उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, और उज्‍बेकिस्‍तान में भारत की महान परम्‍परा, संस्‍कृति और उज्‍बेकिस्‍तान की महान संस्‍कृति और परम्‍परा के बीच आदान-प्रदान करना, एक सेतु बनाना इसका जो अविरल प्रयास चल रहा है उसके साथ जुड़े हुए आप सभी महानुभावों का मुझे आज दर्शन करने का अवसर मिला है।

यहां पर जो सांस्‍कृतिक कार्यक्रम प्रस्‍तुत किया गया है उज्‍बेक की बेटियों ने, और मैं देख रहा था कि उन्‍होंने सिर्फ practice नहीं की है, एक प्रकार से साधना की है और उत्‍तम प्रदर्शन सिर्फ उनके हाथ-पैर नहीं हिल रहे थे उनका मन-मंदिर भी जुड़ रहा था, ऐसा मैं अनुभव कर रहा था।

कल मेरी प्रधानमंत्रीजी और राष्‍ट्रपतिजी के साथ बहुत विस्‍तार से बातचीत हुई है। कल जब हम रात को खाना खा रहे थे, वहां संगीत की योजना की गई थी instrumental तो सारे western थे लेकिन बहुत अच्‍छी प्रयत्‍न करके भारतीय गीतों को प्रस्‍तुत करने का बहुत ही सफल प्रयास किया। मैंने राष्‍ट्रपति जी को बधाई दी और मुझे आश्‍चर्य हुआ कि राष्‍ट्रपति जी को राजधानी के विषय में मालूम था, कौन सा गीत बजाया जाएगा वो पहले से बताते थे, फिर उन्‍होंने मुझे गर्व से कहा - और प्रधानमंत्री जी ने भी कहा - कि हम हमारे यहां सभी गांवों में संगीत स्‍कूल का आग्रह करते हैं। कुछ मात्रा में हमने पिछले पांच साल में संगीत स्‍कूल खोले हैं और आगे भी इन स्‍कूलों को बढ़ाना चाहते हैं और यह भी बताया कि भारतीय संगीत के प्रति सभी की रूचि बहुत बढ़ रही है, और संगीत के माध्‍यम से संस्‍कार करने का हम एक प्रयास कर रहे हैं। अगर युद्ध से मुक्ति चाहिए तो संगीत व्‍यक्ति को कभी भी हिंसा की ओर जाने नहीं देता है। ये बातें कल मुझे राष्‍ट्रपति जी ने सुनकर के बहुत ही आनन्‍द आया।

व्यक्तित्‍व के विकास के लिए अनेक पहलुओं की चर्चा हुई। Personality development में इन बातों को सिखाया जाता है। लेकिन मैं मानता हूं कि Personality के development में भाषा की बहुत बड़ी ताकत है। आपको किसी और देश का व्‍यक्ति मिल जाए, और आपकी भाषा में पहला शब्‍द अगर वह बोल दें तो आप देखेगें बिना कोई पहचान, बिना कोई जानकारी आप एकदम स्‍तब्‍ध हो जाते हैं, खुल जाते हैं - ये ताकत होती है भाषा में। अगर कोई विदेशी व्‍यक्ति हम भारतीयों को मिले तो नमस्‍ते बोल देंगे ऐसा लगता है कि हमें कोई अपना मिल गया।

भाषा को जो बचाता है, भाषा को संभालता है, भाषा का जो संबोधन करता है, वह देश अपने भविष्‍य को तो ताकतवर बनाता ही है, लेकिन वह अपने भव्‍य भाल से उसका essence लगातार लेता रहता है। भाषा ऐसी खिड़की है कि उस भाषा को अगर जानें तो फिर उस भाषा में उपलब्‍ध ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है, आनन्‍द मिलता है।

हमारे यहां कहते हैं “पानी रे पानी, तेरा रंग कैसा?” पानी को जिसके साथ मिलाओ उसका रंग वैसा ही हो जाता है। भाषा को भी हर पल एक नया संगी-साथी मिल जाता है। भाषा को मित्र बना कर देखिए। भाषा उस हवा के झोंके जैसा होता है जो जिस बगीचे से गुजरे जिन फूलों को स्पर्श करके वो हवा चले, तो हमें उसी की महक आती है।

