Text of PM's address at Parivartan Rally in Gaya, Bihar

Published By : Admin | August 9, 2015 | 18:33 IST
QuotePeople of Bihar want change and be part of the state's development: PM Modi #ParivartanInBihar
QuoteNDA Government is dedicated to the development and welfare of Bihar: PM #ParivartanInBihar
QuoteNDA's sole focus is Bihar's progress. We want to improve education, employment & skill development among youth: PM #ParivartanInBihar

भारत माता की जय

ये जो कोई ऊपर हैं, अगर आप में से कोई नीचे गिरा तो मेरा क्या होगा। मैं देख रहा था कि एयरपोर्ट से यहाँ तक पूरे रास्ते भर ऐसा ही लोगों का हुजूम जमा था  गया वालों से मेरी एक शिकायत है। शिकायत करूं, आप बुरा नहीं मानोगे न। पक्का नहीं मानोगे। मैं गया लोकसभा के चुनाव के समय भी आया था, इसी मैदान में आया था और करीब-करीब इसी समय आया था और चुनाव पीक पर थे तब आया था। मैं ख़ुद चुनाव लड़ रहा था, लोकसभा का चुनाव था, प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय करना था लेकिन उस सभा में तो इससे आधे लोग भी नहीं आये थे और आज उससे डबल से भी ज्यादा मैं देख रहा हूँ। हवा का रुख़ मुझे पता चल रहा है। लेकिन मेरी ये शिकायत प्यार की है, नाराजगी की नहीं है। ये शिकायत आपको अभिनंदन करने के लिए है, आपको बधाई देने के लिए है। कमाल कर दिया है आज गया वालों ने। ये हमारे जीतन राम जी की कर्मभूमि है ना।     

मंच पर विराजमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित भाई शाह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमान मंगल पांडेय जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे वरिष्ठ साथी श्रीमान राम विलास पासवान जी, हम पार्टी के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान जीतन राम मांझी जी, केन्द्रीय मंत्री एवं रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान उपेन्द्र कुशवाहा जी, बिहार विधानमंडल के नेता श्रीमान सुशील कुमार मोदी जी, बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्रीमान नंद किशोर यादव जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री अनंत कुमार, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री भूपेन्द्र यादव जी, पूर्व मंत्री और हम सबके मार्गदर्शक श्रीमान डॉ. सी पी ठाकुर जी, केंद्र में मेरे साथी मंत्री श्रीमान राधामोहन सिंह जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, श्रीमान राजीव प्रताप रूडी जी, श्री गिरिराज जी, श्री राम कृपाल यादव जी, हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान शकुनी चौधरी जी, रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष और मेरे मित्र डॉ. अरुण जी, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमान शाहनवाज़ हुसैन जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए गया के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

चुनाव बहुत जल्द आ रहे हैं और मैं साफ देख रहा हूँ जनता ने दो फैसले कर लिये हैं। बिहार की जनता ने दो निर्णय कर लिये हैं - एक निर्णय बिहार के जीवन में, बिहार के विकास में, बिहार का भाग्य बदलने के लिए एक आधुनिक ताकतवर नया बिहार बनाने का निर्णय कर लिया है और दूसरा निर्णय बिहार की जनता ने कर लिया है, बिहार में परिवर्तन का। 25 साल से जिनको झेला है, जिनके हर ज़ुल्म को झेला है, जिनके अहंकार को झेला है, जिनकी धोखाधड़ी को झेला है, इन सबसे मुक्ति का पर्व ये चुनाव आने वाला है भाईयों। और ये चुनाव बिहार को जंगलराज से मुक्ति का पर्व बनने वाला है, ये चुनाव बिहार में अहंकारी हुकूमत से मुक्ति का पर्व बनने वाला है।

भाईयों-बहनों, 25 साल हो गए, इन्हीं लोगों ने बिहार पर राज किया है। आप मुझे बताईये, आज जैसे 25 साल बीते हैं, अगर आने वाले 5 साल भी ऐसे बीते तो नौजवान बर्बाद हो जाएगा कि नहीं हो जाएगा? आपका भविष्य तबाह हो जाएगा, आपको बिहार छोड़कर रोजी-रोटी के लिए कहीं जाना पड़ेगा, बूढ़े मां-बाप को छोड़ना पड़ेगा, क्या हम ऐसा बिहार चाहते हैं? क्या बिहार में परिवर्तन चाहिए? बिहार का भला करने वाली सरकार चाहिए? लोकतंत्र में विश्वास करने वाली सरकार चाहिए? अहंकार से मुक्त सरकार चाहिए? जंगलराज के सपनों को चूर-चूर करना चाहिए? इसलिए भाईयों-बहनों, आज मैं बिहार की जनता के पास आया हूँ। मैं आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ। क्या करके रख दिया बिहार को? आज भी हिन्दुस्तान के सांस्कृतिक इतिहास की चर्चा कोई करेगा तो उस चर्चा की शुरुआत बिहार के भव्य भूतकाल से होती है। आज भी विश्व में अहिंसा के संदेश की कोई चर्चा करता है तो भगवान बुद्ध का स्मरण करता है तो बात बिहार से प्रारंभ होती है। सत्ता के लिए संघर्ष के बाद जनता की भलाई के लिए सत्य को छोड़ने का महाप्रयास, इसकी भी चर्चा होगी तो यही बिहार से चर्चा होती है। विज्ञान हो, संस्कृति हो, इतिहास हो, वीरता हो, पराक्रम हो, कोई ऐसा विषय नहीं है, हिन्दुस्तान जब भी उसकी चर्चा करे तो चर्चा का प्रारंभ बिहार से होता है।

