I thank all the people of Sarsawa for having joined the programme at such a short notice: PM
Uttar Pradesh has the potential to change the fortune of India: PM Modi
Govt of India is dedicated to the welfare of sugarcane farmers: PM
Congress' anti-poor mind-set and negative politics is responsible for their fall: PM
Congress has let down the spirit of democracy by not letting the Parliament function: PM
The more dirt is thrown at us, the more the Lotus will bloom: PM Narendra Modi
Govt at Centre is dedicated to development and welfare of entire nation: PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय  

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी डॉ. संजीव बालियान जी, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्रीमान भूपेन्द्र सिंह जी, हमारे वरिष्ठ सांसद श्रीमान हुकुम सिंह जी, सांसद श्री राघव लखन पाल जी, और विशाल संख्या में आये हुए मेरे प्यारे भाईयों और बहनों

जब मैं 2014 में चुनाव अभियान चला रहा था तो बार-बार इस एयरपोर्ट पर आकर के जाना पड़ता था। आज मैं ऋषिकेश जा रहा था और सिर्फ 24 घंटे पहले तय किया कि मैं यहाँ उतर करके फिर जाऊंगा और 24 घंटे के भीतर-भीतर आपने जो पराक्रम किया है, ये जनसैलाब मैं देख रहा हूँ... चुनाव चलते हो, 15 दिन मेहनत की हो, तब भी इतनी बड़ी रैली कभी नहीं हो सकती। आपने गजब किया है। जब मुझे पूछा गया तो मैंने कहा कि ठीक है, 5 मिनट एयरपोर्ट के बाहर नमस्ते करके जाएंगे लेकिन इस दृश्य की तो मैंने कल्पना तक नहीं की थी; यहाँ आने के बाद मैं देख रहा हूँ। इस गर्मी में आप लोगों ने जो तपस्या की है, जो कष्ट उठाया है; मैं आपको सिर झुकाकर नमन करता हूँ।

उत्तरप्रदेश ने मुझे भरपूर प्यार दिया है और मेरा ये विश्वास है कि आने वाले दिनों में हिंदुस्तान का भाग्य भी उत्तरप्रदेश ही बदलने वाला है। अपार संभावनाओं से भरा हुआ प्रदेश है; विकास की नई उंचाईयों तक पहुँचने की ताकत रखने वाला ये प्रदेश है। आपने देखा होगा कि सरकार गाँव, गरीब, किसान, सबकी भलाई के लिए एक के बाद एक निर्णय करती चली जा रही है। दिल्ली में ये सरकार ऐसी है जो सिर्फ योजनाओं की घोषणा ही नहीं करती बल्कि योजनाओं को लागू करती है। हमारे इस इलाके में हमारे गन्ना किसान, उनपर जो बीतती है... हमने एक ऐसा निर्णय किया जिससे मिल मालिकों को तकलीफ़ हो रही है। हमने कहा कि हम 6000 करोड़ रूपये का पैकेज देंगे और सरकार ने 6000 करोड़ रूपये का पैकेज दिया लेकिन हमने कहा कि ये 6000 करोड़ रूपये जन-धन अकाउंट के द्वारा सीधे गन्ना किसानों तक पहुँचाओगे, तभी देंगे और अगर मिल वाले रखेंगे तो नहीं देंगे। मेरे गन्ना किसान के भाईयों-बहनों, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं बराबर इस बात पर लगा हूँ कि गन्ना किसान के पास पैसा पहुंचना चाहिए; सिर्फ सुगर मिल के लोगों के पास पैसा पड़ा रहे, ये पुराना कारोबार अब नहीं चलेगा।

हमने एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है और वह महत्वपूर्ण निर्णय है – चीनी को निर्यात करने का और इसमें जो मदद चाहिए होगी, हम वो मदद देंगे ताकि पैसे मिले और गन्ना किसानों को पैसे बांटे जा सकें। एक और महत्वपूर्ण निर्णय हमने किया है कि सालों से जो पेट्रोल लॉबी हुआ करती थी, वो करने नहीं देती थी अब हमने तय किया है कि पेट्रोल के अंदर 10% एथेनॉल मिलाया जाएगा। ये एथेनॉल सुगर केन (गन्ना) से निकलता है और हर दो साल के बाद जो मिलें बंद हो जाती हैं, किसान का गन्ना कोई लेता नहीं है; अब ये 10% गन्ना की खरीद होगी, गन्ने पर काम होगा और किसानों को लाभ मिलेगा। बहुत बड़ा फ़ैसला हमने किया है। पहले पेट्रोल लॉबी ये काम करने नहीं देती थी।

