प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का दौरा किया और भारतीय वायुसेना के मल्टीरोल फाइटर जेट तेजस पर ऐतिहासिक उड़ान पूरी की। HAL ने हाल के वर्षों में मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी और एक्सपोर्ट कैपेसिटी में अभूतपूर्व वृद्धि का अनुभव किया है।

नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, पीएम मोदी के नेतृत्व में HAL ₹1.35 लाख करोड़ की एक शक्तिशाली कंपनी बन गई है। 2013 से इसकी शेयर कीमतों में पांच गुना वृद्धि हुई है, जो इसकी उल्लेखनीय प्रगति का प्रमाण है। हाल में ही मलेशिया में, एक रीजनल मार्केटिंग ऑफिस की शुरुआत से अपने ग्लोबल फुटप्रिंट का विस्तार करने के अलावा, HAL एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए एक बिजनेस डिवीजन भी स्थापित करने जा रहा है।

भारतीय वायुसेना की रीढ़ के रूप में अहमियत रखने वाली HAL कंपनी का ट्रांसफॉर्मेशन, डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता के लिए, मोदी सरकार की एक व्यापक योजना का हिस्सा है। इस अभियान में स्वदेशी टेक्नोलॉजी को डेवलप करना, एक मजबूत डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की स्थापना, स्ट्रक्चरल रिफॉर्म और ओवरऑल कॉम्बैट स्ट्रेंथ को बढ़ाने जैसे कई फैक्टर्स शामिल हैं।

2014 से पहले, डिफेंस सेक्टर; निवेश की कमी, इनोवेशन और रिसर्च में ठहराव तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करने के लिए ओवरऑल विजन की कमी जैसे मुद्दों से जूझ रहा था। इससे देश की रक्षा आवश्यकताओं के लिए विदेशी आयात पर निर्भरता बढ़ गई। हालांकि, मोदी सरकार की सुरक्षा और सामरिक क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता का डिफेंस सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

‘मेक इन इंडिया’ के साथ-साथ, रक्षा खरीद प्रक्रिया (2020) ने स्वदेशी स्रोतों के माध्यम से रक्षा साजोसामान की खरीद को अधिकतम करके घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को काफी बढ़ावा दिया है। सरकार ने रक्षा उपकरणों और प्लेटफार्मों की चार 'सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों' को भी नोटिफाई किया है, इसके अलावा स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए अलग से फंड का भी प्रावधान किया है। इससे भी आगे बढ़ते हुए, डिफेंस और एयरोस्पेस उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर स्थापित किए गए हैं।

भारत सरकार ने स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं:
• विदेशी स्रोतों से रक्षा खरीद पर खर्च FY2018-19 में 46% से घटकर FY2021-22 में 36% हो गया है।
• भारत अब अपनी रक्षा खरीद में स्वदेशी उपकरणों और प्रणालियों पर अधिक जोर दे रहा है। FY2019-20 में खरीदी में स्वदेशी हिस्सेदारी 59% थी, जो FY2020-21 में बढ़कर 64% हो गई।

रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बदलते रुझान उल्लेखनीय हैं:
• 2001 से 2014 (14 वर्ष) तक, ₹1,382 करोड़ का FDI निवेश दर्ज किया गया।
• 2014 के बाद से FDI निवेश लगभग 2.5 गुना बढ़कर ₹3,378 करोड़ हो गया है।

रिसर्च और इनोवेशन के परिदृश्य में भी गहरा बदलाव आया है, जिससे नवीनता और गतिशीलता का एक नया युग शुरू हुआ है। DRDO टेस्ट फैसिलिटीज सहित, डिफेंस R&D को इंडस्ट्री, स्टार्टअप और शिक्षा जगत के लिए खोल दिया गया है। iDEX जैसी पहलें स्टार्टअप, MSME और दूसरे इंडिविजुअल को डिफेंस R&D में शामिल करने में मदद करती हैं। इससे लोकल इंडस्ट्री और एंटरप्राइज को बढ़ावा मिलता है। स्टार्ट-अप्स से खरीद के लिए विशेष रूप से ₹1,500 करोड़ का आवंटन किया गया है। इसके अलावा DRDO; डिफेंस इंडस्ट्री के लिए युवाओं को जरूरी कौशल से लैस करने की भूमिका में भी सक्रिय है।