ऐसी ये महान भूमि, ऐसी ये पवित्र भूमि, उसके सपनों को सत्ता के नशे में बैठे लोगों ने चूर-चूर कर दिए। आधुनिक भारत में भी बिहार ने देश को जितना दिया है, शायद ही हिन्दुस्तान का कोई राज्य इसका दावा कर सकता है जितना बिहार ने देश को दिया है। जब बिहार देश को उत्तम मानव संसाधन दे सकता है आज हिंदुस्तान का कोई राज्य ऐसा नहीं होगा जिस राज्य में बिहार का नौजवान आईएएस बनकर न बैठा हो, कोई राज्य नहीं होगा। भारत के कोने-कोने में बिहार का नौजवान जिस पद पर बैठा है उस राज्य को विकास के नई ऊंचाईयों पर ले जाने का पराक्रम करके दिखाता है। ये बिहार के नौजवानों की ताकत है, ये बिहार के लोगों की ताकत है लेकिन क्या कारण है कि बिहार आगे बढ़ नहीं पा रहा है। क्या कारण है? बिहार को किसने बर्बाद किया? बिहार के सपनों को किसने चूर-चूर किया? बिहार में जंगलराज कौन लाया? बिहार में जंगलराज लाने का और प्रयास कौन कर रहा है? क्या फिर से बिहार को उन 25 साल की बर्बादी की ओर ले जाना है क्या? फिर से उस दोज़ख में जाना है क्या? क्या बिहार बचाना है? क्या नया बिहार बनाना है? क्या बिहार को आगे ले जाना है? तो भाईयों-बहनों, हम कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं। अब दिल्ली बिहार के साथ है। अब दिल्ली बिहार का भाग्य बदलने के लिए आपकी सेवा में तैनात है और इसलिए भाईयों-बहनों, आज मैं आपके पास आया हूँ बिहार के जीवन को बदलने के लिए, एक अच्छी सरकार चुनने के लिए आपसे प्रार्थना करने के लिए आया हूँ। बिहार की जनता ने पिछले लोकसभा के चुनाव में मुझपर इतना प्यार बरपाया, इतना प्यार बरपाया कि मैं उस प्यार को ब्याज समेत लौटाना चाहता हूँ, विकास करके लौटाना चाहता हूँ लेकिन जो विकास के लिए प्रतिबद्ध हो, ऐसी सरकार यहाँ होना जरुरी है।

भाईयों-बहनों, गंगाजी तो बहती है लेकिन अगर हम उल्टा लोटा लेकर जाएंगे तो कोई एक बूँद भी पानी नहीं ले पाएंगे। दिल्ली से विकास की गंगा तो बह रही है लेकिन यहाँ के शासकों का अहंकार उल्टा लोटा पकड़े हुए है ताकि दिल्ली के विकास की गंगा बिहार के गाँव-गली में ना पहुंचे। पिछले दिनों जब मैं बिहार आया था, अनेक योजनाओं का शिलान्यास किया। 10-10 साल से रुकी पड़ी थी, कोई देखने को तैयार नहीं था। यही लोग दिल्ली की सरकार को चलाते थे और आज वही लोग साथ मिलकर के बिहार के लोगों को फिर से एकबार जंगलराज की ओर घसीटने के लिए, अपने निजी स्वार्थ के लिए तैयार बैठे हैं। आप मुझे बताईए, ये जो राजनीतिक लाभ लेने के लिए गठबंधन हुआ है, क्या चुनाव के बाद भी ये गठबंधन चलेगा क्या? ये जो जहर अभी पीया गया है, चुनाव के बाद जहर उगलेंगे कि नहीं उगलेंगे। ये जहर पीने वाले चुनाव के बाद जब जहर उगलेंगे तो वो जहर किसकी थाली में जाकर पड़ेगा? जनता की थाली में पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा? जनता मरेगी कि नहीं मरेगी? जनता बर्बाद होगी कि नहीं होगी? जिन्होंने जहर पीया है, उनको जहर उगलने का मौका देना चाहिए क्या? ये जहर पीने वालों की जरुरत है क्या? जहर पिलाने वालों की जरुरत है क्या? मुझे तो पता ही नहीं चल रहा, ये बिहार में भुजंग प्रसाद कौन है और चंदन कुमार कौन है? नए भुजंग प्रसाद, नए चंदन कुमार, पता नहीं कौन किसको जहर पिला रहा है, कौन किसका जहर पी रहा है लेकिन इतना मुझे पता है कि चुनाव समाप्त होते ही ये जहर उगलना शुरू करेंगे। बिहार को बर्बाद करने में अब जंगलराज के साथ जहरीला वातावरण भी आने वाला है और इसलिए बिहार को बचाना समय की मांग है।

