भारत की ऊर्जा भविष्य के 4 स्तंभ हैं - ऊर्जा पहुंचऊर्जा सक्षमताऊर्जा निरंतरता और ऊर्जा सुरक्षा: प्रधानमंत्री मोदी
हमारी सरकार ऊर्जा नियोजन के लिए एक समेकित दृष्टिकोण में विश्‍वास करती है: पीएम मोदी
अगले 25 वर्षों में भारत की ऊर्जा खपत प्रति वर्ष 4.2 प्रतिशत बढ़ेगी: प्रधानमंत्री
हम ऊर्जा पर्याप्‍तता के युग में प्रवेश कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी

ऊर्जा मंत्री, सउदी अरब

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री, भारत

महासचिव, अंतर्राष्‍ट्रीय ऊर्जा फोरम

सम्‍मानित प्रतिनिधिगण

देवियों और सज्‍जनों

भारत में आपका स्‍वागत है

16वीं अतर्राष्‍ट्रीय ऊर्जा फोरम मंत्री स्‍तरीय बैठक में आपका स्‍वागत है

मैं तेल उत्‍पादक और उपभोक्‍ता देशों के ऊर्जा मंत्रियों, अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों के प्रमुखों तथा मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों की बड़ी संख्‍या में भागीदारी से प्रसन्‍न हूं।

जैसा कि आप वैश्‍विक ऊर्जा के भविष्‍य पर विचार-विमर्श के लिए आज एकत्रित हुए हैं, विश्‍व ऊर्जा की आपूर्ति और खपत में बड़ा परिवर्तन देख रहा है।

खपत वृद्धि का रूख गैर ओईसीडी देशों: मध्‍य पूर्व,अफ्रीका और विकसित एशिया की ओर हो गया है;
अन्‍य सभी ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सौलर फोटो वाल्‍टिक ऊर्जा किफायती हो गई है। यह आपूर्ति परिप्रेक्ष्‍य में बदलाव कर रहा है;
एलएनजी और प्राकृतिक गैस के बढ़ते प्रतिशत के साथ विश्‍व में प्राकृतिक गैस की पर्याप्‍त उपलब्‍धता प्राथमिक ऊर्जा बास्‍केट में योगदान कर रही है;
अमेरिका शीघ्र तेल का सबसे बड़ा उत्‍पादक हो जाएगा। अगले कुछ दशकों में तेल की अतिरिक्‍त मांग का बड़ा हिस्‍सा अमेरिका पूरा करेगा;
ओईसीडी विश्‍व में और बाद में विकासशील देशों में प्राथमिक ऊर्जा में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में कोयला धीरे-धीरे समाप्‍त हो जाएगा;
अगले कुछ दशकों में इलेक्‍ट्रिक वाहनों के अपनाए जाने के बाद परिवहन क्षेत्र में विशाल परिवर्तन होगा;
विश्‍व सीओपी-21 समझौते के आधार पर जलवायु परिवर्तन एजेंडा के प्रति संकल्‍पबद्ध है। अर्थव्‍यवस्‍थाओं की ऊर्जा तीव्रता हरित ऊर्जा और ऊर्जा सक्षमता पर फोकस के साथ बदलेगी।

पिछले महीने एक एजेंसी द्वारा तैयार की ऊर्जा भविष्‍यवाणी मुझे देखने को मिली, जिसके अनुसार भारत अगले 25 वर्षों में वैश्‍विक ऊर्जा मांग का प्रमुख प्रेरक होगा। अगले 25 वर्षों में भारत की ऊर्जा खपत प्रति वर्ष 4.2 प्रतिशत बढ़ेगी। यह विश्‍व की प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍थाओं में सबसे तेज है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि 2040 तक गैस की मांग तिगुनी हो जाएगी। 2030 तक बिजली से चलने वाले वाहनों की संख्‍या बढ़कर 320 मिलियन हो जाएगी। आज यह संख्‍या 3 मिलियन है।

