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“आज सरकार की नीतियों और निर्णयों का सकारात्मक प्रभाव हर उस जगह दिखने लगा है, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है”
“आज लोग सरकार को रास्ते की रुकावट नहीं मानते, बल्कि लोग हमारी सरकार को नए अवसरों के प्रेरक के रूप में देखते हैं, निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है”
“लोग आसानी से सरकार को अपने विचार बता सकते हैं और फौरन उनका समाधान प्राप्त कर सकते हैं”
“हम भारत में आधुनिक डिजिटल अवसंरचना तैयार कर रहे हैं, साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि डिजिटल क्रांति का फायदा समाज के हर वर्ग तक पहुंचे”
“क्या हम समाज की 10 ऐसी समस्याओं की पहचान कर सकते हैं, जिसे कृत्रिम बौद्धिकता द्वारा हल किया जा सके”
“सरकार और लोगों के बीच विश्वास की कमी गुलामी की मानसिकता का परिणाम है”
“समाज के साथ विश्वास को मजबूत करने के लिये हमें वैश्विक उत्कृष्ट व्यवहारों से सीखने की जरूरत है”

नमस्कार।

National Science Day पर हो रहे आज के बजट वेबिनार का विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है। 21वीं सदी का बदलता हुआ भारत, अपने नागरिकों को Technology की ताकत से लगातार नागरिकों को Empower कर रहा है। बीते वर्षों में हमारी सरकार के हर बजट में, Technology की मदद से देशवासियों की Ease of Living बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इस बार के बजट में भी Technology लेकिन साथ-साथ Human Touch को प्राथमिकता यह हमारा प्रयास हुआ है।

साथियों, एक जमाना था, जब हमारे देश में सरकार की प्राथमिकताओं में बहुत ज्यादा विरोधाभास नजर आता था। समाज का एक वर्ग ऐसा था, जो चाहता था कि उनके जीवन में हर कदम पर सरकार का कोई न कोई intervention हो, सरकार का प्रभाव हो, यानी सरकार उनके लिए कुछ न कुछ करे। लेकिन पहले की सरकारों के समय इस वर्ग ने हमेशा अभाव ही महसूस किया। अभाव में जिंदगी जूझने में ही निकल जाती थी। समाज में ऐसे लोगों का भी वर्ग था, यह दूसरे प्रकार का था। जो स्वयं के सामर्थ्य से आगे बढ़ना चाहता था, लेकिन पहले की सरकारों के समय ये वर्ग भी हमेशा दबाव, सरकारी दखल भांति-भांति की रूकावटें डगर-डगर पर महसूस करता रहा। हमारी सरकार के बीते कुछ वर्षों के प्रयासों से अब ये स्थिति बदलने लगी है। आज सरकार की नीतियों और निर्णयों का सकारात्मक प्रभाव हर उस जगह दिखने लगा है जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

हमारा प्रयास हर गरीब और वंचित के जीवन को आसान बना रहा है, उनकी Ease of Living बढ़ा रहा है। लोगों के जीवन में सरकार का दखल और दबाव भी कम हो गया है। आज लोग सरकार को रास्ते की रुकावट नहीं मानते। बल्कि लोग हमारी सरकार को नए अवसरों के catalyst के तौर पर देखते हैं। और निश्चित तौर पर इसमें Technology की बहुत बड़ी भूमिका रही है।

आप देखिए, Technology, वन नेशन-वन राशन कार्ड का आधार बनी और इससे करोड़ों गरीबों को पारदर्शिता से राशन मिलना सुनिश्चित हुआ। और दूसरे जो प्रवासी मजदूर होते हैं। जो माइग्रेनट लेबरल्‍स होते हैं, उनके लिए तो एक बहुत बड़ा आशीर्वाद बन गया। Technology, जनधन अकाउंट, आधार और मोबाइल इन तीनों के कारण करोड़ों गरीबों के बैंक खातों में सीधे पैसा भेजना संभव हुआ।

