दावोस के लिए प्रस्थान से पहले प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य

दावोस प्रस्थान से पूर्व प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का मूलपाठ निम्नलिखित है ।

 “मुझे भारत के श्रेष्ठ मित्र एवं विश्व आर्थिक मंच के जन्मदाता प्रोफेसर क्लॉस श्वाब के निमंत्रण पर दावोस में होने जा रहे विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में अपनी प्रथम यात्रा की प्रतीक्षा है । मंच का विषय “खंडित विश्व में एक साझा भविष्य की रचना” उपयुक्त एवं विचारपूर्ण दोनों है ।

 समकालीन अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था एवं वैश्विक शासन प्रणाली के ढांचे की मौजूदा एवं उभरती चुनौतियों पर नेतागणों, सरकारों, नीति-निर्माताओं, व्यापारिक घरानों एवं नागरिक समाजों द्वारा विश्व भर में गंभीरतापूर्वक  ध्यान दिये जाने की दरकार है ।

 हाल के वर्षों में बाहरी संसार से भारत का अनुबंध प्रभावी रूप से सच्चे अर्थों में बहुआयामी हो चुका है जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा संबंधी, जनता के जनता से एवं अन्य आयामों में प्रगति हुई है ।

दावोस में मुझे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ भारत के भावी सम्पर्क पर अपना दृष्टिकोण रखने की प्रतीक्षा है । 

विश्व आर्थिक मंच पर होने वाली घटनाओं के अलावा, मुझे अलग से स्विस संघ के राष्ट्रपति महामहिम अलैन बर्सेटैण्ड एवं स्वीडन के प्रधानमंत्री महामहिम श्रीमान सटीफन लॉफवन के साथ होने वाली अपनी द्विपक्षीय बैठकों का इंतज़ार भी है । 

मुझे विश्वास है कि यह द्विपक्षीय बैठकें परिणामदायी होंगी तथा इन देशों के साथ हमारे संबंधों को बेहतर बनाएंगी और आर्थिक अनुबंध को और सुदृढ़ करेंगी ।

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प्रधानमंत्री ने 2001 के संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की
December 13, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज 13 दिसंबर 2001 को हुए जघन्य आतंकवादी हमले के दौरान भारत की संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बहादुर सुरक्षाकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र कर्तव्य निभाते हुए प्राणों की आहुति देने वालों को श्रद्धापूर्वक याद करता है। उन्होंने कहा कि गंभीर खतरे के समय भी उनका साहस, सतर्कता और अटूट कर्तव्यनिष्ठा प्रत्येक नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

 

श्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा:

“आज के दिन, हमारा देश उन लोगों को याद करता है जिन्होंने 2001 में हमारी संसद पर हुए जघन्य हमले में अपने प्राणों की आहुति दी। गंभीर खतरे के बावजूद, उनका साहस, सतर्कता और कर्तव्यनिष्‍ठा सराहनीय थी। भारत उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए सदा कृतज्ञ रहेगा।”