QuotePM Narendra Modi announces various development projects in Arrah, Bihar
QuotePM Narendra Modi announces a package of Rs. 1.25 lakh crore for Bihar
QuoteThe development projects in Bihar would transform the face of the state: PM
QuoteIndia's East must develop for development of entire Nation: PM Modi
QuoteIf Bihar requires industry then Bihar also requires power. We have taken up the movement to provide electricity: PM
QuoteWelfare of farmers is essential for agriculture to develop: PM Modi

मंच पर विराजमान बिहार प्रदेश के नये राज्‍यपाल श्रीमान रामनाथ कोविन्द जी, राजपाल पद पर धारण करने के बाद आदरणीय रामनाथ जी का पटना के बाहर यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम आरा में हो रहा है। श्रीमानरामनाथ कोविन्द जी जीवनभर दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, उपेक्षित, पिछड़े,अति पिछड़े उनके कल्‍याण के लिए वो अपना जीवन खपा चुके हैं। पूरा जीवन.. समाज कैसे पीडि़तों शोषितों के लिए जिन्‍होंने अपना जीवन खपा दिया ऐसे श्रीमान रामनाथ कोविन्द जी आज राजपाल के रूप में बिहार जनता की सेवा के लिए हमें उपलब्‍ध हुए हैं। मैं सार्वजनिक रूप से आपका हृदय से स्‍वागत करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं।

मंच पर विराजमान मंत्रिपरिषद के मेरे साथी और जिन्‍होंने भारत के कौने-कौने में उत्‍तम से उत्‍तम से रास्‍ते  बनाने का ठान लिया है और नितीन गडकरी  जी वो व्‍यक्ति है जब महाराष्‍ट्र  में सरकार में मंत्री के रूप में बैठे थे, उनकी पहचान बन गई थी flyover minister. पूरे महाराष्‍ट्रमें उन्‍होंने रास्‍तों की ऐसा जाल बिछा दी थी। आधुनिक flyover का concept श्रीमान नीतिन जी लाए थे। आज वे बिहार के कौने-कौने को हिंदुस्‍तान के हर कौने से जोड़ने के लिए रास्‍तों की योजना लेकर के आए हैं।

मंच पर‍ विराजमान मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, श्रीमान रामविलास पासवान जी, श्री रविशंकर जी, श्रीमान राधा मोहन सिंह जी, श्रीमान राजीव प्रताप रूढ़ी जी, श्रीमान धर्मेंद प्रधान जी, श्रीमान राजीव रंजन सिंह जी, बिहार सरकार के मंत्री महोदय, श्रीमान राम कृपाल यादव जी, श्रीमान गिरीराजसिंह जी,श्रीमान उपेंद्र कुशवाहा जी, श्रीमान नंद किशोर यादव जी, श्रीमान सुशील कुमार मोदी जी, श्रीमान अश्‍विनी कुमार चौबे जी और आरा के जागृत सांसद मेरे मित्र श्रीमान आर.के. सिंह जी,यहां के विधायम श्रीमान अमेंद्र प्रताप सिंह जी,रउरा सर्व लोके हमार प्रणम लोकसभा चुनाव के बाद हम भोजपुर आएल बानी, बाबू वीर कुंवर सिंह के धरती पर रउरा लोकानके बहुत-बहुत अभिनंदन।

भाईयों और बहनों, आज बहुत ही जल्‍दी सवेरे-सवेरे मैं  दुबई से आया, और  अब आपके पास पहंच गया। मेरे जो कार्यक्रम बनाते हैं, वो मुझे समझा रहे थे कि साहब! इतना जल्‍दी-जल्‍दी  कैसे जाएंगे। पूरी रात प्रवास करके आएंगे और फिर चल पड़ेंगे। हमारे अफसरों को चिंता थी, लेकिन आपने पुकारा और हम चले आए। भाईयों बहनों यह सरकार का कार्यक्रम है और अनेक महत्‍वपूर्ण योजनाओं का आज शिलान्‍यास हो रहा है। अनेक योजनाओं का लोकार्पण हो रहा है।

 भाईयों बहनों skill development की बात हो, महिलाओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र की चर्चा हो, या बिहार के कौने-कौने में गांव-गांव तक रास्‍तों की जाल बिछाने का काम हो, आज ऐसे कामों का शिलान्‍यास हो रहा है, जो आने वाले दिनों में बिहार की शक्‍ल-सूरत बदल देंगे, बिहार के भाग्‍य को बदल देंगे औबिहार के नौजवान को एक नया बिहार बनाने की एक अद्भुत क्षमता देंगे, अद्भुत ताकत देंगे।

मेरे मित्र श्रीमान राजीव प्रताप रूढ़ी जी, देश के कोटि-कोटि जवानों को हुनर सिखाने  का पीढ़ा  उठाकर  के चल पढ़े। मैं आज उनको अभिनंदन करता हूं पूरे देश का तो एक खाका बनाया ही है। लेकिन आज उन्‍होंने बिहार में जो इतनी बड़ी तादाद में नौजवान है उनको हुनर कैसे सिखाया जाए,skill development कैसे किया जाए, रोजी-रोटी के लिए सक्षम कैसे बनाया जाए इसका पूरा खाका एक किताब बना करके आपके सामने प्रस्‍तुत कर दिया है।

