मेक इन इंडिया

Published By : Admin | May 26, 2015 | 13:29 IST

भारत में ना सिर्फ विनिर्माण बल्कि अन्य क्षेत्रों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम चार स्तंभों पर आधारित है।


नई कार्यविधि: ‘मेक इन इंडिया’ का मानना है कि उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक सबसे महत्वपूर्ण बात ‘कारोबार करने की सुविधा’ है। कारोबारी माहौल को आसान बनाने के लिए कई इनीशिएटिव पहले ही शुरू किए जा चुके हैं। इसका उद्देश्य पूरे कारोबारी चक्र के दौरान इंडस्ट्री को डी-लाइसेंस और डी-रेग्युलेट करना है।

नया बुनियादी ढांचा: उद्योगों के विकास के लिए आधुनिक और सुविधाजनक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण जरूरत है। सरकार आधुनिक हाई-स्पीड कम्युनिकेशन और इंटग्रेटेड लॉजिस्टिक अरेंजमेंट्स के साथ ही उत्कृष्ट तकनीक पर आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स और स्मार्ट सिटीज़ बनाने का इरादा रखती है। इंडस्ट्रियल कल्स्टर्स में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाकर मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती दी जाएगी।

नए क्षेत्र: ‘मेक इन इंडिया’ ने विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और सेवा गतिविधियों में 25 क्षेत्रों की पहचान की है और इस बारे में इंटरेक्टिव वेब पोर्टल और पेशवर ढंग से तैयार किए गए ब्रोशर्स के माध्यम से विस्तृत सूचनाएं साझा की जा रही हैं।

नई सोच: उद्योग सरकार को एक नियामक के रूप में देखने के आदी रहे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ का मकसद उद्योगों के साथ सरकार के संवाद में आमूलचूल परिवर्तन लाकर इस सोच को बदलना है। सरकार देश के आर्थिक विकास में उद्योगों के साथ साझेदार बनेगी। हमारा नज़रिया एक फैसिलिटेटर का होगा और एक रेग्युलेटर का नहीं।



‘मेक इन इंडिया’ ने भारत में कारोबारी दिग्गजों के साथ ही फॉरेन लीडर्स के बीच भी अपने प्रशंसक तैयार किये हैं। इस ऐतिहासिक पहल में दुनिया भारत के साथ साझेदारी करने की इच्छुक है।



हमने एक मैन्युफैक्चरिंग इनीशिएटिव का रोडमैप तैयार किया है, जो हाल के इतिहास में किसी भी देश द्वारा शुरू की गई सबसे बड़ी पहल है। ये सार्वजनिक-निजी साझेदारी की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाता है। भारत के वैश्विक साझेदारों को शामिल करने के लिए भी इस सहयोगी मॉडल का सफलतापूर्वक विस्तार किया गया।

थोड़े समय में ही, अतीत का घिसापिटा और बाधक ढांचा खत्म हो गया और उसकी जगह एक पारदर्शी तथा लोगों के अनुकूल व्यवस्था ने ले ली। नई व्यवस्था निवेश जुटाने, इनोवेशन को बढ़ावा देने, कौशल विकास, आईपी संरक्षण और बेहतरीन विनिर्माण सुविधाओं के निर्माण में मददगार है।



निवेश की सीमा और नियंत्रण को आसान बनाने के साथ ही भारत के मूल्यवान क्षेत्र – रक्षा, निर्माण और रेलवे – अब वैश्विक साझेदारी के लिए खुल गए हैं।  रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया और एफडीआई सीमा को 26% से बढ़ाकर 49% कर दिया गया। रक्षा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट के जरिए 24% तक पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट की अनुमति दी गई। रक्षा क्षेत्र में अलग-अलग मामलों के आधार पर अत्याधुनिक एवं उत्कृष्ट तकनीक के लिए 100% एफडीआई की अनुमति दी गई। कुछ विशेष रेल ढांचागत परियोजनाओं में ऑटोमेटिक रूट के तहत निर्माण, परिचालन और रखरखाव के लिए 100% एफडीआई की भी मंजूरी दी गई।

कारोबार को आसान बनाने के लिए सरलीकृत कर प्रणाली बनाई गई। 22 इनपुट या कच्चे माल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी ने विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण लागत में कमी आई। गार को दो वर्षों के लिए टाल दिया गया। टेक्नॉलॉजी आसानी से आ सके, इसके लिए तकनीकी सेवाओं की रायल्टी और शुल्क पर आयकर की दर को 25% से घटाकर 10% किया गया।

वस्तुओं के निर्यात और आयात के लिए जरूरी दस्तावेजों को घटाकर तीन कर दिया गया। भारत सरकार की 14 सेवाएं ई-बिज़ के ऑनलाइन सिंगल विंडो पोर्टल के माध्यम से मिलने लगीं। निवेशकों को गाइड करने के लिए इनवेस्टर्स फैसिलिटेशन सेल बनाई गईं। ई-बिज़ पोर्टल के जरिए औद्योगिक लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रक्रिया और औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन को 24X7 के आधार पर ऑनलाइन किया गया। औद्योगिक लाइसेंस की वैधता बढ़ाकर तीन वर्ष की गई। रक्षा उत्पादों के प्रमुख कंपोनेंट्स की सूची को औद्योगिक लाइसेंस से अलग किया गया। नए बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी/सहमति की जरूरत को खत्म कर दिया गया।



इसके अलावा भारत सरकार विनिर्माण में तेजी लाने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए देश भर में गलियारों का एक पंचकोण (पैंटागन) बना रही है।


मेक इन इंडिया की शुरुआत के अवसर प्रधानमंत्री का भाषण सुनिये

अधिक जानकारी के लिए विजिट करें: https://www.makeinindia.com/

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
India's economy may grow 7% in FY27 even amid trade uncertainty: CareEdge

Media Coverage

India's economy may grow 7% in FY27 even amid trade uncertainty: CareEdge
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।