प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का हार्दिक स्वागत करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र के भविष्य पर गर्व, उत्साह और अपार विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने भारत मंडपम में हाल ही में आयोजित अष्टलक्ष्मी महोत्सव का स्मरण करते हुए इस बात पर बल दिया कि आज का कार्यक्रम पूर्वोत्तर में निवेश का उत्सव है। प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत प्रमुखों की महत्वपूर्ण उपस्थिति का उल्लेख करते हुए क्षेत्र में अवसरों को लेकर उनके उत्साह पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों को बधाई देते हुए निवेश के अनुकूल माहौल बनाने में उनके प्रयासों की सराहना की। अपनी शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट की प्रशंसा करते हुए क्षेत्र के निरंतर विकास और समृद्धि की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
श्री मोदी ने दुनिया के सबसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर हमारे विविधतापूर्ण राष्ट्र का सबसे विविध क्षेत्र है। उन्होंने व्यापार, परंपरा, वस्त्र और पर्यटन में व्याप्त संभावनाओं पर बल देते हुए कहा कि इस क्षेत्र की विविधता इसकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर एक संपन्न जैव-अर्थव्यवस्था, बांस उद्योग, चाय उत्पादन और पेट्रोलियम तथा खेल और कौशल के साथ-साथ इको-टूरिज्म के लिए एक उभरते हुए केंद्र का पर्याय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र न केवल जैविक उत्पादों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है बल्कि ऊर्जा के एक पावरहाउस के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उन्होंने पुष्टि की कि पूर्वोत्तर अष्टलक्ष्मी का सार है, जो समृद्धि और अवसर लाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस शक्ति के साथ, हर पूर्वोत्तर राज्य निवेश और नेतृत्व के लिए अपनी तत्परता की घोषणा कर रहा है।

विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्वी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को इसका सबसे महत्वपूर्ण घटक बताया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए, पूर्वी क्षेत्र सिर्फ एक दिशा नहीं है, बल्कि एक दृष्टि है और इसे सशक्त बनाना, इसके लिए कार्य करना, इसे मजबूत बनाना और इसमें बदलाव लाना, इस क्षेत्र के लिए नीतिगत रूपरेखा को परिभाषित करता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस दृष्टिकोण ने पूर्वी भारत, विशेष रूप से पूर्वोत्तर को भारत के विकास पथ के केंद्र में रखा है।
प्रधानमंत्री ने पिछले 11 वर्षों में पूर्वोत्तर में हुए परिवर्तनकारी बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रगति केवल आंकड़ों में नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी दिख रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का इस क्षेत्र के साथ जुड़ाव नीतिगत उपायों से कहीं आगे बढ़कर लोगों के साथ दिल से जुड़ाव को बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में केंद्रीय मंत्रियों द्वारा की गई 700 से अधिक यात्राओं को रेखांकित किया, जो इस भूमि को समझने, लोगों की आंखों में दिखने वाली आकांक्षाओं को महसूस करने और उस विश्वास को विकास नीतियों में बदलने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं केवल ईंट और सीमेंट के बारे में नहीं हैं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का एक साधन भी हैं। उन्होंने लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा कि इस सक्रिय दृष्टिकोण के स्पष्ट परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा, कभी पूर्वोत्तर को केवल एक सीमावर्ती क्षेत्र माना जाता था, अब यह भारत की विकास गाथा में अग्रणी के रूप में उभर रहा है।
पर्यटन क्षेत्र को आकर्षक बनाने और निवेशकों के बीच विश्वास पैदा करने में मजबूत बुनियादी ढांचे की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अच्छी तरह से विकसित सड़कें, बिजली का बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क किसी भी उद्योग का आधार बनते हैं, जो निर्बाध व्यापार और आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाते हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा विकास की नींव है और सरकार ने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे की क्रांति का शुभारंभ किया है। उन्होंने क्षेत्र की पिछली चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि यह अब अवसरों की भूमि के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग और असम में भूपेन हजारिका पुल जैसी परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए कनेक्टिविटी बढ़ाने में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। श्री मोदी ने पिछले दशक में 11,000 किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण, व्यापक नई रेलवे लाइनों, हवाई अड्डों की संख्या में दोगुनी