"जिन परिस्थितियों में सोमनाथ मंदिर को तबाह किया गया, औऱ फिर जिन परिस्थितियों में सरदार पटेल जी के प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, वो दोनों ही हमारे लिए एक बड़ा संदेश हैं"
पर्यटन केन्द्रों का ये विकास आज केवल सरकारी योजना का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि जनभागीदारी का एक अभियान है। देश की हेरिटेज साइट्स, हमारी सांस्कृतिक विरासतों का विकास इसका बड़ा उदाहरण है
देश पर्यटन को समग्र रूप से देख रहा है। स्वच्छता, सुविधा, समय और सोच जैसे कारक पर्यटन नियोजन में शामिल किए जा रहे हैं
“हमारी सोच का नवीन और आधुनिक होना आवश्यक है। लेकिन साथ ही, हमें अपनी प्राचीन विरासत पर कितना गर्व है, यह बहुत मायने रखता है"

जय सोमनाथ।

कार्यक्रम में उपस्थित गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और संसद में मेरे साथी श्री सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार में मंत्री पूर्णेश मोदी, अरविंद रयाणी, देवाभाई मालम, जूनागढ़ के सांसद राजेश चूड़ासमा, सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अन्य सदस्यगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

भगवान सोमनाथ की आराधना में हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

भक्ति प्रदानाय कृपा अवतीर्णम्, तम् सोमनाथम् शरणम् प्रपद्ये॥

यानी, भगवान सोमनाथ की कृपा अवतीर्ण होती है, कृपा के भंडार खुल जाते हैं। पिछले कुछ समय से जिस तरह यहाँ एक के बाद एक विकास कार्य हो रहे हैं, ये सोमनाथ दादा की ही विशेष कृपा है। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि सोमनाथ ट्रस्ट से जुड़ने के बाद मैं इतना कुछ होते हुए देख रहा हूं। कुछ महीने पहले यहाँ एक्जीबिशन गैलरी और promenade समेत कई विकास कार्यों का लोकार्पण हुआ था। पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी गई थी। और आज, सोमनाथ सर्किट हाउस का लोकार्पण भी हो रहा है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर गुजरात सरकार को, सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट को, और आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ।

साथियों,

ये जो एक सर्किट हाउस की कमी रहती थी, जब ये सर्किट हाउस नहीं था, तो बाहर से आने वालों को ठहराने की व्यवस्था को लेकर मंदिर ट्रस्ट पर काफी दबाव रहता था। अब ये सर्किट हाउस बनने के बाद, एक स्वतंत्र व्यवस्था बनने के बाद, अब वो भी मंदिर से कोई ज्‍यादा दूर नहीं है, और उसके कारण मं‍दिर पर जो दबाव रहता था, वो भी कम हो गया। अब वो अपने मंदिर के काम में और ज्यादा ध्यान दे पाएंगे। मुझे बताया गया है कि इस भवन को इस तरह बनाया गया है कि यहाँ रुकने वाले व्यक्तियों को sea view भी मिलेगा। यानी, लोग जब यहाँ शांति से अपने कमरे में बैठेंगे, तो उन्हें समुद्र की लहरें भी दिखेंगी और सोमनाथ का शिखर भी नजर आएगा! समंदर की लहरों में, सोमनाथ के शिखर में, उन्हें समय के थपेड़ों को चीरकर गौरवान्वित खड़ी भारत की चेतना भी दिखाई देगी। इन बढ़ती हुई सुविधाओं की वजह से भविष्य में दीव हो, गीर हो, द्वारका हो, वेद द्वारका हो, इस पूरे क्षेत्र में जो भी यात्री आएंगे, सोमनाथ एक प्रकार से इस पूरे टूरिज्‍म सैक्‍टर का एक सेंटर प्‍वाइंट बन जाएगा। एक बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण ऊर्जा केंद्र बन जाएगा।

