साझा करें
 
Comments
आज हम 130 करोड़ देशवासी मिलकर एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं जो सशक्त भी हो और सक्षम भी हो : पीएम मोदी
आत्मनिर्भर देश ही अपनी प्रगति के साथ-साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी आश्वस्त रह सकता है : प्रधानमंत्री
अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए, आज का भारत पूरी तरह तैयार है: पीएम मोदी जब हम सबका हित सोचेंगे, तभी हमारी प्रगति भी होगी, उन्नति भी होगी : प्रधानमंत्री मोदी

हम सबने अभी लौहपुरूष सरदार वल्ल्भ भाई पटेल की दूरदृष्टि से भरी हुई वाणी प्रसाद के रूप में प्राप्त की। मेरी बात बताने से पहले मैं आप सबसे भारत माता की जय का जयघोष कराऊंगा, और आप सबसे मेरा आग्रह है, यूनिफोर्म वाले जवानों से भी मेरे आग्रह है और दूर दूर पहाडियों पर बैठे मेरे आदिवासी भाईयों बहनों से भी आग्रह है कि एक हाथ उपर करके पूरी ताकत से सरदार साहब का स्मरण करते हुए हम भारत माता की जय का घोष करेंगे। मैं तीन बार करवाऊंगा, पुलिस बेड़े के वीर बेटे-बेटियों के नाम- भारत माता की जय, कोरोना के समय में सेवारत कोरोना वॉरियर्स के नाम- भारत माता की जय, आत्मनिर्भरता के संकल्प को सिद्ध करने में जुटे कोटि-कोटि लोगों के नाम- भारत माता की जय, मैं कहूंगा सरदार पटेल, आपलोग दो बार बोलेंगे अमर रहें- अमर रहें, सरदार पटेल अमर रहें - अमर रहें, सरदार पटेल अमर रहें - अमर रहें, सरदार पटेल अमर रहें - अमर रहें, सभी देशवासियों को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मजयंती की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। देश की सैकड़ों रियासतों को, राजे-रजवाड़ों को एक करके, देश की विविधता को आजाद भारत की शक्ति बनाकर, सरदार पटेल ने हिंदुस्तान को वर्तमान स्वरूप दिया।

2014 में हम सभी ने उनके जन्मदिन को भारत की एकता के पर्व के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। इन 6 वर्षों में देश ने गाँवों से लेकर महानगरों तक, पूरब से पश्चिम तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक सभी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’के संकल्प को पूरा करने का प्रयास किया है। आज एक बार फिर यह देश माँ भारती के महान सपूत को,देश के लौहपुरुष को,श्रद्धा-सुमन समर्पित कर रहा है। आज एक बार फिर यह देश सरदार पटेल की इस गगन-चुम्बी प्रतिमा के सानिध्य में, उनकी छाया में, देश की प्रगति के महायज्ञ का अपना प्रण दोहरा रहा है। साथियों,मैं कल दोपहर ही केवड़िया पहुंच गया था। और केवड़िया पहुंचने के बाद कल से लेकर अब तक यहां केवड़ियां में जंगल सफारी पार्क, एकता मॉल, चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क और आरोग्य वन जैसे अनेक नए स्थलों का लोकार्पण हुआ है। बहुत ही कम समय में, सरदार सरोवर डैम के साथ जुड़ा हुआ ये भव्य निर्माण ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का, नए भारत की प्रगति का तीर्थस्थल बन गया है। आने वाले समय में मां नर्दा के तट पर, भारत ही नहीं पूरी दुनिया के टूरिज्म मैप ये स्थान अपनी जगह बनाने वाला है, छाने जा रहा है।

