PM Modi interacts with students from across the country from Srinagar

Published By : Admin | February 3, 2019 | 20:17 IST
QuoteIndia is the fastest growing large economy in the world: PM Modi
QuoteDigital world has had a very positive impact on governance. It has made systems transparent: PM
QuoteTourism has grown in the recent years: PM Modi

प्रश्‍न - Dear honorable Prime Minister I am K. Deepika pursuing B.A. Journalism Final year from government degree college for women Begumpet Hyderabad, Telangana. Sir we have seen many initiatives for education in the last five years. Are you satisfied with your efforts in the education sector? Thank you for giving me this opportunity.

एंकर - ह‍मने पिछले पांच सालों में शिक्षा के क्षेत्र में कई नए initiatives देखें हैं क्‍या आप education sector में आपके प्रयासों से संतुष्‍ट है। माननीय कृपया बताएं।

प्रधानमंत्री : मैं आपका आभारी हूं इस सवाल के लिए और देश भर में करीब ढाई करोड़ युवकों के साथ मुझे बातचीत करने का मौका मिला है। Thanks to technology. एक ही चीज को दो तरीके से देखा जा सकता है। जहां तक प्रयास का सवाल है मुझे इस बात का संतोष है कि हम सही दिशा में है। हम निश्चित टाइम टेबल के साथ आगे बढ़ रहे हैं और दुनिया में शिक्षा की जो मानदंड बने हैं। उस ग्‍लोबल standard को हम achieve करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे देश के उन सब नौजवानों को ये अवसर मिलना चाहिए अगर वो जिंदगी में शिक्षा के जिस क्षेत्र में जाना चाहता है। सरकार का एक काम है कि उन व्‍यवस्‍थाओं को विकसित करे। आधुनिक भारत के लिए जिस प्रकार के institutions की रचना होनी चाहिए। उसको हम बल दे रहे हैं।

IIT हो IIM हो उसके विस्‍तार के लिए बहुत तेजी से काम चल रहा है। उसी प्रकार से skill development एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जिस पर हम बल दे रहे हैं। हमारी ये कोशिश है कि हमारे देश के नौजवान आज बहुत बड़ी मात्रा में शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए विदेश जाते हैं। अरबों, खरबों रुपया हमारा विदेश चला जाता है। हम ऐसी शिक्षा व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण करें। जिससे हमारे देश के लोग बाहर जाएं उसके बजाए दुनिया के देश के लोग भारत में आए। इस सपने को लेकर के मैं काम कर रहा हूं। जहां तक दिशा का सवाल है मैं बहुत ही संतुष्‍ट हूं। साढ़े चार साल के कम कार्यकाल में जितना काम हुआ है। मैं क्‍या, कोई भी संतुष्‍ट होगा लेकिन मैं संतोष अपनी पीठ थपथपाने के लिए कभी करता नहीं हूं। मेरा संतोष का मतलब है नए सपनों को जन्‍म देना, मेरे संतोष का मतलब होता है नए लक्ष्‍य तय करना, मेरे संतोष का मतलब होता है उन लक्ष्‍यों को पार करने के लिए फिर एक चल पड़ना। और संतोष सोने के लिए नहीं है, संतोष नए सपनों को साकार करने के लिए है। धन्‍यवाद......

एंकर – धन्‍यवाद माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय अब हम देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र असम से जुड़ रहे हैं जहां Cotton University के अनामित्रा महंता आपसे कुछ पूछना चाहते हैं....

प्रश्‍न - Dear honorable Prime Minister I am Anamitra Mahanta from Assam. Sir, we are seeing many uses of this digital India in a day to day live including education. How do you see its impact on our country and our people? That concludes my question thank you.

एंकर - सर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हम digital India के कई उपयोगों को देख रहे हैं। जिसमें शिक्षा भी शामिल है। आज हमारे देश और यहां के लोगों में इसकी वजह से क्‍या बदलाव आप देख रहे हैं। माननीय कृपया बताएं।

प्रधानमंत्री – देखिए मानव निरंतर विकास करता रहा है। technology एक बहुत बड़ा driving force रहा है। नए-नए Innovations ने मानव जीवन को लगातार बदला है। लेकिन आज 40 साल पहले जिस रफ्तार से दुनिया बदली। Innovations technology intervention ने दुनिया को पिछले 200-300 साल में बदलते बदलते जहां लाकर के खड़ा कर दिया था। पिछले 40-50 साल में technology ने एक ऐसा जंप लगाया है। जिसकी हम कल्‍पना नहीं कर सकते हैं। अगर पिछले 200-300 साल की तुलना में देंखे तो इन 40-50 साल एक quantum jump है। नए dimensions है। और वो स्‍पेस हो, समुद्री तल की बात हो। धरातल की बात हो और डिजिटल वर्ल्‍ड ने इसमें बहुत बड़ा रोल प्‍ले किया है। अब आज मैं आपसे इतना आराम से बात कर पा रहा हूं। मैं श्रीनगर में बैठा हूं और श्रीनगर से मैं हिन्‍दुस्‍तान के हर कोनें में ढाई करोड़ नौजवानों से शिक्षा के संबंध में बात कर रहा हूं। यही सबसे बड़ा प्रभाव है। अभी आपने देखा बांदीपुरा में एक बीपीओ का उद्घाटन हुआ और पहला बीपीओ अब ये digital revolution का परिणाम है। Digital revolution का सबसे बड़ा फायदा, अब आप देखिए हमारा आधार एक प्रकार से digital revolution का ही हिस्‍सा है।