भाईयों-बहनों, हिंदुस्तान की पॉलिटिकल पार्टियां, सभी राज्य सरकारें...हमारी जब सरकार बनी थी तो उन्होंने आकर के कहा कि अगर हमारे राज्य का विकास करना है तो ये भूमि अधिग्रहण बिल की जो गलतियां हैं, उन्हें ठीक करना चाहिए, इसलिए इन गलतियों को जरा ठीक कर दीजिए। भारत सरकार राजनीतिक तरीकों से नहीं सोच सकती, भारत सरकार राजनीतिक तराजू से हर चीज को नहीं तौल सकती। अब जब सभी राज्यों ने कहा, आग्रह किया और इसका दवाब डाला तो हमने कहा कि ठीक है, जो गलतियाँ हैं, हम उन्हें ठीक करेंगे। हम संसद में गए और अचानक जिनकी सरकारें कहती थी कि ये करो, उनके मुखियाओं ने मुंह फेर लिया। किसान को जो ज्यादा मुआवजा मिलना चाहिए, वो मामला दिसम्बर से लेकर अब तक लटका रहा।

मेरे किसान भाईयों-बहनों, अभी 15 दिन पहले हमने निर्णय कर दिया कि जिन 13 कानूनों में किसान को पूरा मुआवजा नहीं मिलता था, अब पूरा मुआवजा देने का निर्णय सरकार ने कर दिया। इस बार दलहन में हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया। उसका परिणाम ये हुआ है कि आज देश को दलहन विदेशों से लाना पड़ता है... हमने एमएसपी घोषित कर ज्यादा पैसा देना तय किया। मैं आज देश के किसानों के सामने सर झुकाना चाहता हूँ, नमन करना चाहता हूँ कि पहले से 110% उन्होंने दलहन में बढ़ोतरी कर दी और गरीब से गरीब व्यक्ति को दलहन मिले, इसलिए हमारे किसानों ने इस बार फसल में 110% काम किया है; मैं किसानों का अभिनंदन करना चाहता हूँ।

भाईयों-बहनों, आप जानते हैं कि दिल्ली में काम करने वाली सरकार है, तेज गति से काम करने वाली सरकार है। एक के बाद एक फैसले लेकर के लागू करने वाली सरकार है। लेकिन जो 400 से 40 पर आ गए हैं, ये अभी अपना पराजय पचा नहीं पा रहे हैं। इनको तो लगता है कि दिल्ली की गाड़ी तो इस देश की जनता ने उनके नाम लिखकर दी है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी एक ही परिवार देश चलाएगा, यही उनलोगों ने मान लिया है। वे मानते हैं कि दिल्ली की गद्दी पर उनका हक़ है। वे लोकतंत्र को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनको अभी तक पता नहीं चल रहा है और उनके दिमाग में इतना गुस्सा भरा है कि देश की जनता ने उन्हें हराया क्यों; देश की जनता ने उन्हें 400 से 40 पर लाकर खड़ा क्यों कर दिया।

मां को गुस्सा इसलिए आता है कि बेटा रह गया और बेटे को गुस्सा इसलिए आ रहा है कि हम इतने पढ़े-लिखे लोग, अंग्रेजी बोलने वाले लोग, दुनिया भर में बचपन से घूमने वाले लोग और ये चाय वाला; ये चाय वाला बैठ गया। वो ये पचा नहीं पा रहे हैं कि गरीब का बेटा दिल्ली की गद्दी पर तो क्या दिल्ली की गलियों में भी आये तो ये देखने के लिए तैयार नहीं हैं। इनकी जो ये गरीब विरोधी मानसिकता है, ये उसी का परिणाम है। आज भी देश की जनता ने जो फैसला किया है, चुनाव में जो निर्णय किया है, उसको स्वीकारने के लिए उनका मन तैयार नहीं है।

मैं कभी सोचता था कि 1975 में श्रीमती इंदिरा गाँधी की सीट चली गई, उनको प्रधानमंत्री पद छोड़ने की नौबत आ गई और आपने उनको अयोग्य घोषित कर दिया तो गुस्से में आकर उन्होंने आपातकाल घोषित कर दी; ऐसा मुझे लगता था। कुर्सी बचाने के लिए गुस्से में आकार के आपातकाल लाई होगी, लोगों को जेल में बंद कर दिया होगा लेकिन अब मुझे लगता है कि इनकी रगों में और इनके स्वभाव में सामंतशाही पड़ी हुई है और इसलिए ये किसी को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, लोकतंत्र को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, जनता-जनार्दन के आदेश को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