भाईयों बहनों आने वाले दिनों में skill development किस प्रकार से देश का भाग्‍य बदलने वाला है और दिल्‍ली में जो सरकार है ना वो टुकड़ों में नहीं सोचती है और न ही टुकड़े फैंक करके देश को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाया जा सकता है। जब तक हम एक comprehensive योजना न बनाए, तब तक परिणाम नहीं मिलता है। घर में भी अगर हम बच्‍चों  को एक दिन कहें कि लो चावल खा लो,दूसरे दिन  कहें कि लो यह नमक-मिर्च खा लो, तीसरे दिन कहें कि यह दाल खा लो, चौ‍थे दिन कहें कि यह चपाती खा लो, हफ्तेभर में सब चीज़ पेट में जाने के बाद भी न खाने का संतोष होता है, न शरीर बनने की संभावना होती है। सारा का सारा बेकार चला  जाता है। लेकिन थोड़ा-थोड़ा क्‍यों न, लेकिन एक ही थाली में परोसा जाए तो बालक कितने प्‍यार से खाता है, कितने चाव से खाता है, शरीर में रक्‍त बनना शुरू होता है, मांस बनना शुरू होता है, हड्डियां मजबूत होना शुरू हो जाता है और इसलिए हम टुकड़ों में काम करना नहीं चाहते। हमने पहले कहा Make in India हमने दुनिया को कहा कि आइए भारत में पूंजी लगाएइये, कारखाने लगाइये, नई-नई चीजें बनाए, दुनियाभर के लोगों को समझाने की कोशिश की और आज मुझे खुशी है कि विश्‍वभर से लोग उत्‍पादन के लिए कारखाने लगाने के लिए भारत में आने के लिए तैयार बैठे हैं, उत्‍सुक बैठे हैं।

कल मैं अमीरात गया था। अबुधाबी से बयान देखा होगा आपने। मैं तो अभी आज अखबार देख नहीं पाया हूं। न टीवी देख पाया हूं, लेकिन आपने देखा होगा कि अबुधाबी की सरकार ने भारत में साढ़े चार लाख करोड़ रुपया की पूंजी लगाने का निर्णय घोषित किया है। भाईयों बहनों कारखाने लगेंगे, लेकिन अगर मेरे नौजवान काskill develop नहीं हुआ होगा, तो ये कारखाने उसके काम कहां से आएंगे? और इसलिए एक तरफ Make in India तो दूसरी तरफ skill development का कार्यक्रम चलाया है। ताकि एक तरफ कारखाने लगें, दूसरी तरफ नौजवान को रोजगार मिले। कोई  कारखाना लगाने के लिए तो आएगा लेकिन बिजली नहीं होगी तो कारखाना लगेगा क्‍या? कारखाना चलेगा क्‍या? कोई रूकेगा क्‍या? अगर बिहार में हमें उद्योग लाना है तो बिहार में बिजली चाहिए कि नहीं चाहिए, बिजली के कारखाने लगने चाहिए कि नहीं चाहिए तो हमने अभियान उठाया है बिजली के कारखाने लगाओ, बिजली पैदा करो, ताकि जब कारखाना तैयार हो जाए, तो बिजली मिल जाए, बिजली मिल जाए तो skill वाला नौजवान मिल  जाए और विकास की दिशा में आगे बढ़े।

भाईयों बहनों अभी 15 अगस्‍त को लाल किले की प्राची से हमने कहा था Start-up India, Stand-up India. अभी हमारे देश में यह शब्‍द ऊपर की सतह पर ही परिचित है। नीचे तक परिचित नहीं है। भाईयों  बहनों हमारे हर गांव  में 5-10 तो ऐसे नौजवान होते हैं कि जो कुछ कर दिखाने  का माद्दारखते हैं, करने  की ताकत रखते हैं लेकिन उनको अवसर नहीं मिलता है। वो भी सोचते हैं कि मैं भी एक छोटा कारखाना क्‍यों न लगाऊं, मैं भी छोटी  फैक्‍ट्री क्‍यों न लगाऊं,भले मेरे फैक्‍ट्री में 10 लोग, 15 लोग, 50 लोग काम नहीं करते  होंगे, दो लोगों को लगाऊंगा लेकिन मैं काम शुरू करना चाहता हूं। इसे start-up कहते हैं हरेक व्‍यक्ति दो-चार लोगों को रोजगार दे सकता है, नई चीजों का निर्माण कर सकता है और अपने इलाके की उपयोगिता को पूरी कर सकता है। हमने आने वाले दिनों में start-up के लिए एक बड़ी योजना पूरे देश में लगाने का निर्णय किया है। लेकिन मैंने पूरे देश में आर्थिक मदद करने वाली बैंकों,financial Institute,हिंदुस्‍तान के नौजवानों को start-up के लिए मदद करे यह तो कहा ही है लेकिन साथ-साथ मैंने एक विशेष बात कही है कि आप हर बैंक में से 50 नौज्‍वानों को दें, 100 नौजवानों को दें 25 नौजवान को दें जो भी कर सकते हैं करें। लेकिन हर बैंक कम से कम अपनी एक बैंक के पैसों से एक दलित पीडि़त को start-up के लिए पैसे दें। उसको उद्योगकार बनाए और मेरा एक दलित मां का बेटा, एक मेरा आदिवासी मां का बेटा अगर छोटा सा भी एक कारखाना लगा देता है। एक-दो लोगों को रोजगार देता है, तो मेरे पिछड़े हुए भाईयों को फिर कभी भी किसी की सूरत देखने के लिए जाना नहीं पड़ेगा। और इसलिए भाईयों-बहनों, सिर्फ Skill Development नहीं, एक सम्‍पूर्ण चक्र उसको ले करके हम काम कर रहे हैं।

