Quote"डबल इंजन की सरकार आदिवासी समुदायों और महिलाओं के कल्याण के लिए सेवा भावना के साथ काम कर रही है"
Quote"हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रगति की इस यात्रा में हमारी माताएं और बेटियां पीछे न रह जाएँ"
Quote"रेल इंजन के निर्माण के साथ, दाहोद मेक इन इंडिया अभियान में योगदान देगा"

भारत माता की – जय, भारत माता की-जय

सबसे पहले मैं दाहोदवासियों से माफी चाहता हूँ। शुरुआत में मैं थोड़ा समय हिन्दी में बोलूँगा, और उसके बाद अपने घर की बात घर की भाषा में करुंगा।

गुजरात के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री मुदु एवं मक्‍कम श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, इस देश के रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्‍णव जी, मंत्रिपरिषद की साथी दर्शना बेन जरदोष, संसद में मेरे वरिष्‍ठ साथी, गुजरात प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष श्रीमान सी. आर. पाटिल, गुजरात सरकार के मंत्रीगण, सांसद और विधायकगण, और भारी संख्‍या में यहां पधारे, मेरे प्‍यारे आदिवासी भाइयों और बहनों।

आज यहां आदिवासी अंचलों से लाखों बहन-भाई हम सबको आशीर्वाद देने के लिए पधारे हैं। हमारे यहां पुरानी मान्‍यता है कि हम जिस स्‍थान पर रहते हैं, जिस परिवेश में रहते हैं, उसका बड़ा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। मेरे सार्वजनिक जीवन के प्रारंभिक कालखंड में जब जीवन के एक दौर की शुरूआत थी तो मैं उमर गांव से अम्‍बाजी, भारत की ये पूर्व पट्टी, गुजरात की ये पूर्व पट्टी, उमर गांव से अम्‍बाजी, पूरा मेरा आदिवासी भाई-बहनों का क्षेत्र, ये मेरा कार्यक्षेत्र था। आदिवासियों के बीच रहना, उन्‍हीं के बीच जिंदगी गुजारना, उनको समझना, उनके साथ जीना, ये मेरे जीवन भर के प्रारंभिक वर्षों में इन मेरे आदिवासी माताओं, बहनों, भाइयों ने मेरा जो मार्गदर्शन किया, मुझे बहुत कुछ सिखाया, उसी से आज मुझे आपके लिए कुछ न कुछ करने की प्रेरणा मिलती रहती है।

आदिवासियों का जीवन मैंने बड़ी‍ निकटता से देखा है और मैं सिर झुका करके कह सकता हूं चाहे वो गुजरात हो, मध्‍य प्रदेश हो, छत्‍तीसगढ़ हो, झारखंड हो, हिन्‍दुस्‍तान का कोई भी आदिवासी क्षेत्र हो, मैं कह सकता हूं कि मेरे आदिवासी भाई-बहनों का जीवन यानी पानी जितना पवित्र और नई कोपलों जितना सौम्‍य होता है। यहां दाहोद में अनेक परिवारों के साथ और पूरे इस क्षेत्र में मेंने बहुत लंबे समय तक अपना समय बिताया। आज मुझे आप सबसे एक साथ मिलने का, आप सबके दर्शन करने का सौभाग्‍य मिला है।

भाइयों-बहनों,

यही कारण है कि पहले गुजरात में और अब पूरे देश में आदिवासी समाज की, विशेष रूप से हमारी बहन-बेटियों की छोटी-छोटी परेशानियों को दूर करने का माध्‍यम आज भारत सरकार, गुजरात सरकार, ये डबल इंजन की सरकार एक सेवा भाव से कार्य कर रही है।

भाइयों और बहनों,

इसी कड़ी में आज दाहोद और पंचमार्ग के विकास से जुड़ी 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। जिन परियोजनाओं का आज उद्घाटन हुआ है, उनमें एक पेयजल से जुड़ी योजना है और दूसरी दाहोद को स्‍मार्ट सिटी बनाने से जुड़े कई प्रोजेक्‍ट्स हैं। पानी के इस प्रोजेक्‍ट से दाहोद के सैंकड़ों गांवों की माताओं-बहनों का जीवन बहुत आसान होने वाला है।

