भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और जल्द ही वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री
भारत अपनी सहनीयता और मज़बूती के साथ दुनिया के लिए आशा की किरण है: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार कर रही है: प्रधानमंत्री
हम केवल क्रमिक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक बड़ी छलांग के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं: प्रधानमंत्री
हमारे लिए, सुधार न तो कोई मजबूरी है और न ही संकट से प्रेरित है, बल्कि प्रतिबद्धता और दृढ़ विश्वास का विषय है: प्रधानमंत्री
जो हासिल हो चुका है, उससे संतुष्ट होना मेरे स्वभाव में नहीं है; यही दृष्टिकोण हमारे सुधारों का मार्गदर्शन करता है: प्रधानमंत्री
जीएसटी में एक बड़ा सुधार किया जा रहा है, जो इस दिवाली तक पूरा हो जाएगा, जिससे जीएसटी सरल हो जाएगा और कीमतें कम हो जायेंगी: प्रधानमंत्री
विकसित भारत की आधारशिला आत्मनिर्भर भारत है: प्रधानमंत्री
छात्रों के लिए 'एक राष्ट्र, एक सदस्यता' ने विश्वस्तरीय शोध पत्रिकाओं तक पहुँच को आसान बना दिया है: प्रधानमंत्री
सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन के मंत्र के मार्गदर्शन में, भारत आज दुनिया को विकास की धीमी वृद्धि से उबारने की स्थिति में है: प्रधानमंत्री
भारत समय की धारा को भी मोड़ने की ताकत रखता है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम को संबोधित किया। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने वर्ल्ड लीडर फोरम में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। इस फोरम के आयोजन के समय को "बेहद उपयुक्त" बताते हुए, श्री मोदी ने इस समयोचित पहल के लिए आयोजकों की सराहना की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले सप्ताह ही उन्होंने लाल किले से अगली पीढ़ी के सुधारों के बारे में बात की थी और आगे कहा कि यह फोरम अब उसी भावना को गुणात्मक बल प्रदान कर रहा है।

यह उल्लेख करते हुए कि फोरम में वैश्विक परिस्थितियों और भू-अर्थशास्त्र पर व्यापक चर्चा हुई है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वैश्विक संदर्भ में देखने पर हमें भारत की अर्थव्यवस्था की मज़बूती का एहसास होता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और जल्द ही, भारत विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है। श्री मोदी ने विशेषज्ञों के आकलन का उदाहरण दिया, जो बताते हैं कि निकट भविष्य में वैश्विक विकास में भारत का योगदान लगभग 20 प्रतिशत तक पहुँचने की उम्मीद है। उन्होंने भारत के विकास और आर्थिक सुदृढ़ता का श्रेय पिछले दशक की व्यापक आर्थिक स्थिरता को दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि कोविड-19 महामारी से पैदा हुई गंभीर चुनौतियों के बावजूद, भारत का राजकोषीय घाटा कम होकर 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियाँ पूंजी बाजारों से रिकॉर्ड धन जुटा रही हैं, जबकि भारतीय बैंक पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं; मुद्रास्फीति बहुत कम है तथा ब्याज दरें भी कम हैं। यह रेखांकित करते हुए कि भारत का चालू खाता घाटा नियंत्रण में है और विदेशी मुद्रा भंडार अच्छी स्थिति में है, श्री मोदी ने बताया कि हर महीने लाखों घरेलू निवेशक व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से बाजार में हज़ारों करोड़ रुपये का निवेश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब किसी अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्व मज़बूत होते हैं, उसकी नींव मज़बूत होती है, तो उसका प्रभाव सभी क्षेत्रों में दिखाई देता है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि उन्होंने 15 अगस्त को अपने संबोधन में इस पर विस्तार से चर्चा की थी, और अब वे उन बिंदुओं को दोहराना नहीं चाहते, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि स्वतंत्रता दिवस के आसपास और उसके बाद के घटनाक्रम भारत की विकास गाथा के उदाहरण हैं। श्री मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है - अकेले जून 2025 के महीने में ईपीएफओ डेटाबेस में 22 लाख औपचारिक नौकरियां जोड़ी गईं - जो किसी भी एक महीने के लिए अब तक की सबसे अधिक संख्या है। उन्होंने कहा कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 2017 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में, भारत की सौर पीवी मॉड्यूल निर्माण क्षमता लगभग 2.5 गीगावाट थी, जबकि नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि यह क्षमता अब 100 गीगावाट तक पहुँच गई है, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली हवाई अड्डा वैश्विक हवाई अड्डों के विशिष्ट सौ मिलियन से अधिक क्लब में शामिल हो गया है, जिसकी वार्षिक यात्री देखभाल क्षमता अब 100 मिलियन से अधिक हो गयी है, जिससे यह दुनिया भर के केवल छह हवाई अड्डों के इस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम ने ध्यान आकर्षित किया है - एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को उच्च दर्जा दिया है, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसा दर्जा लगभग दो दशकों के बाद दिया गया है। श्री मोदी ने कहा, "भारत अपनी सुदृढ़ता और ताकत के माध्यम से वैश्विक विश्वास का स्रोत बना हुआ है।"