भाषा जहां-जहां से गुजरती है वहां की महक अपने साथ ले चलती है। जिस युग से गुजरती है, उस युग की महक लेकर जाती है, जिस इलाके से गुजरती है उस इलाके की महक साथ ले जाती है। जिस परपंरा से गुजरती है परंपरा की महक साथ ले जाती है और हर महक एक प्रकार से जीवन के ऐसे बगीचे को सुंगधित कर देती है यह भाषा, जहां पर हर प्रकार की महक हम महसूस करते हैं।

भाषा का आर्थिक स्थिति के साथ सीधा-सीधा नाता है। जिनकी आर्थिक समृद्धि होती है, उनकी भाषा के पंख बड़े तेज उड़ते हैं। दुनिया के सारे लोग उस भाषा को जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं क्‍योंकि आर्थिक व्यापार के लिए सुविधा होती है। आर्थिक अनुष्‍ठान बन जाती है भाषा, और मैं देखता हूं कि आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान की भाषाओं का महत्‍व बढ़ने वाला है क्‍योंकि भारत आर्थिक उन्‍नति पर जैसे-जैसे जाएगा दुनिया उससे जुड़ना चाहेगी।

भाषा अगर एक वस्तु होती, एक इकाई होती - और अगर मानो उसको डीएनए test किया जाता तो मैं यह मानता हूं कि ये सबसे बड़ी चीज हाथ लगती, कि भाषा का हृदय बड़ा विशाल होता है, उसके DNA से पता चलता। क्‍योंकि भाषा सबको अपने में समाहित कर लेती है। उसे कोई बंधन नहीं होता। न रंग का बंधन होता है, न काल का बंधन होता है, न क्षेत्र विशेष का बंधन होता है। इतना विशाल हृदय होता है भाषा का जो हर किसी को अपने में समाहित कर लेता है। Inclusive.

मैं एक बार रशिया के एक इलाके में गया था - अगर मैं “Tea” बोलूं तो उनको समझ में नहीं आता था, “चाय” बोलूं तो समझ आता था। “Door” बोलूं तो समझ नहीं आता था, “द्वार” बोलूं तो समझ आता था। इतने सारे... जैसे हमारे यहां तरबूज बोलते है, watermelon. वो भी तरबूज बोलते हैं। यानी की किस प्रकार से भाषा अपने आप में सबको समाविष्ट कर लेती है। आपके यहां भी अगर कोई “दुतार” बजाता है, तो हमारे यहाँ “सितार” बजाता है। आपके यहां कोई “तम्‍बूर” बजाता है, तो हमारे यहां “तानपूरा” बजाता है, आपके यहां कोई “नगारे” बजाता है तो हमारे यहां “नगाड़े” बजाता है। इतनी समानता है इसका कारण है कि भाषा का हृदय विशाल है, वो हर चीज को अपने में समाहित कर लेती है।

आप कितने ही बड़े विद्वान हो, कितने ही बड़े भाषा शास्त्री हों, लेकिन ईश्‍वर हमसे एक कदम आगे है। हम हर भाषा का post-mortem कर सकते हैं। उसकी रचना कैसी होती है, ग्रामर कैसा होता है, कौन-सा शब्‍द क्‍यों ऐसा दिखता है - सब कर सकते है। लेकिन मानव की मूल संपदा को प्रकट करने वाली दो चीजें हैं, जो ईश्‍वर ने दी है। दुनिया की किसी भी भूभाग, किसी भी रंग के व्‍यक्ति, किसी भी युग के व्‍यक्ति में, दो भाषाओं में समानता है। एक है “रोना”, दूसरा है “हँसना” - हर किसी की रोने की एक भाषा है, और हंसने की भी एक ही भाषा है। कोई फर्क नहीं है और अभी तक कोई पंडित उनका व्‍याकरण नहीं खोल पाया है।