साथियों,

इस पूरे क्षेत्र की आकांक्षा से जुड़ा एक और बड़ा काम आज शुरू हुआ है। दाहोद अब मेक इन इंडिया का भी बहुत बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। गुलामी के कालखंड में यहां स्‍टीम लोकोमोटिव के लिए जो वर्कशॉप बनी थी वो अब मेक इन इंडिया को गति देगी। अब दाहोद में परेल में 20 हजार करोड़ रुपये का कारखाना लगने वाला है।

मैं जब भी दाहोद आता था तो मुझे शाम को परेल के उस सर्वेंट क्‍वार्टर में जाने का अवसर मिलता था और मुझे छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच में वो परेल का क्षेत्र बहुत पसंद आता था। मुझे प्रकृति के साथ जीने का वहां अवसर मिलता था। लेकिन दिल में एक दर्द रहता था। मैं अपनी आंखों के सामने देखता था कि धीरे-धीरे हमारा रेलवे का क्षेत्र, ये हमारा परेल पूरी तरह निष्‍प्राण होता चला जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद मेरा सपना था कि मैं इसको फिर से एक बार जिंदा करूंगा, इसको जानदार बनाऊंगा, इसे शानदार बनाऊंगा, और आज वो मेरा सपना पूरा हो रहा है कि 20 हजार करोड़ रुपए से आज मेरे दाहोद में, इन पूरे आदिवासी क्षेत्रों में इतना बड़ा इन्‍वेस्‍टमेंट, हजारों नौजवानों को रोजगार।

आज भारतीय रेल आधुनिक हो रही है, बिजलीकरण तेजी से हो रहा है। मालगाड़ियों के लिए अलग रास्‍ते यानी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। इन पर तेजी से मालगाड़ियां चल सकें, ताकि माल-ढुलाई तेज हो, सस्‍ती हो, इसके लिए देश में, देश में ही बने हुए लोकोमोटिव बनाने आवश्‍यक हैं। इन इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की विदेशों में भी डिमांड बढ़ रही है। इस डिमांड को पूरा करने में दाहोद बड़ी भूमिका निभाएगा। और मेरे दाहोद के नौजवान, आप जब भी दुनिया में जाने का मौका मिलेगा तो कभी न कभी तो आपको देखने को मिलेगा कि आपके दाहोद में बना हुआ लोकोमोटिव दुनिया के किसी देश में दौड़ रहा है। जिस दिन उसे देखोगे आपके दिलों में कितना आनंद होगा।

भारत अब दुनिया के उन चुनिंदा देशों में है, जो 9 हजार होर्स पॉवर के शक्तिशाली लोको बनाता है। इस नए कारखाने से यहां हजारों नौजवानों को रोजगार मिलेगा, आस-पास नए कारोबार की संभावनाएं बढ़ेंगी। आप कल्‍पना कर सकते हैं एक नया दाहोद बन जाएगा। कभी-कभी तो लगता है अब हमारा दाहोद बड़ौदा की स्‍पर्धा में आगे निकलने के लिए मेहनत करके उठने वाला है।

