लोगों ने बिहार को मजबूत बनाने और परिवर्तन लाने का निर्णय कर लिया है: प्रधानमंत्री मोदी #ParivartanInBihar
मैं बिहार की विकास यात्रा में कंधा से कंधा मिलाकर चलूँगा। अगर आप एक कदम चलेंगे तो मैं सवा कदम चलूँगा: प्रधानमंत्री #ParivartanInBihar
बिहार की प्रगति ही एनडीए का एकमात्र लक्ष्य है। हम युवाओं की शिक्षा, रोजगार एवं उनके कौशल विकास में सुधार करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री #ParivartanInBihar

भारत माता की जय

ये जो कोई ऊपर हैं, अगर आप में से कोई नीचे गिरा तो मेरा क्या होगा। मैं देख रहा था कि एयरपोर्ट से यहाँ तक पूरे रास्ते भर ऐसा ही लोगों का हुजूम जमा था  गया वालों से मेरी एक शिकायत है। शिकायत करूं, आप बुरा नहीं मानोगे न। पक्का नहीं मानोगे। मैं गया लोकसभा के चुनाव के समय भी आया था, इसी मैदान में आया था और करीब-करीब इसी समय आया था और चुनाव पीक पर थे तब आया था। मैं ख़ुद चुनाव लड़ रहा था, लोकसभा का चुनाव था, प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय करना था लेकिन उस सभा में तो इससे आधे लोग भी नहीं आये थे और आज उससे डबल से भी ज्यादा मैं देख रहा हूँ। हवा का रुख़ मुझे पता चल रहा है। लेकिन मेरी ये शिकायत प्यार की है, नाराजगी की नहीं है। ये शिकायत आपको अभिनंदन करने के लिए है, आपको बधाई देने के लिए है। कमाल कर दिया है आज गया वालों ने। ये हमारे जीतन राम जी की कर्मभूमि है ना।     

मंच पर विराजमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित भाई शाह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमान मंगल पांडेय जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे वरिष्ठ साथी श्रीमान राम विलास पासवान जी, हम पार्टी के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान जीतन राम मांझी जी, केन्द्रीय मंत्री एवं रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान उपेन्द्र कुशवाहा जी, बिहार विधानमंडल के नेता श्रीमान सुशील कुमार मोदी जी, बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्रीमान नंद किशोर यादव जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री अनंत कुमार, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव श्री भूपेन्द्र यादव जी, पूर्व मंत्री और हम सबके मार्गदर्शक श्रीमान डॉ. सी पी ठाकुर जी, केंद्र में मेरे साथी मंत्री श्रीमान राधामोहन सिंह जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, श्रीमान राजीव प्रताप रूडी जी, श्री गिरिराज जी, श्री राम कृपाल यादव जी, हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान शकुनी चौधरी जी, रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष और मेरे मित्र डॉ. अरुण जी, राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमान शाहनवाज़ हुसैन जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए गया के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

चुनाव बहुत जल्द आ रहे हैं और मैं साफ देख रहा हूँ जनता ने दो फैसले कर लिये हैं। बिहार की जनता ने दो निर्णय कर लिये हैं - एक निर्णय बिहार के जीवन में, बिहार के विकास में, बिहार का भाग्य बदलने के लिए एक आधुनिक ताकतवर नया बिहार बनाने का निर्णय कर लिया है और दूसरा निर्णय बिहार की जनता ने कर लिया है, बिहार में परिवर्तन का। 25 साल से जिनको झेला है, जिनके हर ज़ुल्म को झेला है, जिनके अहंकार को झेला है, जिनकी धोखाधड़ी को झेला है, इन सबसे मुक्ति का पर्व ये चुनाव आने वाला है भाईयों। और ये चुनाव बिहार को जंगलराज से मुक्ति का पर्व बनने वाला है, ये चुनाव बिहार में अहंकारी हुकूमत से मुक्ति का पर्व बनने वाला है।