हम ऊर्जा पर्याप्‍तता के युग में प्रवेश कर रहे हैं, फिर भी 1.2 बिलियन लोगों को अभी भी बिजली नहीं मिल रही है। काफी अधिक लोगों के पास स्‍वच्‍छ रसोई ईंधन नहीं है। हमें यह सुनिश्‍चित करना होगा कि यह स्‍थिति वंचित लोगों के लिए अहितकर न हो और लोगों को सार्वभौमिक रूप से स्‍वच्‍छ, किफायती सतत और समान ऊर्जा सप्‍लाई हो।

मुझे हाइड्रोकार्बन क्षेत्र और ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के हमारे प्रयासों पर अपना विचार साझा करने का अवसर दें।

तेल और गैस कारोबार की सामग्री है, लेकिन आवश्‍यकता की भी। चाहे साधारण आदमी के लिए रसोई हो या विमान हो ऊर्जा आवश्‍यक है।

विश्‍व ने एक लंबे समय से मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव देखा है।

हमें आवश्‍यक रूप से उत्‍तरदायित्‍व मूल्‍य व्‍यवस्‍था की ओर बढ़ना होगा, जो उत्‍पादक और उपभोक्‍ता दोनों के हितों के बीच संतुलन कायम करें। तेल और गैस दोनों के लिए हमें पारदर्शी और लचीले बाजार की आवश्‍यकता है। तभी हम अधिक से अधिक रूप में मानवता की आवश्‍यकता के लिए ऊर्जा दे सकते हैं।

यदि विश्‍व को सम्‍पूर्ण रूप से विकसित होना है तो उत्‍पादक और उपभोक्‍ताओं के बीच पारस्‍परिक रूप से समर्थनकारी संबंध बनाने पड़ेंगे। अन्‍य व्‍यवस्‍थाओं का तेजी से बढ़ना उत्‍पादकों के हित में है। इसे उनके लिए विकसित हो रहे ऊर्जा बाजार सुनिश्‍चित होंगे।

इतिहास हमें दिखाता है कि कृत्रिम रूप से मूल्‍यों को तोड़ने-मड़ोने का प्रयास आत्‍मघाती है। ऐसे प्रयास अनुचित कठिनाइयां पैदा करते हैं, विशेषकर विकसित और कम विकसित देशों के उन लोगों के लिए जो निचली पायदान पर हैं।

आइए, हम इस मंच का उपयोग उत्‍तरदायित्‍व मूल्‍यों व्‍यवस्‍था पर वैश्‍विक सहमति बनाने में करें, जिससे उत्‍पादकों और उपभोक्‍ताओं दोनों की पारस्‍परिक हितों को लाभ हो।

वैश्‍विक अनिश्‍चितता को देखते हुए भारत को भी ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत है। भारत की ऊर्जा भविष्‍य के लिए मेरे विजन के चार स्‍तंभ हैं- ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सक्षमता, ऊर्जा निरंतरता और ऊर्जा सुरक्षा।

भारत के भविष्‍य के लिए साधारण रूप से ऊर्जा और विशेष रूप से हाइड्रो कार्बन मेरे विजन के महत्‍वपूर्ण हिस्‍से हैं। भारत को वैसी ऊर्जा की आवश्‍यकता है जो प्राप्‍त होने योग्‍य और गरीबों के लिए किफायती हो। ऊर्जा के उपयोग में सक्षमता आवश्‍यक है। देशों के समूह में उत्‍तरदायी वैश्‍विक सदस्‍य के रूप में भारत जलवायु परिवर्तन से मुकाबला,उत्‍सर्जन नियंत्रण और सतत भविष्‍य सुनिश्‍चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन की स्‍थापना इस संकल्‍प को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।

मित्रो,

वर्तमान में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। सभी प्रमुख एजेंसियां जैसे – अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने निकट भविष्‍य में भारत की विकास दर 7 से 8 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। सरकार मु्द्रा स्‍फीति की दर कम करने, वित्‍तीय घाटे पर नियंत्रण और विनिमय दर को स्थिर करने के साथ उच्‍च विकास दर हासिल करने में सक्षम हुई है। वृहद अर्थनीति में इस स्थिरता ने अर्थव्‍यवस्‍था में उपभोग और निवेश को बढ़ावा दिया है।

