“भारत के लोगों ने पिछले 10 वर्षों में देश की सेवा करने के लिए हमारी सरकार के प्रयासों का दिल से समर्थन और आशीर्वाद दिया है”
“यह बाबा साहेब अंबेडकर का दिया गया संविधान ही है जिसने मेरे जैसे लोगों को, जिनका कोई राजनीतिक वंश नहीं है, राजनीति में प्रवेश करने और इस मुकाम तक पहुंचने का मौका दिया है”
“हमारा संविधान हमें प्रकाश स्तंभ की तरह मार्गदर्शन करता है”
“लोगों ने हमें पूरे भरोसे और दृढ़ विश्वास के साथ तीसरा जनादेश दिया है कि हम भारत की अर्थव्यवस्था को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएंगे”
“अगले 5 साल देश के लिए महत्वपूर्ण हैं”
“सुशासन की मदद से हम इस युग को ऐसे युग में बदलना चाहते हैं जहां बुनियादी जरूरतों की कहीं कोई कमी न रह पाए”
“हम यहीं नहीं रुकना चाहते। अगले पांच वर्षों में हम नए क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का अध्ययन कर उनका समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं”
“हमने हर स्तर पर सूक्ष्म नियोजन के माध्यम से किसानों को बीज से लेकर बाजार तक एक मजबूत व्यवस्था प्रदान करने का भरसक प्रयास किया है”
“भारत महिलाओं के नेतृत्व में विकास के लिए सिर्फ नारे के तौर पर नहीं बल्कि अटूट प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है”
“आपातकाल का दौर सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं था बल्कि यह भारत के लोकतंत्र, संविधान और मानवता से जुड़ा था”
“जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत के संविधान, लोकतंत्र और चुनाव आयोग को मंजूरी दी है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया।

प्रधानमंत्री ने सदन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति के प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक अभिभाषण के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लगभग 70 सदस्यों ने अपने विचार रखे और प्रधानमंत्री ने उन सदस्यों को धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने देश की लोकतांत्रिक यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि 60 वर्षों के बाद भारत के मतदाताओं ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार को वापस लाया है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। मतदाताओं के निर्णय को कम आंकने के विपक्ष के कदम की निंदा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हमने देखा है कि विपक्ष ने भारी मन से अपनी हार और हमारी जीत को स्वीकार किया है।

प्रधानमंत्री ने भरोसा जताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने अपने शासन का केवल एक तिहाई यानी 10 वर्ष ही पूरा किया है और अभी दो तिहाई यानी 20 वर्ष बाकी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत के लोगों ने पिछले 10 वर्षों में देश की सेवा करने के लिए हमारी सरकार के प्रयासों का पूरे दिल से समर्थन किया है और आशीर्वाद दिया है।" उन्होंने नागरिकों के फैसले पर गर्व व्यक्त किया, जिन्होंने दुष्प्रचार को हराया, काम-काज को प्राथमिकता दी, भ्रम की राजनीति को नकारा और विश्वास की राजनीति पर जीत की मुहर लगाई।

भारत का संविधान अपने अस्तित्व के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक विशेष स्थिति है क्योंकि भारत की संसद भी 75 वर्ष पूरे कर रही है, जो इसे एक सुखद संयोग बनाता है। श्री मोदी ने बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए भारत के संविधान की प्रशंसा की और कहा कि जिनके परिवार का कोई सदस्य भारत में कभी राजनीतिक परिवार से जुड़ा नहीं था, उन्हें संविधान में निहित अधिकारों के कारण देश की सेवा करने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा, "यह बाबा साहेब अंबेडकर का दिया संविधान ही है, जिसने मेरे जैसे लोगों को, जिनका कोई राजनीतिक वंश नहीं है, राजनीति में प्रवेश करने और इस मुकाम तक पहुंचना संभव किया है।" उन्होंने आगे कहा कि अब, जब लोगों ने अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी है, तो सरकार लगातार तीसरी बार आई है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का संविधान केवल लेखों का संकलन नहीं है, बल्कि इसकी भावना और छाप अत्यंत मूल्यवान है।