श्री मोदी ने एक आम मुहावरे - "बस छूट जाना" - का ज़िक्र करते हुए, यह बताया कि अगर अवसरों का फ़ायदा न उठाया जाए, तो वे कैसे हाथ से निकल जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की पिछली सरकारों ने तकनीक और उद्योग के क्षेत्र में कई ऐसे ही अवसरों को गँवा दिया। उन्होंने आगे कहा कि वह किसी की आलोचना करने के लिए मौजूद नहीं हैं, बल्कि इस बात पर ज़ोर दिया कि लोकतंत्र में तुलनात्मक विश्लेषण अक्सर स्थिति को ज़्यादा प्रभावी ढंग से स्पष्ट करने में मदद करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने देश को वोट बैंक की राजनीति में उलझाए रखा और उनमें चुनावों से आगे सोचने की दूरदर्शिता का अभाव था। उन्होंने कहा कि उन सरकारों का मानना ​​था कि अत्याधुनिक तकनीक विकसित करना उन्नत देशों का काम है और ज़रूरत पड़ने पर भारत उसे आसानी से आयात कर सकता है। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इसी मानसिकता के कारण भारत वर्षों तक कई देशों से पिछड़ता रहा और बार-बार महत्वपूर्ण अवसरों को गँवाता रहा - बस छूटती रही। श्री मोदी ने संचार क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वैश्विक स्तर पर इंटरनेट का दौर शुरू हुआ, तो उस समय की सरकार अनिर्णय की स्थिति में थी। उन्होंने आगे कहा कि 2जी युग के दौरान जो कुछ हुआ, वह सबको पता है और भारत उस बस से भी चूक गया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत 2जी, 3जी और 4जी तकनीकों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर बना रहा। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि ऐसी स्थिति कब तक जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद, भारत ने अपना दृष्टिकोण बदला और अब कोई भी मौका न चूकने का संकल्प लिया, खुद अग्रणी होकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया। यह घोषणा करते हुए कि भारत ने अपना पूरा 5जी स्टैक घरेलू स्तर पर विकसित किया है, श्री मोदी ने पुष्टि की कि भारत ने न केवल मेड-इन-इंडिया 5जी का निर्माण किया, बल्कि इसे सबसे तेज़ गति से पूरे देश में तैनात भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत अब मेड-इन-इंडिया 6जी तकनीक पर तेज़ी से काम कर रहा है।"

यह उल्लेख करते हुए कि भारत 50-60 साल पहले सेमीकंडक्टर निर्माण शुरू कर सकता था, श्री मोदी ने कहा कि भारत उस अवसर से भी चूक गया और कई वर्षों तक मौके गवांता रहा। उन्होंने पुष्टि की कि अब यह स्थिति बदल गई है और सेमीकंडक्टर से संबंधित कारखाने भारत में स्थापित हो रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस साल के अंत तक, पहली मेड-इन-इंडिया चिप बाज़ार में उपलब्ध होगी।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ देते हुए और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले, भारत के अंतरिक्ष मिशन संख्या और दायरे में सीमित थे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 21वीं सदी में, जब हर बड़ा देश अंतरिक्ष में अवसरों की खोज कर रहा है, भारत पीछे नहीं रह सकता। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार किए गए और इसे निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल दिया गया। उन्होंने बताया कि 1979 से 2014 तक, भारत ने पैंतीस वर्षों में केवल बयालीस अंतरिक्ष मिशन संचालित किए। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत ने साठ से ज़्यादा मिशन पूरे किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में और भी कई मिशन पूरे होने वाले हैं। उन्होंने घोषणा की कि भारत ने इस वर्ष अंतरिक्ष डॉकिंग क्षमता हासिल कर ली है और इसे भविष्य के मिशनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने आगे कहा कि भारत गगनयान मिशन के तहत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है और स्वीकार किया कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का अनुभव इस प्रयास में बहुत मददगार साबित होगा।

श्री मोदी ने कहा, "अंतरिक्ष क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए, इसे सभी बाधाओं से मुक्त करना आवश्यक था।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहली बार अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी के लिए स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन पहली बार पारदर्शी बनाया गया है और अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेश को पहली बार उदार बनाया गया है। उन्होंने आगे घोषणा की कि इस वर्ष के बजट में 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड शामिल है, जो अंतरिक्ष स्टार्टअप्स के लिए समर्पित है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब सुधारों की सफलता देख रहा है। 2014 में, भारत में केवल एक अंतरिक्ष स्टार्टअप था, जबकि आज 300 से अधिक स्टार्टअप हैं।" उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत का कक्षा में अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "भारत का लक्ष्य वृद्धिशील परिवर्तन नहीं, बल्कि लंबी छलांग के के साथ आगे बढ़ना है।" उन्होंने कहा कि भारत में सुधार न तो किसी मजबूरी से संचालित हैं और न ही किसी संकट से। उन्होंने कहा कि सुधार भारत की प्रतिबद्धता और दृढ़ विश्वास के प्रतिबिंब हैं। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि सरकार अलग-अलग क्षेत्रों की गहन समीक्षा करके एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है, श्री मोदी ने कहा कि फिर उन क्षेत्रों में एक-एक करके सुधार लागू किए जाते हैं।