आपने देखा होगा आजादी के 60 साल से भी अधिक समय हो गया, 70 साल पर के हम दरवाजे पर दस्‍तक देने वाले हैं। हमने कृषि विकास, ज्‍यादा अन्‍न कैसे पैदा हो, ज्‍यादा अन्‍न कैसे उपजाऊ करें इस विषय की तो चर्चा बहुत की, लेकिन मेरे किसान का हाल क्‍या है इस पर तो कभी सोचा नहीं। कृषि की तो चिन्‍ता की, किसान छूट गया। मुझे बताइए भाईयों-बहनों, किसान का कल्‍याण किए बिना कृषि का कल्‍याण हो सकता है? कृषि के कल्‍याण के बिना किसान का कल्‍याण हो सकता है? दोनों का होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? आजादी के इतने सालों के बाद पहली बार हमारी सरकार ने फैसला किया है, और ये ही बिहार की धरती के सपूत श्रीमान राधामोहन जी के नेतृत्‍व में हम एक नया अभियान आरंभ करने जा रहे हैं जिसमें कृषि का तो कल्‍याण हो, किसान का भी कल्‍याण हो, और इसलिए कृषि और किसान कल्‍याण इस रूप से अब नया विभाग काम करेगा। मैं मानता हूं देशभर के किसानों के लिए आजादी के बाद इतनी उत्‍तम खबर इसके पहले कभी नहीं आई है।

भाईयों-बहनों, मैं पिछले दिनों बिहार आया था और मैंने कहा था कि बिहार की गिनती BIMARUराज्‍य में होती है, उसको हमने बाहर निकालना है, तो यहां के हमारे मुख्‍यमंत्री जी बहुत नाराज हो गए, उनको बहुत गुस्‍सा आया, ये मोदी होता क्‍या है जो बिहार को BIMARU राज्‍य कहें और उन्‍होंने डंके की चोट पर कहा कि अब बिहार BIMARUराज्‍य नहीं है। मान्‍य मुख्‍यमंत्री जी, आपके मुंह में घी-शक्‍कर, मैं आपकी इस बात को स्‍वीकार करता हूं और अगर बिहार BIMARUसे बाहर आ गया है तो सबसे ज्‍यादा खुशी मुझे होगी, पूरे हिन्‍दुस्‍तान को होगी भाई, और इसलिए मैं फिर एक बार कहता हूं माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने जो कहा है कि बिहार BIMARU राज्‍य नहीं है, अब वो BIMARU नहीं रहा है, इस बात का मैं स्‍वागत करता हूं।

मेरे बिहार के भइयों-बहनों, जिसको sharp intellect कहें, तेजस्विता कहें, जितनी शायद ‍बिहार के लोगों में है, और जगह पर उसको खोजना पड़ता है। परमात्‍मा ने आपको ये ताकत दी है। आप विलक्षण हैं तभी तो चाणक्‍य यहां पैदा हुए थे। आप तेजस्‍वी हैं।

भाइयों, बहनों मैं आपसे पूछना चाहता हूं, जिसने पेट भर खाना खाया हो, हर प्रकार की मिठाई मिल गई हो या हर प्रकार की चीजें मिल गई हों, पसन्‍द का हर खाना मिल गया हो, पेट भरा हो, तो कोई खाना मांगने के लिए जाएगा क्‍या? जरा बताइए ना कोई जाएगा क्‍या? अगर आपका पेट भरा है तो खाना मांगेंगे क्‍या? कोई व्‍यक्ति तंदुरूस्‍त है, बीमारी का नामो-निशान नहीं है, बहुत अच्‍छी नींद आती है, बहुत अच्‍छा खाना खाता है, ढेर सारा काम कर सकता है। जो तंदुरूस्‍त है वो कभी डॉक्‍टर के पास जाएगा क्‍या? बीमारी के लिए जाएगा क्‍या? जो बीमार होगा वही डॉक्‍टर के पास जाएगा ना? जो बीमार नहीं है वो कभी डॉक्‍टर के पास नहीं जाएगा ना? नहीं जाएगा ना?

भाईयों-बहनों, मैं हैरान हूं, एक तरफ तो कहते हैं हम BIMARUनहीं हैं दूसरी तरफ कहते हैं हमें ये तो, हमें वो दो, हमें ये चाहिए, हमें वो चाहिए। बिहार की जनता तय करे, बिहार की जनता तय करे।

भाईयों-बहनों, मैं पहले दिन से कह रहा हूं अगर हिन्‍दुस्‍तान को आगे बढ़ना है तो सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान के पश्चिमी राज्‍यों के विकास से देश आगे नहीं बढ़ सकता। देश को आगे बढ़ना है, तो हिन्‍दुस्‍तान के पूर्वी इलाकों को आगे बढ़ाना ही होगा। चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, चाहे आसाम हो, चाहे नॉर्थ-ईस्‍ट हो, चाहे उड़ीसा हो, जब तक इन राज्‍यों का भला नहीं होगा देश का कभी भला नहीं होने वाला।

