आज हम शहरों के ट्रांसपोर्टेशन को एक इंटीग्रेटेड सिस्टम के तौर पर विकसित कर रहे हैं, यानि बस, मेट्रो, रेल एक दूसरे के पूरक बनें : प्रधानमंत्री
2014 से पहले के 10-12 वर्ष में सिर्फ 225 किमी मेट्रो लाइन ऑपरेशनल हुई थी, वहीं बीते 6 वर्षों में 450 किमी से ज्यादा मेट्रो नेटवर्क चालू हो चुका है : प्रधानमंत्री
आज भारत आत्मविश्वास के साथ फैसले ले रहा है और उन पर तेजी से अमल भी कर रहा है : प्रधानमंत्री

नमस्‍ते, गुजरात के राज्‍यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी, केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी अमित शाह जी, हरदीप सिंह पुरी जी, गुजरात के मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी जी, गुजरात सरकार के मंत्रिगण, सांसद और विधायकगण, अहमदाबाद और सूरत के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

उत्‍तरायण की शुरूआत में आज अहमदाबाद और सूरत को बहुत ही अहम उपहार मिल रहा है। देश के दो बड़े व्‍यापारिक केन्‍द्रों अहमदाबाद और सूरत में मेट्रो इन शहरों में connectivity को और मजबूत करने का काम करेगी। कल ही केवड़िया के लिए नए रेलमार्ग और नई ट्रेनों की शुरूआत हुई है। अहमदाबाद से भी आधुनिक जन-शताब्‍दी एक्‍सप्रेस अब केवड़िया तक जाएगी। इस शुभारंभ के लिए मैं गुजरात के लोगों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं।

भाइयो और बहनों,

आज 17 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा के infrastructure का काम शुरू हो रहा है। 17 हजार करोड़ रुपये, ये दिखाता है कि कोरोना के इस काल में भी नए infrastructure के निर्माण को लेकर देश के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं। बीते कुछ दिनों में ही देश भर में हजारों करोड़ रुपये के infrastructure project का या तो लोकर्पण किया गया है या फिर नए projects पर काम शुरू हुआ है।

साथियों,

अहमदाबाद और सूरत, दोनों गुजरात की और भारत की आत्मनिर्भरता को सशक्त करने वाले शहर हैं। मुझे याद है, जब अहमदाबाद में मेट्रो की शुरुआत हुई थी, तो वो कितना अद्भुत पल था। लोग छत पर खड़े थे। लोगों को चेहरों पर जो खुशी थी, वो शायद ही कोई भूल पाएगा। मैं ये भी देख रहा हूं कि अहमदाबाद के सपनों ने, यहाँ की पहचान ने कैसे खुद को मेट्रो से जोड़ लिया है। अब आज से अहमदाबाद मेट्रो के दूसरे चरण पर काम शुरु हो रहा है। अहमदाबाद मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में अब मोटेरा स्टेडियम से महात्मा मंदिर तक एक कॉरिडोर बनेगा और दूसरे कॉरिडोर से GNLU और Gift City आपस में जुड़ेंगे। इसका लाभ शहर के लाखों लोगों को होगा।

साथियों,

अहमदाबाद के बाद सूरत गुजरात का दूसरा बड़ा शहर है, जो मेट्रो जैसे आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम से जुड़ेगा। सूरत में मेट्रो नेटवर्क तो एक प्रकार से पूरे शहर के महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्रों को आपस में कनेक्ट करेगा। एक कॉरिडोर सरथना को ड्रीम सिटी से तो दूसरा कॉरिडोर भेसन को सरोली लाइन से जोड़ेगा। मेट्रो के इन प्रोजेक्ट्स की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये आने वाले वर्षों की जरूरतों का आकलन करते हुए भी बनाए जा रहे हैं। यानि जो आज इन्वेस्टमेंट हो रहा है, उससे हमारे शहरों को आने वाले कई सालों तक बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