दुनिया को जब मैं कहता हूं कि हमारे पास 120 करोड़ लोगों का इतना डिटेल हमारे पास डेटा है। जगत के लोगों को बड़ा आश्‍चर्य होता है। ऐसी wealth है हमारे पास, ये digital revolution का परिणाम है। हम JAM Trinity शुरू की है भारत सरकार ने JAM Trinity के द्वारा आधार, मोबाइल, जनधन कोई भी सामान्‍य व्‍यक्ति सरकार को कुछ सामान भेजना चाहता है, गांव गरीब होगा तो ऑनलाइन आएगा, भेज सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में आज इतनी ऐप भांति-भांति available है और कई तो बहुत बिना खर्च किए है। उसके कारण विद्यार्थी नई-नई शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए ऐप के माध्‍यम से कुछ होम वर्क करता है। शायद हो सकता है एक जमाना ऐसा आएगा कि जो ट्यूशन और कोचिंग कलासिस की दुनिया ही खत्‍म हो सकती है। इतनी ताकत ये डिजिटल इंडिया में है। digital world ने governance में बहुत बड़ा रोल किया है।

Transparency के लिए बहुत बड़ी ताकत digital world है! अरे एक प्रकार से शिक्षा नहीं, समग्र जीवन व्‍यवस्‍था में एक प्रकार से digital world हमारे शरीर का एक नया हिस्‍सा बना गया है। हम उसके बिना जी नहीं सकते ऐसी स्थिति बन गई है। और इसलिए इसका प्रभाव हम उसका सही उपयोग कैसे करें, अधिकतम लोगों के कल्‍याण के लिए कैसे उपयोग करें। इस पर अगर हम बल देंगे। तो एक ये digital power एक बहुत बड़ा revolution हमारे सामने है। दूसरा long distance education. हम गरीब से गरीब व्‍यक्ति तक दूर से दूर पहाड़ों में जंगलों में long distance education के माध्‍यम से quality education दे सकते हैं digital connectivity उसके लिए बहुत बड़ा रोल कर सकती है। और मैं देख रहा हूं कि बहुत नौजवान virtual lab के द्वारा आज बच्‍चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। और वैसे ही वो पढ़ पाते हैं जैसे actually उन्‍होंने lab में जाकर के काम किया हो। उसका confidence level बढ़ जाता है। 3D projection के कारण आज विद्यार्थी अगर उसको हार्ट के संबंध में पढ़ना है, पहले टीचर कितना ही समझाते थे आज अगर 3डी उसको दिखा दें तो तुरंत उसका समझ आ जाता है कि हार्ट ऐसे काम करता है और बच्‍चा उसको receptive होता है।

मैंने एक बार जब मैं मुख्‍यमंत्री था तो मैंने एक छोटा सा सर्वे करवाया था। कि मध्‍यांह भोजन योजना के तहत primary government school में क्‍या impact होता है। और वहां पर अगर हम digital smart class room बनाएं तो क्‍या फर्क होता है। कुछ स्‍कूल ऐसे जहां smart class room बनवाया था कुछ स्‍कूल थी जहां smart class room नहीं था। मध्‍यांह भोजन पर बल था। smart class room थे वहां भी मध्‍यांह भोजन था फिर अनुभव आया कि smart class room ने बच्‍चों को ऐसा आकर्षित किया था। झुग्‍गी-झोंपड़ी के बच्‍चे वहां पढ़ते थे उनको बड़ा मजा आता था सीखने का आकर के बैठ जाते थे उनको मध्‍यांह भोजन की परवाह नहीं थी। वो मध्‍यांह भोजन के लिए उनको खींच-खींच के ले जाना पड़ता था। जबकि जहां मध्‍यांह भोजन था वहां पर उतनी बड़ी मात्रा में संख्‍या नहीं आती थी। वहां भी मध्‍यांह भोजन में रुचि नहीं थी लेकिन smart class नहीं होने के कारण वो जाकर के बैठने में रुचि नहीं लेता था। अब ये जो प्रभाव है। वो डिजिटल प्रभाव है और आने वाले दिनों में हायर एजुकेशन में उसका बहुत बड़ा रोल होने वाला है। धन्‍यवाद......

एंकर - माननीय कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी हरियाणा से गौरव आपसे बात करने के लिए उत्‍सुक हैं गौरव....

प्रश्‍न – माननीय प्रधानमंत्री मेरा नाम गौरव है और मैं कुरुक्षेत्र विश्‍वविद्यालय हरियाणा से हूं... Sir, it pains us to see poverty in our country we have seen your efforts to remove poverty in our country. Do you think we can become poverty free India in future?

एंकर – हमारे देश में गरीबी को देखकर बहुत दर्द होता है। गरीबी को दूर करने के आपके प्रयासों को हमने देखा है। क्‍या आपको लगता है कि निकट भविष्‍य में हमारा देश गरीबी मुक्‍त बन सकता है। माननीय कृपया बताएं।

प्रधानमंत्री – अगर देश तय कर ले हमें गरीबी से मुक्‍त होना है। तो दुनिया की कोई ताकत हमें गरीब नहीं रख सकती। सवा सौ करोड़ देशवासियों में इतना सामर्थ्‍य है अगर उस हमारे natural resources या human resources इसका अगर हम सही ढंग से प्‍लान करके आगे बढ़े। गरीबी से मुक्ति पाना मुश्किल नहीं है। मैं साढे चार के अनुभव से कह सकता हूं। इन दिनों दुनिया में दो चीजें उभर कर आई हैं। एक दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली बड़ी इकोनॉमी में भारत नंबर एक है। ये कोई भारतीय को गर्व होगा। दूसरा यूएन समेत इंटरनेशनल एजेंसी का कहना है कि विश्‍व में भारत पहले नंबर पर है। जो तेज गति से गरीबी से बाहर निकल रहा है। बहुत तेजी से न्‍यू मीडिल क्‍लास का बल बढ़ रहा है। और उस पर ये भी उन्‍होंने कहा है कि भारत का schedule caste के लोग और भारत के मुसलमान ये दो लोग इसके सबसे ज्‍यादा beneficiary हैं वो सबसे तेज गति से गरीबी से बाहर आ रहे हैं। अब किसी ने सोचा था, महात्‍मा गांधी कि आजादी और स्‍वच्‍छता दोनों में से मुझे एक पसंद करना होगा तो मैं पहले स्‍वच्‍छता पसंद करूंगा। गांधी जी ने बहुत प्रयास किए। आजादी का आंदोलन भी चल रहा था, स्‍वच्‍छता के लिए भी बात चल रही थी। आजाद होने के बाद हम उस काम को आसानी से आगे बढ़ा सकते थे।

