उपस्थित सभी मंचस्थ वरिष्ठ महानुभाव, राज्यों से पधारे हुए कृषि मंत्री, सरकारी अधिकारी, देश के अलग अलग कोने से आए हुए प्रगतिशील किसान, और प्यारे मेरे किसान भाईयों और बहनों,

भारत सरकार आज से एक नवीन योजना का आरंभ कर रही है। इस योजना का आज इस धरती से आरंभ हो रहा है, वह योजना हिंदुस्तान के सभी किसानों के लिए है।

आमतौर पर भारत सरकार ज्यादा से ज्यादा दिल्ली के विज्ञान भवन में कुछ लोगों को बुला करके कार्यक्रमों को करने की आदत रखती है। लेकिन मैं पुरानी आदतों को बदलने में लगा हूं। कुछ समय पहले भारत सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ इस अभियान का प्रारंभ किया। कई योजनाओं का प्रारंभ किया। लेकिन हमने तय किया कि योजनाएं हरियाणा में लागू की जाएं, शुरूआत वहां से की जाए क्योंकि हरियाणा में बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम है और हरियाणा के लोगों को बुला करके बात बताई।

आज ये कार्यक्रम राजस्थान की धरती पर हो रहा है। अभी हमारी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बता रही थीं कि हमारे पास केवल एक प्रतिशत पानी है। अब एक प्रतिशत पानी है तो हमने कुछ रास्ते भी तो खोजने पड़ेंगे। राजस्थान को प्यासा तो नहीं रखा जा सकता। ..और यही तो राजस्थान है जहां कोई लाखा वणजारा हुआ करता था। जो जहां पानी नहीं होता था। वहां पहुंच जाता था, बावड़ी बनवाता था और प्यासे को पानी पहुंचाता था।

जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री के नाते से काम करता था, मेरा ये सौभाग्य था कि दक्षिण राजस्थान में नर्मदा का पानी गुजरात से राजस्थान पहुंचाने का मुझे सौभाग्य मिला और उस समय हमारे भैरोसिंह जी मुझे कहा करते थे कि नरेंद्र भाई राजस्थान को कोई रूपया दे दे, पैसा दे दे, हीरा दे दे, उसके लिए इतनी पूजा नहीं होती है, जितनी पूजा कोई पानी दे दे तो होती है।

पानी ये परमात्मा का प्रसाद है। जैसे मंदिर में प्रसाद मिलता है, गुरूद्वारे में प्रसाद मिलता है और एक दाना भी हम ज़मीन पर नहीं गिरने देते। अगर गिर जाए तो लगता है, पाप कर दिया है। ये पानी के संबंध में हमारे मन में यही भाव होना चाहिए कि अगर एक बूंद भी पानी बरबाद हुआ, गलत उपयोग हुआ तो हमने कोई न कोई पाप किया है, परमात्मा की क्षमा मांगनी पड़ेगी।

पानी का इतना महातम्य..और हम राजस्थान और गुजरात के लोग तो ज़्यादा जानते हैं, क्योंकि बिना पानी जि़ंदगी कितनी कठिन होती है, ये हम लोगों ने अनुभव किया है। .. और इसलिए आज किसानों के लिए ये कार्यक्रम का आरंभ हमने उस धरती से शुरू किया है, जहां मरूभूमि है, जहां पानी की किल्लत है, जहां का किसान दिन रात पसीना बहाता है, उसके बाद भी पेट भरने के लिए तकलीफ होती है.. उस राजस्थान की धरती से देश के किसानों को संदेश देने का प्रयास ..और इसलिए मैं आज राजस्थान के किसानों के चरणों में आ करके बैठा हूं।

हमें हमारे कृषि विकास को, परंपरागत कृषि पद्धतियों से बदलना पड़ेगा और इसके लिए वैज्ञानिक तौर तरीकों को अपनाना पड़ेगा। एक समय था, हमारे देश में बीमारू राज्य जैसा एक शब्द प्रयोग हुआ करता था..बीमारू! जिसमें कि पिछले 20 साल से ये शब्द प्रयोग चल रहा है। बीमारू राज्य का मतलब होता था- बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश..ये बीमारू राज्य हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि राजस्थान के लोगों ने ऐसी सरकार चुनी है, आपको ऐसे मुख्यमंत्री मिले हैं, देखते ही देखते ये राजस्थान बीमारू श्रेणी से बाहर निकल जाएगा।

मैं ये इसलिए कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश की गिनती भी बीमारू राज्य में होती थी। लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में आर्थिक विकास का एक अभियान चला और उसका परिणाम ये आया कि आज मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ बीमारू राज्य में गिने नहीं जाते। उन्होंने जो विशेषता की, क्या की? मध्यप्रद्रेश ने जो सबसे बड़ा काम किया है, इसके लिए .. शिवराज जी तो आज आ नहीं पाए, लेकिन उनके राज्य को प्रथम नंबर का अवार्ड प्राप्त हुआ, तो सबसे ज्यादा कृषि उत्पादन के लिए हुआ। कृषि क्षेत्र में उन्होंने क्रांति की। उन्होंने सिंचाई की योजनाओं को आधुनिक बनाया, उन्होंने फसल को किसान के साथ आधुनिक शिक्षा पद्धति से जोड़कर develop किया..और कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि गंगा-यमुना के प्रदेशी कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं, मध्यप्रदेश ने गंगा और यमुना के प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया और आज देश में नबंर एक पर आकर खड़ा हो गया। वही एक ताकत थी जिसके कारण मध्यप्रदेश आज बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर आ गया।

राजस्थान में भी हम कृषि को, किसान को, गांव को, गरीब को.. एक के बाद एक जो कदम ले रहे हैं, राजस्थान सरकार और भारत सरकार मिल करके जो परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं, उससे मुझे विश्वास है कि वसुंधरा जी के नेतृत्व में भी इसी सरकार के कार्यकाल में राजस्थान अब बीमारू नहीं रहेगा, ये मेरा पूरा विश्वास है।