श्री मोदी ने याद दिलाया कि जब उनकी सरकार ने 26 नवंबर को "संविधान दिवस" ​​के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था, तो इसका कड़ा विरोध हुआ था। पीएम ने कहा कि संविधान दिवस मनाने के उनके फैसले से स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं के बीच संविधान की भावना को और अधिक प्रसारित करने, संविधान में कुछ प्रावधानों को क्यों और कैसे शामिल किया गया और कैसे हटाया गया, इस पर चर्चा और विचार-विमर्श करने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि संविधान के विभिन्न पहलुओं पर हमारे छात्रों के बीच निबंध, वाद-विवाद और तात्कालिक भाषण जैसी प्रतियोगिताओं के आयोजन से संविधान के प्रति आस्था बढ़ेगी और समझ विकसित होगी। उन्होंने कहा कि संविधान हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा रहा है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि संविधान अपने अस्तित्व के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, इसलिए उनकी सरकार ने इसे देशव्यापी उत्सव सुनिश्चित करने के लिए "जन उत्सव" के रूप में मनाने की योजना बनाई है। उन्होंने आगे कहा कि वे यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास करेंगे कि संविधान की भावना और उद्देश्य को लेकर देश के हर कोने में जागरूकता हो।

प्रधानमंत्री ने मतदाताओं की सराहना करते हुए कहा कि भारत के लोगों ने उनकी सरकार को तीसरी बार वोट दिया है ताकि ‘विकसित भारत’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के माध्यम से विकास और निर्भरता के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। श्री मोदी ने अपनी चुनावी जीत को न केवल पिछले 10 वर्षों में उनकी सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर नागरिकों की स्वीकृति की मुहर बताया, बल्कि उनके भावी सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक जनादेश भी बताया। उन्होंने कहा, “इस देश के लोगों ने हमें अपने भविष्य के संकल्पों को साकार करने का अवसर दिया है।”

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि देश ने पिछले दस वर्षों में वैश्विक अस्थिरता और महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को दसवें से पांचवें स्थान पर पहुंचते देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जनादेश अर्थव्यवस्था को वर्तमान पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर ले जाने के लिए है। उन्होंने इस जनादेश को पूरा करने का विश्वास व्यक्त किया।

श्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों में हुए विकास की गति और दायरे को बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री ने सदन को भरोसा दिलाया कि अगले पांच वर्षों में सरकार लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में काम करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुशासन की मदद से हम इस युग को ऐसे युग में बदलना चाहते हैं जहां बुनियादी जरूरतों की कहीं कोई कमी न रह पाए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश से गरीबी हटाने के लिए अगले पांच साल महत्वपूर्ण हैं और पिछले 10 वर्षों के अनुभवों के आधार पर गरीबी के खिलाफ खड़े होने और इसे दूर करने के लिए गरीबों की सामूहिक क्षमताओं में विश्वास व्यक्त किया।

लोगों के जीवन के हर पहलू पर भारत के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के प्रभाव के बारे में विस्तार से बताते हुए, श्री मोदी ने कहा कि इस संभावना का वैश्विक परिदृश्य पर भी अभूतपूर्व प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने अगले पांच वर्षों में भारतीय स्टार्टअप और कंपनियों के वैश्विक पुनरुत्थान और विकास इंजन के रूप में उभर रहे टियर 2 और टियर 3 शहरों के बारे में बात की।

वर्तमान सदी को प्रौद्योगिकी संचालित सदी बताते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक परिवहन जैसे कई नए क्षेत्रों में नई तकनीक के इस्तेमाल की बात की। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि छोटे शहर चिकित्सा, शिक्षा या नवाचार जैसे क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

किसान, गरीब, नारीशक्ति और युवा के चार स्तंभों को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों पर सरकार का ध्यान भारत के विकास की यात्रा में महत्वपूर्ण है।