अब देखिए, भाजपा की सरकार क्यों बनानी चाहिए, एनडीए की सरकार क्यों बनानी चाहिए। जीतन राम मांझी, राम विलास पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, सुशील मोदी, ये सारे अनुभवी लोग, इनके नेतृत्व में बिहार में नई सरकार क्यों बनानी चाहिए। मैं अनुभव से बताता हूँ, हमारे देश में कई वर्षों से ये चर्चा चली, बीमारू राज्य है। बीमारू राज्य शब्द का प्रयोग चल पड़ा। आर्थिक विकास के पैमानों के आधार पर चल पड़ा और उस बीमारू राज्य में बिहार का भी नाम, उत्तरप्रदेश का भी नाम, मध्यप्रदेश का भी नाम, राजस्थान का भी नाम, ये बीमारू राज्य में गिने जाते हैं। लेकिन जब मध्यप्रदेश की जनता ने भाजपा की सरकार बनाई, अभी तो वहां 15 साल का भी सेवा करने का समय पूरा नहीं हुआ, अभी तो 10-12 साल हुए हैं लेकिन 10-12 साल के अन्दर-अन्दर मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से बाहर निकाल लिया है। भाईयों-बहनों, क्या बिहार को बीमारू से बाहर निकालना है? पक्का निकालना है? मध्यप्रदेश को निकाला भाजपा ने, बिहार को कौन निकालेगा? राजस्थान को बीमारू राज्य कहा जाता था। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और विकास की नई ऊंचाईयों को पार किया। आज राजस्थान बीमारू राज्य से बाहर निकाल आया है तो भाईयों-बहनों, क्या बिहार बीमारू राज्य से बाहर आ सकता है? क्या हम ला सकते हैं? आप मदद करोगे? आप आशीर्वाद दोगे? मैं आपसे वादा करता हूँ कि 5 साल के भीतर-भीतर हम बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकाल देंगे।

दुनिया में कई देशों में मुझे जाने का सौभाग्य मिला, एशिया के कई देशों में जाने का सौभाग्य मिला और वहां पर बड़े से बड़े राजनेता को मिलना हुआ हो, वहां के उद्योगपतियों से मिलना हुआ हो, वहां के साहित्यकारों से मिलना हुआ हो, वहां के छोटे-मोटे व्यापारियों से मिलना हुआ हो, वहां के सरकारी अफसरों से मिलना हुआ हो, हर किसी ने मुझसे एक बात कही। जिन-जिन देशों में बौद्ध धर्म का प्रभाव है, बौद्ध परंपरा का प्रभाव है, उन सभी देशों के मुखिया ने कहा कि एक बार तो बोधगया जाने की इच्छा है। दुनिया का हर व्यक्ति जो बौद्ध परंपरा से जुड़ा हुआ है, कम्युनिस्ट विचारधारा के नेता भी मिले, वो भी मुझे कहते हैं कि एक बार बोधगया के दर्शन के लिए जाएंगे। जितने यात्री ताजमहल देखने के लिए आते हैं, उससे ज्यादा यात्री बोधगया में माथा टेकने के लिए तैयार हैं। मुझे बताईये, क्या हमें बोधगया को ऐसा बनाना चाहिए कि नहीं चाहिए? बोधगया से ऐसा विकास हो टूरिज्म का ऐसा क्षेत्र बने ताकि दुनियाभर में बुद्ध को मानने वाले लोगों को बोधगया आने की व्यवस्था मिले और इतनी बड़ी संख्या में अगर यात्री आएंगे तो इस इलाके में कभी गरीबी रहेगी क्या।

टूरिज्म एक ऐसा उद्योग है, टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कम से कम पूँजी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। अगर एक बार बोधगया में विश्वभर के यात्रियों के आने का सिलसिला चालू हो जाए और बहुत बड़ी संख्या में हो जाए तो इस इलाके के किसी नौजवान को बेरोजगार रहने की नौबत नहीं आएगी। इतनी ताकत है उसमें और गरीब से गरीब आदमी कमाता है, ऑटो रिक्शावाला भी कमायेगा, बिस्कुट बेचने वाला भी कमायेगा, चने मुरमुरे बेचने वाला भी कमायेगा, खिलौने बेचने वाला भी कमायेगा, फूल बेचने वाला कमायेगा, अरे चाय बेचने वाला भी कमायेगा। लेकिन भाईयों-बहनों, इनकी राजनीति वोट-बैंक की राजनीति इतनी है कि उन्होंने बोधगया का विकास करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, जब यहाँ पर बम धमाका हुआ तो पूरे विश्व को बहुत बड़ा सदमा पहुंचा। विश्वभर में बौद्ध परंपरा को निभाने वाले सभी देशों के लोगों को सदमा पहुंचा लेकिन वोट बैंक की राजनीति में डूबे हुए लोग, उनको इसकी कोई परवाह नहीं थी। उनके लिए ऐसी घटनाएं आती है, जाती है। भाईयों-बहनों, मुझे यह स्थिति बदलनी है।