उसी प्रकार से Technology, आरोग्य सेतु औऱ कोविन एप उसका एक महत्‍वपूर्ण साधन बनी और इससे कोरोना के दौरान ट्रेसिंग और वैक्‍सीनेशन में बड़ी मदद मिली। हम देखते हैं आज Technology ने रेलवे रिजर्वेशन को और आधुनिक बनाया और सामान्य से सामान्‍य मानवी का इसमें कितना बड़ा सिरदर्द दूर हो गया है। कॉमन सर्विस सेंटर का नेटवर्क भी गरीब से गरीब व्‍यक्ति को Technology के माध्‍यम से सरकारी सेवाओं से बड़ी आसानी से जोड़ रहा है। ऐसे अनेक फैसले लेकर हमारी सरकार ने देशवासियों की Ease of Living बढ़ाई है।

साथियों, आज भारत का हर नागरिक इस बदलाव को स्पष्ट तौर पर महसूस कर रहा है कि अब सरकार के साथ संवाद करना कितना आसान हो गया है। यानी सरकार तक देशवासी, आसानी से अपनी बात पहुंचा पा रहे हैं, और उसका समाधान भी उन्हें तुरंत मिल रहा है। जैसे, टैक्स से संबंधित शिकायतें पहले बहुत ज्यादा होती थीं, और उसके कारण उसके माध्यम से Taxpayers को कई तरीके से परेशान किया जाता था। इसलिए हमने Technology की मदद से टैक्स की पूरी प्रक्रिया को Faceless कर दिया। अब आपकी शिकायतों और उसके निपटारे के बीच कोई व्यक्ति नहीं सिर्फ Technology है। ये मैंने आपको एक उदाहरण दिया है। लेकिन दूसरे विभागों में भी टेक्नॉलजी की मदद से हम ज्यादा बेहतर तरीके से समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। अलग-अलग विभाग अपनी सेवाओं को Global Standard का बनाने के लिए मिलकर टेक्नॉलजी का उपयोग कर सकते हैं। इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए, हम उन क्षेत्रों की भी पहचान कर सकते हैं जहां सरकार से संवाद को और आसान बनाया जा सकता है।

साथियों, आप जानते हैं कि हम मिशन कर्मयोगी के द्वारा सरकारी कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इस ट्रेनिंग के पीछे हमारा उद्देश्य यही है कि कर्मचारियों को citizen-centric बनाया जाए। इस ट्रेनिंग कोर्स को अपडेट करते रहने की जरूरत है। लेकिन इसका बेहतर परिणाम तभी मिलेगा जब इसमें बदलाव लोगों के फीडबैक के आधार पर हो। हम एक ऐसा सिस्टम तैयार कर सकते हैं जिससे ट्रेनिंग कोर्स को बेहतर बनाने के लिए लोगों के सुझाव मिलते रहें।

साथियों, Technology, हर किसी तक सही और सटीक इन्फॉर्मेशन पहुंचाकर सबको आगे बढ़ने का समान अवसर दे रही है। हमारी सरकार टेक्नॉलजी को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर Invest कर रही है। हम भारत में आधुनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं। साथ ही ये भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि डिजिटल क्रांति का फायदा समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। आज GeM पोर्टल ने दूर-दराज के छोटे दुकानदार या रेहड़ी-पटरी वालों को भी ये अवसर दिया है कि वो सरकार को सीधे अपना प्रोडक्ट बेच सकें। e-NAM ने किसानों को अलग-अलग जगहों के खरीदारों से जुड़ने का अवसर दिया है। अब किसान एक ही जगह रहते हुए अपनी उपज का सबसे अच्छा मूल्य पा सकते हैं।

