#MannKiBaat: पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय विजिट करने वाले लोगों के अनुभव साझा किए और लोगों से नमो ऐप पर #MuseumQuiz में भाग लेने का आग्रह किया।
किसी भी लोकल म्यूजियम में जाएँ और #MuseumMemories का उपयोग कर अपने अनुभव साझा करें : #MannKiBaat के दौरान पीएम मोदी
#MannKiBaat: छोटे ऑनलाइन पेमेंट से बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बन रही है: पीएम मोदी
#MannKiBaat : देश में करीब 20 हजार करोड़ रुपए के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन हर दिन हो रहे हैं : पीएम मोदी
स्पोर्ट्स की तरह ही दिव्यांगजन कला, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्रों में चमत्कार कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी की शक्ति के साथ वे अधिक से अधिक ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं : #MannKiBaat में पीएम मोदी
अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाये जायेंगे : #MannKiBaat के दौरान पीएम मोदी
#MannKiBaat : Calculus से लेकर Computers तक सारे वैज्ञानिक आविष्कार जीरो पर आधारित हैं।
हम भारतीयों के लिए गणित कभी मुश्किल विषय नहीं रहा और इसका एक बड़ा कारण हमारी वैदिक गणित भी है: #MannKiBaat के दौरान पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार |

नए विषयों के साथ, नए प्रेरक उदाहरणों के साथ, नए-नए संदेशों को समेटते हुए, एक बार फिर मैं आपसे ‘मन की बात’ करने आया हूँ | जानते हैं इस बार मुझे सबसे ज्यादा चिट्ठियाँ और संदेश किस विषय को लेकर मिली है? ये विषय ऐसा है जो इतिहास, वर्तमान और भविष्य तीनों से जुड़ा हुआ है |  मैं बात कर रहा हूँ देश को मिले नए प्रधानमंत्री संग्रहालय की |  इस 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्बेडकर की जन्म जयन्ती पर प्रधानमंत्री संग्रहालय का लोकार्पण हुआ है |   इसे, देश के नागरिकों के लिए खोल दिया गया है | एक श्रोता हैं श्रीमान सार्थक जी, सार्थक जी गुरुग्राम में रहते हैं और पहला मौका मिलते ही वो प्रधानमंत्री संग्रहालय देख आए हैं | सार्थक जी ने Namo App पर जो संदेश मुझे लिखा है, वो बहुत interesting है | उन्होंने लिखा है कि वो बरसों से न्यूज़ चैनल देखते हैं, अखबार पढ़ते हैं, सोशल मीडिया से भी connected हैं, इसलिए उन्हें लगता था कि उनकी general knowledge काफी अच्छी होगी, लेकिन, जब वे पी.एम. संग्रहालय गए तो उन्हें बहुत हैरानी हुई, उन्हें महसूस हुआ कि वे अपने देश और देश का नेतृत्व करने वालों के बारे में काफी कुछ जानते ही नहीं हैं | उन्होंने, पी.एम. संग्रहालय की कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में लिखा है, जो उनकी जिज्ञासा को और बढ़ाने वाली थी, जैसे, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जी का वो चरखा देखकर बहुत खुशी हुई, जो, उन्हें ससुराल से उपहार में मिला था | उन्होंने शस्त्री जी की पासबुक भी देखी और यह भी देखा कि उनके पास कितनी कम बचत थी | सार्थक जी ने लिखा है कि उन्हें ये भी नहीं पता था कि मोरारजी भाई देसाई स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने से पहले गुजरात में Deputy Collector थे | प्रशासनिक सेवा में उनका एक लंबा career रहा था | सार्थक जी चौधरी चरण सिंह जी के विषय में वो लिखते हैं कि उन्हें पता ही नहीं था कि जमींदारी उन्मूलन के क्षेत्र में चौधरी चरण सिंह जी का बहुत बड़ा योगदान था | इनता ही नहीं वे आगे लिखते हैं जब Land reform के विषय में वहाँ मैंने देखा कि श्रीमान पी.वी. नरसिम्हा राव जी Land Reform के काम में बहुत गहरी रूचि लेते थे | सार्थक जी को भी इस Museum में आकर ही पता चला कि चंद्रशेखर जी ने 4 हज़ार किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर ऐतिहासिक भारत यात्रा की थी | उन्होंने जब संग्रहालय में उन चीज़ों को देखा जो अटल जी उपयोग करते थे, उनके भाषणों को सुना, तो वो, गर्व से भर उठे थे | सार्थक जी ने ये भी बताया कि इस संग्रहालय में महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, डॉ० अम्बेडकर, जय प्रकाश नारायण और हमारे प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में भी बहुत ही रोचक जानकारियाँ हैं |