वृद्धि, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों पर जलमार्गों के विकास और सैकड़ों मोबाइल टावरों की स्थापना सहित प्रमुख प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने उद्योगों के लिए एक विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1,600 किलोमीटर लंबे पूर्वोत्तर गैस ग्रिड की स्थापना का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा कि राजमार्ग, रेलवे, जलमार्ग और डिजिटल कनेक्टिविटी पूर्वोत्तर के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहे हैं, जिससे उद्योगों के लिए फ़र्स्ट मूवर एडवांटेज (किसी बाजार में सबसे पहले प्रवेश करने वाली कंपनी को होने वाले लाभ) को हासिल करने के लिए लाभकारी आधार तैयार हो रहा है। उन्होंने पुष्टि की कि अगले दशक में, इस क्षेत्र की व्यापार क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि आसियान के साथ भारत का व्यापार वर्तमान में लगभग 125 बिलियन डॉलर है और आने वाले वर्षों में इसके 200 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे पूर्वोत्तर एक रणनीतिक व्यापार सेतु और आसियान बाजारों के लिए प्रवेश द्वार बन जाएगा। उन्होंने क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेज़ी लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। थाईलैंड, वियतनाम और लाओस के साथ भारत की कनेक्टिविटी मजबूत बनाने से जुड़ी म्यांमार से थाईलैंड तक सीधी पहुंच प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण मार्ग परियोजना, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के महत्व पर बल देते हुए श्री मोदी ने कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट परियोजना में तेज़ी लाने के लिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया। यह कोलकाता बंदरगाह को म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से जोड़ेगा और मिज़ोरम के माध्यम से एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से पश्चिम बंगाल और मिजोरम के बीच यात्रा की दूरी काफी कम हो जाएगी तथा व्यापार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

गुवाहाटी, इम्फाल और अगरतला में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब के रूप में जारी विकास योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेघालय और मिजोरम में लैंड कस्टम स्टेशनों की स्थापना से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अवसरों का और विस्तार हो रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ये प्रगति पूर्वोत्तर को भारत-प्रशांत देशों के साथ व्यापार में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है, जिससे निवेश और आर्थिक विकास के नए मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं।
वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण समाधान प्रदाता बनने के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हील इन इंडिया पहल को एक विश्वव्यापी आंदोलन के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर की समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक पर्यावरण और जैविक जीवन शैली पर भी अपने विचार व्यक्त करते हुए इसे कल्याण के लिए एक आदर्श गंतव्य बताया। प्रधानमंत्री ने निवेशकों से भारत के हील इन इंडिया मिशन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में पूर्वोत्तर का पता लगाने का आग्रह किया, उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि इस क्षेत्र की जलवायु और पारिस्थितिक विविधता कल्याण-संचालित उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करती है।
श्री मोदी ने पूर्वोत्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए, संगीत, नृत्य और समारोहों के साथ इसके गहरे जुड़ाव पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र वैश्विक सम्मेलनों, संगीत समारोहों और गंतव्य विवाहों के लिए एक आदर्श स्थान है, जो इसे एक संपूर्ण पर्यटन पैकेज के रूप में स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे विकास पूर्वोत्तर क्षेत्र के हर कोने तक पहुंच रहा है, पर्यटन पर इसका सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट है, आगंतुकों की संख्या दोगुनी हो रही है। उन्होंने कहा कि ये केवल आंकड़े नहीं हैं - इस वृद्धि के कारण गांवों में होमस्टे की संख्या बढ़ी है, युवा गाइडों के लिए रोजगार के नए अवसरों का सृजन हुआ है और टूर एवं ट्रैवल इकोसिस्टम का विस्तार हुआ है। पूर्वोत्तर पर्यटन को और बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन में विशाल निवेश क्षमता का जिक्र किया। श्री मोदी ने कहा कि शांति और कानून व्यवस्था किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं और हमारी सरकार की आतंकवाद और उग्रवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर एक समय नाकाबंदी और संघर्ष से जूझ रहा था, जिसने यहां के युवाओं के अवसरों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। उन्होंने शांति