भाईयों-बहनों, अब तक बिहार को दो पैकेज मिल चुके हैं। ज‍ब बिहार ओर झारखंड अलग हुए, तब अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उस विभाजन के कारण, उस विभाजन के कारण जो आवश्‍यकताएं थीं उसको ध्‍यान में रख करके 2003 में दस हजार करोड़ रुपयों का पैकेज दिया था,लेकिन भाईयों-बहनों, बाद में दिल्‍ली में सरकार बदल गई, हालात बदल गए और ये मुझे ऐसा सत्‍य कहना पड़ रहा है, ऐसा कड़वा सत्‍य कहना पड़ रहा है जो बिहार के लोगों को जानना जरूरी है। अटल बिहार वाजपेयी जी ने जो दस हजार करोड़ रुपयों का पैकेज घोषित किया था, 2013 तक दस हजार करोड़ रुपयों का खर्चा भी बिहार नहीं कर पाया था। एक हजार करोड़ रुपया उसमें बच गया था, सिर्फ नौ हजार करोड़ रुपये का खर्चा कर पाए थे। उसके बाद पिछले कुछ समय के पहले बिहार के अंदर एक राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया, क्‍या हुआ उसकी बात मैं कहना नहीं चाहता हूं। उस समय के यहां के मुख्‍यमंत्री इस राजनीतिक तूफान के बाद दिल्‍ली पहुंचे, दिल्‍ली में कौन सी सरकार थी आपको मालूम है, वहां पर बिहार के स्‍वाभिमान को दांव पर लगा दिया गया। राजनीतिक आश्रय के लेने के लिए बिहार के स्‍वाभिमान को छोड़ करके दिल्‍ली दरबार में गए, गिडि़गिड़ाए, इज्‍जत की खातिर कुछ दे दो, दे दो भईया दे दो। दिल्‍ली सरकार ने उस समय बिहार के साथ क्‍या किया वो मैं बताना चाहता हूं, मेरे भाईयों-बहनों। बिहार का स्‍वाभिमान क्‍या होता है, बिहार का आत्‍म-सम्‍मान क्‍या होता है, बिहार का गौरव क्‍या होता है। भाईयों-बहनों, दिल्‍ली सरकार ने उनको खुश रखने के लिए,अपने घर में भी कोई ज्‍यादा रोता है तो चॉकलेट दे देते हैं, बिस्किट दे देते हैं और वो भी जाकर के कह जाता है आ.. नहीं-नहीं मुझे चॉकलेट मिल गया, मुझे चॉकलेट मिल गया। दिल्‍ली सरकार ने इतने बड़े बिहार के स्‍वाभिमान के साथ खिलवाड़ किया और क्‍या दिया, सिर्फ 12 हजार करोड़ रुपया। कितना? 12 हजार करोड़ रुपया। उसमें भी एक हजार करोड़ रुपया,जो अटल जी के समय के लटके पड़े थे, वो भी जोड़ दिया। मतलब दिया सिर्फ 11 हजार करोड़। और वो भी दिया नहीं, कागज के पकड़ा दिया गया कि लो।

भाईयों-बहनों, ये हिसाब इस सरकार का कार्यक्रम है, जनता-जनार्दन को देना मेरा दायित्‍व बनता है। मुझे कहना चाहिए कि नहीं कहना चाहिए? आपके हक की बात आपको बतानी चाहिए कि नहीं बतानी चाहिए? सत्‍य लोगों के सामने रखना चाहिए कि नहीं रखना चाहिए? 1 हजार अटल जी वाले 11 उनके, 12 हजार करोड़ की घोषणा हुई और मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कि इसमें से अब तक सिर्फ 4 हजार करोड़ रुपया खर्च हुआ। 12 हजार में से कितना? कितना?भाईयों-बहनों, ये 4 हजार में भी 2013 में, 2014 में मामूली खर्चा हुआ। इन 11 हजार करोड़ का खर्चा भी दिल्‍ली में आपने मुझे जिम्‍मेवारी दी, उसके बाद ज्‍यादा खर्चा हुआ, उसके पहले वो भी नहीं हुआ था। और उस समय का भी 8 हजार करोड़ रुपया अभी भी डब्‍बे में पड़ा, बंद पड़ा है जी। मुझे बताइए ये ऐसी कैसी सरकार है?8 हजार करोड़ रुपया अभी भी खर्च नहीं कर पाई है और इसलिए भाईयों-बहनों, अब तक दो पैकेज मिले हैं, एक 10 हजार करोड़ का, एक 12 हजार करोड़ का, और उसको भी खर्च नहीं कर पाए हैं।

लेकिन आज, आज मैं आपको मेरा वायदा निभाने आया हूं। जब मैं लोकसभा के चुनाव में आया था, तब मैंने वायदा किया था कि बिहार को 50 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया जाएगा। मैं पिछले दिनों बिहार आया, लेकिन मैं अपनी बात बता नहीं पाया था क्‍योंकि पार्लियामेंट चल रही थी। संसद की एक गरिमा होती है। हर सरकार के लिए संसद की गरिमा को बरकरार रखना उसका दायित्‍व होता है और मैंने अपनी वो संवैधानिक जिम्‍मेदारी निभाते हुए चुप रहना पंसद किया था। आया, कुछ बताए बिना चला गया। इसके लिए भी मेरे बाल नोच लिए गए, मेरे बाल नोच लिए गए। यहां तक कह दिया के ये कारण झूठा है, ये जनता की आंख में धूल झोंकने वाली बात है। भाईयों-बहनों, अभी तो चार दिन पहले संसद का सत्र समाप्‍त हुआ है, और आज मैं आरा की धरती से बिहार की जनता को मैं अपना वो वायदा पूरा करने आया हूं।