मैं चुनाव में आया तब भी, कैंसर स्पेशल की चर्चा मैंने की थी। यहां की ट्रेन “कैंसर स्पेशल” के नाम से चर्चित हो गई थी। ये स्थितियां बदलनी हैं। मैंने अभी एक नीति आयोग के तहत सभी राज्यों को अपने अपने राज्य में कृषि को लेकर एक “हाई पावर कमेटी” बनाने के लिए कहा है; “एक्सपर्ट कमेटी” बनाने के लिए कहा है। नीति आयोग को भी कहा है कि वो भी एक एक्सपर्ट कमेटी बनाए। राज्य अपने राज्य की कृषि समस्याओं को ले करके, अपने राज्य में कृषि विकास के रास्ते तय करते हुए, वे अपनी योजना बनाएं। देश के सभी राज्य और भारत सरकार मिल करके उसमें से common minimum चीज़ों को छांट लें और पूरे देश में इसे कैसे लागू किया जाए..। अब तक top to bottom दूनिया चलती थी, अब हम bottom to top चलाने जा रहे हैं। पहले राज्य कृषि के विषय में योजना बनाएंगे, फिर भारत सरकार उनके साथ बैठ करके बनाएगी और वो काम अभी प्रारंभ हो चुका है।

इसी तरह पानी .. राज्यों के बीच कुछ न कुछ समस्याएं हैं। उन राज्यों का फैसला हो जाए, बातचीत हो जाए। बैठ करके, बातचीत करके रास्ते खोजे जाएं और देश की समृद्धि की यात्रा में छोटी मोटी जो भी कठिनाईयां हैं, उन कठिनाईयों से रास्ते निकाल करके हम तेज़ गति से आगे बढ़ना चाहते हैं। देश को तेज़ गति से नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं।

आज Soil Health Card.. पूरे देश के लिए इस योजना का आरंभ हो रहा है। और Soil Health Card के लिए उसका घोष वाक्य है- “स्वस्थ धरा, खेत हरा”। अगर धरा स्वस्थ नहीं होगी तो खेत हरा नहीं हो सकता है। खातर कितना ही डाल दें, खाद कितना ही डाल दें, बीज कितना ही उत्तम से उत्तम ला दें, पानी में धरती को डूबो करके रखें, लेकिन अगर धरती ठीक नहीं है, धरा ठीक नहीं है तो फसल पैदा नहीं होती, अच्छी फसल पैदा नहीं होती। कम फसल पैदा होती है। हल्की क्वालिटी की फसल पैदा होती है। इसलिए किसान को पता होना चाहिए कि जिस मिट्टी पर वो मेहनत कर रहा है, उस मां की तबीयत कैसी है? ये धरा मेरी मां है। अगर घर में मेरी बूढ़ी मां अगर बीमार है, तो मैं चैन से सो नहीं सकता हूं। मैं तो किसान हूं, धरती का बेटा हूं, मैं धरती की बेटी हूं, अगर ये धरा बीमार हो तो मैं कैसे चैन से सो सकता हूं और इसलिए.. हमारी धरा, हमारी माता, ये हमारी मिट्टी, इसको बीमार नहीं रहने देना चाहिए। उसको और बीमार नहीं होने देना चाहिए। उसकी तबीयत की चिंता करनी चाहिए, उसके स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए और उसकी जो कमियां हैं, उन कमियों की पूर्ति करने के लिए वैज्ञानिक तौर तरीके अपनाने चाहिएं।

जैसे शरीर बीमार होता है और उसमें कभी डाक्टर कहते हैं- ये खाओ, ये न खाओ। कभी डाक्टर कहते हैं- ये दवाई लो, ये दवाई मत लो। कभी डाक्टर कहते हैं- थाड़े दिन आराम करो। जैसा शरीर के लिए नियम होते हैं न, वैसे ही सारे नियम ये मां के लिए भी होते हैं, ये मिट्टी के लिए भी होते हैं। ये हमारी मां हमने ऐसे वैसे नहीं कहा है। हमने उस मां की चिंता करना छोड़ दिया! क्योंकि हमें लगा- मां है, बेचारी क्या बोलेगी, जितना निकाल सकते हैं, निकालो! पानी निकालना है, निकालते चलो! यूरिया डाल करके फसल ज्यादा मिलती है, लेते रहो! मां का क्या होता है! कौन रोता है! हमने मां की परवाह नहीं की। आज समय की मांग है कि हम धरती मां की चिंता करें। अगर हम धरती मां की चिंता करेंगे तो मैं आपको वादा करता हूं, ये धरती मां हमारी चिंता करेगी।

जिस मनोभाव से मैंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का काम चलाया है, उतने ही मनोभाव से ये धरती रूपी मां को बचाने के लिए मैंने अभियान छेड़ा हुआ है और मुझे मेरे किसान भाईयों का साथ चाहिए, सहयोग चाहिए ये, मां को बचाने है, ये मिट्टी को बचाना है, ये धरा को बचाना है और तब जा करके हम सुजलाम सुफलाम भारत का सपना देख सकते हैं। वंदे मातरम गाते ही कितना गर्व होता है, लेकिन वंदे मारतम हमें संदेश देता है ‘सुजलाम सुफलाम’ भारत माता का। ‘सुजलाम सुफलाम’ भारत माता! तब तक ‘सुजलाम सुफलाम’ नहीं बन सकती, जब तक इस माटी के प्रति हमारी ममता न हो, ये मां के प्रति हमारा प्रेम न हो। ये मां की रक्षा करने के लिए हम कदम न उठाएं। इस दायित्व को पूरा करने के लिए Soil Health Card एक उपाय है।