मुझे बोधगया को पूरे एशिया में तीर्थ-क्षेत्र के रूप में परिवर्तित करना है और मुझे आगे बढ़ाना है। ये गया पितृ तर्पण का स्थल है। हिन्दुस्तान का हर युवक, हर बेटा-बेटी, जब पितृ तर्पण की बात आती है तो उसका एक सपना रहता है कि उसके पिता का तर्पण मैं गया जी में जाकर करूँ। हिंदुस्तान भर के लोगों का ये सपना है कि नहीं है? पितृ तर्पण के लिए लोग आते हैं कि नहीं आते हैं? सवा सौ करोड़ का देश, हर वर्ष करोड़ों बड़ी आयु के लोग स्वर्ग सिधारते हैं, उनके संतान पितृ गया में आ करके तर्पण करना चाहते हैं। करोड़ों लोग आने के लिए तैयार बैठे हैं लेकिन यहाँ का समाचार सुनते हैं और इसके लिए आते नहीं हैं वो पितृ भी नाराज होते हैं और यहाँ के लोगों की रोजी-रोटी का भी नुकसान होता है। मुझे बताईये, हर हिन्दुस्तानी का पितृ तर्पण का सपना पूरा हो, ये व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? यहाँ के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए?

आप मुझे बताईये, विकास करने की दिशा में अगर आगे बढ़ना है। भाईयों-बहनों, लेकिन अगर जंगलराज पार्ट-2, ये अगर आ गया फिर तो सब बर्बाद हो जाएगा। कोई व्यक्ति जेल जाता है तो क्या सीख कर आता है भाई? कोई अच्छी चीज़ें सीख कर आता है क्या? बुरी-बुरी चीज़ें सीख कर के आता है ना जितनी बुराईयां हैं सब लेकर के आता है कि नहीं आता है? जंगलराज पार्ट-1 में जेल का अनुभव नहीं था, जंगलराज पार्ट-2 में अब जेल का अनुभव जुड़ गया है और इसलिए बर्बादी की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। इसलिए पिछली बार जब मैं आया था, तब मैंने कहा था आरजेडी का सीधा-सीधा मतलब है – रोजाना जंगलराज का डर और जो लोग उनके साथ जुड़ गए हैं; आपने देखा होगा कि अभी पटना में सवेरे-सवेरे भाजपा के कार्यकर्ता को गोलियों से भून दिया गया, मौत के घाट उतार दिया गया, पटना में हुआ और इनकी नाक के नीचे हुआ। भाईयों-बहनों, ये जंगलराज की शुरुआत है कि नहीं है? और ये जो जंगलराज पार्ट-2 आ रहा है, जंगलराज और जेल का अनुभव जुड़ रहा है, जंगलराज और जहर उगलने का अवसर खड़ा किया जा रहा है तो उस समय एक तरफ रोजाना जंगलराज का डर और दूसरी तरफ जनता का दमन और उत्पीड़न। जेडीयू - जनता का दमन और उत्पीड़न, जनता – जे, दमन – डी और उत्पीड़न – यू। आप बताईये, बिहार को ऐसे लोगों के हाथ में सौंपा जा सकता है, 25 साल जिन्होंने बर्बाद किया, उनको मौका दिया जा सकता है?

भाईयों-बहनों, आपको हैरानी होगी, पूरे हिन्दुस्तान में ये लालटेन वालों ने आपको अँधेरे में रखा है। बिजली आती है? बिजली मिलती है? परीक्षा का समय हो, अगर पढ़ना है तो बिजली मिलती है क्या? अँधेरे में गुजारा करना पड़ता है? मिट्टी के तेल पर गुजारा करना पड़ता है। पिछले चुनाव में यहाँ के नेता ने आपको वादा किया था कि आपको बिजली देंगे। बिजली देने का वादा किया था, बिजली नहीं मिलेगी तो वोट नहीं मांगूंगा, ऐसा कहा था? बिजली मिली? धोखा किया? फिर से वोट मांगने आए, दूसरा धोखा किया। ये बार-बार धोखा हो रहा है। आप इनके झांसे में आ जाएंगे क्या? आज हिन्दुस्तान में प्रति व्यक्ति कम से कम बिजली की खपत कहीं पर है तो दुर्भाग्यशाली मेरे बिहार के भाई-बहन हैं। उनके भाग्य को इन्होंने अंधकारमय बना दिया है। हिन्दुस्तान में औसत प्रति व्यक्ति करीब-करीब एक हजार किलोवाट बिजली की खपत है जबकि बिहार में 150 किलोवाट भी नहीं है। कहाँ हजार और कहाँ ढेढ़ सौ, छठवां हिस्सा है आपका! इतना ही नहीं, बिहार से भी छोटा राज्य सिक्किम के लोगों की छह गुना ज्यादा खपत है। बिहार से निकला हुआ झारखंड, 10 साल के अंदर-अंदर झारखंड का नागरिक बिहार से 5 गुना ज्यादा बिजली का खपत करता है। आपको अँधेरे में रखने वाला पाप किसने किया है? 25 साल की दो सरकारों ने किया है कि नहीं किया है? 25 साल के दो मुख्यमंत्रियों ने किया है कि नहीं किया है? और इसलिए जिन्होंने आपको बर्बाद किया है, उनको दोबारा भार नहीं दिया जा सकता है।

