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उन्होंने कहा, 'गुजरात के शिक्षकों के साथ मेरे अनुभव ने मुझे राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नीतिगत ढांचा-निर्माण में मदद की
"विश्व में कई नेता अपने भारतीय शिक्षकों को सम्मान से याद करते हैं"
उन्होंने कहा, "मैं एक शाश्वत छात्र हूं और समाज में जो कुछ भी होता है, उसका सूक्ष्मता से निरीक्षण करना सीख लिया है
"आज के आत्मविश्वासी और निर्भीक छात्र शिक्षकों को शिक्षण के पारंपरिक तरीकों से बाहर आने की चुनौती देते हैं"
"जिज्ञासु छात्रों की चुनौतियों को शिक्षकों द्वारा व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के अवसरों के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि वे हमें शिक्षण, गैर शिक्षण और पुनः शिक्षण मार्ग पर अनरवत सीखने का अवसर देते हैं"
"प्रौद्योगिकी सूचना का माध्यम हो सकती है लेकिन दृष्टिकोण नहीं"
उन्होंने कहा, 'आज भारत 21वीं सदी की आवश्यकता-अनुरूप नई व्यवस्थाएं बना रहा है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उसी पर आधारित है'
सरकार क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा पर बल दे रही है इससे शिक्षकों के जीवन में भी सुधार होगा
"विद्यालय का जन्मदिन मनाने से स्कूलों और छात्रों के बीच की दूरी समाप्त होगी"
शिक्षकों द्वारा किया गया छोटा सा परिवर्तन युवा छात्रों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक महासंघ के 29वें द्विवार्षिक अखिल भारतीय शिक्षा संघ अधिवेशन में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस सम्मेलन का विषय 'शिक्षक - शिक्षा परिवर्तन के केंद्र बिन्दु' है।

 

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ऐसे समय में सभी शिक्षकों के महान योगदान पर प्रकाश डाला जब भारत अमृत काल में विकसित भारत के संकल्प के साथ अग्रसर है। प्राथमिक शिक्षकों की मदद से गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन के अनुभव को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि बीच में ही स्कूल छोड़ने की दर 40 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत से भी कम हो गई है। यह सूचना गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के शिक्षकों के साथ उनके अनुभव ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक नीतिगत ढांचा तैयार करने में भी मदद की। उन्होंने मिशन मोड में लड़कियों के लिए स्कूलों में शौचालय निर्माण का उदाहरण दिया। उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा शुरू करने की भी बात कही।

प्रधानमंत्री ने बताया कि विश्व के नेताओं के मन में भारतीय शिक्षकों के लिए उच्च सम्मान का भाव है। उन्होंने कहा कि जब भी वह विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिलते हैं तो उन्हें अक्सर यह सुनने को मिलता है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे भूटान के राजा और सऊदी अरब के बादशाह और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक ने अपने भारतीय शिक्षकों के बारे में सम्मान के भाव से बात की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आजीवन छात्र होने पर गर्व है और उन्होंने कहा कि समाज में जो कुछ भी होता है उसे देखना सीख लिया है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के परिवर्तनशील समय में भारत की शिक्षा प्रणाली, शिक्षक और छात्रों में बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि पहले संसाधनों और बुनियादी ढांचे के मामले में चुनौतियां थीं, लेकिन छात्रों ने बड़ी चुनौती पेश नहीं की। अब जबकि बुनियादी ढांचे और संसाधनों की चुनौतियों का धीरे-धीरे समाधान किया जा रहा है, छात्रों में असीमित जिज्ञासा है। ये आत्मविश्वासी और निर्भीक युवा छात्र शिक्षक को चुनौती देते हैं और चर्चा को पारंपरिक सीमाओं से परे नए विस्तार तक ले जाते हैं। शिक्षकों को अपडेट रहने के लिए प्रेरित किया जाता है क्योंकि छात्रों के पास जानकारी के अनेक स्रोत होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारी शिक्षा प्रणाली का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि इन चुनौतियों का समाधान शिक्षक द्वारा कैसे किया जाता है।" उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों को शिक्षकों को व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के अवसरों के रूप में देखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'ये चुनौतियां हमें शिक्षण, गैर शिक्षण और पुनः शिक्षण का अवसर देती हैं।

 

उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे शिक्षक के साथ-साथ विद्यार्थियों के मार्गदर्शक और विश्वसनीय परामर्शदाता बने। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि दुनिया की कोई भी तकनीक यह नहीं सिखा सकती कि किसी भी विषय की गहन समझ कैसे प्राप्त की जाए और जब सूचना की अधिकता होती है, तो मुख्य विषय पर ध्यान केंद्रित करना छात्रों के लिए चुनौती बन जाता है। श्री मोदी ने कहा कि इस विषय पर गहन शिक्षण के माध्यम से एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में छात्रों के जीवन में शिक्षकों की भूमिका पहले से भी अधिक सार्थक हो गई है। उन्होंने कहा कि यह हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पढ़ाएं और इन पर उनकी पूरी उम्मीदें टिकी होती हैं। यह रेखांकित करते हुए कि छात्र, शिक्षक की सोच और व्यवहार से प्रभावित होते हैं- प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र न केवल पढ़ाए जा रहे विषय की समझ प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि धैर्य, साहस, स्नेह और निष्पक्ष व्यवहार के साथ संवाद करना और अपने विचारों को प्रस्तुत करना भी सीख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने प्राथमिक शिक्षकों के महत्व पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि वे परिवार के अतिरिक्त उन पहले व्यक्तियों में से हैं जो बच्चे के साथ सर्वाधिक समय बिताते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "एक शिक्षक की जिम्मेदारियों का अनुभव राष्ट्र की भविष्य की पीढ़ियों को सुदृढ़ बनाएगा।