यह उल्लेख करते हुए कि संसद का हाल ही में संपन्न मानसून सत्र सुधारों की निरंतरता को दर्शाता है, प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि विपक्ष द्वारा कई व्यवधानों के बावजूद, सरकार सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध रही है। उन्होंने जन विश्वास 2.0 पहल को विश्वास-आधारित और जन-हितैषी शासन से जुड़े एक बड़े सुधार के रूप में रेखांकित किया, और याद दिलाया कि जन विश्वास के पहले संस्करण के तहत लगभग 200 छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने आगे घोषणा की कि दूसरे संस्करण में अब 300 से ज़्यादा छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि आयकर कानून, जो 60 वर्षों से अपरिवर्तित था, में भी इस सत्र में सुधार किया गया है और अब कानून को काफ़ी सरल बना दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि पहले कानून की भाषा ऐसी थी कि केवल अधिवक्ता या चार्टर्ड अकाउंटेंट ही उसे ठीक से समझ पाते थे। उन्होंने कहा, "अब आयकर विधेयक को आम करदाता की समझ में आने वाली भाषा में तैयार किया गया है। यह नागरिकों के हितों के प्रति सरकार की गहरी संवेदनशीलता को प्रतिबिंबित करता है।"

श्री मोदी ने हाल के मानसून सत्र का उल्लेख किया, जिसमें खनन से संबंधित कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पोत परिवहन और पत्तनों से संबंधित औपनिवेशिक काल से चले आ रहे कानूनों में भी संशोधन किया गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये सुधार भारत की नीली अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेंगे और पत्तन-आधारित विकास को बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि खेल क्षेत्र में भी नए सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी के लिए तैयार किया जा रहा है और एक व्यापक खेल अर्थव्यवस्था इकोसिस्टम विकसित किया जा रहा है। उन्होंने घोषणा की कि सरकार ने इस विज़न का समर्थन करने के लिए एक नई राष्ट्रीय खेल नीति - खेलो भारत नीति – पेश की है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "पहले प्राप्त किये गये लक्ष्यों से संतुष्ट होना मेरे स्वभाव में नहीं है। सुधारों के लिए भी यही दृष्टिकोण है और सरकार आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्पित है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सुधारों का एक व्यापक संग्रह तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई मोर्चों पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री ने अनावश्यक कानूनों को निरस्त करने, नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाने जैसे प्रमुख कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने आगे कहा कि प्रक्रियाओं और स्वीकृतियों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है, जबकि कई प्रावधानों को अपराध-मुक्त किया जा रहा है। श्री मोदी ने घोषणा करते हुए कहा, "जीएसटी व्यवस्था में एक बड़ा सुधार किया जा रहा है और यह प्रक्रिया दिवाली तक पूरी हो जाएगी।" उन्होंने कहा कि जीएसटी प्रणाली सरल हो जाएगी और कीमतें कम हो जाएँगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगली पीढ़ी के सुधारों से पूरे भारत में विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि बाजार में मांग बढ़ेगी और उद्योगों को नई ऊर्जा मिलेगी। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे और कहा कि इन सुधारों के परिणामस्वरूप जीवन सुगमता और व्यापार सुगमता दोनों में सुधार होगा।