भाइयों और बहनों,

पहले की सरकारों की जो अप्रोच थी, हमारी सरकार कैसे काम कर रही है, इसका बेहतरीन उदाहरण, क्‍या फर्क था ये भली भांति देश में मेट्रो नेटवर्क के विस्‍तार से पता चलता है। 2014 से पहले के 10-12 साल में सिर्फ सवा 2 सौ किलोमीटर मेट्रो लाइन ऑपरेशनल हुई थी। वहीं बीते 6 साल में साढ़े 4 सौ किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो नेटवर्क चालू हो चुका है। इस समय देश के 27 शहरों में 1000 किलोमीटर से ज्यादा के नए मेट्रो नेटवर्क पर काम चल रहा है।

साथियों,

एक समय था जब हमारे देश में मेट्रो के निर्माण को लेकर कोई आधुनिक सोच नहीं थी। देश की कोई मेट्रो पॉलिसी भी नहीं थी। नतीजा ये हुआ कि अलग-अलग शहरों में अलग-अलग तरह की मेट्रो, अलग-अलग तकनीक और व्यवस्था वाली मेट्रो बनने लगी। दूसरी दिक्कत ये थी कि शहर के बाकी ट्रांसपोर्ट सिस्टम का मेट्रो के साथ कोई तालमेल ही नहीं था। आज हम शहरों के transportation को एक integrated system के तौर पर विकसित कर रहे हैं। यानी, बस, मेट्रो, रेल सब अपने अपने हिसाब से नहीं दौड़े, बल्कि एक सामूहिक व्यवस्था के तौर पर काम करें, एक-दूसरे के पूरक बनें। यहां अहमदाबाद मेट्रो में ही जो नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, जब मैं वहां आया था, लॉन्च हुआ था, वो भविष्य में इस इंटीग्रेशन में और मदद करने जा रहा है।

साथियों,

हमारे शहरों की आज की क्या ज़रूरत है और आने वाले 10-20 सालों में क्या ज़रूरत होगी, इस विजन को लेकर हमने काम शुरु किया। अब जैसे सूरत और गांधीनगर को ही ले लीजिए। दो दशक पहले सूरत की चर्चा इसके विकास से भी ज्यादा प्लेग जैसी महामारी के लिए होती थी। लेकिन सूरतवासियों में सभी को गले लगाने का जो स्वाभाविक गुण है, उसने स्थितियों को बदलना शुरु कर दिया। हमने हर उद्यम को गले लगाने वाली Surat Spirit पर बल दिया। आज सूरत आबादी के लिहाज़ से एक तरफ देश का 8वां बड़ा शहर है, लेकिन दुनिया का चौथा सबसे तेज़ी से विकसित होता शहर भी है। दुनिया के हर 10 हीरों में से 9 सूरत में तराशे जाते हैं। आज देश में कुल Man made Fabric का 40 प्रतिशत और Man- made Fiber का करीब 30 प्रतिशत Production हमारे सूरत में होता है। आज सूरत देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर है।

भाइयों और बहनों,

ये सब कुछ एक बेहतर प्लानिंग और संपूर्णता की सोच के साथ संभव हो पाया है। पहले सूरत में करीब 20 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में रहती थी, अब गरीबों को पक्के घर मिलने से ये घट करके 6 प्रतिशत रह गई है। शहर को भीड़भाड़ से मुक्त करने के लिए बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट से लेकर अनेक दूसरे कदम उठाए। आज सूरत में 100 से ज्यादा पुल हैं, जिनमें से 80 से ज्यादा बीते 20 सालों में बनाए गए हैं और 8 पुलों का निर्माण जारी भी है। इसी तरह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, इसकी कैपेसिटी बढ़ाई गई। आज सूरत में करीब एक दर्जन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स हैं। सीवेज ट्रीटमेंट से ही सूरत को आज करीब 100 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हो रही है। बीते सालों में सूरत में बेहतरीन आधुनिक अस्पतालों का निर्माण किया गया। इन सभी प्रयासों से सूरत में Ease of Living बेहतर हुई। आज हम देखते हैं कि सूरत एक भारत श्रेष्ठ भारत का कितना बेहतर उदाहरण है। यहां हमें पूर्वांचल, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, नॉर्थ ईस्ट, देश के कोने-कोने से अपना भाग्‍य चमकाने के लिए आए हुए लोग, हमारे उद्यमी लोग, शिष्‍ट और समर्पण के साथ लगे हुए लोग, एक प्रकार से जीता-जागता सपनों से भरा हुआ लघु भारत सूरत की धरती पर पनपा है। ये सभी साथी मिलकर सूरत के विकास को नई बुलंदी देने के लिए काम कर रहे हैं।