भाईयों-बहनों, 25 साल हो गए, इन्हीं लोगों ने बिहार पर राज किया है। आप मुझे बताईये, आज जैसे 25 साल बीते हैं, अगर आने वाले 5 साल भी ऐसे बीते तो नौजवान बर्बाद हो जाएगा कि नहीं हो जाएगा? आपका भविष्य तबाह हो जाएगा, आपको बिहार छोड़कर रोजी-रोटी के लिए कहीं जाना पड़ेगा, बूढ़े मां-बाप को छोड़ना पड़ेगा, क्या हम ऐसा बिहार चाहते हैं? क्या बिहार में परिवर्तन चाहिए? बिहार का भला करने वाली सरकार चाहिए? लोकतंत्र में विश्वास करने वाली सरकार चाहिए? अहंकार से मुक्त सरकार चाहिए? जंगलराज के सपनों को चूर-चूर करना चाहिए? इसलिए भाईयों-बहनों, आज मैं बिहार की जनता के पास आया हूँ। मैं आपका आशीर्वाद लेने आया हूँ। क्या करके रख दिया बिहार को? आज भी हिन्दुस्तान के सांस्कृतिक इतिहास की चर्चा कोई करेगा तो उस चर्चा की शुरुआत बिहार के भव्य भूतकाल से होती है। आज भी विश्व में अहिंसा के संदेश की कोई चर्चा करता है तो भगवान बुद्ध का स्मरण करता है तो बात बिहार से प्रारंभ होती है। सत्ता के लिए संघर्ष के बाद जनता की भलाई के लिए सत्य को छोड़ने का महाप्रयास, इसकी भी चर्चा होगी तो यही बिहार से चर्चा होती है। विज्ञान हो, संस्कृति हो, इतिहास हो, वीरता हो, पराक्रम हो, कोई ऐसा विषय नहीं है, हिन्दुस्तान जब भी उसकी चर्चा करे तो चर्चा का प्रारंभ बिहार से होता है।

ऐसी ये महान भूमि, ऐसी ये पवित्र भूमि, उसके सपनों को सत्ता के नशे में बैठे लोगों ने चूर-चूर कर दिए। आधुनिक भारत में भी बिहार ने देश को जितना दिया है, शायद ही हिन्दुस्तान का कोई राज्य इसका दावा कर सकता है जितना बिहार ने देश को दिया है। जब बिहार देश को उत्तम मानव संसाधन दे सकता है आज हिंदुस्तान का कोई राज्य ऐसा नहीं होगा जिस राज्य में बिहार का नौजवान आईएएस बनकर न बैठा हो, कोई राज्य नहीं होगा। भारत के कोने-कोने में बिहार का नौजवान जिस पद पर बैठा है उस राज्य को विकास के नई ऊंचाईयों पर ले जाने का पराक्रम करके दिखाता है। ये बिहार के नौजवानों की ताकत है, ये बिहार के लोगों की ताकत है लेकिन क्या कारण है कि बिहार आगे बढ़ नहीं पा रहा है। क्या कारण है? बिहार को किसने बर्बाद किया? बिहार के सपनों को किसने चूर-चूर किया? बिहार में जंगलराज कौन लाया? बिहार में जंगलराज लाने का और प्रयास कौन कर रहा है? क्या फिर से बिहार को उन 25 साल की बर्बादी की ओर ले जाना है क्या? फिर से उस दोज़ख में जाना है क्या? क्या बिहार बचाना है? क्या नया बिहार बनाना है? क्या बिहार को आगे ले जाना है? तो भाईयों-बहनों, हम कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं। अब दिल्ली बिहार के साथ है। अब दिल्ली बिहार का भाग्य बदलने के लिए आपकी सेवा में तैनात है और इसलिए भाईयों-बहनों, आज मैं आपके पास आया हूँ बिहार के जीवन को बदलने के लिए, एक अच्छी सरकार चुनने के लिए आपसे प्रार्थना करने के लिए आया हूँ। बिहार की जनता ने पिछले लोकसभा के चुनाव में मुझपर इतना प्यार बरपाया, इतना प्यार बरपाया कि मैं उस प्यार को ब्याज समेत लौटाना चाहता हूँ, विकास करके लौटाना चाहता हूँ लेकिन जो विकास के लिए प्रतिबद्ध हो, ऐसी सरकार यहाँ होना जरुरी है।

