Text of PM’s address on launching of the 'Soil Health Card' Scheme

Published By : Admin | February 19, 2015 | 21:01 IST
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उपस्थित सभी मंचस्थ वरिष्ठ महानुभाव, राज्यों से पधारे हुए कृषि मंत्री, सरकारी अधिकारी, देश के अलग अलग कोने से आए हुए प्रगतिशील किसान, और प्यारे मेरे किसान भाईयों और बहनों,

भारत सरकार आज से एक नवीन योजना का आरंभ कर रही है। इस योजना का आज इस धरती से आरंभ हो रहा है, वह योजना हिंदुस्तान के सभी किसानों के लिए है।

आमतौर पर भारत सरकार ज्यादा से ज्यादा दिल्ली के विज्ञान भवन में कुछ लोगों को बुला करके कार्यक्रमों को करने की आदत रखती है। लेकिन मैं पुरानी आदतों को बदलने में लगा हूं। कुछ समय पहले भारत सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ इस अभियान का प्रारंभ किया। कई योजनाओं का प्रारंभ किया। लेकिन हमने तय किया कि योजनाएं हरियाणा में लागू की जाएं, शुरूआत वहां से की जाए क्योंकि हरियाणा में बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम है और हरियाणा के लोगों को बुला करके बात बताई।

आज ये कार्यक्रम राजस्थान की धरती पर हो रहा है। अभी हमारी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बता रही थीं कि हमारे पास केवल एक प्रतिशत पानी है। अब एक प्रतिशत पानी है तो हमने कुछ रास्ते भी तो खोजने पड़ेंगे। राजस्थान को प्यासा तो नहीं रखा जा सकता। ..और यही तो राजस्थान है जहां कोई लाखा वणजारा हुआ करता था। जो जहां पानी नहीं होता था। वहां पहुंच जाता था, बावड़ी बनवाता था और प्यासे को पानी पहुंचाता था।

जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री के नाते से काम करता था, मेरा ये सौभाग्य था कि दक्षिण राजस्थान में नर्मदा का पानी गुजरात से राजस्थान पहुंचाने का मुझे सौभाग्य मिला और उस समय हमारे भैरोसिंह जी मुझे कहा करते थे कि नरेंद्र भाई राजस्थान को कोई रूपया दे दे, पैसा दे दे, हीरा दे दे, उसके लिए इतनी पूजा नहीं होती है, जितनी पूजा कोई पानी दे दे तो होती है।

पानी ये परमात्मा का प्रसाद है। जैसे मंदिर में प्रसाद मिलता है, गुरूद्वारे में प्रसाद मिलता है और एक दाना भी हम ज़मीन पर नहीं गिरने देते। अगर गिर जाए तो लगता है, पाप कर दिया है। ये पानी के संबंध में हमारे मन में यही भाव होना चाहिए कि अगर एक बूंद भी पानी बरबाद हुआ, गलत उपयोग हुआ तो हमने कोई न कोई पाप किया है, परमात्मा की क्षमा मांगनी पड़ेगी।

पानी का इतना महातम्य..और हम राजस्थान और गुजरात के लोग तो ज़्यादा जानते हैं, क्योंकि बिना पानी जि़ंदगी कितनी कठिन होती है, ये हम लोगों ने अनुभव किया है। .. और इसलिए आज किसानों के लिए ये कार्यक्रम का आरंभ हमने उस धरती से शुरू किया है, जहां मरूभूमि है, जहां पानी की किल्लत है, जहां का किसान दिन रात पसीना बहाता है, उसके बाद भी पेट भरने के लिए तकलीफ होती है.. उस राजस्थान की धरती से देश के किसानों को संदेश देने का प्रयास ..और इसलिए मैं आज राजस्थान के किसानों के चरणों में आ करके बैठा हूं।

हमें हमारे कृषि विकास को, परंपरागत कृषि पद्धतियों से बदलना पड़ेगा और इसके लिए वैज्ञानिक तौर तरीकों को अपनाना पड़ेगा। एक समय था, हमारे देश में बीमारू राज्य जैसा एक शब्द प्रयोग हुआ करता था..बीमारू! जिसमें कि पिछले 20 साल से ये शब्द प्रयोग चल रहा है। बीमारू राज्य का मतलब होता था- बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश..ये बीमारू राज्य हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि राजस्थान के लोगों ने ऐसी सरकार चुनी है, आपको ऐसे मुख्यमंत्री मिले हैं, देखते ही देखते ये राजस्थान बीमारू श्रेणी से बाहर निकल जाएगा।

मैं ये इसलिए कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश की गिनती भी बीमारू राज्य में होती थी। लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में आर्थिक विकास का एक अभियान चला और उसका परिणाम ये आया कि आज मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ बीमारू राज्य में गिने नहीं जाते। उन्होंने जो विशेषता की, क्या की? मध्यप्रद्रेश ने जो सबसे बड़ा काम किया है, इसके लिए .. शिवराज जी तो आज आ नहीं पाए, लेकिन उनके राज्य को प्रथम नंबर का अवार्ड प्राप्त हुआ, तो सबसे ज्यादा कृषि उत्पादन के लिए हुआ। कृषि क्षेत्र में उन्होंने क्रांति की। उन्होंने सिंचाई की योजनाओं को आधुनिक बनाया, उन्होंने फसल को किसान के साथ आधुनिक शिक्षा पद्धति से जोड़कर develop किया..और कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि गंगा-यमुना के प्रदेशी कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं, मध्यप्रदेश ने गंगा और यमुना के प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया और आज देश में नबंर एक पर आकर खड़ा हो गया। वही एक ताकत थी जिसके कारण मध्यप्रदेश आज बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर आ गया।

राजस्थान में भी हम कृषि को, किसान को, गांव को, गरीब को.. एक के बाद एक जो कदम ले रहे हैं, राजस्थान सरकार और भारत सरकार मिल करके जो परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं, उससे मुझे विश्वास है कि वसुंधरा जी के नेतृत्व में भी इसी सरकार के कार्यकाल में राजस्थान अब बीमारू नहीं रहेगा, ये मेरा पूरा विश्वास है।

मैं चुनाव में आया तब भी, कैंसर स्पेशल की चर्चा मैंने की थी। यहां की ट्रेन “कैंसर स्पेशल” के नाम से चर्चित हो गई थी। ये स्थितियां बदलनी हैं। मैंने अभी एक नीति आयोग के तहत सभी राज्यों को अपने अपने राज्य में कृषि को लेकर एक “हाई पावर कमेटी” बनाने के लिए कहा है; “एक्सपर्ट कमेटी” बनाने के लिए कहा है। नीति आयोग को भी कहा है कि वो भी एक एक्सपर्ट कमेटी बनाए। राज्य अपने राज्य की कृषि समस्याओं को ले करके, अपने राज्य में कृषि विकास के रास्ते तय करते हुए, वे अपनी योजना बनाएं। देश के सभी राज्य और भारत सरकार मिल करके उसमें से common minimum चीज़ों को छांट लें और पूरे देश में इसे कैसे लागू किया जाए..। अब तक top to bottom दूनिया चलती थी, अब हम bottom to top चलाने जा रहे हैं। पहले राज्य कृषि के विषय में योजना बनाएंगे, फिर भारत सरकार उनके साथ बैठ करके बनाएगी और वो काम अभी प्रारंभ हो चुका है।