राजनीति में आदरणीय मुलायम सिंह जी भी हैं, मुलायम सिंह जी हमारे विरोधी हैं लेकिन उसके बावजूद वे लोकतंत्र की इज्ज़त करते हैं। संसद चले इसके लिए मुलायम सिंह जी रात-रात मेहनत करते रहे लेकिन इनलोगों ने संसद चलने नहीं दी। विरोध तो मुलायम सिंह जी हमारा करते हैं; मोदी की जितनी आलोचना हो सकती है, वे करते हैं लेकिन जब संसद और लोकतंत्र की बात आई तो मुलायम सिंह जी भी संसद के अन्दर संसद के नियमों, इसकी परंपरा और इसके मूल्यों के लिए खड़े हो गए। यही तो लोकतंत्र की ताकत होती है लेकिन ये हैं कि मानते नहीं। ये लोकतंत्र को मानते नहीं, ये अपने पराजय को मानते नहीं, ये किसी के विजय को मानते नहीं।

भाईयों-बहनों, 125 साल पुरानी आज देश के लोकतंत्र के लिए खतरा बनी हुई है। ये लोकतंत्र को मानने और चलने देने के लिए तैयार नहीं है। मैं कांग्रेस के नेताओं को चेतावनी देना चाहता हूँ कि देश की जनता ने आपको नकार क्यों दिया, उसका आप आत्मचिंतन करो; 400 से 40 कैसे हो गए, इसका घर में बैठकर हिसाब करो, मोदी को गाली देने से 40 से बढ़ नहीं सकते। कांग्रेस पार्टी की नकारात्मक और विरोधियों को ख़त्म करने की राजनीति... यही कांग्रेस को आज महंगा पड़ रहा है। उन्होंने संसद चलने नहीं दी, एक काम होने नहीं दिया, देश का पैसा बर्बाद किया, चुनी हुई सरकार और लोकतंत्र को अपमानित किया और ये सब करने के बाद पाया क्या? मध्यप्रदेश में चुनाव हुआ अभी, कुछ महीनों पहले चुनाव हुआ और उसमें कांग्रेस पार्टी साफ हो गई। अभी राजस्थान में चुनाव हुआ और वहां भी कांग्रेस पार्टी साफ हो गई। स्थानीय निकायों के चुनाव हार गए और बेंगुलुरु में चुनाव हुआ, वहां भी बुरे हाल हो गए उनके। और इसलिए कानून तोड़-मरोड़ करके बेंगुलुरु पर कब्ज़ा करने का षडयंत्र किया गया।

भाईयों-बहनों, अब देश बदल चुका है, नौजवान जाग चुका है। अब हिंदुस्तान का नौजवान नकारात्मक राजनीति को स्वीकार नहीं करता है। अगर कांग्रेस पार्टी जनता के दिलों में जगह बनाना चाहती है तो सकारात्मक राजनीति करे, अपनी लकीर लंबी करे, जनता के लिए चार अच्छे काम करे; ये लोकतंत्र है, जनता आपको माफ़ कर सकती है लेकिन अगर नकारात्मक राजनीति करोगे तो जितनी ज्यादा करोगे... मैंने चुनाव में इस परिवार को कहा था कि बहुत हो चुका... “जितना ज्यादा कीचड़ उछालोगे, उतना ही ज्यादा कमल खिलेगा” और इसलिए आईये, हम जन-जन तक पहुंचें; सकारात्मक राजनीति पर बल दें; गरीबों के कल्याण के लिए काम करें; भारत सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाएं, चाहे बीमा का काम हो, चाहे अटल पेंशन योजना हो, चाहे जन-धन योजना हो, चाहे गरीबों को देने वाले गैस सिलिंडर हों; हर गरीब की भलाई के काम में हमारा कार्यकर्ता जुड़ जाए और देश के सामान्य लोगों के जीवन में बदलाव आए, इसके लिए पूरी ताकत लगाएं। मैं फिर एक बार आप सबका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ। 24 घंटे से भी कम समय में आपने ये जिस शक्ति का परिचय करवाया, ये जनसैलाब का जो दर्शन मुझे करवाया है, इतनी बड़ी तादाद में आकर के आपने जो आशीर्वाद दिये हैं, मैं फिर एक बार उत्तरप्रदेश और यहाँ की जनता को नमन करता हूँ।   

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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શ્રી રામ જન્મભૂમિ મંદિર ધ્વજારોહણ ઉત્સવ દરમિયાન પ્રધાનમંત્રીના સંબોધનનો મૂળપાઠ

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‘Restoring Balance’ is a global urgency: PM Modi highlights global health challenges at WHO Global Summit on Traditional Medicine
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
Through India’s initiative and the support of over 175 nations, the UN proclaimed 21 June as International Yoga Day; over the years, yoga has spread worldwide, touching lives across the globe: PM
The inauguration of the WHO South-East Asia Regional Office in Delhi marks another milestone. This global hub will advance research, strengthen regulation & foster capacity building: PM
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
Restoring balance is no longer just a global cause-it is a global urgency, demanding accelerated action and resolute commitment: PM
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।