उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभाव, और उज्बेकिस्तान में भारत की महान परम्परा, संस्कृति और उज्बेकिस्तान की महान संस्कृति और परम्परा के बीच आदान-प्रदान करना, एक सेतु बनाना इसका जो अविरल प्रयास चल रहा है उसके साथ जुड़े हुए आप सभी महानुभावों का मुझे आज दर्शन करने का अवसर मिला है।
यहां पर जो सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया है उज्बेक की बेटियों ने, और मैं देख रहा था कि उन्होंने सिर्फ practice नहीं की है, एक प्रकार से साधना की है और उत्तम प्रदर्शन सिर्फ उनके हाथ-पैर नहीं हिल रहे थे उनका मन-मंदिर भी जुड़ रहा था, ऐसा मैं अनुभव कर रहा था।
कल मेरी प्रधानमंत्रीजी और राष्ट्रपतिजी के साथ बहुत विस्तार से बातचीत हुई है। कल जब हम रात को खाना खा रहे थे, वहां संगीत की योजना की गई थी instrumental तो सारे western थे लेकिन बहुत अच्छी प्रयत्न करके भारतीय गीतों को प्रस्तुत करने का बहुत ही सफल प्रयास किया। मैंने राष्ट्रपति जी को बधाई दी और मुझे आश्चर्य हुआ कि राष्ट्रपति जी को राजधानी के विषय में मालूम था, कौन सा गीत बजाया जाएगा वो पहले से बताते थे, फिर उन्होंने मुझे गर्व से कहा - और प्रधानमंत्री जी ने भी कहा - कि हम हमारे यहां सभी गांवों में संगीत स्कूल का आग्रह करते हैं। कुछ मात्रा में हमने पिछले पांच साल में संगीत स्कूल खोले हैं और आगे भी इन स्कूलों को बढ़ाना चाहते हैं और यह भी बताया कि भारतीय संगीत के प्रति सभी की रूचि बहुत बढ़ रही है, और संगीत के माध्यम से संस्कार करने का हम एक प्रयास कर रहे हैं। अगर युद्ध से मुक्ति चाहिए तो संगीत व्यक्ति को कभी भी हिंसा की ओर जाने नहीं देता है। ये बातें कल मुझे राष्ट्रपति जी ने सुनकर के बहुत ही आनन्द आया।
व्यक्तित्व के विकास के लिए अनेक पहलुओं की चर्चा हुई। Personality development में इन बातों को सिखाया जाता है। लेकिन मैं मानता हूं कि Personality के development में भाषा की बहुत बड़ी ताकत है। आपको किसी और देश का व्यक्ति मिल जाए, और आपकी भाषा में पहला शब्द अगर वह बोल दें तो आप देखेगें बिना कोई पहचान, बिना कोई जानकारी आप एकदम स्तब्ध हो जाते हैं, खुल जाते हैं - ये ताकत होती है भाषा में। अगर कोई विदेशी व्यक्ति हम भारतीयों को मिले तो नमस्ते बोल देंगे ऐसा लगता है कि हमें कोई अपना मिल गया।
भाषा को जो बचाता है, भाषा को संभालता है, भाषा का जो संबोधन करता है, वह देश अपने भविष्य को तो ताकतवर बनाता ही है, लेकिन वह अपने भव्य भाल से उसका essence लगातार लेता रहता है। भाषा ऐसी खिड़की है कि उस भाषा को अगर जानें तो फिर उस भाषा में उपलब्ध ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है, आनन्द मिलता है।
हमारे यहां कहते हैं “पानी रे पानी, तेरा रंग कैसा?” पानी को जिसके साथ मिलाओ उसका रंग वैसा ही हो जाता है। भाषा को भी हर पल एक नया संगी-साथी मिल जाता है। भाषा को मित्र बना कर देखिए। भाषा उस हवा के झोंके जैसा होता है जो जिस बगीचे से गुजरे जिन फूलों को स्पर्श करके वो हवा चले, तो हमें उसी की महक आती है।
