Infrastructure is extremely important for development: PM Modi

Published By : Admin | May 26, 2017 | 12:26 IST
QuoteInfrastructure is extremely important for development: PM Modi
QuoteDhola-Saadiya Bridge enhances connectivity between Assam and Arunachal Pradesh, and opens the door for economic development: PM
QuoteEastern and north-eastern parts of the country have the greatest potential for economic development: PM
QuoteEnhanced connectivity between the North-East and other parts of the country is a priority for the Union Government: PM

आज अनेक वर्षों से आप जिसकी प्रतीक्षा कर रहे थे, वो दलोंग का निर्माण हो गया, लोकार्पण हो गया। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं इस खुशी के समय आप अपना मोबाइल फोन बाहर निकालइये, अपने मोबाइल फोन का लाइटफ्लैश किजिए और सबको यह सिगनल दीजिए कि कितना बड़ा उत्‍सव मना रहे हैं आप लोग, हर कोई अपने मोबाइल फोन का फ्लैश चालू करें। शाबाश। हर कोई। चारों तरफ, हर कोई। लगना चाहिए कि कोई बड़ा उत्‍सव मना रहेहैं आप हर किसी की लाइट जलनी चाहिए। हां, वहां पीछे भी हो रहा है। वाह। देखिए कैसा उत्‍सव मनाया जा रहा है। ये सारे कैमरा वाले भी आप ही को ले रहे हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद आप सबका। भाईयों-बहनों यह मेरा सौभाग्‍यहै कि मुझे आज उस स्‍थान पर आने का सौभाग्‍य मिला है, जो कभी कुंडिलनगर के रूप में जाना जाता था, और द्वारका के नाथ श्री कृष्‍ण यहां पधारे थे। मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ, जहां पर द्वारिका जी हैं और श्री कृष्‍णभगवान का नाता कुंडिल नगर से रहा और आज यह मेरा सौभाग्‍य है कि उस विरासत पर आ करके पिछले पांच दशक से आप सब जिसकी प्रतीक्षा कर रहे थे, वह ब्रिज आज आपको प्राप्‍त हो रहा है। अगर अटल बिहारी वाजपेयीकी सरकार 2004 में दोबारा चुन करके आई होती तो यह ब्रिज आज से दस साल पहले आपको मिल गया होता। 29 मई, 2003 उस समय के हमारे विधायक जगदीश भोयन ने एक चिट्टी लिख करके इस ब्रिज के लिए आग्रह किया।और अटल जी की सरकार ने इसकी feasibility रिपोर्ट के लिए काम सुपर्द कर दिया  गया। गंभीरता से लिया गया। अगर उसके तुरंत बाद यह काम चला होता, तो आज से दस साल पहले आपको ब्रिज मिल गया होता। लेकिन बीचमें सरकार बदल गई, रूकावटें आई, होती है, चलती है, ऐसा ही चला और उसके परिणाम आपका सपना डगमगाता रहा, लेकिन पिछले तीन साल में अटल जी ने जो सपना देखा था, उसको पूरा करने के लिए लगातार प्रयास हुएऔर आज जब असम में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को एक वर्ष पूर्ण हो रहा है। सर्बानंद जी के नेतृत्‍व में असम अनेक समस्‍याओं से मुक्‍त तो होता चला जा रहा है। ऐसे अवसर पर यह ब्रिज आपको समर्पित करते हुए नसिर्फ असम की जनता के लिए गर्व का विषय है, लेकिन यह पूरे हिंदुस्‍तान के लिए गर्व का विषय है कि इतना हिंदुस्‍तान का सबसे लम्‍बा ब्रिज आज असम के दूसरे छोर पर बन रहा है।