इसी तरह पानी .. राज्यों के बीच कुछ न कुछ समस्याएं हैं। उन राज्यों का फैसला हो जाए, बातचीत हो जाए। बैठ करके, बातचीत करके रास्ते खोजे जाएं और देश की समृद्धि की यात्रा में छोटी मोटी जो भी कठिनाईयां हैं, उन कठिनाईयों से रास्ते निकाल करके हम तेज़ गति से आगे बढ़ना चाहते हैं। देश को तेज़ गति से नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं।

आज Soil Health Card.. पूरे देश के लिए इस योजना का आरंभ हो रहा है। और Soil Health Card के लिए उसका घोष वाक्य है- “स्वस्थ धरा, खेत हरा”। अगर धरा स्वस्थ नहीं होगी तो खेत हरा नहीं हो सकता है। खातर कितना ही डाल दें, खाद कितना ही डाल दें, बीज कितना ही उत्तम से उत्तम ला दें, पानी में धरती को डूबो करके रखें, लेकिन अगर धरती ठीक नहीं है, धरा ठीक नहीं है तो फसल पैदा नहीं होती, अच्छी फसल पैदा नहीं होती। कम फसल पैदा होती है। हल्की क्वालिटी की फसल पैदा होती है। इसलिए किसान को पता होना चाहिए कि जिस मिट्टी पर वो मेहनत कर रहा है, उस मां की तबीयत कैसी है? ये धरा मेरी मां है। अगर घर में मेरी बूढ़ी मां अगर बीमार है, तो मैं चैन से सो नहीं सकता हूं। मैं तो किसान हूं, धरती का बेटा हूं, मैं धरती की बेटी हूं, अगर ये धरा बीमार हो तो मैं कैसे चैन से सो सकता हूं और इसलिए.. हमारी धरा, हमारी माता, ये हमारी मिट्टी, इसको बीमार नहीं रहने देना चाहिए। उसको और बीमार नहीं होने देना चाहिए। उसकी तबीयत की चिंता करनी चाहिए, उसके स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए और उसकी जो कमियां हैं, उन कमियों की पूर्ति करने के लिए वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाने चाहिएं।

जैसे शरीर बीमार होता है और उसमें कभी डाक्टर कहते हैं- ये खाओ, ये न खाओ। कभी डाक्टर कहते हैं- ये दवाई लो, ये दवाई मत लो। कभी डाक्टर कहते हैं- थाड़े दिन आराम करो। जैसा शरीर के लिए नियम होते हैं न, वैसे ही सारे नियम ये मां के लिए भी होते हैं, ये मिट्टी के लिए भी होते हैं। ये हमारी मां हमने ऐसे वैसे नहीं कहा है। हमने उस मां की चिंता करना छोड़ दिया! क्योंकि हमें लगा- मां है, बेचारी क्या बोलेगी, जितना निकाल सकते हैं, निकालो! पानी निकालना है, निकालते चलो! यूरिया डाल करके फसल ज्यादा मिलती है, लेते रहो! मां का क्या होता है! कौन रोता है! हमने मां की परवाह नहीं की। आज समय की मांग है कि हम धरती मां की चिंता करें। अगर हम धरती मां की चिंता करेंगे तो मैं आपको वादा करता हूं, ये धरती मां हमारी चिंता करेगी।

जिस मनोभाव से मैंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का काम चलाया है, उतने ही मनोभाव से ये धरती रूपी मां को बचाने के लिए मैंने अभियान छेड़ा हुआ है और मुझे मेरे किसान भाईयों का साथ चाहिए, सहयोग चाहिए ये, मां को बचाने है, ये मिट्टी को बचाना है, ये धरा को बचाना है और तब जा करके हम सुजलाम सुफलाम भारत का सपना देख सकते हैं। वंदे मातरम गाते ही कितना गर्व होता है, लेकिन वंदे मारतम हमें संदेश देता है ‘सुजलाम सुफलाम’ भारत माता का। ‘सुजलाम सुफलाम’ भारत माता! तब तक ‘सुजलाम सुफलाम’ नहीं बन सकती, जब तक इस माटी के प्रति हमारी ममता न हो, ये मां के प्रति हमारा प्रेम न हो। ये मां की रक्षा करने के लिए हम कदम न उठाएं। इस दायित्व को पूरा करने के लिए Soil Health Card एक उपाय है।

आज से 40 साल 50 साल पहले अगर हम बीमार होते थे तो गांव का वैद्यराज भी कोई जड़ी बूटी देता था, हम ठीक हो जाते थे। लेकिन वक्त बदल गया। बड़े से बड़े डाक्टर के पास जाते हैं, तो भी वो दवाई पहले देता नहीं है। आपको जांच करने के बाद कहता है- ऐसा करो, ब्लड टेस्ट करा के ले आओ, यूरिन टेस्ट करा के ले आओ, कफ का टेस्ट कारा के ले आओ और हम लेबोरेट्री में जा करके रक्त परीक्षण करवाते हैं, लोहे का, हमारे रक्त का परीक्षण करवाते हैं, फिर उसकी रिपोर्ट के आधार पर डाक्टर तय करता है कि आपकी ये समस्या है। आपको ये इंजेक्शन लेना पड़ेगा, ये दवाई लेनी पड़ेगी, ये खाना पड़ेगा, ये नहीं खाना होगा ..ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर करता है। जैसा शरीर का है, ब्लड टेस्ट कराने के बाद डाक्टर दवाई देता है, वैसे ही किसान को भी अपनी धरती की ये टेस्टिंग कराना ज़रूरी है.. किस उसमें कोई बीमारी तो नहीं है? कोई कमी तो नहीं आ गई? कोई तकलीफ तो नहीं हो गई है? और अगर हो गई है, तो धरा के भी डाक्टर होते हैं? वो हमें बताएंगे कि ये..ये करिए, आपकी मिट्टी के लिए ये काम आएगा। अब तक हमने नहीं किया है, लेकिन अब हमें करना होगा ताकि इसके कारण हमारी मेहनत बच जाएगी, हमारे पैसे बच जाएंगे, हमारा साल बच जाएगा और हम फसल जितनी चाहते हैं, उतनी प्राप्त कर सकते हैं।