शिक्षा के क्षेत्र में आज हिन्दुस्तान में कोई भी टीवी चैनल उठा लीजिए, आपको दो-चार बिहार के तेजस्वी नौजवान उस टीवी चैनल के माध्यम से देश को संबोधित करते नजर आएंगे। ऐसे तेजस्वी लोगों की यह भूमि है लेकिन यहाँ के नौजवानों को अवसर नहीं दिया जाता है। टेक्निकल एजुकेशन में आज बिहार का क्या हाल है। अगर हमें नौजवानों को रोजगार देना है तो उनको टेक्निकल एजुकेशन देना होगा, स्किल डेवलपमेंट कराना होगा, इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षा दिलाना होगा डिग्री इंजीनियरिंग, डिप्लोमा इंजीनियरिंग करानी पड़ेगी, सर्टिफिकेट कोर्स करना पड़ेगा। बिहार के अन्दर नौजवानों को शिक्षा मिलनी चाहिए। आज मुझे दुःख के साथ कहना पड़ता है, आज बिहार का हाल क्या है शिक्षा में।

17-20 साल उम्र के 80 लाख से ज्यादा नौजवान बिहार में हैं। इन 80 लाख बच्चों के मां-बाप के सपने हैं कि उनके बच्चों को डिप्लोमा करने का मौका मिले, डिग्री करने का मौका मिले, सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिले लेकिन बिहार में ये सारा होने के बावजूद भी बिहार में इंजीनियरिंग की सीटें कितनी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बिहार में सिर्फ़ 25,000 सीट है। 80 लाख नौजवान पढ़ना चाहते हैं उसमें से 5-10 लाख तो इंजीनियरिंग में जाना चाहते होंगे कि नहीं लेकिन सिर्फ़ 25,000 सीट है और ये जिम्मेवारी बिहार सरकार की है। 25 साल हो गए और सिर्फ़ 25,000 सीट।

इतना बड़ा बिहार और दूसरी तरफ देखिये हिन्दुस्तान के और राज्यों का हाल। मैं बताना चाहता हूँ जो बिहार से बहुत छोटे हैं... हिमाचल प्रदेश, पूरे पटना की जितनी जनसंख्या है, पूरे हिमाचल की जनसंख्या उतनी ही है लेकिन हिमाचल प्रदेश में इंजीनियरिंग में पढने के लिए सीटों की संख्या है - 24,000। इतने छोटे हिमाचल में 24,000 और इतने बड़े बिहार में 25,000। क्या होगा यहाँ के नौजवानों का! उड़ीसा, हमारे बगल में है, पिछड़ा राज्य माना गया लेकिन उस उड़ीसा में इंजीनियरिंग की सीटें कितनी हैं, आप कल्पना नहीं कर सकते कि उड़ीसा जैसा बिहार से भी छोटा प्रदेश, वहां इंजीनियरिंग की सीटें हैं -  1 लाख 13 हजार से भी ज्यादा। इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है? पंजाब बहुत ही छोटा राज्य है और पंजाब में सीटें हैं - 1 लाख 4 हजार। पंजाब बिहार का एक-चौथाई भी नहीं है और वहां 1 लाख सीटें हैं और बिहार में 25 हजार है। कौन जिम्मेवार है? जंगलराज जिम्मेवार है कि नहीं है? ये दोबारा जंगलराज लाना है? उत्तराखंड बहुत छोटा राज्य है, पटना की जितनी जनसंख्या है, उत्तराखंड की उससे ज्यादा नहीं है, पटना से भी कम जनसंख्या और उसके बावजूद भी उत्तराखंड में इंजीनियरिंग की सीटें हैं – 40,000 से ज्यादा। अब मुझे बताईये कि बिहार के नौजवानों के साथ अन्याय है कि नहीं? बिहार के नौजवानों का भाग्य बर्बाद किया जा रहा है कि नहीं किया जा रहा है? क्या बिहार के नौजवानों को इंजीनियरिंग में पढने का हक होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? उनको ये सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? जिन्होंने यह सुविधा नहीं दी है, उन्हें जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? उनको भगाना चाहिये कि नहीं चाहिए?