यह रेखांकित करते हुए कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत की आधारशिला आत्मनिर्भर भारत है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत का मूल्यांकन तीन प्रमुख मानदंडों पर किया जाना चाहिए: गति, पैमाना और दायरा। यह याद करते हुए कि वैश्विक महामारी के दौरान, भारत ने तीनों - गति, पैमाना और दायरा - का प्रदर्शन किया, श्री मोदी ने बताया कि कैसे आवश्यक वस्तुओं की मांग में अचानक वृद्धि हुई, जबकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएँ ठप हो गईं थीं। उन्होंने कहा कि भारत ने आवश्यक वस्तुओं के घरेलू स्तर पर निर्माण के लिए निर्णायक कदम उठाए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने बड़ी मात्रा में परीक्षण किट और वेंटिलेटर का तेजी से उत्पादन किया और देश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए - जो भारत की गति का प्रदर्शन है। उन्होंने आगे कहा कि देश के कोने-कोने में नागरिकों को 220 करोड़ से ज़्यादा भारत-निर्मित टीके मुफ़्त में लगाए गए हैं—जो भारत के व्यापक दायरे को दर्शाता है। श्री मोदी ने आगे कहा कि लाखों लोगों का तेज़ी से टीकाकरण करने के लिए, भारत ने को-विन प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया, जो भारत के व्यापक दायरे को दर्शाता है। उन्होंने पुष्टि की कि को-विन एक विश्व स्तर पर अनूठी प्रणाली है, जिसने भारत को रिकॉर्ड समय में अपना टीकाकरण अभियान पूरा करने में सक्षम बनाया।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि दुनिया ऊर्जा क्षेत्र में भारत की गति, पैमाने और दायरे को देख रही है, श्री मोदी ने रेखांकित किया कि भारत ने 2030 तक अपनी कुल बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने घोषणा की कि यह लक्ष्य 2025 में ही हासिल कर लिया गया है—निर्धारित समय से पाँच साल पहले।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि पहले की नीतियाँ निहित स्वार्थों के कारण आयात पर अत्यधिक केंद्रित थीं, प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि आज, एक आत्मनिर्भर भारत निर्यात में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष, भारत ने 4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के कृषि उत्पादों का निर्यात किया। श्री मोदी ने बताया कि पिछले वर्ष वैश्विक स्तर पर उत्पादित 800 करोड़ वैक्सीन खुराकों में से 400 करोड़ भारत में निर्मित की गईं। उन्होंने यह भी बताया कि आज़ादी के बाद से साढ़े छह दशकों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात लगभग 35,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया था, जबकि आज यह आँकड़ा लगभग 3.25 लाख रुपये करोड़ हो गया है।

श्री मोदी ने कहा कि 2014 तक भारत का ऑटोमोबाइल निर्यात लगभग 50,000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष था और आज भारत एक वर्ष में 1.2 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ऑटोमोबाइल निर्यात करता है। उन्होंने कहा कि भारत अब मेट्रो कोच, रेल कोच और रेल इंजनों का निर्यात शुरू कर चुका है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत 100 देशों को इलेक्ट्रिक वाहन निर्यात करके एक और उपलब्धि हासिल करने के लिए तैयार है। उन्होंने घोषणा की कि इस उपलब्धि से संबंधित एक बड़ा कार्यक्रम 26 अगस्त को आयोजित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अनुसंधान राष्ट्र की प्रगति का एक प्रमुख स्तंभ है। उन्होंने कहा कि आयातित अनुसंधान भले ही अस्तित्व के लिए पर्याप्त हो, लेकिन यह भारत की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकता। उन्होंने अनुसंधान के क्षेत्र में तत्परता और एक केंद्रित मानसिकता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए तेज़ी से काम किया है और आवश्यक नीतियों और प्लेटफॉर्म्स का निरंतर विकास किया है। श्री मोदी ने बताया कि अनुसंधान और विकास पर व्यय 2014 की तुलना में दोगुने से भी अधिक हो गया है, जबकि दाखिल किए गए पेटेंट की संख्या 2014 से 17 गुना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा कि लगभग 6,000 उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक सदस्यता' पहल ने छात्रों के लिए वैश्विक शोध पत्रिकाओं को और अधिक सुलभ बना दिया है। श्री मोदी ने आगे कहा कि 50,000 करोड़ रुपये के बजट से एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन बनाया गया है और 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की एक अनुसंधान विकास और नवाचार योजना को भी मंज़ूरी दी गई है। उन्होंने पुष्टि की कि इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र, विशेष रूप से उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में नए अनुसंधान को समर्थन देना है।

शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान समय उद्योग और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी की माँग करता है। उन्होंने विशेष रूप से स्वच्छ ऊर्जा, क्वांटम प्रौद्योगिकी, बैटरी भंडारण, उन्नत सामग्री और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा, "ऐसे प्रयास एक विकसित भारत के विजन में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के मंत्र के मार्गदर्शन में भारत अब दुनिया को धीमी विकास दर की गिरफ़्त से बाहर निकालने में मदद करने की स्थिति में है।" उन्होंने कहा कि भारत ठहरे हुए पानी में कंकड़ फेंकने वाला देश नहीं है, बल्कि वह देश है जिसके पास तेज़ बहाव वाली धाराओं को मोड़ने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने लाल किले से दिए अपने संबोधन को याद करते हुए अपने संबोधन का समापन किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत अब समय की धारा को भी नया रूप देने की क्षमता रखता है।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
MSME exports touch Rs 9.52 lakh crore in April–September FY26: Govt tells Parliament

Media Coverage

MSME exports touch Rs 9.52 lakh crore in April–September FY26: Govt tells Parliament
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
असम ने विकास की नई गति पकड़ी है: पीएम मोदी
December 21, 2025
असम ने विकास की नई गति पकड़ी है-प्रधानमंत्री
हमारी सरकार किसानों के कल्याण को अपने सभी प्रयासों के केंद्र में रख रही है-प्रधानमंत्री मोदी
कृषि को बढ़ावा देने और किसानों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी पहलें शुरू की गई हैं- प्रधानमंत्री
'सबका साथ, सबका विकास' की परिकल्पना से प्रेरित होकर हमारे प्रयासों ने गरीबों के जीवन को बदल दिया है-प्रधानमंत्री मोदी