और किसान को..अब परिवार बढ़ता जा रहा है। पहले दो भाईयों के बीच में दस बीघा ज़मीन होगी, तो अब पांच भाईयों के बीच में दस बीघा ज़मीन हो जाती है तो फसल ज्यादा पैदा किए बिना किसान का परिवार ज्यादा चलने वाला नहीं है। इसलिए ये Soil Health Card, जिसका मंत्र है- “स्वस्थ धरा” और जिसका संदेश है- “खेत हरा”। “स्वस्थ धरा, खेत हरा”, ये सपना साकार करने के लिए मेरा सभी किसान भाईयों से आग्रह है कि हम हर वर्ष अपनी धरती का, अपनी खेती की ज़मीन का मिट्टी के नमूने का परीक्षण करवाएं। सरकार इस योजना को देश व्यापी लागू कर रही है। उसको और अधिक वैज्ञानिक बनाना है। जैसे आजकल हर छोटे मोटे शहर में ब्लड टेस्ट की लेबोरेट्री होती है, पेथालाजी लेबोरेट्री होती है, हम चाहते हैं कि आने वाले दिनों में लाखों की तादात में ऐसे नए entrepreneur तैयार हों, जिनको ये सायल टेस्टिंग का काम आता हो। वे अपनी लेबोरेट्री बनाएं और वे किसानों को लैब में परीक्षण करके दें। जहां एपीएमसी है, एपीएमसी के लोग भी अपने यहां एक लैब बनाएं और जितने किसान आते हैं, उनको माटी का परीक्षण करके देने की व्यवस्था खड़ी करें। इतना ही नहीं, मैं देश की सभी राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि अपने अपने राज्य में 10वीं कक्षा, 11वीं कक्षा, 12वीं कक्षा, कालेज, जहां भी ज्ञान की स्कूल है, वहां पर लेबोरेट्री होती है। स्कूल की लेबोरेट्री फरवरी महीने से जून महीने तक बंद रहती है, क्योंकि बच्चे exam में लग जाते हैं, बाकी vacation शुरू हो जाता है। स्कूल की लेबोरेट्री को ही vacation के समय में soil टेस्टिंग लेबोरेट्री में convert करें। हम 10वीं- 12वीं कक्षा के बच्चों को soil टेस्टिंग सिखाएं। vacation में उन गरीब बच्चों की इनकम भी होगी और जो विज्ञानशाला होगी उसको कमाई भी होगी और उस इलाके के जो किसान होंगे, उनकी मिट्टी का परीक्षण भी हो जाएगा। एक पंथ, अनेक काज, हम एक के बाद एक काम को आगे बढ़ा सकते हैं। आगे चल करके यही विद्यार्थी, अगर ये विषय उनको आ गया तो स्वयं अपनी लेबोरेट्री खोल सकते हैं। वो अपना व्यापार धंधा इसी में शुरू कर सकते हैं और मेरा अनुभव है, जब मैं गुजरात में था, मैंने पूरे गुजरात में soil हैल्थ कार्ड लागू किया था। उसका परिणाम ये आया कि किसान मुझे कहने लगा कि साब हमें तो मालूम नहीं था कि हमारी मिट्टी ऐसी है। हम तो हर साल फसल डालते थे और हमारे रिश्तेदारों को तो ज्यादा फसल होती थी, हमारी नहीं होती थी। अब पता चला कि तकलीफ क्या थी। किसी ने कहा कि भई मैं तो ये दवाई डालता था, ये मिट्टी का परीक्षण करने के बाद पता चला कि मैं बेकार में दस हज़ार रूपए की दवा फालतू में डाल देता था। किसी ने देखा कि मैं फलाना फर्टिलाइज़र डालता था, ये परीक्षण के बाद पता चला कि मुझे तो फर्टिलाइज़र की ज़रूरत ही नहीं थी। हम जो फालतू खर्चा करते हैं, ये मिट्टी परीक्षण के कारण हमारा फालतू खर्चा अटक जाएगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि माटी परीक्षण के द्वारा हमें जो सूचना मिली हो अगर उस पद्धति से हम खेती करेंगे, उस पद्धति से फसल का फैसला करेंगे, उस पद्धति से पानी का उपयोग करेंगे, उस पद्धति से दवाई और फर्टिलाइज़र का उपयोग करेंगे, बिना मेहनत, अगर तीन एकड़ भूमि होगी तो किसान कम से कम 50 हज़ार रूपया बच जाएगा, ये मैं आज आपको विश्वास दिलाता हूं.. जो कि फालतू में ही जाता था ..। एक किसान का 50 हज़ार रूपया बच जाना, मतलब उसकी जि़ंदगी में बहुत बड़ी जीत हुई है।

हम वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ेंगे। फसल ज्यादा होगी, वो अलग, कमाई ज्यादा होगी वो अलग। फालतू खर्चा बच जाएगा। इसलिए मैं यहां आग्रह करने आया हूं कि जैसे हम बीमार होते हैं, ब्लड टेस्ट करवाते हैं, आप हमारी इस माटी का भी प्रतिवर्ष, खेती का सीज़न शुरू होने से पहले, उसका सायल टेस्टिंग कराना चाहिए। सरकार उसके लिए एक बड़ा अभियान चलाने वाली है, आप उसको सहयोग दीजिए।

दूसरी बात है, पानी। एक बात हमें समझनी होगी, पानी का अभाव जितना खतरनाक है, उतना ही पानी का प्रभाव भी खतरनाक होता है। हम पानी के अभाव के लिए तो रोते रहते हैं, लेकिन पानी के प्रभाव के कारण होने वाली परेशानियां.. उसकी तरफ हमारा ध्यान नहीं होता है। मुझे बताईए, हमारे गंगानगर इलाके में क्या हुआ? पानी तो था! लेकिन पानी का जो अनाप-शनाप उपयोग किया और उसके कारण हमारी मिट्टी का हाल क्या हो गया। सारा साल्ट मिट्टी पर कब्जा करके बैठ गया है। पूरी मिट्टी बरबाद कर दी, पानी ने बरबाद कर दी! क्यों? हमने पानी का अनाप-शनाप उपयोग किया। इसलिए मेरे भाईयों बहनों! पानी का अभाव और पानी का प्रभाव दोनों से बच करके चलना अच्छी खेती के लिए आवश्यक है और पानी के प्रभाव से बचना है तो हमें drip irrigation को लेना होगा। हमें पानी के अभाव से बचना है तो भी drip irrigation काम आएगा। हम micro irrigation पर चलें, स्प्रींकलर पर चलें।