सरकार के ठोस प्रयास ने हमें एक ऐसे मोड़ पर पहुंचा दिया है जहां हम सक्रिय रूप से अपने स्वयं के डिफेंस एयरक्राफ्ट्स और इक्विपमेंट्स का उत्पादन कर रहे हैं। INS विक्रांत, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, आकाश और ब्रह्मोस मिसाइलें, मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन, आर्टिलरी गन सिस्टम धनुष और पिनाक रॉकेट; भारत के आत्मनिर्भर बनने के कुछ प्रभावशाली उदाहरण हैं।

पिछले छह वर्षों में डिफेंस एक्सपोर्ट में भी आठ गुना की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह 2016-17 में ₹1,521 करोड़ से 2022-23 में लगभग ₹16,000 करोड़ पर पहुंच गया है। विशेष रूप से, प्राइवेट सेक्टर कुल एक्सपोर्ट में लगभग 70% का योगदान देता है। स्वदेशी ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों के एक्सपोर्ट के लिए फिलीपींस के साथ हुए हाल के समझौते से भारत की डिफेंस एक्सपोर्ट में क्षमता और बढ़ी हुई विश्वसनीयता का पता चलता है।

इन प्रयासों के अलावा, सरकार ने रक्षा उद्योग के विकास में संरचनात्मक बाधाओं को दूर किया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद की शुरूआत और ऑर्डनेन्स फैक्टरी बोर्ड का कॉरपोरेटाइजेशन जैसे बदलाव इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहे हैं। ‘वन रैंक वन पेंशन’ और कॉम्बैट रोल्स में महिलाओं के प्रवेश जैसे अन्य सुधारों ने सोशल सेंटिमेंट को मजबूत किया है और पोटेंशियल रिक्रूटिंग पूल को लगभग 100% तक बढ़ा दिया है। इसके अलावा ‘वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम’ डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का एक और उत्कृष्ट उदाहरण है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में पाकिस्तान के अंदर आतंकवादी शिविरों पर हमला न केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत का अनूठा प्रतिबिंब है, बल्कि देश के आर्म्ड फोर्सेज को जोश और वीरता के साथ अपने देश की सेवा करने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

यह सब ऐतिहासिक निर्णयों, सोच-समझकर उठाए गए जोखिमों और सामरिक बदलावों के मेल से संभव हुआ है। भविष्य के लिए भारत को डिफेंस इक्विपमेंट्स का नेट एक्सपोर्टर बनाने के अपने विजन को रेखांकित करते हुए, पीएम मोदी ने अगले पांच वर्षों में ₹35,000 करोड़ के डिफेंस एक्सपोर्ट का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री मोदी के रिफॉर्म और इनोवेशन के प्रयासों के कारण, भारत की डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता अब एक वास्तविकता बन गई है।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एलन मस्क के साथ बातचीत में द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला
April 18, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज श्री एलन मस्क के साथ रचनात्मक बातचीत की। इस बातचीत में आपसी हितों के कई मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस वर्ष के शुरुमें वाशिंगटन डीसी में हुई उनकी बैठक के दौरान चर्चा में शामिल विषयों पर फिर से बातचीत की गई, जिसमें तकनीकी उन्नति के लिए साझा दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया।

प्रधानमंत्री ने भारत और अमेरिका के बीच प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन क्षेत्रों में साझेदारी को और प्रगाढ़ करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा:

"एलन मस्क से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें इस वर्ष के शुरुआत में वाशिंगटन डीसी में हमारी बैठक के दौरान शामिल किए गए विषय भी सम्मिलित थे। हमने प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाओं पर चर्चा की। भारत इन क्षेत्रों में अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को और प्रगाढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है।"