आज के युग में दो राष्‍ट्रों के संबंध सिर्फ सरकारी व्‍यवस्‍थाओं के तहत सीमित नहीं है। दो राष्‍ट्रों के संबंधों की मजबूती के आधार people-to-people contact होता है। और people-to-people contact का आधार सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान, एक-दूसरे की परम्‍पराओं को, इतिहास को, संस्‍कृति को जानना, जीना ये बहुत बड़ी ताकत होता है। आपका ये प्रयास भारत और उज्‍बेकिस्‍तान के साथ people-to-people contact बढ़ाने का एक बहुत बड़ा platform है, बहुत बड़ा प्रयास है। ये संबंध बड़े गहरे होते है और बड़े लम्‍बे अरसे तक रहते है। सरकारें बदलें व्‍यवस्‍थाएं बदलें, नेता बदले लेकिन ये नाता कभी बदलता नहीं है। जो नाता आप जोड़ रहे है, आपके प्रयासों से इसको मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं।

Central Asia की पाँचों देशों की एक साथ यात्रा करने का सौभाग्‍य शायद ही... एक साथ यात्रा करने का सौभाग्‍य बहुत कम लोगों को मिलता होगा। मुझे वो सौभाग्‍य मिला है और Central Asia की करीब 5 देशों की यात्रा, पहली उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा से प्रारम्‍भ हुआ। ये मेरा सार्वजनिक रूप से इस यात्रा का अंतिम कार्यक्रम है। मैं बड़े संतोष और गर्व के साथ कहता हूं कि यह यात्रा बहुत ही सफल रही है। लंबे अर्से तक सुफल देने वाली यात्रा रही है, और आने वाले दिनों में भारत और उज्‍बेकिस्‍तान के आर्थिक-सामूहिक संबंध और गहरे होते जाएंगे, जो दोनों देशों को ताकत देंगे, इस region को ताकत देंगे, और इस region के साथ भारत मिल करके मानवजात के कल्‍याण के लिए सामान्‍य मानव के उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए उत्‍तम से उत्‍तम काम करते रहेंगे। इस विश्‍वास के साथ मैं फिर एक बार उजबेक्सितान के राष्‍ट्रपति जी का, प्रधानमंत्री जी का, यहां की जनता-जनार्दन का और इस समारोह में इतना उत्‍तम कार्यक्रम बनाने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं और जो शब्दकोष का निर्माण हुआ है वो शब्‍दकोष आने वाले दिनों में नई पीढि़यों को काम आएगा।

आज technology का युग है। Internet के द्वारा online हम language सीख सकते है। हम सुन करके भी language सीख करते है, audio से भी सीख सकते है। एक प्रकार से आज अपनी हथेली में विश्‍व को जानने, समझने, पहचानने का आधार बन गया है। मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में हमारे ये जो सारे प्रयास चल रहे है इसमें technology भी जुड़ेगी और technology के माध्‍यम से हम खुद audio system से भी अपनी भाषाओं को कैसे सीखें - Audio हो, Visual हो, written text हो एक साथ सभी चीजें हो गई तो pick up करने में बड़ी सुविधा रहती है। उसकी दिशा में भी आवश्‍यक जो भी मदद भारत को करनी होगी, भारत अवश्‍य मदद करेगा।

फिर एक बार मैं आप सबका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

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'रोजगार मेलों' से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में परमानेंट जॉब मिली: पीएम मोदी
July 12, 2025
Quoteआज 51 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोज़गार मेलों के माध्यरम से लाखों युवाओं को सरकार में स्थायी नौकरी मिल चुकी है। अब ये युवा राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं: प्रधानमंत्री
Quoteदुनिया आज मानती है कि भारत के पास दो असीम शक्तियां हैं, एक है जनसांख्यिकी, दूसरी है लोकतंत्र। दूसरे शब्दों में, सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र: प्रधानमंत्री
Quoteआज देश में बन रहा स्टार्टअप्स, नवाचार और अनुसंधान का वातावरण देश के युवाओं की क्षमताओं को बढ़ा रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteहाल ही में मंज़ूर की गई नई योजना, रोज़गार से जुड़ी प्रोत्साबहन योजना के साथ सरकार का ध्यान निजी क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर पैदा करने पर भी है: प्रधानमंत्री
Quoteआज भारत की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक हमारा निर्माण क्षेत्र है। निर्माण क्षेत्र में बड़ी संख्या में नए रोज़गारों का सृजन हो रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए इस साल के बजट में मिशन निर्माण क्षेत्र की घोषणा की गई है: प्रधानमंत्री
Quoteअंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन - आईएलओ की एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक में भारत के 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाया गया है: प्रधानमंत्री
Quoteआज विश्व बैंक जैसी प्रमुख वैश्विक संस्थाएं भारत की प्रशंसा कर रही है, भारत को विश्व में सबसे अधिक समानता वाले शीर्ष देशों में स्थान दिया जा रहा है: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

