राज्‍यों का भी विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने, मैंने देखा कि अनेक जिलों में होनहार और बड़े तेज तर्रार नौजवान अफसरों को लगाया है, ये अपने आप में एक सही रणनीति है। उसी प्रकार से जहां vacancy थी उसको भरने में भी priority दी है। तीसरा मैंने देखा है कि उन्‍होंने tenure को भी stable रखा है। यानी एक प्रकार से aspirational districts में होनहार लीडरशिप, होनहार टीम देने का काम मुख्‍यमंत्रियों ने किया है। आज शनिवार है, छुट्टी का मूड होता है, उसके बावजूद भी सभी आदरणीय मुख्‍यमंत्री समय निकाल करके इसमें हमारे साथ जुड़े हैं। आप सब भी छुट्टी मनाये बिना आज इस कार्यक्रम में जुड़े हैं। ये दिखाता है कि aspirational district का राज्‍यों का मुख्‍यमंत्रियों के दिल में भी कितना महत्‍व है। वे भी अपने राज्‍य में इस प्रकार से जो पीछे रह गये हैं, उनको राज्‍य की बराबरी में लाने के लिये कितने दृढ़निश्चयी हैं, ये इस बात का सबूत है।

साथियों,

हमने देखा है कि एक तरफ बजट बढ़ता रहा, योजनाएं बनती रहीं, आंकड़ों में आर्थिक विकास भी होता दिखा, लेकिन फिर भी आजादी के 75 साल, इतनी बड़ी लंबी यात्रा के बाद भी देश में कई जिले पीछे ही रह गए। समय के साथ इन जिलों पर पिछड़े जिले का टैग लगा दिया गया। एक तरफ देश के सैकड़ों जिले प्रगति करते रहे, दूसरी तरफ ये पिछड़े जिले और पीछे होते चले गए। पूरे देश की प्रगति के आंकड़ों को भी ये जिले नीचे कर देते थे। समग्र रूप से जब परिवर्तन नजर नहीं आता है, तो जो जिले अच्छा कर रहे हैं, उनमें भी निराशा आती है और इसलिए देश ने इन पीछे रह गए जिलों की Hand Holding पर विशेष ध्यान दिया। आज Aspirational Districts, देश के आगे बढ़ने के अवरोध को समाप्त कर रहे हैं। आप सबके प्रयासों से, Aspirational Districts, आज गतिरोधक के बजाय गतिवर्धक बन रहे हैं। जो जिले पहले कभी तेज प्रगति करने वाले माने जाते थे, आज कई पैरामीटर्स में ये Aspirational Districts उन जिलों से भी अच्छा काम करके दिखा रहे हैं। आज यहां इतने माननीय मुख्यमंत्री जुड़े हुए हैं। वो भी मानेंगे कि उनके यहां के आकांक्षी जिलों ने कमाल का काम किया है।

साथियों,

Aspirational Districts इसमें विकास के इस अभियान ने हमारी जिम्मेदारियों को कई तरह से expand और redesign किया है। हमारे संविधान का जो आइडिया और संविधान का जो स्पिरिट है, उसे मूर्त स्वरूप देता है। इसका आधार है, केंद्र-राज्य और स्थानीय प्रशासन का टीम वर्क। इसकी पहचान है- फेडरल स्ट्रक्चर में सहयोग का बढ़ता कल्चर। और सबसे अहम बात, जितनी ज्यादा जन-भागीदारी, जितनी efficient monitoring उतने ही बेहतर परिणाम।