कृषि और किसानों के लिए सुझाव देने के लिए संसद सदस्यों को धन्यवाद देते हुए, प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में किसानों के लिए कृषि को आकर्षक बनाने के लिए सरकार के प्रयासों को याद किया। उन्होंने ऋण, बीज, सस्ती उर्वरक, फसल बीमा, एमएसपी खरीद सुनिश्चित करने की बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने किसानों को हर स्तर पर सूक्ष्म नियोजन के माध्यम से बीज से लेकर बाजार तक एक मजबूत प्रणाली प्रदान करने का भरसक प्रयास किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने किसान क्रेडिट कार्ड के लाभों पर प्रकाश डाला और कहा कि क्रेडिट कार्ड ने छोटे किसानों के लिए ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मछुआरों और पशुपालकों को भी दिया गया है। प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का भी उल्लेख किया और पीएम किसान सम्मान निधि पर प्रकाश डाला, जिससे पिछले 6 वर्षों में 10 करोड़ किसानों को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों में ऋण माफी योजनाओं की विफलता और विश्वसनीयता की कमी को भी इंगित किया और वर्तमान शासन की किसान कल्याण योजनाओं को रेखांकित किया।

विपक्ष के बहिर्गमन के बाद अपना भाषण जारी रखते हुए, प्रधानमंत्री ने सदन के अध्यक्ष के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि मैं लोगों का सेवक होने के लिए बाध्य हूं। मैं अपने जीवन के हर पल लोगों के प्रति जवाबदेह हूं। उन्होंने सदन की परंपराओं का अनादर करने के लिए विपक्ष की आलोचना भी की।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए बताया कि उनकी सरकार ने गरीब किसानों को उर्वरकों के लिए आजादी के बाद से सबसे अधिक 12 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी दी। श्री मोदी ने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए उनकी सरकार ने न केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में रिकॉर्ड वृद्धि की घोषणा की, बल्कि उनसे खरीद में भी नए रिकॉर्ड बनाए। पिछली सरकार से तुलना करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में धान और गेहूं के किसानों को 2.5 गुना अधिक धन दिया है। उन्होंने कहा कि हम यहीं नहीं रुकना चाहते। अगले पांच वर्षों तक हम नए क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं का अध्ययन करके उनका समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। हमने वर्तमान में खाद्य भंडारण का दुनिया का सबसे बड़ा अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय व्यवस्था के तहत लाखों अन्न भंडार बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि बागवानी कृषि का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और उनकी सरकार इसके सुरक्षित भंडारण, परिवहन और बिक्री के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र के साथ भारत की विकास यात्रा के दायरे का लगातार विस्तार किया है। उन्होंने रेखांकित किया कि नागरिकों को सम्मान का जीवन प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद दशकों तक जो लोग उपेक्षित रहे, आज उनकी न केवल देखभाल की जाती है, बल्कि उनका सम्मान भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग भाई-बहनों की समस्याओं को मिशन मोड में और सूक्ष्म स्तर पर दूर किया जा रहा है, ताकि वे दूसरों पर कम से कम निर्भर रहते हुए सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। अपनी सरकार की समावेशी प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने समाज के उपेक्षित वर्ग ट्रांसजेंडरों के लिए कानून लागू करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आज पश्चिमी देश भी भारत की प्रगतिशील प्रकृति को गर्व से देखते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उनकी सरकार ने अब ट्रांसजेंडरों को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार भी प्रदान किए हैं।

इसी तरह, खानाबदोश और अर्ध-खानाबदोश समुदायों के लिए कल्याण बोर्ड बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए भी कदम उठाए जाने का उल्लेख किया, जिसके तहत जन मन योजना के लिए 24 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि सरकार वोट की राजनीति के बजाय विकास की राजनीति कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के विश्वकर्माओं का भी जिक्र किया जिन्होंने भारत की विकास यात्रा में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि सरकार ने करीब 13 हजार करोड़ रुपये की मदद से व्यावसायिकता पैदा करके और कौशल विकास के लिए संसाधन उपलब्ध कराकर उनके जीवन को बदल दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का भी जिक्र किया, जिसके तहत रेहड़ी-पटरी वालों को बैंक से ऋण लेने और अपनी आय बढ़ाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि चाहे गरीब हों, दलित हों, पिछड़े समुदाय हों, आदिवासी हों या महिलाएं हों, उन्होंने हमारा पूरा साथ दिया है।