केंद्र सरकार में युवाओं को पक्की नौकरी देने का हमारा अभियान निरंतर जारी है। और हमारी पहचान भी है, बिना पर्ची, बिना खर्ची। आज 51 हज़ार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। ऐसे रोजगार मेलों के माध्यम से अब तक लाखों नौजवानों को भारत सरकार में परमानेंट जॉब मिल चुकी है। अब ये नौजवान, राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। आज भी आप में से कई ने भारतीय रेल में अपने दायित्वों की शुरुआत की है, कई साथी अब देश की सुरक्षा के भी प्रहरी बनेंगे, डाक विभाग में नियुक्त हुए साथी, गांव-गांव सरकार की सुविधाओं को पहुंचाएंगे, कुछ साथी Health for All मिशन के सिपाही होंगे, कई युवा फाइनेंशियल इंक्लूजन के इंजन को और तेज़ करेंगे और बहुत से साथी भारत के औद्योगिक विकास को नई रफ्तार देंगे। आपके विभाग अलग-अलग हैं, लेकिन ध्येय एक है और वो कौन सा ध्येय, हमें बार-बार याद रखना है, एक ही ध्येय है, विभाग कोई भी हो, कार्य कोई भी हो, पद कोई भी हो, इलाका कोई भी हो, एक ही ध्येय - राष्ट्र सेवा। सूत्र एक- नागरिक प्रथम, सिटिजन फर्स्ट। आपको देश के लोगों की सेवा का बहुत बड़ा मंच मिला है। मैं आप सभी युवाओं को जीवन के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर इतनी बड़ी सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आपकी इस नई यात्रा के लिए मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

साथियों,

आज दुनिया मान रही है कि भारत के पास दो असीमित शक्तियाँ हैं। एक डेमोग्राफी, दूसरी डेमोक्रेसी। यानी सबसे बड़ी युवा आबादी और सबसे बड़ा लोकतंत्र। युवाओं का यह सामर्थ्य हमारी, भारत के उज्ज्वल भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी भी है और सबसे बड़ी गारंटी भी है। और हमारी सरकार, इसी पूंजी को समृद्धि का सूत्र बनाने में दिन रात जुटी है। आप सबको पता है, दिन पहले ही मैं पांच देशों की यात्रा करके लौटा हूँ। हर देश में भारत की युवाशक्ति की गूंज सुनाई दी। इस दौरान जितने भी समझौते हुए हैं, उनसे देश और विदेश, दोनों जगह भारत के नौजवानों को फायदा होना ही है। डिफेंस, फार्मा, डिजिटल टेक्नॉलॉजी, एनर्जी, रेयर अर्थ मिनरल्स, ऐसे कई सेक्टर्स, ऐसे सेक्टर्स में हुए समझौतों से भारत को आने वाले दिनों में बहुत बड़ा फायदा होगा, भारत के मैन्युफेक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को बहुत बल मिलेगा।

साथियों,

बदलते हुए समय के साथ 21वीं सदी में नेचर ऑफ जॉब भी बदल रहा है, नए-नए सेक्टर्स भी उभर रहे हैं। इसलिए बीते दशक में भारत का ज़ोर अपने युवाओं को इसके लिए तैयार करने का है। अब इसके लिए अहम निर्णय लिए गए हैं, आधुनिक जरूरतों को देखते हुए आधुनक नीतियां भी बनाई गईं हैं। स्टार्ट अप्स, इनोवेशन और रिसर्च का जो इकोसिस्टम आज देश में बन रहा है, वो देश के युवाओं का सामर्थ्य बढ़ा रहा है, आज जब मैं नौजवानों को देखता हूं कि वे अपना स्टार्ट अप शुरू करना चाहते हैं, तो मेरा भी आत्मविश्वास बढ़ जाता है, और अभी हमारे डॉक्टर जितेंद्र सिंह जी ने स्टार्टअप के विषय में विस्तार से कुछ आंकड़े भी बताए आपके सामने। मुझे खुशी होती है कि मेरे देश का नौजवान बड़े विजन के साथ तेज गति से मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है, वो कुछ नया करना चाहता है।