भाषा जहां-जहां से गुजरती है वहां की महक अपने साथ ले चलती है। जिस युग से गुजरती है, उस युग की महक लेकर जाती है, जिस इलाके से गुजरती है उस इलाके की महक साथ ले जाती है। जिस परपंरा से गुजरती है परंपरा की महक साथ ले जाती है और हर महक एक प्रकार से जीवन के ऐसे बगीचे को सुंगधित कर देती है यह भाषा, जहां पर हर प्रकार की महक हम महसूस करते हैं।
भाषा का आर्थिक स्थिति के साथ सीधा-सीधा नाता है। जिनकी आर्थिक समृद्धि होती है, उनकी भाषा के पंख बड़े तेज उड़ते हैं। दुनिया के सारे लोग उस भाषा को जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं क्योंकि आर्थिक व्यापार के लिए सुविधा होती है। आर्थिक अनुष्ठान बन जाती है भाषा, और मैं देखता हूं कि आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान की भाषाओं का महत्व बढ़ने वाला है क्योंकि भारत आर्थिक उन्नति पर जैसे-जैसे जाएगा दुनिया उससे जुड़ना चाहेगी।
भाषा अगर एक वस्तु होती, एक इकाई होती - और अगर मानो उसको डीएनए test किया जाता तो मैं यह मानता हूं कि ये सबसे बड़ी चीज हाथ लगती, कि भाषा का हृदय बड़ा विशाल होता है, उसके DNA से पता चलता। क्योंकि भाषा सबको अपने में समाहित कर लेती है। उसे कोई बंधन नहीं होता। न रंग का बंधन होता है, न काल का बंधन होता है, न क्षेत्र विशेष का बंधन होता है। इतना विशाल हृदय होता है भाषा का जो हर किसी को अपने में समाहित कर लेता है। Inclusive.
मैं एक बार रशिया के एक इलाके में गया था - अगर मैं “Tea” बोलूं तो उनको समझ में नहीं आता था, “चाय” बोलूं तो समझ आता था। “Door” बोलूं तो समझ नहीं आता था, “द्वार” बोलूं तो समझ आता था। इतने सारे... जैसे हमारे यहां तरबूज बोलते है, watermelon. वो भी तरबूज बोलते हैं। यानी की किस प्रकार से भाषा अपने आप में सबको समाविष्ट कर लेती है। आपके यहां भी अगर कोई “दुतार” बजाता है, तो हमारे यहाँ “सितार” बजाता है। आपके यहां कोई “तम्बूर” बजाता है, तो हमारे यहां “तानपूरा” बजाता है, आपके यहां कोई “नगारे” बजाता है तो हमारे यहां “नगाड़े” बजाता है। इतनी समानता है इसका कारण है कि भाषा का हृदय विशाल है, वो हर चीज को अपने में समाहित कर लेती है।
आप कितने ही बड़े विद्वान हो, कितने ही बड़े भाषा शास्त्री हों, लेकिन ईश्वर हमसे एक कदम आगे है। हम हर भाषा का post-mortem कर सकते हैं। उसकी रचना कैसी होती है, ग्रामर कैसा होता है, कौन-सा शब्द क्यों ऐसा दिखता है - सब कर सकते है। लेकिन मानव की मूल संपदा को प्रकट करने वाली दो चीजें हैं, जो ईश्वर ने दी है। दुनिया की किसी भी भूभाग, किसी भी रंग के व्यक्ति, किसी भी युग के व्यक्ति में, दो भाषाओं में समानता है। एक है “रोना”, दूसरा है “हँसना” - हर किसी की रोने की एक भाषा है, और हंसने की भी एक ही भाषा है। कोई फर्क नहीं है और अभी तक कोई पंडित उनका व्याकरण नहीं खोल पाया है।
आज के युग में दो राष्ट्रों के संबंध सिर्फ सरकारी व्यवस्थाओं के तहत सीमित नहीं है। दो राष्ट्रों के संबंधों की मजबूती के आधार people-to-people contact होता है। और people-to-people contact का आधार सांस्कृतिक आदान-प्रदान, एक-दूसरे की परम्पराओं को, इतिहास को, संस्कृति को जानना, जीना ये बहुत बड़ी ताकत होता है। आपका ये प्रयास भारत और उज्बेकिस्तान के साथ people-to-people contact बढ़ाने का एक बहुत बड़ा platform है, बहुत बड़ा प्रयास है। ये संबंध बड़े गहरे होते है और बड़े लम्बे अरसे तक रहते है। सरकारें बदलें व्यवस्थाएं बदलें, नेता बदले लेकिन ये नाता कभी बदलता नहीं है। जो नाता आप जोड़ रहे है, आपके प्रयासों से इसको मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं।