प्रधानमंत्री ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास के भारतीय दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जिसकी ओर देश सिर्फ नारे के तौर पर नहीं बल्कि अटूट प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रहा है। महिला स्वास्थ्य के संबंध में श्रीमती सुधा मूर्ति के हस्तक्षेप का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने परिवार में मां के महत्व को रेखांकित किया। श्री मोदी ने महिलाओं के स्वास्थ्य, स्वच्छता और तंदुरुस्ती पर प्राथमिकता से ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने शौचालय, सैनिटरी पैड, टीकाकरण, रसोई गैस को इस दिशा में प्रमुख उपायों के रूप में उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गरीबों को सौंपे गए 4 करोड़ घरों में से अधिकांश महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हैं। उन्होंने मुद्रा और सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाओं का भी उल्लेख किया, जिन्होंने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, उन्हें स्वतंत्र बनाया है और निर्णय लेने में उनकी आवाज को बुलंद किया है। श्री मोदी ने बताया कि अब तक छोटे गांवों में स्वयं सहायता समूहों में काम करने वाली एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं, जबकि सरकार वर्तमान कार्यकाल में उनकी संख्या को 3 करोड़ तक बढ़ाने के लिए काम कर रही है।

श्री मोदी ने उम्मीद जताई कि उनकी सरकार का प्रयास महिलाओं को हर नए क्षेत्र में अग्रणी बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि हर नई तकनीक सबसे पहले महिलाओं तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आज नमो ड्रोन दीदी अभियान गांवों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है, जिसमें महिलाएं सबसे आगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ड्रोन चलाने वाली महिलाओं को 'पायलट दीदी' कहा जाता है और इस तरह की मान्यता महिलाओं के लिए एक प्रेरणा शक्ति है।

महिलाओं के मुद्दों का राजनीतिकरण करने की प्रवृत्ति और चयनात्मक रवैये की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर चिंता व्यक्त की।

देश की नई वैश्विक छवि पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज ‘अगर-मगर’ का दौर खत्म हो गया है क्योंकि भारत विदेशी निवेश का स्वागत कर रहा है जो देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर युवा अपनी क्षमता और प्रतिभा का भी प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आज की जीत उन निवेशकों के लिए उम्मीद लेकर आई है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में संतुलन की उम्मीद कर रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि पारदर्शिता के मामले में आज भारत एक आशाजनक देश के रूप में उभर रहा है।

प्रधानमंत्री ने 1977 के लोकसभा चुनावों के समय को याद किया जब प्रेस और रेडियो पर अंकुश लगा दिया गया था और लोगों की आवाज दबा दी गई थी। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि मतदाताओं ने तब भारत के संविधान की रक्षा और लोकतंत्र को फिर से स्थापित करने के लिए मतदान किया था, जबकि आज, संविधान को बचाने की इस लड़ाई में भारत के लोगों की पहली पसंद मौजूदा सरकार है। श्री मोदी ने आपातकाल के दौरान देश पर किए गए अत्याचारों का भी जिक्र किया। उन्होंने 38वें, 39वें और 42वें संविधान संशोधनों के साथ-साथ एक दर्जन अन्य अनुच्छेदों का भी उल्लेख किया, जिन्हें आपातकाल के दौरान संशोधित किया गया था और इस तरह संविधान की भावना के साथ छेड़छाड़ की गई। श्री मोदी ने राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की नियुक्ति की भी आलोचना की, जिसके पास कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को पलटने का अधिकार था और स्थापित प्रोटोकॉल के बावजूद एक ही परिवार को तरजीह दी गई। प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल के दौर पर चर्चा से बचने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए टालमटोल के तरीकों की भी आलोचना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपातकाल का दौर सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं था, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र, संविधान और मानवता से जुड़ा था। आपातकाल के दौरान जेल में बंद तत्कालीन विपक्षी नेताओं पर हुए अत्याचारों की ओर इशारा करते हुए श्री मोदी ने स्वर्गीय श्री जय प्रकाश नारायण जी का जिक्र किया, जो रिहाई के बाद पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाए। आपातकाल के दौरान मुजफ्फरनगर और तुर्कमान गेट में अल्पसंख्यकों की स्थिति को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने गहरे दुख के साथ कहा कि आपातकाल के बाद घर छोड़कर गए कई लोग कभी वापस नहीं लौटे।