यह बात निश्चित है अगर विकास को स्‍थायी रूप देना है, स्‍थायी रूप से विकास को गति देनी है, तो infrastructure पहली आवश्‍यकता होती है। physically infrastructure, social infrastructure यह दो पटरी पर संतुलितविकास संभव होता है। अगर हम infrastructure का महत्‍वमय नहीं समझेंगे तो छुटमुट प्रयासों का परिणाम बहुत ही अल्‍पकालीन होता है, अस्‍थायी होता है और इसलिए हमारी सरकार का यह लगातार प्रयास है कि विकास कोस्‍थायी रूप दिया जाए, व्‍यवस्‍थाएं विकसित की जाए और जिसके कारण जिस सपने को ले करके देश आगे बढ़ाना चाहता है। उन सपनों को हम भलिभांति पूर्ण कर पाएं। अरूणाचल प्रदेश और असम को यह ब्रिज जोड़ दे रहा है, निकट ला रहा है। 165 किलोमीटर का अंतर कम होना व्‍यक्ति के जीवन के मूल्‍यावान 6-7 घंटे बच जाना और एक बार ऐसी व्‍यवस्‍था खड़ी होती है तो आर्थिक विकास के भी नये द्वार खुल जाते हैं।

अब हमारा सदिया, वहां का अदरक, वहां के किसान जो ginger पैदा करते हैं। उत्‍तम कक्षा का ginger जहां पैदा होता है पूरी भूमि पर, अब यह ब्रिज बनने के बाद एक बहुत बड़े मार्केट के लिए इन किसानों के लिए नया रास्‍ता खुलजाएगा। उनकी कमाई में वृद्धि होगी। और मुझे विश्‍वास है कि north-east में सदिया जैसा क्षेत्र जहां ginger उच्‍च कोटि का अदरक माना जाता है। अगर यहां के किसान organic की तरफ चले गए तो यहां के ginger का ग्‍लोबलमार्केट खड़ा हो सकता है। दुनिया में उसका एक बड़ा मार्केट खड़ा हो सकता है। और इसलिए यह ब्रिज सिर्फ पैसे बचाएगा, समय बचाएगा ऐसा नहीं, लेकिन यह ब्रिज एक नई अर्धकांति का अधिष्‍ठान ले करके आता है। एक नईeconomical revolution का base बनने वाला है, और इसलिए आज के इस ब्रिज का लोकार्पण पूरे हिंदुस्‍तान के लोगों का इस पर ध्‍यान है कि भारत में इतना बड़ा निर्माण कार्य होता है किसी भी हिंदुस्‍तानी को एक गर्व देने वालाकाम है। भाईयों-बहनों दो राज्‍यों के विकास में यह ब्रिज कड़ी बन रहा है। अरूणाचल का विकास, असम का विकास और एक प्रकार से हमारा जो सपना है कि भारत को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाने में सबसे बड़ी ताकतप्राप्‍त करने की अगर कोई जगह हैं संभावना है तो वो पूर्वी हिंदुस्‍तान है। पूर्वोत्‍तर हिंदुस्‍तान है। ईस्‍टर्न इंडिया है, नॉर्थ ईस्‍ट भी है। और इसलिए हमने हमारे विकास की जो योजनाएं लागू की है, उन सबमें पूर्व हिंदुस्‍तान को बलदेना, north-east को व्‍यवस्‍थाएं देना, north-east के अंदर वो ताकत है अगर उनको थोड़ी सी भी व्‍यवस्‍थाएं मिल जाए तो बहुत बड़ा चमत्‍कार कर सकते हैं। और इसलिए हमने हमेशा इस बात पर बल दिया है कि विकास को नईऊंचाईयों पर ले जाने के लिए इसको प्रयास किया जाए।