साथियों,

इसी तरह गांधीनगर, पहले की उसकी पहचान क्‍या होती थी। ये शहर सरकारी नौकरी करने वालों का, रिटायर्ड लोगों का एक प्रकार से ढीला-ढाला, सुस्‍त, ऐसा एक क्षेत्र बन गया था, उसको शहर ही नहीं कह सकते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में हमने गांधीनगर की इस छवि को तेजी से बदलते हुए देखा है। अब जहां कहीं भी जाएँगे, गांधीनगर में आपको युवा दिखेंगे, नौजवान दिखेंगे, सपनों का अम्‍बार दिखेगा। आज गांधीनगर की पहचान है- IIT गांधीनगर, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, National Forensic Science University, रक्षा शक्ति University, NIFT. आज गांधीनगर की पहचान है- Pandit Deendayal Petroleum University, Indian Institute of Teacher Education, Dhirubhai Ambani Institute of Information and Communication Technology, National Institute of Design (NID), बाईसेग। अनगिनत, अनगिनत मैं कह सकता हूं। इतने कम समय में भारत का भाग्‍य गढ़ने वाले लोगों का गढ़ना निर्माण कार्य गांधीनगर की धरती पर हो रहा है। इन संस्थानों से केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही परिवर्तन नहीं आया बल्कि इन संस्थानों के साथ साथ कंपनियों के कैम्पस भी यहाँ आना शुरू हुए, गांधीनगर में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े। इसी तरह, गांधीनगर में महात्मा मंदिर, conference tourism को भी बढ़ा रहा है। अब professionals, diplomats, thinkers और leaders यहाँ आते हैं, कॉन्फ्रेंस करते हैं। इससे शहर को एक नई पहचान भी मिली है औऱ एक नयी दिशा भी मिली है। आज गांधी नगर के शिक्षा संस्थानों, आधुनिक रेलवे स्टेशन, गिफ्ट सिटी, ऐसे प्रोजेक्ट्स, इंफ्रा के अनेक आधुनिक प्रोजेक्ट्स, इसने गांधीनगर को जीवंत कर दिया है, एक प्रकार से स्‍वपनिल शहर बना दिया है।

साथियों,

गांधीनगर के साथ ही अहमदाबाद में ही ऐसी अनेकों परियोजनाएं हैं जो आज शहर की पहचान बन चुकी हैं। साबरमती रिवर फ्रंट हो, कांकरिया लेक-फ्रंट हो, वाटर एरोड्रम हो, बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम हो, मोटेरा में विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम हो, सरखेज का छह लेन - गांधीनगर हाईवे हो, अनेकानेक प्रोजेक्टस बीते वर्षों में बने हैं। एक प्रकार से अहमदाबाद की पौराणिकता को बनाए रखते हुए, शहर को आधुनिकता का आवरण पहनाया जा रहा है। अहमदाबाद को भारत का पहला "World Heritage City" घोषित किया गया है। अब अहमदाबाद के पास धोलेरा में नया एयरपोर्ट भी बनने वाला है। इस एयरपोर्ट को अहमदाबाद से कनेक्ट करने के लिए अहमदाबाद-धोलेरा मोनोरेल को भी हाल में स्वीकृति दी जा चुकी है। इसी तरह अहमदाबाद और सूरत को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन पर भी काम प्रगति पर है।