भाईयों-बहनों, गंगाजी तो बहती है लेकिन अगर हम उल्टा लोटा लेकर जाएंगे तो कोई एक बूँद भी पानी नहीं ले पाएंगे। दिल्ली से विकास की गंगा तो बह रही है लेकिन यहाँ के शासकों का अहंकार उल्टा लोटा पकड़े हुए है ताकि दिल्ली के विकास की गंगा बिहार के गाँव-गली में ना पहुंचे। पिछले दिनों जब मैं बिहार आया था, अनेक योजनाओं का शिलान्यास किया। 10-10 साल से रुकी पड़ी थी, कोई देखने को तैयार नहीं था। यही लोग दिल्ली की सरकार को चलाते थे और आज वही लोग साथ मिलकर के बिहार के लोगों को फिर से एकबार जंगलराज की ओर घसीटने के लिए, अपने निजी स्वार्थ के लिए तैयार बैठे हैं। आप मुझे बताईए, ये जो राजनीतिक लाभ लेने के लिए गठबंधन हुआ है, क्या चुनाव के बाद भी ये गठबंधन चलेगा क्या? ये जो जहर अभी पीया गया है, चुनाव के बाद जहर उगलेंगे कि नहीं उगलेंगे। ये जहर पीने वाले चुनाव के बाद जब जहर उगलेंगे तो वो जहर किसकी थाली में जाकर पड़ेगा? जनता की थाली में पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा? जनता मरेगी कि नहीं मरेगी? जनता बर्बाद होगी कि नहीं होगी? जिन्होंने जहर पीया है, उनको जहर उगलने का मौका देना चाहिए क्या? ये जहर पीने वालों की जरुरत है क्या? जहर पिलाने वालों की जरुरत है क्या? मुझे तो पता ही नहीं चल रहा, ये बिहार में भुजंग प्रसाद कौन है और चंदन कुमार कौन है? नए भुजंग प्रसाद, नए चंदन कुमार, पता नहीं कौन किसको जहर पिला रहा है, कौन किसका जहर पी रहा है लेकिन इतना मुझे पता है कि चुनाव समाप्त होते ही ये जहर उगलना शुरू करेंगे। बिहार को बर्बाद करने में अब जंगलराज के साथ जहरीला वातावरण भी आने वाला है और इसलिए बिहार को बचाना समय की मांग है।

अब देखिए, भाजपा की सरकार क्यों बनानी चाहिए, एनडीए की सरकार क्यों बनानी चाहिए। जीतन राम मांझी, राम विलास पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, सुशील मोदी, ये सारे अनुभवी लोग, इनके नेतृत्व में बिहार में नई सरकार क्यों बनानी चाहिए। मैं अनुभव से बताता हूँ, हमारे देश में कई वर्षों से ये चर्चा चली, बीमारू राज्य है। बीमारू राज्य शब्द का प्रयोग चल पड़ा। आर्थिक विकास के पैमानों के आधार पर चल पड़ा और उस बीमारू राज्य में बिहार का भी नाम, उत्तरप्रदेश का भी नाम, मध्यप्रदेश का भी नाम, राजस्थान का भी नाम, ये बीमारू राज्य में गिने जाते हैं। लेकिन जब मध्यप्रदेश की जनता ने भाजपा की सरकार बनाई, अभी तो वहां 15 साल का भी सेवा करने का समय पूरा नहीं हुआ, अभी तो 10-12 साल हुए हैं लेकिन 10-12 साल के अन्दर-अन्दर मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से बाहर निकाल लिया है। भाईयों-बहनों, क्या बिहार को बीमारू से बाहर निकालना है? पक्का निकालना है? मध्यप्रदेश को निकाला भाजपा ने, बिहार को कौन निकालेगा? राजस्थान को बीमारू राज्य कहा जाता था। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और विकास की नई ऊंचाईयों को पार किया। आज राजस्थान बीमारू राज्य से बाहर निकाल आया है तो भाईयों-बहनों, क्या बिहार बीमारू राज्य से बाहर आ सकता है? क्या हम ला सकते हैं? आप मदद करोगे? आप आशीर्वाद दोगे? मैं आपसे वादा करता हूँ कि 5 साल के भीतर-भीतर हम बिहार को बीमारू राज्य से बाहर निकाल देंगे।