साथियो, देश के प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद करने के लिए आज़ादी के अमृत महोत्सव से अच्छा समय और क्या हो सकता है | देश के लिए यह गौरव की बात है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है| इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ रही है और ऐसे में पी.एम. म्यूजियम युवाओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है जो देश की अनमोल विरासत से उन्हें जोड़ रहा है |

वैसे साथियो, जब म्यूजियम के बारे में आपसे इतनी बातें हो रही हैं तो मेरा मन किया कि मैं भी आपसे कुछ सवाल  करूं | देखते हैं आपकी जनरल नॉलेज (General knowledge) क्या कहती है - आपको कितनी जानकारी है|| मेरे नौजवान साथियो आप तैयार हैं, कागज़ कलम हाथ में ले लिया?  अभी मैं आपसे जो पूछने जा रहा हूँ, आप उनके उत्तर NaMo App या social media पर #MuseumQuiz के साथ share कर सकते हैं और जरुर करें | मेरा आपसे आग्रह है कि आप इन सभी सवालों का जवाब ज़रूर दें | इससे देश-भर के लोगों में म्यूजियम को लेकर दिलचस्पी और बढ़ेगी | क्या आप जानते हैं कि देश के किस शहर में एक प्रसिद्ध रेल म्यूजियम है, जहाँ पिछले 45 वषों से लोगो को भारतीय रेल की विरासत देखने का मौका मिल रहा है | मैं आपको एक और clue देता हूं | आप यहाँ Fairy Queen (फ़ेयरी क्वीन), Saloon of Prince of Wales (सलून ऑफ़ प्रिन्स ऑफ़ वेल्स) से लेकर Fireless Steam Locomotive (फ़ायरलेस स्टीम लोकोमोटिव) ये भी देख सकते हैं | क्या आप जानते हैं कि मुंबई में वो कौन सा म्यूजियम है, जहाँ हमें बहुत ही रोचक तरीके से Currency का Evolution देखने को मिलता है ? यहाँ ईसा पूर्व छठी शताब्दी के सिक्के मौजूद हैं तो दूसरी तरफ e-Money भी मौजूद है | तीसरा सवाल ‘विरासत-ए-खालसा’ इस म्यूजियम से जुड़ा है | क्या आप जानते हैं, ये म्यूजियम, पंजाब के किस शहर में मौजूद है? पतंगबाजी में तो आप सबको बहुत आनंद आता ही होगा, अगला सवाल इसी से जुड़ा है | देश का एकमात्र Kite Museum कहाँ है? आइए मैं आपको एक clue देता हूं यहाँ जो सबसे बड़ी पतंग रखी है, उसका आकार 22 गुणा 16 फीट है | कुछ ध्यान आया – नहीं तो यहीं - एक और चीज़ बताता हूँ - यह जिस शहर में है, उसका बापू से विशेष नाता रहा है | बचपन में डाक टिकटों के संग्रह का शौक किसे नहीं होता! लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत में डाक टिकट से जुड़ा नेशनल म्यूजियम कहाँ है? मैं आपसे एक और सवाल करता हूँ |  गुलशन महल नाम की इमारत में कौन सा म्यूजियम है?  आपके लिए clue ये है कि इस म्यूजियम में आप फिल्म के डायरेक्टर भी बन सकते हैं, कैमरा, एडिटिंग की बारीकियों को भी देख सकते हैं | अच्छा! क्या आप ऐसे किसी म्यूजियम के बारे में जानते हैं जो भारत की textile से जुड़ी विरासत को celebrate करता है | इस म्यूजियम में miniature paintings (मिनियेचर पेंटिंग्स), Jaina manuscripts (जैन मैनुस्क्रिप्ट्स), sculptures (स्कल्पचर) - बहुत कुछ है | ये अपने unique display के लिए भी जाना जाता है |