Central Asia की पाँचों देशों की एक साथ यात्रा करने का सौभाग्य शायद ही... एक साथ यात्रा करने का सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता होगा। मुझे वो सौभाग्य मिला है और Central Asia की करीब 5 देशों की यात्रा, पहली उज्बेकिस्तान की यात्रा से प्रारम्भ हुआ। ये मेरा सार्वजनिक रूप से इस यात्रा का अंतिम कार्यक्रम है। मैं बड़े संतोष और गर्व के साथ कहता हूं कि यह यात्रा बहुत ही सफल रही है। लंबे अर्से तक सुफल देने वाली यात्रा रही है, और आने वाले दिनों में भारत और उज्बेकिस्तान के आर्थिक-सामूहिक संबंध और गहरे होते जाएंगे, जो दोनों देशों को ताकत देंगे, इस region को ताकत देंगे, और इस region के साथ भारत मिल करके मानवजात के कल्याण के लिए सामान्य मानव के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उत्तम से उत्तम काम करते रहेंगे। इस विश्वास के साथ मैं फिर एक बार उजबेक्सितान के राष्ट्रपति जी का, प्रधानमंत्री जी का, यहां की जनता-जनार्दन का और इस समारोह में इतना उत्तम कार्यक्रम बनाने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं और जो शब्दकोष का निर्माण हुआ है वो शब्दकोष आने वाले दिनों में नई पीढि़यों को काम आएगा।
आज technology का युग है। Internet के द्वारा online हम language सीख सकते है। हम सुन करके भी language सीख करते है, audio से भी सीख सकते है। एक प्रकार से आज अपनी हथेली में विश्व को जानने, समझने, पहचानने का आधार बन गया है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमारे ये जो सारे प्रयास चल रहे है इसमें technology भी जुड़ेगी और technology के माध्यम से हम खुद audio system से भी अपनी भाषाओं को कैसे सीखें - Audio हो, Visual हो, written text हो एक साथ सभी चीजें हो गई तो pick up करने में बड़ी सुविधा रहती है। उसकी दिशा में भी आवश्यक जो भी मदद भारत को करनी होगी, भारत अवश्य मदद करेगा।
फिर एक बार मैं आप सबका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत धन्यवाद करता हूं।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
हरि के ठिकाणे हरियाणे के सारे भाण भाइयां नै राम राम।
हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय जी, यहां के लोकप्रिय और ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान नायब सिंह जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी निर्मला सीतारमण जी, और यहीं के संतान और यहीं के सांसद पूर्व मुख्यमंत्री और सरकार में मेरे साथी श्री मनोहर लाल जी, श्री कृष्ण पाल जी, हरियाणा सरकार में मंत्री श्रुति जी, आरती जी, सांसदगण, विधायकगण...देश के अनेकों LIC केंद्रों से जुड़े हुए सभी साथी, और प्यारे भाइयों और बहनों।