भाईयों-बहनों, जब मैंने जिम्‍मेवारी ली थी, उसके पहले मैं चुनाव में आया था, दिल्‍ली के कारोबार का मुझे पता नहीं था, बारीकियां मुझे मालूम नहीं थीं, लेकिन मैंने आ करके बारीकियों को देखा। मेरे बिहार का भला करने के लिए क्‍या करना चाहिए, एक-एक चीज को छान मारा और मुझे लगा 50 हजार करोड़ से कुछ नहीं होगा। और आज मेरे बिहार के भाईयों-बहनों, आज मैं आरा की धरती सेभाईयों-बहनों, आज मैं बाबू वीर कुंवर सिंह की पवित्र धरती से, जयप्रकाश नारायण जी के आशीर्वाद से राजनीतिक जीवन के हमने संस्‍कार पाए हैं। उस परिप्रेक्ष्‍य में जब आज में खड़ा हूं तब मैं आज बिहार के पैकेज की घोषणा यही से करना चाहता हूं। करूं, करूं, 50 हजार करूं कि ज्‍यादा करूं, 60 हजार करूं कि ज्‍यादा करूं, 70 हजार करूं कि ज्‍यादा करूं, 75 हजार करूं कि ज्‍यादा करूं 80 हजार करूं कि ज्‍यादा करूं, 90 हजार करूं कि ज्‍यादा करूं। मैरे भाईयों-बहनों मैं आज वादा करता हूं दिल्‍ली सरकार.. कान बराबर ठीक रख करके सुन लीजिए, दिल्‍ली सरकार सवा लाख करोड़ रुपये का पैकेज देगी। सवा लाख करोड़ रुपया बिहार का भाग्‍य बदलने के लिए, सवा लाख करोड़ रुपये मेरे भाईयों-बहनों मैं आपका मिज़ाज देख रहा हूं। हर कोई  खड़ा हो गया है। आप मुझे आशीर्वाद दीजिए, आप मुझे आशीर्वाद दीजिए मेरे भाईयों-बहनों। सवा लाख करोड़ रुपया, बिहार का भाग्‍य बदलने के लिए।

भाईयों-बहनों बात यहीं पर रूकेगी नहीं। मेरे भाईयों-बहनों यह सवा लाख करोड़ का तो पैकेज दिया जाएगा, लेकिन जो कुछ काम चल रहे हैं, जो काम शुरू हो चुके हैं लेकिन जिसमें अभी खर्चा नहीं हुआ है, हुआ है तो बहुत कम हुआ है। जैसे मैंने कहा था पुरानी सरकार का 12 हजार करोड़ का पैकेज था। उसमें 8,282 करोड़ रुपया, करीब-करीब 8000 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा वो अभी बाकी पड़ा है। राष्‍ट्रीय राजमार्गों में बनाने में 12 हजार करोड़  रुपये  के काम चल रहे हैं। बाका में public private बिजली का कारखाना  लगने वाला है। 20,000 करोड़  रुपया  से अगर मैं इनको  जोंडू, तो वो रकम बनती है 40,657 करोड़  रुपया और इसलिए सवा लाख करोड़  के अतिरिक्‍त, सवा लाख करोड़  के उपरांत यह 40,000 करोड़ रुपया भी बिहार के विकास के लिए जोड़ा  जाएगा। सवा लाख plus 40,000 करोड़ और हो गया total 1,65,000 करोड़ रुपया मेरे भाईयों-बहनों। 1,65,000 करोड़ रुपया। अब मुझे बताइये न दिल्‍ली की सरकार पहले थी, उनमें धरती पर काम करने की ताकत थी, न बिहार को मिला पैसा उपयोग कर पाएं। मैं आपको वादा करता हूं मैं इसको लागू करके रहूंगा मेरे भाईयों बहनों, लागू करके रहूंगा।

भाईयों-बहनों हमारे देश को अगर समस्‍याओं से मुक्‍त करना है, तो विकास के रास्‍ते से ही किया जा सकता है। नौजवान को रोजगार देना है तो विकास से ही मिलेगा, किसान का भला करना है तो विकास से होगा, गांव का भला  करना है तो विकास से होगा, हमारे देश से गरीबी से मुक्ति करनी है तो विकास से ही होगा और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों विकास के लिए बिहार को एक नई ताकत मिले, बिहार विकास की नई ऊंचाईयों को पार करें। पूर्वी हिंदुस्‍तान को आगे बढ़ाने में बिहार एक अहम भूमिका निभाएं इसलिए पुरानों में से 40,000 करोड़ और नये में से सवा लाख करोड़, 1 लाख 65 हजार करोड़ आज आपके चरणों में घोषित करते हुए मुझे आनंद होता है। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 पूरी मुट्ठी से बंद करके बोलिए भारत माता की जय। आज तो ताकत जोरों में होनी चाहिए। होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?

भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल के सभी साथी, उपस्थित माननीय सांसदगण, सरकार के सभी कर्मचारी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

क्रांति का महीना अगस्त, और 15 अगस्त से पहले ये ऐतिहासिक अवसर, हम एक के बाद एक आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। यहां राजधानी दिल्ली में ही कर्तव्य पथ, देश का नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम्, यशोभूमि, शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल, नेताजी सुभाष बाबू की प्रतिमा और अब ये कर्तव्य भवन। ये केवल कुछ नए भवन और सामान्य इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं, अमृतकाल में इन्हीं भवनों में विकसित भारत की नीतियां बनेंगी, विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण निर्णय होंगे, आने वाले दशकों में यहीं से राष्ट्र की दिशा तय होगी। मैं आप सभी को, और सभी देशवासियों को कर्तव्य भवन की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मैं इसके निर्माण से जुड़े सभी इंजीनियर्स और सभी श्रमिक साथियों का भी आज इस मंच से धन्यवाद करता हूँ।