साथियों,

गुजरात के शहरों के साथ-साथ ग्रामीण विकास में भी बीते सालों में अभूतपूर्व विकास हुआ है। विशेष रूप से गांवों में सड़क, बिजली, पानी की स्थिति में कैसे बीते 2 दशकों में सुधार आया है, वो गुजरात की विकास यात्रा का बहुत अहम अध्याय है। आज गुजरात के हर गांव में All Weather Road कनेक्टिविटी है, जनजातीय क्षेत्रों के गांवों में भी बेहतर सड़कें हैं।

साथियों,

हम में से अधिकांश ने वो दौर देखा है जब गुजरात के गांवों तक ट्रेन और टैंकरों से पानी पहुंचाना पड़ता था। आज गुजरात के हर गांव तक पानी पहुंच चुका है। इतना ही नहीं अब करीब 80 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहा है। जल जीवन मिशन के तहत राज्य में 10 लाख नए पानी के कनेक्शन दिए गए हैं। बहुत जल्द गुजरात के हर घर तक नल से जल पहुंचने वाला है।

साथियों,

सिर्फ पीने का पानी ही नहीं, बल्कि सिंचाई के लिए भी आज गुजरात के उन क्षेत्रों तक पानी पहुंचा है, जहां कभी सिंचाई की सुविधा असंभव मानी जाती थी, सपने में भी कोई सोचता नहीं था। सरदार सरोवर डैम हो, सौउनी योजना हो, वॉटर ग्रिड्स का नेटवर्क हो, गुजरात के सूखाग्रस्त क्षेत्रों को हरित करने के लिए बहुत व्यापक काम किया गया है। मां नर्मदा का पानी अब सैकड़ों किलोमीटर दूर कच्छ तक पहुंच रहा है। माइक्रो-इरिगेशन के मामले में भी गुजरात देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है।

भाइयों और बहनों,

गुजरात में कभी बिजली की भी भारी समस्या रहती थी। गांवों में तो और संकट भीषण था। आज गुजरात में पर्याप्त बिजली भी है और सौर ऊर्जा के निर्माण में देश का अग्रणी राज्य भी है। कुछ दिन पहले ही कच्छ में दुनिया के सबसे बड़े renewable energy के प्लांट के लिए काम शुरू हुआ है। जिसमें Solar भी है, Wind भी है। आज किसानों तक सर्वोद्य योजना के तहत सिंचाई के लिए अलग से बिजली देने वाला गुजरात पहला राज्य बन रहा है। आरोग्य के क्षेत्र में गुजरात ने गांव-गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को निरंतर सशक्त किया है। बीते 6 सालों में देश में स्वास्थ सेवा से जुड़ी योजनाएं शुरू हुई हैं, उनका भी लाभ गुजरात को बहुत व्‍यापक रूप से मिल रहा है। आयुष्मान भारत योजना के तहत गुजरात के 21 लाख लोगों को मुफ्त इलाज मिला है। सस्ती दवाइयां देने वाले सवा 5 सौ से ज्यादा जनऔषधि केंद्र आज गुजरात में कार्यरत हैं। इसमें से लगभग 100 करोड़ रुपए की बचत गुजरात के सामान्य परिवारों, खास करके मध्‍यम वर्ग, निम्‍न वर्ग के परिवार, अगर उनके घर में बीमारी है तो सिर्फ इसके कारण सौ करोड़ रुपये जैसी रकम उनकी जेब में बची है। ग्रामीण गरीबों को सस्ते घर दिलवाने में भी गुजरात तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत गुजरात के गांवों में ढाई लाख से ज्यादा घर बनाए गए हैं। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के तहत गुजरात के गांवों में 35 लाख से ज्यादा शौचालय का निर्माण हुआ है। गुजरात के गांवों के विकास के लिए कितनी तेजी से काम हो रहा है, इसका एक और उदाहरण है डिजिटल सेवा सेतु। इसके माध्यम से राशन कार्ड, जमीन से जुड़े कागज, पेंशन स्कीम, कई अन्य तरह के सर्टिफिकेट, ऐसी अनेक सेवाएं गांव के लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं। ये सेतु पिछले साल अक्टूबर में ही लॉन्च किया गया था, यानी चार-पांच महीने पहले। और मुझे बताया गया है कि जल्दी ही ये डिजिटल सेतु 8 हजार गांवों तक पहुंचने वाला हैं। इसके माध्यम से 50 से अधिक सरकारी सेवाएं गांवों के लोगों तक सीधे पहुंचेगी। मैं इस कार्य के लिए गुजरात सरकार की पूरी टीम को बहुत बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज भारत आत्मविश्वास के साथ फैसले ले रहा है, उन पर तेजी से अमल भी कर रहा है। आज भारत सिर्फ बड़ा ही नहीं कर रहा है, आज भारत बेहतर भी कर रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा भारत में है। आज दुनिया का सबसे बड़ा Affordable Housing Program भारत में चल रहा है। आज दुनिया का सबसे बड़ा Healthcare Assurance Program भी भारत में चल रहा है। 6 लाख गांवों को तेज़ इंटरनेट से जोड़ने का विराट काम भी भारत में ही हो रहा है। और परसो ही कोरोना संक्रमण के विरुद्ध दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान भी भारत में ही शुरू हुआ है।