आज महिला सशक्तिकरण की दिशा में भारत एक और मजबूत कदम उठा रहा है। आज का दिन और भी वजहों से विशेष है। आज 9 तारीख है। शास्त्रों में 9 अंक को बहुत शुभ माना जाता है। 9 अंक नव दुर्गा की नौ शक्तियों से जुड़ा है। हम सब साल में नवरात्रि के 9 दिन शक्ति की उपासना करते हैं। आज का दिन भी नारी शक्ति की उपासना जैसा ही है।
साथियों,
आज 9 दिसंबर को ही संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। ऐसे समय में जब देश संविधान के 75 वर्ष का महोत्सव मना रहा है, 9 दिसंबर की ये तारीख हमें समानता की, विकास को सर्वस्पर्शी बनाने की प्रेरणा देती है।
साथियों,
विश्व को नीति और धर्म का ज्ञान देने वाली महान धरती पर आज के दिन आना और भी सुखद है। इस समय कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव भी चल रहा है। मैं गीता की इस धरती को प्रणाम करता हूं, नमन करता हूं। मैं पूरे हरियाणा को, यहां के देशभक्त लोगों को राम-राम करता हूं। हरियाण ने एक हैं तो सेफ हैं इस मंत्र को जिस तरह अपनाया, वो पूरे देश के लिए उदाहरण बना है।
साथियों,
हरियाणा से मेरा रिश्ता, मेरा लगाव किसी से छिपा नहीं है। आप सभी ने हम सभी को इतना आशीर्वाद दिया, लगातार तीसरी बार हरियाणा में भाजपा सरकार बनाई, इसके लिए मैं हरियाणा के हर परिवारजन का वंदन करता हूं। सैनी जी की नई सरकार को अभी कुछ हफ्ते ही हुए हैं वैसे तो, और उनकी प्रशंसा पूरे देश में हो रही है। सरकार बनने के तुरंत बाद जिस तरह यहां बिना खर्ची, बिना पर्ची के हज़ारों नौजवानों को पक्की नौकरियां मिली हैं, वो देश ने देखा है। अब यहां डबल इंजन की सरकार, डबल रफ्तार से काम कर रही है।
साथियों,
चुनाव के दौरान आप सभी माताओं-बहनों ने नारा दिया था- म्हारा हरियाणा, नॉन स्टॉप हरियाणा। उस नारे को हम सभी ने अपना संकल्प बना दिया है। उसी संकल्प के साथ आज मैं यहां आप सबके दर्शन करने के लिए आया हूं। और मैं देख रहा हूं, जहां मेरी नजर पहुंच रही है माताएं-बहनें इतनी बड़ी तादाद में हैं।
साथियों,
अभी यहां देश की बहनों-बेटियों को रोजगार देने वाली बीमा सखी योजना की शुरुआत की गई है। बेटियों को अभी यहां बीमा सखी के प्रमाण पत्र दिए गए हैं। मैं देश की सभी बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
कुछ साल पहले मुझे यहां पानीपत से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरु करने का सौभाग्य मिला था। इसका सकारात्मक प्रभाव हरियाणा के साथ-साथ पूरे देश में हुआ, अकेले हरियाणा में ही, बीते दशक में हज़ारों बेटियों का जीवन बचा है। अब 10 साल बाद, इसी पानीपत की धरती से बहनों-बेटियों के लिए बीमा सखी योजना का शुभारंभ हुआ है। यानि हमारा पानीपत एक प्रकार से नारीशक्ति की प्रतीक भूमि बन गया है।
साथियों,
आज भारत साल 2047 तक विकसित होने के संकल्प के साथ चल रहा है। 1947 से लेकर आजतक के कालखंड में हर वर्ग, हर क्षेत्र की ऊर्जा ने भारत को इस उंचाई तक पहुंचाया। लेकिन 2047 के विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए हमें ऊर्जा के ढेर सारे नए स्रोतों की ज़रूरत है। ऊर्जा का ऐसा ही एक स्रोत, हमारा पूर्वी भारत है, हमारे भारत का नॉर्थ ईस्ट है। और ऊर्जा का ऐसा ही महत्वपूर्ण स्रोत है, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की नारीशक्ति। भारत को विकसित बनाने के लिए हमें अतिरिक्त ऊर्जा, ये कोटि-कोटि हमारी माताएं-बहनें हैं, हमारी नारीशक्ति है, वो ही हमारी प्रेरणा की स्रोत रहने वाली है। आज जो ये महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, बीमा सखी हैं, बैंक सखी हैं, कृषि सखी हैं, ये विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार स्तंभ बनेंगी।