लेकिन वो चलता है, कोई अगर कर ले तो कर ले न करे तो न करे। मैंने लालकिले से आवाह्न किया, देश को आग्रह किया और यह देश अपने प्रयत्‍नों से स्‍वच्‍छता के विषय में आज तेज गति से संतोषजनक आगे बढ़ रहा है। जम्‍मू-कश्‍मीर, मैंने ये अफसर यहां बैठे है, अनंतनाग में थे पहले, शायद वो स्‍वच्‍छता का इनाम मेरे हाथ से ले गए थे। बहुत बड़ा काम किया था जी, बहुत बड़ा काम किया था और देश के लोगों को बड़ा गर्व हुआ था। अब इतना बड़ा काम आज open defecation free जम्‍मू–कश्‍मीर का होना ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। जब 2014 में हम आए तो हमारे देश में rural sanitation 38 percent था आज वो 98 percent है। ये सिर्फ सरकार के कारण हुआ है ऐसा मैंने कभी नहीं कहा। एक बार देश की जनता ठान लेती है कैसे परिणाम लाती है ला पा रही है। इस देश ने तय किया, देश में बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण बहुत लंबे समय से हुआ था लेकिन खाते नहीं खुलते थे गरीबों के लिए। हमने तय किया हर गरीब का खाता खुलना चाहिए।

आज हिन्‍दुस्‍तान में 2014 में 40 प्रतिशत लोगों के बैंक अंकाऊट थे आज करीब-करीब 100 प्रतिशत बैंक अंकाऊट हैं। हमारे देश कुल 25-26 करोड़ परिवार हैं और मुझे आर्थिक हिसाब से मोटा-मोटा बताया गया था। क्‍योंकि राज्‍य जो आंकड़े देते थे। करीब 4 करोड़ परिवार ऐसे होंगे जहां बिजली नहीं है। हमने बीड़ा उठाया है। हर घर में बिजली होनी चाहिए और मुझे खुशी है कि आज जम्‍मू-कश्‍मीर ने इस काम को पूरा कर दिया। यानी एक बार हमारा देश तय करे कि इस समस्‍या से निकलना है, निकलेगें। अब जम्‍मू-कश्‍मीर ने एक सपना देखा है कि वो टैप वाटर घरों तक देंगे, ये बहुत बड़ा सपना है। ये मुझे विश्‍वास है जम्‍मू-कश्‍मीर की टोली है करके रहेगी। यहां की bureaucracy इसको भी achieve करके रहेगी। हमारे देश में हमने बस तय करना है। हमने गरीबी से लड़ना है और गरीबी से लड़ने का तरीका रेवड़ी बांटने से नहीं होता है। गरीब को empower करना होता है उसका सशक्तिकरण करना होता है। उसके भीतर गरीबी को पार करने का यानी एक प्रकार से मिजाज भर देना पड़ता है। और मुझे लगता है कि अगर स्‍वभाव उसमें पैदा कर सकते हैं, तो वो करेगा। जब हम आवाज देते हैं, शिक्षा देते हैं, आयुष्‍मान भारत से हेल्‍थ की बात करते हैं तो गरीब को भी लगता है कि अब मेरे दिन आ चुके हैं, मैं आगे बढ़ सकता हूं। मेरे मां-बाप ने गरीबी में जिंदगी गुजारी, मैं अपने बच्‍चों को गरीबी में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर नहीं करूंगा। ये मैं वातावरण देख रहा हूं और जिस दिशा में चल रहे हैं। बहुत तेजी से गरीबी घटती चली जाएगी। गरीबी से मुक्ति मिलती चली जाएगी। और वो दिन होगा जब हम लोगों ने जीवित रहते हुए अपनी आंखों से देखा होगा, कि देश गरीबी से मुक्‍त हुआ है।

एंकर – धन्‍यवाद माननीय आज देश को बदला हुआ देखकर आज का जो यूथ है वो बहुत ही ज्‍यादा उत्‍साहित है माननीय अंकिता है जो उत्‍कल विश्‍वविद्यालय उड़ीसा से है आपसे कुछ कहना चाहती है।

प्रश्‍न - माननीय प्रधानमंत्री मैं अंकिता उत्‍कल विश्‍वविद्यालय उड़ीसा से हूं हमारे यहां अनेक heritage sides और शानदार beach हैं कई बार मेरा मन करता है कि मैं यहां के टूरिज्‍म को बढ़ावा देने के लिए कुछ कंरू, लेकिन फिर कुछ समझ नहीं आता। आपकी राय में हम किस तरह से education को tourism के साथ जोड़कर उड़ीसा के लिए कुछ कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री - एक तो मैं आपको बधाई देता हूं कि आपकी शिक्षा का एक प्रभाव जो मैं देख रहा हू आपमें कि आप उड़ीसा की ताकत को जानती हैं और आप उसको कैसे उपयोग किया जाए इस पर सोच रही हैं, मेरे सामने मैं देख रहा हूं, पंखे चल रहे है। श्रीनगर वालों को अचरज होता होगा। ये बात सही है कि हमारे देश में tourism का बहुत potential है, लेकिन हमनें tourism के संबंध में कुछ उदासीनता बरती। Tourism की पहली शर्त होती है। कि आपको अपनी चीजों पर गर्व करना सीखना पड़ता है। हमारी आदत हो कि हमारा तो सब बेकार है नहीं वो कुछ नहीं है, वो तो ठीक है, अगर हमीं हम नहीं देखेंगे। उसका गर्व नहीं करेगे तो दुनिया क्‍यों आएगी भई... आपने देखा होगा दुनिया में जहां भी tourism बढ़ा है। एक छोटा सा खंभा भी होगा तो गाइड ले जाकर ऐसी ऐसी उसकी कथा सुनाएगा, ऐसा गौरवगाण करेगा कि हमको लगता है कि यही कुछ है। और हम ... हां यार बना होगा.... अरे छोड़ों यार सब पैसे बर्बाद करते है.... देखिए tourism दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला अगर इकोनॉमी को कोई सेक्‍टर है तो tourism है।