समझौतों के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि पिछले 10-11 वर्षों में 10,000 से अधिक युवाओं ने शांति को अपनाने के लिए हथियार छोड़ दिए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बदलाव ने क्षेत्र के भीतर नए रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों को खोल दिया है। श्री मोदी ने मुद्रा योजना के प्रभाव की भी जानकारी दी, जिसने पूर्वोत्तर के लाखों युवाओं को हजारों करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। उन्होंने शिक्षा संस्थानों के उदय का भी उल्लेख किया, जो युवाओं को भविष्य के लिए कौशल विकसित करने में सहायता प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के युवा केवल इंटरनेट उपयोगकर्ता नहीं हैं, बल्कि उभरते डिजिटल इनोवेटर भी हैं। उन्होंने 13,000 किलोमीटर से अधिक ऑप्टिकल फाइबर विस्तार, 4 जी और 5 जी कवरेज और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बढ़ते अवसरों जैसी प्रगति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि युवा उद्यमी अब क्षेत्र के भीतर प्रमुख स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं, जो भारत के डिजिटल गेटवे के रूप में पूर्वोत्तर की भूमिका को मजबूत कर रहे हैं।

विकास को गति देने और बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने में कौशल विकास की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर इस उन्नति के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है, जिसमें केंद्र सरकार शिक्षा और कौशल निर्माण पहलों में पर्याप्त निवेश कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर के शिक्षा क्षेत्र में 21,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने 800 से अधिक नए स्कूलों, क्षेत्र के पहले एम्स, नौ नए मेडिकल कॉलेजों और दो नए आईआईआईटी की स्थापना सहित प्रमुख विकासों का उल्लेख किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मिजोरम में भारतीय जनसंचार संस्थान परिसर और पूरे क्षेत्र में लगभग 200 नए कौशल विकास संस्थानों के निर्माण का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण निवेश के साथ पूर्वोत्तर में भारत का पहला खेल विश्वविद्यालय विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूरे क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए आठ खेलो इंडिया उत्कृष्टता केंद्र और 250 से अधिक खेलो इंडिया केंद्र स्थापित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र अब विभिन्न क्षेत्रों में शीर्ष स्तर की प्रतिभा प्रदान करता है, जिससे उद्योगों और निवेशकों को क्षेत्र की अपार संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
श्री मोदी ने जैविक खाद्य पदार्थों की बढ़ती वैश्विक मांग पर बल देते हुए कहा कि उनका सपना है कि दुनिया भर में हर खाने की मेज पर एक भारतीय खाद्य ब्रांड मौजूद हो। उन्होंने इस सपने को साकार करने में पूर्वोत्तर की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में पूर्वोत्तर में जैविक खेती का दायरा दोगुना हो गया है, इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली चाय, अनानास, संतरे, नींबू, हल्दी और अदरक का उत्पादन होता है। उन्होंने पुष्टि की कि इन उत्पादों के असाधारण स्वाद और बेहतर गुणवत्ता के कारण अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है। उन्होंने भारत के जैविक खाद्य निर्यात के प्रमुख चालक के रूप में पूर्वोत्तर की क्षमता को पहचानते हुए हितधारकों को इस बढ़ते बाजार का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
पूर्वोत्तर में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां बेहतर संपर्क सुविधा पहले से ही इस पहल को मदद कर रही है, वहीं मेगा फूड पार्क विकसित करने, कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क का विस्तार करने और परीक्षण प्रयोगशाला सुविधाएं प्रदान करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने पाम ऑयल मिशन के शुभारंभ की जानकारी देते हुए कहा कि पूर्वोत्तर की मिट्टी और जलवायु को पाम ऑयल की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त माना गया है। उन्होंने कहा कि यह पहल किसानों के लिए एक मजबूत आय अवसर प्रदान करती है, जबकि खाद्य तेल आयात पर भारत की निर्भरता को कम करती है। उन्होंने कहा कि पाम ऑयल की खेती उद्योगों के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करती है, जो हितधारकों को क्षेत्र की कृषि क्षमता का दोहन करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