साथियों, आजकल 5G और AI की चर्चा तो काफी दिनों से हो रही है। ये भी कहा जा रहा है कि इंडस्ट्री, मेडिसिन, एजुकेशन, एग्रीकल्चर और तमाम सेक्टर में बड़े बदलाव आने वाले हैं। लेकिन अब हमें अपने लिए कुछ विशेष लक्ष्य तय करने होंगे। वो कौन से तरीके हैं जिससे इस टेक्नॉलजी का उपयोग सामान्य मानवी की बेहतरी के लिए किया जा सकता है? वो कौन से सेक्टर्स हैं जिन पर हमें ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है? क्या हम समाज की 10 ऐसी समस्याओं की पहचान कर सकते हैं, जिनका समाधान AI के माध्यम से हो सकता है? जब हैकेतऑन करते हैं देश के नौजवानों के सामने टेक्‍नोलॉजी के द्वारा solution की बात करते हैं और लाखों नौजवान जुड़ते हैं और बहुत अच्‍छे solution देते हैं।

साथियों, टेक्नॉलजी की मदद से हम, हर व्यक्ति के लिए डिजिलॉकर की सुविधा लेकर आए हैं, अब Digilocker for entities की सुविधा है। यहां कंपनियां, MSME अपनी फाइलों को स्टोर कर सकते हैं, और उसे विभिन्न रेगुलेटर्स और सरकारी विभागों के साथ साझा कर सकते हैं। डिजिलॉकर के कॉन्सेप्ट को और विस्तार देने की जरूरत है, हमें देखना होगा कि और किस तरीके से लोगों तक इसका फायदा पहुंचाया जा सकता है।

साथियों, पिछले कुछ वर्षों में हमने MSME को सपोर्ट करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस बात पर मंथन की जरूरत है कि भारत के लघु उद्योगों को बड़ी कंपनी बनने में कौन-कौन सी बाधाएं आती हैं? हम छोटे व्यवसायों और छोटे उद्योगों के लिए compliance cost को कम करना चाहते हैं। आप जानते हैं कि बिजनेस में कहा जाता है कि time is money. इसलिए compliance में लगने वाले समय की बचत का मतलब है compliance cost की बचत। अगर आप अनावश्यक compliances की लिस्ट बनाना चाहते हैं, तो यही सही समय है, क्योंकि हम पहले ही 40 हजार compliances खत्म कर चुके हैं।

साथियों, सरकार और लोगों के बीच विश्वास की कमी गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। लेकिन आज छोटी गलतियों को de-criminalize करके, और MSME लोन के गारंटर के तौर पर सरकार ने लोगों का भरोसा जीता है। लेकिन हमें रुकना नहीं है, हमें ये भी देखना होगा कि दुनिया के दूसरे देशों में समाज के साथ विश्वास मजबूत करने के लिए क्या किया गया है। हम उनसे सीखकर अपने देश में भी वैसे प्रयास कर सकते हैं।

साथियों, बजट या किसी सरकारी पॉलिसी की सफलता कुछ हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उसे कितने अच्छे तरीके से तैयार किया गया है। लेकिन इससे ज्यादा उसे लागू करने का तरीका महत्वपूर्ण होता है, इसमें लोगों का सहयोग बहुत अहम है। मुझे विश्वास है कि, आप सभी stakeholders के इनपुट से Ease of Living को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। और मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि हम यह कहते हैं कि मैन्‍यूफैक्‍चरिंग हब बनाना है। जीरो डिफेक्‍ट, जीरो इफेक्‍ट यह हमारे लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। हमारी क्‍वालिटी में कोई कॉम्‍प्रमाइज नहीं होना चाहिए। और उसमें टेक्‍नोलॉजी बहुत मदद कर सकती है। हम टेक्‍नोलॉजी की मदद से प्रोडक्‍शन में बहुत बारीकियों तक बहुत ही finish way में प्रोडक्‍ट ले करके आ सकते हैं। और तभी ग्‍लोबल मार्केट हम कैप्‍चर कर सकते हैं।