प्रधानमंत्री ने विपक्ष के कुछ समूहों द्वारा भ्रष्टाचारियों को बचाने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। विपक्षी दलों के विभिन्न सरकारों द्वारा किए गए विभिन्न घोटालों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रवर्तन एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंडों की भी आलोचना की। उन्होंने पिछली सरकारों में जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के उदाहरण भी दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई मेरे लिए चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह मेरे लिए एक मिशन है। प्रधानमंत्री ने 2014 में अपनी नई सरकार के आगमन के समय गरीबों के प्रति समर्पण और भ्रष्टाचार पर कड़ी चोट के दोहरे वादों को याद किया। यह दुनिया की सबसे बड़ी गरीब कल्याण योजना और भ्रष्टाचार के खिलाफ नए कानूनों जैसे कालेधन, बेनामी के खिलाफ कानून और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के प्रावधानों और प्रत्येक पात्र लाभार्थी को लाभ के हस्तांतरण को सुनिश्चित करने में प्रकट होता है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि मैंने जांच एजेंसियों को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पूरी छूट दी है।

हाल ही में हुए पेपर लीक पर राष्ट्रपति की चिंता को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने युवाओं को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार देश के भविष्य के साथ खेलने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है और उन्हें सजा दिए बिना नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं कि हमारे युवाओं को किसी भी तरह के संदेह में न रहना पड़े और वे आत्मविश्वास के साथ अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें।

जम्मू और कश्मीर में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के मतदान के आंकड़ों का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पिछले चार दशकों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए बड़ी संख्या में मतदान किया। उन्होंने जनादेश की सराहना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत के संविधान, लोकतंत्र और चुनाव आयोग को स्वीकृति दी है। श्री मोदी ने इसे देश के नागरिकों के लिए बहुप्रतीक्षित क्षण बताया। जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में जम्मू-कश्मीर में कई बंद, विरोध प्रदर्शन, विस्फोट और आतंकी गतिविधियों ने लोकतंत्र को ग्रहण लगा दिया था। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने संविधान में अपनी अटूट आस्था दिखाई है और अपना भविष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि एक तरह से, हम जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई के अंतिम चरण में हैं। हम बाकी आतंकी नेटवर्क को नष्ट करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर के लोग इस लड़ाई में हमारी मदद और मार्गदर्शन कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर तेजी से देश की प्रगति का प्रवेश द्वार बन रहा है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में बताया। उन्होंने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के अभूतपूर्व विकास का उल्लेख किया। उन्होंने क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के प्रयासों के दीर्घकालिक प्रभाव की भी उम्मीद जताई क्योंकि राज्यों के बीच सीमा विवादों को आम सहमति के साथ सार्थक तरीके से निपटाया जा रहा है।

राज्यसभा के पिछले सत्र में मणिपुर के बारे में अपने विस्तृत भाषण को याद करते हुए, श्री मोदी ने दोहराया कि सरकार मणिपुर में स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में अशांति के दौरान और उसके बाद 11,000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं और 500 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि मणिपुर में हिंसा की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि मणिपुर में शांति की उम्मीद बढ़ रही है। श्री मोदी ने सदन को बताया कि आज मणिपुर में स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और अन्य संस्थान सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के विकास में भी किसी तरह की बाधा नहीं आई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मणिपुर में शांति और सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि गृह मंत्री ने स्वयं मणिपुर में रहकर शांति प्रयासों का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि समस्याओं का समाधान खोजने और शांति सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को भी काम पर लगाया गया है।