प्रति दिन सिर्फ डीजल की बचत से इस इलाके के नागरिकों का रोजाना दस लाख रुपया बचने वाला है, इस ब्रिज के कारण। समय तो मूल्‍यावान है ही है, लेकिन डीजल की बचत से भी रोजाना 10 लाख रुपये की बच‍त सामान्‍यनागरिक के जेब में पैसे बचने वाले हैं। यह अपने आप में सामान्‍य मानव के जीवन में...पहले हम फैरी सर्विस से जाते थे, अगर मौसम ठीक नहीं रहा तो फैरी सर्विस बंद हो जाती थी। ब्रह्मपुत्रा रूठ गई हो फैरी सर्विस रूक जाती थी।अब यह ब्रिज के कारण 24/7, 365 days हमारे लिए व्‍यवस्‍था बन गई है और इसलिए प्राकृतिक प्रकोप से हमारी गति को कभी रूकावट नहीं आएगी। यह काम इसके द्वारा हुआ है। और इसके कारण इसके साथ-साथ जैसानितिन जी बता रहे थे कि देश में हम लोगों ने रास्‍तों का महत्‍व, पूल का महत्‍वमय, ब्रिजेज का महत्‍वमय, रेल का महत्‍वमय, हवाई यात्रा के महत्‍वमय अब उसके साथ-साथ water way को भी बल देने की दिशा में हम प्रयासकर रहे  हैं। बड़ा महत्‍वकांक्षी कार्यक्रम है कि जहां-जहां नदी है, पानी है क्‍यों न हमारे transportation को उस तरफ shift कर दिया जाए। enviornment freindly होगा, आर्थिक रूप से कम खर्चें वाला होगा और जो समय की बर्बादीहोती है, उससे भी बचाव होने वाला हो उस काम को भी इसी ब्रह्मपुत्रा के इसी छोर पर से बहुत तेज गति से आगे बढ़ाने की दिशा में हजारों करोड़ रुपयों की लागत से वो काम यहां हो रहा है और आने वाले दिनों में एक नया क्षेत्र जलपरिवहन का भी यही से आगे बढ़ने वाला है। तब जा करके आप कल्‍पना कर सकते हैं। यह पूरा क्षेत्र विकास की एक ऐसी नई ऊंचाईयों को पार करेगा इसका आप भलिभांति अंदाज कर सकते हैं।

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भाईयों-बहनों,

यह खर्च जब हम कर रहे हैं तब पूरे north-east के विकास के लिए भी, चाहे बिजली के infrastructure की बात हो, चाहे optical fiber network के infrastructure की बात हो, चाहे road के infrastructure की बात हो, चाहे रेल केinfrastructure की बात हो, पूरे north-east को हिंदुस्‍तान के हर कौने से जोड़ना, हिंदुस्‍तान के हर कौने के लोगों को हमारे इस पूर्वोत्‍तर भातर के साथ जोड़ना उस दिशा में हम तेज गति से आगे चल रहे हैं। जो काम 15-15, 20-20 सालों में नहीं होते हैं। जो धन 15-15, 20-20 सालों में नहीं खर्च किया जाता है, हमारी सरकार ने आ करके उतनी बड़ी मात्रा में धन north-east के infrastructure और विकास के कामों के लिए खर्च करने की दिशा में हमने बल दियाहै।

Act East Policy के तहत अगर हम इस क्षेत्र को एक विश्‍वस्‍तरीय infrastructure के नमूने के रूप में तैयार करे तो पूरे south-east एशिया उसकी economy के केंद्र बिंदु में भारत का यह भू-भाग बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा करसकता है। और इसलिए हम उस vision के साथ पूरे south-east एशिया के अंदर भारत किस प्रकार से जुड़े आर्थिक-व्‍यापारिक व्‍यवस्‍थाओं में हमारा यह क्षेत्र के साथ केंद्रवर्ती बने, एक economical activity का hub कैसे बने औरइसके लिए जिन-जिन व्‍यवस्‍थाओं का विकास करना चाहिए उसी के तहत हम बल दे रहे हैं। और जिसके परिणाम आने वाले दिनों में आपको नजर आने वाले हैं।