साथियों,
नारी को सशक्त करने के लिए बहुत आवश्यक है कि उन्हें आगे बढ़ने के खूब अवसर मिलें, उनके सामने से हर बाधा हटे। जब नारी को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है, तो वो देश के सामने अवसरों के नए द्वार खोल देती हैं। लंबे समय तक हमारे देश में ऐसे अनेक काम थे, जो महिलाओं के लिए वर्जित थे, वहां महिलाएं काम कर ही नहीं सकती थीं। भाजपा की हमारी सरकार ने बेटियों के सामने से हर बाधा को हटाने की ठानी। आज आप देखिए, सेना के अग्रिम मोर्चों में बेटियों की तैनाती हो रही हैं। हमारी बेटियां अब बड़ी संख्या में फाइटर पायलट बन रही हैं। आज पुलिस में भी बड़ी संख्या में बेटियों की भर्ती हो रही है। आज बड़ी-बड़ी कंपनियों को, और उसकी कमान हमारी बेटियां संभाल रही हैं। देश में किसानों के, पशुपालकों के 1200 ऐसे उद्पादक संघ या सहकारी समितियां हैं, जिनका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। खेल का मैदान हो या पढ़ाई का, बेटियां हर क्षेत्र में बहुत आगे चल रही हैं। गर्भवती महिलाओं की छुट्टी को बढ़ाकर 26 हफ्ते करने का भी लाभ लाखों बेटियों को मिला है।
साथियों,
कई बार जब हम किसी खिलाड़ी को मेडल पाकर गर्व से घूमते देखते हैं तो ये भूल जाते हैं कि उस मेडल को पाने के लिए उस खिलाड़ी ने, उस बेटी ने बरसों तक कितनी मेहनत की है। कोई एवरेस्ट पर तिरंगे के साथ फोटो खिंचवाता है तो उस खुशी में हम ये भूल जाते हैं कि वो व्यक्ति कितने बरसों के संघर्षों के बाद एवरेस्ट की ऊंचाई पर पहुंचा है। आज यहां जिस बीमा सखी कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है, उसकी नींव में भी बरसों की मेहनत है, बरसों की तपस्या है। आज़ादी के 60-65 सालों बाद भी, अधिकतर महिलाओं के पास बैंक खाते नहीं थे। यानि पूरी बैंकिंग व्यवस्था से ही महिलाएं कटी हुई थीं। इसलिए हमारी सरकार ने सबसे पहले माताओं-बहनों के जनधन बैंक खाते खुलवाए। और आज मुझे गर्व है कि जनधन योजना से 30 करोड़ से ज्यादा बहनों-बेटियों के बैंक खाते खुले। क्या आपने कभी सोचा है अगर ये जनधन बैंक खाते ना होते तो क्या होता? जनधन बैंक खाते ना होते तो गैस सब्सिडी के पैसे सीधे आपके खाते में ना आते, कोरोना के समय मिलने वाली मदद ना मिली होती, किसान कल्याण निधि के पैसे महिलाओं के खाते में जमा ना हो पाते, बेटियों को ज्यादा ब्याज देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ मिलना मुश्किल होता, अपना घर बनाने के लिए पैसे बेटियों के खाते में सीधे ट्रांसफर ना होते, रेहड़ी-पटरी लगाने वाली बहनों के लिए बैंक के दरवाजे बंद ही रहते, और मुद्रा योजना से करोड़ों बहनों को बिना गारंटी का लोन भी मिलना मुश्किल होता। महिलाओं के पास अपने बैंक खाते थे, इसलिए वो मुद्रा लोन ले पाईं, पहली बार अपने मन का काम शुरू कर पाईं।