भारत के पास जनसंख्‍या के ढांचे में परिवर्तन के परिणामस्‍वरूप आर्थिक विकास की संभावना है, खासतौर से जब कार्यशील आबादी का आयु वर्ग, गैर-कार्यशील आबादी से बड़ा है। हमारी सरकार मेक इन इंडिया और वस्‍त्र, पेट्रो रसायन, रक्षा, इंजीनियरिंग जैसे उद्योगों में युवाओं को कौशल विकास प्रदान करने के जरिये स्‍थानीय निर्माण को प्रोत्‍साहन दे रही है। परिणामस्‍वरूप ऊर्जा के उपयोग को भी बढ़ावा मिला है।

हम कच्‍चा माल निकालने अथवा उत्‍पादन की अपनी नीतियों और नियमों में नयापन लाए हैं। इसके अलावा, हाइड्रोकार्बन अन्‍वेषण और लाइसेंसिंग नीति की शुरूआत के जरिये क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता स्‍थापित की है। बोली लगाने के मानदंड की जगह राजस्‍व साझा किया जा रहा है। इससे सरकार के हस्‍तक्षेप को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में बोली का दौर 2 मई तक खुला है। मेरा आपसे अनुरोध है कि उत्‍पादन बढ़ाने की दिशा में हमारे प्रयास में शामिल हो। ओपन एकरेज और राष्‍ट्रीय आंकड़ा संग्रह उन क्षेत्रों में कंपनियों की भागीदारी में मदद करेगा, जिनमें उनकी दिलचस्‍पी है और भारतीय क्षेत्रों में अन्‍वेषण हित बढ़ाने में मदद मिलेगी।

परिष्‍कृत तेल पुन: प्राप्ति नीति का उद्देश्‍य उच्‍च स्‍तर वाले क्षेत्रों की उत्‍पादकता में सुधार लाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देना है।

बाजार की प्रवृत्ति से निर्देशित पेट्रोल और डीजल की कीमतों से कच्‍चे तेल के परिष्‍करण प्रसंस्‍करण के साथ-साथ उससे प्राप्‍त उत्‍पादों की मार्केटिंग और उनका वितरण पूरी तरह उदार हो गया है। हम ईंधन के रिटेल और भुगतान में डिजिटल मंच की ओर बढ़ चुके हैं।

हमारी सरकार ने समूचे तेल और गैस मूल्‍य श्रृंखला में अप स्‍ट्रीम उत्‍पादन से लेकर डाऊन स्‍ट्रीम रिटेल में निजी भागीदारी को प्रोत्‍साहित किया है।

हमारी सरकार ऊर्जा नियोजन के लिए एक समेकित दृष्टिकोण में विश्‍वास करती है और भारत में हमारा ऊर्जा एजेंडा समग्र, बाजार आधारित और जलवायु के प्रति संवेदनशील है। हमारा मानना है कि इससे संयुक्‍त राष्‍ट्र के निरंतर विकास एजेंडा के ऊर्जा से जुड़े तीन घटकों को हासिल करने में सफलता मिलेगी, जो इस प्रकार हैं –

2030 तक आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच;

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्‍काल कार्रवाई – पेरिस समझौते की तर्ज पर;

वायु की गुणवत्‍ता में सुधार के उपाय;

मित्रों, हमारा मानना है कि खाना पकाने के लिए स्‍वच्‍छ ईंधन लोगों के रहन-सहन का स्‍तर सुधारने में बेहद महत्‍व रखता है। इससे महिलाओं को सबसे अधिक लाभ मिलता है। इससे घर के अंदर प्रदूषण कम होता है और जैव ईंधन और लकड़ी एकत्र करने में आने वाली कठिनाइयां कम होती है। इससे उन्‍हें अपने विकास के लिए अधिक समय मिलता है और वे अतिरिक्‍त आर्थिक गतिविधियों में हिस्‍सा ले सकती हैं।