यहां गुजरात में ही बीते दिनों दो ऐसे काम पूरे हुए जिनका मैं विशेष तौर पर जिक्र करना चाहता हूं। ये उदाहरण हैं कि कैसे तेजी से पूरी होती परियोजनाएं, लोगों का जीवन बदल देती हैं। एक, घोघा और हजीरा के बीच रो-पैक्स सेवा और दूसरी- गिरनार रोप वे।

साथियों,

पिछले साल नवंबर में, यानी चार महीने पहले घोघा और हजीरा के बीच रो-पैक्स सेवा शुरु होने से, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात, दोनों ही क्षेत्रों के लोगों का वर्षों का इंतजार समाप्त हुआ है, और वहां के लोगों को इसका बहुत लाभ हो रहा है। इस सेवा से घोघा और हजीरा के बीच सड़क की दूरी पौने चार सौ किलोमीटर की है, वो समंदर के रास्ते सिर्फ 90 किलोमीटर ही रह गई है। यानि जिस दूरी को तय करने में पहले 10 से 12 घंटे लग जाते थे, अब वो 4-5 घंटे में ही पूरी हो जा रही है। यानि इससे हजारों लोगों का समय बच रहा है, पेट्रोल-डीजल पर होने वाला खर्च बच रहा है, सड़क पर चलने वाली गाड़ियां कम होने से प्रदूषण कम करने में भी मदद मिली है। सिर्फ दो महीने में, मुझे जो बताया गया है सिर्फ दो महीने में 50 हजार से ज्यादा लोग इस नई सुविधा का लाभ ले चुके हैं। 14 हजार से ज्यादा गाड़ियां भी रो-पैक्स फेरी से ले जाई गईं हैं। सूरत के साथ, सौराष्ट्र की इस नई कनेक्टिविटी ने सौराष्ट्र के किसानों और पशुपालकों को फल, सब्जी और दूध, सूरत पहुंचाने का आसान मार्ग उपलब्ध कराया है। सड़क के रास्ते पहले फल, सब्जी और दूध जैसी चीजें खराब हो जाती थीं, पहुंचते-पहुंचते ही बर्बाद हो जाती थीं। अब समंदर के रास्ते पशुपालकों और किसानों के उत्पाद और तेजी से शहरों तक पहुंच रहे हैं। वहीं सूरत में व्यापार-कारोबार करने वाले साथियों और श्रमिक साथियों के लिए भी आना-जाना इस फेरी सेवा से बहुत आसान हो गया है।