साथियों,

भारत सरकार का जोर प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के नए अवसरों के निर्माण पर भी है। हाल ही में सरकार ने एक नई स्कीम को मंज़ूरी दी है, Employment Linked Incentive Scheme. इस योजना के तहत सरकार, प्राइवेट सेक्टर में पहली बार रोजगार पाने वाले युवा को 15 हज़ार रुपए देगी। यानी पहली नौकरी की पहली सैलरी में सरकार अपना योगदान देगी। इसके लिए सरकार ने करीब एक लाख करोड़ रुपए का बजट बनाया है। इस स्कीम से लगभग साढ़े 3 करोड़ नए रोजगार के निर्माण में मदद मिलेगी।

साथियों,

आज भारत की एक बहुत बड़ी ताकत हमारा मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर है। मैन्युफेक्चरिंग में बहुत बड़ी संख्या में नई-नई जॉब्स बन रही हैं। मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर को गति देने के लिए इस वर्ष के बजट में मिशन मैन्युफेक्चरिंग की घोषणा की गई है। बीते सालों में हमने मेक इन इंडिया अभियान को मजबूती दी है। सिर्फ PLI स्कीम से, उससे ही 11 लाख से अधिक रोजगार देश में बने हैं। बीते सालों में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। आज करीब 11 लाख करोड़ रुपए की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफेक्चरिंग हो रही है, 11 लाख करोड़। इसमें भी बीते 11 साल में 5 गुणा से भी अधिक वृद्धि हुई है। पहले देश में मोबाइल फोन मैन्यूफेक्चरिंग की 2 या 4 यूनिट्स थीं, सिर्फ 2 या 4। अब मोबाइल फोन मैन्युफेक्चरिंग से जुड़ी करीब –करीब 300 यूनिट्स भारत में हैं। और इसमें लाखों युवा काम कर रहे हैं। वैसा ही एक और क्षेत्र है और ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो उसकी बहुत चर्चा भी है, बड़े गौरव से चर्चा हो रही है और वो है-डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग। डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग में भी भारत नए रिकॉर्ड्स बना रहा है। हमारा डिफेंस प्रोडक्शन, सवा लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच चुका है। भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि लोकोमोटिव सेक्टर में हासिल की है। भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा लोकोमोटिव बनाने वाला देश बन गया है, दुनिया में सबसे ज्यादा। लोकोमोटिव हो, रेल कोच हो, मेट्रो कोच हो, आज भारत इनका बड़ी संख्या में दुनिया के कई देशों में एक्सपोर्ट कर रहा है। हमारा ऑटोमोबाइल सेक्टर भी अभूतपूर्व ग्रोथ कर रहा है।

बीते 5 साल में ही इस सेक्टर में करीब 40 बिलियन डॉलर का FDI आया है। यानी नई कंपनियां आई हैं, नई फैक्ट्रियां लगी हैं, नए रोजगार बने हैं, और साथ-साथ गाड़ियों की डिमांड भी बहुत बढ़ी है, गाड़ियों की रिकॉर्ड बिक्री हुई है भारत में। अलग-अलग सेक्टर्स में देश की ये प्रगति, ये मैन्यूफेक्चरिंग के रिकॉर्ड तभी बनते हैं, ऐसे नहीं बनते, ये सब तब संभव होता है, जब ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को नौकरियां मिल रही हैं। नौजवानों का पसीना लगता है उसमें, उनका दिमाग काम करता है, वो मेहनत करते हैं, देश के नौजवानों ने रोजगार तो पाया है, ये कमाल करके भी दिखाया है। अब सरकारी कर्मचारी के तौर पर आपको हर संभव प्रयास करना है कि देश में मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर की ये गति निरंतर बढ़ती रहे। जहां भी आपको दायित्व मिले, आप एक प्रोत्साहन के रूप में काम करें, लोगों को encourage करें, रूकावटें दूर करें, जितना ज्यादा आप सरलता लाएंगे, उतनी सुविधा देश में अन्य लोगों को भी मिलेगी।