साथियों,

Aspirational Districts में विकास के लिए प्रशासन और जनता के बीच सीधा कनेक्ट, एक इमोशनल जुड़ाव बहुत जरूरी है। एक तरह से गवर्नेंस का 'टॉप टु बॉटम' और 'बॉटम टु टॉप' फ़्लो। और इस अभियान का महत्वपूर्ण पहलू है - टेक्नोलॉजी और इनोवेशन! जैसा कि हमने अभी के presentations में भी देखा, जो जिले, टेक्नोलॉजी का जितना ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, गवर्नेंस और डिलिवरी के जितने नए तरीके इनोवेट कर रहे हैं, वो उतना ही बेहतर परफ़ॉर्म कर रहे हैं। आज देश के अलग-अलग राज्यों से Aspirational Districts की कितनी ही सक्सेस स्टोरीज़ हमारे सामने हैं। मैं देख रहा था, आज मुझे पाँच ही जिला अधिकारियों से बात करने का अवसर मिला। लेकिन बाकी जो यहां बैठे हैं, मेरे सामने सैकड़ों अधिकारी बैठे हैं। हर एक के पास कोई ना कोई success story है। अब देखिए हमारे सामने असम के दरांग का, बिहार के शेखपुरा का, तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडम का उदाहरण है। इन जिलों ने देखते ही देखते बच्चों में कुपोषण को काफी हद तक कम किया है। पूर्वोत्तर में असम के गोलपारा और मणिपुर के चंदेल जिलों ने पशुओं के वैक्सीनेशन को 4 साल में 20 प्रतिशत से 85 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है। बिहार में जमुई और बेगूसराय जैसे जिले, जहां 30 प्रतिशत आबादी को भी बमुश्किल दिन भर में एक बाल्टी पीने का नसीब होता था, वहां अब 90 प्रतिशत आबादी को पीने का साफ पानी मिल रहा है। हम कल्पना कर सकते हैं कि कितने ही गरीबों, कितनी महिलाओं, कितने बच्चों बुजुर्गों के जीवन में सुखद बदलाव आया है। और मैं ये कहूंगा कि ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं। हर आंकड़े के साथ कितने ही जीवन जुड़े हुए हैं। इन आंकड़ों में आप जैसे होनहार साथियों के कितने ही Man-hours लगे हैं, Man-power लगा है, इसके पीछे आप सब, आप सब लोगों की तप-तपस्या और पसीना लगा है। मैं समझता हूं, ये बदलाव, ये अनुभव आपके पूरे जीवन की पूंजी है।

साथियों,

Aspirational Districts में देश को जो सफलता मिल रही है, उसका एक बड़ा कारण अगर मैं कहूंगा तो वो है Convergence और अभी कर्नाटका के हमारे अधिकारी ने बताया कि Silos में से कैसे बाहर आए। सारे संसाधन वही हैं, सरकारी मशीनरी वही है, अधिकारी वही हैं लेकिन परिणाम अलग-अलग हैं। किसी भी जिले को जब एक यूनिट के तौर पर एक इकाई के तौर पर देखा जाता है, जब जिले के भविष्य को सामने रखकर काम किया जाता है, तो अधिकारियों को अपने कार्यों की विशालता की अनुभूति होती हैं। अधिकारियों को भी अपनी भूमिका के महत्व का अहसास होता है, एक Purpose of Life फील होता है। उनकी आंखों के सामने जो बदलाव आ रहे होते हैं और जो परिणाम दिखते हैं, उनके जिले के लोगों की जिंदगी में जो बदलाव दिखते हैं, अधिकारियों को, प्रशासन से जुड़े लोगों को इसका Satisfaction मिलता है। और ये Satisfaction कल्पना से परे होता है, शब्दों से परे होता है। यह मैंने स्वयं देखा है जब ये कोरोना नहीं था तो मैंने नियम बना रखा था कि अगर किसी भी राज्‍य में जाता था, तो Aspirational District के लोगों को बुलाता था, उन अधिकारियों के साथ खुल के बाते करता था, चर्चा करता था। उन्हीं से बातचीत के बाद मेरा ये अनुभव बना है कि Aspirational Districts में जो काम कर रहे हैं, उनमें काम करने की संतुष्टि की एक अलग ही भावना पैदा हो जाती है। जब कोई सरकारी काम एक जीवंत लक्ष्य बन जाता है, जब सरकारी मशीनरी एक जीवंत इकाई बन जाती है, टीम स्पीरिट से भर जाती है, टीम एक कल्चर को लेकर आगे बढ़ती है, तो नतीजे वैसे ही आते हैं, जैसे हम Aspirational Districts में देख रहे हैं। एक दूसरे का सहयोग करते हुए, एक दूसरे से Best Practices शेयर करते हुए, एक दूसरे से सीखते हुए, एक दूसरे को सिखाते हुए, जो कार्यशैली विकसित होती है, वो Good Governance की बहुत बड़ी पूंजी है।

साथियों,

Aspirational Districts- आकांक्षी जिलों में जो काम हुआ है, वो विश्व की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज के लिए भी अध्ययन का विषय है। पिछले 4 सालों में देश के लगभग हर आकांक्षी जिले में जन-धन खातों में 4 से 5 गुना की वृद्धि हुई है। लगभग हर परिवार को शौचालय मिला है, हर गाँव तक बिजली पहुंची है। और बिजली सिर्फ गरीब के घर में नहीं पहुंची है बल्कि लोगों के जीवन में ऊर्जा का संचार हुआ है, देश की व्यवस्था पर इन क्षेत्रों के लोगों का भरोसा बढ़ा है।