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साथियों,

हमने इस इमारत को बहुत मंथन के बाद ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया है। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन, ये नाम हमारे लोकतंत्र की, हमारे संविधान की मूल भावना का उद्घोष करते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- न मे पार्थ अस्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन, नान-वाप्तं अ-वाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि॥ अर्थात्, हमें क्या प्राप्त करना है, क्या प्राप्त नहीं करना है, इस सोच से ऊपर उठकर हमें कर्तव्य भाव से कर्म करना चाहिए। कर्तव्य, भारतीय संस्कृति में ये शब्द केवल दायित्व या responsibility तक सीमित नहीं हैं। कर्तव्य, हमारे देश के कर्मप्रधान दर्शन की मूल भावना है। स्व की सीमा से परे, सर्वस्व को स्वीकार करने की विराट दृष्टि, यही कर्तव्य की वास्तविक परिभाषा है। और इसलिए, कर्तव्य, ये सिर्फ इमारत का नाम भर नहीं है। ये करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने की तपोभूमि है। कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है। करुणा और कर्मठता के स्नेह सूत्र में बंधा कर्म, वही तो है - कर्तव्य। सपनों का साथ है- कर्तव्य, संकल्पों की आस है- कर्तव्य, परिश्रम की पराकाष्ठा है- कर्तव्य, हर जीवन में ज्योत जला दे, वो इच्छाशक्ति है- कर्तव्य। करोड़ों देशवासियों के अधिकारों की रक्षा का आधार है- कर्तव्य, मां भारती की प्राण-ऊर्जा का ध्वजवाहक है- कर्तव्य, नागरिक देवो भव: के मंत्र का जाप है- कर्तव्य, राष्ट्र के प्रति भक्ति भाव से किया हर कार्य है- कर्तव्य।

साथियों,

आजादी के बाद दशकों तक देश की Administrative machinery उन बिल्डिंगों से चलाई जाती रही है, जो ब्रिटिश शासनकाल में बनी थी। आप भी जानते हैं, दशकों पहले बने इन प्रशासनिक भवनों में वर्किंग कंडीशन कितनी खराब, और अभी video में कुछ झलक भी देखी हमने। यहाँ काम करने वालों के लिए ना पर्याप्त स्पेस है, ना रोशनी है, ना जरूरी वेंटिलेशन है। आप कल्पना कर सकते हैं, होम मिनिस्ट्री जैसी महत्वपूर्ण मिनिस्ट्री करीब 100 साल से एक ही बिल्डिंग में अपर्याप्त संसाधनों के साथ चल रही थी। इतना ही नहीं, भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालय, दिल्ली के 50 अलग-अलग जगहों से चल रहे हैं, इनमें से बहुत सारे मंत्रालय तो किराए की बिल्डिंग में हैं। इनके किराए पर जितने रुपए खर्च हो रहे थे, वो अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। और वैसे पूरा हिसाब लगाए तो बहुत बड़ा है, लेकिन अगर मोटा-मोटा हिसाब लगाए तो डेढ़ हजार करोड़ रुपया प्रति वर्ष इसमें जाता है। इतनी बड़ी राशि भारत सरकार अलग-अलग मंत्रालयों के सिर्फ किराए पर खर्च कर रही है। इसके अलावा एक और दिक्कत। काम की वजह से स्वभाविक है कि कर्मचारियों का यहां से वहां आना-जाना भी होता है, अनुमान है कि हर रोज 8 से 10 हजार कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में आना-जाना पड़ता है। अब इसमें भी सैकड़ों गाड़ियों का मूवमेंट होता है, खर्च होता है, सड़कों पर traffic बढ़ता है, कितना समय खराब होता है, और इन सबसे काम में भी inefficiency के सिवाय कुछ नहीं रहता है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक व्यवस्थाएं चाहिए, इमारतें भी चाहिए। ऐसी इमारतें जो टेक्नोलॉजी, सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से बेहतरीन हो। जहां कर्मचारी सहज हों, फैसले तेज हों, और सेवाएं सुगम हों। इसलिए कर्तव्य पथ के आसपास एक holistic विज़न के साथ कर्तव्य भवन जैसी विशाल इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। ये तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है, अभी कई कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से चल रहा है। ये ऑफिसेस जब आस-पास शिफ्ट होंगे, नजदीक-नजदीक हो जाएगी, तो इससे कर्मचारियों को सही work environment मिलेगा, जरूरी सुविधाएं मिलेंगी, उनका total work output भी बढ़ेगा। और सरकार जो डेढ़ हजार करोड़ रुपए किराए पर खर्च कर रही है, वो भी बचेगा।