ये आपका उत्साह और जोश देखकर मुझे लग रहा है, मित्रों, मैंने दाहोद में जीवन के अनेक दशक बितायें हैं। कोई एक जमाना था, कि मैं स्कूटर पर आऊँ, बस में आऊँ, तब से लेकर आज तक अनेक कार्य़क्रम किये हैं। मुख्यमंत्री था, तब भी बहुत कार्यक्रम किए हैं। परंतु आज मुझे गर्व हो रहा है कि, मैं मुख्यमंत्री था, तब इतना बड़ा कोई कार्यक्रम कर नहीं सका था। और आज गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने यह कमाल कर दिया है, कि भूतकाल में न देखा हो, इतना बड़ा जनसागर आज मेरे सामने उमड़ पड़ा है। मै भूपेन्द्रभाई को, सी.आर.पाटिल को और उनकी पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई देता हूँ। भाइयों-बहनों प्रगति के रIस्ते में एक बात निश्चित है कि हम जितनी प्रगति करनी हो कर सकते हैं, परंतु हमारी प्रगति के रास्ते में अपनी माताएं-बहनें पीछे ना रह जाये। माताओ-बहनें भी बराबर-बराबर अपनी प्रगति में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढे, और इसलिए मेरी योजनाओं के केन्द्रबिंदु में मेरी माताए-बहनें, उनकी सुखाकारी, उनकी शक्ति का विकास में उपयोग, वो केन्द्र में रहती है। अपने यहां पानी की तकलीफ आयें, तो सबसे पहली तकलीफ माता-बहनों को होती है। और इसलिए मैंने संकल्प लिया है, कि मुझे नल से पानी पहुंचाना है, नल से जल पहुंचाना है। और थोडे ही समय में ये काम भी माताओ और बहनों के आर्शिवाद से मैं पूरा करने वाला हुं। आपके घर में पानी पहुंचे, और पाणीदार लोगों की पानी के द्वारा सेवा करने का मुझे मौका मिलने वाला है। ढाई साल में छ करोड से ज्यादा परिवारो को पाईपलाईन से पानी पहुंचाने में हम सफल रहे है। गुजरात में भी हमारे आदिवासी परिवारो में पांच लाख परिवारो में नल से जल पहुंचा चुके है, और आने वाले समय में यहा काम तेजी से चलने वाला है।

भाईयों-बहनों, कोरोना का संकटकाल आया, अभी कोरोना गया नहीं, तो दुनिया के युध्ध के समाचार, युध्ध की घटनाएं, कोरोना की मुसीबत कम थी कि नई मुसीबतें, और इन सबके बावजूद भी आज दुनिया के सामने देश धीरजपूर्वक, मुसीबतों के बीच, अनिश्चितकाल के बीच में भी आगे बढ रहा है। और मुश्किल दिनों में भी सरकार ने गरीबो को भूलने की कोई तक खडी नहीं होने दी। और मेरे लिए गरीब, मेरा आदिवासी, मेरा दलित, मेरा ओबीसी समाज के अंतिम छोर का मानवी का सुख और उनका ध्यान, और इस कारण जब शहरों में बंद हो गया, शहरों में काम करने वाले अपने दाहोद के लोग रास्ते का काम बहुत करते थे, पहले सब बंद हुआ, वापस आये तब गरीब के घर में चूल्हा जले उसके लिए मैं जागता रहा। और आज लगभग दो साल होने को आये गरीब के घर में मुफ्त में अनाज पहुंचे, 80 करोड घर लोगो के दो साल तक मुफ्त में अनाज पहुंचा कर विश्व का बडे से बडा विक्रम हमने बनाया है।

हमने सपना देखा है कि मेरे गरीब आदिवासीओं को खुद का पक्का घर मिले, उसे शौचालय मिले, उसे बिजली मिले, उसे पानी मिले, उसे गैस का चुल्हा मिले, उसके गांवे के पास अच्छा वेलनेस सेन्टर हो, अस्पताल हो, उसे 108 की सेवाएं उपलब्ध हो। उसे पढने के लिए अच्छी स्‍कूल मिले, गांव में जाने के लिए अच्छी सडकें मिले, ये सभी चिंताए, एक साथ आज गुजरात के गांवो तक पहुंचे, उसके लिए भारत सरकार और राज्य सरकार कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। और इसलिए अब एक कदम आगे बढ रहे है हम।

