उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभाव, और उज्बेकिस्तान में भारत की महान परम्परा, संस्कृति और उज्बेकिस्तान की महान संस्कृति और परम्परा के बीच आदान-प्रदान करना, एक सेतु बनाना इसका जो अविरल प्रयास चल रहा है उसके साथ जुड़े हुए आप सभी महानुभावों का मुझे आज दर्शन करने का अवसर मिला है।
यहां पर जो सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया है उज्बेक की बेटियों ने, और मैं देख रहा था कि उन्होंने सिर्फ practice नहीं की है, एक प्रकार से साधना की है और उत्तम प्रदर्शन सिर्फ उनके हाथ-पैर नहीं हिल रहे थे उनका मन-मंदिर भी जुड़ रहा था, ऐसा मैं अनुभव कर रहा था।
कल मेरी प्रधानमंत्रीजी और राष्ट्रपतिजी के साथ बहुत विस्तार से बातचीत हुई है। कल जब हम रात को खाना खा रहे थे, वहां संगीत की योजना की गई थी instrumental तो सारे western थे लेकिन बहुत अच्छी प्रयत्न करके भारतीय गीतों को प्रस्तुत करने का बहुत ही सफल प्रयास किया। मैंने राष्ट्रपति जी को बधाई दी और मुझे आश्चर्य हुआ कि राष्ट्रपति जी को राजधानी के विषय में मालूम था, कौन सा गीत बजाया जाएगा वो पहले से बताते थे, फिर उन्होंने मुझे गर्व से कहा - और प्रधानमंत्री जी ने भी कहा - कि हम हमारे यहां सभी गांवों में संगीत स्कूल का आग्रह करते हैं। कुछ मात्रा में हमने पिछले पांच साल में संगीत स्कूल खोले हैं और आगे भी इन स्कूलों को बढ़ाना चाहते हैं और यह भी बताया कि भारतीय संगीत के प्रति सभी की रूचि बहुत बढ़ रही है, और संगीत के माध्यम से संस्कार करने का हम एक प्रयास कर रहे हैं। अगर युद्ध से मुक्ति चाहिए तो संगीत व्यक्ति को कभी भी हिंसा की ओर जाने नहीं देता है। ये बातें कल मुझे राष्ट्रपति जी ने सुनकर के बहुत ही आनन्द आया।
व्यक्तित्व के विकास के लिए अनेक पहलुओं की चर्चा हुई। Personality development में इन बातों को सिखाया जाता है। लेकिन मैं मानता हूं कि Personality के development में भाषा की बहुत बड़ी ताकत है। आपको किसी और देश का व्यक्ति मिल जाए, और आपकी भाषा में पहला शब्द अगर वह बोल दें तो आप देखेगें बिना कोई पहचान, बिना कोई जानकारी आप एकदम स्तब्ध हो जाते हैं, खुल जाते हैं - ये ताकत होती है भाषा में। अगर कोई विदेशी व्यक्ति हम भारतीयों को मिले तो नमस्ते बोल देंगे ऐसा लगता है कि हमें कोई अपना मिल गया।
भाषा को जो बचाता है, भाषा को संभालता है, भाषा का जो संबोधन करता है, वह देश अपने भविष्य को तो ताकतवर बनाता ही है, लेकिन वह अपने भव्य भाल से उसका essence लगातार लेता रहता है। भाषा ऐसी खिड़की है कि उस भाषा को अगर जानें तो फिर उस भाषा में उपलब्ध ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है, आनन्द मिलता है।
हमारे यहां कहते हैं “पानी रे पानी, तेरा रंग कैसा?” पानी को जिसके साथ मिलाओ उसका रंग वैसा ही हो जाता है। भाषा को भी हर पल एक नया संगी-साथी मिल जाता है। भाषा को मित्र बना कर देखिए। भाषा उस हवा के झोंके जैसा होता है जो जिस बगीचे से गुजरे जिन फूलों को स्पर्श करके वो हवा चले, तो हमें उसी की महक आती है।