साथियों,
गांव-गांव में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने में हमारी बहनों ने ही बड़ी भूमिका निभाई है। आप कल्पना कर सकते हैं जिनके बैंक खाते तक नहीं थे, वो अब बैंक सखी के रूप में गांव के लोगों को बैंकों से जोड़ रही हैं। बैंक में कैसे बचत होती है, कैसे लोन मिलता है, ये सब कुछ लोगों को सीखा रही हैं हमारी माताएं-बहनें। ऐसी लाखों बैंक सखियां आज गांव में सेवाएं दे रही हैं।
साथियों,
बैंक खाते की तरह ही, कभी महिलाओं का बीमा भी नहीं होता था। आज लाखों बेटियां, उनको बीमा एजेंट, बीमा सखी बनाने का अभियान शुरु हो रहा है। यानि जिस सेवा का लाभ पाने से कभी वो वंचित रहीं, आज उसी सेवा से दूसरे लोगों को जोड़ने का ज़िम्मा उन्हें दिया जा रहा है। आज बीमा जैसे सेक्टर के विस्तार का नेतृत्व भी एक प्रकार से अब महिलाएं ही करेंगी। बीमा सखी योजना के तहत 2 लाख महिलाओं को रोजगार के अवसर देने का लक्ष्य है। बीमा सखी कार्यक्रम के माध्यम से दसवीं पास बहनों-बेटियों को ट्रेनिंग दी जाएगी, उन्हें तीन साल तक आर्थिक मदद भी दी जाएगी, भत्ता दिया जाएगा। बीमा के सेक्टर से जुड़ा डेटा बताता है कि एक LIC एजेंट, हर महीने औसतन, average 15 हज़ार रुपए कमाता है। इस हिसाब से देखें तो हमारी बीमा सखियां, हर वर्ष पौने दो लाख रुपए से अधिक कमाएंगी। बहनों की ये कमाई परिवार को अतिरिक्त आय देगी।
साथियों,
बीमा सखियों के इस काम का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि उन्हें हर महीने हज़ारों रुपए कमाई होगी। बीमा सखियों का योगदान इससे कहीं अधिक होने वाला है। विकसित होते हमारे देश में Insurance for All हम सभी का ध्येय है। ये सोशल सिक्योरिटी के लिए, गरीबी को जड़ से मिटाने के लिए अति आवश्यक है। आज बीमा सखी के रूप में आप जिस भूमिका में आ रही हैं, उससे Insurance for All उस मिशन को बल मिलेगा।
साथियों,
जब व्यक्ति के पास बीमा की ताकत होती है, तो कितना लाभ होता है, इसके उदाहरण भी हमारे सामने हैं। सरकार, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजनाएं चला रही है। इसके तहत बहुत ही कम प्रीमियम पर 2-2 लाख रुपए तक का बीमा कराया जाता है। देश के 20 करोड़ से ज्यादा लोग जो कभी बीमा के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, उनका बीमा हुआ है। इन दोनों योजनाओं के तहत अभी तक करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए की क्लेम राशि दी जा चुकी है। आप कल्पना कीजिए, किसी का एक्सीडेंट हुआ, किसी ने अपने स्वजन को खोया, उस मुश्किल परिस्थिति में ये 2 लाख रुपए कितने काम आए होंगे। यानि बीमा सखियां, देश के अनेक परिवारों को सामाजिक सुरक्षा का कवच देने जा रही हैं, पुण्य का काम करने जा रही हैं।
साथियों,