दुनिया में कई देशों में मुझे जाने का सौभाग्य मिला, एशिया के कई देशों में जाने का सौभाग्य मिला और वहां पर बड़े से बड़े राजनेता को मिलना हुआ हो, वहां के उद्योगपतियों से मिलना हुआ हो, वहां के साहित्यकारों से मिलना हुआ हो, वहां के छोटे-मोटे व्यापारियों से मिलना हुआ हो, वहां के सरकारी अफसरों से मिलना हुआ हो, हर किसी ने मुझसे एक बात कही। जिन-जिन देशों में बौद्ध धर्म का प्रभाव है, बौद्ध परंपरा का प्रभाव है, उन सभी देशों के मुखिया ने कहा कि एक बार तो बोधगया जाने की इच्छा है। दुनिया का हर व्यक्ति जो बौद्ध परंपरा से जुड़ा हुआ है, कम्युनिस्ट विचारधारा के नेता भी मिले, वो भी मुझे कहते हैं कि एक बार बोधगया के दर्शन के लिए जाएंगे। जितने यात्री ताजमहल देखने के लिए आते हैं, उससे ज्यादा यात्री बोधगया में माथा टेकने के लिए तैयार हैं। मुझे बताईये, क्या हमें बोधगया को ऐसा बनाना चाहिए कि नहीं चाहिए? बोधगया से ऐसा विकास हो टूरिज्म का ऐसा क्षेत्र बने ताकि दुनियाभर में बुद्ध को मानने वाले लोगों को बोधगया आने की व्यवस्था मिले और इतनी बड़ी संख्या में अगर यात्री आएंगे तो इस इलाके में कभी गरीबी रहेगी क्या।

टूरिज्म एक ऐसा उद्योग है, टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कम से कम पूँजी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। अगर एक बार बोधगया में विश्वभर के यात्रियों के आने का सिलसिला चालू हो जाए और बहुत बड़ी संख्या में हो जाए तो इस इलाके के किसी नौजवान को बेरोजगार रहने की नौबत नहीं आएगी। इतनी ताकत है उसमें और गरीब से गरीब आदमी कमाता है, ऑटो रिक्शावाला भी कमायेगा, बिस्कुट बेचने वाला भी कमायेगा, चने मुरमुरे बेचने वाला भी कमायेगा, खिलौने बेचने वाला भी कमायेगा, फूल बेचने वाला कमायेगा, अरे चाय बेचने वाला भी कमायेगा। लेकिन भाईयों-बहनों, इनकी राजनीति वोट-बैंक की राजनीति इतनी है कि उन्होंने बोधगया का विकास करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, जब यहाँ पर बम धमाका हुआ तो पूरे विश्व को बहुत बड़ा सदमा पहुंचा। विश्वभर में बौद्ध परंपरा को निभाने वाले सभी देशों के लोगों को सदमा पहुंचा लेकिन वोट बैंक की राजनीति में डूबे हुए लोग, उनको इसकी कोई परवाह नहीं थी। उनके लिए ऐसी घटनाएं आती है, जाती है। भाईयों-बहनों, मुझे यह स्थिति बदलनी है।