साथियो, technology के इस दौर में आपके लिए इनके उत्तर खोजना बहुत आसान है | ये प्रश्न मैंने इसलिए पूछे ताकि हमारी नई पीढ़ी में जिज्ञासा बढ़े, वो इनके बारे में और पढ़ें, इन्हें देखने जाएँ| अब तो, म्यूजियम्स के महत्व की वजह से, कई लोग, खुद आगे आकर, म्यूजियम्स के लिए काफ़ी दान भी कर रहे हैं| बहुत से लोग अपने पुराने collection को, ऐतिहासिक चीज़ों को भी, म्यूजियम्स को दान कर रहे हैं | आप जब ऐसा करते हैं तो एक तरह से आप एक सांस्कृतिक पूँजी को पूरे समाज के साथ साझा करते हैं | भारत में भी लोग अब इसके लिए आगे आ रहे हैं | मैं, ऐसे सभी निजी प्रयासों की भी सराहना करता हूँ | आज, बदलते हुए समय में और Covid Protocols की वजह से संग्रहालयों में नए तौर-तरीके अपनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है | Museums में Digitisation पर भी  Focus बढ़ा है | आप सब जानते हैं कि 18 मई को पूरी दुनिया में International Museum day मनाया जाएगा | इसे देखते हुए अपने युवा साथियों के लिए मेरे पास एक idea है | क्यों न आने वाली छुट्टियों में, आप, अपने दोस्तों की मंडली के साथ, किसी स्थानीय Museum को देखने जाएं | आप अपना अनुभव #MuseumMemories के साथ ज़रूर साझा करें | आपके ऐसा करने से दूसरों के मन में भी संग्रहालयों के लेकर जिज्ञासा जगेगी |

मेरे प्यारे देशवासियो, आप अपने जीवन में बहुत से संकल्प लेते होंगे, उन्हें पूरा करने के लिए परिश्रम भी करते होंगे | साथियो, लेकिन हाल ही में, मुझे ऐसे संकल्प के बारे में पता चला, जो वाकई बहुत अलग था, बहुत अनोखा था | इसलिए मैंने सोचा कि इसे ‘मन की बात’ के श्रोताओं को ज़रूर share करूं |

साथियो, क्या आप सोच सकते हैं कि कोई अपने घर से ये संकल्प लेकर निकले कि वो आज दिन भर, पूरा शहर घूमेगा और एक भी पैसे का लेन-देन cash में नहीं करेगा, नकद में नहीं करेगा - है ना ये दिलचस्प संकल्प | दिल्ली की दो बेटियाँ, सागरिका और प्रेक्षा ने ऐसे ही Cashless Day Out का experiment किया | सागरिका और प्रेक्षा दिल्ली में जहाँ भी गईं, उन्हें digital payment की सुविधा उपलब्ध हो गयी | UPI QR code की वजह से उन्हें cash निकालने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी | यहाँ तक कि street food और रेहड़ी-पटरी की दुकानों पर भी ज्यादातर जगह उन्हें online transaction की सुविधा मिली |

साथियो, कोई सोच सकता है कि दिल्ली है, मेट्रो सिटी है, वहां ये सब होना आसान है | लेकिन अब ऐसा नहीं है कि UPI का ये प्रसार केवल दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित है | एक message मुझे गाजियाबाद से आनंदिता त्रिपाठी का भी मिला है | आनंदिता पिछले सप्ताह अपने पति के साथ North East घूमने गई थीं | उन्होंने असम से लेकर मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के तवांग तक की अपनी यात्रा का अनुभव मुझे बताया | आपको भी ये जानकर सुखद हैरानी होगी कि कई दिन की इस यात्रा में दूर-दराज इलाकों में भी उन्हें cash निकालने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी | जिन जगहों पर कुछ साल पहले तक internet की अच्छी सुविधा भी नहीं थी, वहां भी अब UPI से payment की सुविधा मौजूद है | सागरिका, प्रेक्षा और आनंदिता के अनुभवों को देखते हुए मैं आपसे भी आग्रह करूँगा कि Cashless Day Out का experiment करके देखें, जरुर करें|    

साथियो, पिछले कुछ सालों में BHIM UPI तेजी से हमारी economy और आदतों का हिस्सा बन गया है | अब तो छोटे-छोटे शहरों में और ज्यादातर गांवों में भी लोग UPI से ही लेन-देन कर रहे हैं | Digital Economy से देश में एक culture भी पैदा हो रहा है | गली-नुक्कड़ की छोटी-छोटी दुकानों में Digital Payment होने से उन्हें ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को service देना आसान हो गया है | उन्हें अब खुले पैसों की भी दिक्कत नहीं होती | आप भी UPI की सुविधा को रोज़मर्रा के जीवन में महसूस करते होंगे | कहीं भी गए, cash ले जाने का, बैंक जाने का, ATM खोजने का, झंझट ही ख़त्म | मोबाइल से ही सारे payment हो जाते हैं, लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आपके इन छोटे-छोटे online payment से देश में कितनी बड़ी digital economy तैयार हुई है | इस समय हमारे देश में करीब 20 हज़ार करोड़ रुपए के transactions हर दिन हो रहे हैं | पिछले मार्च के महीने में तो UPI transaction करीब 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया | इससे देश में सुविधा भी बढ़ रही है और ईमानदारी का माहौल भी बन रहा है | अब तो देश में Fin-tech से जुड़े कई नये Start-ups भी आगे बढ़ रहे हैं | मैं चाहूँगा कि अगर आपके पास भी digital payment और start-up ecosystem की इस ताकत से जुड़े अनुभव हैं तो उन्हें साझा करिए | आपके अनुभव दूसरे कई और देशवासियों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं |   