भाषा जहां-जहां से गुजरती है वहां की महक अपने साथ ले चलती है। जिस युग से गुजरती है, उस युग की महक लेकर जाती है, जिस इलाके से गुजरती है उस इलाके की महक साथ ले जाती है। जिस परपंरा से गुजरती है परंपरा की महक साथ ले जाती है और हर महक एक प्रकार से जीवन के ऐसे बगीचे को सुंगधित कर देती है यह भाषा, जहां पर हर प्रकार की महक हम महसूस करते हैं।
भाषा का आर्थिक स्थिति के साथ सीधा-सीधा नाता है। जिनकी आर्थिक समृद्धि होती है, उनकी भाषा के पंख बड़े तेज उड़ते हैं। दुनिया के सारे लोग उस भाषा को जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं क्योंकि आर्थिक व्यापार के लिए सुविधा होती है। आर्थिक अनुष्ठान बन जाती है भाषा, और मैं देखता हूं कि आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान की भाषाओं का महत्व बढ़ने वाला है क्योंकि भारत आर्थिक उन्नति पर जैसे-जैसे जाएगा दुनिया उससे जुड़ना चाहेगी।
भाषा अगर एक वस्तु होती, एक इकाई होती - और अगर मानो उसको डीएनए test किया जाता तो मैं यह मानता हूं कि ये सबसे बड़ी चीज हाथ लगती, कि भाषा का हृदय बड़ा विशाल होता है, उसके DNA से पता चलता। क्योंकि भाषा सबको अपने में समाहित कर लेती है। उसे कोई बंधन नहीं होता। न रंग का बंधन होता है, न काल का बंधन होता है, न क्षेत्र विशेष का बंधन होता है। इतना विशाल हृदय होता है भाषा का जो हर किसी को अपने में समाहित कर लेता है। Inclusive.
मैं एक बार रशिया के एक इलाके में गया था - अगर मैं “Tea” बोलूं तो उनको समझ में नहीं आता था, “चाय” बोलूं तो समझ आता था। “Door” बोलूं तो समझ नहीं आता था, “द्वार” बोलूं तो समझ आता था। इतने सारे... जैसे हमारे यहां तरबूज बोलते है, watermelon. वो भी तरबूज बोलते हैं। यानी की किस प्रकार से भाषा अपने आप में सबको समाविष्ट कर लेती है। आपके यहां भी अगर कोई “दुतार” बजाता है, तो हमारे यहाँ “सितार” बजाता है। आपके यहां कोई “तम्बूर” बजाता है, तो हमारे यहां “तानपूरा” बजाता है, आपके यहां कोई “नगारे” बजाता है तो हमारे यहां “नगाड़े” बजाता है। इतनी समानता है इसका कारण है कि भाषा का हृदय विशाल है, वो हर चीज को अपने में समाहित कर लेती है।
आप कितने ही बड़े विद्वान हो, कितने ही बड़े भाषा शास्त्री हों, लेकिन ईश्वर हमसे एक कदम आगे है। हम हर भाषा का post-mortem कर सकते हैं। उसकी रचना कैसी होती है, ग्रामर कैसा होता है, कौन-सा शब्द क्यों ऐसा दिखता है - सब कर सकते है। लेकिन मानव की मूल संपदा को प्रकट करने वाली दो चीजें हैं, जो ईश्वर ने दी है। दुनिया की किसी भी भूभाग, किसी भी रंग के व्यक्ति, किसी भी युग के व्यक्ति में, दो भाषाओं में समानता है। एक है “रोना”, दूसरा है “हँसना” - हर किसी की रोने की एक भाषा है, और हंसने की भी एक ही भाषा है। कोई फर्क नहीं है और अभी तक कोई पंडित उनका व्याकरण नहीं खोल पाया है।