आज सरदार सरोवर से साबरमती रिवर फ्रंट तक सी-प्लेन सेवा का भी शुभारंभ होने जा रहा है। ये देश की पहली और अपने आप में अनूठी सी-प्लेनसेवा है।सरदार साहब के दर्शन के लिए, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए देशवासियों को अब सी-प्लेन सर्विस का भी विकल्प मिलेगा। ये सारे प्रयास इस क्षेत्र में पर्यटन को भी बहुत ज्यादा बढ़ाने वाले हैं। इससे यहां के लोगों को, मेरे आदिवासी भाई-बहनों को रोजगार के भी नए मौके मिल रहे हैं। इन उपलब्धियों के लिए भी मैं गुजरात सरकार को, गुजरात के सभी नागरिकों को और सभी 130 करोड़ देशवासियों को बधाई देता हूं।

साथियों, कल जब मैं सारे क्षेत्रों में पूरे दिन जा रहा था ओर वहां गाईड के रूप में यहीं आस पास के गावं की हमारी बेटियां जिस कॉनफिडैंस के साथ, जिस गहराई के साथ, सभी सवालों के जानकारी के साथ त्वरित उत्तरों के साथ मुझे गाईड कर रही थी। मैं सच में बताता हूं मेरा मष्तक ऊंचा हो गया। मेरे देश की गावं की आदिवासी कन्याओं का ये सामर्थ्य, उनकी एक क्षमता, अभिभूत करने वाली थी। मैं उन सभी बच्चों को इतने कम समय में उन्होनें जो महारथ हासिल की है। और इसमें नया एक प्रकार से expertise को जोड़ा है, प्रोफेशनलिज्म को जोड़ा है। मैं उनको भी आज हृदय से मेरी आदिवासी बेटियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, ये भी अद्भुत संयोग है कि आज ही महर्षि वाल्मीकि जयंती भी है। आज हम भारत की जिस सांस्कृतिक एकता का दर्शन करते हैं, जिस भारत को अनुभव करते हैं, उसे और जीवंत और ऊर्जावान बनाने का काम सदियों पहले आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने ही किया था। भगवान राम के आदर्श, राम के संस्कार अगर आज भारत के कोने-कोने में हमें एक दूसरे से जोड़ रहे हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी महर्षि वाल्मीकि जी को ही जाता है। राष्ट्र को, मातृभूमि को सबसे बढ़कर मानने का महर्षि वाल्मीकि का जो उद्घोष था, ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ ये जो मंत्र था, वही आज राष्ट्र प्रथम ‘India first’ के संकल्प का मजबूत आधार है।

मैं सभी देशवासियों को महर्षि वाल्मीकि जयंती की भी हृदय से हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ। साथियों, तमिल भाषा के महाकवि और स्वतंत्र सेनानी सुब्रह्मणियम भारती ने लिखा था- मन्नुम इमयमलै एंगल मलैये,मानिल मीधु इधु पोल पिरिधु इल्लैये, इन्नरु नीर गंगै आरेंगल आरे इ॑गिथन मान्बिर एधिरेधु वेरे, पन्नरुम उपनिट नूलेन्गल नूले पार मिसै एधोरु नूल इधु पोले, पोननोलिर भारत नाडेंगल नाडे पोट रुवोम इग्तै एमक्किल्लै ईडे। सुब्रह्मणियम भारती की जो कविता है, उसका भावार्थ हिन्दी में जो मिलता है, दूर-सुदूर क्षेत्रों के बारे में जो वर्णन है, वो भी इतना ही प्रेरक है।

सुब्रह्मणियम भारती जी ने जिस भाव को प्रकट किया है, दुनिया की सबसे पुरातन भाषा तमिल भाषा में किया है। और क्या अद्भूत मां भारती का वर्णन किया है। सुब्रह्मणियम भारती जी के उस कविता के भाव हैं, चमक रहा उत्तुंग हिमालय, यह नगराज हमारा ही है। जोड़ नहीं धरती पर जिसका, वह नगराज हमारा ही है। नदी हमारी ही है गंगा, प्लावित करती मधुरस धारा, बहती है क्या कहीं और भी, ऐसी पावन कल-कल धारा? सम्मानित जो सफल विश्व में, महिमा जिनकी बहुत रही है अमर ग्रन्थ वे सभी हमारे, उपनिषदों का देश यही है। गाएँगे यश हम सब इसका, यह है स्वर्णिम देश हमारा, आगे कौन जगत में हमसे, गुलामी के कालखंड में भी, सुब्रह्मणियम भारती जी का विश्वास देखिए, वो भाव प्रकट करते हैं, आगे कौन जगत में हमसे, यह है भारत देश हमारा”।