मुझे बोधगया को पूरे एशिया में तीर्थ-क्षेत्र के रूप में परिवर्तित करना है और मुझे आगे बढ़ाना है। ये गया पितृ तर्पण का स्थल है। हिन्दुस्तान का हर युवक, हर बेटा-बेटी, जब पितृ तर्पण की बात आती है तो उसका एक सपना रहता है कि उसके पिता का तर्पण मैं गया जी में जाकर करूँ। हिंदुस्तान भर के लोगों का ये सपना है कि नहीं है? पितृ तर्पण के लिए लोग आते हैं कि नहीं आते हैं? सवा सौ करोड़ का देश, हर वर्ष करोड़ों बड़ी आयु के लोग स्वर्ग सिधारते हैं, उनके संतान पितृ गया में आ करके तर्पण करना चाहते हैं। करोड़ों लोग आने के लिए तैयार बैठे हैं लेकिन यहाँ का समाचार सुनते हैं और इसके लिए आते नहीं हैं वो पितृ भी नाराज होते हैं और यहाँ के लोगों की रोजी-रोटी का भी नुकसान होता है। मुझे बताईये, हर हिन्दुस्तानी का पितृ तर्पण का सपना पूरा हो, ये व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? यहाँ के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए?

आप मुझे बताईये, विकास करने की दिशा में अगर आगे बढ़ना है। भाईयों-बहनों, लेकिन अगर जंगलराज पार्ट-2, ये अगर आ गया फिर तो सब बर्बाद हो जाएगा। कोई व्यक्ति जेल जाता है तो क्या सीख कर आता है भाई? कोई अच्छी चीज़ें सीख कर आता है क्या? बुरी-बुरी चीज़ें सीख कर के आता है ना जितनी बुराईयां हैं सब लेकर के आता है कि नहीं आता है? जंगलराज पार्ट-1 में जेल का अनुभव नहीं था, जंगलराज पार्ट-2 में अब जेल का अनुभव जुड़ गया है और इसलिए बर्बादी की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। इसलिए पिछली बार जब मैं आया था, तब मैंने कहा था आरजेडी का सीधा-सीधा मतलब है – रोजाना जंगलराज का डर और जो लोग उनके साथ जुड़ गए हैं; आपने देखा होगा कि अभी पटना में सवेरे-सवेरे भाजपा के कार्यकर्ता को गोलियों से भून दिया गया, मौत के घाट उतार दिया गया, पटना में हुआ और इनकी नाक के नीचे हुआ। भाईयों-बहनों, ये जंगलराज की शुरुआत है कि नहीं है? और ये जो जंगलराज पार्ट-2 आ रहा है, जंगलराज और जेल का अनुभव जुड़ रहा है, जंगलराज और जहर उगलने का अवसर खड़ा किया जा रहा है तो उस समय एक तरफ रोजाना जंगलराज का डर और दूसरी तरफ जनता का दमन और उत्पीड़न। जेडीयू - जनता का दमन और उत्पीड़न, जनता – जे, दमन – डी और उत्पीड़न – यू। आप बताईये, बिहार को ऐसे लोगों के हाथ में सौंपा जा सकता है, 25 साल जिन्होंने बर्बाद किया, उनको मौका दिया जा सकता है?

भाईयों-बहनों, आपको हैरानी होगी, पूरे हिन्दुस्तान में ये लालटेन वालों ने आपको अँधेरे में रखा है। बिजली आती है? बिजली मिलती है? परीक्षा का समय हो, अगर पढ़ना है तो बिजली मिलती है क्या? अँधेरे में गुजारा करना पड़ता है? मिट्टी के तेल पर गुजारा करना पड़ता है। पिछले चुनाव में यहाँ के नेता ने आपको वादा किया था कि आपको बिजली देंगे। बिजली देने का वादा किया था, बिजली नहीं मिलेगी तो वोट नहीं मांगूंगा, ऐसा कहा था? बिजली मिली? धोखा किया? फिर से वोट मांगने आए, दूसरा धोखा किया। ये बार-बार धोखा हो रहा है। आप इनके झांसे में आ जाएंगे क्या? आज हिन्दुस्तान में प्रति व्यक्ति कम से कम बिजली की खपत कहीं पर है तो दुर्भाग्यशाली मेरे बिहार के भाई-बहन हैं। उनके भाग्य को इन्होंने अंधकारमय बना दिया है। हिन्दुस्तान में औसत प्रति व्यक्ति करीब-करीब एक हजार किलोवाट बिजली की खपत है जबकि बिहार में 150 किलोवाट भी नहीं है। कहाँ हजार और कहाँ ढेढ़ सौ, छठवां हिस्सा है आपका! इतना ही नहीं, बिहार से भी छोटा राज्य सिक्किम के लोगों की छह गुना ज्यादा खपत है। बिहार से निकला हुआ झारखंड, 10 साल के अंदर-अंदर झारखंड का नागरिक बिहार से 5 गुना ज्यादा बिजली का खपत करता है। आपको अँधेरे में रखने वाला पाप किसने किया है? 25 साल की दो सरकारों ने किया है कि नहीं किया है? 25 साल के दो मुख्यमंत्रियों ने किया है कि नहीं किया है? और इसलिए जिन्होंने आपको बर्बाद किया है, उनको दोबारा भार नहीं दिया जा सकता है।