आज के युग में दो राष्ट्रों के संबंध सिर्फ सरकारी व्यवस्थाओं के तहत सीमित नहीं है। दो राष्ट्रों के संबंधों की मजबूती के आधार people-to-people contact होता है। और people-to-people contact का आधार सांस्कृतिक आदान-प्रदान, एक-दूसरे की परम्पराओं को, इतिहास को, संस्कृति को जानना, जीना ये बहुत बड़ी ताकत होता है। आपका ये प्रयास भारत और उज्बेकिस्तान के साथ people-to-people contact बढ़ाने का एक बहुत बड़ा platform है, बहुत बड़ा प्रयास है। ये संबंध बड़े गहरे होते है और बड़े लम्बे अरसे तक रहते है। सरकारें बदलें व्यवस्थाएं बदलें, नेता बदले लेकिन ये नाता कभी बदलता नहीं है। जो नाता आप जोड़ रहे है, आपके प्रयासों से इसको मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं।
Central Asia की पाँचों देशों की एक साथ यात्रा करने का सौभाग्य शायद ही... एक साथ यात्रा करने का सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता होगा। मुझे वो सौभाग्य मिला है और Central Asia की करीब 5 देशों की यात्रा, पहली उज्बेकिस्तान की यात्रा से प्रारम्भ हुआ। ये मेरा सार्वजनिक रूप से इस यात्रा का अंतिम कार्यक्रम है। मैं बड़े संतोष और गर्व के साथ कहता हूं कि यह यात्रा बहुत ही सफल रही है। लंबे अर्से तक सुफल देने वाली यात्रा रही है, और आने वाले दिनों में भारत और उज्बेकिस्तान के आर्थिक-सामूहिक संबंध और गहरे होते जाएंगे, जो दोनों देशों को ताकत देंगे, इस region को ताकत देंगे, और इस region के साथ भारत मिल करके मानवजात के कल्याण के लिए सामान्य मानव के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उत्तम से उत्तम काम करते रहेंगे। इस विश्वास के साथ मैं फिर एक बार उजबेक्सितान के राष्ट्रपति जी का, प्रधानमंत्री जी का, यहां की जनता-जनार्दन का और इस समारोह में इतना उत्तम कार्यक्रम बनाने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं और जो शब्दकोष का निर्माण हुआ है वो शब्दकोष आने वाले दिनों में नई पीढि़यों को काम आएगा।
आज technology का युग है। Internet के द्वारा online हम language सीख सकते है। हम सुन करके भी language सीख करते है, audio से भी सीख सकते है। एक प्रकार से आज अपनी हथेली में विश्व को जानने, समझने, पहचानने का आधार बन गया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमारे ये जो सारे प्रयास चल रहे है इसमें technology भी जुड़ेगी और technology के माध्यम से हम खुद audio system से भी अपनी भाषाओं को कैसे सीखें - Audio हो, Visual हो, written text हो एक साथ सभी चीजें हो गई तो pick up करने में बड़ी सुविधा रहती है। उसकी दिशा में भी आवश्यक जो भी मदद भारत को करनी होगी, भारत अवश्य मदद करेगा।
फिर एक बार मैं आप सबका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत धन्यवाद करता हूं।


भारत माता की... भारत माता की...
बोरोरा आमार प्रोणाम नेबेन छोटोरा भालोबासा। जय मां काली, जय मां दुर्गा! ये सावन का पवित्र महीना है। ऐसे पावन समय में... मुझे पश्चिम बंगाल के विकास पर्व में हिस्सा लेने का मौका मिला है। थोड़ी देर पहले ही, 5 हजार चार सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के लिए बड़े सपने देखे हैं। बीजेपी...एक समृद्ध पश्चिम बंगाल बनाना चाहती है। बीजेपी...एक विकसित पश्चिम बंगाल का निर्माण करना चाहती है। ये सारी परियोजनाएं, इस सपने को साकार करने का ही हमारा नम्र प्रयास हैं।
साथियों,
पश्चिम बंगाल की ये धरती...प्रेरणाओं से भरी हुई है...