साथियों,

आज हमारा देश दुनिया की, और कोई भी हिन्दुस्तानी बड़े गर्व से कह सकता है, आज हमारा देश दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनॉमी बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। ये मेरे नौजवानों के पसीने का कमाल है। बीते 11 वर्षों में हर सेक्टर में देश ने प्रगति की है। हाल में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइज़ेशन- ILO की एक बहुत बढ़िया रिपोर्ट आई है- शानदार रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते दशक में भारत के 90 करोड़ से अधिक नागरिकों को वेलफेयर स्कीम्स के दायरे में लाया गया है। एक प्रकार से सोशल सिक्योरिटी का दायरा गिना जाता है। और इन स्कीम्स का फायदा सिर्फ वेलफेयर तक सीमित नहीं है। इससे बहुत बड़ी संख्या में नए रोजगार भी बने हैं। जैसे एक छोटा उदाहरण मैं देता हूं - पीएम आवास योजना है। अब ये पीएम आवास योजना के तहत 4 करोड़ नए पक्के घर बन चुके हैं और 3 करोड़ नए घर अभी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इतने घर बन रहे हैं, तो इसमें मिस्त्री, लेबर और रॉ मटीरियल से लेकर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में छोटी-छोटी दुकानदारों के काम, माल ढोने वाले ट्रक के ऑपरेटर्स, आप कल्पना कर सकते हैं कितने सारे जॉब्स क्रिएट हुई हैं। इसमें भी सबसे खुशी की बात है कि ज्यादातर रोजगार हमारे गांवों में मिले हैं, उसे गांव छोड़कर के जाना नहीं पड़ रहा है। इसी तरह 12 करोड़ नए टॉयलेट्स देश में बने हैं। इससे निर्माण के साथ-साथ प्लंबर्स हों, लकड़ी का काम करने वाले लोग हों, जो हमारे विश्वकर्मा समाज के लोग हैं उनके लिए तो इतने सारे काम निकले हैं। यही है जो रोजगार का विस्तार भी करते हैं, प्रभाव भी पैदा करते हैं। ऐसे ही आज 10 करोड़ से अधिक नए, मैं जो बात बता रहा हूं, नए लोगों की बताता हूं, नए एलपीजी कनेक्शन देश में उज्ज्वला स्कीम के तहत दिए गए हैं। अब इसके लिए बहुत बड़ी संख्या में बॉटलिंग प्लांट्स बने हैं। गैस सिलेंडर बनाने वालों को काम मिला है, उसमे भी रोजगार पैदा हुए हैं, गैस सिलेंडर की एजेंसी वालों को काम मिला है। गैस सिलेंडर घर-घर पहुंचाने के लिए जो लोग चाहिए, उनको नए-नए रोजगार मिले हैं। आप एक एक काम लीजिए, कितने प्रकार के रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। इन सारी जगहों पर लाखों लाखों लोगों को नए रोजगार मिले हैं।

साथियों,

मैं एक और योजना की भी चर्चा करना चाहता हूं। अब आपको पता है यह योजना तो यानी कहते हैं ना पांचों उंगली घी में, या तो कहते हैं कि दोनों हाथ हाथ में लड्डू ऐसी है। पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना। सरकार आपके घर की छत पर यानी रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए एक परिवार को एवरेज करीब-करीब ₹75,000 से भी ज्यादा दे रही है। इससे वह अपने घर के छत के ऊपर सोलर प्लांट लगाता है। एक प्रकार से उसका घर की छत बिजली का कारखाना बन जाती है, बिजली पैदा करता है और वो बिजली खुद भी उपयोग करता है, ज्यादा बिजली है तो बेचता है। इससे बिजली का बिल तो जीरो हो रहा है, उसके पैसे तो बच ही रहे हैं। इन प्लांट्स को लगाने के लिए इंजीनियर्स की ज़रूरत पड़ती है, टेक्नशियन की ज़रूरत पड़ती है। सोलर पैनल बनाने के कारखाने लगते हैं, रॉ मटेरियल के लिए कारखाने लगते हैं, उसको ट्रांसपोर्टेशन के लिए लगते हैं। उसको रिपेयर करने के लिए भी पूरी एक नई इंडस्ट्री तैयार हो रही है। आप कल्पना कर सकते हैं, एक-एक स्कीम लोगों का तो भला कर रही है, लेकिन लाखों लाखों नए रोजगार इसके कारण पैदा हो रहे हैं।