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साथियों,

कर्तव्य भवन की ये भव्य बिल्डिंग, ये सभी प्रोजेक्ट्स, नए डिफेंस कॉम्प्लेक्स, देश के तमाम बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, ये देश के pace का सबूत तो हैं ही, ये भारत के वैश्विक विज़न का प्रतिबिंब भी हैं। हम दुनिया को जो विज़न दे रहे हैं, भारत खुद उन्हें किस तरह अंगीकार कर रहा है। ये हमारे इंफ्रास्ट्रक्चर development में दिखाई दे रहा है। हमने दुनिया को मिशन LiFE दिया, हमने One Earth, One Sun, One Grid का आइडिया विश्व के सामने रखा, ये वो विज़न हैं, जिनसे मानवता के भविष्य की उम्मीद जुड़ी है। आज आप देख सकते हैं, कर्तव्य भवन जैसे हमारे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ये ऐसे इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, जिनकी आत्मा, Pro-people है। और इनका स्ट्रक्चर pro-planet है। कर्तव्य भवन में भी रूफटॉप पर सोलर पैनल्स लगाए गए हैं, वेस्ट मैनेजमेंट के लिए advanced systems को इसमें integrate किया गया है। ग्रीन बिल्डिंग्स का विज़न अब भारत में विस्तार ले रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार, एक होलिस्टिक विजन के साथ भारत के नव-निर्माण में जुटी है। देश का कोई भी हिस्सा आज विकास की धारा से अछूता नहीं है। अगर दिल्ली में संसद की नई इमारत बनी है, तो देश में 30 हजार से ज्यादा पंचायत भवन भी बने हैं। आज यहां एक ओर कर्तव्य भवन जैसी बिल्डिंग बन रही है, तो साथ ही गरीबों के लिए 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर भी बनाए गए हैं। यहां नेशनल वॉर मेमोरियल बना है, पुलिस मेमोरियल बना है, तो देश में 300 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज भी बनाए गए हैं। यहां भारत मंडपम बना है, तो देश में 1300 से ज्यादा नए अमृत भारत रेलवे स्टेशंस भी बनाए जा रहे हैं। यहां बने यशोभूमि की भव्यता पिछले 11 साल में बने करीब 90 नए एयरपोर्ट में भी नजर आती है।

साथियों,

महात्मा गांधी कहते थे, अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कर्तव्य के पालन से ही हमारे अधिकारों को बल मिलता है। हम नागरिक से कर्तव्य की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन सरकार के तौर पर हमारे लिए भी कर्तव्य सर्वोपरि है। और जब कोई सरकार अपने कर्तव्यों को गंभीरता से पूरा करती है, तो वो गवर्नेंस में भी नजर आता है। आप सभी जानते हैं, पिछला एक दशक देश में Good Governance का दशक रहा है। Good governance और विकास की धारा reforms की गंगोत्री से ही निकलती है। Reforms एक consistent और time bound process है। इसलिए देश ने लगातार बड़े reforms किए हैं। हमारे reforms consistent भी हैं, dynamic भी हैं, और दूरदर्शी भी हैं। सरकार और जनता के बीच संबंधों को बेहतर बनाना, Ease of Living को बढ़ाना, वंचितों को वरीयता, महिलाओं का सशक्तिकरण, सरकार की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना, देश लगातार इस दिशा में innovative तरीके से काम कर रहा है। हमें गर्व है कि पिछले 11 साल में देश ने एक ऐसी शासन प्रणाली विकसित की है, जो पारदर्शी है, संवेदनशील है, और सिटिजन सेंट्रिक है।

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साथियों,

मैं दुनिया के जिस भी देश में जाता हूं, वहां जन-धन, आधार और मोबाइल, JAM त्रिनिटी की बहुत चर्चा होती है। दुनियाभर में इसकी प्रशंसा होती है। इसने भारत में सरकारी योजनाओं की डिलीवरी को ट्रांसपेरेंट और लीकेज फ्री बना दिया है। आज कोई भी ये जानकर हैरान रह जाता है कि देश में राशन कार्ड हो, गैस सब्सिडी पाने वाले हों, स्कॉलरशिप्स हों, ऐसी अलग-अलग योजनाओं के करीब 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, ये आंकड़ा सुनकर के चौंक जाओगे, 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, जिनका कभी जन्म ही नहीं हुआ था। इनके नाम पर पहले की सरकारें पैसे भेज रही थीं, और वो पैसा इन फर्जी लाभार्थियों के नाम पर बिचौलियों के खाते में जा रहा था। इस सरकार में इन सभी 10 करोड़ फर्जी नामों को हटा दिया गया है। और अभी ताजा आंकड़ा है कि इससे देश के 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा, ये पैसे गलत हाथों में जाने से बचे हैं। आप कल्पना करिए, 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपए की चोरी, अब ये पैसा देश के विकास में काम आ रहा है। मतलब, लाभार्थी भी खुश हैं, और देश का संसाधन भी बचा है।

साथियों,

सिर्फ करप्शन और लीकेज ही नहीं, अनावश्यक नियम कायदे भी, नागरिकों को परेशान करते थे। इनसे सरकार की decision making process, slow होती थी। इसलिए हमने 1500 से ज्यादा पुराने कानून समाप्त कर दिए। कई कानून तो अंग्रेज़ों के जमाने के थे, जो इतने दशकों बाद भी रोड़ा बने हुए थे। हमारे यहां क़ानूनों के कंप्लायन्स का भी बहुत बड़ा बर्डन रहा है। कोई भी काम शुरु करना हो, तो दर्जनों कागज़ देने पड़ते थे। पिछले 11 साल में 40 हज़ार से अधिक कंप्लायंसेस को खत्म कर दिया गया है। और ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है, अभी भी लगातार जारी है।

साथियों,

यहां भारत सरकार के वरिष्ठ सचिव भी मौजूद हैं, आप इस बात से परिचित हैं कि पहले कितने विभागों और मंत्रालयों में किस तरह जिम्मेदारियों और अधिकारों की overlapping होती थी। इससे decisions अटक जाते थे, काम अटक जाता था। हमने अलग-अलग विभागों को जोड़कर डुप्लिकेशन खत्म किया। कुछ मंत्रालय को merge किया गया। जहां जरूरत थी, वहाँ नए मंत्रालय भी बनाए गए, वॉटर सेक्योरिटी सुरक्षित करने के लिए जलशक्ति मंत्रालय बना, सहकारिता आंदोलन को सशक्त करने के लिए सहकारिता मंत्रालय बना, पहली बार फिशरीज़ का अलग मंत्रालय बनाया गया। हमारे नौजवानों के लिए skill development ministry बनी, इन फैसलों से आज सरकार की efficiency भी बढ़ी है, delivery भी तेज हुई है।