इस्राइल! इस्राइल के अंदर राजस्थान से ज्यादा बारिश नहीं होती है। मैं और वसुंधरा जी दोनों इस्राइल गए थे। क्योंकि राजस्थान और गुजरात दोनों जगह पर बारिश कम है, हम चाहते थे कि पानी कम है तो खेती हमें आगे बढ़ानी है। और वहां से जो लाए हम.. आपने देखा होगा, आपके यहां olive की खेती हो रही है। इसी बेल्ट में हो रही है, आपके यहां खजूर की खेती हो रही है और आने वाले दिनों में राजस्थान खजूर export करने लग जाएगा। एक छोटा सा प्रयास कितना बड़ा परिवर्तन लाता है, वो राजस्थान की धरती ने देखा है। अगर हम, जो इस्राइल ने किया है, drip irrigation के द्वारा.. टपक सिंचाई..बूंद बूंद पानी..। कभी कभी मैं ये बात बड़े आग्रह से कहना चाहता हूं, अगर फसल भी, जैसे घर में बच्चों को बड़ा करते हैं न.. वैसा ही काम है। बालक को बड़ा करने के लिए जितनी care करनी पड़ती है, फसल को भी बड़ा करने के लिए उतनी ही care करनी पड़ती है। अब मुझे बताइए मेरे किसान भाईयों बहनों, मैं एक छोटा सा विषय आपके सामने रखता हूं। मैं आशा करता हूं, ज़रा गौर से सुनिए। मान लीजिए आपके घर में तीन साल का बच्चा है। लेकिन उसके शरीर में उसका विकास नहीं हो रहा है, ऐसे ही मरा पड़ा रहता है, बिस्तर पर ही पड़ा रहता है, उसके साथ खेलने का मन भी नहीं करता है, कभी हंसता नहीं है, ऐसी मरी पड़ी सूरत ले करके पड़ा रहता है, तो मां बाप को लगता है, कि बच्चे को कोई बीमारी है, कुछ करना चाहिए। मान लो, आपको, उस बच्चे का वजन बढ़े ऐसी इच्छा है, बच्चा तंदूरूस्त है, ऐसी इच्छा है तो कोई मां ये कहेगी कि बाल्टी भर दूध ले करके, दूध में केसर पिस्ता डाल करके, बढि़या सा दूध तैयार करके, फिर उस दूध में बच्चे को नहलाएगी? और रोज़ एक एक बाल्टी दूध से नहलाएगी! क्या बच्चे की तबीयत में फर्क आएगा क्या? माताएं बताएं, आएगा क्या? बच्चे की तबीयत में फर्क आएगा? बाल्टी भर रोज़ केसर का दूध, उसको नहलाते चले जाएं, बच्चे के शरीर में कोई बदलाव आएगा क्या? नहीं आएगा न? लेकिन एक चम्मच ले करके दो दो बूंद दूध उसको पिलाएंगे, दिन में 10 बार-12 बार पिलाएंगे तो महीने भर में उसके शरीर में बदलाव आना शुरू होगा कि नहीं होगा? बाल्टी भर दूध नहलाने से उसका शरीर नहीं बनता है। दो दो बूंद पिलाने से उसका शरीर बनने लग जाता है।

फसल का भी .. किसानों की सोच ऐसी है कि खेत लबालब पानी से भरा होगा पूरी फसल डूबी हुई होगी। पानी ही पानी नज़र आएगा तब फसल होगी। ये वैसी ही सोच है, जब बीमार बच्चे को दूध से नहलाते हैं। फसल को आप पानी से नहलाओ, ये ज़रूरी नहीं है। फसल को एक बूंद पानी पिलाना पड़ता है, एक-एक बूंद पानी पिलाना पड़ता है और इसलिए बूंद बूंद पानी से ही फसल अच्छी होती है। Flood-Irrigation से नहीं होता है। इसलिए मैं किसानों से आग्रह करने आया हूं कि भारत जैसे देश को यदि आगे बढ़ना है, तो हमें पानी बचाना पड़ेगा। “per drop more crop”.. एक एक बूंद पानी से अधिकतक फसल कैसे प्राप्त करें, ये ले करके हमें चलना है, तब जा करके हम कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ा सकते हैं।

ये Soil Health Card की बात हो, पानी बचाने की बात हो, कृषि क्षेत्र को आगे ले जाने का प्रयास हो। मैं मेरे देश के किसानों से कहना चाहता हूं.. मैं पूरी तरह समझता हूं कि हिंदुस्तान को अगर आगे बढ़ना है, तो हिंदुस्तान में गांव को आगे बढ़ाना पड़ेगा। गांव को को अगर आगे बढ़ना है तो किसान को आगे बढ़ाना पड़ेगा और किसान को अगर आगे बढ़ना है तो हमारे कृषि क्षेत्र में क्रांति लानी पड़ेगी। इसलिए मेरी सरकार.. गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का अगर सबसे बड़ा कोई ताकतवर हथियार है तो वो हमारी खेती है, हमारे किसान हैं, हमारी कृषि है, हमारी माटी है, हमारी फसल है। इसलिए सरकार की सारी योजनाएं कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाना, कृषि क्षेत्र को ताकतवर बनाना, इसी पर हमने केंद्रित की है और वैज्ञानिक आधुनिक कृषि के लिए आज हमें वैज्ञानिक योजनाएं ले करके, आज राजस्थान की धरती से उसका आरंभ कर रहें हैं।

आने वाले दिनों में, मैं किसानों से भी कहना चाहता हूं, हमें हमारी कृषि को आर्थिक रूप से भी अब जोड़ना चाहिए, उसका आर्थिक बैलेंस भी करना चाहिए। हमें अगर आगे बढ़ना है, तो किसानों को तीन भाग में खेती करनी चाहिए, तीन भाग में। एक तिहाई जो वो खेती करता है, अपनी परंपरागत करता रहे, उसमें आधुनिकता लाए, वैज्ञानिकता लाए, technology लाए। एक तिहाई हम वृक्षों की खेती करें, पेड़ की की खेती करें। आज हमारे देश में इतना टिम्बर इम्पोर्ट करना पड़ता है। हमारे खेत के किनारे पर हम बाड़ लगाते हैं और दो दो फीट दोनों किसानों की ज़मीनें खराब करते हैं। उस बाड़ की जगह पर अगर हम पेड़ लगा दें तो 15-20 साल के बाद वो पेड़ हमें लाखों रूपया दे सकते हैं। ज़मीन भी खराब नहीं होगी। पेड़ लगने से ज़मीन को भी लाभ होगा और हमारी फसल को भी लाभ होगा। एक तिहाई पेड़,एक तिहाई हमारी रेग्यूलर खेती और एक तिहाई पशु पालन, poultry farm , fisheries , इन कामों पर लगाया जाए। दूध उत्पादन करें, पाल्ट्री फार्म चलाएं, फिशरीज वाला काम करें। आप देखिए, किसान को कभी रोने की नौबत नहीं आएगी, गांव की economy बदल जाएगी। इसलिए मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूं कि हम एक नए तरीके से कृषि जीवन को आगे बढ़ाने की दिशा में आगे काम करें। इसीलिए आज जब Soil Health Card आपके यहां आरंभ हो रहा है।

श्रेष्ठ कृषि करने वाले देश के किसानों को आज सम्मानित करने का मुझे अवसर प्राप्त हो रहा है। हम उनसे सीखें, वो किस प्रकार की फसल उगाए हैं, क्या प्रयोग किए हैं, हम उनसे जानें और हमारे इलाके में हम उनको लागू करें। मैं फिर एक बारे वसुंधरा जी का आभारी हूं, उन्होंने भारत सरकार का इतना बड़ा समारोह अपने यहां organize किया, इतनी बड़ी सफलता के साथ organize किया। मैं इसके लिए राजस्थान सरकार को हृदय से अभिनंदन करता हूं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जितनी बातें आपने उठाई हैं, उन सारी बातों का समाधान हम मिल-जुल करके करेंगे और राजस्थान को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में भारत सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी, ये मैं आपकों विश्वास दिलाता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद।