Trillions of dollar का business tourism का बढ़ रहा है और बढ़ने वाला है। दुनिया को मुझे बराबर याद है मैं बहुत साल पहले अमेरिकन government के निमंत्रण से एक बार यूएस गया था तो वो पूछते है कि आपका interest क्‍या है। मैनें जो लिखकर के भेजा पता नहीं, मेरे जैसा इंसान पहले मिला नहीं होगा, मैंने उन्‍हें कहा कि मुझे गांव में जाकर आपके यहां खेती की प्रक्रिया क्‍या है वो देखना है। दूसरा मैंने कहा कि मुझे बिल्‍कुल ठेठ गांव की कोई स्‍कूल है तो वो देखना है। तीसरा मैंने कहा कि गांव के अंदर में जो हेल्‍थ सेक्‍टर है बिल्‍कुल गांव का जहां छोटी बस्‍ती रहती है वो मुझे देखना है और चौथा मैंने कहा कि अमेरिका की सबसे कोई पुरातन की चीज हो जिसके लिए अमेरिका गर्व करता हो वो मुझे देखनी है। अब हमारे यहां किसी गली में जाओ तो ये बताएगा ये तो 2 हजार साल पुराना है, 3 हजार साल पुराना है। कितनी महान परंपरा हमारे पास है। लेकिन हमने इसका जितना जज्‍बे के साथ करना चाहिए नहीं किया। Tourism बहुत रोजी-रोटी देता है अब आप देखिए उड़ीसा इतना richness है, इतनी richness है। वहां के beaches देखिए, स्‍थापतय देखिए, कोर्णाक देख लीजिए, technology की दृष्टि से भी वो एक नयापन है। उसको पता है उस रचनाकार को 2000 साल पुराना है। अपने आपमें ये बहुत अदभूत चीज है। हमें tourism को बढ़ावा देना चाहिए।

ये बात सही है कि पिछले कुछ समय से tourism बहुत बड़ा है हमारे देश में, पहले करीब 70 हजार tourist आते थे, इस वर्ष 1 करोड़ tourist आए हैं, विदेश से पहले करीब 18 मिलियन डालर ये tourist जो आते थे उनसे हमें विदेशी मुद्रा मिलती थी। वो इस 27 मिलियन पर पहुंची है। यानी 50 प्रतिशत वृद्धि हुई है। तो tourist आने लगे हैं भारत का आकर्षण बढ़ा है। लेकिन स्‍वच्‍छता उसमें बहुत बड़ी ताकत देखी। नागरिकों का स्‍वभाव भी tourist को स्‍वीकार करने वाला है और आप जो विद्यार्थी मेरे साथ पढ़ रहे हैं, उड़ीसा से जुड़ने वाले हैं, technology से जुड़ने वाले हैं। मैं मानता हूं उबेर की लाइन पर आप नौजवान एक बहुत बड़ा बिजनेस स्‍टार्ट कर सकते हैं tourism का उबेर की लाइन पर। कौन परिवार होम स्‍टे देना चाहते हैं उस पर हो, कोई भी व्‍यक्ति एक ऐसा ऐप बना सकते हैं कि अगर वो भारत में tourism चाह सकते है तो अपने घर से निकल कर अपने घर पहुंचने तक आप उबेर की तरह पूरा एक mechanism develop कर सकते हैं। आऊटस्‍टोर करके क्राऊड सोरसिग करके और दुनिया को जोड़ सकते हैं और मैं चैलेंज देता हूं आज नौजवानों को कि उबेर की तरह देश भर में कौन होम स्‍टे देने वाले हैं, आप होम स्‍टे देने वाले हिन्‍दुस्‍तान में आपको आज जितने होटलों के कमरे है न इससे दस गुना ज्‍यादा कमरे नए मिल जाएंगे। मैंने अभी बनारस में प्रवासी भारतीय दिवस का कार्यक्रम किया था, मैं काशी का एमपी हूं लोगों से मैंने कहा और मैं हैरान था जी, हजारों की तादाद में लोग आए कि विदेश के मेहमान को हम एक कमरा देंगें, हमारे घर में, अब ये धीरे-धीरे काशी का होम स्‍टे का एक बहुत बड़ा बिजनेस डेवलेप हो जाएगा। उनको आदत हो गई हम भी होम स्‍टे आज पूरी दुनिया में popular है। अगर हम ऐसी उबेर जैसी ऐप बना करके इस बात को और मैं चाहूंगा कि मेरे सामने इतने सारे नौजवान हैं, technology के साथ जुड़े हुए नौजवान हैं, आइए आप मैदान में आइए उबेर से भ्‍ज्ञी आप आगे जाएंगे। ये मैं विश्‍वास देता हूं आपको.

एंकर – धन्‍यवाद माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय प्रधानमंत्री जी आप गुजरात से हैं और इस वक्‍त हम गुजरात ही चल रहे हैं। विजय कुमार from M.N. College, Gujarat से आपसे कुछ जानना चाह रहे हैं।

प्रश्‍न - माननीय प्रधानमंत्री श्री नमस्‍कार, मैं विजय कुमार एम.एन कॉलेज, विस नगर, गुजरात से बोल रहा हूं। सर जब से बजट आया है मैं चारों और किसानों के बारे में जो योजना लागू की गई है। उसकी चर्चा सुन रहा हूं, वाकई में कोई सोच नहीं सकता कि किसानों के बारे में इतनी बड़ी योजना लागू की जाएगी और सर मैंने ये भी सुना है कि आपने पश्चिम बंगाल में ये कहा कि अगले दस सालों में सरकार किसानों के लिए 7 लाख 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। सर मेरा प्रश्‍न ये है कि सरकार इतने पैसे लाएगी कहां से.... धन्‍यवाद।