साथियों,

जब हम अपनी सभ्यता की चुनौतियों से भरी यात्रा पर नज़र डालते हैं, तो अंदाजा होता है कि भारत सैकड़ों वर्षों की गुलामी में किन हालातों से गुजरा है। जिन परिस्थितियों में सोमनाथ मंदिर को तबाह किया गया, औऱ फिर जिन परिस्थितियों में सरदार वल्‍लभ पटेल के प्रयासों से मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ, वो दोनों ही हमारे लिए एक बड़ा संदेश हैं। आज आज़ादी के अमृत महोत्सव में हम देश के अतीत से जो सीखना चाहते हैं, सोमनाथ जैसे आस्था और संस्कृति के स्थल, उसके अहम केंद्र हैं।

साथियों,

अलग-अलग राज्यों से, देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों से, सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने हर साल करीब-करीब एक करोड़ श्रद्धालु आते हैं। ये श्रद्धालु जब यहाँ से वापस जाते हैं तो अपने साथ कई नए अनुभव, कई नए विचार, एक नई सोच ले करके जाते हैं। इसलिए, एक यात्रा जितनी महत्वपूर्ण होती है, उतना ही महत्वपूर्ण उसका अनुभव भी होता है। तीर्थयात्रा में तो खासकर, हमारी इच्छा होती है कि हमारा मन भगवान में ही लगा रहे, यात्रा से जुड़ी अन्य परेशानियों में जूझना न पड़े, उलझना न पड़े। सरकार और संस्थाओं के प्रयासों ने कैसे कई तीर्थों को संवारा है, सोमनाथ मंदिर इसका भी जीवंत उदाहरण है। आज यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रुकने की अच्छी व्यवस्था हो रही है, सड़कों और ट्रांसपोर्ट की सुविधा बढ़ रही है। यहाँ बेहतर प्रोमेनाड विकसित किया गया है, पार्किंग सुविधा बनाई गई है, टूरिस्ट फेसिलिटेशन सेंटर बनाया गया है, साफ-सफाई के लिए वेस्ट मैनेजमेंट की आधुनिक व्यवस्था भी की गई है। एक शानदार पिलिग्रिम प्लाज़ा और कॉम्प्लेक्स का प्रस्ताव भी अपने अंतिम चरणों में है। हम जानते हैं, अभी हमारे पूर्णेश भाई इसका वर्णन भी कर रहे थे। माँ अंबाजी मंदिर में भी इसी तरह के विकास और यात्री सुविधाओं के निर्माण के लिए विचार चल रहा है। द्वारिकाधीश मंदिर, रुक्मणी मंदिर और गोमतीघाट समेत और भी ऐसे कितने ही विकास कार्यों को already हमने पूरा कर लिया है। ये यात्रियों को सुविधा भी दे रहे हैं, और गुजरात की सांस्कृतिक पहचान भी मजबूत कर रहे हैं।

मैं इन उपलब्धियों के बीच, गुजरात के सभी धार्मिक और सामाजिक संगठनों को भी इस अवसर पर जरूर साधुवाद देता हूं, उनको बधाई देता हूं। आपके द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर भी जिस तरह विकास और सेवा के काम सतत किए जा रहे हैं, वो सब कुछ मेरी दृष्टि से तो सबका प्रयास की भावना के उत्‍तम उदाहरण हैं। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने कोरोना की मुश्किलों के बीच जिस तरह यात्रियों की देखभाल की, समाज की ज़िम्मेदारी उठाई, उसमें जीव ही शिव के हमारे विचार के दर्शन होते हैं।