इसलिए मैं आज यह कहने आया हूँ कि अगर बिहार के नौजवानों का भाग्य बदलना है तो शिक्षा में बदलाव लाने की जरुरत है और शिक्षा में बदलाव एनडीए की सरकार ला सकती है, बिहार का भाग्य बदल सकती है। हर वर्ष, बिहार के जिन मां-बाप के पास कुछ पैसे हैं वे अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बिहार से बाहर भेजते हैं। करीब 4-5 लाख नौजवान बिहार छोड़कर के, अपने मां-बाप को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के कहीं न कहीं पढने के लिए जाते हैं और हर साल एक-एक युवक के पढने के पीछे खर्चा करीब-करीब एक लाख रूपया आता है। मुझे बताईये, चार लाख लोग बिहार से बाहर जाएं, हर वर्ष एक लाख रूपया साथ-साथ चला जाए तो बिहार का चार हजार करोड़ का नुकसान होता है कि नहीं होता है? ये बिहार का चार हजार करोड़ रूपया बचना चाहिए कि नहीं चाहिए? अगर बिहार का चार हजार करोड़ रूपया बचाना है तो बिहार के नौजवान को यहाँ पढने के लिए सुविधा मिलनी चाहिए। ये बिहार सरकार भाजपा की सरकार बनाईए, एनडीए की बनाईए और हम बना कर रहेंगे। इसलिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि हमें विकास के लिए वोट चाहिए, बिहार को जंगलराज से मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए, धोखेबाजी से बिहार को मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए। मैं आपको भरोसा दिलाने आया हूँ कि मैं बिहार की विकास यात्रा में कंधा से कंधा मिलाकर चलूँगा। अगर आप एक कदम चलेंगे तो मैं सवा कदम चलूँगा, मैं ये विश्वास दिलाने आया हूँ। चुनाव के समय भारी मतदान करके परिवर्तन लाकर के रहिये, बिहार का भाग्य बदल के रहिये। 

बहुत बहुत धन्यवाद!       

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সংসদের ২০২৫-এর বর্ষাকালীন অধিবেশনের সূচনায় প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ
July 21, 2025

নমস্কার বন্ধুরা !

আমি বর্ষাকালীন অধিবেশনে সংবাদ মাধ্যমের সকল সদস্যকে স্বাগত জানাই।

বন্ধুগণ,

বর্ষা সতেজতা এবং সৃষ্টির প্রতিরূপ। এখনও পর্যন্ত পাওয়া রিপোর্ট অনুযায়ী দেশে আবহাওয়া এগোচ্ছে ভালোভাবেই। কৃষির জন্য ভালো মরশুমের খবর। বৃষ্টি শুধুমাত্র আমাদের কৃষকদের অর্থনীতিতেই গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে তা নয়, জাতীয় অর্থনীতি, গ্রামীণ অর্থনীতি এমনকি প্রতিটি পরিবারের অর্থনীতিতে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা পালন করে। প্রাপ্ত তথ্যের ভিত্তিতে এ বছর জল সঞ্চয় হয়েছে গত ১০ বছরের তুলনায় ৩ গুণ বেশি, যা আগামীদিনে দেশের অর্থনীতির অনেক বেশি উপকার করবে।

বন্ধুগণ,

এই বর্ষাকালীন অধিবেশন দেশের জন্য প্রভূত গর্বের বিষয়। শুধু এই অধিবেশনই দেশের বিজয়ের এক উদযাপন। যখন আমি বলছি এই অধিবেশন জাতীয় গর্ব এবং বিজয় উদযাপন, তার বড় কারণ আন্তর্জাতিক মহাকাশ স্টেশনে ভারতের ত্রিবর্ণ রঞ্চিত পতাকার উন্মোচন- প্রতিটি ভারতীয়ের জন্য প্রভূত গর্বের মুহূর্ত। এই সফল যাত্রা দেশকে বিজ্ঞান, প্রযুক্তি এবং উদ্ভাবনের জন্য নতুন করে উৎসাহ এবং উত্তেজনায় ভরিয়ে দিয়েছে। সমগ্র সংসদ লোকসভা এবং রাজ্যসভা- দুইই- দেশের সব নাগরিককে সঙ্গে নিয়ে এক স্বরে এই সাফল্যকে উদযাপন করবে। এই একত্রে অভিনন্দন ভারতের আগামী মহাকাশ অভিযান যার লক্ষ্য আরও উঁচুতে ওঠা, তাতে অনুপ্রেরণা এবং উৎসাহ জোগাবে।

 

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বন্ধুগণ,

বর্ষাকালীন অধিবেশন নিশ্চিতভাবেই বিজয়ের উদযাপন। সমগ্র বিশ্ব ভারতের সামরিক সক্ষমতা শক্তির সাক্ষী থেকেছে। অপারেশন সিন্দুরের সময় ভারতীয় সশস্ত্র বাহিনী তাদের উদ্দেশ্য ১০০ শতাংশ সফল করতে পেরেছে। মাত্র ২২ মিনিটে এই অভিযানে শত্রুসীমানার ভিতরে নির্দিষ্ট লক্ষ্যে আঘাত করেছে। বিহারে একটি অনুষ্ঠানের সময় আমি এটা ঘোষণা করেছিলাম এবং আমাদের সশস্ত্র বাহিনী খুব কম সময়ের মধ্যে তা রূপায়ণ করে। আমাদের ‘মেড ইন ইন্ডিয়া’ সামরিক শক্তির নতুন মুখ বিশ্বের নজর কেড়েছে। এখন যখন আমি বিশ্ব নেতাদের সঙ্গে দেখা করি, তখন ভারতে তৈরি দেশজ প্রতিরক্ষা সরঞ্জামের প্রতি আগ্রহ দেখতে পাই। আমি দৃঢ়ভাবে বিশ্বাস করি যে যখন সংসদ এক সুরে এই অধিবেশনের সময়ে বিজয় বার্তা ঘোষণা করে, তখন তা আমাদের সশস্ত্র বাহিনীকে আরও শক্তিশালী এবং অনুপ্রাণিত করে তোলে। এটি দেশের প্রেরণা শক্তি হিসেবে কাজ করে এবং প্রতিরক্ষা ক্ষেত্রে গবেষণা, উদ্ভাবন এবং উৎপাদনের বৃদ্ধি ঘটায়। ‘মেড ইন ইন্ডিয়া’ প্রতিরক্ষা সরঞ্জাম আরও গতি পাবে, আমাদের যুব সমাজের জন্য নতুন কাজের সুযোগ তৈরি করবে।