मैं देख रहा हूं कई छोटे-छोटे बच्चे चित्र बनाकर ले आए हैं, शायद वो देना चाहते हैं। अगर आपने अपना नाम और पता उस पर लिख दिया है तो मैं आपको चिट्ठी भेजूंगा और मैं अपने एसपीजी के लोगों से कहता हूं कि जो सब बच्चे कुछ ना कुछ अपनी कला लेकर के आए हैं जरूर आप ले लिजिए इनसे। आप लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे, बीच में बारिश भी बड़ी तेज आ गई, आपने वो मुकाबला भी कर लिया।
साथियों,
पश्चिम बंगाल की ये धरती...प्रेरणाओं से भरी हुई है... ये देश के पहले उद्योग मंत्री, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की धरती है। उन्होंने भारत के औद्योगिक विकास की नींव रखी...देश को पहली इंडस्ट्रियल पॉलिसी दी। ये बीसी रॉय जैसे विजनरी नेतृत्व की धरती है...जिन्होंने दुर्गापुर को बड़े सपनों, बड़े संकल्पों के लिए चुना था। पश्चिम बंगाल ने देश को...द्वारकानाथ टैगोर जी जैसे रिफॉर्मर दिए...जिन्होंने गुलामी के कालखंड में बैंकिंग रिफॉर्म्स पर काम किया.. उद्योगों-उद्यमों से कैसे समाज का भला हो सकता है, ये करके दिखाया। इस भूमि पर सर बीरेन मुखर्जी हुए...जिनके विजन से भारत में स्टील उद्योग को मजबूत नींव मिली। ऐसे महान लोगों ने ही पश्चिम बंगाल की महान विरासत को आगे बढ़ाया है। और तभी पश्चिम बंगाल, एक समय में भारत के विकास के विकास का केंद्र हुआ करता था। यहां उद्योग फले फूले, व्यापार-कारोबार को बल मिला। लोग यहां देशभर से रोज़गार के लिए आते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह उलट गई है। आज पश्चिम बंगाल का नौजवान... पलायन के लिए मजबूर है। छोटे-छोटे काम के लिए भी उसे दूसरे राज्यों की तरफ जाना पड़ रहा है। दुर्गापुर, बर्धमान और आसनसोल...ये पूरा क्षेत्र भारत के औद्योगिक विकास को किसी जमाने मे गति दे रहे थे। लेकिन आज यहां नए उद्योग लगने के बजाय, जो है उसको भी ताले लग रहे हैं।
साथियों,
हमें बंगाल को इस बुरे दौर से बाहर निकालना है और आज जो परियोजनाएं यहां शुरू हुई हैं...वो इसी का प्रतीक हैं। बंगाल बदलाव चाहता है, बंगाल विकास चाहता है, बांग्ला...पोरिबोर्तन चाहे, बांग्ला...उन्नयन चाहे।
साथियों,
बंगाल के प्रबुद्ध लोग जानते हैं कि 21वीं सदी का ये समय नई टेक्नोलॉजी का है। बंगाल के उद्योगों को भी नई टेक्नोलॉजी की जरूरत है। आज जो गैस आधारित इकोनॉमी का काम आगे बढ़ा है...स्टील प्लांट को आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस करने का काम हुआ है..वो भारत सरकार की इसी सोच का नतीजा है। दुर्गापुर-कोलकाता गैस पाइपलाइन से यहां के उद्योगों को नया जीवनदान मिलेगा। ये जो गैस-पाइपलाइन है, इस पर केंद्र की भाजपा सरकार हज़ारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। ताकि यहां CNG वाली गाड़ियां चल पाएं... आपके पैसे बचे, यहां नए-नए कारखानों को बल मिले... और सबसे बड़ी बात...इससे बंगाल के नौजवानों के लिए रोजगार के नए मौके बनेंगे।
साथियों,
आज़ादी के अनेक दशकों तक पश्चिम बंगाल के लाखों परिवारों के लिए गैस कनेक्शन एक सपना था। बीते सालों में ऐसे परिवारों को गैस कनेक्शन मिला। अब हमारा प्रयास है कि बहनों के किचन में, रसोई घर में जैसे नल से पानी आता है वैसे ही पाइप से सस्ती गैस आपके किचन तक पहुंचे। अभी कुछ देर पहले जो कार्यक्रम हुआ है...वो आपका जीवन भी आसान बनाएगा और यहां उद्योगों को भी गति देगा।
साथियों,