साथियों,

इस फेरी सर्विस से कुछ सप्ताह पहले ही, पिछले साल अक्टूबर के महीने में गिरनार में रोप वे शुरू हुआ था, वो भी करीब चार-पांच महीने पहले। पहले गिरनार पर्वत पर दर्शन करने जाने के लिए पहले 9 हजार सीढियां चढ़कर जाने का ही विकल्प था। अब रोप वे ने श्रद्धालुओं को एक और सुविधा दी है। पहले मंदिर तक जाने में 5-6 घंटे लग जाते थे, अब लोग कुछ मिनट में ही वो दूरी तय कर लेते हैं। मुझे बताया गया है कि सिर्फ ढाई महीने में ही अब तक 2 लाख 13 हजार से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा चुके हैं। आप कल्पना कर सकते हैं- सिर्फ ढाई महीने में 2 लाख से ज्यादा लोग। आप समझ सकते हैं कि ये कितनी बड़ी सेवा का काम हुआ है। और मुझे विश्‍वास है खास करके जो बुजुर्ग माताएं-बहनें, परिवार के वरिष्‍ठ लोग ये जो यात्रा कर रहे हैं, मेरे जैसे अनेकों को उनके आशीर्वाद मिल रहे हैं, जो हमें और अधिक काम करने की ताकत देते हैं।

भाइयों और बहनों,

नए भारत का का लक्ष्य, लोगों की आवश्यकताओं को समझते हुए, आकांक्षाओं को समझते हुए तेज गति से काम करते हुए ही प्राप्त किया जा सकता है। इसी दिशा में एक और प्रयास है जिसकी लोगों में उतनी चर्चा नहीं होती, जितनी होनी चाहिए। ये प्रयास है- केंद्रीय स्तर पर ‘प्रगति’ नाम से बनाई गई व्यवस्था। मैं जब गुजरात में था तो स्‍वागत कार्यक्रम की बड़ी चर्चा हो रही थी। लेकिन देश के अंदर प्रगति कार्यक्रम जो मेरा चल रहा है, देश की अलग-अलग योजनाओ में, इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट में तेजी लाने में इस प्रगति प्‍लेटफार्म की बहुत बड़ी भूमिका है। यहां सरकार से जुड़े लोग जानते हैं कि प्रगति की बैठकों में, मैं स्‍वयं भी घंटों तक बैठ करके राज्‍यों के अधिकारियों से एक-एक प्रोजेक्‍ट की बारीकी से चर्चा करता हूं। उनकी समस्‍याओं का समाधान करने के लिए प्रयास करता हूं। प्रगति की बैठकों में, मैं कोशिश करता हूं कि सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ सीधा संवाद करके दशकों से अटके हुए प्रोजेक्ट्स का कोई हल निकल सके। बीते 5 साल में प्रगति की बैठकों में 13 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स की समीक्षा हो चुकी है। इन बैठकों में देश के लिए जरूरी, लेकिन बरसों से अधूरी अनेक परियोजनाओं को Review करने के बाद उनका उचित समाधान किया गया है।

साथियों,

सालों से अटकी और लटकी योजनाओं को गति मिलने से सूरत जैसे हमारे शहरों को गति मिलती है। हमारे उद्योगों को, और खासकर छोटे उद्योगों को, MSMEs को, एक आत्मविश्वास मिलता है कि वो दुनिया के बड़े बाज़ारों से competition कर रहे हैं, तो उनके पास बड़े देशों जैसा infrastructure भी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में इन छोटे उद्योगों के लिए और भी कई बड़े कदम उठाए गए हैं। छोटे उद्योगों को संकट से बाहर निकालने के लिए एक तरफ हज़ारों करोड़ रुपए के आसान ऋण की व्यवस्था की गई है। वहीं दूसरी तरफ MSMEs को ज्यादा अवसर देने के लिए महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए। सबसे बड़ा फैसला सरकार ने MSMEs की परिभाषा को लेकर किया है, निवेश की सीमा को लेकर किया है। पहले MSMEs का विस्तार करने से उद्यमी इसलिए बचते थे क्योंकि उनको सरकार से मिलने वाले लाभ खोने का डर रहता था। अब सरकार ने ऐसे प्रतिबंधों को हटाकर इन इकाइयों के लिए नए रास्ते खोले हैं। इसके साथ ही नई परिभाषा में manufacturing और service enterprises के भेदभाव को भी खत्म किया गया है। इससे सर्विस सेक्टर में भी नई संभावनाएं पैदा हुई हैं। वहीं सरकारी खरीद में भी भारत के MSMEs को ज्यादा से ज्यादा मौके मिले, इसका प्रबंध भी किया गया है। कोशिश ये है कि हमारे छोटे उद्योग खूब फलें-फूलें और उनमें काम करने वाले श्रमिक साथियों को बेहतर सुविधाएं, बेहतर जीवन मिले।