বন্ধুগণ,

এই দশককে এমন একটা সময় বলে বর্ণনা করা যায় যখন শান্তি এবং সমৃদ্ধি হাতে হাত ধরে এগোচ্ছে। আমরা প্রতি পদক্ষেপে উন্নতি লক্ষ্য করছি। দেশ স্বাধীনতা পাওয়া থেকে নানা ধরনের হিংসার শিকার হয়েছে দীর্ঘদিন ধরে- সে সন্ত্রাসবাদ হোক অথবা নকশালবাদ। এইসব কিছু কিছু বিষয় আগে হয়েছে, আবার কিছু হয়েছে পরে। তবে বর্তমানে নকশালবাদ এবং মাওবাদের প্রভাব দ্রুত কমছে। মাওবাদ এবং নকশালবাদের শিকড় উৎপাটনের দৃঢ় সংকল্প নিয়ে আমাদের প্রতিরক্ষা বাহিনী দ্রুত গতিতে সাফল্যের দিকে এগোচ্ছে এবং নতুন আত্মবিশ্বাস নিয়ে। আমি গর্বের সঙ্গে বলতে পারি দেশের কয়েকশো জেলা যা একদা নকশাল প্রভাবের কবলে ছিল তারা এখন মুক্তির শ্বাস নিচ্ছে। আমার একটি বিষয়ে গর্ব হয় যে আমাদের সংবিধান বোমা, বন্দুক এবং পিস্তলের বিরুদ্ধে জয়লাভ করেছে- আমাদের সংবিধান বিজয়ী হয়েছে। এটা স্পষ্ট যে, এক সময় যে অঞ্চল রেড করিডর হিসেবে চিহ্নিত ছিল, সেগুলি এখন সবুজ উন্নয়নের এলাকায় রূপান্তরিত হচ্ছে, দেশের জন্য উজ্জ্বল ভবিষ্যতের প্রতীক হিসেবে।

বন্ধুগণ,

একের পর এক এমন ঘটনা সংসদের প্রত্যেক মাননীয় সদস্য যাঁরা দেশের কল্যাণে সেবার জন্য এই ভবনে প্রবেশ করেছেন তাঁদের কাছে গর্বের মুহূর্ত। এবং সংসদের এই অধিবেশনে সমগ্র দেশ শুনবে গর্বের কাহিনী- সংসদের প্রত্যেক সদস্য এবং প্রত্যেক রাজনৈতিক দলের থেকে।

 

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বন্ধুগণ,

যখন আপনারা ২০১৪ সালে আমাদের ওপর দায়িত্ব ন্যস্ত করেছিলেন, দেশ সে সময় এমন পর্যায়ের মধ্যে দিয়ে যাচ্ছিল যখন তাকে ৫টি ভঙ্গুর অর্থনীতি হিসেবে দেখা হত। ২০১৪-র আগে বিশ্ব অর্থনীতিতে আমাদের স্থান ছিল দশম। আজ ভারত দ্রুত গতিতে এগোচ্ছে বিশ্বের তৃতীয় বৃহত্তম অর্থনীতি হয়ে ওঠার লক্ষ্যে। বর্তমানে ২৫ কোটি মানুষকে দারিদ্রমুক্ত করা প্রশংসিত হচ্ছে একাধিক আন্তর্জাতিক প্রতিষ্ঠানের দ্বারা। ২০১৪-র আগে দেশে এমন একটা সময় ছিল যখন মুদ্রাস্ফীতির হার ছিল ২ অঙ্কে। বর্তমানে ২ শতাংশ মুদ্রাস্ফীতির হার সাধারণ মানুষের জন্য স্বস্তি এবং স্বাচ্ছন্দ্য এনেছে। মুদ্রাস্ফীতির নিম্নহারের সঙ্গে উচ্চহারে বৃদ্ধি স্বাস্থ্যকর এবং সমৃদ্ধ উন্নয়ন যাত্রার প্রতিফলন ঘটায়।

বন্ধুগণ,

বিশ্ব এখন দেখছে এবং স্বীকার করছে ডিজিটাল ইন্ডিয়া এবং ইউপিআই-এর মাধ্যমে ভারতের নতুন সক্ষমতা যা যথেষ্ট পরিমাণে বিশ্বের আগ্রহ সৃষ্টি করছে। ইউপিআই ফিনটেক ওয়ার্ল্ডে নিজের জন্য একটি স্বতন্ত্র পরিচিতি তৈরি করতে পেরেছে। রিয়েল টাইম ডিজিটাল লেনদেনে ভারত এখন বিশ্বকে নেতৃত্ব দিচ্ছে।