 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने नीति - निर्माण में लाखों शिक्षकों के योगदान पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ''आज भारत 21वीं सदी मे आवश्यकताओं के अनुरूप नई व्यवस्थाएं बना रहा है और इसे ध्यान में रखते हुए एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पुरानी अप्रासंगिक शिक्षा प्रणाली का स्थान ले रही है जो छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित रखती थी। नई नीति व्यावहारिक समझ पर आधारित है। प्रधानमंत्री ने अपने बचपन के सीखने के व्यक्तिगत अनुभवों को याद किया और सीखने की प्रक्रिया में शिक्षक की व्यक्तिगत भागीदारी के सकारात्मक लाभ पर बल दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा के प्रावधान पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही भारत में 200 से अधिक वर्षों तक अंग्रेजों का शासन रहा हो, लेकिन अंग्रेजी भाषा मुट्ठी भर आबादी तक सीमित है। उन्होंने उल्लेख किया कि क्षेत्रीय भाषाओं में अपने विषय की शिक्षा ग्रहण करने वाले प्राथमिक शिक्षकों को इस बात से परेशानी अनुभव हो रही है क्योंकि अंग्रेजी में शिक्षण को प्राथमिकता दी गई, क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देने वाले शिक्षकों की नौकरियां समाप्ति के कागार पर चली गईं लेकिन वर्तमान सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण की शुरुआत करके इस परिदृश्य को बदल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा पर जोर दे रही है जिससे शिक्षकों के जीवन में भी सुधार होगा। प्रधानमंत्री ने ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जहां लोग शिक्षक बनने के लिए स्वतः आगे आएं। उन्होंने व्यावसाय के रूप में शिक्षक की स्थिति को आकर्षक बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिक्षक को अपने हृदय की गहराई से एक शिक्षक होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी दो व्यक्तिगत इच्छाओं को याद किया। पहला, अपने स्कूल के दोस्तों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाना और दूसरा अपने सभी शिक्षकों को सम्मानित करना। श्री मोदी ने कहा कि आज भी वह अपने शिक्षकों के संपर्क में हैं। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों के बीच व्यक्तिगत संबंधों में कमी की प्रवृत्ति पर क्षोभ व्यक्त किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि खेल के क्षेत्र में यह बंधन अभी भी मजबूत है। इसी तरह, प्रधान मंत्री ने यह भी कहा कि छात्रों और स्कूल के बीच का संबंध टूट गया है क्योंकि छात्र स्कूल छोड़ने के बाद स्कूल के बारे में भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों, यहां तक कि प्रबंधन को भी संस्था की स्थापना की तारीख की जानकारी नहीं है। स्कूल का जन्मदिन मनाने से स्कूलों और छात्रों के बीच अलगाव दूर होगा।

स्कूलों में उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा समाज एक साथ आ रहा है ताकि कोई भी बच्चा स्कूल में भूखा न रहे। उन्होंने मध्याह्न भोजन के दौरान बच्चों को भोजन परोसने के लिए गांवों के बुजुर्गों को आमंत्रित करने का भी सुझाव दिया ताकि बच्चों में परंपराएं विकसित होती रहें और वे परोसे जा रहे भोजन के बारे में आपसी बातचीत के माध्यम से एक इंटरैक्टिव अनुभव भी प्राप्त कर सकें।

बच्चों में स्वच्छता की आदतों को विकसित करने के महत्व के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने एक जनजातीय क्षेत्र में शिक्षिका के योगदान को याद किया, जो बच्चों के रूमाल बनाने के लिए अपनी पुरानी साड़ी के हिस्सों को काटती थी और किनारों पर सिलाई करती थी। इसका उपयोग चेहरे या नाक पोंछने के लिए किया जा सकता था। उन्होंने एक जनजातीय स्कूल का एक उदाहरण भी साझा किया जहां एक शिक्षक ने स्कूल में एक दर्पण रखा ताकि बच्चे अपने को देख सके और स्कूल की गरिमा के अनुरूप तैयार हो कर आएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सूक्ष्म बदलाव से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने में बड़ा अंतर आया।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि शिक्षकों का एक छोटा सा बदलाव युवा छात्रों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी शिक्षक भारतीय परंपराओं को विकसित करेंगे, जहां गुरु या शिक्षक को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है और ये शिक्षक विकसित भारत के सपनों को साकार करेंगे।

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, सांसद श्री सीआर पाटिल, केन्द्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला, केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष श्री रामपाल सिंह और गुजरात सरकार के मंत्री उपस्थित थे।

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PM thanks all Rajya Sabha MPs who voted for the Nari Shakti Vandan Adhiniyam
September 21, 2023
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The Prime Minister, Shri Narendra Modi thanked all the Rajya Sabha MPs who voted for the Nari Shakti Vandan Adhiniyam. He remarked that it is a defining moment in our nation's democratic journey and congratulated the 140 crore citizens of the country.

He underlined that is not merely a legislation but a tribute to the countless women who have made our nation, and it is a historic step in a commitment to ensuring their voices are heard even more effectively.

The Prime Minister posted on X:

“A defining moment in our nation's democratic journey! Congratulations to 140 crore Indians.

I thank all the Rajya Sabha MPs who voted for the Nari Shakti Vandan Adhiniyam. Such unanimous support is indeed gladdening.

With the passage of the Nari Shakti Vandan Adhiniyam in Parliament, we usher in an era of stronger representation and empowerment for the women of India. This is not merely a legislation; it is a tribute to the countless women who have made our nation. India has been enriched by their resilience and contributions.

As we celebrate today, we are reminded of the strength, courage, and indomitable spirit of all the women of our nation. This historic step is a commitment to ensuring their voices are heard even more effectively.”