मेरे प्यारे देशवासियो, Technology की ताकत कैसे सामान्य लोगों का जीवन बदल रही है, ये हमें हमारे आस-पास लगातार नजर आ रहा है | Technology ने एक और बड़ा काम किया है | ये काम है दिव्यांग साथियों की असाधारण क्षमताओं का लाभ देश और दुनिया को दिलाना | हमारे दिव्यांग भाई-बहन क्या कर सकते हैं, ये हमने Tokyo Paralympics में देखा है | खेलों की तरह ही, arts, academics और दूसरे कई क्षेत्रों में दिव्यांग साथी कमाल कर रहे हैं, लेकिन, जब इन साथियों को technology की ताकत मिल जाती है, तो ये और भी बड़े मुकाम हासिल करके दिखाते हैं | इसीलिए, देश आजकल लगातार संसाधनों और infrastructure को दिव्यांगों के लिए सुलभ बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है | देश में ऐसे कई Start-ups और संगठन भी हैं जो इस दिशा में प्रेरणादायी काम कर रहे हैं | ऐसी ही एक संस्था है – Voice of specially-abled people, ये संस्था assistive technology के क्षेत्र में नए अवसरों को promote कर रही है | जो दिव्यांग कलाकार हैं, उनके काम को, दुनिया तक, पहुंचाने के लिए भी एक innovative शुरुआत की गई है | Voice of specially abled people के इन कलाकारों की paintings की Digital art gallery तैयार की है | दिव्यांग साथी किस तरह असाधारण प्रतिभाओं के धनी होते हैं और उनके पास कितनी असाधारण क्षमताएं होती हैं - ये Art gallery इसका एक उदाहरण है | दिव्यांग साथियों के जीवन में कैसी चुनौतियाँ होती हैं, उनसे निकलकर, वो, कहाँ तक पहुँच सकते हैं ! ऐसे कई विषयों को इन paintings में आप महसूस कर सकते हैं | आप भी अगर किसी दिव्यांग साथी को जानते हैं, उनके talent को जानते हैं, तो Digital technology की मदद से उसे दुनिया के सामने ला सकते हैं | जो दिव्यांग साथी हैं, वो भी इस तरह के प्रयासों से जरुर जुड़ें |

    मेरे प्यारे देशवासियो, देश के ज़्यादातर हिस्सों में गर्मी बहुत तेजी से बढ़ रही है | बढ़ती हुई ये गर्मी, पानी बचाने की हमारी ज़िम्मेदारी को भी उतना ही बढ़ा देती है | हो सकता है कि आप अभी जहां हों, वहां पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो | लेकिन, आपको उन करोड़ों लोगों को भी हमेशा याद रखना है, जो जल संकट वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनके लिए पानी की एक-एक बूंद अमृत के समान होती है |

साथियो, इस समय आजादी के 75वें साल में, आजादी के अमृत महोत्सव में, देश जिन संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उनमें जल संरक्षण भी एक है | अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाये जायेंगे | आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा अभियान है | वो दिन दूर नहीं जब आपके अपने शहर में 75 अमृत सरोवर होंगे | मैं, आप सभी से, और खासकर, युवाओं से चाहूँगा कि वो इस अभियान के बारे में जानें और इसकी जिम्मेदारी भी उठायें | अगर आपके क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा कोई इतिहास है, किसी सेनानी की स्मृति है, तो उसे भी अमृत सरोवर से जोड़ सकते हैं | वैसे मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि अमृत सरोवर का संकल्प लेने के बाद कई स्थलों पर इस पर तेजी से काम शुरू हो चुका है | मुझे यूपी के रामपुर की ग्राम पंचायत पटवाई के बारे में जानकारी मिली है | वहां पर ग्राम सभा की भूमि पर एक तालाब था, लेकिन वो, गंदगी और कूड़े के ढेर से भरा हुआ था | पिछले कुछ हफ्तों में बहुत मेहनत करके, स्थानीय लोगों की मदद से, स्थानीय स्कूली बच्चों की मदद से, उस गंदे तालाब का कायाकल्प हो गया है | अब, उस सरोवर के किनारे retaining wall, चारदीवारी, food court, फव्वारे और lightening भी न जाने क्या-क्या व्यवस्थायें  की गयी है | मैं रामपुर की पटवाई ग्राम पंचायत को, गांव को लोगों को, वहां के बच्चों को इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं |

साथियो, पानी की उपलब्धता और पानी की क़िल्लत, ये किसी भी देश की प्रगति और गति को निर्धारित करते हैं | आपने भी गौर किया होगा कि ‘मन की बात’ में, मैं, स्वच्छता जैसे विषयों के साथ ही बार-बार जल संरक्षण की बात जरुर करता हूँ | हमारे तो ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है –

पानियम् परमम् लोके, जीवानाम् जीवनम् समृतम् ||

अर्थात, संसार में, जल ही, हर एक जीव के, जीवन का आधार है और जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है, इसीलिए तो हमारे पूर्वजों ने जल संरक्षण के लिए इतना ज़ोर दिया | वेदों से लेकर पुराणों तक, हर जगह पानी बचाने को, तालाब, सरोवर आदि बनवाने को, मनुष्य का सामाजिक और आध्यात्मिक कर्तव्य बताया गया है | वाल्मीकि रामायण में जल स्त्रोतों को जोड़ने पर, जल संरक्षण पर, विशेष जोर दिया गया है | इसी तरह, इतिहास के Students जानते होंगे, सिन्धु-सरस्वती और हडप्पा सभ्यता के दौरान भी भारत में पानी को लेकर कितनी विकसित Engineering होती थी | प्राचीन काल में कई शहर में जल-स्त्रोतों का आपस में Interconnected System होता था और ये वो समय था, जब, जनसंख्या उतनी नहीं थी, प्राकृतिक संसाधनों की क़िल्लत भी नहीं थी, एक प्रकार से विपुलता थी, फिर भी, जल संरक्षण को लेकर, तब, जागरूकता बहुत ज्यादा थी | लेकिन, आज स्थिति इसके उलट है | मेरा आप सभी से आग्रह है, आप अपने इलाके के ऐसे पुराने तालाबों, कुँओं और सरोवरों के बारे में जानें | अमृत सरोवर अभियान की वजह से जल संरक्षण के साथ-साथ आपके इलाके की पहचान भी बनेगी | इससे शहरों में, मोहल्लों में, स्थानीय पर्यटन के स्थल भी विकसित होंगे, लोगों को घूमने-फिरने की भी एक जगह मिलेगी |

साथियो, जल से जुड़ा हर प्रयास हमारे कल से जुड़ा है | इसमें पूरे समाज की ज़िम्मेदारी होती है | इसके लिए सदियों से अलग-अलग समाज, अलग-अलग प्रयास लगातार करते आये हैं | जैसे कि, “कच्छ के रण” की एक जनजाति ‘मालधारी’ जल संरक्षण के लिए “वृदास” नाम का तरीका इस्तेमाल करती है | इसके तहत छोटे कुएं बनाए जाते हैं और उसके बचाव के लिए आस-पास पेड़-पौधे लगाए जाते हैं | इसी तरह मध्य प्रदेश की भील जनजाति ने अपनी एक ऐतिहासिक परम्परा “हलमा” को जल संरक्षण के लिए इस्तेमाल किया | इस परम्परा के अंतर्गत इस जन-जाति के लोग पानी से जुड़ी समस्याओं का उपाय ढूँढने के लिए एक जगह पर एकत्रित होते हैं | हलमा परम्परा से मिले सुझावों की वजह से इस क्षेत्र में पानी का संकट कम हुआ है और भू-जल स्तर भी बढ़ रहा है |

साथियो, ऐसी ही कर्तव्य का भाव अगर सबके मन में आ जाए, तो जल संकट से जुड़ी बड़ी से बड़ी चुनौतियों का समाधान हो सकता है | आइये, आजादी के अमृत महोत्सव में हम जल-संरक्षण और जीवन-संरक्षण का संकल्प लें | हम बूंद-बूंद जल बचाएंगे और हर एक जीवन बचाएंगे |