ओप्टीकल फाईबर नेटवर्क, अभी जब आप के बीच आते वक्त भारत सरकार की और गुजरात सरकार की अलग-अलग योजना के जो लाभार्थी भाई-बहन है, उनके साथ बैठा था, उनके अनुभव सुने, मेरे लिए इतना बडा आनंद था, इतना बडा आनंद था, कि मैं शब्दो में वर्णन नहीं कर सकता। मुझे आनंद होता है कि पांचवी, सातवी पढी मेरी बहनें, स्‍कूल में पैर न रखा हो ऐसी माता-बहनें ऐसा कहे कि हम केमिकल से मुक्त हमारी धरतीमाता को कर रहे हैं, हमने संकल्प लिया है, हम ओर्गेनिक खेती कर रहे हैं, और हमारी सब्जियां अहमदाबाद के बाजारों में बिक रही है। और डबल भाव से बिक रही है, मुझे मेरे आदिवासी गांवों की माताए-बहनें जब बात कर रही थी, तब उनकी आंखो में मैं चमक देख रहा था। एक जमाना था मुझे याद है अपने दाहोद में फुलवारी, फूलों की खेती ने एक जोर पकडा था, और मुझे याद है उस समय यहां के फूल मुंबई तक वहां के माताओं को, देवताओं को, भगवान को हमारे दाहोद के फूल चढते थे। इतनी सारी फुलवारी, अब ओर्गेनिक खेती तरफ हमारा किसान मुडा है। और जब आदिवासी भाई इतना बडा परिवर्तन लाता है, तब आपको समझ लेना है, और सबको लाना ही पडेगा, आदिवासी शुरुआत करें तो सबको करनी ही पडे। और दाहोद ने ये कर के दिखाया है।

आज मुझे एक दिव्यांग दंपति से मिलने का अवसर मिला, और मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ कि सरकार ने हजारो रूपये की मदद की, उन्होंने कोमन सर्विस सेन्टर शुरु किया, पर वो वहां अटके नहीं, और उन्होंने मुझे कहा कि साहब मैं दिव्यांग हुं और आपने इतनी मदद की, पर मैंने ठान लिया है, मेरे गांव के किसी दिव्यांग को मैं सेवा दुंगा तो उसके पास से एक पैसा भी नहीं लुंगा, मैं इस परिवार को सलाम करता हुं। भाईओ, मेरे आदिवासी परिवार के संस्कार देखो, हमें सिखने को मिले ऐसे उनके संस्कार है। अपने वनबंधु कल्याण योजना, जनजातीय परिवारों उनके लिए अपने चिंता करते रहे, अपने दक्षिण गुजरात में विशेषकर सिकलसेल की बिमारी, इतनी सारी सरकारे आकर गई, सिकलसेल की चिंता करने के लिए जो मूलभूत महेनत चाहिए, उस काम को हमने लिया, और आज सिकलसेल के लिए बडे पैंमाने पर काम चल रहा है। और मैं अपने आदिवासी परिवारो को विश्वास देता हुं कि विज्ञान जरुर हमारी मदद करेगा, वैज्ञानिक संशोधन कर रह है, और सालो से इस प्रकार की सिकलसेल बिमारी के कारण खास करके मेरे आदिवासी पुत्र-पु‍त्रीयों को सहन करना पडता, ऐसी मुसीबत में से बाहर लाने के लिए हम महेनत कर रहे है।

भाईओ-बहनों,

ये आजादी का अमृत महोत्सव है, आजादी के 75 वर्ष देश मना रहा है, परंतु इस देश का दुर्भाग्य रहा कि सात-सात दशक गये, परंतु आजादी के जो मूल लडने वाले रहे थे, उनके साथ इतिहास ने आंख मिचौली की, उनके हक का जो मिलना चाहिए वो न मिला, मैं जब गुजरात में था मैने उसके लिए जहमत उठाई थी। अपने तो 20-22 वर्ष की उमर में, भगवान बिरसा मुंडा मेरा आदिवासी नौजवान, भगवान बिरसा मुंडा 1857 के स्वातंत्र्य संग्राम का नेतृत्व कर अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए थे। और उन्हे लोग भूले, आज भगवान बिरसा मुंडा का भव्य म्युजियम झारखंड में हमने बना दिया है।