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साथियों,

हम सरकार के वर्क-कल्चर को भी अपग्रेड करने के लिए काम कर रहे हैं। मिशन कर्मयोगी, i-GOT जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म, हमारे government employees को इनके ज़रिए आज technically empower किया जा रहा है। ई-ऑफिस, फाइल ट्रैकिंग, डिजिटल अप्रूवल, एक ऐसी व्यवस्था बन रही है, जो फास्ट भी है, और traceable भी है।

साथियों,

जब हम किसी नए घर में जाते हैं, तो हमारे भीतर एक नया उत्साह होता है, हमारी ऊर्जा पहले से कई गुना ज्यादा हो जाती है। अब आप उसी जोश के साथ इस नए भवन में अपने दायित्वों को आगे बढ़ाएंगे। आप जिस किसी भी पद पर हैं, आप अपने कार्यकाल को यादगार बनाने के लिए काम करिएगा। जब आप यहां से जाएं, तो ये लगना चाहिए कि आपने देशसेवा में अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया है।

साथियों,

हमें फाइलों को लेकर अपने नजरिए को भी बदलने की जरूरत है। एक फाइल, एक शिकायत, एक आवेदन, ये देखने में बस एक रोजमर्रा का काम लग सकता है। लेकिन किसी के लिए वही एक कागज़, उनकी उम्मीद हो सकता है, एक फ़ाइल से कितने ही लोगों का पूरा जीवन जुड़ा हो सकता है। अब जैसे कोई फ़ाइल जो 1 लाख लोगों से जुड़ी है, अगर आपकी टेबल पर वो एक दिन भी delay होती है, तो उससे 1 लाख मानव दिवसों का नुकसान होता है। जब आप इस नजरिए से अपने काम को देखेंगे, तो आपको भी लगेगा, किसी भी सुविधा या सोच से ऊपर ये सेवा का कितना बड़ा अवसर है। आप अगर कोई नया idea generate करते हैं, तो हो सकता है, आप एक बड़े बदलाव की नींव रख रहे हों। कर्तव्य की इसी भावना के साथ हम सबको हमेशा राष्ट्र निर्माण में जुटे रहना है। हम सबको ये हमेशा याद रखना है- कर्तव्य की कोख में ही पलते हैं विकसित भारत के सपने।

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साथियों,

वैसे आज ये आलोचना का अवसर नहीं है, लेकिन ये अवसर आत्ममंथन का जरूर है। कितने ही देश जो हमारे साथ-साथ आजाद हुए थे, वो इतनी तेजी से आगे बढ़ गए। लेकिन, भारत तब उस गति से आगे नहीं बढ़ पाया, अनेक वजहें रहीं होगी । लेकिन अब हमारा दायित्व है कि हम समस्याओं को आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़कर के न जाएँ। पुराने भवनों में बैठकर हमने जो निर्णय लिए, जो नीतियाँ बनाईं, उनसे 25 करोड़ देशवासियों को गरीबी से निकालने का हौसला मिला। 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर आना, ये एक बहुत बड़ी सिद्धि है, लेकिन मैं हर काम के बाद भी कुछ न कुछ नया ही सोचता रहता हूं। अब नए भवनों में, ज्यादा efficiency के साथ, हमारी efficiency बढ़ाकर के, जितना ज्यादा हम देश को दे सकते हैं, उस मिजाज से इस भवन में हम वो काम करके दिखाएंगे कि भारत को गरीबी से पूरी तरह मुक्त करना है। इन्हीं भवनों से विकसित भारत का सपना साकार होगा। ये लक्ष्य हम सबके प्रयासों से ही पूरा होगा, हमें मिलकर भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाना है। हमें मिलकर मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की सक्सेस स्टोरी लिखनी है। हमारा संकल्प होना चाहिए, हम अपनी और देश की productivity को स्केल-अप करेंगे। जब टूरिज़्म की बात हो, पूरी दुनिया से लोग भारत आएं, जब brands की बात हो, तो दुनिया की नज़र इंडियन ब्रांड्स पर जाए, जब एजुकेशन की बात हो, तो विश्व से स्टूडेंट्स भारत आएं। हम भारत की ताकत को बढ़ाने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं, ये भी हमारे जीवन का ध्येय होना चाहिए।

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साथियों,

जब सफल राष्ट्र आगे बढ़ते हैं, तो अपनी सकारात्मक विरासत को त्यागते नहीं हैं। वो उसे संरक्षित करते हैं। आज ‘विकास और विरासत’ के इसी विज़न पर हमारा भारत आगे बढ़ रहा है। नए कर्तव्य भवन के बाद ये नॉर्थ और साउथ ब्लॉक भी भारत की महान विरासत का हिस्सा बनेंगे। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को देश की जनता के लिए 'युगे युगीन भारत’, इस संग्रहालय के रूप में बदला जा रहा है। देश का हर नागरिक यहाँ जा सकेगा, देश की ऐतिहासिक यात्रा के दर्शन कर सकेगा। मुझे विश्वास है, हम सब भी यहाँ भी, हम सब यहाँ की विरासत को, यहाँ की प्रेरणाओं को साथ लेकर कर्तव्य भवन में प्रवेश करेंगे। मैं एक बार फिर देशवासियों को कर्तव्य भवन की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।