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In a democracy like India, people of the country should be prioritized over ‘Familial Dynastic Politics’: PM Modi
October 03, 2023
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The NTPC Plant will enable a faster industrialization of the state of Telangana: PM Modi
Due to the collective efforts of the women of Telangana, Nari Shakti Vandan Adhiniyam has been passed with a resounding majority in Parliament: PM Modi
Telangana is a state with brimming talent, always contributing to the developmental prospects for India: PM Modi
In a democracy like India, people of the country should be prioritized over ‘Familial Dynastic Politics’: PM Modi
People should beware this unholy BRS-Congress Alliance as they have only promoted misdeeds for Telangana: PM Modi

भारत माता की, भारत माता की,
मैं मेरा भाषण शुरू करने से पहले ये नन्ही सी गुड़िया भारत मां का रूप लेकर आई है। मेरी तरफ से बहुत-बहुत अभिनंदन बेटा। शाबाश।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
आज मुझे तेलंगाना के लोगों को 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का उपहार देने का सौभाग्य मिला है। NTPC के आधुनिक पावर प्लांट से तेलंगाना के औद्योगिक विकास को एक नई तेज गति मिलेगी। इस प्लांट में जो बिजली पैदा होगी, उसका ज्यादा हिस्सा तेलंगाना के लोगों को ही मिलेगा, आपको ही मिलेगा और इससे आपकी Ease of Living बढ़ेगी। भाइयों-बहनों, आपको याद होगा इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने का सौभाग्य मुझे मिला था। और ये मोदी की गारंटी की ताकत देखिए, आज मोदी ही आकर उसका उद्घाटन कर रहा है। आज ही रेलवे और हेल्थ के भी कई प्रोजेक्ट तेलंगाना के मेरे भाइयों-बहनों के चरणों में आज मुझे समर्पित करने का सौभाग्य मिला है। इनसे तेलंगाना के लोगों को critical care की सुविधा मिलेगी और कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी। तेलंगाना और तेलंगाना के लोगों के कल्याण के प्रति बीजेपी का संकल्प लगातार मजबूत हो रहा है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
आज, सबसे पहले, मैं निजामाबाद की माताओं-बहनों-बेटियों को धन्यवाद देना चाहूंगा। और आज यहां इतनी बड़ी तादाद में स्वागत करने, आशीर्वाद देने आईं उससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या होता है। तेलंगाना की मेरी बहनें एक बड़ी क्रांति का हिस्सा बनी हैं, तेलंगाना की मेरी बहनों ने इतिहास बनाया है। कुछ ही दिन पहले, संसद में नारीशक्ति वंदन अधिनियम पास हो गया है। कांग्रेस और उसके इंडी अलायंस ये घमंडिया गठबंधन 30 साल उसे रोककर बैठे थे। उनको किसी की परवाह ही नहीं थी। भांति-भांति की ये चलाकियां करते थे, दिखावा करते थे और खेल दूसरा खेलते थे लेकिन इस बार ये मेरे देश की माताओं-बहनों की ताकत देखिए, नारी शक्ति की संगठित ताकत देखिए कि सारे के सारे घमंडिया लोगों को ये संसद के अंदर नारीशक्ति वंदन अधिनियम को मजबूरी से समर्थन करना पड़ा है। ये इसलिए हो पाया क्योंकि तेलंगाना की महिलाओं ने, मेरे देश की माताओं और बहनों ने साथ मिलकर, वोट की शक्ति से अपने एक-एक वोट से माताओं ने अपने इस बेटे को मजबूत बनाया है। बहनों ने अपने इस भाई को मजबूत बनाया है। और माताएं-बहनें आपने मजबूती दी है इसलिए मजबूती से आपका ये बेटा काम कर पा रहा है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना वो राज्य है जिसने देश के विकास में हमेशा अपना योगदान दिया है। आप भारत की प्रगति के आधार हैं। तेलंगाना में चारों तरफ टैलेंट ही टैलेंट है। जब दुनिया में इतनी बड़ी कोरोना महामारी आई, तो तेलंगाना ने भी वैक्सीन बनाकर पूरी दुनिया में भेजी। तेलंगाना के लोगों में विकास की जो Aspiration है, उसे मैं भली भांति समझ सकता हूं। अभी मैं देख रहा था क्या वाइब्रेंसी थी, क्या ऊर्जा थी, क्या जुनून था। मेरे साथियों आपको सौ-सौ सलाम। केंद्र सरकार में रहते हुए हम तेलंगाना के लिए जितना कर सकते हैं, वो हम लगातार कर रहे हैं। आपको याद होगा न, हमलोगों ने निजाम की हुकूमत, देश तो आजाद हुआ था लेकिन हमारा ये हैदराबाद और ये सारा इलाका आजाद नहीं हुआ था। निजाम अडंगे लगाकर बैठा था कि नहीं था। एक गुजराती बेटा सरदार वल्लभभाई पटेल उसने ताकत का परिचय दिया और आपकी आजादी को पक्का कर दिया। आज दूसरा गुजराती बेटा आपकी समृद्धि के लिए आया है, आपके विकास के लिए आया है, आपकी पढाई के लिए आया है। हमने तेलंगाना में नेशनल हाईवेज, नई रेल लाइनों, नए अस्पतालों का निर्माण किया है। भाजपा सरकार ने यहां BRS सरकार को तेलंगाना के विकास के लिए भारी धनराशि भी दी है। लेकिन दुर्भाग्य से, BRS ने तेलंगाना के लोगों के लिए भेजा गया पैसा बीच में ही लूट लिया। लूट सके तो लूट यही उनका मंत्र है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रजा का महत्व होना चाहिए, परिवारवादियों का नहीं। और इन्होंने तो लोकतंत्र को लूट तंत्र बना दिया है, प्रजा तंत्र को परिवार तंत्र बना दिया है। तेलंगाना के निर्माण के लिए हजारों परिवार संघर्ष करते-करते तबाह हुए, अनेकों नौजवानों ने अपना बलिदान दिया। माताओं-बहनों ने मुसीबतें झेलीं। लेकिन एक परिवार ने सबकुछ कब्जा कर लिया और उन परिवारों को पूछने वाला कोई नहीं है। तेलंगाना में बस एक ही परिवार ने, यहां के लाखों परिवारों के सपनों पर कब्जा कर लिया है। वर्तमान तेलंगाना में या तो केसीआर खुद हैं, उनके बेटे हैं, उनकी बेटी हैं या उनके भतीजे हैं या उनके भांजे हैं या चाहे उनके ससुराल वाले हैं। कोई बचा ही नहीं है, बस यही काम, लूटो। क्या आपने कभी सोचा है कि वो कैसे आपके एक वोट का उपयोग केवल अपने परिवार को अमीर बनाने में कर रहे हैं। इन लोगों ने तेलंगाना में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
परिवारवाद का सबसे बड़ा नुकसान, देश के युवा को उठाना पड़ता है। जब पूरा सिस्टम एक परिवार की सेवा में लगा रहता है, तब वो परिवार सिस्टम में top से लेकर bottom तक उन्हीं लोगों की भर्ती करता है, जो उनके करीबी हों। तेलंगाना के नौजवानों को वो अवसर नहीं मिलता है। फिर किसी भी महत्वपूर्ण पद पर तेलंगाना के तेजस्वी युवा को मौका नहीं मिल पाता। इन लोगों से अलग, बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जो किसी विशेष परिवार के बजाय सामान्य मानवी और उसके परिवार के लिए काम करती है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना के लोगों को ये कांग्रेस से भी बहुत सावधान रहना है। ये तो बड़े खिलाड़ी हैं। इनको देश, समाज कुछ लेना देना नहीं है। और पूरा हिंदुस्तान कांग्रेस नकार चुका है। जिस राज्य में कांग्रेस एक बार चली जाती है, वहां फिर उसका सरकार में वापस लौटना मुश्किल होता है। इसलिए कांग्रेस की कोशिश किसी भी तरह वोटों का बंटवारा करने का कांट्रैक्ट लिया है। और बीआरएस कांग्रेस को वोटो बटवाड़ा कराने के लिए तिजोरी खुली करके बैठ गई है। पर्दे के बीच खेल चल रहा है। बैकडोर इंट्री ये बीआरएस और कांग्रेस की भरपूर चल रही है। इसके लिए वो राज्य की अन्य कमजोर पार्टियों को अपना सहारा बना रहे है। आज जब तेलंगाना में BRS की हार तय है BRS का पराजय तय है, BRS का जाना तय है, तो कांग्रेस ने पर्दे के पीछे BRS से गठबंधन कर लिया है। कर्नाटका चुनाव में BRS ने कांग्रेस की जमकर मदद की थी और अब इस चुनाव में कांग्रेस अपना कर्ज उतार रही है, क्योंकि कर्नाटक में भरपूर खजाना ये तेलंगाना की जनता से लूटा हुआ माल कर्नाटक में कांग्रेस को दे दिया गया ताकि वहां कांग्रेस जीत जाए फिर उसको मिलकर तेलंगाना में खेल जाए।