भाईओ-बहनों, मुझे दाहोद के भाईओ-बहनों से विनती करनी है कि खास करके शिक्षण जगत के लोगो से विनती करनी है, आपको पता होगा, अपने 15 अगस्त, 26 जनवरी, 1 मई अलग-अगल जिले में मनाते थे। एक बार जब दाहोद मैं उत्सव था, तब दाहोद के अंदर दाहोद के आदिवासीओं ने कितना नेतृत्व किया था, कितना मोर्चा संभाला था, हमारे देवगढ बारीया में 22 दिन तक आदिवासीओं ने जंग जो छेड़ी थी, हमारे मानगढ पर्वत के ऋंखला में हमारे आदिवासीओं ने अंग्रेजो के नाक में दम कर दिया था। और हम गोविंदगुरू को भूल ही नहीं सकते, और मानगढ में गोविंदगुरू का स्मारक बनाकर आज भी उनके बलिदान करने का स्मरण करने का काम हमारी सरकार ने किया। आज मैं देश को कहना चाहता हुं, और इसलिए दाहोद की स्कुलों को, दाहोद के शिक्षको को बिनती करता हुं कि 1857 के स्वातंत्र्य संग्राम में चाहे, देवगढ बारीया हो, लीमखेडा हो, लीमडी हो, दाहोद हो, संतरामपुर हो, झालोद हो कोई ऐसा विस्तार नहीं था कि वहां के आदिवासी तीर-कमान लेकर अंग्रेजो के सामने रण मेदान में उतर ना गये हो, इतिहास में यह लिखा हुआ है, और किसी को फांसी हुई थी, और जैसा हत्याकांड अंग्रेजो ने जलियावाला बाग में किया था, ऐसा ही हत्याकांड अपने इस आदिवासी विस्तार में हुआ था। परंतु इतिहास ने सब भुला दिया, आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर यह सभी चीजो से अपने आदिवासी भाई-बहनों को प्रेरणा मिले, शहर में रहती नई पिढी तो प्रेरणा मिले, और इसलिये स्‍कूल में इसके लिए नाटक लिखा जाये, इसके उपर गीत लिखे जाये, इन नाटको को स्‍कूल में पेश किया जाये, और उस समय की घटनाएं लोगों मे ताजी की जायें, गोविंदगुरू का जो बलिदान था, गोविंदगुरू की जो ताकत थी, उसकी भी अपने आदिवासी समाज उनकी पूजा करते है, परंतु आनेवाली पिढी को भी इसके बारे में पता चले उसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

भाईओ-बहनों हमारे जनजातीय समाज ने, मेरे मन में सपना था, कि मेरे आदिवासी पुत्र-पुत्री डॉक्‍टर बने, नर्सिंग में जायें, जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री बना था, तब उमरगांव से अंबाजी सारे आदिवासी विस्तार में स्‍कूलें थी, परंतु विज्ञानवाली स्‍कूलें न थी। जब विज्ञान की स्‍कूल ना हो तो, मेरे आदिवासी बेटा या बेटी इन्‍जीनियर कैसे बन सके, डॉक्‍टर कैसे बन सके, इसलिए मैंने विज्ञान की स्‍कूलों सें शुरुआत की थी, कि आदिवासी के हर एक तहसील में एक-एक विज्ञान की स्‍कूल बनाउंगा और आज मुझे खुशी है कि आदिवासी जिलों में मेडिकल कोलेज, डिप्लोमा ईन्जीनियरींग कोलेज, नर्सिंग की कोलेज चल रहे हैं और मेरे आदिवासी बेटा-बेटी डॉक्‍टर बनने के लिए तत्पर है। यहां के बेटे विदेश मे अभ्यास के लिए गये है, भारत सरकार की योजना से विदेश में पढने गये है, भाईओ-बहनों प्रगति की दिशा कैसी हो, उसकी दिशा हमनें बताई है, और उस मार्ग पर हम चल रहे है। आज देशभर में साडे सात सो जितनी एकलव्य मॉडल स्‍कूल, यानि कि लगभग हर जिले में एकलव्य मॉडल स्‍कूल और उसका लक्ष्य पूरा करने के लिए काम कर रहे है। हमारे जनजातीय समुदाय के बच्चो के लिए एकलव्य स्कुल के अंदर आधुनिक से आधुनिक शिक्षण मिले उसकी हम चिंता कर रहे है।