शिक्षा के क्षेत्र में आज हिन्दुस्तान में कोई भी टीवी चैनल उठा लीजिए, आपको दो-चार बिहार के तेजस्वी नौजवान उस टीवी चैनल के माध्यम से देश को संबोधित करते नजर आएंगे। ऐसे तेजस्वी लोगों की यह भूमि है लेकिन यहाँ के नौजवानों को अवसर नहीं दिया जाता है। टेक्निकल एजुकेशन में आज बिहार का क्या हाल है। अगर हमें नौजवानों को रोजगार देना है तो उनको टेक्निकल एजुकेशन देना होगा, स्किल डेवलपमेंट कराना होगा, इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षा दिलाना होगा डिग्री इंजीनियरिंग, डिप्लोमा इंजीनियरिंग करानी पड़ेगी, सर्टिफिकेट कोर्स करना पड़ेगा। बिहार के अन्दर नौजवानों को शिक्षा मिलनी चाहिए। आज मुझे दुःख के साथ कहना पड़ता है, आज बिहार का हाल क्या है शिक्षा में।

17-20 साल उम्र के 80 लाख से ज्यादा नौजवान बिहार में हैं। इन 80 लाख बच्चों के मां-बाप के सपने हैं कि उनके बच्चों को डिप्लोमा करने का मौका मिले, डिग्री करने का मौका मिले, सर्टिफिकेट कोर्स करने का मौका मिले लेकिन बिहार में ये सारा होने के बावजूद भी बिहार में इंजीनियरिंग की सीटें कितनी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बिहार में सिर्फ़ 25,000 सीट है। 80 लाख नौजवान पढ़ना चाहते हैं उसमें से 5-10 लाख तो इंजीनियरिंग में जाना चाहते होंगे कि नहीं लेकिन सिर्फ़ 25,000 सीट है और ये जिम्मेवारी बिहार सरकार की है। 25 साल हो गए और सिर्फ़ 25,000 सीट।