साथियों,

हमें अपने इन प्रयासों से बहुत कुछ सीखना है। एक जिले को दूसरे जिले की सफलताओं से सीखना है, दूसरे की चुनौतियों का आकलन करना है। कैसे मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में 4 साल के भीतर गर्भवती महिलाओं का पहली तिमाही में रजिस्ट्रेशन 37 प्रतिशत से बढ़कर 97 प्रतिशत हो गया? कैसे अरुणाचल के नामसाई में, हरियाणा के मेवात में और त्रिपुरा के धलाई में institutional delivery 40-45 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत पर पहुँच गई? कैसे कर्नाटका के रायचूर में, नियमित अतिरिक्त पोषण पाने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या 70 प्रतिशत से बढ़कर 97 प्रतिशत हो गई? कैसे हिमाचल प्रदेश के चंबा में, ग्राम पंचायत स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर्स की कवरेज 67 प्रतिशत से बढ़कर 97 प्रतिशत हो गई? या फिर छत्तीसगढ़ के सुकमा में, जहां 50 फीसदी से भी कम बच्चों का टीकाकरण हो पाता था, वहाँ अब 90 प्रतिशत टीकाकरण हो रहा है। इन सभी सक्सेस स्टोरीज़ में पूरे देश के प्रशासन के लिए अनेकों नयी-नयी बाते सीखने जैसी हैं, अनेक नये-नये सबक भी हैं।

साथियों,

आपने तो देखा है कि Aspirational Districts में जो लोग रहते हैं, उनमें आगे बढ़ने की कितनी तड़प होती है, कितनी ज्यादा आकांक्षा होती है। इन जिलों के लोगों ने अपने जीवन का बहुत लंबा समय अभाव में, अनेक मुश्किलों में गुजारा है। हर छोटी-छोटी चीज के लिए उन्हें मशक्कत करनी पड़ी है, संघर्ष करना पड़ा है। उन्होंने इतना अंधकार देखा होता है कि उनमें, इस अंधकार से बाहर निकलने की जबरदस्त अधीरता होती है। इसलिए वो लोग साहस दिखाने के लिए तैयार होते हैं, रिस्क उठाने के लिए तैयार होते हैं और जब भी अवसर मिलता है, उसका पूरा लाभ उठाते हैं। Aspirational Districts में जो लोग रहते हैं, जो समाज है, हमें उसकी ताकत को समझना चाहिए, पहचानना चाहिए। और मैं मानता हूं, इसका भी बहुत प्रभाव Aspirational Districts में हो रहे कार्यों पर दिखता है। इन क्षेत्रों की जनता भी आपके साथ आकर काम करती है। विकास की चाह, साथ चलने की राह बन जाती है। और जब जनता ठान ले, शासन प्रशासन ठान ले, तो फिर कोई पीछे कैसे रह सकता है। फिर तो आगे ही जाना है, आगे ही बढ़ना है। और आज यही Aspirational Districts के लोग कर रहे हैं।