आजादी के बाद ट्रायबल रिसर्च इन्स्टीट्यूट मात्र 18 बने, सात दसक में मात्र 18, मेरे आदिवासी भाई-बहन मुझे आर्शिवाद दिजीये, मैने सात वर्ष में अन्य 9 बना दिए। कैसे प्रगति होती है, और कितने बडे पैमाने पर प्रगति होती है उसका यह उदाहरण है। प्रगति कैसे हो उसकी हमने चिंता की है, और इसलिए मैंने एक दूसरा काम लिया है, उस समय भी, मुझे याद है मैं लोगो के बीच जीता था, इसलिए मुझे छोटी-छोटी चीजे पता चल जाती है,108 की हम सेवा देते थे, मैं यहां दाहोद आया था, तो मुझे कुछ बहने मिली, पहचान थी, यहां आता तब उनके घर भोजन के लिए भी जाता था। तब उन बहनों ने मुझे कहा कि साहब इस 108 में आप एक काम किजीए, मैने कहा क्या करू, तब कहा कि हमारे यहां सांप काटने के कारण उसे जब 108 में ले जाते है तब तक जहर चढ जाता है, और हमारे परिवार के लोगो की सांप काटने कारण मृत्यु हो जाती है। दक्षिण गुजरात में भी यही समस्या, मध्य गुजरात, उत्तर गुजरात में भी यह समस्या, तब मैंने ठान लिया कि 108 में सांप काटे तुरंत जो इन्जेक्शन देना पडे और लोगो को बचाया जा सके, आज 108 में ये सेवा चल रही है।

पशुपालन, आज अपनी पंचमहाल की डेरी गूंज रही है, आज उसका नाम हो गया है, नहीं तो पहले कोई पूछता भी नहीं था। विकास के तमाम क्षेत्रो में गुजरात आगे बढे, मुझे आनंद हुआ कि सखी मंडल, लगभग गांवो-गांव सखीमंडल चल रहे हैं। और बहनें खुद सखीमंडल का नेतृत्व कर रही हैं। और उसका लाभ मेरे सैकड़ों, हजारो आदिवासी कुटुंबो को मिल रहा है, एकरतफ आर्थिक प्रगति, दूसरी तरफ आधुनिक खेती, तीसरी तरफ घर जीवन की सुख सुविधा के लिए पानी हो, घर हो, बिजली हो, शौचालय़ हो, एसी छोटी-छोटी चीजें, और बच्चो के लिए जहां पढना हो वहां तक पढ़ सकें, ऐसी व्यवस्था, ऐसी चारो दिशा में प्रगति के काम हम कर रहे है तब, आज जब दाहोद जिले में संबोधन कर रहा हूं, और उमरगाव से अंबाजी तक के तमाम मेरे आदिवासी नेता मंच पर बैठे है, सब आगेवान भी यहां हाजिर है, तब मेरी एक ईच्छा है, ये ईच्छा आप मुझे पूरी कर दिजीए। करेंगे ? जरा हाथ उपर कर मुझे विश्वास दिलाईए, पूरी करेगें ? सच में, यह केमेरा सब रेकोर्ड कर रहा है, मैं फिर जांच करुंगा, करेंगे ना सब, आपने कभी भी मुझे निराश नहीं किया मुझे पता है, और मेरा आदिवासी भाई अकेले भी बोले कि मैं करूंगा तो मुझे पता है, वह करके बताता है, आजादी के 75 वर्ष मना रहे है तब अपने हर जिले में आदिवासी विस्तार में हम 75 बडे तालाब बना सकते हैं? अभी से काम शुरु करें और 75 तालाब एक-एक जिले में, और इस बारिश का पानी उसमें जाये, उसका संकल्प लें, सारा अपना अंबाजी से उमरगाम का पट्टा पानीदार बन जायेगा। और उसके साथ यहां का जीवन भी पानीदार बन जायेगा। और इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव को अपने पानीदार बनाने के लिए पानी का उत्सव कर, पानी के लिए तालाब बनाकर एक नई उंचाई पर ले जाएं और जो अमृतकाल है आजादी के 75 वर्ष, और आजादी के 100 साल के बीच में जो 25 वर्ष का अमृतकाल है, आज जो 18-20 वर्ष के युवा है, उस समय समाज में नेतृत्व कर रहे होंगे, जहां होंगे वहां नेतृत्व कर रहे होंगे, तब देश एसी उंचाई पर पहुंचा हो, उसके लिए मजबूती से काम करने का यह समय है। और मुझे विश्वास है कि मेरे आदिवासी भाई-बहन उस काम में कोई पीछे नहीं हटेंगे, मेरा गुजरात कभी पीछे नहीं हटेगा, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। आप इतनी बडी संख्या में आये, आशीर्वाद दिये, मान-सम्मान किया, मैं तो आपके घर का आदमी हूं। आपके बीच बड़ा हुआ हूं। बहुत कुछ आपसे सीखकर आग बढा हूं। मेरे उपर आपका अनेक ऋण है, और इसलिए जब भी आपका ऋण चुकाने का मोका मिले, तो उसे मैं जाने नहीं देता। और मेरे विस्तार का ऋण चुकाने की कोशिश करता हूं। फिर से एक बार आदिवासी समाज के, आजादी के सभी योद्धाओं को आदरपूर्व श्रद्धांजलि अर्पण करता हूं। उनको नमन करता हूं। और आने वाली पीढ़ी अब भारत को आगे ले जाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर आगे आये, ऐसी आप सब को शुभकामनायें देता हूं।