भारत के लिए इस अद्भुत भावना को आज हम यहां मां नर्मदा के किनारे, सरदार साहेब की भव्य प्रतिमा की छांव में और करीब से महसूस कर सकते हैं। भारत की यही ताकत, हमें हर आपदा से, हर विपत्ति से लड़ना सिखाती है, और जीतना भी सिखाती है। आप देखिए, पिछले साल से ही जब हम आज के दिन एकता दौड़ में शामिल हुए थे, तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि दुनिया पूरी मानवजाति को कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सामना करना पड़ेगा। ये आपदा अचानक आयी। इसने पूरे विश्व में मानव जीवन को प्रभावित किया है, हमारी गति को प्रभावित किया है। लेकिन इस महामारी के सामने देश ने, 130 करोड़ देशवासियों ने जिस तरह अपने सामूहिक सामर्थय को, अपनी सामूहिक इच्‍छा शक्‍ति को साबित किया है वह अभूतपूर्व है। इतिहास में उसकी कोई मिसाल नहीं।

कोरोना वॉरियर्स के सम्‍मान में 130 करोड़ देशवासियों ने एक हो कर कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी, लेह से लक्षद्वीप, अटक से कटक, कच्‍छ से कोहिमा, त्रिपुरा से सोमनाथ 130 करोड़ देशवासियों ने एक हो कर जो जज्‍बा दिखाया, एकता का जो संदेश दिया उसने आठ महीने से हमें इस संकट के सामने जूझने की लड़ने की और विजय पथ पर आगे बढ़ने की ताकत दी है। देश ने उनके सम्‍मान के लिए दिये जलाए, सम्‍मान व्‍यक्‍त किया। हमारे कोरोना वारियर्स, हमारे अनेक पुलिस के होन्‍हार साथियों ने दूसरों का जीवन बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया। आजादी के बाद मानव सेवा के लिए सुरक्षा के लिए जीवन देना इस देश के पुलिस बेड़े की विशेषता रही ह। करीब-करीब 35 हजार मेरे पुलिस बेड़े के जवानों ने आजादी के बाद बलिदान दिये हैं। लेकिन इस कोरोना काल खण्‍ड में सेवा के लिए, दूसरे की जिंदगी बचाने के लिए मेरे पुलिस के बेड़े के जवानों ने, कइयों ने सेवा करते-करते खुद को ही समर्पित कर दिया। इतिहास कभी इस स्‍वर्णिम पल को कभी भुला नही सकेगा और पुलिस बेड़े के जवानों को ही नहीं 130 करोड़ देशवासियों को पुलिस बेड़े के वीरों के इस समर्पण भाव को हमेशा नतमस्‍तक होने के लिए प्रेरित करेगा।

साथियों, ये देश की एकता की ही ताकत थी कि जिस महामारी ने दुनिया के बड़े-बड़े देशों को मजबूर कर दिया है, भारत ने उसका मजबूती से मुकाबला किया है। आज देश कोरोना से उभर भी रहा है और एकजुट हो कर आगे भी बढ़ रहा है। ये वैसे ही एकजुटता है जिसकी कल्‍पना लौह पुरुष सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने की थी। हम सभी की ये एकजुटता कोरोना के इस संकट काल में लौह पुरुष सदार वल्‍लभ भाई पटेल को सच्‍ची श्रद्धांजलि है।