उज्जनिर रायज केने आसे? आपुनालुकोलोई मुर अंतोरिक मोरोम आरु स्रद्धा जासिसु।

असम के गवर्नर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी और यहीं के आपके प्रतिनिधि, असम के पूर्व मुख्यमंत्री, सर्बानंद सोनोवाल जी, असम सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक, अन्य महानुभाव, और विशाल संख्या में आए हुए, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हुए, मेरे सभी भाइयों और बहनों, जितने लोग पंडाल में हैं, उससे ज्यादा मुझे वहां बाहर दिखते हैं।

सौलुंग सुकाफा और महावीर लसित बोरफुकन जैसे वीरों की ये धरती, भीमबर देउरी, शहीद कुसल कुवर, मोरान राजा बोडौसा, मालती मेम, इंदिरा मिरी, स्वर्गदेव सर्वानंद सिंह और वीरांगना सती साध`नी की ये भूमि, मैं उजनी असम की इस महान मिट्टी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

साथियों,

मैं देख रहा हूँ, सामने दूर-दूर तक आप सब इतनी बड़ी संख्या में अपना उत्साह, अपना उमंग, अपना स्नेह बरसा रहे हैं। और खासकर, मेरी माताएँ बहनें, इतनी विशाल संख्या में आप जो प्यार और आशीर्वाद लेकर आईं हैं, ये हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, सबसे बड़ी ऊर्जा है, एक अद्भुत अनुभूति है। मेरी बहुत सी बहनें असम के चाय बगानों की खुशबू लेकर यहां उपस्थित हैं। चाय की ये खुशबू मेरे और असम के रिश्तों में एक अलग ही ऐहसास पैदा करती है। मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ। इस स्नेह और प्यार के लिए मैं हृदय से आप सबका आभार करता हूँ।

साथियों,

आज असम और पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए बहुत बड़ा दिन है। नामरूप और डिब्रुगढ़ को लंबे समय से जिसका इंतज़ार था, वो सपना भी आज पूरा हो रहा है, आज इस पूरे इलाके में औद्योगिक प्रगति का नया अध्याय शुरू हो रहा है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने यहां अमोनिया–यूरिया फर्टिलाइज़र प्लांट का भूमि पूजन किया है। डिब्रुगढ़ आने से पहले गुवाहाटी में एयरपोर्ट के एक टर्मिनल का उद्घाटन भी हुआ है। आज हर कोई कह रहा है, असम विकास की एक नई रफ्तार पकड़ चुका है। मैं आपको बताना चाहता हूँ, अभी आप जो देख रहे हैं, जो अनुभव कर रहे हैं, ये तो एक शुरुआत है। हमें तो असम को बहुत आगे लेकर के जाना है, आप सबको साथ लेकर के आगे बढ़ना है। असम की जो ताकत और असम की भूमिका ओहोम साम्राज्य के दौर में थी, विकसित भारत में असम वैसी ही ताकतवर भूमि बनाएंगे। नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, Semiconductors, उसकी manufacturing, कृषि के क्षेत्र में नए अवसर, टी-गार्डेन्स और उनके वर्कर्स की उन्नति, पर्यटन में बढ़ती संभावनाएं, असम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मैं आप सभी को और देश के सभी किसान भाई-बहनों को इस आधुनिक फर्टिलाइज़र प्लांट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आपको गुवाहटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लिए भी बधाई देता हूँ। बीजेपी की डबल इंजन सरकार में, उद्योग और कनेक्टिविटी की ये जुगलबंदी, असम के सपनों को पूरा कर रही है, और साथ ही हमारे युवाओं को नए सपने देखने का हौसला भी दे रही है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों की, यहां के अन्नदाताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए हमारी सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए दिन-रात काम कर रही है। यहां आप सभी को किसान हितैषी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कृषि कल्याण की योजनाओं के बीच, ये भी जरूरी है कि हमारे किसानों को खाद की निरंतर सप्लाई मिलती रहे। आने वाले समय में ये यूरिया कारख़ाना यह सुनिश्चित करेगा। इस फर्टिलाइज़र प्रोजेक्ट पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद बनेगी। जब उत्पादन यहीं होगा, तो सप्लाई तेज होगी। लॉजिस्टिक खर्च घटेगा।

साथियों,

नामरूप की ये यूनिट रोजगार-स्वरोजगार के हजारों नए अवसर भी बनाएगी। प्लांट के शुरू होते ही अनेकों लोगों को यहीं पर स्थायी नौकरी भी मिलेगी। इसके अलावा जो काम प्लांट के साथ जुड़ा होता है, मरम्मत हो, सप्लाई हो, कंस्ट्रक्शन का बहुत बड़ी मात्रा में काम होगा, यानी अनेक काम होते हैं, इन सबमें भी यहां के स्थानीय लोगों को और खासकर के मेरे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।