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प्रधानमंत्री 31 मई को मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे
May 30, 2025
QuoteOn the occasion of 300th birth anniversary of Lokmata Devi Ahilya Bai Holkar, PM to participate in Lokmata Devi Ahilyabai Mahila Sashaktikaran Mahasammelan in Bhopal
QuotePM to lay the foundation stone of ghat construction works worth over Rs 860 crore on Kshipra River
QuoteIn a boost to last mile air connectivity in the region, PM to inaugurate Datia and Satna airports
QuotePM to also inaugurate passenger services on Super Priority Corridor of the Yellow Line of Indore Metro

On the occasion of 300th birth anniversary of Lokmata Devi Ahilya Bai Holkar, Prime Minister Shri Narendra Modi will visit Madhya Pradesh on 31st May. He will participate in Lokmata Devi Ahilyabai Mahila Sashaktikaran Mahasammelan at around 11:15 AM in Bhopal. He will inaugurate and lay the foundation stone of multiple development projects in Bhopal and address a public function.

Prime Minister will participate in Lokmata Devi Ahilyabai Mahila Sashaktikaran Mahasammelan. He will also release a commemorative postage stamp and a special coin dedicated to Lokmata Devi Ahilyabai. The Rs 300 coin will feature a portrait of Ahilyabai Holkar. Prime Minister will also present the National Devi Ahilyabai Award to a woman artist for contribution in tribal, folk, and traditional arts.

Prime Minister will lay the foundation stone for ghat construction works worth over Rs 860 crore on the Kshipra River, related to the upcoming Simhastha Mahakumbh 2028 in Ujjain. Various structures like barrage, stop dam, and vented causeway to regulate the water flow of the rivers will also be built.

In a major boost to last mile air connectivity, Prime Minister will inaugurate Datia and Satna airports, opening new opportunities for industry, tourism, education, and healthcare in the Vindhya region.

In line with his commitment to improve travel infrastructure in the cities, Prime Minister will inaugurate passenger services on the Super Priority Corridor of the Yellow Line of Indore Metro. It is expected to reduce traffic and pollution while offering a comfortable commute to passengers.

Prime Minister will transfer the first installment for the construction of 1,271 Atal Gram Sushasan Bhawans worth over Rs 480 crore. These buildings will provide permanent infrastructure to gram panchayats, helping them manage administrative functions, conduct meetings, and maintain records more efficiently.