साथियों, विपदाओं और चुनौतियों के बीच भी देश ने कई ऐसे काम किये हैं जो कभी असंभव मान लिए गए थे। इसी मुश्‍किल समय में धारा 370 हटने के बाद, आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्‍मीर ने समावेश का एक साल पूरा किया। 31 अक्‍टूबर को ही आज से एक साल पहले ये कार्यरत हुआ था। सरदार साहब जीवित थे। बाकी राजा-रजवाड़ों के साथ ये काम भी अगर उनके जिम्‍मे होता तो आज आजादी के इतने वर्षों बाद ये काम करने की नौबत मुझपे नहीं आती। लेकिन सरदार साहब का वो काम अधूरा था, उन्‍हीं की प्रेरणा से 130 करोड़ देशवासियों को उस कार्य को भी पूरा करने का सौभाग्‍य मिला है। कश्‍मीर के विकास में जो बाधाएँ आ रही थीं उन्‍हें पीछे छोड़कर अब कश्‍मीर विकास के नए मार्ग पर बढ़ चुका है। चाहे नॉर्थ-ईस्‍ट में शान्‍ति की बहाली हो या नार्थ-ईस्‍ट के विकास के लिए उठाए जा रहे कदम आज देश एकता के नए आयाम स्‍थापित कर रहा है। सोमनाथ के पुनर्निर्माण सरदार पटले ने भारत के सांस्‍कृतिक गौरव को लौटाने का जो यज्ञ शुरू किया था उसका विस्‍तार देश ने अयोध्‍या में भी देखा है। आज देश राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का साक्षी बना है और भव्‍य राम मंदिर को बनते भी देख रहा है।

साथियों, आज हम 130 करोड़ देशवासी मिलकर एक ऐसे राष्‍ट्र का निर्माण कर रह हैं जो सशक्‍त भी है और सक्षम भी हो। जिसमें समानता भी हो और संभावनाएँ भी हों। सरदार साहब भी कहते थे और सरदार साहब के शब्‍द हैं दुनिया का आधार किसान और मजदूर हैं, मैं सोचता हूँ कि कैसे किसान को गरीब और कमजोर न रहने दूँ, कैसे उन्हे मजबूत करूँ, और ऊंचा सिर करके चलने वाला बना दूं”।

साथियों, किसान, मजदूर, गरीब सशक्त तब होंगे, जब-जब वो आत्मनिर्भर बनेंगे। सरदार साहब का ये सपना था वो कहते थे साथियों, किसान, मजदूर, गरीब सशक्त तब होंगे, जब-जब वो आत्मनिर्भर बनेंगे। और जब किसान मजदूर आत्मनिर्भर बनेंगे, तभी देश आत्मनिर्भर बनेगा। साथियों, आत्मनिर्भर देश ही अपनी प्रगति के साथ-साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी आश्वस्त रह सकता है। और इसलिए, आज देश रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, सीमाओं पर भी भारत की नज़र और नज़रिया अब बदल गए हैं। आज भारत की भूमि पर नज़र गड़ाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने की ताकत हमारे वीर-जवानों के हाथ में है। आज का भारत सीमाओं पर सैकड़ों किलोमीटर लंबी सड़कें बना रहा है, दर्जनों ब्रिज, अनेक सुरंगें लगातार बनाता चला जा रहा है। अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए आज का भारत पूरी तरह सज्‍य है, प्रतिबध्‍य है, कटिबध्‍य है, पूरी तरह तैयार है।