मैं आज पहली बार एक रहस्य खोलने जा रहा हूं। खोल दूं, सच बता दूं, बता दूं भाइयों, पहले कभी नहीं बताया, आज बता देता हूं। और मेरे पत्रकार मित्रों से भी कहता हूं जांच करवा लेना। शत-प्रतिशत सच बताने आया हूं मैं आज। जब हैदराबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन का इलेक्शन हुआ भारतीय जनता पार्टी 48 सीटें जीत करके आ गई। किसी को बहुमत नहीं मिला। केसीआर को सपोर्ट की जरूरत थी। और आपने देखा होगा हैदराबाद कारपोरेशन के चुनाव के पहले वो एयरपोर्ट पर पूरी फौज लेकरके मेरा स्वागत करने आते थे। बढिया-बढिया माला पहनाते थे। बहुत सम्मान करते थे। याद है न। फिर क्या हुआ। अचानक बंद हो गए। अचानक इतना गुस्सा क्यों निकल रहा है। इसका कारण ये है कि हैदराबाद चुनाव के बाद, ये भी तारीख चेक कर लें मीडिया वाले। वो दिल्ली मुझे मिलने आए। बहुत बढिया मुझे शॉल ओढाई। बहुत मुझे आदर किया। और इतना प्यार दिखाया, इतना प्यार दिखाया, ये केसीआर के कैरेक्टर में ही नहीं है। और फिर मुझे कहने लगे कि आपके नेतृत्व में देश प्रगति कर रहा है। हम भी एनडीए का हिस्सा बनना चाहते हैं। आप हमें एनडीए में शामिल कर दीजिए। मैंने कहा- आगे क्या। बोले हैदराबाद म्युनिसिपालिटी में हमारी मदद कर दीजिए। मैंने केसीआर से कहा, आपके कारनामे ऐसे हैं कि मोदी आपके साथ जुड़ नहीं सकता। हैदराबाद में हमें विपक्ष में बैठना पड़ेगा तो बैठेंगे, केसीआर सरकार अगर हमारे कार्यकर्ताओं पर जुल्म करेगी तो जुल्म सहेंगे, लेकिन हम तेलंगाना की जनता से दगा नहीं कर सकते हैं। भले तेलंगाना की जनता ने हैदराबाद हमें पूर्ण बहुमत नहीं दिया लेकिन 48 सीट भी तेलंगाना का भाग्य बदलने की शुरुआत है। और मैंने उसने हर प्रकार से मदद करने से इंकार कर दिया। उनको एनडीए में एंट्री देने से इंकार कर दिया। उसके बाद उनका दिमाग फटका। फिर तो वो भांति-भांति से दूर भागने लगे। मैं भ्रष्टाचार के सवाल पूछने लगा। फिर एक बार दोबारा आए, वो मुझे कह रहे कि मोदी जी मैंने बहुत काम कर लिया अब मैं सारा कारोबार केटीआर को दे देना चाहता हूं, मैं एक बार केटीआर को भेजूंगा, आप जरा आशीर्वाद दे देना। ये उन्होंने मुझसे कहा। मैंने कहा कि केसीआर, ये लोकतंत्र है तुम कौन होते हो बेटे को राजगद्दी दे दो, तुम राजा-महाराजा हो क्या। अरे तेलंगाना की जनता तय करेगी किसको बिठाना है किसको नहीं बिठाना है। बस वो दिन आखिरी था। उसके बाद एक बार भी वो मेरे आंखें नहीं मिला पा रहे हैं। मेरा परछाया भी देखने की हिम्मत नहीं बची उनकी। आपने देखा, अभी मैं सरकारी कार्यक्रम करके आया, कोई भी भ्रष्टाचारी मेरे बगल में बैठ करके मेरा ताप सहन नहीं कर सकता है, इसीलिए भाग रहे हैं ये।