प्रधानमंत्री – आप विरोध पक्ष की अखबार पढ़ते लगते हैं, खैर आप मेरे गांव के पड़ोसी हैं, मेरा गांव वडनगर है, आप विसनगर के हैं बिल्‍कुल बगल में ही हम दोनों का गांव है वहीं से आप बोल रहे हैं। मुझे खुशी हुई कि विसनगर से अपने गांव को भी आज ताजा कर रहा है मोदी। ये बात सही है जिस इलाके से आप हैं वहां किसानों को बहुत दिक्‍कत है, पानी की बहुत किल्‍लत है, एक प्रकार से सूखा इलाका है और वहीं से आप बोल रहे हैं क्‍योंकि मैं वहां से पैदा वहीं हुआ हूं तो मुझे पता है। बहुत दिक्‍कत वाली वो जगह है। देखिए हमारे देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। दुर्भाग्‍य ये है कि भारत के एक प्रधानमंत्री ने कहा था एक रुपया निकलता है 15 पैसे पहुंचता है। अब फायदा ये है कि 1 रुपया पहुंचता है पूरा 100 पैसा पहुंचता है। सबसे बड़ा कारण ये है। दूसरा जब आप पाई-पाई का सही उपयोग करते हैं। तो जो tax payers होते है उसको भी ईमानदारी से टैक्‍स पे करने का मन करता है। क्‍योंकि वो देखता है कि मेरे पैसों का सही उपयोग होता है। आप कल्‍पना कर सकते हैं मैंने देश के लोगों को कहा कि आपको गैस की सब्सिडी की जरूरत नहीं है तो छोड़ दीजिए न, कोई कानून नहीं बनाया था, सिर्फ request की थी और मेरे देश के सवा करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी उसका परिणाम है कि सवा करोड़ गरीबों को गैस पहुंच गया। अब काम हो गया। इतनी ताकत है मैंने अभी रेलवे में senior citizens को रेलवे टिकट में कनसेशन मिलता है, सब्सिडी मिलती है, तो ऐसे मैंने कहा फार्म में लिखो तो सही कि मैं सब्सिडी सेरेंडर करना चाहता हूं, कोई अपील नहीं की, मैंने कभी भी अपील नहीं की है। किसी अखबार में भी नहीं छपवाया।

अगर फार्म भरकर के मैंने देखा इस देश में 42 लाख ऐसे पैसेंजर निकले जिन्‍होंने सब्सिडी छोड़ दी। रेलवे को पूरा पैसा दिया अपना पैसा छोड़ दिया। पैसे ऐसे आते हैं। अगर एक बार ईमानदारी का माहौल बनता है, तो लोग पैसे देने के लिए तैयार होते हैं, पैसों के कारण कोई रुकावट कभी नहीं आती है। आज हम अनुभव कर रहे हैं, कि देश बहुत तेजी से 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी की तरफ जा रहा है। और मैं आपको एक रहस्‍य बता दूं, कि आपके जो चीफ सेक्रेटरी हैं वो कभी प्रधानमंत्री कार्यालय में काम करते थे। पहले वो डॉक्‍टर मनमोहन सिंह जी के साथ काम करते थे। जब मैं आया तो मैं भी उनको छोड़ नहीं रहा था, उन्‍होंने मुझे एक दिन बताया था कि साहब आप भाषण करने जा रहे हो, आप बताओ हमारा देश 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा, दो साल पहले उन्‍होंने मुझे बताया था। वो विचार मेरे मन में, और आज मैं देख रहा हूं कि हिन्‍दुस्‍तान 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनकर रहेगा, हमारी आंखों के सामने बनकर रहेगा और इसलिए पैसों की कोई कमी नहीं होती है। सही इस्‍तेमाल और आपने सही कहा आने वाले दस साल में जो हमने योजनाएं इस बजट में की हैं। किसानों को दस साल में साढ़े 7 लाख करोड़ रुपया उनकी जेब में जाएगा जी, वो किसी भी परिस्थिति में मुकाबला करने की ताकत करने वाला बन जाएगा और मुझे विश्‍वास है कि इस योजना से देश का किसान एक आत्‍मविश्‍वास के साथ आगे बढेगा। धन्‍यवाद.....

एंकर – बहुत-बहुत धन्‍यवाद प्रधानमंत्री जी, इस वक्‍त बहुत सारे students इस कार्यक्रम से जुड़े हुए है और आपको उन्‍होंने सुना, screen पर आप देख सकते हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद माननीय प्रधानमंत्री जी, सभी students को प्रोत्‍साहित करने के लिए और उनकी हौसला अफजाई करने के लिए और राष्‍ट्र को नई रोशनी देने के लिए, अपने आपको देश का प्रधान सेवक मानने वाले माननीय प्रधानमंत्री जी देश की सेवा में जी-जान से जुटे हुए हैं।

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नमस्कार!

मैं World Leaders Forum में आए सभी मेहमानों का अभिनंदन करता हूं। इस फोरम की टाइमिंग बहुत perfect है, और इसलिए मैं आपकी सराहना करता हूँ। अभी पिछले हफ्ते ही लाल किले से मैंने नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स की बात कही है, और अब ये फोरम इस स्पिरिट के फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में काम कर रहा है।