लेकिन भाइयों बहनों,

आप सोचिए, किसानों के कल्याण के लिए काम बीजेपी सरकार आने के बाद ही क्यों हो रहा है? हमारा नामरूप तो दशकों से खाद उत्पादन का केंद्र था। एक समय था, जब यहां बनी खाद से नॉर्थ ईस्ट के खेतों को ताकत मिलती थी। किसानों की फसलों को सहारा मिलता था। जब देश के कई हिस्सों में खाद की आपूर्ति चुनौती बनी, तब भी नामरूप किसानों के लिए उम्मीद बना रहा। लेकिन, पुराने कारखानों की टेक्नालजी समय के साथ पुरानी होती गई, और काँग्रेस की सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि, नामरूप प्लांट की कई यूनिट्स इसी वजह से बंद होती गईं। पूरे नॉर्थ ईस्ट के किसान परेशान होते रहे, देश के किसानों को भी तकलीफ हुई, उनकी आमदनी पर चोट पड़ती रही, खेती में तकलीफ़ें बढ़ती गईं, लेकिन, काँग्रेस वालों ने इस समस्या का कोई हल ही नहीं निकाला, वो अपनी मस्ती में ही रहे। आज हमारी डबल इंजन सरकार, काँग्रेस द्वारा पैदा की गई उन समस्याओं का समाधान भी कर रही है।

साथियों,

असम की तरह ही, देश के दूसरे राज्यों में भी खाद की कितनी ही फ़ैक्टरियां बंद हो गईं थीं। आप याद करिए, तब किसानों के क्या हालात थे? यूरिया के लिए किसानों को लाइनों में लगना पड़ता था। यूरिया की दुकानों पर पुलिस लगानी पड़ती थी। पुलिस किसानों पर लाठी बरसाती थी।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस ने जिन हालातों को बिगाड़ा था, हमारी सरकार उन्हें सुधारने के लिए एडी-चोटी की ताकत लगा रही है। और इन्होंने इतना बुरा किया,इतना बुरा किया कि, 11 साल से मेहनत करने के बाद भी, अभी मुझे और बहुत कुछ करना बाकी है। काँग्रेस के दौर में फर्टिलाइज़र्स फ़ैक्टरियां बंद होती थीं। जबकि हमारी सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, रामागुंडम जैसे अनेक प्लांट्स शुरू किए हैं। इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। आज इसी का नतीजा है, हम यूरिया के क्षेत्र में आने वाले कुछ समय में आत्मनिर्भर हो सके, उस दिशा में मजबूती से कदम रख रहे हैं।

साथियों,

2014 में देश में सिर्फ 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। आपको आंकड़ा याद रहेगा? आंकड़ा याद रहेगा? मैं आपने मुझे काम दिया 10-11 साल पहले, तब उत्पादन होता था 225 लाख मीट्रिक टन। ये आंकड़ा याद रखिए। पिछले 10-11 साल की मेहनत में हमने उत्पादन बढ़ाकर के करीब 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। लेकिन हमें यहां रूकना नहीं है, क्योंकि अभी भी बहुत करने की जरूरत है। जो काम उनको उस समय करना था, नहीं किया, और इसलिए मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ रही है। और अभी हमें हर साल करीब 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। हम 306 पर पहुंचे हैं, 70-80 और करना है। लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं, हम जिस प्रकार से मेहनत कर रहे हैं, जिस प्रकार से योजना बना रहे हैं और जिस प्रकार से मेरे किसान भाई-बहन हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, हम हो सके उतना जल्दी इस गैप को भरने में कोई कमी नहीं रखेंगे।

और भाइयों और बहनों,

मैं आपको एक और बात बताना चाहता हूं, आपके हितों को लेकर हमारी सरकार बहुत ज्यादा संवेदनशील है। जो यूरिया हमें महंगे दामों पर विदेशों से मंगाना पड़ता है, हम उसकी भी चोट अपने किसानों पर नहीं पड़ने देते। बीजेपी सरकार सब्सिडी देकर वो भार सरकार खुद उठाती है। भारत के किसानों को सिर्फ 300 रुपए में यूरिया की बोरी मिलती है, उस एक बोरी के बदले भारत सरकार को दूसरे देशों को, जहां से हम बोरी लाते हैं, करीब-करीब 3 हजार रुपए देने पड़ते हैं। अब आप सोचिए, हम लाते हैं 3000 में, और देते हैं 300 में। यह सारा बोझ देश के किसानों पर हम नहीं पड़ने देते। ये सारा बोझ सरकार खुद भरती है। ताकि मेरे देश के किसान भाई बहनों पर बोझ ना आए। लेकिन मैं किसान भाई बहनों को भी कहूंगा, कि आपको भी मेरी मदद करनी होगी और वह मेरी मदद है इतना ही नहीं, मेरे किसान भाई-बहन आपकी भी मदद है, और वो है यह धरती माता को बचाना। हम धरती माता को अगर नहीं बचाएंगे तो यूरिया की कितने ही थैले डाल दें, यह धरती मां हमें कुछ नहीं देगी और इसलिए जैसे शरीर में बीमारी हो जाए, तो दवाई भी हिसाब से लेनी पड़ती है, दो गोली की जरूरत है, चार गोली खा लें, तो शरीर को फायदा नहीं नुकसान हो जाता है। वैसा ही इस धरती मां को भी अगर हम जरूरत से ज्यादा पड़ोस वाला ज्यादा बोरी डालता है, इसलिए मैं भी बोरी डाल दूं। इस प्रकार से अगर करते रहेंगे तो यह धरती मां हमसे रूठ जाएगी। यूरिया खिला खिलाकर के हमें धरती माता को मारने का कोई हक नहीं है। यह हमारी मां है, हमें उस मां को भी बचाना है।