आज से 40 साल 50 साल पहले अगर हम बीमार होते थे तो गांव का वैद्यराज भी कोई जड़ी बूटी देता था, हम ठीक हो जाते थे। लेकिन वक्त बदल गया। बड़े से बड़े डाक्टर के पास जाते हैं, तो भी वो दवाई पहले देता नहीं है। आपको जांच करने के बाद कहता है- ऐसा करो, ब्लड टेस्ट करा के ले आओ, यूरिन टेस्ट करा के ले आओ, कफ का टेस्ट कारा के ले आओ और हम लेबोरेट्री में जा करके रक्त परीक्षण करवाते हैं, लोहे का, हमारे रक्त का परीक्षण करवाते हैं, फिर उसकी रिपोर्ट के आधार पर डाक्टर तय करता है कि आपकी ये समस्या है। आपको ये इंजेक्शन लेना पड़ेगा, ये दवाई लेनी पड़ेगी, ये खाना पड़ेगा, ये नहीं खाना होगा ..ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर करता है। जैसा शरीर का है, ब्लड टेस्ट कराने के बाद डाक्टर दवाई देता है, वैसे ही किसान को भी अपनी धरती की ये टेस्टिंग कराना ज़रूरी है.. किस उसमें कोई बीमारी तो नहीं है? कोई कमी तो नहीं आ गई? कोई तकलीफ तो नहीं हो गई है? और अगर हो गई है, तो धरा के भी डाक्टर होते हैं? वो हमें बताएंगे कि ये..ये करिए, आपकी मिट्टी के लिए ये काम आएगा। अब तक हमने नहीं किया है, लेकिन अब हमें करना होगा ताकि इसके कारण हमारी मेहनत बच जाएगी, हमारे पैसे बच जाएंगे, हमारा साल बच जाएगा और हम फसल जितनी चाहते हैं, उतनी प्राप्त कर सकते हैं।

और किसान को..अब परिवार बढ़ता जा रहा है। पहले दो भाईयों के बीच में दस बीघा ज़मीन होगी, तो अब पांच भाईयों के बीच में दस बीघा ज़मीन हो जाती है तो फसल ज्यादा पैदा किए बिना किसान का परिवार ज्यादा चलने वाला नहीं है। इसलिए ये Soil Health Card, जिसका मंत्र है- “स्वस्थ धरा” और जिसका संदेश है- “खेत हरा”। “स्वस्थ धरा, खेत हरा”, ये सपना साकार करने के लिए मेरा सभी किसान भाईयों से आग्रह है कि हम हर वर्ष अपनी धरती का, अपनी खेती की ज़मीन का मिट्टी के नमूने का परीक्षण करवाएं। सरकार इस योजना को देश व्यापी लागू कर रही है। उसको और अधिक वैज्ञानिक बनाना है। जैसे आजकल हर छोटे मोटे शहर में ब्लड टेस्ट की लेबोरेट्री होती है, पेथालाजी लेबोरेट्री होती है, हम चाहते हैं कि आने वाले दिनों में लाखों की तादात में ऐसे नए entrepreneur तैयार हों, जिनको ये सायल टेस्टिंग का काम आता हो। वे अपनी लेबोरेट्री बनाएं और वे किसानों को लैब में परीक्षण करके दें। जहां एपीएमसी है, एपीएमसी के लोग भी अपने यहां एक लैब बनाएं और जितने किसान आते हैं, उनको माटी का परीक्षण करके देने की व्यवस्था खड़ी करें। इतना ही नहीं, मैं देश की सभी राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि अपने अपने राज्य में 10वीं कक्षा, 11वीं कक्षा, 12वीं कक्षा, कालेज, जहां भी ज्ञान की स्कूल है, वहां पर लेबोरेट्री होती है। स्कूल की लेबोरेट्री फरवरी महीने से जून महीने तक बंद रहती है, क्योंकि बच्चे exam में लग जाते हैं, बाकी vacation शुरू हो जाता है। स्कूल की लेबोरेट्री को ही vacation के समय में soil टेस्टिंग लेबोरेट्री में convert करें। हम 10वीं- 12वीं कक्षा के बच्चों को soil टेस्टिंग सिखाएं। vacation में उन गरीब बच्चों की इनकम भी होगी और जो विज्ञानशाला होगी उसको कमाई भी होगी और उस इलाके के जो किसान होंगे, उनकी मिट्टी का परीक्षण भी हो जाएगा। एक पंथ, अनेक काज, हम एक के बाद एक काम को आगे बढ़ा सकते हैं। आगे चल करके यही विद्यार्थी, अगर ये विषय उनको आ गया तो स्वयं अपनी लेबोरेट्री खोल सकते हैं। वो अपना व्यापार धंधा इसी में शुरू कर सकते हैं और मेरा अनुभव है, जब मैं गुजरात में था, मैंने पूरे गुजरात में soil हैल्थ कार्ड लागू किया था। उसका परिणाम ये आया कि किसान मुझे कहने लगा कि साब हमें तो मालूम नहीं था कि हमारी मिट्टी ऐसी है। हम तो हर साल फसल डालते थे और हमारे रिश्तेदारों को तो ज्यादा फसल होती थी, हमारी नहीं होती थी। अब पता चला कि तकलीफ क्या थी। किसी ने कहा कि भई मैं तो ये दवाई डालता था, ये मिट्टी का परीक्षण करने के बाद पता चला कि मैं बेकार में दस हज़ार रूपए की दवा फालतू में डाल देता था। किसी ने देखा कि मैं फलाना फर्टिलाइज़र डालता था, ये परीक्षण के बाद पता चला कि मुझे तो फर्टिलाइज़र की ज़रूरत ही नहीं थी। हम जो फालतू खर्चा करते हैं, ये मिट्टी परीक्षण के कारण हमारा फालतू खर्चा अटक जाएगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि माटी परीक्षण के द्वारा हमें जो सूचना मिली हो अगर उस पद्धति से हम खेती करेंगे, उस पद्धति से फसल का फैसला करेंगे, उस पद्धति से पानी का उपयोग करेंगे, उस पद्धति से दवाई और फर्टिलाइज़र का उपयोग करेंगे, बिना मेहनत, अगर तीन एकड़ भूमि होगी तो किसान कम से कम 50 हज़ार रूपया बच जाएगा, ये मैं आज आपको विश्वास दिलाता हूं.. जो कि फालतू में ही जाता था ..। एक किसान का 50 हज़ार रूपया बच जाना, मतलब उसकी जि़ंदगी में बहुत बड़ी जीत हुई है।