साथियों,

पिछले साल अक्टूबर में मुझे मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए जनता की सेवा करते हुए 20 साल से भी अधिक समय हो गया। उससे पहले भी मैंने दशकों तक देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रशासन के काम को, काम करने के तरीके को बहुत करीब से देखा है, परखा है। मेरा अनुभव है कि निर्णय प्रक्रिया में जो Silos होते हैं, उससे ज्यादा नुकसान, Implementation में जो Silos होता है, तब वो नुकसान भयंकर होता है। और Aspirational Districts ने ये साबित किया है कि Implementation में Silos खत्म होने से, संसाधनों का Optimum Utilisation होता है। Silos जब खत्म होते हैं तो 1+1, 2 नहीं बनता, Silos जब खत्‍म हो जाते हैं तब 1 और 1, 11 बन जाता है। ये सामर्थ्य, ये सामूहिक शक्ति, हमें आज Aspirational Districts में नजर आ रही है। हमारे आकांक्षी जिलों ने ये दिखाया है कि अगर हम गुड गवर्नेंस के बेसिक सिद्धांतों को फॉलो करें, तो कम संसाधनों में भी बड़े परिणाम आ सकते हैं। और इस अभियान में जिस अप्रोच के साथ काम किया गया, वो अपने आप में अभूतपूर्व है। आकांक्षी जिलों में देश की पहली अप्रोच रही- कि इन जिलों की मूलभूत समस्याओं को पहचानने पर खास काम किया गया। इसके लिए लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में सीधे पूछा गया, उनसे जुड़ा गया। हमारी दूसरी अप्रोच रही कि - आकांक्षी जिलों के अनुभवों के आधार पर हमने कार्यशाली में निरंतर सुधार किया। हमने काम का तरीका ऐसा तय किया, जिसमें Measurable indicators का selection हो, जिसमें जिले की वर्तमान स्थिति के आकलन के साथ प्रदेश और देश की सबसे बेहतर स्थिति से तुलना हो, जिसमें प्रोग्रेस की रियल टाइम monitoring हो, जिसमें दूसरे जिलों के साथ healthy Competition हो, और बेस्ट प्रैक्टिसेस को replicate करने का उमंग हो, उत्‍साह हो, प्रयास हो। इस अभियान के दौरान तीसरी अप्रोच ये रही कि हम ऐसे गवर्नेंस reforms किए जिससे जिलों में एक प्रभावी टीम बनाने में मदद मिली। जैसे, नीति आयोग के प्रेजेंटेशन में अभी ये बात बताई गई कि ऑफिसर्स के stable tenure से नीतियों को बेहतर तरीके से लागू करने में बहुत मदद मिली। और इसके लिए मैं मुख्‍यमंत्रियों को बधाई देता हूं। उनका मैं अभिनंदन करता हूं। आप सभी तो इन अनुभवों से खुद गुजरे हुए हैं। मैंने ये बातें इसलिए दोहराईं ताकि लोगों को ये पता चल सके कि गुड गवर्नेंस का प्रभाव क्या होता है। जब हम emphasis on basics के मंत्र पर चलते हैं, तो उसके नतीजे भी मिलते हैं। और आज मैं इसमें एक और चीज जोड़ना चाहूंगा। आप सभी का प्रयास होना चाहिए कि फील्ड विजिट के लिए, inspection और night halt के लिए detailed guidelines भी बनाई जाए, एक मॉडल विकसित हो। आप देखिएगा, आप सभी को इससे कितना ज्यादा लाभ होगा।

साथियों,

आकांक्षी जिलों में मिली सफलताओं को देखते हुए, देश ने अब अपने लक्ष्यों का और विस्तार किया है। आज आज़ादी के अमृतकाल में देश का लक्ष्य है सेवाओं और सुविधाओं का शत प्रतिशत saturation! यानी, हमने अभी तक जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उसके आगे हमें एक लंबी दूरी तय करनी है। और बड़े स्तर पर काम करना है। हमारे जिले में हर गाँव तक रोड कैसे पहुंचे, हर पात्र व्यक्ति के पास आयुष्मान भारत कार्ड कैसे पहुंचे, बैंक अकाउंट की व्‍यवस्‍था कैसे हो, कोई भी गरीब परिवार उज्ज्वला गैस कनैक्शन से वंचित न रहे, हर योग्य व्यक्ति को सरकार की बीमा का लाभ मिले, पेंशन और मकान जैसी सुविधाओं का लाभ मिले, ये हर एक जिले के लिए एक time bound target होना चाहिए। इसी तरह, हर जिले को अगले दो सालों के लिए अपना एक विज़न तय करना चाहिए। आप ऐसे कोई भी 10 काम तय कर सकते हैं, जिन्हें अगले 3 महीनों में पूरा किया जा सके, और उनसे सामान्य मानवी की ease of living बढ़े। इसी तरह, कोई 5 टास्क ऐसे तय करें जिन्हें आप आज़ादी के अमृत महोत्सव के साथ जुड़कर पूरा करें। ये काम इस ऐतिहासिक कालखंड में आपकी, आपके जिले की, जिले के लोगों की ऐतिहासिक उपलब्धियां बननी चाहिए। जिस तरह देश आकांक्षी जिलों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है, वैसे ही जिले में आप ब्लॉक लेवेल पर अपनी प्राथमिकताएं और लक्ष्य तय कर सकते हैं। आपको जिस जिले की ज़िम्मेदारी मिली है, आप उसकी खूबियों को भी जरूर पहचानें, उनसे जुड़ें। इन खूबियों में ही जिले का potential छिपा होता है। आपने देखा है, 'वन डिस्ट्रिक, वन प्रॉडक्ट' जिले की खूबियों पर ही आधारित है। आपके लिए ये एक मिशन होना चाहिए कि अपने डिस्ट्रिक्ट को नेशनल और ग्लोबल पहचान देनी है। यानि वोकल फॉर लोकल का मंत्र आप अपने जिलों पर भी लागू करिए। इसके लिए आपको जिले के पारंपरिक प्रॉडक्ट्स को, पहचान को, स्किल्स को पहचानना होगा और वैल्यू चेन्स को मजबूत करना होगा। डिजिटल इंडिया के रूप में देश एक silent revolution का साक्षी बन रहा है। हमारा कोई भी जिला इसमें पीछे नहीं छूटना चाहिए। डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर हमारे हर गाँव तक पहुंचे, सेवाओं और सुविधाओं की डोर स्टेप डिलिवरी का जरिया बने, ये बहुत जरूरी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में जिन जिलों की प्रगति अपेक्षा से धीमी आई है, उनके DMs को, सेंट्रल प्रभारी ऑफिसर्स को विशेष प्रयास करना होगा। मैं नीति आयोग को भी कहूँगा कि आप एक ऐसा mechanism बनाए जिससे सभी जिलों के DMs के बीच रेगुलर interaction होता रहे। हर जिला एक दूसरे की बेस्ट practices को अपने यहाँ लागू कर सके। केंद्र के सभी मंत्रालय भी उन सभी challenges को document करें, जो अलग-अलग जिलों में सामने आ रहे हैं। ये भी देखें कि इसमें पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान से कैसे मदद मिल सकती है।