भारत में, उज्‍ज्‍वला योजना के जरिये हम गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्‍शन प्रदान कर रहे हैं। इसका उद्देश्‍य आठ करोड़ गरीब परिवारों को स्‍वच्छ रसोई गैस कनेक्‍शन प्रदान करना है। दो वर्ष से भी कम समय में 3.5 करोड़ कनेक्‍शन प्रदान किये जा चुके हैं।

हमारा अप्रैल 2020 तक बीएस-6 ईंधन तक पहुंचने का प्रस्‍ताव है, जो यूरो-6 मानकों के बराबर है। हमारे तेल शोधक संयंत्रों का बड़े पैमाने पर उन्‍नयन किया जा रहा है। उनका लक्ष्‍य स्‍वच्‍छ ईंधन प्रदान करने की महत्‍वाकांक्षी समय सीमा को पूरा करना है। नई दिल्‍ली में हमने इस महीने बीएस-6 मानक के ईंधन की शुरूआत कर दी है।

हमने वाहनों को हटाने की नीति भी शुरू की है, जिससे पुराने वाहनों के स्‍थान पर स्‍वच्‍छ और कम ईंधन खर्च करने वाले वाहनों को लाया जा सकेगा।

हमारी तेल कंपनियां ऊर्जा, विविधता को ध्‍यान में रखते हुए अपने सभी निवेशों का आकलन कर रही हैं।

आज, तेल कंपनियां वायु और सौर क्षमताओं, गैस संबंधी बुनियादी ढांचे में भी निवेश कर रही हैं और इलेक्ट्रिक वाहन और भंडारण क्षेत्रों में निवेश करने की दिशा में भी विचार कर रही हैं।

मित्रो,

जैसा कि हम सभी जानते है, हम इंडस्‍ट्री 4.0 की तरफ देख रहे हैं, जिसमें नई प्रौद्योगिकी के साथ भविष्‍य में उद्योग के कार्य करने के तरीके और इंटरनेट जैसी प्रक्रियाओं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्‍स प्रोसेस ऑटोमेशन, मशीन सीखने, भविष्‍य सूचक विश्‍लेषण संबंधी, 3-डी प्रिटिंग आदि में परिवर्तन के विचार को शामिल किया गया है।

हमारी कंपनियां नवीनतम प्रौद्योगिकी अपना रही हैं। इससे हमारी प्रभावोत्‍पादकता में सुधार आएगा और सुरक्षा बढ़ने के साथ न केवल डाउनस्‍ट्रीम रिटेल में बल्कि अपस्‍ट्रीम तेल उत्‍पादन, परिसम्‍पत्ति के रखरखाव और रिमोट निगरानी में होने वाला खर्च कम होगा।

इस पृष्‍ठ भूमि में ऊर्जा क्षेत्र के भविष्‍य पर विचार करने के लिए भारत ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की है। वैश्‍विक परिवर्तन, पारगमन नीतियां और नई प्रौद्योगिकी किस प्रकार बाजार की स्थिरता और भविष्‍य में क्षेत्र में निवेश को प्रभावित करती है।

मित्रो,

आईईएफ-16 का विषय ‘द फ्यूचर ऑफ ग्‍लोबल एनर्जी सिक्‍योरिटी’ है। मुझे बताया गया है कि इसका एजेंडा उत्‍पादक-उपभोक्‍ता संबंधों में वैश्विक परिवर्तन, ऊर्जा की सार्वभौमिक पहुंच और वहनीयता तथा तेल और गैस में निवेश को बढ़ावा देने जैसे विषय रखे गये है, ताकि भविष्‍य की मांग को पूरा किया जा सकें। ऊर्जा सुरक्षा और नई और वर्तमान प्रौद्योगिकी की सुरक्षा और सह-अस्तित्‍व पर भी विचार किया गया है। ये सभी हमारी सामूहिक ऊर्जा सुरक्षा के भविष्‍य के विषय है।

मुझे विश्‍वास है कि इस मंच पर होने वाले विचार-विमर्श से दुनिया के नागरिकों को स्‍वच्‍छ, सस्‍ती और निरंतर ऊर्जा का लाभ मिल सकेगा।

मैं इस मंत्रिस्‍तरीय सम्‍मेलन की सफलता की कामना करता हूं।

धन्‍यवाद।

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।