साथियों,

नमो ड्रोन दीदी अभियान ने भी बहनों बेटियों की कमाई बढ़ाई है और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नए मौके भी बनाए हैं। इस स्कीम के तहत लाखों ग्रामीण बहनों को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है। उपलब्ध जो रिपोर्ट्स हैं, यह बताती है कि हमारी यह ड्रोन दीदी हमारी गांव की माताएं बहनें, खेती के एक सीजन में ही, ड्रोन से खेती में जो मदद करती हैं, उसका जो कॉन्ट्रैक्ट पर काम लेती हैं, एक-एक सीजन में लाखों रुपए कमाने लग गई हैं। इतना ही नहीं, इससे देश में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े नए सेक्टर को बहुत बल मिल रहा है। खेती हो या डिफेंस, आज ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग देश के युवाओं के लिए नए अवसर बना रहा है।

साथियों,

देश में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का अभियान जारी है। इनमें से 1.5 करोड़ लखपति दीदी बन भी चुकी है। और आप तो जानते हैं लखपति दीदी बनने का मतलब है, 1 साल में कम से कम 1 लाख से अधिक उसकी आय होनी चाहिए और एक बार नहीं हर वर्ष होती रहनी चाहिए, वो है मेरी लखपति दीदी। 1.5 करोड़ लखपति दीदी, अब आप देखिए गांव में जाएंगे तो आपको कुछ बातें सुनने को मिलेगी, बैंक सखी, बीमा सखी, कृषि सखी, पशु सखी, ऐसी अनेक स्कीम्स में भी हमारे गांव की माताओं बहनों को भी रोजगार मिला है। ऐसे ही पीएम स्वनिधि योजना के तहत पहली बार रेहड़ी ठेले फुटपाथ पर काम करने वाले साथियों को मदद दी गई। इसके तहत लाखों साथियों को काम मिला है और डिजिटल पेमेंट के कारण आजकल तो हमारे हर रेहडी पटरी वाला कैश नहीं लेता है, यूपीआई करता है। क्यों? क्योंकि बैंक से उसको तुरंत उसे आगे की रकम मिलती है। बैंक का विश्वास बढ़ जाता है। कोई कागज की उसको जरूरत नहीं पड़ती। यानी एक रेहड़ी पटरी वाला आज विश्वास के साथ गर्व के साथ आगे बढ़ रहा है।

पीएम विश्वकर्मा स्कीम देख लीजिए। इसके तहत हमारे यहां जो पुश्तैनी काम है, परंपरागत काम है, पारिवारिक काम है, उसको आधुनिक बनाना, उसमें नयापन लाना, नई टेक्नोलॉजी लाना, नए-नए उसमें साधन लाना, उसमें काम करने वाले कारीगरों, शिल्पियों और सेवा दाताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। लोन दिये जा रहे हैं, आधुनिक टूल दिए जा रहे हैं। मैं अनगिनत स्कीमें बता सकता हूं। ऐसी कई स्कीम है जिनसे गरीबों को लाभ भी हुआ है और नौजवानों को रोजगार भी मिला है। ऐसी अनेक योजनाओं का ही प्रभाव है कि सिर्फ 10 वर्षों में ही 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। अगर रोजगार ना मिलता, अगर परिवार में आय का साधन ना होता, तो मेरा गरीब भाई-बहन जो तीन-तीन चार-चार पीढ़ी से गरीबी में जिंदगी गुजार रहा था, जीवन के लिए एक-एक दिन काटने के लिए उसको मौत दिखाई देती, इतना डर लगता था। लेकिन आज वो इतना ताकतवर बना है, कि मेरे 25 करोड़ गरीब भाई-बहनों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया। विजयी होकर के निकले हैं। और ये सारे मेरे 25 करोड़ भाई-बहन, जिन्होंने गरीबी को पीछे छोड़ा है ना, उनकी हिम्मत को मैं दाद देता हूं। उन्होंने सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर के हिम्मत के साथ आगे बढ़े, रोते नहीं बैठे। गरीबी को उन्होंने उखाड़ के फेंक दिया, पराजित कर दिया। अब आप कल्पना कीजिए, अब इन 25 करोड़ का कितना नया आत्मविश्वास होगा। एक बार संकट से व्यक्ति निकल जाए ना फिर नई ताकत पैदा हो जाती है। मेरे देश में एक नई ताकत यह भी आई है, जो देश को आगे ले जाने में बहुत काम आने वाली है। और आप देखिए ये सिर्फ सरकार कह रही है ऐसा नहीं है। आज वर्ल्ड बैंक जैसी बड़ी वैश्विक संस्थाएं खुलकर के इस काम के लिए भारत की प्रशंसा कर रही हैं। दुनिया को भारत को मॉडल के रूप में प्रस्तुत करती हैं। भारत को दुनिया के सबसे अधिक इक्वलिटी वाले शीर्ष के देशों में रखा जा रहा है। यानी असमानता तेजी से कम हो रही है। हम समानता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। ये भी विश्व अब नोटिस कर रहा है।