साथियों,

आज के इस कार्यक्रम में मैं एक और चैलेंज आपके सामने रखना चाहता हूं, एक नया लक्ष्य भी देना चाहता हूं। ये चैलेंज देश के 22 राज्यों के 142 जिलों के लिए है। ये जिले विकास की दौड़ में पीछे नहीं हैं। ये aspirational district की category में नहीं हैं। ये काफी आगे निकले हुए हैं। लेकिन अनेक पैरामीटर में आगे होने के बावजूद भी एक आद दो पैरामीटर्स ऐसे हैं जिसमें वो पीछे रह गए हैं। और तभी मैंने मंत्रालयों को कहा था कि वो अपने-अपने मंत्रालय में ऐसा क्‍या-क्‍या है जो ढूंढ सकते हैं। किसी ने दस जिले ढूंढे, किसी ने चार जिले ढूंढे, तो किसी ने छ: जिले ढूंढे, ठीक है, अभी इतना आया है। जैसे कोई एक जिला है जहां बाकी सब तो बहुत अच्छा है लेकिन वहां कुपोषण की दिक्कत है। इसी तरह किसी जिले में सारे इंडीकेटर्स ठीक हैं लेकिन वो एजुकेशन में पिछड़ रहा है। सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों ने, अलग-अलग विभागों ने ऐसे 142 जिलों की एक लिस्ट तैयार की है। जिन एक-दो पैरामीटर्स पर ये अलग-अलग 142 जिले पीछे हैं, अब वहां पर भी हमें उसी कलेक्टिव अप्रोच के साथ काम करना है, जैसे हम Aspirational Districts में करते हैं। ये सभी सरकारों के लिए, भारत सरकार, राज्य सरकार, जिला प्रशासन, जो सरकारी मशीनरी है, उसके लिए एक नया अवसर भी है, नया चैलेंज भी है। इस चैलेंज को अब हमें मिलकर पूरा करना है। इसमें मैं अपने सभी मुख्यमंत्री साथियों का भी सहयोग हमेशा मिलता रहा है, आगे भी मिलता रहेगा, मुझे पूरा विश्‍वास है।

साथियों,

अभी कोरोना का समय भी चल रहा है। कोरोना को लेकर तैयारी, उसका मैनेजमेंट, और कोरोना के बीच भी विकास की रफ्तार को बनाए रखना, इसमें भी सभी जिलों की बड़ी भूमिका है। इन जिलों में भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए भी अभी से काम होना चाहिए।