मेरे प्यारे देशवासियो, आपने देखा होगा कि कुछ दिन पहले मैंने अपने युवा दोस्तों से, students से ‘परीक्षा पर चर्चा’ की थी | इस चर्चा के दौरान कुछ students ने कहा कि उन्हें Exam में गणित से डर लगता है | इसी तरह की बात कई विद्यार्थियों ने मुझे अपने संदेश में भी भेजी थी | उस समय ही मैंने ये तय किया था कि गणित-mathematics पर मैं इस बार के ‘मन की बात’ में जरुर चर्चा करुंगा | साथियो, गणित तो ऐसा विषय है जिसे लेकर हम भारतीयों को सबसे ज्यादा सहज होना चाहिए | आखिर, गणित को लेकर पूरी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा शोध और योगदान भारत के लोगों ने ही तो दिया है | शून्य, यानी, जीरो की खोज और उसके महत्व के बारे में आपने खूब सुना भी होगा | अक्सर आप ये भी सुनते होंगे कि अगर zero की खोज न होती, तो शायद हम, दुनिया की इतनी वैज्ञानिक प्रगति भी न देख पाते | Calculus से लेकर Computers तक – ये सारे वैज्ञानिक आविष्कार Zero पर ही तो आधारित हैं | भारत के गणितज्ञों और विद्वानों ने यहाँ तक लिखा है कि –

यत किंचित वस्तु तत सर्वं, गणितेन बिना नहि !

अर्थात, इस पूरे ब्रह्मांड में जो कुछ भी है, वो सब कुछ गणित पर ही आधारित है | आप विज्ञान की पढ़ाई को याद करिए, तो इसका मतलब आपको समझ आ जाएगा | विज्ञान का हर principle एक Mathematical Formula में ही तो व्यक्त किया जाता है | न्यूटन के laws हों, Einstein का famous equation, ब्रह्मांड से जुड़ा सारा विज्ञान एक गणित ही तो है | अब तो वैज्ञानिक भी Theory of Everything की भी चर्चा करते हैं, यानी, एक ऐसा Single formula जिससे ब्रह्मांड की हर चीज को अभिव्यक्त किया जा सके | गणित के सहारे वैज्ञानिक समझ के इतने विस्तार की कल्पना हमारे ऋषियों ने हमेशा से की है | हमने अगर शून्य का अविष्कार किया, तो साथ ही अनंत, यानि, infinite को भी express किया है | सामान्य बोल-चाल में जब हम संख्याओं और numbers की बात करते हैं, तो million, billion और trillion तक बोलते और सोचते हैं, लेकिन, वेदों में और भारतीय गणित में ये गणना बहुत आगे तक जाती है | हमारे यहाँ एक बहुत पुराना श्लोक प्रचलित है –

एकं दशं शतं चैव, सहस्रम् अयुतं तथा |

लक्षं च नियुतं चैव, कोटि: अर्बुदम् एव च ||

वृन्दं खर्वो निखर्व: च, शंख: पद्म: च सागर: |

अन्त्यं मध्यं परार्ध: च, दश वृद्ध्या यथा क्रमम् ||

इस श्लोक में संख्याओं का order बताया गया है | जैसे कि –

एक, दस, सौ, हज़ार और अयुत !

लाख, नियुत और कोटि यानी करोड़ |

इसी तरह ये संख्या जाती है – शंख, पद्म और सागर तक | एक सागर का अर्थ होता है कि 10 की power 57 | यही नहीं इसके आगे भी, ओघ और महोघ जैसी संख्याएँ होती हैं | एक महोघ होता है – 10 की power 62 के बराबर, यानी, एक के आगे 62 शून्य, sixty two zero | हम इतनी बड़ी संख्या की कल्पना भी दिमाग में करते हैं तो मुश्किल होती है, लेकिन, भारतीय गणित में इनका प्रयोग हजारों सालों से होता आ रहा है | अभी कुछ दिन पहले मुझसे Intel कंपनी के CEO मिले थे | उन्होंने मुझे एक painting दी थी उसमें भी वामन अवतार के जरिये गणना या माप की ऐसी ही एक भारतीय पद्धति का चित्रण किया गया था | Intel का नाम आया तो Computer आपके दिमाग में अपने आप आ गया होगा | Computer की भाषा में आपने binary system के बारे में भी सुना होगा, लेकिन, क्या आपको पता है, कि हमारे देश में आचार्य पिंगला जैसे ऋषि हुए थे, जिन्होंने, binary की कल्पना की थी | इसी तरह, आर्यभट्ट से लेकर रामानुजन जैसे गणितज्ञों तक गणित के कितने ही सिद्धांतों पर हमारे यहाँ काम हुआ है |

साथियो, हम भारतीयों के लिए गणित कभी मुश्किल विषय नहीं रहा, इसका एक बड़ा कारण हमारी वैदिक गणित भी है | आधुनिक काल में वैदिक गणित का श्रेय जाता है – श्री भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज को | उन्होंने Calculation के प्राचीन तरीकों को revive किया और उसे वैदिक गणित नाम दिया | वैदिक गणित की सबसे खास बात ये थी कि इसके जरिए आप कठिन से कठिन गणनाएँ पलक झपकते ही मन में ही कर सकते हैं | आज-कल तो social media पर वैदिक गणित सीखने और सिखाने वाले ऐसे कई युवाओं के videos भी आपने देखे होंगे |