साथियों,

विकास का जो ये महायज्ञ चल रहा है, गरीब कल्याण और रोजगार निर्माण का जो मिशन चल रहा है, आज से इसको आगे बढ़ाने का दायित्व आपका भी है। सरकार रुकावट नहीं बननी चाहिए, सरकार विकास की प्रोत्साहक बननी चाहिए। हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर है। हाथ पकड़ने का काम हमारा है। और आप तो नौजवान है दोस्तों। आप पर मेरा बहुत भरोसा है। आपसे मेरी अपेक्षा है कि आप जहां भी दायित्व मिले, आप इस देश के नागरिक मेरे लिए सबसे पहले, उसकी मदद उसकी मुसीबतों से मुक्ति, देखते ही देखते देश आगे बढ़ेगा। आपको भारत के अमृत काल का सहभागी बनना है। आने वाले 20-25 साल आपकी करियर के लिए तो महत्वपूर्ण है, लेकिन आप ऐसे कालखंड में हैं, जब देश के लिए 20-25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये विकसित भारत के निर्माण के लिए अहम 25 वर्ष हैं। इसलिए आपको अपने काम, अपने दायित्व, अपने लक्ष्यों को विकसित भारत के संकल्प के साथ आत्मसात करना है। नागरिक देवो भव यह मंत्र तो हमारी रगों में दौड़ना चाहिए, दिल दिमाग में रहना चाहिए, हमारे व्यवहार में नजर आना चाहिए।

और मुझे पक्का विश्वास है दोस्तों, यह युवा शक्ति है, पिछले 10 साल में देश को आगे बढ़ाने में मेरे साथ खड़ी है। मेरे एक-एक शब्द को देश की भलाई के लिए उन्होंने जो भी कर सकते हैं किया है। जहां है वहां से किया है। आपको मौका मिला है, आपसे अपेक्षाएं ज्यादा है। आपकी जिम्मेदारी ज्यादा है, आप करके दिखाएंगे यह मेरा विश्वास है। मैं एक बार फिर आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपके परिवारजनों को भी मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और आपका परिवार भी उज्ज्वल भविष्य का अधिकारी है। आप भी जीवन में बहुत प्रगति करें। iGOT प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर के लगातार अपने आप को अपग्रेड करते ही रहें। एक बार जगह मिल गई चुप बैठिए मत, बहुत बड़े सपने देखिए, बहुत आगे जाने के लिए सोचिए। काम कर करके, नया-नया सीख करके, नया-नया परिणाम लाकर के, प्रगति भी कीजिए। आपकी प्रगति में देश का गौरव है, आपकी प्रगति में मेरा संतोष है। और इसलिए मैं आज जब आप एक नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं, आपसे बात करने के लिए आया हूं, शुभकामनाएं देने के लिए आया हूं और बहुत सारे सपनों को पूरा करने के लिए अब आप मेरे एक साथी बन रहे हैं। मेरे एक निकट साथी के रूप में मैं आपका स्वागत करता हूं। आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।