मैं आज आपको...पश्चिम बंगाल के नौजवानों को...ये यकीन दिलाने आया हूं, बंगाल की बदहाल स्थिति को बदला जा सकता है। बीजेपी सरकार आने के बाद...कुछ ही वर्षों में...पश्चिम बंगाल, देश के टॉप इंडस्ट्रियल राज्यों में से एक बन सकता है। ये मेरा दृढ़ विश्वास है। और मेरे इस विश्वास का कारण है... पश्चिम बंगाल में समर्थ और प्रतिभाशाली मेरे नौजवान भाई-बहन हैं, यहां नदियां भी हैं और समंदर भी है। पश्चिम बंगाल, सैकड़ों वर्षों से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का केंद्र रहा है... यहां पोर्ट्स का बहुत बड़ा नेटवर्क है। यहां प्राकृतिक संसाधन हैं... यानि मेक इन इंडिया को गति देने के लिए मिशन मैन्यूफैक्चरिंग में तेजी लाने के लिए पश्चिम बंगाल के पास हर शक्ति मौजूद है। बस यहां की टीएमसी सरकार...बंगाल के विकास के आगे दीवार बनकर खड़ी है। जिस दिन टीएमसी सरकार की दीवार बंगाल में गिरी...उसी दिन से बंगाल विकास की नई तेजी पकड़ लेगा। टीएमसी की सरकार जाएगी, तभी असली परिवर्तन आएगा टीएमसी जाबे, तबेई आशोल पोरिबोर्तोन आशबे
साथियों,
विकसित भारत बनाने में पश्चिम बंगाल की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसी संकल्प के साथ...बीजेपी आपका आशीर्वाद मांग रही है। आप अपने आसपास देखिए...असम में लंबे समय बाद बीजेपी को अवसर मिला। आज असम तेज़ गति से प्रगति कर रहा है। बगल में त्रिपुरा की क्या स्थिति थी ये भी किसी से छिपी नहीं है। आज बीजेपी सरकार त्रिपुरा को विकास की नई रफ्तार दे रही है। अब ओडिशा में भी भाजपा सरकार बन चुकी है। आप देखिएगा...ओडिशा भी बहुत जल्द देश के सबसे तेज़ी से विकसित होने वाले राज्यों में से अपनी जगह बना लेगा। इसलिए, भाजपा की तरफ से मेरा ये आग्रह है कि आप एक बार भाजपा को अवसर दें... एक ऐसी सरकार बनाएं...जो ईमानदार हो, कामदार हो और दमदार हो। बिकोशितो बांग्ला, मोदीर गारंटी! बिकोशितो बांग्ला, बीजेपीर शंकल्पो!
साथियों,
हमें दुर्गापुर का, पश्चिम बंगाल का पुराना गौरव वापस लाना है। इसके लिए ज़रूरी है कि पश्चिम बंगाल में नया निवेश आए..लोग यहां उद्योग लगाने के लिए आगे आएं...यहां के नौजवानों की शिक्षा और कौशल पर ज्यादा निवेश हो...लेकिन जब तक यहां TMC की सरकार रहेगी...ये कभी भी नहीं होने देगी। बीते दशकों में...जो स्थितियां यहां पैदा की गई हैं...वो बंगाल में निवेश विरोधी हैं, नौकरी विरोधी है। आप ज़रा सोचिए...जहां मुर्शीदाबाद जैसे दंगे होते हों...छोटी-छोटी बातों पर हिंसा हो जाती हो...और पुलिस एकतरफा कार्रवाई करे...जहां न्याय की कोई उम्मीद ना हो... वहां कोई कैसे निवेश कर सकता है। यहां की राज्य सरकार, लोगों की जान और उनकी दुकान की सुरक्षा नहीं कर सकती... तो निवेशकों को भी चिंता होती है। मैं जानता हूं कि पश्चिम बंगाल में जितनी संभावनाएं हैं... उनको देखते हुए दुनियाभर के निवेशक यहां पैसा लगाने आना चाहेंगे... लेकिन जब वो यहां सिंडिकेट राज देखते हैं.. वो ये देखते हैं कि कैसे यहां उगाही होती है। बिजनेस करने वालों से पैसे मांगे जाते हैं... कैसे टीएमसी के लोग...धमकाते हैं, तोड़फोड़ करने की, काम बंद करने की धमकियां देते हैं... वो भी डरकर भाग जाते हैं। ये जो TMC का गुंडा टैक्स है...ये बंगाल में निवेश को रोकता है। यहां संसाधनों पर माफिया का कब्ज़ा है...वो बंगाल में निवेश को रोकता है। यहां की सरकार, नीतियां ही अपने नेताओं को भ्रष्टाचार की खुली छूट देने के लिए बनाती है। कब कौन सी नीति पलट दी जाए...इसकी भी कोई गारंटी नहीं। यही कारण है कि टीएमसी के राज में सैकड़ों कंपनियां पश्चिम बंगाल छोड़ चुकी हैं। तभी तो यहां नौजवानों को आगे बढ़ने के अवसर नहीं मिल रहे...तभी तो बंगाल का हाल बेहाल हो गया है। इसलिए आज हर कोई कह रहा है...टीएमसी हटाओ, बंगाल बचाओ टीएमसी के शोराओ, बांग्ला के बाचाओ