साथियो, आज ‘मन की बात’ में वैदिक गणित सिखाने वाले एक ऐसे ही साथी हमारे साथ भी जुड़ रहे हैं | ये साथी हैं कोलकाता के गौरव टेकरीवाल जी | और वो पिछले दो-ढाई दशक से वैदिक mathematics इस movement को बड़े समर्पित भाव से आगे बढ़ा रहे हैं | आईये, उनसे ही कुछ बातें करते हैं |

मोदी जी – गौरव जी नमस्ते !

गौरव – नमस्ते सर !

मोदी जी – मैंने सुना है कि आप Vedic Maths के लिए काफी रूचि रखते हैं, बहुत कुछ करते हैं | तो पहले तो मैं आपके विषय में कुछ जानना चाहूँगा और बाद में इस विषय में आपकी रूचि कैसे हैं जरा मुझे बताइये ?

गौरव – सर जब मैं बीस साल पहले जब Business School के लिए apply कर रहा था तो उसकी competitive exam होती थी जिसका नाम है CAT | उसमें बहुत सारे गणित के सवाल आते थे | जिसको कम समय में करना पड़ता था | तो मेरी माँ ने मुझे एक Book  लाकर दिया जिसका नाम था वैदिक गणित | स्वामी श्री भारतीकृष्णा तीर्थ जी महाराज ने वो book लिखी थी | और उसमे उन्होंने 16 सूत्र दिए थे | जिसमे गणित बहुत ही सरल और बहुत ही तेज हो जाता था | जब मैंने वो पढ़ा तो मुझे बहुत प्रेरणा मिली और फिर मेरी रूचि जागृत हुई Mathematics में | मुझे समझ में आया कि ये subject जो भारत की देन है, जो हमारी धरोहर है उसको विश्व के कोने-कोने में पहुँचाया जा सकता है | तब से मैंने इसको एक mission बनाया कि वैदिक गणित को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाया जाये | क्योंकि गणित की डर हर जन को सताती है | और वैदिक गणित से सरल और क्या हो सकता है |

मोदी जी – गौरव जी कितने सालों से आप इसमें काम कर रहे हैं ?

गौरव – मुझे आज हो गए करीबन 20 साल सर ! मैं उसमें ही लगा हुआ हूँ |

मोदी जी – और Awareness के लिए क्या करते हैं, क्या-क्या प्रयोग करते हैं, कैसे जाते हैं लोगों के पास ?

गौरव – हम लोग schools में जाते हैं, हम लोग online शिक्षा देते हैं | हमारी संस्था का नाम है Vedic Maths Forum India | उस संस्था के तहत हम लोग internet के माध्यम से 24 घंटे Vedic Maths पढ़ाते हैं सर !

मोदी जी – गौरव जी आप तो जानते है मैं लगातार बच्चों के साथ बातचीत करना पसंद भी करता हूँ और मैं अवसर ढूंढता रहता हूँ | और exam warrior से तो मैं बिल्कुल एक प्रकार से मैंने उसको Institutionalized कर दिया है और मेरा भी अनुभव है कि ज्यादातर जब बच्चों से बात करता हूँ तो गणित का नाम सुनते ही वो भाग जाते हैं और तो मेरी कोशिश यही है कि ये बिना कारण जो एक हव्वा पैदा हुआ है उसको निकाला जाये, ये डर निकाला जाये और छोटी-छोटी technique जो परम्परा से है, जो कि भारत, गणित के विषय में कोई नया नहीं है | शायद दुनिया में पुरातन परम्पराओं में भारत के पास गणित की परम्परा रही है, तो exam warrior को डर निकालना है तो आप क्या कहेंगे उनको ?

गौरव – सर ये तो सबसे ज्यादा उपयोगी है बच्चों के लिए, क्योंकि, exam का जो डर होता है जो हव्वा हो गया है हर घर में | Exam के लिए बच्चे tuition लेते हैं, Parents परेशान रहते हैं | Teacher भी परेशान होते हैं | तो वैदिक गणित से ये सब छूमंतर हो जाता है | इस साधारण गणित की अपेक्षा में  वैदिक गणित पंद्रह सौ percent तेज है और इससे बच्चों में बहुत confidence आता है और दिमाग भी तेजी से चलता है | जैसे, हम लोग वैदिक गणित के साथ योग भी introduce किये हैं | जिससे कि बच्चे अगर चाहे तो आँख बंद करके भी calculation कर सकते हैं वैदिक गणित पद्दति के द्वारा |

मोदी जी – वैसे ध्यान की जो परंपरा है उसमें भी इस प्रकार से गणित करना वो भी ध्यान का एक primary course भी होता है |

गौरव – Right Sir !