हम वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ेंगे। फसल ज्यादा होगी, वो अलग, कमाई ज्यादा होगी वो अलग। फालतू खर्चा बच जाएगा। इसलिए मैं यहां आग्रह करने आया हूं कि जैसे हम बीमार होते हैं, ब्लड टेस्ट करवाते हैं, आप हमारी इस माटी का भी प्रतिवर्ष, खेती का सीज़न शुरू होने से पहले, उसका सायल टेस्टिंग कराना चाहिए। सरकार उसके लिए एक बड़ा अभियान चलाने वाली है, आप उसको सहयोग दीजिए।

दूसरी बात है, पानी। एक बात हमें समझनी होगी, पानी का अभाव जितना खतरनाक है, उतना ही पानी का प्रभाव भी खतरनाक होता है। हम पानी के अभाव के लिए तो रोते रहते हैं, लेकिन पानी के प्रभाव के कारण होने वाली परेशानियां.. उसकी तरफ हमारा ध्यान नहीं होता है। मुझे बताईए, हमारे गंगानगर इलाके में क्या हुआ? पानी तो था! लेकिन पानी का जो अनाप-शनाप उपयोग किया और उसके कारण हमारी मिट्टी का हाल क्या हो गया। सारा साल्ट मिट्टी पर कब्जा करके बैठ गया है। पूरी मिट्टी बरबाद कर दी, पानी ने बरबाद कर दी! क्यों? हमने पानी का अनाप-शनाप उपयोग किया। इसलिए मेरे भाईयों बहनों! पानी का अभाव और पानी का प्रभाव दोनों से बच करके चलना अच्छी खेती के लिए आवश्यक है और पानी के प्रभाव से बचना है तो हमें drip irrigation को लेना होगा। हमें पानी के अभाव से बचना है तो भी drip irrigation काम आएगा। हम micro irrigation पर चलें, स्प्रींकलर पर चलें।

इस्राइल! इस्राइल के अंदर राजस्थान से ज्यादा बारिश नहीं होती है। मैं और वसुंधरा जी दोनों इस्राइल गए थे। क्योंकि राजस्थान और गुजरात दोनों जगह पर बारिश कम है, हम चाहते थे कि पानी कम है तो खेती हमें आगे बढ़ानी है। और वहां से जो लाए हम.. आपने देखा होगा, आपके यहां olive की खेती हो रही है। इसी बेल्ट में हो रही है, आपके यहां खजूर की खेती हो रही है और आने वाले दिनों में राजस्थान खजूर export करने लग जाएगा। एक छोटा सा प्रयास कितना बड़ा परिवर्तन लाता है, वो राजस्थान की धरती ने देखा है। अगर हम, जो इस्राइल ने किया है, drip irrigation के द्वारा.. टपक सिंचाई..बूंद बूंद पानी..। कभी कभी मैं ये बात बड़े आग्रह से कहना चाहता हूं, अगर फसल भी, जैसे घर में बच्चों को बड़ा करते हैं न.. वैसा ही काम है। बालक को बड़ा करने के लिए जितनी care करनी पड़ती है, फसल को भी बड़ा करने के लिए उतनी ही care करनी पड़ती है। अब मुझे बताइए मेरे किसान भाईयों बहनों, मैं एक छोटा सा विषय आपके सामने रखता हूं। मैं आशा करता हूं, ज़रा गौर से सुनिए। मान लीजिए आपके घर में तीन साल का बच्चा है। लेकिन उसके शरीर में उसका विकास नहीं हो रहा है, ऐसे ही मरा पड़ा रहता है, बिस्तर पर ही पड़ा रहता है, उसके साथ खेलने का मन भी नहीं करता है, कभी हंसता नहीं है, ऐसी मरी पड़ी सूरत ले करके पड़ा रहता है, तो मां बाप को लगता है, कि बच्चे को कोई बीमारी है, कुछ करना चाहिए। मान लो, आपको, उस बच्चे का वजन बढ़े ऐसी इच्छा है, बच्चा तंदूरूस्त है, ऐसी इच्छा है तो कोई मां ये कहेगी कि बाल्टी भर दूध ले करके, दूध में केसर पिस्ता डाल करके, बढि़या सा दूध तैयार करके, फिर उस दूध में बच्चे को नहलाएगी? और रोज़ एक एक बाल्टी दूध से नहलाएगी! क्या बच्चे की तबीयत में फर्क आएगा क्या? माताएं बताएं, आएगा क्या? बच्चे की तबीयत में फर्क आएगा? बाल्टी भर रोज़ केसर का दूध, उसको नहलाते चले जाएं, बच्चे के शरीर में कोई बदलाव आएगा क्या? नहीं आएगा न? लेकिन एक चम्मच ले करके दो दो बूंद दूध उसको पिलाएंगे, दिन में 10 बार-12 बार पिलाएंगे तो महीने भर में उसके शरीर में बदलाव आना शुरू होगा कि नहीं होगा? बाल्टी भर दूध नहलाने से उसका शरीर नहीं बनता है। दो दो बूंद पिलाने से उसका शरीर बनने लग जाता है।

फसल का भी .. किसानों की सोच ऐसी है कि खेत लबालब पानी से भरा होगा पूरी फसल डूबी हुई होगी। पानी ही पानी नज़र आएगा तब फसल होगी। ये वैसी ही सोच है, जब बीमार बच्चे को दूध से नहलाते हैं। फसल को आप पानी से नहलाओ, ये ज़रूरी नहीं है। फसल को एक बूंद पानी पिलाना पड़ता है, एक-एक बूंद पानी पिलाना पड़ता है और इसलिए बूंद बूंद पानी से ही फसल अच्छी होती है। Flood-Irrigation से नहीं होता है। इसलिए मैं किसानों से आग्रह करने आया हूं कि भारत जैसे देश को यदि आगे बढ़ना है, तो हमें पानी बचाना पड़ेगा। “per drop more crop”.. एक एक बूंद पानी से अधिकतक फसल कैसे प्राप्त करें, ये ले करके हमें चलना है, तब जा करके हम कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ा सकते हैं।