साथियों,
युवाओं की शिक्षा और कौशल के साथ जो कुछ यहां हो रहा है, वो और ज्यादा चिंता बढ़ाने वाला है। प्राइमरी एजुकेशन हो या फिर हायर एजुकेशन...सबको बर्बाद किया जा रहा है। टीएमसी, यहां के एजुकेशन सिस्टम पर, करप्शन और क्राइम का डबल अटैक कर रही है। ये जो हज़ारों शिक्षक बेरोजगार हुए हैं...इसका कारण टीएमसी का भ्रष्टाचार है। इससे हजारों परिवारों उनपर तो संकट आया ही है, स्कूलों में जो लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं...उनका भविष्य भी टीचर्स की कमी के कारण अंधेरे में है। हालत ये है कि कोर्ट को भी कहना पड़ा कि - ये सिस्टमिक फ्रॉड है। टीएमसी ने बंगाल के नौजवानों के वर्तमान और भविष्य...दोनों को संकट में डाल दिया है।
साथियों,
मां, माटी, मानुष की बात करने वाली पार्टी की सरकार में...बेटियों के साथ जो अन्याय हो रहा है, वो पीड़ा भी देता है और आक्रोश से भर भी देता है। ये उस धरती पर हो रहा है...जिसने कादंबिनी गांगुली जैसी बेटी को संस्कार दिए... जो भारत की पहली वेस्टर्न मेडिसिन डॉक्टर थीं। आज उनका जन्मदिन भी है। लेकिन आज पश्चिम बंगाल में अस्पताल भी बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं है। और आप सबने देखा है... जब यहां डॉक्टर बेटी के साथ अत्याचार हुआ तो कैसे टीएमसी सरकार अपराधियों को बचाने में जुट गई। इस घटना से देश अभी बाहर निकला भी नहीं था कि एक और कॉलेज में एक बेटी के साथ भयंकर अत्याचार किया गया। इसमें भी जो आरोपी हैं, उनका कनेक्शन टीएमसी से निकला है। टीएमसी के बड़े नेता, मंत्री... आरोपियों के बजाय, पीड़ित को ही दोषी ठहराते रहे। ऐसे कई उदाहरण हैं...जो टीएमसी की निर्ममता के साक्षी हैं। हमें मिलकर के बंगाल को इस निर्ममता से मुक्ति दिलानी है।
साथियों,
पश्चिम बंगाल, भारत की सांस्कृतिक विरासत की भी आत्मा है। आज प्रसिद्ध बांग्ला कवि...बिष्णु डे जी का भी जन्मदिवस है। बांग्ला भाषा को समृद्ध करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। टीएमसी और लेफ्ट ने सालों तक दिल्ली में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाई। इस दौरान इनको बांग्ला भाषा की याद तक नहीं आई। ये भाजपा सरकार है, जिसने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। ऐसा करके हमने बांग्ला साहित्य की सेवा करने वाले बिष्णु डे जी जैसे अनेक साहित्यकारों को भी श्रद्धांजलि दी है।
साथियों,
भाजपा, ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है....जिसका बीज बंगाल की मिट्टी में पनपा है। भाजपा की वैचारिक नींव को...बंगाल के सपूत, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने खून से सींचा है। डॉक्टर मुखर्जी ने, एक देश एक संविधान का जो सपना देखा...वही भाजपा का संकल्प बना...और उसे हमने पूरा करके भी दिखाया। भाजपा, बांग्ला भाषा को प्रेरणा, परंपरा और पहचान का माध्यम मानती है। भाजपा के लिए बांग्ला अस्मिता सर्वोपरि है। देश में जहां भी भाजपा है, वहां बांग्ला का सम्मान है, पश्चिम बंगाल के लोगों का सम्मान है। लेकिन यहां पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? यहां टीएमसी ने अपने स्वार्थ में पश्चिम बंगाल की पहचान को भी दांव पर लगा दिया है। इसके लिए यहां घुसपैठ को बढ़ावा दिया जा रहा है...घुसपैठियों के फर्जी कागज़ बनाए जा रहे हैं...इसका एक पूरा इकोसिस्टम यहां डवलप किया गया है। ये पश्चिम बंगाल की, देश की सुरक्षा के लिए खतरा है...ये बांग्ला संस्कृति के लिए खतरा है...लेकिन तुष्टिकरण के लिए टीएमसी हर हद पार कर रही है। आज जब देश के सामने टीएमसी की साजिशें उजागर हो गई हैं...