मेरे परिवारजनों,
कांग्रेस ने अब एक नई बात शुरू की है। ये तो मैंने केसीआर का पुराण बताया। अब कांग्रेस ने सत्ता भूख के लिए, सत्ता हथियाने के लिए एक नई भाषा बोलना शुरू किया है। नई बातें बोलना शुरू किया है। आजकल क्या कह रहे हैं। जितनी आबादी उतना हक। मैं जरा पूछना चाहता हूं कि जिन्होंने ये वाक्य लिखकर दिया है उन्होंने सोचा है क्या जब तुम कह रहे हो तो कांग्रेस की मूलभूत नीतियों पर ही सवाल खड़ा कर रहे हो। जब आप कहते हो कि जितनी आबादी उतना हक। इसका मतलब ये हुआ कि अब कांग्रेस घोषणा करे, क्या आप अल्पसंख्यकों विरोधी हैं क्या। कांग्रेस स्पष्ट करे, आप दक्षिण भारत के विरोधी है क्या। मैं सिद्ध करता हूं, उनकी ये नई सोच दक्षिण भारत के साथ घोर अन्याय करने वाली सोच है। ये नई सोच माइनारिटी के पीठ में छुरा घोंपने वाली सोच है। आजकल देश में अगले डी-लिमिटेशन की चर्चा हो रही है। आपको मालूम है न। 25 साल के बाद पार्लियामेंट की सीटें कितनी होगी, इसका निर्णय जूडिशियरी करती है। और इसके कारण जहां जनसंख्या कम है उसकी सीटें कम हो जाती है। जहां जनसंख्या ज्यादा है उनकी सीटें बढ़ जाती है। अब हमारे दक्षिण भारत के सभी राज्य ने जनसंख्या वृद्धि को रोकने में देश की बहुत बड़ी मदद की है। अब कांग्रेस का नारा ऐसा है कि जिसकी जितनी आबादी उतना उसका हक। इसका मतलब कांग्रेस अब दक्षिण भारत के संसद सदस्यों की संख्या कम करने का नाटक करने जा रही है। खेल खेलने जा रही है। क्या दक्षिण भारत इसको स्वीकार करेगा। क्या दक्षिण भारत कांग्रेस की इस चाल को स्वीकार करेगा। क्या दक्षिण भारत कांग्रेस को माफ करेगा। इस विषय पर मैं कांग्रेस के नेताओं को साफ कहता हूं देश को मूर्ख मत बनाओ, स्पष्ट करो, क्या कारण है, दक्षिण भारत के राज्यों को अन्याय करने के खेल खेले जा रहे हैं। और इंडी गठबंधन के दूसरे दलों से भी मैं कहूंगा हिम्मत है तो कांग्रेस से पूछिए कि वो किस रास्ते पर जा रही है। मैं दूसरा सवाल पूछता हूं जो कहते हैं, जितनी आबादी उतना हक। मैं कांग्रेस को सवाल पूछता हूं साउथ के अंदर, खासकरके तमिलनाडु में मंदिरों पर सरकार का हक है। सरकार ने कब्जा कर लिया है। मंदिरों की संपत्ति को सरकारी मिलीभगत में हड़प लिया जा रहा है। मंदिरों को तो लूटा जा रहा है, मंदिरों पर तो कब्जा किया गया है लेकिन minorities के पूजा स्थल को हाथ नहीं लगाते हैं। सरकार के नियंत्रण में नहीं लेते हैं।

अब कांग्रेस ने जो नारा दिया है। कांग्रेस ने कहा कि जितनी आबादी उतना हक, अगर यही आपका मंत्र है, यही सिद्धांत है तो क्या minorities के जितने पूजा स्थल हैं उनको ये दक्षिण के आपके सारे साथी जब्त करेंगे क्या। उनका कब्जा करेंगे क्या। उनकी प्रापर्टी को लोगों के काम लाएंगे क्या। नहीं लाएंगे। मैं दूसरे सवाल पूछता हूं कांग्रेस से। ये जो नारा देते हैं तो क्या कांग्रेस और उसके साथी खासकरके तमिलनाडु क्या वो वहां हिंदू मंदिरों को जो कब्जा किया जा रहा है, हस्तक्षेप किया जा रहा है। दक्षिण के अधिकतर राज्यों में यही खेल चलाहै। जब आप कहते हैं जितनी आबादी उतना हक तो क्या ये हक हिंदुओं को आप वापिस देंगे क्या। जवाब दीजिए। ये झूठी बातें मत करिए। लोगों को भ्रमित करने का खेल खेलना बंद कर दीजिए। कांग्रेस को इंडी एलायंस को इस बारे में अपना स्टैंड साफ करना चाहिए। कांग्रेस के साथी जो तमिलनाडु में राज करते हैं, जो केरल में राज करते हैं, जो तेलंगाना में राज करते हैं, जो कर्नाटका में राज करते हैं, ये सारे साथियों को कांग्रेस से बात-जवाब देना पड़ेगा।