साथियों,

आज बीज से बाजार तक भाजपा सरकार किसानों के साथ खड़ी है। खेत के काम के लिए सीधे खाते में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं, ताकि किसान को उधार के लिए भटकना न पड़े। अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के लगभग 4 लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे गए हैं। आंकड़ा याद रहेगा? भूल जाएंगे? 4 लाख करोड़ रूपया मेरे देश के किसानों के खाते में सीधे जमा किए हैं। इसी साल, किसानों की मदद के लिए 35 हजार करोड़ रुपए की दो योजनाएं नई योजनाएं शुरू की हैं 35 हजार करोड़। पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

हम किसानों की हर जरूरत को ध्यान रखते हुए काम कर रहे हैं। खराब मौसम की वजह से फसल नुकसान होने पर किसान को फसल बीमा योजना का सहारा मिल रहा है। फसल का सही दाम मिले, इसके लिए खरीद की व्यवस्था सुधारी गई है। हमारी सरकार का साफ मानना है कि देश तभी आगे बढ़ेगा, जब मेरा किसान मजबूत होगा। और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

साथियों,

केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद हमने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से पशुपालकों और मछलीपालकों को भी जोड़ दिया था। किसान क्रेडिट कार्ड, KCC, ये KCC की सुविधा मिलने के बाद हमारे पशुपालक, हमारे मछली पालन करने वाले इन सबको खूब लाभ उठा रहा है। KCC से इस साल किसानों को, ये आंकड़ा भी याद रखो, KCC से इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी गई है। 10 लाख करोड़ रुपया। बायो-फर्टिलाइजर पर GST कम होने से भी किसानों को बहुत फायदा हुआ है। भाजपा सरकार भारत के किसानों को नैचुरल फार्मिंग के लिए भी बहुत प्रोत्साहन दे रही है। और मैं तो चाहूंगा असम के अंदर कुछ तहसील ऐसे आने चाहिए आगे, जो शत प्रतिशत नेचुरल फार्मिंग करते हैं। आप देखिए हिंदुस्तान को असम दिशा दिखा सकता है। असम का किसान देश को दिशा दिखा सकता है। हमने National Mission On Natural Farming शुरू की, आज लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं। बीते कुछ सालों में देश में 10 हजार किसान उत्पाद संघ- FPO’s बने हैं। नॉर्थ ईस्ट को विशेष ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने खाद्य तेलों- पाम ऑयल से जुड़ा मिशन भी शुरू किया। ये मिशन भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर तो बनाएगा ही, यहां के किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

साथियों,

यहां इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हमारे टी-गार्डन वर्कर्स भी हैं। ये भाजपा की ही सरकार है जिसने असम के साढ़े सात लाख टी-गार्डन वर्कर्स के जनधन बैंक खाते खुलवाए। अब बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने की वजह से इन वर्कर्स के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे जाने की सुविधा मिली है। हमारी सरकार टी-गार्डन वाले क्षेत्रों में स्कूल, रोड, बिजली, पानी, अस्पताल की सुविधाएं बढ़ा रही है।

साथियों,

हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारा ये विजन, देश के गरीब वर्ग के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया है। पिछले 11 वर्षों में हमारे प्रयासों से, योजनाओं से, योजनाओं को धरती पर उतारने के कारण 25 करोड़ लोग, ये आंकड़ा भी याद रखना, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। देश में एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है। ये इसलिए हुआ है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत के गरीब परिवारों के जीवन-स्तर में निरंतर सुधार हुआ है। कुछ ताजा आंकड़े आए हैं, जो भारत में हो रहे बदलावों के प्रतीक हैं।

साथियों,

और मैं मीडिया में ये सारी चीजें बहुत काम आती हैं, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं मैं जो बातें बताता हूं जरा याद रख के औरों को बताना।