हमें इस बात को स्‍वीकार करना होगा कि 21वीं सदी टेक्‍नोलॉजी ड्रिवन है। जीवन में टेक्‍नोलॉजी का प्रभाव बहुत बढ़ने वाला है। हम सिर्फ अपने आप को इंटरनेट और डिजिटल टेक्‍नोलॉजी तक सीमित न रखे। उसी प्रकार से आज जैसे ऑप्‍टीकल फाइबर नेटवर्क गांव-गांव पहुंच रहा है। पंचायत तक पहुंचेगा, वेलनेस सेंटर पहुंचेगा, टेनी मेडिसन चलेगी, even health sector भी पूरी तरह टेक्‍नोलॉजी ड्रिवन हो रहा है। आज देश बहुत बड़ी मात्रा में जैसे डिफेंस में हम बहुत कुछ आयात करते हैं। हम हेल्‍थ में भी बहुत कुछ आयात करते हैं। क्‍या मेरे देश के उद्योग जगत के लोग टेक्‍नोलॉजी में upgradation करके उस दिशा में नहीं जा सकते हैं। और इसलिए अब जैसे ऑपटिकल फाइबर गांव-गांव पहुंच रहा है।

जब तक प्राइवेट पार्टी सेवाएं लेने के लिए नहीं आती हैं, नए-नए सॉफ्टवेयर ले करके नहीं आतें हैं। सामान्‍य नागरिक उस ऑपटिकल फाइबर से क्‍या सेवाएं ले सकता है, क्‍या फायदा उठा सकता है। उसके मॉडल को हम डेवलप कर सकते हैं। और हम सब कुछ में जन भागीदारी चाहते हैं। सरकार को ही सब ज्ञान है यह न हमारी सोच है न हमारा दावा है। और इसलिए आप सभी stakeholders से मेरा बहुत आग्रह है कि आप 21वीं सदी जो कि टेक्‍नोलॉजी ड्रीवन सदी है उसको हम जितना जल्‍दी फैलाएं, जितना जल्‍दी सरल बनाएं, जितना जल्‍दी जन सामान्‍य को empower करने वाला बनाए, उतना देश का भी, लोगों का भी कल्‍याण होने वाला है और 2047 में विकसित भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में टेक्‍नोलॉजी हमें बहुत बड़ी ताकत देती है। और हम भाग्‍यवान है कि भारत के पास natural gift है।

हमारे पास talented youth हैं, Skill Menpower है। और भारत के गांव के लोगों को भी टेक्‍नोलॉजी का एडप्‍शन की capability बहुत बड़ी है। हम कैसे इसका फायदा उठाएं, मैं चाहता हूं कि आप लोग विस्‍तार से इसकी चर्चा करे, बारीकियों से चर्चा करें और जो बजट आया है उसका उत्‍तम से उत्‍तम आउट कम कैसे हो, उसका उत्‍तम से उत्‍तम लाभ लोगों तक कैसे पहुंचे। इस पर आपकी चर्चा जितनी गहन होगी, यह बजट सार्थक होगा।

मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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जी-20 की सफलता के पीछे सामूहिकता की शक्ति : पीएम मोदी
September 22, 2023
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"आज का कार्यक्रम मजदूर एकता के बारे में है और आप और मैं दोनों मजदूर हैं"
"क्षेत्र में सामूहिक रूप से काम करने से अलग-थलग रहकर काम करने की भावना ख़त्म हो जाती है और एक टीम का निर्माण होता है"
"सामूहिक भावना में शक्ति है"
“एक सुव्यवस्थित कार्यक्रम के दूरगामी लाभ होते हैं, सीडब्ल्यूजी व्यवस्था ने निराशा की भावना पैदा की, जबकि जी20 ने देश को बड़े आयोजन के प्रति आश्वस्त किया
"मानवता के कल्याण के लिए भारत मजबूती से खड़ा है और जरूरत के समय हर जगह पहुंचता है"

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।