तो उसने घुसपैठियों के पक्ष में नई मुहिम शुरू कर दी है। ये देश के संविधान को, संवैधानिक संस्थाओं को भी चुनौती दे रहे हैं। टीएमसी अब उनके समर्थन में खुलकर उतर आई है। लेकिन मैं दुर्गापुर की धरती से साफ-साफ कह दूं... जो भारत का नागरिक नहीं है.. फिर से सुन लिजिए.. जो भारत का नागरिक नहीं है.जो घुसपैठ करके आया है...उसके साथ भारत के संविधान के तहत न्याय-सम्मत कार्रवाई होती रहेगी। बंगाल की अस्मिता के खिलाफ होने वाली किसी भी साजिश को बीजेपी, कामयाब नहीं होने देगी। ये आपको...मोदी की गारंटी है।
साथियों,
पश्चिम बंगाल को बीजेपी की डबल इंजन की सरकार की जरूरत है। यहां भाजपा सरकार इसलिए भी चाहिए...ताकि दिल्ली से भेजा एक-एक रुपया आपकी सुविधा के लिए लगे। गरीब कल्याण की, आदिवासी कल्याण की जो योजनाएं पूरे देश में लागू हैं, उनका लाभ पश्चिम बंगाल के लोगों को भी मिले। टीएमसी सरकार...केंद्र की योजनाओं को या तो रोक लेती है या फिर उनमें भ्रष्टाचार करती है। रोड, रेल, टेलिकॉम ऐसे अनेक विभागों से जुड़े...अनेक प्रोजेक्ट हैं, जो यहां लटके हुए हैं। केंद्र सरकार इनके लिए हजारों करोड़ रुपए दे रही है...फिर भी इन परियोजनाओं को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। हमने पूरे देश में हर घर जल का अभियान चलाया है। देश में कई राज्य ऐसे हैं...जहां हर घर में नल लग चुका है। लेकिन पश्चिम बंगाल में दुर्भाग्य से एक जिला भी ऐसा नहीं है, जहां शत-प्रतिशत नल से जल पहुंचा हो। देशभर में 4 करोड़ गरीब परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत पक्के घर दिए जा चुके हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल के लाखों गरीब परिवारों को उनके पक्के घर नहीं मिल पा रहे है।
साथियों,
5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान स्कीम पूरे देश में चल रही है। करोड़ों लोग इसका फायदा उठा चुके हैं...लेकिन टीएमसी निर्ममता के साथ यहां इसे लागू नहीं कर रही। अगर बंगाल का मेरा कोई भाई इंटरव्यू के लिए कहीं गया है टूरिज्म के लिए कहीं गया है, रिश्तेदार को मिलने गया है और वहां कुछ हो गया तो उसको आयुष्मान कार्ड के अभाव में वहां मुफ्त इलाज नहीं मिल पा रहा।
साथियों,
गरीब हो या आदिवासी...अपनी राजनीति के लिए टीएमसी सभी को वंचित कर रही है। केंद्र की ऐसी कई योजनाएं हैं...जिनको टीएमसी ने यहां रोक रखा है। भाजपा सरकार बनते ही...इन सभी योजनाओं का फायदा पश्चिम बंगाल के हर परिवार को मिलेगा...ये मोदी की गारंटी है।
साथियों,
भाजपा...बंगाल को संकट से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। बंगाल को माफिया नहीं...काबिल शिक्षक चाहिए। बंगाल को परिवारवाद नहीं...प्रतिभा का सम्मान चाहिए। बंगाल को सिंडिकेट नहीं...स्टार्टअप का इकोसिस्टम चाहिए। बंगाल को ऐसी सरकार चाहिए...जो शांति और सुरक्षा की गारंटी दे सके। भाजपा...इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ रही है। ये पश्चिम बंगाल के पुनर्जागरण का कालखंड है। मैं यहां के गांव-गांव में एक नई उम्मीद, नई लहर देख रहा हूं। मैं यहां के नौजवानों में एक नया जोश अनुभव कर रहा हूं।
हमें मिलकर...नया सवेरा लाना है...परिवर्तन का कमल खिलाना है। बीकोशितो बांग्ला, मोदीर गारंटी!
एक बार फिर...आप सभी का इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं।
मेरे साथ बोलिए
भारत माता की
दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए..
भारत माता की...जय
भारत माता की...जय
वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे...
बहुत-बहुत धन्यवाद!