लेकिन साथियों, प्रगति के इन प्रयासों के बीच, कई ऐसी चुनौतियां भी हैं जिसका सामना आज भारत और पूरा विश्व कर रहा है। बीते कुछ समय से दुनिया के अनेक देशों में जो हालात बने हैं, जिस तरह कुछ लोग आतंकवाद के समर्थन में खुलकर के सामने आ गए हैं, वो आज मानवता के लिए, विश्‍व के लिए, शान्‍ति के उपासकों के लिए एक वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है। आज के माहौल में, दुनिया के सभी देशों को, सभी सरकारों को, सभी पंथों को, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की सबसे ज्‍यादा जरूरत है। शांति-भाईचारा और परस्पर आदर का भाव ही मानवता की सच्ची पहचान है। शान्‍ति, एकता और सद्भाव वो ही उसका मार्ग है। आतंकवाद-हिंसा से कभी भी, किसी का कल्याण नहीं हो सकता। भारत तो पिछले कई दशकों से आतंकवाद का भुक्तभोगी रहा है, पीड़ित रहा है। भारत ने अपने हजारों वीर-जवानों को खोया है, अपने हजारों निर्दोष नागरिकों को खोया है, अनेक माताओं के लाल खोए हैं, अनेक बहनों के भाई खोए हैं। आतंक की पीड़ा को भारत भली-भांति जानता है। भारत ने आतंकवाद को हमेशा अपनी एकता से, अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से जवाब दिया है। आज पूरे विश्व को भी एकजुट होकर, हर उस ताकत को हराना है जो आतंक के साथ है, जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।

साथियों, भारत के लिए तो एकता के मायनों का विस्तार हमेशा से बहुत ज्यादा रहा है। हम तो वो लोग हैं जिनको वो प्रेरणा मिली है- ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’’ हम वो लोग हैं जिन्‍होंने आत्‍मसात किया है ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की यही तो हमारी जीवन धारा है। भगवान बुद्ध से लेकर महात्मा गांधी तक भारत ने समूचे विश्व को शांति और एकता का संदेश दिया है। साथियों, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने लिखा है- भारत एक विचार, स्वर्ग को भू पर लाने वाला। भारत एक भाव, जिसको पाकर मनुष्य जगता है। हमारा ये राष्ट्र हमारे विचारों से, हमारी भावनाओं से, हमारी चेतनाओं से, हमारे प्रयासों से, हम सबसे मिलकर ही बनता है। और इसकी बहुत बड़ी ताकत, भारत की विविधता है। इतनी बोलियां, इतनी भाषाएं, अलग-अलग तरह के परिधान, खानपान, रीति-रिवाज,

मान्यताएं, ये किसी और देश में मिलना मुश्किल है। हमारे वेद-वाक्यों में भी कहा गया है- जनं बिभ्रति बहुधा विवाचसं नानाधर्माणं पृथ्वीवी यथौकसम्। सहस्त्रं धारा द्रविणस्य में दुहां ध्रुवेव धेनुरन-पस्फुरन्ति। अर्थात, हमारी ये मातृभूमि अलग अलग भाषाओं को बोलने वाले, अलग अलग आचार, विचार, व्यवहार वाले लोगों को एक घर के समान धारण करती है। इसलिए, हमारी ये विविधता ही हमारा अस्तित्व है। इस विविधता में एकता को जीवंत रखना ही राष्ट्र के प्रति हमारा कर्तव्य है। हमें याद रखना है कि हम एक हैं, तो हम अपराजेय हैं। हम एक हैं तो असाधारण हैं। हम एक हैं तो हम अद्वितीय हैं। लेकिन साथियों, हमें ये भी याद रखना है कि भारत की ये एकता, ये ताकत दूसरों को खटकती भी रहती है। हमारी इस विविधता को ही वो हमारी कमजोरी बनाना चाहते हैं। हमारी इस विविधता को आधार बनाकर वो एक दूसरे के बीच खाई बनाना चाहते हैं। ऐसी ताकतों को पहचानना जरूरी है, ऐसी ताकतों से हर भारतीय को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।