साथियों,

हमारे ऋषियों ने कहा है- ''जल बिन्दु निपातेन क्रमशः पूर्यते घट:'' अर्थात्, बूंद बूंद से ही पूरा घड़ा भरता है। इसलिए, आकांक्षी जिलों में आपका एक एक प्रयास आपके जिले को विकास के नए आयाम तक लेकर जाएगा। यहां जो सिविल सर्विसेस के साथी जुड़े हैं, उनसे मैं एक और बात याद करने को मैं कहूंगा। आप वो दिन जरूर याद करें जब आपका इस सर्विस में पहला दिन था। आप देश के लिए कितना कुछ करना चाहते थे, कितना जोश से भरे हुए थे, कितने सेवा भाव से भरे हुए थे। आज उसी जज्बे के साथ आपको फिर आगे बढ़ना है। आजादी के इस अमृतकाल में, करने के लिए, पाने के लिए बहुत कुछ है। एक-एक आकांक्षी जिले का विकास देश के सपनों को पूरा करेगा। आज़ादी के सौ साल पूरे होने पर नए भारत का जो सपना हमने देखा है, उनके पूरे होने का रास्ता हमारे इन जिलों और गाँवों से होकर ही जाता है। मुझे पूरा भरोसा है कि आप अपने प्रयासों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। देश जब अपने सपने पूरे करेगा, तो उसके स्वर्णिम अध्याय में एक बड़ी भूमिका आप सभी साथियों की भी होगी। इसी विश्वास के साथ, मैं सभी मुख्‍यमंत्रियों का धन्यवाद करते हुए आप सब नौजवान साथियो ने अपने-अपने जीवन में जो मेहनत की है, जो परिणाम लाए हैं, इसके लिये बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, धन्‍यवाद करता हूं ! आज सामने 26 जनवरी है, उस काम का भी प्रैशर होता है, जिलाधिकारियों को ज्‍यादा प्रैशर होता है। कोरोना का पिछले दो साल से आप लड़ाई के मैदान में अग्रिम पंक्‍ति में हैं। और ऐसे में शनिवार के दिन आप सबके साथ बैठने का थोड़ा ही जरा कष्‍ट दे ही रहा हूं मैं आपको, लेकिन फिर भी जिस उमंग और उत्‍साह के साथ आज आप सब जुड़े हैं, मेरे लिये खुशी की बात है। मैं आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं ! बहुत-बहुत शुभाकामनाएं देता हूं !

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
Since 2019, a total of 1,106 left wing extremists have been 'neutralised': MHA

Media Coverage

Since 2019, a total of 1,106 left wing extremists have been 'neutralised': MHA
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister Welcomes Release of Commemorative Stamp Honouring Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II
December 14, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi expressed delight at the release of a commemorative postal stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran) by the Vice President of India, Thiru C.P. Radhakrishnan today.

Shri Modi noted that Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II was a formidable administrator endowed with remarkable vision, foresight and strategic brilliance. He highlighted the Emperor’s unwavering commitment to justice and his distinguished role as a great patron of Tamil culture.

The Prime Minister called upon the nation—especially the youth—to learn more about the extraordinary life and legacy of the revered Emperor, whose contributions continue to inspire generations.

In separate posts on X, Shri Modi stated:

“Glad that the Vice President, Thiru CP Radhakrishnan Ji, released a stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran). He was a formidable administrator blessed with remarkable vision, foresight and strategic brilliance. He was known for his commitment to justice. He was a great patron of Tamil culture as well. I call upon more youngsters to read about his extraordinary life.

@VPIndia

@CPR_VP”

“பேரரசர் இரண்டாம் பெரும்பிடுகு முத்தரையரை (சுவரன் மாறன்) கௌரவிக்கும் வகையில் சிறப்பு அஞ்சல் தலையைக் குடியரசு துணைத்தலைவர் திரு சி.பி. ராதாகிருஷ்ணன் அவர்கள் வெளியிட்டது மகிழ்ச்சி அளிக்கிறது. ஆற்றல்மிக்க நிர்வாகியான அவருக்குப் போற்றத்தக்க தொலைநோக்குப் பார்வையும், முன்னுணரும் திறனும், போர்த்தந்திர ஞானமும் இருந்தன. நீதியை நிலைநாட்டுவதில் அவர் உறுதியுடன் செயல்பட்டவர். அதேபோல் தமிழ் கலாச்சாரத்திற்கும் அவர் ஒரு மகத்தான பாதுகாவலராக இருந்தார். அவரது அசாதாரண வாழ்க்கையைப் பற்றி அதிகமான இளைஞர்கள் படிக்க வேண்டும் என்று நான் கேட்டுக்கொள்கிறேன்.

@VPIndia

@CPR_VP”