श्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर दो रणनीतिक क्षेत्रों- ऊर्जा और सेमीकंडक्टर के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभर रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में जलविद्युत और सौर ऊर्जा में सरकार के व्यापक निवेश का उल्लेख किया जिसमें कई हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं पहले ही स्वीकृत हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि संयंत्रों और बुनियादी ढांचे में निवेश के अवसरों से परे, सौर मॉड्यूल, सेल, भंडारण समाधान और अनुसंधान सहित विनिर्माण में महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं। उन्होंने इन क्षेत्रों में निवेश को अधिकतम करने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आज अधिक आत्मनिर्भरता भविष्य में विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करेगी। श्री मोदी ने भारत के सेमीकंडक्टर इको-सिस्टम को मजबूत करने में असम की बढ़ती भूमिका की भी चर्चा की। उन्होंने घोषणा की कि पूर्वोत्तर स्थित सेमीकंडक्टर प्लांट से पहली मेड इन इंडिया चिप जल्द ही पेश की जाएगी, जो इस क्षेत्र के लिए एक प्रमुख उपलब्धि है। उन्होंने पुष्टि की कि यह विकास अत्याधुनिक तकनीक के अवसरों को खोल रहा है और भारत के उच्च तकनीक औद्योगिक विकास में पूर्वोत्तर की स्थिति को मजबूत कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट निवेशकों का सम्मेलन नहीं है - यह एक आंदोलन और कार्रवाई का आह्वान है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की प्रगति और समृद्धि के माध्यम से भारत का भविष्य नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने उपस्थित कारोबारी प्रमुखों पर पूरा भरोसा जताया और उनसे विकास को गति देने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया। अपने संबोधन के समापन पर उन्होंने हितधारकों से पूर्वोत्तर की क्षमता के प्रतीक अष्टलक्ष्मी को विकसित भारत के लिए मार्गदर्शक शक्ति में बदलने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास जताया कि अगली राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट तक पूर्वोत्तर भारत बहुत आगे निकल चुका होगा।

इस अवसर पर अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, मणिपुर के राज्यपाल श्री अजय कुमार भल्ला, असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडू, मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कॉनराड के संगमा, मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लालदुहोमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री श्री नेफ्यू रियो, सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री माणिक साहा, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार भी उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
पूर्वोत्तर क्षेत्र को अवसरों की भूमि के रूप में प्रस्तुत करने, वैश्विक और घरेलू निवेश को आकर्षित करने तथा प्रमुख हितधारकों, निवेशकों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया।

23-24 मई से दो दिवसीय राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट, शिखर सम्मेलन से पहले की विभिन्न गतिविधियों का समापन है, जैसे कि रोड शो की श्रृंखला और राज्यों के गोलमेज सम्मेलन जिसमें राजदूतों की बैठक और द्विपक्षीय चैंबर्स मीट शामिल हैं, जिसका आयोजन केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकारों के सक्रिय समर्थन से किया गया है। शिखर सम्मेलन में मंत्रिस्तरीय सत्र, व्यवसाय-से-सरकार सत्र, व्यवसाय-से-व्यवसाय बैठकें, स्टार्टअप और निवेश प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार और केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा की गई नीति और संबंधित पहलों की प्रदर्शनी शामिल होगी।
निवेश प्रोत्साहन के लिए मुख्य केंद्रित क्षेत्रों में पर्यटन और आतिथ्य, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध क्षेत्र; वस्त्र, हथकरघा और हस्तशिल्प; स्वास्थ्य देखभाल; शिक्षा और कौशल विकास; सूचना प्रौद्योगिकी या सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएं; बुनियादी ढांचा और रसद; ऊर्जा; तथा मनोरंजन और खेल शामिल हैं।
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The Northeast is the most diverse region of our diverse nation. pic.twitter.com/THpcjcu3fK
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For us, EAST means - Empower, Act, Strengthen and Transform. pic.twitter.com/tUNLt9WKPY
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There was a time when the North East was merely called a Frontier Region.
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Today, it is emerging as the Front-Runner of Growth. pic.twitter.com/b0SCr8f5No
The North East is a complete package for tourism. pic.twitter.com/oCBt9P7fnX
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Be it terrorism or Maoist elements spreading unrest, our government follows a policy of zero tolerance: PM pic.twitter.com/IOdp9d0ImF
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The North East is becoming a key destination for sectors like energy and semiconductors. pic.twitter.com/GYa6g67vhy
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