साथियों,

हम दुनिया के कई देशों के बारे में सुनते हैं कि उनकी अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान कितना बड़ा है, इसको बहुत प्रमुखता से दर्शाया जाता है। हमारे यहाँ तो हर राज्य में, हर क्षेत्र में, दुनिया के देशों में एक-एक देश में जितनी ताकत है उतनी हमारे एक-एक राज्‍य में है। ऐसी ही अनंत संभावनाएं हैं। आप किसी भी राज्य का नाम लीजिये, सबसे पहले मन में क्या आता है? गुजरात का नाम लेंगे तो सोमनाथ, द्वारिका, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी,धोलावीरा,कच्छ का रण, ऐसे अद्भुत स्थान मन में उभर जाते हैं। यूपी का नाम लेंगे तो अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयाग, कुशीनगर, विंध्यांचल जैसे अनेकों नाम एक प्रकार से अपनी मानस छवि पर छा जाते हैं। सामान्य जन का हमेशा मन करता है कि इन सब जगहों पर जाने को मिले। उत्तराखंड तो देवभूमि ही है। बद्रीनाथ जी, केदारनाथ जी, वहीं पर हैं। हिमाचल प्रदेश की बात करे तो, माँ ज्वालादेवी वही है, माँ नयनादेवी वही है, पूरा पूर्वोत्तर दैवीय और प्राकृतिक आभा से परिपूर्ण है। इसी तरह, रामेश्वरम् जाने के लिए तमिलनाडु, पुरी जाने के लिए ओडिशा, तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए आंध्र प्रदेश, सिद्धिविनायक जी के लिए महाराष्ट्र, शबरीमाला के लिए केरला का नाम आता है। आप जिस किसी भी राज्य का नाम लेंगे, तीर्थाटन और पर्यटन के एक साथ कई केंद्र हमारे मन में आ जाएंगे। ये स्थान हमारी राष्ट्रीय एकता का, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन स्थलों की यात्रा, राष्ट्रीय एकता को बढ़ाती है, आज देश इन जगहों को समृद्धि के एक मजबूत स्रोत के रूप में भी देख रहा है। इनके विकास से हम एक बड़े क्षेत्र के विकास को गति दे सकते हैं।

साथियों,

पिछले 7 सालों में देश ने पर्यटन की संभावनाओं को साकार करने के लिए लगातार काम किया है। पर्यटन केन्द्रों का ये विकास आज केवल सरकारी योजना का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि जनभागीदारी का एक अभियान है। देश की हेरिटेज साइट्स, हमारी सांस्कृतिक विरासतों का विकास इसका बड़ा उदाहरण है। पहले जो हेरिटेज साइट्स उपेक्षित पड़ी रहती थीं, उन्हें अब सबके प्रयास से विकसित किया जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर भी इसमें सहयोग के लिए आगे आया है। Incredible इंडिया और देखो अपना देश जैसे अभियान आज देश के गौरव को दुनिया के सामने रख रहे हैं, पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं।

स्वदेश दर्शन योजना के तहत देश में 15 थीम बेस्ड टूरिस्ट सर्किट्स भी विकसित किए जा रहे हैं। ये सर्किट न केवल देश के अलग-अलग हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं, बल्कि पर्यटन को नई पहचान देकर सुगम भी बनाते हैं। रामायण सर्किट के लिए जरिए आप भगवान राम से जुड़े जितने भी स्‍थान हैं, भगवान राम के साथ जिन-जिन चीजों का उल्‍लेख आता है, उन सभी स्‍थानों का एक के बाद एक दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए रेलवे द्वारा विशेष रेल भी शुरू की गई है, और मुझे बताया गया कि बहुत पॉपुलर हो रही है।

एक स्पेशल ट्रेन कल से दिव्य काशी यात्रा के लिए भी दिल्ली से शुरू होने जा रही है। बुद्ध सर्किट देश विदेश के पर्यटकों के लिए भगवान बुद्ध के सभी स्थानों तक पहुँचना आसान बना रहा है। विदेशी पर्यटकों के लिए वीज़ा नियमों को भी आसान बनाया गया है, जिसका लाभ भी देश को मिलेगा। अभी कोविड की वजह से कुछ दिक्कतें जरूर हैं लेकिन मेरा विश्वास है, संक्रमण कम होते ही, पर्यटकों की संख्या फिर तेजी से बढ़ेगी। सरकार ने जो वैक्सीनेशन अभियान चलाया है, उसमें भी इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि हमारे टूरिस्ट स्टेट्स में प्राथमिकता के आधार पर सबको वैक्सीन लगे। गोवा, उतराखंड जैसे राज्‍यों ने तो इसमें बहुत तेजी से काम किया है।