भारत में पिछले 10 साल में ग्रामीण महिलाओं के लिए जो क्रांतिकारी नीतियां बनीं, जो निर्णय लिए हैं वो वाकई स्टडी का विषय हैं। बीमा सखी, बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी, ड्रोन दीदी, लखपति दीदी ये नाम भले ही बड़े सहज से लगते हों, सामान्य लगते हों, लेकिन ये भारत का भाग्य बदल रहे हैं। खासतौर पर भारत का सेल्फ हेल्प ग्रुप अभियान, महिला सशक्तिकरण की ऐसी गाथा है, जिसे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। हमने महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन लाने का बड़ा माध्यम बनाया है। आज देशभर की 10 करोड़ बहनें, सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं, उनसे जुड़कर महिलाओं की कमाई हो रही है। बीते 10 साल में हमने सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को 8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी है।
साथियों,
मैं देशभर में सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स से जुड़ी बहनों से भी कहूंगा, आपकी भूमिका असाधारण है, आपका योगदान बहुत बड़ा है। आप सभी, भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनाने के लिए काम कर रही हैं। इसमें हर समाज, हर वर्ग, हर परिवार की बहनें जुड़ी हैं। इसमें सबको अवसर मिल रहे हैं। यानि सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का ये आंदोलन, सामाजिक समरसता को, सामाजिक न्याय को भी सशक्त कर रहा है। हमारे यहां कहा जाता है कि एक बेटी पढ़ती है, तो दो परिवार पढ़ते हैं। वैसे ही सेल्फ हेल्प ग्रुप से सिर्फ एक महिला की आय बढ़ती है, इतना ही नहीं है, इससे एक परिवार का आत्मविश्वास बढ़ता है, पूरे गांव का आत्मविश्वास बढता है। इतना काम, इतना बड़ा काम आप सभी कर रहे हैं।
साथियों,
मैंने लाल किले से 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की भी घोषणा की है। अभी तक देशभर में 1 करोड़ 15 लाख से अधिक लखपति दीदी बन चुकी हैं। ये बहनें हर साल एक लाख रुपए से अधिक की कमाई करने लगी हैं। सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना से भी लखपति दीदी अभियान को बल मिल रहा है। हरियाणा में तो नमो ड्रोन दीदी की बहुत चर्चा है। हरियाणा चुनाव के दौरान मैंने कुछ बहनों के इंटरव्यू पढ़े थे। उसमें एक बहन ने बताया कि कैसे उसने ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ली, उनके ग्रुप को ड्रोन मिला। उस बहन ने बताया कि पिछले खरीफ सीज़न में उनको ड्रोन से स्प्रे करने का काम मिला। उन्होंने लगभग 800 एकड़ खेती में ड्रोन से स्प्रे दवा का छिड़काव किया। आप जानती हैं उनको इससे कितना पैसा मिला? इससे उनको 3 लाख रुपए की कमाई हुई। यानि एक सीज़न में ही लाखों की कमाई हो रही है। इस योजना से ही खेती और बहनों का जीवन, दोनों बदल रहा है।
साथियों,
आज देश में आधुनिक खेती, प्राकृतिक खेती, नैचुरल फार्मिंग इसके बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हज़ारों कृषि सखियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। करीब 70 हज़ार कृषि सखियों को सर्टिफिकेट मिल भी चुके हैं। ये कृषि सखियां भी हर वर्ष 60 हज़ार रुपए से अधिक कमाने का सामर्थ्य रखती हैं। ऐसे ही, सवा लाख से अधिक पशु सखियां आज पशुपालन को लेकर जागरूकता अभियान का हिस्सा बनी हैं। कृषि सखी, पशु सखी ये भी सिर्फ रोजगार का माध्यम नहीं हैं, आप सभी मानवता की भी बहुत बड़ी सेवा कर रही हैं। जैसे मरीज़ को नई ज़िंदगी देने में नर्स का बहुत बड़ा योगदान होता है, वैसे ही हमारी कृषि सखियां, आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती माता को बचाने का काम कर रही हैं। ये प्राकृतिक खेती के लिए जागरूकता फैलाकर मिट्टी की, हमारे किसानों की, धरती माता की सेवा कर रही हैं। इसी प्रकार हमारी पशु सखियां भी, पशुओं की सेवा से मानव सेवा का बहुत पुण्य काम कमा रही हैं।