साथियों,

यहां वैश्विक परिस्थितियों पर, Geo-Economics पर बहुत विस्तार से चर्चाएं हुई हैं, और जब हम ग्लोबल Context में देखते हैं, तो आपको भारत की इकॉनॉमी की मजबूती का एहसास होता है। आज भारत दुनिया की Fastest Growing मेजर इकॉनॉमी है। हम बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनॉमी बनने वाले हैं। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि दुनिया की ग्रोथ में भारत का कंट्रीब्यूशन बहुत जल्द, करीब 20 परसेंट होने जा रहा है। ये ग्रोथ, ये रेज़ीलियन्स, जो हम भारत की इकॉनॉमी में देख रहे हैं, इसके पीछे बीते एक दशक में भारत में आई Macro-Economic Stability है। आज हमारा फिस्कल डेफिसिट घटकर Four Point Four परसेंट तक पहुंचने का अनुमान है। और ये तब है, जब हमने कोविड का इतना बड़ा संकट झेला है। आज हमारी कंपनियां, Capital Markets से Record Funds जुटा रही हैं। आज हमारे Banks, पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत हैं। Inflation बहुत Low है, Interest Rates कम हैं। आज हमारा Current Account Deficit कंट्रोल में है। Forex Reserves भी बहुत मजबूत हैं। इतना ही नहीं, हर महीने लाखों Domestic Investors, S.I.P’s के ज़रिये हजारों करोड़ रुपए मार्केट में लगा रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं, जब इकॉनॉमी के फंडामेंटल्स मजबूत होते हैं, उसकी बुनियाद मजबूत होती है, तो उसका प्रभाव भी हर तरफ होता है। मैंने अभी 15 अगस्त को ही इस बारे में विस्तार से चर्चा की है। मैं उन बातों को नहीं दोहराउंगा, लेकिन 15 अगस्त के आसपास और उसके बाद एक हफ्ते में जो कुछ हुआ है, वो अपने आप में भारत की ग्रोथ स्टोरी का शानदार उदाहरण है।

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साथियों,

अभी latest आंकड़ा आया है कि अकेले जून महीने में, यानी मैं एक महीने की बात करता हूं, अकेले जून के महीने में E.P.F.O डेटा में 22 लाख फॉर्मल जॉब्स जुड़ी हैं, और ये संख्या अब तक के किसी भी महीने से ज्यादा है। भारत की रिटेल इंफ्लेशन 2017 के बाद सबसे कम स्तर पर है। हमारे Foreign Exchange Reserves अपने रिकार्ड हाई के करीब है। 2014 में हमारी Solar PV Module Manufacturing Capacity करीब ढाई गीगावॉट थी, ताजा आंकड़ा है कि आज ये कैपिसिटी 100 गीगावॉट के ऐतिहासिक पड़ाव तक पहुंच चुकी है। दिल्ली का हमारा एयरपोर्ट भी ग्लोबल एयरपोर्ट्स के elite Hundred-Million-Plus Club में पहुंच गया है। आज इस एयरपोर्ट की एनुअल पैसेंजर हैंडलिंग कैपिसिटी 100 मिलियन Plus की है। दुनिया के सिर्फ 6 एयरपोर्ट्स इस Exclusive Group का हिस्सा हैं।

साथियों,

बीते दिनों एक और खबर चर्चा में रही है। S&P Global Ratings ने भारत की Credit Rating Upgrade की है। और ऐसा करीब 2 दशकों के बाद हुआ है। यानी भारत अपनी Resilience और Strength से बाकी दुनिया की उम्मीद बना हुआ है।

साथियों,

आम बोलचाल में एक लाइन हम बार बार सुनते आए हैं, कभी हम भी बोलते हैं, कभी हम भी सुनते हैं, और कहा जाता है - Missing The Bus. यानी कोई अवसर आए, और वो निकल जाए। हमारे देश में पहले की सरकारों ने टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री के अवसरों की ऐसी कई Buses छोड़ी हैं। मैं आज किसी की आलोचना के इरादे से यहां नहीं आया हूं, लेकिन लोकतंत्र में कई बार तुलनात्मक बात करने से स्थिति और स्पष्ट होती है।

साथियों,

पहले की सरकारों ने देश को वोटबैंक की राजनीति में उलझाकर रखा, उनकी सोच चुनाव से आगे सोचने की ही नहीं थी। वो सोचते थे, जो Cutting Edge Technology है, वो बनाने का काम विकसित देशों का है। हमें कभी ज़रूरत होगी, तो वहां से इंपोर्ट कर लेंगे। यही वजह थी कि सालों तक हमारे देश को दुनिया के बहुत से देशों से पीछे रहना पड़ा, हम Bus Miss करते रहे। मैं कुछ उदाहरण बताता हूं, जैसे हमारा कम्यूनिकेशन सेक्टर है। जब दुनिया में इंटरनेट का दौर शुरु हुआ, तो उस वक्त की सरकार असमंजस में थी। फिर 2G का दौर आया, तो क्या-क्या हुआ, ये हम सबने देखा है। हमने वो Bus मिस कर दी। हम 2G, 3G और 4G के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहे। आखिर कब तक ऐसे चलता रहता? इसलिए 2014 के बाद भारत ने अपनी अप्रोच बदली, भारत ने तय कर लिया कि हम कोई भी Bus छोड़ेंगे नहीं, बल्कि ड्राइविंग सीट पर बैठकर आगे बढ़ेंगे। और इसलिए हमने पूरा अपना 5G स्टैक देश में ही विकसित किया। हमने मेड इन इंडिया 5G बनाया भी, और सबसे तेजी से देश भर में पहुंचाया भी। अब हम मेड इन इंडिया 6G पर तेज़ी से काम कर रहे हैं।

और साथियों,

हम सब जानते हैं, भारत में सेमीकंडक्टर बनने की शुरुआत भी 50-60 साल पहले हो सकती थी। लेकिन भारत ने वो Bus भी मिस कर दी, और आने वाले कई बरसों तक ऐसा ही होता रहा। आज हमने ये स्थिति बदली है। भारत में सेमीकंडक्टर से जुड़ी फैक्ट्रियां लगनी शुरु हो चुकी हैं, इस साल के अंत तक पहली मेड इन इंडिया चिप, बाजार में आ जाएगी।