साथियों,

आज देश पर्यटन को समग्र रूप में, holistic way में देख रहा है। आज के समय में पर्यटन बढ़ाने के लिए चार बातें आवश्यक हैं। पहला स्वच्छता- पहले हमारे पर्यटन स्थल, पवित्र तीर्थस्थल भी अस्वच्छ रहते थे। आज स्वच्छ भारत अभियान ने ये तस्वीर बदली है। जैसे जैसे स्वच्छता आ रही है, पर्यटन में भी इजाफ़ा हो रहा है। पर्यटन बढ़ाने के लिए दूसरा अहम तत्व है सुविधा। लेकिन सुविधाओं का दायरा केवल पर्यटन स्थल तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। सुविधा परिवहन की, इंटरनेट की, सही जानकारी की, मेडिकल व्यवस्था की, हर तरह की होनी चाहिए। और इस दिशा में भी देश में चौतरफा काम हो रहा है।

साथियों,

पर्यटन बढ़ाने का तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है समय। आजकल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी का दौर है। लोग कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा स्थान कवर करना चाहते हैं। आज जो देश में हाइवेज़, एक्सप्रेसवेज़ बन रहे हैं, आधुनिक ट्रेन्स चल रही हैं, नए एयरपोर्ट्स शुरू हो रहे हैं, उनसे इसमें बहुत मदद मिल रही है। उड़ान योजना की वजह से हवाई किराए में भी काफी कमी आई है। यानि जितना यात्रा का समय घट रहा है, खर्च कम हो रहा है, उतना ही पर्यटन बढ़ रहा है। अगर हम गुजरात को ही देखें तो हमारे यहां बनासकांठा में अंबाजी के दर्शन के लिए, पावागढ़ में कालिका माता के दर्शन के लिए, गिरनार में अब तो रोप-वे भी हो गया है, सतपूड़ा में कुल मिलाकर चार रोप-वे काम कर रहे हैं। इन रोप-वे के शुरू होने के बाद पर्यटकों की सुविधा में वृद्धि हुई है और पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अभी कोरोना के प्रभाव में काफी कुछ रुका हुआ है लेकिन हमने देखा है कि जब स्कूल-कॉलेज के जो विद्यार्थी एजुकेशन टूर पर जाते हैं, उन्हें भी ये ऐतिहासिक स्थान बहुत कुछ सिखाते हैं। जब देशभर में ऐसे स्थानों पर सुविधाएं बढ़ रही हैं, तो विद्यार्थियों को भी सीखने-समझने में आसानी होगी, उनका देश की विरासत से जुड़ाव भी बढ़ेगा।