ये Soil Health Card की बात हो, पानी बचाने की बात हो, कृषि क्षेत्र को आगे ले जाने का प्रयास हो। मैं मेरे देश के किसानों से कहना चाहता हूं.. मैं पूरी तरह समझता हूं कि हिंदुस्तान को अगर आगे बढ़ना है, तो हिंदुस्तान में गांव को आगे बढ़ाना पड़ेगा। गांव को को अगर आगे बढ़ना है तो किसान को आगे बढ़ाना पड़ेगा और किसान को अगर आगे बढ़ना है तो हमारे कृषि क्षेत्र में क्रांति लानी पड़ेगी। इसलिए मेरी सरकार.. गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का अगर सबसे बड़ा कोई ताकतवर हथियार है तो वो हमारी खेती है, हमारे किसान हैं, हमारी कृषि है, हमारी माटी है, हमारी फसल है। इसलिए सरकार की सारी योजनाएं कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाना, कृषि क्षेत्र को ताकतवर बनाना, इसी पर हमने केंद्रित की है और वैज्ञानिक आधुनिक कृषि के लिए आज हमें वैज्ञानिक योजनाएं ले करके, आज राजस्थान की धरती से उसका आरंभ कर रहें हैं।

आने वाले दिनों में, मैं किसानों से भी कहना चाहता हूं, हमें हमारी कृषि को आर्थिक रूप से भी अब जोड़ना चाहिए, उसका आर्थिक बैलेंस भी करना चाहिए। हमें अगर आगे बढ़ना है, तो किसानों को तीन भाग में खेती करनी चाहिए, तीन भाग में। एक तिहाई जो वो खेती करता है, अपनी परंपरागत करता रहे, उसमें आधुनिकता लाए, वैज्ञानिकता लाए, technology लाए। एक तिहाई हम वृक्षों की खेती करें, पेड़ की की खेती करें। आज हमारे देश में इतना टिम्बर इम्पोर्ट करना पड़ता है। हमारे खेत के किनारे पर हम बाड़ लगाते हैं और दो दो फीट दोनों किसानों की ज़मीनें खराब करते हैं। उस बाड़ की जगह पर अगर हम पेड़ लगा दें तो 15-20 साल के बाद वो पेड़ हमें लाखों रूपया दे सकते हैं। ज़मीन भी खराब नहीं होगी। पेड़ लगने से ज़मीन को भी लाभ होगा और हमारी फसल को भी लाभ होगा। एक तिहाई पेड़,एक तिहाई हमारी रेग्यूलर खेती और एक तिहाई पशु पालन, poultry farm , fisheries , इन कामों पर लगाया जाए। दूध उत्पादन करें, पाल्ट्री फार्म चलाएं, फिशरीज वाला काम करें। आप देखिए, किसान को कभी रोने की नौबत नहीं आएगी, गांव की economy बदल जाएगी। इसलिए मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूं कि हम एक नए तरीके से कृषि जीवन को आगे बढ़ाने की दिशा में आगे काम करें। इसीलिए आज जब Soil Health Card आपके यहां आरंभ हो रहा है।

श्रेष्ठ कृषि करने वाले देश के किसानों को आज सम्मानित करने का मुझे अवसर प्राप्त हो रहा है। हम उनसे सीखें, वो किस प्रकार की फसल उगाए हैं, क्या प्रयोग किए हैं, हम उनसे जानें और हमारे इलाके में हम उनको लागू करें। मैं फिर एक बारे वसुंधरा जी का आभारी हूं, उन्होंने भारत सरकार का इतना बड़ा समारोह अपने यहां organize किया, इतनी बड़ी सफलता के साथ organize किया। मैं इसके लिए राजस्थान सरकार को हृदय से अभिनंदन करता हूं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जितनी बातें आपने उठाई हैं, उन सारी बातों का समाधान हम मिल-जुल करके करेंगे और राजस्थान को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में भारत सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी, ये मैं आपकों विश्वास दिलाता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद।

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हमें बंगाल को TMC की निर्ममता से मुक्ति दिलानी है: दुर्गापुर में पीएम मोदी
July 18, 2025
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भारत माता की... भारत माता की...

बोरोरा आमार प्रोणाम नेबेन छोटोरा भालोबासा। जय मां काली, जय मां दुर्गा! ये सावन का पवित्र महीना है। ऐसे पावन समय में... मुझे पश्चिम बंगाल के विकास पर्व में हिस्सा लेने का मौका मिला है। थोड़ी देर पहले ही, 5 हजार चार सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के लिए बड़े सपने देखे हैं। बीजेपी...एक समृद्ध पश्चिम बंगाल बनाना चाहती है। बीजेपी...एक विकसित पश्चिम बंगाल का निर्माण करना चाहती है। ये सारी परियोजनाएं, इस सपने को साकार करने का ही हमारा नम्र प्रयास हैं।

साथियों,

पश्चिम बंगाल की ये धरती...प्रेरणाओं से भरी हुई है...