साथियों,
हर चीज़ को राजनीति के, वोटबैंक को उस तराज़ू पर तौलने वाले लोग, आजकल बहुत हैरान- परेशान हैं। उनको समझ ही नहीं आ रहा है कि चुनाव दर चुनाव, मोदी के खाते में माताओं-बहनों-बेटियों का आशीर्वाद बढ़ता ही क्यों जा रहा है। जिन लोगों ने माताओं-बहनों को सिर्फ वोट बैंक समझा और चुनाव के समय घोषणाएं करने की ही राजनीति की, वो इस मजबूत रिश्ते को समझ भी नहीं पाएंगे। आज माताओं-बहनों का इतना लाड-प्यार मोदी को क्यों मिलता है, ये समझने के लिए उन्हें बीते 10 वर्षों के सफर को याद करना होगा। 10 साल पहले करोड़ों बहनों के पास एक अदद शौचालय नहीं था। मोदी ने देश में 12 करोड़ से अधिक टॉयलेट बनाए। 10 साल पहले करोड़ों बहनों के पास गैस कनेक्शन नहीं था, मोदी ने उन्हें उज्ज्वला के मुफ्त कनेक्शन दिए, सिलेंडर सस्ते किए। बहनों के घरों में पानी का नल नहीं था, हमने घर-घर नल से जल पहुंचाना शुरु किया। पहले कोई प्रॉपर्टी महिलाओं के नाम नहीं होती थी, हमने करोड़ों बहनों को पक्के घर की मालकिन बना दिया। कितने लंबे समय से महिलाएं मांग कर रही थीं, कि उन्हें विधानसभा और लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। आपके आशीर्वाद से इस मांग को पूरा करने का सौभाग्य भी हमें मिला। जब सही नीयत से, ऐसे ईमानदार प्रयास होते हैं, तभी आप बहनों का आशीर्वाद मिलता है।
साथियों,
हमारी डबल इंजन सरकार किसानों के कल्याण के लिए भी ईमानदारी से काम कर रही है। पहले दो कार्यकाल में हरियाणा के किसानों को MSP के रूप में सवा लाख करोड़ रुपए से अधिक मिला है। यहां तीसरी बार सरकार बनने के बाद धान, बाजरा और मूंग किसानों को MSP के रूप में 14 हज़ार करोड़ रुपए दिए गए हैं। सूखा प्रभावित किसानों की मदद के लिए भी 800 करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं। हम सब जानते हैं, हरियाणा को हरित क्रांति का अगुआ बनाने में चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय ने बड़ी भूमिका निभाई है। अब 21वीं सदी में हरियाणा को फल और सब्ज़ी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय का रोल अहम होगा। आज महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के नए कैंपस का शिलान्यास हुआ है। इससे इस यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे नौजवानों को नई सहूलियत मिलेगी।
साथियों,
आज मैं हरियाणा के आप सभी लोगों को, सभी बहनों को फिर से ये भरोसा दे रहा हूं कि राज्य का तेजी से विकास होगा, डबल इंजन की सरकार, तीसरे कार्यकाल में तीन गुना तेजी से काम करेगी। और इसमें यहां की नारीशक्ति की भूमिका इसी तरह लगातार बढ़ती रहेगी। आपका प्यार, आपका आशीर्वाद, यूं ही हम पर बना रहे। इसी कामना के साथ फिर से सभी को बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
बहुत-बहुत धन्यवाद।