বন্ধুগণ,

সম্প্রতি ইন্টারন্যাশনাল লেবার অর্গানাইজেশনের বিশ্ব সম্মেলন হল যেখানে ভারত একটি বড় মাইল ফলক অর্জন করেছে। আইএলও অনুযায়ী ভারতের ৯০ কোটির বেশি মানুষ এখন সামাজিক সুরক্ষার আওতায়- একটা বড়সড় সাফল্য এটি। একইরকমভাবে ওয়ার্ল্ড হেল্থ অর্গানাইজেশন (ডাব্লুএইচও) ভারতকে ট্র্যাকোমা মুক্ত দেশ হিসেবে ঘোষণা করেছে- যা একটি চোখের রোগ, সাধারণত দেখা যায় বর্ষা কালে। জনস্বাস্থ্য ক্ষেত্রে ভারতের জন্য এটা আরও একটি উল্লেখযোগ্য সাফল্য।

বন্ধুগণ,

পহেলগাঁও-এ নৃশংস হত্যা, অত্যাচার এবং গণসংহার সমগ্র বিশ্বকে হতবাক করে দিয়েছে। নজর ঘুরে গেছে সন্ত্রাসবাদী এবং তাদের চক্রীদের দিকে। ওই সময় দলীয় স্বার্থ সরিয়ে রেখে জাতীয় স্বার্থে বেশিরভাগ রাজনৈতিক দল এবং রাজ্যের প্রতিনিধিরা বিশ্বের নানা দেশে ঘুরে সারা বিশ্বের সামনে সন্ত্রাসবাদের আতুঁড়ঘর পাকিস্তানের মুখোশ খুলে দিতে সফল অভিযানে নেতৃত্ব দিয়েছেন। আমি সংসদের এবং রাজনৈতিক দলগুলির সেইসব সদস্যদের অভিনন্দন জানাতে চাই জাতীয় স্বার্থে এই গুরুত্বপূর্ণ কাজ করার জন্য। তাঁদের প্রয়াস দেশে একটি ইতিবাচক আবহাওয়া তৈরি করেছে। বিশ্ব তার দরজা খুলে দিয়েছে ভারতের কথা শোনার জন্য এবং তার পরিপ্রেক্ষিতটি বোঝার জন্য। এর জন্য সংসদ এবং রাজনৈতিক দলগুলির সদস্যদের অভিনন্দন জানানোর সুযোগ হয়েছে বলে আমি মনে করি।

 

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বন্ধুগণ,

আমরা জানি কীভাবে একতার বার্তা এবং ঐক্যবদ্ধ কণ্ঠ দেশকে বিশাল উৎসাহে ভরিয়ে দিয়েছে। বিজয়ের এই উদযাপন একই মনোভাব নিয়ে প্রতিফলিত হবে বর্ষাকালীন অধিবেশনে- প্রশংসিত হবে আমাদের সশস্ত্র বাহিনীর শক্তি, দেশের সক্ষমতাকে গৌরবান্বিত করে তোলা হবে এবং ১৪০ কোটি ভারতীয়ের জন্য অনুপ্রেরণার নতুন উৎস হিসেবে কাজ করবে। আমি দৃঢ়ভাবে বিশ্বাস করি যে আমরা সকলে একসঙ্গে প্রতিরক্ষা ক্ষেত্রে আত্মনির্ভরতার লক্ষ্যে আমাদের প্রয়াসকে শক্তিশালী করবো এবং সশস্ত্র বাহিনীর শক্তির প্রশংসা করবো। আজ দেশের মানুষকে  এবং সব রাজনৈতিক দলকে আমি নিশ্চিতভাবে এটা বলতে চাই যে দেশ ঐক্যের শক্তি এবং ঐক্যবদ্ধ কণ্ঠস্বরের ক্ষমতা প্রত্যক্ষ করেছে। সংসদের মাননীয় সদস্যরা সভাতেও এই মনোভাবকে আরও শক্তিশালী করুন এবং এগিয়ে নিয়ে চলুন। আমি বাস্তবে এটা বুঝি যে রাজনৈতিক দলগুলি ভিন্ন ভিন্ন- প্রত্যেকের  নিজস্ব কর্মসূচি আছে, নিজস্ব ভূমিকা আছে। কিন্তু আমি এই সত্যটাও মানি : যে মন দলীয় স্বার্থ নিয়ে এক হতে পারে না, জাতীয় স্বার্থে সেই মনই এক হতে পারে। এই মনোভাব নিয়ে অনেক গুরুত্বপূর্ণ বিল- যা দেশের উন্নয়নের যাত্রাকে শক্তিশালী করবে, দেশের সমৃদ্ধি বৃদ্ধি করবে এবং নাগরিকদের ক্ষমতায়ন ঘটাবে, তা এই বর্ষাকালীন অধিবেশনে প্রস্তাবিত হয়েছে। আমি বিশ্বাস করি সভা বিস্তারিত আলোচনা করে সেগুলি পাশ করবে।

সকল মাননীয় সংসদ সদস্যকে অর্থবহ এবং গঠনমূলক বিতর্কের জন্য আমার শুভেচ্ছা।

অনেক ধন্যবাদ !