मैं देख रहा हूं कई छोटे-छोटे बच्चे चित्र बनाकर ले आए हैं, शायद वो देना चाहते हैं। अगर आपने अपना नाम और पता उस पर लिख दिया है तो मैं आपको चिट्ठी भेजूंगा और मैं अपने एसपीजी के लोगों से कहता हूं कि जो सब बच्चे कुछ ना कुछ अपनी कला लेकर के आए हैं जरूर आप ले लिजिए इनसे। आप लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे, बीच में बारिश भी बड़ी तेज आ गई, आपने वो मुकाबला भी कर लिया।

साथियों,

पश्चिम बंगाल की ये धरती...प्रेरणाओं से भरी हुई है... ये देश के पहले उद्योग मंत्री, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की धरती है। उन्होंने भारत के औद्योगिक विकास की नींव रखी...देश को पहली इंडस्ट्रियल पॉलिसी दी। ये बीसी रॉय जैसे विजनरी नेतृत्व की धरती है...जिन्होंने दुर्गापुर को बड़े सपनों, बड़े संकल्पों के लिए चुना था। पश्चिम बंगाल ने देश को...द्वारकानाथ टैगोर जी जैसे रिफॉर्मर दिए...जिन्होंने गुलामी के कालखंड में बैंकिंग रिफॉर्म्स पर काम किया.. उद्योगों-उद्यमों से कैसे समाज का भला हो सकता है, ये करके दिखाया। इस भूमि पर सर बीरेन मुखर्जी हुए...जिनके विजन से भारत में स्टील उद्योग को मजबूत नींव मिली। ऐसे महान लोगों ने ही पश्चिम बंगाल की महान विरासत को आगे बढ़ाया है। और तभी पश्चिम बंगाल, एक समय में भारत के विकास के विकास का केंद्र हुआ करता था। यहां उद्योग फले फूले, व्यापार-कारोबार को बल मिला। लोग यहां देशभर से रोज़गार के लिए आते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह उलट गई है। आज पश्चिम बंगाल का नौजवान... पलायन के लिए मजबूर है। छोटे-छोटे काम के लिए भी उसे दूसरे राज्यों की तरफ जाना पड़ रहा है। दुर्गापुर, बर्धमान और आसनसोल...ये पूरा क्षेत्र भारत के औद्योगिक विकास को किसी जमाने मे गति दे रहे थे। लेकिन आज यहां नए उद्योग लगने के बजाय, जो है उसको भी ताले लग रहे हैं।

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साथियों,

हमें बंगाल को इस बुरे दौर से बाहर निकालना है और आज जो परियोजनाएं यहां शुरू हुई हैं...वो इसी का प्रतीक हैं। बंगाल बदलाव चाहता है, बंगाल विकास चाहता है, बांग्ला...पोरिबोर्तन चाहे, बांग्ला...उन्नयन चाहे।

साथियों,

बंगाल के प्रबुद्ध लोग जानते हैं कि 21वीं सदी का ये समय नई टेक्नोलॉजी का है। बंगाल के उद्योगों को भी नई टेक्नोलॉजी की जरूरत है। आज जो गैस आधारित इकोनॉमी का काम आगे बढ़ा है...स्टील प्लांट को आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस करने का काम हुआ है..वो भारत सरकार की इसी सोच का नतीजा है। दुर्गापुर-कोलकाता गैस पाइपलाइन से यहां के उद्योगों को नया जीवनदान मिलेगा। ये जो गैस-पाइपलाइन है, इस पर केंद्र की भाजपा सरकार हज़ारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। ताकि यहां CNG वाली गाड़ियां चल पाएं... आपके पैसे बचे, यहां नए-नए कारखानों को बल मिले... और सबसे बड़ी बात...इससे बंगाल के नौजवानों के लिए रोजगार के नए मौके बनेंगे।

साथियों,

आज़ादी के अनेक दशकों तक पश्चिम बंगाल के लाखों परिवारों के लिए गैस कनेक्शन एक सपना था। बीते सालों में ऐसे परिवारों को गैस कनेक्शन मिला। अब हमारा प्रयास है कि बहनों के किचन में, रसोई घर में जैसे नल से पानी आता है वैसे ही पाइप से सस्ती गैस आपके किचन तक पहुंचे। अभी कुछ देर पहले जो कार्यक्रम हुआ है...वो आपका जीवन भी आसान बनाएगा और यहां उद्योगों को भी गति देगा।

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साथियों,

मैं आज आपको...पश्चिम बंगाल के नौजवानों को...ये यकीन दिलाने आया हूं, बंगाल की बदहाल स्थिति को बदला जा सकता है। बीजेपी सरकार आने के बाद...कुछ ही वर्षों में...पश्चिम बंगाल, देश के टॉप इंडस्ट्रियल राज्यों में से एक बन सकता है। ये मेरा दृढ़ विश्वास है। और मेरे इस विश्वास का कारण है... पश्चिम बंगाल में समर्थ और प्रतिभाशाली मेरे नौजवान भाई-बहन हैं, यहां नदियां भी हैं और समंदर भी है। पश्चिम बंगाल, सैकड़ों वर्षों से इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का केंद्र रहा है... यहां पोर्ट्स का बहुत बड़ा नेटवर्क है। यहां प्राकृतिक संसाधन हैं... यानि मेक इन इंडिया को गति देने के लिए मिशन मैन्यूफैक्चरिंग में तेजी लाने के लिए पश्चिम बंगाल के पास हर शक्ति मौजूद है। बस यहां की टीएमसी सरकार...बंगाल के विकास के आगे दीवार बनकर खड़ी है। जिस दिन टीएमसी सरकार की दीवार बंगाल में गिरी...उसी दिन से बंगाल विकास की नई तेजी पकड़ लेगा। टीएमसी की सरकार जाएगी, तभी असली परिवर्तन आएगा टीएमसी जाबे, तबेई आशोल पोरिबोर्तोन आशबे

साथियों,

विकसित भारत बनाने में पश्चिम बंगाल की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसी संकल्प के साथ...बीजेपी आपका आशीर्वाद मांग रही है। आप अपने आसपास देखिए...असम में लंबे समय बाद बीजेपी को अवसर मिला। आज असम तेज़ गति से प्रगति कर रहा है। बगल में त्रिपुरा की क्या स्थिति थी ये भी किसी से छिपी नहीं है। आज बीजेपी सरकार त्रिपुरा को विकास की नई रफ्तार दे रही है। अब ओडिशा में भी भाजपा सरकार बन चुकी है। आप देखिएगा...ओडिशा भी बहुत जल्द देश के सबसे तेज़ी से विकसित होने वाले राज्यों में से अपनी जगह बना लेगा। इसलिए, भाजपा की तरफ से मेरा ये आग्रह है कि आप एक बार भाजपा को अवसर दें... एक ऐसी सरकार बनाएं...जो ईमानदार हो, कामदार हो और दमदार हो। बिकोशितो बांग्ला, मोदीर गारंटी! बिकोशितो बांग्ला, बीजेपीर शंकल्पो!