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साथियों,

आज नेशनल स्पेस डे भी है, मैं आप सभी को National Space Day की शुभकामनाएं और उसके साथ ही, इस सेक्टर की भी बात करूंगा। 2014 से पहले स्पेस मिशन्स भी सीमित होते थे, और उनका दायरा भी सीमित था। आज 21वीं सदी में जब हर बड़ा देश अंतरिक्ष की संभावनाओं को तलाश रहा है, तो भारत कैसे पीछे रहता? इसलिए हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म भी किए और इसे प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन भी कर दिया। मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं। Year 1979 से 2014 तक भारत में सिर्फ 42 Missions हुए थे, यानी 35 Years में 42 मिशन्स, आपको ये जानकर खुशी होगी कि पिछले 11 सालों में 60 से ज्यादा Missions पूरे हो चुके हैं। आने वाले समय में कई सारे मिशन लाइन्ड अप हैं। इसी साल हमने, स्पेस डॉकिंग का सामर्थ्य भी हासिल किया है। ये हमारे फ्यूचर के मिशन्स के लिए बहुत बड़ी अचीवमेंट है। अब भारत गगनयान मिशन से अपने Astronauts को Space में भेजने की तैयारी में है। और इसमें हमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अनुभवों से भी बहुत मदद मिलने वाली है।

साथियों,

स्पेस सेक्टर को नई एनर्जी देने के लिए उसे हर बंधन से आजाद करना जरूरी था। इसलिए हमने पहली बार Private Participation के लिए Clear Rules बनाए, पहली बार Spectrum Allocation Transparent हुआ, पहली बार Foreign Investment Liberalise हुआ, और इस साल के बजट में हमने Space Startups के लिए 1,000 करोड़ रुपए का Venture Capital Fund भी दिया है।

साथियों,

आज भारत का स्पेस सेक्टर इन रीफॉर्म्स की सफलता देख रहा है। साल 2014 में भारत में सिर्फ एक Space Startup था, आज 300 से ज्यादा हैं। और वो समय भी दूर नहीं जब अंतरिक्ष में हमारा अपना स्पेस स्टेशन होगा।

साथियों,

हम इंक्रीमेंटल चेंज के लिए नहीं बल्कि क्वांटम जंप का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। और रिफॉर्म्स हमारे लिए न कंपल्शन हैं, न क्राइसिस ड्रिवेन हैं, ये हमारा कमिटमेंट है, हमारा कन्विक्शन है! हम होलिस्टिक अप्रोच के साथ किसी एक सेक्टर की गहरी समीक्षा करते हैं, और फिर One By One उस सेक्टर में रीफॉर्म्स किए जाते हैं।

Friends,

कुछ ही दिन पहले संसद का मानसून सत्र समाप्त हुआ है। इसी मानसून सत्र में आपको Reforms की निरंतरता दिखेगी। विपक्ष द्वारा अनेक व्यवधान पैदा करने के बावजूद हम पूरे कमिटमेंट के साथ Reforms में जुटे रहे। इसी मानसून सत्र में जन विश्वास 2.0 है, यह ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस और प्रो पीपल गवर्नेंस से जुड़ा बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। जन विश्वास के पहले एडिशन में हमने करीब 200 minor offences को डी-क्रिमिनलाइज किया था। अब इस कानून के दूसरे एडिशन में हमने 300 से ज्यादा minor offences को डी-क्रिमिनलाइज कर दिया है। इसी सेशन में इनकम टैक्स कानून में भी रीफॉर्म किया गया है। 60 साल से चले आ रहे इस कानून को अब और सरल बनाया गया है। और इसमें भी एक खास बात है, पहले इस कानून की भाषा ऐसी थी कि सिर्फ़ वकील या CA ही इसे ठीक से समझ पाते थे। लेकिन अब इनकम टैक्स बिल को देश के सामान्य टैक्सपेयर की भाषा में तैयार किया गया है। यह दिखाता है कि नागरिकों के हितों को लेकर हमारी सरकार कितनी संवेदनशील है।

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साथियों,

इसी मानसून सेशन में माइनिंग से जुड़े कानूनों में भी बहुत संशोधन किया गया है। शिपिंग और पोर्ट्स से जुड़े कानून भी बदले गए हैं। यह कानून भी अंग्रेजों के जमाने से ऐसे ही चले आ रहे थे। अब जो सुधार हुए हैं, वह भारत की ब्लू इकॉनॉमी को, पोर्ट लेड डेवलपमेंट को बढ़ावा देंगे। इसी तरह स्पोर्ट्स सेक्टर में भी नए रीफॉर्म किए गए हैं। हम भारत को बड़े इवेंट्स के लिए तैयार कर रहे हैं। स्पोर्ट्स इकोनॉमी के पूरे इकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं। इसलिए सरकार, नई नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी-खेलो भारत नीति लेकर भी आई है।

साथियों,

जो लक्ष्य हासिल कर लिया, उसी में संतुष्ट हो जाऊं, वो इतना करके बहुत हो गया, मोदी आराम कर लेगा! यह मेरे स्वभाव में नहीं है। रिफॉर्म्स को लेकर भी हमारी यही सोच हैं। हम आगे के लिए तैयारी करते रहते हैं, हमें और आगे बढ़ना हैं। अब रिफॉर्म्स का एक और पूरा आर्सेनल लेकर आने वाले हूं। इसके लिए हम कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं। हम बेवजह के कानूनों को खत्म कर रहे हैं। नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं। प्रोसीजर्स और अप्रूवल्स को डिजिटल कर रहे हैं। अनेक प्रावधानों को डिक्रिमनलाइज कर रहे हैं। इसी कड़ी में GST में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म किया जा रहा है। इस दीवाली तक ये प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इससे GST और आसान बनेगा और कीमतें भी कम होंगी।

साथियों,

नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म्स के लिए इसके इस आर्सनल से भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी, मार्केट में डिमांड बढ़ेगी, इंडस्ट्री को नई एनर्जी मिलेगी, Employment के नए अवसर बनेंगे और Ease Of Living, Ease Of Doing Business दोनों इंप्रूव होंगे।