भाईयों-बहनों,

रेलवे का महत्‍वमय आजादी के 50 सालों के बाद भी रेलवे को जितना महत्‍व देना चाहिए था  north-east में हमने उसको प्राथमिकता दी है, ताकि एक सुरक्षित यातायात की व्‍यवस्‍था हम निर्माण कर सके। north-east Tourism के लिए भी एक बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है। यहां की प्रकृति मां कामाख्‍या के दर्शन करने हो या कोहिमा तक जाना हो यह ऐसा सुंदर प्रदेश है जिससे आज हिंदुस्‍तान के बहुत लोग अनभिज्ञ है। अगर देश से लाखों लोग हर सालइस भू-भाग पर आना शुरू कर दें तो यहां की economy को कितनी बड़ी ताकत मिल सकती है, जिसका हमें पूरा अंदाजा है और इसलिए इन व्‍यवस्‍थाओं के विकास के द्वारा हिंदुस्‍तान के कौने कौने से और धीरे-धीरे विश्‍वभर केलोगों को टूरिज्‍म की दृष्टि से आकर्षिक करने के लिए यह क्षेत्र एक बहुत बड़ी हमारी प्राकृतिक सम्पदा का हिस्‍सा है और उसको बल देने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।

भाईयों-बहनों,

आज जब मैं इस महत्‍वपूर्ण ब्रिज का लोकार्पण कर रहा हूं, तो आपके यहां इसको धौला, सदिया, दलंग के नाम से जानते हैं आप लोग। आज एक ऐसा अवसर है कि हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि इस दलंग को अब से हमइसी धरती की संतान जिसकी आवाज़ ने हिंदुस्‍तान को आज भी प्रेरणा दी है और इसी धरती की संतान श्रीमान भूपेन हजारिका यह इस ब्रिज का नाम भारत सरकार ने भूपेन हजारिका के नाम से करने का तय किया है। इस धरतीकी संतान को यह हमारी उत्‍तम श्रद्धांजलि है आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देने वाला यह नाम, वो ब्रह्मपुत्र के सपूत थे, वे ब्रह्मपुत्र के उपासक थे उनकी हर बात में ब्रह्मपुत्र का गुणागान हुआ करता था। वो जिये भी ब्रह्मपुत्र कागुणगान करते हुए, वो जीवनभर ब्रह्मपुत्रा को देश और दुनिया में परिचित कराने का अद्भुत काम उस महापुरूष ने किया था, आज उसी महापुरूष के नाम पर इस सेतु का नाम भी, इस ब्रिज का नाम, इस दलंग का नाम भूपेनहजारिका के नाम से जोड़ने का हमने तय किया है। मैं फिर एक बार श्री मान सर्बानंद जी को उनकी पूरी टीम को असम की एक साल की सरकार को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं संतोष प्रकट करता हूं कि एक साल में ऐसी-ऐसी कठिन बातों को उन्‍होंने स्‍पर्श किया है, हाथ लगाया है और रास्‍ते खोजने का प्रयास किया है। 

पहली बार सरकार बनी हो, पहली बार मुख्‍यमंत्री का दायित्‍व आया हो और 15 साल तक असम का जो हाल हुआ था। ऐसी परिस्थिति में से असम को बाहर निकालने के लिए जो मेहनत यहां की सरकार कर रही है। यहां केमुख्‍यमंत्री और उनकी टीम काम कर रही है, मैं उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं और जिस गति से, जिस लगन से एक साल में काम करके दिखाया है, 5 साल के भीतर-भीतर तो असम इन सारी कठिनाईयों से बाहर निकलकररहेगा यह मैं अपना विश्‍वास प्रकट करता हूं। और भारत सरकार कंधे से कंधा मिलाकर A for असम, यह जो हमने सपना देखा था उसको पूरा करने के लिए कंधे से कंधा मिला करके काम करेंगे। इसी एक विश्‍वास के साथ मैंफिर एक बार आप सबका धन्‍यवाद करता हूं। भारत माता की जय।

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प्रधानमंत्रीशुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्लानमस्कार!

प्रधानमंत्रीआप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्रीशुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्रीवाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्रीशुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्रीशुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!