साथियों,

हमें दुर्गापुर का, पश्चिम बंगाल का पुराना गौरव वापस लाना है। इसके लिए ज़रूरी है कि पश्चिम बंगाल में नया निवेश आए..लोग यहां उद्योग लगाने के लिए आगे आएं...यहां के नौजवानों की शिक्षा और कौशल पर ज्यादा निवेश हो...लेकिन जब तक यहां TMC की सरकार रहेगी...ये कभी भी नहीं होने देगी। बीते दशकों में...जो स्थितियां यहां पैदा की गई हैं...वो बंगाल में निवेश विरोधी हैं, नौकरी विरोधी है। आप ज़रा सोचिए...जहां मुर्शीदाबाद जैसे दंगे होते हों...छोटी-छोटी बातों पर हिंसा हो जाती हो...और पुलिस एकतरफा कार्रवाई करे...जहां न्याय की कोई उम्मीद ना हो... वहां कोई कैसे निवेश कर सकता है। यहां की राज्य सरकार, लोगों की जान और उनकी दुकान की सुरक्षा नहीं कर सकती... तो निवेशकों को भी चिंता होती है। मैं जानता हूं कि पश्चिम बंगाल में जितनी संभावनाएं हैं... उनको देखते हुए दुनियाभर के निवेशक यहां पैसा लगाने आना चाहेंगे... लेकिन जब वो यहां सिंडिकेट राज देखते हैं.. वो ये देखते हैं कि कैसे यहां उगाही होती है। बिजनेस करने वालों से पैसे मांगे जाते हैं... कैसे टीएमसी के लोग...धमकाते हैं, तोड़फोड़ करने की, काम बंद करने की धमकियां देते हैं... वो भी डरकर भाग जाते हैं। ये जो TMC का गुंडा टैक्स है...ये बंगाल में निवेश को रोकता है। यहां संसाधनों पर माफिया का कब्ज़ा है...वो बंगाल में निवेश को रोकता है। यहां की सरकार, नीतियां ही अपने नेताओं को भ्रष्टाचार की खुली छूट देने के लिए बनाती है। कब कौन सी नीति पलट दी जाए...इसकी भी कोई गारंटी नहीं। यही कारण है कि टीएमसी के राज में सैकड़ों कंपनियां पश्चिम बंगाल छोड़ चुकी हैं। तभी तो यहां नौजवानों को आगे बढ़ने के अवसर नहीं मिल रहे...तभी तो बंगाल का हाल बेहाल हो गया है। इसलिए आज हर कोई कह रहा है...टीएमसी हटाओ, बंगाल बचाओ टीएमसी के शोराओ, बांग्ला के बाचाओ

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साथियों,

युवाओं की शिक्षा और कौशल के साथ जो कुछ यहां हो रहा है, वो और ज्यादा चिंता बढ़ाने वाला है। प्राइमरी एजुकेशन हो या फिर हायर एजुकेशन...सबको बर्बाद किया जा रहा है। टीएमसी, यहां के एजुकेशन सिस्टम पर, करप्शन और क्राइम का डबल अटैक कर रही है। ये जो हज़ारों शिक्षक बेरोजगार हुए हैं...इसका कारण टीएमसी का भ्रष्टाचार है। इससे हजारों परिवारों उनपर तो संकट आया ही है, स्कूलों में जो लाखों बच्चे पढ़ रहे हैं...उनका भविष्य भी टीचर्स की कमी के कारण अंधेरे में है। हालत ये है कि कोर्ट को भी कहना पड़ा कि - ये सिस्टमिक फ्रॉड है। टीएमसी ने बंगाल के नौजवानों के वर्तमान और भविष्य...दोनों को संकट में डाल दिया है।

साथियों,

मां, माटी, मानुष की बात करने वाली पार्टी की सरकार में...बेटियों के साथ जो अन्याय हो रहा है, वो पीड़ा भी देता है और आक्रोश से भर भी देता है। ये उस धरती पर हो रहा है...जिसने कादंबिनी गांगुली जैसी बेटी को संस्कार दिए... जो भारत की पहली वेस्टर्न मेडिसिन डॉक्टर थीं। आज उनका जन्मदिन भी है। लेकिन आज पश्चिम बंगाल में अस्पताल भी बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं है। और आप सबने देखा है... जब यहां डॉक्टर बेटी के साथ अत्याचार हुआ तो कैसे टीएमसी सरकार अपराधियों को बचाने में जुट गई। इस घटना से देश अभी बाहर निकला भी नहीं था कि एक और कॉलेज में एक बेटी के साथ भयंकर अत्याचार किया गया। इसमें भी जो आरोपी हैं, उनका कनेक्शन टीएमसी से निकला है। टीएमसी के बड़े नेता, मंत्री... आरोपियों के बजाय, पीड़ित को ही दोषी ठहराते रहे। ऐसे कई उदाहरण हैं...जो टीएमसी की निर्ममता के साक्षी हैं। हमें मिलकर के बंगाल को इस निर्ममता से मुक्ति दिलानी है।

साथियों,

पश्चिम बंगाल, भारत की सांस्कृतिक विरासत की भी आत्मा है। आज प्रसिद्ध बांग्ला कवि...बिष्णु डे जी का भी जन्मदिवस है। बांग्ला भाषा को समृद्ध करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। टीएमसी और लेफ्ट ने सालों तक दिल्ली में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चलाई। इस दौरान इनको बांग्ला भाषा की याद तक नहीं आई। ये भाजपा सरकार है, जिसने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। ऐसा करके हमने बांग्ला साहित्य की सेवा करने वाले बिष्णु डे जी जैसे अनेक साहित्यकारों को भी श्रद्धांजलि दी है।