साथियों, आज यहां जब मैं अर्ध-सैनिक बलों की परेड देख रहा था, आप सभी के अद्भुत कौशल को देख रहा था, तो मन में एक और तस्वीर थी। ये तस्वीर थी पुलवामा हमले की। उस हमले में हमारे पुलिस बेड़े के हमारे जो वीर साथी शहीद हुए, वो अर्धसैनिक बेड़े के ही थे। देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे, वो पुलवामा हमले में भी अपना राजनीतिक स्वार्थ खोज रहे थे। अपना राजनीतिक स्‍वार्थ देख रहे थे। देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी। और उस समय उन वीरों की तरफ देखते हुए मैंने विवादों से दूर रहे कर के सारे आरोपों को झेलता रहा भद्दी-भद्दी बातों को सुनता रहा। मेरे दिल पर वीर शहीदों का गहरा घाव था। लेकिन पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है। अपने निहित स्वार्थ के लिए, राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। मैं ऐसे राजनीतिक दलों से, ऐसे लोगों से आग्रह करूंगा और आज के समय में मैं जरा विशेष आग्रह करूंगा और सरदार साहब के प्रति अगर आपकी श्रद्धा है तो इस महापुरुष की इस विराट प्रतिमा के सामने से आपको आग्रह करूंगा कि देशहित में, देश की सुरक्षा के हित में, हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें, ऐसी चीजों से बचें। अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की, उनके हाथों में खेलकर, उनका मोहरा बनकर, न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का।

साथियों, हमें ये हमेशा याद रखना है कि हम सभी के लिए अगर सर्वोच्च कोई बात है तो वो है सर्वोच्‍च हित- देशहित है। जब हम सबका हित सोचेंगे, तभी हमारी भी प्रगति होगी, तभी हमारी भी उन्नति होगी। भाइयों और बहनों, आज अवसर है कि इस विराट, भव्य व्यक्तित्व के चरणों में हम उसी भारत के निर्माण का संकल्प दोहराएं जिसका सपना सरदार वल्‍ल्‍भ भाई पटेल ने देखा था। एक ऐसा भारत जो सशक्त होगा, समृद्ध होगा और आत्मनिर्भर होगा। आइये, इस पावन अवसर पर हम फिर से राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण को दोहराएँ। आइए, सरदार पटेल के चरणों में नतमस्तक होकर हम यह प्रतिज्ञा लें कि देश का गौरव और मान बढ़ाएँगे, इस देश को नयी ऊँचाइयों पर ले जाएँगे।

इसी संकल्प के साथ, सभी देशवासियों को एकता पर्व की एक बार फिर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। आदरपूर्वक सरदार साहब को नमन करते हुए श्रद्धापूर्वक सरदार साहब को श्रद्धांजलि देते हुए मैं देशवासियों को वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएँ, सरदार साहब की जयंती की शुभकामनाओं के साथ मेरी वाणी को विराम देता हूँ।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

Explore More
आज का भारत एक आकांक्षी समाज है: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज का भारत एक आकांक्षी समाज है: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India’s blue economy sets sail to unlock a sea of opportunities!

Media Coverage

India’s blue economy sets sail to unlock a sea of opportunities!
...

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM Modi's telephonic conversation with Crown Prince and PM of Saudi Arabia
June 08, 2023
साझा करें
 
Comments
Prime Minister Narendra Modi holds telephone conversation with Crown Prince and Prime Minister of Saudi Arabia.
The leaders review a number of bilateral, multilateral and global issues.
PM thanks Crown Prince Mohammed bin Salman for Saudi Arabia's support during evacuation of Indian nationals from Sudan via Jeddah.
PM conveys his best wishes for the upcoming Haj pilgrimage.
Crown Prince Mohammed bin Salman conveys his full support to India’s ongoing G20 Presidency.

Prime Minister Narendra Modi had a telephone conversation today with Crown Prince and Prime Minister of Saudi Arabia, HRH Prince Mohammed bin Salman bin Abdulaziz Al Saud.

The leaders reviewed a number of issues of bilateral cooperation and exchanged views on various multilateral and global issues of mutual interest.

PM thanked Crown Prince Mohammed bin Salman for Saudi Arabia's excellent support during evacuation of Indian nationals from Sudan via Jeddah in April 2023. He also conveyed his best wishes for the upcoming Haj pilgrimage.

Crown Prince Mohammed bin Salman conveyed his full support to India’s initiatives as part of its ongoing G20 Presidency and that he looks forward to his visit to India.

The two leaders agreed to remain in touch.