साथियों,

आज भारत 2047 तक विकसित होने के लिए पूरी शक्ति से जुटा है और विकसित भारत का आधार आत्मनिर्भर भारत है। आत्मनिर्भर भारत को भी हमें तीन पैरामीटर्स पर देखने की जरूरत है। यह पैरामीटर हैं–स्पीड, स्केल और स्कोप। आपने ग्लोबल पेंडेमिक के दौरान भारत की स्पीड भी देखी है, स्केल भी देखा है और स्कोप भी महसूस किया है। आपको याद होगा, उस समय कैसे एकदम बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ गई थी और दूसरी तरफ ग्लोबल सप्लाई चेन भी एकदम ठप हो गई थी। तब हमने देश में ही जरूरी चीज़ें बनाने के लिए कदम उठाए। देखते ही देखते, हमने बहुत बड़ी मात्रा में टेस्टिंग किट्स बनाए, वेंटिलेटर्स बनाए, देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए। इन सारे कामों में भारत की स्पीड दिखाई दी। हमने देश के कोने-कोने में जाकर, अपने नागरिकों को 220 करोड़ से ज्यादा मेड इन इंडिया वैक्सीन लगाईं और वो भी बिल्कुल मुफ्त। इसमें भारत का स्केल दिखाई देता है। हमने करोड़ों लोगों को तेज़ी से वैक्सीन लगाने के लिए कोविन जैसा प्लेटफॉर्म बनाया। इसमें भारत का स्कोप नजर आता है। यह दुनिया का सबसे अनूठा सिस्टम था, जिसके चलते रिकॉर्ड समय में हमने वैक्सीनेशन भी पूरा कर लिया।

साथियों,

ऐसे ही, एनर्जी के क्षेत्र में भारत की स्पीड, स्केल और स्कोप को दुनिया देख रही है। हमने तय किया था कि 2030 तक हम अपनी टोटल पावर कैपेसिटी का फिफ्टी परसेंट, नॉन फॉसिल फ्यूल से जनरेट करेंगे, यह 2030 तक का लक्ष्य था। यह टारगेट हमने पांच साल पहले इसी साल 2025 में ही अचीव कर लिया।

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साथियों,

पहले के समय जो नीतियां थीं, उसमें इंपोर्ट पर बहुत जोर रहा। लोगों के अपने फायदे थे, अपने खेल थे। लेकिन आज आत्मनिर्भर होता भारत, एक्सपोर्ट में भी नए रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले एक साल में हमने चार लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट एक्सपोर्ट किए हैं। पिछले एक साल में पूरी दुनिया में 800 करोड़ वैक्सीन डोज बनी है। इसमें 400 करोड़ भारत में ही बनी हैं। आजादी के साढ़े छह दशक में हमारा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट, 35 हज़ार करोड़ रुपए के आस-पास पहुंच पाया था। आज ये करीब सवा तीन लाख करोड़ रुपए तक पहुंच रहा है।

साथिय़ों,

2014 तक भारत 50 हजार करोड़ रुपए के आसपास के ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट करता था। आज भारत एक साल में एक लाख बीस हज़ार करोड़ रुपए के ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट कर रहा है। आज हम मेट्रो कोच, रेल कोच से लेकर रेल लोकोमोटिव तक एक्सपोर्ट करने लगे हैं। वैसे आपके बीच आया हूं, तो भारत की एक और सफलता के बारे में आपको बता दूं, भारत अब दुनिया के 100 देशों को इलेक्ट्रिक व्हीकल भी एक्सपोर्ट करने जा रहा है। दो दिन के बाद 26 अगस्त को इससे जुड़ा एक बहुत बड़ा कार्यक्रम भी हो रहा है।

साथियों,

आप सभी जानते हैं, देश की प्रगति का बहुत बड़ा आधार रिसर्च भी है। इंपोर्टेड रिसर्च से गुज़ारा तो हो सकता है, लेकिन जो हमारा संकल्प है, वह सिद्ध नहीं हो सकता। इसलिए, रिसर्च फील्ड में हमें Urgency चाहिए, वैसा Mindset चाहिए। हमने रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत तेजी से काम किया है। इसके लिए जो जरूरी पॉलिसी और प्लेटफार्म चाहिए, उस पर भी हम लगातार काम कर रहे हैं। आज, रिसर्च और डेवलपमेंट पर होने वाला खर्च 2014 की तुलना में दोगुने से भी अधिक हो गया है। 2014 की तुलना में फाइल किए जाने वाले पेटेंट्स की संख्या भी 17 टाइम ज्यादा हो गई है। हमने करीब 6,000 हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल स्थापित किए गए हैं। ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ से भी आप परिचित हैं। इसने छात्रों के लिए विश्वस्तरीय रिसर्च जर्नल्स तक पहुँचने में उनको बहुत आसान बना दिया है। हमने 50 हज़ार करोड़ रुपए के बजट के साथ नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया है। एक लाख करोड़ रुपए की रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन स्कीम को भी मंजूरी दे दी है। लक्ष्य ये है कि प्राइवेट सेक्टर में, विशेषकर Sunrise और Strategic Sectors में नई रीसर्च को सपोर्ट मिले।

साथियों,

यहां इस समिट में इंडस्ट्री के बड़े-बड़े दिग्गज भी हैं। आज समय की मांग है कि इंडस्ट्री और प्राइवेट सेक्टर आगे आएं, विशेषकर Clean Energy, Quantum Technology, Battery Storage, Advanced Materials और Biotechnology जैसे सेक्टर्स में रिसर्च पर अपना काम और अपना निवेश और बढ़ाएँ। इससे विकसित भारत के संकल्प को नई एनर्जी मिलेगी।

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साथियों,

रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के मंत्र पर चल रहा भारत आज उस स्थिति में है कि वो दुनिया को धीमी ग्रोथ से बाहर निकाल सकता है। हम ठहरे हुए पानी में किनारे पर बैठकर के कंकड़ मारकर एंजॉय करने वाले लोग नहीं हैं, हम बहती तेज़ धारा को मोड़ने वाले लोग हैं और जैसा मैंने लाल किले से कहा था, भारत...समय को भी मोड़ देने का सामर्थ्य लेकर चल रहा है।

साथियों,

एक बार आप सबसे मिलने का मुझे अवसर मिला है, इसके लिए मैं इकोनॉमिक टाइम्‍स का आभार व्यक्त करता हूं। आप सबका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं!

धन्‍यवाद!