प्रधानमंत्री ने मणिपुर में अभी बाढ़ की भयावह स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने सदन को बताया कि मणिपुर में बाढ़ राहत कार्य के लिए एनडीआरएफ की 2 कंपनियां तैनात की गई हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राहत प्रयासों में राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक और पार्टी लाइन से हटकर काम करना सभी हितधारकों का कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने असंतुष्टों से मणिपुर की सुरक्षा स्थिति को भड़काने और उसे और अधिक खतरे में डालने से बचने का अनुरोध किया। उन्होंने सदन को बताया कि मणिपुर में सामाजिक संघर्ष की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसका एक लंबा इतिहास रहा है। मणिपुर में आजादी के बाद से 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। 1993 से मणिपुर में 5 साल तक चले सामाजिक संघर्ष का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि स्थिति को समझदारी और धैर्य के साथ संभालने की जरूरत है। उन्होंने मणिपुर में सामान्य स्थिति और शांति सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों में मदद करने के लिए सभी समान विचारधारा वाले लोगों को आमंत्रित किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने संघवाद के महत्व को अनुभव से सीखा है क्योंकि लोकसभा में कदम रखने और प्रधानमंत्री बनने से पहले वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। श्री मोदी ने सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को मजबूत करने के अपने रुख को रेखांकित किया और वैश्विक मंच पर राज्य और उसकी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए देश के हर राज्य में महत्वपूर्ण जी-20 कार्यक्रम आयोजित करने का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड महामारी के दौरान राज्य और केंद्र के भीतर रिकॉर्ड संख्या में चर्चाएं और विचार-विमर्श हुए।

प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अगली क्रांति का मार्गदर्शन कर रहा है। उन्होंने भारत के राज्यों को विकास, सुशासन, नीति निर्माण, रोजगार सृजन और विदेशी निवेश आकर्षित करने में प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि जब दुनिया भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रही है, तो भारत के हर राज्य के पास अवसर है। उन्होंने सभी राज्यों से भारत की विकास गाथा में योगदान देने और इसका लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा से युवाओं को बहुत मदद मिलेगी क्योंकि रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने पूर्वोत्तर में असम का उदाहरण दिया जहां सेमीकंडक्टर से संबंधित काम तेजी से हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को ‘मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किए जाने के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत के छोटे किसानों की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने राज्यों से मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाने और इसे वैश्विक बाजार में उतारने के लिए रोडमैप बनाने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि मोटे अनाज का उपयोग दुनिया के पोषण बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और कुपोषित आबादी वाले क्षेत्रों में मुख्य भोजन बन सकता है।

प्रधानमंत्री ने राज्यों से ऐसी नीतियां और कानून बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जिनसे नागरिकों के बीच ‘जीवन की सुगमता’ बढ़े। उन्होंने पंचायत, नगर पालिका, महानगर पालिका, तहसील या जिला परिषद सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को बढ़ाने की आवश्यकता जताई और इस लड़ाई में राज्यों से एकजुट होने का आह्वान किया।

भारत को 21वीं सदी का भारत बनाने के लिए सरकार के निर्णय लेने, वितरण और शासन मॉडल में दक्षता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इन क्षेत्रों में किए जाने वाले कार्यों की गति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दक्षता व्यवस्था में पारदर्शिता लाती है, जिससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होती है, जीवन को आसान बनाने को बढ़ावा मिलता है और ‘अगर-मगर’ की स्थिति खत्म होती है।

प्रधानमंत्री ने नागरिकों के जीवन में सरकार के हस्तक्षेप को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही जरूरतमंदों को सरकार की ओर से मदद देते रहने पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने सभी राज्यों को आगे आकर इससे लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री मोदी ने कहा कि सभी को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने और स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन मूलभूत लक्ष्यों को राजनीतिक इच्छाशक्ति से प्राप्त किया जा सकता है और हर राज्य आगे बढ़कर इन लक्ष्यों तक पहुंचने में सहयोग करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सदी भारत की सदी होने जा रही है और हम इस अवसर को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकते। उन्होंने कहा कि भारत ने कई मौके गंवाए, जबकि इसी तरह की स्थिति वाले कई देश विकसित हो गए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुधारों से बचने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को निर्णय लेने की अधिक शक्ति मिलने से प्रगति और विकास निश्चित रूप से होगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत 140 करोड़ नागरिकों का मिशन है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत में संभावनाओं को देखते हुए निवेश करने के लिए तैयार है और भारत दुनिया की पहली पसंद है। उन्होंने राज्यों से इस अवसर का लाभ उठाने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को उनके मार्गदर्शन और अभिभाषण में उठाए गए मुद्दों के लिए धन्यवाद देते हुए अपने संबोधन का समापन किया।