साथियों,
आज देश में सबसे बड़ी जरूरतमंद, जिनको डगर-डगर पर मदद की जरूरत है, वो कौन है हमारे देश के गरीब परिवार हैं। अगर आज इस देश की सबसे बड़ी जाति है तो वो जाति गरीब है। और इन गरीबों की सबसे बड़ी जाति उनकी सेवा, उनका कल्याण, उनकी प्रगति, यही सच्चा सामाजिक न्याय है। हमारी सरकार ने पिछले 9 सालों से गरीब कल्याण के लिए दिन रात मेहनत की है। और इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि पिछले पांच वर्षों में साढ़े तेरह करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लेने का पवित्र काम हमने किया है। और इसीलिए मेरे लिए तो जाति अगर कोई है। देश की सबसे बड़ी जाति कोई है तो गरीब है। और अगर गरीब को गरीबी से बाहर निकालेंगे न तो ये देश समृद्ध होने से कोई रोक नहीं पाएगा। और यही मोदी का सपना है। यही मोदी की गारंटी है। यही मोदी का संकल्प है। यही मोदी की हमारी साधना है। यही मोदी की तपस्या है। और मैं अन्य सभी राजनीतिक दलों से भी आव्हान करता हूं। हाथ जोड़ करके मैं देश के सभी राजनेताओं को, सभी दल के मुखियाओं को, सभी पोलिटिकल पार्टियों को कहता हूं आइए, आजादी 57 साल हो गए, आइए, गरीबों के कल्याण के लिए विचार करें, गरीबों की भलाई के लिए विचार करें, गरीबों की भलाई के लिए योजनाएं बनाएं, गरीबों के उत्थान के लिए काम करें।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना विरोधी ये लोग चुनाव से पहले जनता को कुछ छोटे लाभ देकर अगले पांच साल तक तेलंगाना को लूटने का आधिकार हासिल कर लेते हैं। हमें तेलंगाना में इस परंपरा को उलट कर देना है, भाइयों-बहनों उसको रोकना है। रोकोगे क्या, रोकोगे क्या। तेलंगाना के भाइयों-बहनों मुझपर पांच साल भरोसा करो, ज्यादा नहीं कह रहा हूं, पांच साल भरोसा करो, इन्होंने जितना लूटा है न, मैं आपके चरणों में लाकर के रख दूंगा। आज भी कांग्रेस और BRS तेलंगाना के लोगों से विश्वासघात कर रही हैं। कई राज्यों में, कांग्रेस ने चुनाव से पहले ऐसे ही बड़े वादे किये थे और अब, उन्हें पूरा करने के लिए 15 अलग-अलग शर्त रख रही है। यहां BRS ने भी बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने का झूठा वायदा किया। कांग्रेस और BRS का रवैया बिल्कुल एक समान है। चुनाव से पहले आसमानी वादे करो और चुनाव के बाद सारे वादे भूलकर अपनी तिजोरी भरो।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
बीजेपी का track record अपने वायदे पूरे करने का है। पिछले कुछ महीनों से, आप सब देख रहे हैं कि केंद्र सरकार लाखों युवाओं को नौकरी देने के लिए रोजगार मेले का आयोजन कर रही है। इसकी घोषणा पिछले साल ही हुई थी। इस मेले के जरिए, 6 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र दिए जा चुके हैं। तेलंगाना के युवाओं को भी इसके जरिए लोगों की सेवा का अवसर मिला है। यहां के युवा ये देख रहे हैं कि ये पूरी प्रक्रिया बिना रुकावट और पारदर्शी तरीके से की गई है। तेलंगाना में से एक भी शिकायत नहीं आई है कि नौकरी मिली, लेकिन किसी को मोदी को पैसा पहुंचाना पड़ा, ऐसी एक घटना नहीं आई है। इसलिए BRS के युवा-विरोधी रवैये और इसकी सरकार को यहां के युवा करारा जवाब देने का मन बना चुके हैं। मेरी बात सही है न। मेरी बात सही है न। युवाओं ने तय कर लिया है न, ये जाएगा न, बीआरएस जाएगी न, पक्का जाएगी न। मैं तेलंगाना के युवाओं से भी कहूंगा। हमारे युवाओं को निराश होने की जरूरत नहीं है, मेरे नौजवान साथियों, ये मोदी की गारंटी है, आपको निराश होने की जरूरत नहीं है, भाजपा सरकार आते ही, BRS के पापों को मैं एक-एक खोल करके रख दूंगा। उनकी सारी बुराइयों को निकाल करके रहूंगा। और अभियान के तौर पर करके रहूंगा। क्योंकि मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं, कैसे लूट रहे हैं। यहां के युवाओं के लिए, केंद्र सरकार ने दो दिन पहले ही एक Central Tribal University की स्थापना का ऐलान किया है। इस विश्वविद्यालय का नाम आदिवासी देवियों सम्मक्का-सारक्का के नाम पर रखा जाएगा। इस पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
तेलंगाना के किसान आज उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। BRS government ने उनके साथ किए हर वादे को तोड़ा है। BRS सरकार ने किसानों से कर्जमाफी का वादा किया पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया। यहां सिंचाई परियोजनाओं को लेकर बड़ी घोषणाएं की गईं। लेकिन या तो उन्हें पूरा नहीं किया गया या फिर बिना तैयार किए उनका उद्घाटन कर दिया गया। दूसरी तरफ, पिछले कुछ वर्षों में, भाजपा ने ना सिर्फ किसानों की मदद का वादा किया बल्कि 40 लाख किसानों के खातों में करीब 10 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। हमने MSP बढ़ाने का वादा किया और उसे भी पूरा किया। ये मोदी की गारंटी है, पूरा करके रहता है।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
हर जिले के किसी एक उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए, उसका उत्पादन और एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार One District One Product योजना चला रही है। इस योजना के तहत निजामाबाद में हल्दी को प्रमोट किया जा रहा है। और जब हल्दी की बात आती है न, मैं खास करके तेलंगाना की बहनों को आज शत-शत नमन करना चाहता हूं। मैं तेलंगाना की किसान माताओं के चरण अपने माथा पर लेता हूं। उस चरण रज से मैं अपने आप को एक पवित्र प्रसाद के रूप में ले रहा हूं। क्योंकि सिर्फ तेलंगाना की माताएं-बहनें, हल्दी की खेती में दिवस-रात मेहनत करती है, इतना ही नहीं, वो खेती की पैदावार करती है, ऐसा नहीं, लेकिन कोविड के समय हल्दी ने दुनिया के बहुत लोगों को राहत दी है। पूरी दुनिया में हल्दी पहुंची है। दुनिया को बीमारी से मुक्त रखने का काम ये मेरे तेलंगाना की और मेरे देश की हल्दी पैदा करने वाली माता-बहनों ने की है। और इसीलिए मैं उन्हें नमन करता हूं। और इसीलिए दो दिन पहले महबूबनगर में ही मैंने इससे जुड़ी एक बड़ी घोषणा की है। हमने किसानों से किया एक और वायदा पूरा किया है। हल्दी उगाने वाले किसान भाइयों के लिए, उनके विकास के लिए अब देश में ‘National Turmeric Board’ का गठन किया जाएगा। ये बोर्ड हल्दी की उपज को देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विस्तार देने में मदद करेगा। इस निर्णय का बड़ा लाभ तेलंगाना के किसानों को भी होगा। मैं एक बार फिर तेलंगाना के किसानों को, निजामाबाद के किसानों को और खास करके हल्दी के खेत में काम करने वाली मेरी लाखों माताओं-बहनों को आज ‘National Turmeric Board’ की बधाई देता हूं।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
आप बीजेपी को एक मौका दीजिए। मुझे आपकी सेवा करने का मौका चाहिए। देंगे, मुझे सेवा करने का मौका देंगे, मुझे आपके दुख दूर करने का मौका देंगे। मुझे आपकी कमाई को पाई-पाई बचाने का मौका देंगे। मुझे आपका भला करने का मौका देंगे। मुझे तेलंगाना के नौजवानों, यूथ का भला करने का मौका देंगे। हम दिखाएंगे कि तेलंगाना कितनी ऊंचाई पर जा सकता है। बीजेपी तेलंगाना के विकास के लिए पूरी ईमानदारी से काम करेगी। तेलंगाना में डबल इंजन की सरकार बन गई तो यहां विकास डबल तेजी से होगा। बीजेपी तेलंगाना की लूट बंद करेगी। बीजेपी तेलंगाना के युवाओं को नए अवसर देगी। बीजेपी तेलंगाना की महिलाओं को मान-सम्मान और सुरक्षा देगी। बीजेपी तेलंगाना में ईमानदार और पारदर्शी शासन लाएगी।

ना कुटुम्भ सभ्युल्लारा,
चाहे गरीब हो, युवा हो, महिलाएं हों या किसान हो, भाजपा समाज के हर वर्ग के कल्याण को लेकर प्रतिबद्ध है। मुझे यकीन है कि तेलंगाना के लोग अभूतपूर्व स्नेह और सहयोग का आशीर्वाद हमें देते रहेंगे। मैं भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता से भी कहूंगा- हर बूथ को जीतिए, हर बूथ पर लोगों का दिल जीतिए। कमल घर-घर पहुंचे, कमल हर दिल में पहुंचे। कमल के दिल में तेलंगाना का हर नागरिक और तेलंगाना के हर नागरिक के दिल में कमल। हम मिलकर, तेलंगाना के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। इसी विश्वास के साथ, इतनी बड़ी तादाद में आपका आना, यही हवा का रुख बता देता है। बहुत-बहुत धन्यवाद।
मेरे साथ जोर से बोलिए-
भारत माता की, भारत माता की, भारत माता की। बहुत-बहुत धन्यवाद।