साथियों,

पहले गांवों के सबसे गरीब परिवारों में, 10 परिवारों में से 1 के पास बाइक तक होती नहीं थी। 10 में से 1 के पास भी नहीं होती थी। अभी जो सर्वे आए हैं, अब गांव में रहने वाले करीब–करीब आधे परिवारों के पास बाइक या कार होती है। इतना ही नहीं मोबाइल फोन तो लगभग हर घर में पहुंच चुके हैं। फ्रिज जैसी चीज़ें, जो पहले “लग्ज़री” मानी जाती थीं, अब ये हमारे नियो मिडल क्लास के घरों में भी नजर आने लगी है। आज गांवों की रसोई में भी वो जगह बना चुका है। नए आंकड़े बता रहे हैं कि स्मार्टफोन के बावजूद, गांव में टीवी रखने का चलन भी बढ़ रहा है। ये बदलाव अपने आप नहीं हुआ। ये बदलाव इसलिए हुआ है क्योंकि आज देश का गरीब सशक्त हो रहा है, दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तक भी विकास का लाभ पहुंचने लगा है।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं की सरकार है। इसीलिए, हमारी सरकार असम और नॉर्थ ईस्ट में दशकों की हिंसा खत्म करने में जुटी है। हमारी सरकार ने हमेशा असम की पहचान और असम की संस्कृति को सर्वोपरि रखा है। भाजपा सरकार असमिया गौरव के प्रतीकों को हर मंच पर हाइलाइट करती है। इसलिए, हम गर्व से महावीर लसित बोरफुकन की 125 फीट की प्रतिमा बनाते हैं, हम असम के गौरव भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी का वर्ष मनाते हैं। हम असम की कला और शिल्प को, असम के गोमोशा को दुनिया में पहचान दिलाते हैं, अभी कुछ दिन पहले ही Russia के राष्ट्रपति श्रीमान पुतिन यहां आए थे, जब दिल्ली में आए, तो मैंने बड़े गर्व के साथ उनको असम की ब्लैक-टी गिफ्ट किया था। हम असम की मान-मर्यादा बढ़ाने वाले हर काम को प्राथमिकता देते हैं।

लेकिन भाइयों बहनों,

भाजपा जब ये काम करती है तो सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस को होती है। आपको याद होगा, जब हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न दिया था, तो काँग्रेस ने खुलकर उसका विरोध किया था। काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था कि, मोदी नाचने-गाने वालों को भारत रत्न दे रहा है। मुझे बताइए, ये भूपेन दा का अपमान है कि नहीं है? कला संस्कृति का अपमान है कि नहीं है? असम का अपमान है कि नहीं है? ये कांग्रेस दिन रात करती है, अपमान करना। हमने असम में सेमीकंडक्टर यूनिट लगवाई, तो भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया। आप मत भूलिए, यही काँग्रेस सरकार थी, जिसने इतने दशकों तक टी कम्यूनिटी के भाई-बहनों को जमीन के अधिकार नहीं मिलने दिये! बीजेपी की सरकार ने उन्हें जमीन के अधिकार भी दिये और गरिमापूर्ण जीवन भी दिया। और मैं तो चाय वाला हूं, मैं नहीं करूंगा तो कौन करेगा? ये कांग्रेस अब भी देशविरोधी सोच को आगे बढ़ा रही है। ये लोग असम के जंगल जमीन पर उन बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना चाहते हैं। जिनसे इनका वोट बैंक मजबूत होता है, आप बर्बाद हो जाए, उनको इनकी परवाह नहीं है, उनको अपनी वोट बैंक मजबूत करनी है।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस को असम और असम के लोगों से, आप लोगों की पहचान से कोई लेना देना नहीं है। इनको केवल सत्ता,सरकार और फिर जो काम पहले करते थे, वो करने में इंटरेस्ट है। इसीलिए, इन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ज्यादा अच्छे लगते हैं। अवैध घुसपैठियों को काँग्रेस ने ही बसाया, और काँग्रेस ही उन्हें बचा रही है। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण का विरोध कर रही है। तुष्टीकरण और वोटबैंक के इस काँग्रेसी जहर से हमें असम को बचाकर रखना है। मैं आज आपको एक गारंटी देता हूं, असम की पहचान, और असम के सम्मान की रक्षा के लिए भाजपा, बीजेपी फौलाद बनकर आपके साथ खड़ी है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में, आपके ये आशीर्वाद यही मेरी ताकत है। आपका ये प्यार यही मेरी पूंजी है। और इसीलिए पल-पल आपके लिए जीने का मुझे आनंद आता है। विकसित भारत के निर्माण में पूर्वी भारत की, हमारे नॉर्थ ईस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मैंने पहले भी कहा है कि पूर्वी भारत, भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा। नामरूप की ये नई यूनिट इसी बदलाव की मिसाल है। यहां जो खाद बनेगी, वो सिर्फ असम के खेतों तक नहीं रुकेगी। ये बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी। ये कोई छोटी बात नहीं है। ये देश की खाद जरूरत में नॉर्थ ईस्ट की भागीदारी है। नामरूप जैसे प्रोजेक्ट, ये दिखाते हैं कि, आने वाले समय में नॉर्थ ईस्ट, आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। सच्चे अर्थ में अष्टलक्ष्मी बन के रहेगा। मैं एक बार फिर आप सभी को नए फर्टिलाइजर प्लांट की बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

और इस वर्ष तो वंदे मातरम के 150 साल हमारे गौरवपूर्ण पल, आइए हम सब बोलें-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।