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December 20, 2025
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पश्चिम बंगाल को एक ऐसी बीजेपी सरकार की जरूरत है जो राज्य का गौरव वापस लाने के लिए दोगुनी गति से काम करे: नदिया में पीएम मोदी
जब भी बीजेपी घुसपैठ पर चिंता जताती है, तो TMC नेता गाली-गलौज से जवाब देते हैं, जो पश्चिम बंगाल में SIR के प्रति उनके विरोध की भी वजह बताता है: पीएम मोदी
पश्चिम बंगाल में जो महा-जंगलराज चल रहा है, हमें उससे मुक्ति पानी है: पीएम मोदी

PM Modi addressed a public rally in Nadia, West Bengal through video conferencing after being unable to attend the programme physically due to adverse weather conditions. He sought forgiveness from the people, stating that dense fog made it impossible for the helicopter to land safely. Earlier today, the PM also laid the foundation stone and inaugurated development works in Ranaghat, a major way forward towards West Bengal’s growth story.

The PM expressed deep grief over a mishap involving BJP karyakartas travelling to attend the rally. He conveyed heartfelt condolences to the families of those who lost their lives and prayed for the speedy recovery of the injured.

PM Modi said that Nadia is the sacred land where Shri Chaitanya Mahaprabhu, the embodiment of love, compassion and devotion, manifested himself. He noted that the chants of Harinaam Sankirtan that once echoed across villages and along the banks of the Ganga were not merely expressions of devotion, but a powerful call for social unity.

He highlighted the immense contribution of the Matua community in strengthening social harmony, recalling the teachings of Shri Harichand Thakur, the social reform efforts of Shri Guruchand Thakur, and the motherly compassion of Boro Maa. He bowed to all these revered figures for their lasting impact on society.

The PM said that Bengal and the Bengali language have made invaluable contributions to India’s history and culture, with Vande Mataram being one of the nation’s most powerful gifts. He noted that the country is marking 150 years of Vande Mataram and that Parliament has recently paid tribute to this iconic song. He said West Bengal is the land of Bankim Chandra Chattopadhyay, whose creation of Vande Mataram awakened national consciousness during the freedom struggle.

He stressed that Vande Mataram should inspire a Viksit Bharat and awaken the spirit of a Viksit West Bengal, adding that this sacred idea forms the BJP’s roadmap for the state.

PM Modi said BJP-led governments are focused on policies that enhance the strength and capabilities of every citizen. He cited the GST Savings Festival as an example, noting that essential goods were made affordable, enabling families in West Bengal to celebrate Durga Puja and other festivals with joy.

He also highlighted major investments in infrastructure, mentioning the approval of two important highway projects that will improve connectivity between Kolkata and Siliguri and strengthen regional development.

The PM said the nation wants fast-paced development and referred to Bihar’s recent strong mandate in favour of the BJP-NDA. He recalled stating that the Ganga flows from Bihar to Bengal and that Bihar has shown the path for BJP’s victory in West Bengal as well.

He said that while Bihar has decisively rejected jungle raj, West Bengal must now free itself from what he described as Maha Jungle Raj. Referring to the popular slogan, he said the state is calling out, “Bachte Chai, BJP Tai.”

The PM emphasised that there is no shortage of funds, intent or schemes for West Bengal’s development, but alleged that projects worth thousands of crores are stalled due to corruption and commissions. He appealed to the people to give BJP a chance and form a double-engine government to witness rapid development.

He cautioned people to remain alert against what he described as TMC’s conspiracies, alleging that the party is focused on protecting infiltrators. He said that whenever BJP raises concerns over infiltration, TMC leaders respond with abuse, which also explains their opposition to SIR in West Bengal.

Concluding his address, PM Modi said West Bengal needs a BJP government that works at double speed to restore the state’s pride. He assured that he would speak in greater detail about BJP’s vision when he visits the state in person.