साथियों,

पर्यटन बढ़ाने के लिए चौथी और बहुत महत्वपूर्ण बात है - हमारी सोच। हमारी सोच का innovative और आधुनिक होना जरूरी है। लेकिन साथ ही साथ हमें अपनी प्राचीन विरासत पर कितना गर्व है, ये बहुत मायने रखता है। हम में ये गौरव भाव है इसलिए हम भारत से चोरी की गई मूर्तियों को, पुरानी धरोहरों को दुनियाभर में से वापस ला रहे हैं। हमारे लिए हमारे पूर्वजों ने इतना कुछ छोड़ा है। लेकिन एक समय था जब हमारी धार्मिक सांस्कृतिक पहचान पर बात करने में संकोच किया जाता था। आजादी के बाद दिल्ली में कुछ गिने-चुने परिवारों के लिए ही नव-निर्माण हुआ। लेकिन आज देश उस संकीर्ण सोच को पीछे छोड़कर, नए गौरव स्थलों का निर्माण कर रहा है, उन्हें भव्यता दे रहा है। ये हमारी ही सरकार है जिसने दिल्ली में बाबा साहेब मेमोरियल का निर्माण किया। ये हमारी ही सरकार है जिसने रामेश्वरम में एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक को बनवाया। इसी तरह, नेताजी सुभाषचंद्र बोस और श्यामजी कृष्ण वर्मा से महापुरुषों के साथ जुड़े स्थानों को भव्यता दी गई है। हमारे आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास को सामने लाने के लिए देशभर में आदिवासी म्यूज़ियम्स भी बनाए जा रहे हैं। आज केवड़िया में बनी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पूरे देश का गौरव है। कोरोना काल शुरू होने से पहले बहुत ही कम समय में 45 लाख से ज्यादा लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने जा चुके थे। कोरोना काल के बावजूद अब तक 75 लाख से ज्यादा लोग स्टेचू ऑफ़ यूनिटी को देखने आ चुके हैं। हमारे नव-निर्मित स्थलों का ये सामर्थ्य है, ये आकर्षण है। आने वाले समय में ये प्रयास पर्यटन के साथ हमारी पहचान को भी नई ऊंचाई देंगे।

और साथियों,

जब मैं वोकल फॉर लोकल की बात करता हूं, तो मैंने देखा है कुछ लोगों को यही लगता है कि मोदी का वोकल फॉर लोकल का मतलब दिवाली के समय दीये कहां से खरीदना है। इतना सीमित अर्थ मत करना भाई। जब मैं वोकल फॉर लोकल कहता हूं तो मेरी दृष्टि से टूरिज्‍म भी इसमें आ जाता है। मेरा तो हमेशा आग्रह रहता है कि जो भी, अगर परिवार में बच्‍चों की चाह है विदेश जाना है, दुबई जाना है, सिंगापुर जाना है, मन कर रहा है, लेकिन विदेश जाने का प्‍लान करने से पहले परिवार में तय करें, पहले हिंदुस्‍तान में 15-20 मशहूर स्‍थान पर जाएंगे। पहले हिंदुस्‍तान को अनुभव करेंगे, देखेंगे, बाद में दुनिया की किसी और जगह पर जाएंगे।

साथियों,

वोकल फॉर लोकल जीवन के हर क्षेत्र में अंगीकार करना ही होगा। देश को समृद्ध बनाना है, देश के नौजवानों के लिए अवसर तैयार करने हैं तो इस रास्‍ते पर चलना होगा। आज आज़ादी के अमृत महोत्सव में हम एक ऐसे भारत के लिए संकल्प ले रहे हैं, जो जितना आधुनिक होगा उतना ही अपनी परम्पराओं से जुड़ा होगा। हमारे तीर्थ स्थान, हमारे पर्यटन स्थल इस नए भारत में रंग भरने का काम करेंगे। ये हमारी विरासत और विकास दोनों के प्रतीक बनेंगे। मुझे पूरा विश्वास है, सोमनाथ दादा के आशीर्वाद से देश के विकास की ये यात्रा इसी तरह अनवरत जारी रहेगी।

एक बार फिर नए सर्किट हाउस के लिए आप सभी को बधाई देता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद।

जय सोमनाथ।

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PM Modi hails the commencement of 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage in India
December 08, 2025

The Prime Minister has expressed immense joy on the commencement of the 20th Session of the Committee on Intangible Cultural Heritage of UNESCO in India. He said that the forum has brought together delegates from over 150 nations with a shared vision to protect and popularise living traditions across the world.

The Prime Minister stated that India is glad to host this important gathering, especially at the historic Red Fort. He added that the occasion reflects India’s commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

The Prime Minister wrote on X;

“It is a matter of immense joy that the 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage has commenced in India. This forum has brought together delegates from over 150 nations with a vision to protect and popularise our shared living traditions. India is glad to host this gathering, and that too at the Red Fort. It also reflects our commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

@UNESCO”