मोदी जी – चलिए गौरव जी, बहुत अच्छा लगा मुझे और आपने mission mode में इस काम को उठाया है और विशेषकर की आपकी माता जी ने एक अच्छे गुरु के रूप में आपको ये रास्ते पर ले गई | और आज आप लाखों बच्चों को उस रास्ते पर ले जा रहे हैं | मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं | 

गौरव – शुक्रिया सर ! मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ सर ! कि वैदिक गणित को आपने महत्व दिया और मुझे चुना सर ! तो we are very thankful.

मोदी जी - बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार | 

गौरव – नमस्ते सर |

साथियो, गौरव जी ने बड़े अच्छे तरीके से बताया कि वैदिक गणित कैसे गणित को मुश्किल से मज़ेदार बना सकता है | यही नहीं, वैदिक गणित से आप बड़ी-बड़ी scientific problems भी solve कर सकते हैं | मैं चाहूँगा, सभी माता-पिता अपने बच्चों को वैदिक गणित जरुर सिखाएँ | इससे, उनका Confidence तो बढ़ेगा ही, उनके brain की analytical power भी बढ़ेगी और हाँ, गणित को लेकर कुछ बच्चों में जो भी थोड़ा बहुत डर होता है, वो डर भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा |

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ में आज Museum से लेकर math तक कई ज्ञानवर्धक विषयों पर चर्चा हुई | ये सब विषय आप लोगों के सुझावों से ही ‘मन की बात’ का हिस्सा बन जाते हैं | मुझे आप इसी तरह, आगे भी अपने सुझाव Namo App और MyGov के जरिए भेजते रहिए | आने वाले दिनों में देश में ईद का त्योहार भी आने वाला है | 3 मई को अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाएगी | कुछ दिन बाद ही वैशाख बुध पूर्णिमा का पर्व भी आएगा | ये सभी त्योहार संयम, पवित्रता, दान और सौहार्द के पर्व हैं | आप सभी को इन पर्वों की अग्रिम शुभकामनायें | इन पर्वों को खूब उल्लास और सौहार्द के साथ मनाइए | इन सबके बीच, आपको कोरोना से भी सतर्क रहना है | मास्क लगाना, नियमित अंतराल पर हाथ धुलते रहना, बचाव के लिए जो भी जरुरी उपाय हैं, आप उनका पालन करते रहें | अगली बार ‘मन की बात’ में हम फिर मिलेंगे और आपके भेजे गए कुछ और नये विषयों पर चर्चा करेंगे - तब तक के लिए विदा लेते हैं |  बहुत बहुत धन्यवाद | 

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रोजगार मेला के तहत प्रधानमंत्री 51,000 से अधिक नवनियुक्त कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे
November 28, 2023
Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of PM to accord highest priority to employment generation
New appointees to contribute towards PM’s vision of Viksit Bharat
Newly inducted appointees to also train themselves through online module Karmayogi Prarambh

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute more than 51,000 appointment letters to newly inducted recruits on 30th November, 2023 at 4 PM via video conferencing. Prime Minister will also address the appointees on the occasion.

Rozgar Mela will be held at 37 locations across the country. The recruitments are taking place across Central Government Departments as well as State Governments/UTs supporting this initiative. The new recruits, selected from across the country will be joining the Government in various Ministries/Departments including Department of Revenue, Ministry of Home Affairs, Department of Higher Education, Department of School Education and Literacy, Department of Financial Services, Ministry of Defence, Ministry of Health & Family Welfare and Ministry of Labour & Employment, among others.

Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of the Prime Minister to accord highest priority to employment generation. Rozgar Mela is expected to act as a catalyst in further employment generation and provide meaningful opportunities to the youth for their empowerment and participation in national development.

The new appointees with their innovative ideas and role-related competencies, will be contributing, inter alia, in the task of strengthening industrial, economic and social development of the nation thereby helping to realise the Prime Minister’s vision of Viksit Bharat.

The newly inducted appointees are also getting an opportunity to train themselves through Karmayogi Prarambh, an online module on iGOT Karmayogi portal, where more than 800 e-learning courses have been made available for ‘anywhere any device’ learning format.