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साथियों,

भाजपा, ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है....जिसका बीज बंगाल की मिट्टी में पनपा है। भाजपा की वैचारिक नींव को...बंगाल के सपूत, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने खून से सींचा है। डॉक्टर मुखर्जी ने, एक देश एक संविधान का जो सपना देखा...वही भाजपा का संकल्प बना...और उसे हमने पूरा करके भी दिखाया। भाजपा, बांग्ला भाषा को प्रेरणा, परंपरा और पहचान का माध्यम मानती है। भाजपा के लिए बांग्ला अस्मिता सर्वोपरि है। देश में जहां भी भाजपा है, वहां बांग्ला का सम्मान है, पश्चिम बंगाल के लोगों का सम्मान है। लेकिन यहां पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? यहां टीएमसी ने अपने स्वार्थ में पश्चिम बंगाल की पहचान को भी दांव पर लगा दिया है। इसके लिए यहां घुसपैठ को बढ़ावा दिया जा रहा है...घुसपैठियों के फर्जी कागज़ बनाए जा रहे हैं...इसका एक पूरा इकोसिस्टम यहां डवलप किया गया है। ये पश्चिम बंगाल की, देश की सुरक्षा के लिए खतरा है...ये बांग्ला संस्कृति के लिए खतरा है...लेकिन तुष्टिकरण के लिए टीएमसी हर हद पार कर रही है। आज जब देश के सामने टीएमसी की साजिशें उजागर हो गई हैं...तो उसने घुसपैठियों के पक्ष में नई मुहिम शुरू कर दी है। ये देश के संविधान को, संवैधानिक संस्थाओं को भी चुनौती दे रहे हैं। टीएमसी अब उनके समर्थन में खुलकर उतर आई है। लेकिन मैं दुर्गापुर की धरती से साफ-साफ कह दूं... जो भारत का नागरिक नहीं है.. फिर से सुन लिजिए.. जो भारत का नागरिक नहीं है.जो घुसपैठ करके आया है...उसके साथ भारत के संविधान के तहत न्याय-सम्मत कार्रवाई होती रहेगी। बंगाल की अस्मिता के खिलाफ होने वाली किसी भी साजिश को बीजेपी, कामयाब नहीं होने देगी। ये आपको...मोदी की गारंटी है।

साथियों,

पश्चिम बंगाल को बीजेपी की डबल इंजन की सरकार की जरूरत है। यहां भाजपा सरकार इसलिए भी चाहिए...ताकि दिल्ली से भेजा एक-एक रुपया आपकी सुविधा के लिए लगे। गरीब कल्याण की, आदिवासी कल्याण की जो योजनाएं पूरे देश में लागू हैं, उनका लाभ पश्चिम बंगाल के लोगों को भी मिले। टीएमसी सरकार...केंद्र की योजनाओं को या तो रोक लेती है या फिर उनमें भ्रष्टाचार करती है। रोड, रेल, टेलिकॉम ऐसे अनेक विभागों से जुड़े...अनेक प्रोजेक्ट हैं, जो यहां लटके हुए हैं। केंद्र सरकार इनके लिए हजारों करोड़ रुपए दे रही है...फिर भी इन परियोजनाओं को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। हमने पूरे देश में हर घर जल का अभियान चलाया है। देश में कई राज्य ऐसे हैं...जहां हर घर में नल लग चुका है। लेकिन पश्चिम बंगाल में दुर्भाग्य से एक जिला भी ऐसा नहीं है, जहां शत-प्रतिशत नल से जल पहुंचा हो। देशभर में 4 करोड़ गरीब परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत पक्के घर दिए जा चुके हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल के लाखों गरीब परिवारों को उनके पक्के घर नहीं मिल पा रहे है।

साथियों,

5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान स्कीम पूरे देश में चल रही है। करोड़ों लोग इसका फायदा उठा चुके हैं...लेकिन टीएमसी निर्ममता के साथ यहां इसे लागू नहीं कर रही। अगर बंगाल का मेरा कोई भाई इंटरव्यू के लिए कहीं गया है टूरिज्म के लिए कहीं गया है, रिश्तेदार को मिलने गया है और वहां कुछ हो गया तो उसको आयुष्मान कार्ड के अभाव में वहां मुफ्त इलाज नहीं मिल पा रहा।

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साथियों,

गरीब हो या आदिवासी...अपनी राजनीति के लिए टीएमसी सभी को वंचित कर रही है। केंद्र की ऐसी कई योजनाएं हैं...जिनको टीएमसी ने यहां रोक रखा है। भाजपा सरकार बनते ही...इन सभी योजनाओं का फायदा पश्चिम बंगाल के हर परिवार को मिलेगा...ये मोदी की गारंटी है।

साथियों,

भाजपा...बंगाल को संकट से बाहर निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। बंगाल को माफिया नहीं...काबिल शिक्षक चाहिए। बंगाल को परिवारवाद नहीं...प्रतिभा का सम्मान चाहिए। बंगाल को सिंडिकेट नहीं...स्टार्टअप का इकोसिस्टम चाहिए। बंगाल को ऐसी सरकार चाहिए...जो शांति और सुरक्षा की गारंटी दे सके। भाजपा...इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ रही है। ये पश्चिम बंगाल के पुनर्जागरण का कालखंड है। मैं यहां के गांव-गांव में एक नई उम्मीद, नई लहर देख रहा हूं। मैं यहां के नौजवानों में एक नया जोश अनुभव कर रहा हूं।

हमें मिलकर...नया सवेरा लाना है...परिवर्तन का कमल खिलाना है। बीकोशितो बांग्ला, मोदीर गारंटी!

एक बार फिर...आप सभी का इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं।

मेरे साथ बोलिए

भारत माता की

दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए..

भारत माता की...जय

भारत माता की...जय

वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे... वंदे...

बहुत-बहुत धन्यवाद!