साथियों,

इन विराट प्रयासों के पीछे 21वीं सदी के युवा, भारत की युवा अनगिनत आकांक्षाएं हैं। वो आकांक्षाएं, जो बुनियादी सुविधा और सुरक्षा के अभाव में पूरी होनी कठिन हैं। मुझे विश्वास है कि उन कठिनाइयों को दूर करना है, सपनों को सामर्थ्‍य देना है और संकल्‍प को सिद्ध करके रहना है। मुझे विश्‍वास है कि अहमदाबाद और सूरत के ये मेट्रो प्रोजेक्ट इन शहरों के हर साथी की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करेंगे।

इसी विश्वास के साथ गुजरात के सभी भाइयों-बहनों को, खास करके अहमदाबाद और सूरत के नागरिक भाइयों-बहनों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई है।

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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Prime Modi addresses the Indian community in Oman
December 18, 2025

Prime Minister today addressed a large gathering of Indian community members in Muscat. The audience included more than 700 students from various Indian schools. This year holds special significance for Indian schools in Oman, as they celebrate 50 years of their establishment in the country.

Addressing the gathering, Prime Minister conveyed greetings to the community from families and friends in India. He thanked them for their very warm and colorful welcome. He stated that he was delighted to meet people from various parts of India settled in Oman, and noted that diversity is the foundation of Indian culture - a value which helps them assimilate in any society they form a part of. Speaking of how well Indian community is regarded in Oman, Prime Minister underlined that co-existence and cooperation have been a hallmark of Indian diaspora.

Prime Minister noted that India and Oman enjoy age-old connections, from Mandvi to Muscat, which today is being nurtured by the diaspora through hard work and togetherness. He appreciated the community participating in the Bharat ko Janiye quiz in large numbers. Emphasizing that knowledge has been at the center of India-Oman ties, he congratulated them on the completion of 50 years of Indian schools in the country. Prime Minister also thanked His Majesty Sultan Haitham bin Tarik for his support for welfare of the community.

Prime Minister spoke about India’s transformational growth and development, of its speed and scale of change, and the strength of its economy as reflected by the more than 8 percent growth in the last quarter. Alluding to the achievements of the Government in the last 11 years, he noted that there have been transformational changes in the country in the fields of infrastructure development, manufacturing, healthcare, green growth, and women empowerment. He further stated that India was preparing itself for the 21st century through developing world-class innovation, startup, and Digital Public Infrastructure ecosystem. Prime Minister stated that India’s UPI – which accounts for about 50% of all digital payments made globally – was a matter of pride and achievement. He highlighted recent stellar achievements of India in the Space sector, from landing on the moon to the planned Gaganyaan human space mission. He also noted that space was an important part of collaboration between India and Oman and invited the students to participate in ISRO’s YUVIKA program, meant for the youth. Prime Minister underscored that India was not just a market, but a model for the world – from goods and services to digital solutions.

Prime Minister conveyed India’s deep commitment for welfare of the diaspora, highlighting that whenever and wherever our people are in need of help, the Government is there to hold their hand.

Prime Minister affirmed that India-Oman partnership was making itself future-ready through AI collaboration, digital learning, innovation partnership, and entrepreneurship exchange. He called upon the youth to dream big, learn deep, and innovate bold, so that they can contribute meaningfully to humanity.