इतना बड़ा बिहार और दूसरी तरफ देखिये हिन्दुस्तान के और राज्यों का हाल। मैं बताना चाहता हूँ जो बिहार से बहुत छोटे हैं... हिमाचल प्रदेश, पूरे पटना की जितनी जनसंख्या है, पूरे हिमाचल की जनसंख्या उतनी ही है लेकिन हिमाचल प्रदेश में इंजीनियरिंग में पढने के लिए सीटों की संख्या है - 24,000। इतने छोटे हिमाचल में 24,000 और इतने बड़े बिहार में 25,000। क्या होगा यहाँ के नौजवानों का! उड़ीसा, हमारे बगल में है, पिछड़ा राज्य माना गया लेकिन उस उड़ीसा में इंजीनियरिंग की सीटें कितनी हैं, आप कल्पना नहीं कर सकते कि उड़ीसा जैसा बिहार से भी छोटा प्रदेश, वहां इंजीनियरिंग की सीटें हैं -  1 लाख 13 हजार से भी ज्यादा। इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है? पंजाब बहुत ही छोटा राज्य है और पंजाब में सीटें हैं - 1 लाख 4 हजार। पंजाब बिहार का एक-चौथाई भी नहीं है और वहां 1 लाख सीटें हैं और बिहार में 25 हजार है। कौन जिम्मेवार है? जंगलराज जिम्मेवार है कि नहीं है? ये दोबारा जंगलराज लाना है? उत्तराखंड बहुत छोटा राज्य है, पटना की जितनी जनसंख्या है, उत्तराखंड की उससे ज्यादा नहीं है, पटना से भी कम जनसंख्या और उसके बावजूद भी उत्तराखंड में इंजीनियरिंग की सीटें हैं – 40,000 से ज्यादा। अब मुझे बताईये कि बिहार के नौजवानों के साथ अन्याय है कि नहीं? बिहार के नौजवानों का भाग्य बर्बाद किया जा रहा है कि नहीं किया जा रहा है? क्या बिहार के नौजवानों को इंजीनियरिंग में पढने का हक होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? उनको ये सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? जिन्होंने यह सुविधा नहीं दी है, उन्हें जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? उनको भगाना चाहिये कि नहीं चाहिए?

इसलिए मैं आज यह कहने आया हूँ कि अगर बिहार के नौजवानों का भाग्य बदलना है तो शिक्षा में बदलाव लाने की जरुरत है और शिक्षा में बदलाव एनडीए की सरकार ला सकती है, बिहार का भाग्य बदल सकती है। हर वर्ष, बिहार के जिन मां-बाप के पास कुछ पैसे हैं वे अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बिहार से बाहर भेजते हैं। करीब 4-5 लाख नौजवान बिहार छोड़कर के, अपने मां-बाप को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के कहीं न कहीं पढने के लिए जाते हैं और हर साल एक-एक युवक के पढने के पीछे खर्चा करीब-करीब एक लाख रूपया आता है। मुझे बताईये, चार लाख लोग बिहार से बाहर जाएं, हर वर्ष एक लाख रूपया साथ-साथ चला जाए तो बिहार का चार हजार करोड़ का नुकसान होता है कि नहीं होता है? ये बिहार का चार हजार करोड़ रूपया बचना चाहिए कि नहीं चाहिए? अगर बिहार का चार हजार करोड़ रूपया बचाना है तो बिहार के नौजवान को यहाँ पढने के लिए सुविधा मिलनी चाहिए। ये बिहार सरकार भाजपा की सरकार बनाईए, एनडीए की बनाईए और हम बना कर रहेंगे। इसलिए मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि हमें विकास के लिए वोट चाहिए, बिहार को जंगलराज से मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए, धोखेबाजी से बिहार को मुक्त कराने के लिए वोट चाहिए। मैं आपको भरोसा दिलाने आया हूँ कि मैं बिहार की विकास यात्रा में कंधा से कंधा मिलाकर चलूँगा। अगर आप एक कदम चलेंगे तो मैं सवा कदम चलूँगा, मैं ये विश्वास दिलाने आया हूँ। चुनाव के समय भारी मतदान करके परिवर्तन लाकर के रहिये, बिहार का भाग्य बदल के रहिये। 

बहुत बहुत धन्यवाद!       

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भारत माता की, भारत माता की।

बिहार का ऐतिहासिक विजय हुआ हो और अगर हम सूरत से आगे जा रहे हों और बिहार के लोगों को मिले बिना जाएं तो लगता है यात्रा अधूरी रह गई। और इसलिए गुजरात में रहने वाले और खास करके सूरत में रहने वाले मेरे बिहारी भाइयों का हक बनता है और इसलिए मेरी स्वाभाविक जिम्मेवारी भी बनती है कि आप लोगों के बीच आकर के इस विजयोत्सव की कुछ पल का मैं भी हिस्सा बनूं। अचानक कार्यक्रम बन गया। मैं सुबह जा रहा था डेडियापाड़ा तो यहां के हमारे साथियों ने मुझे कहा कि बिहार के लोगों की इच्छा है अगर आप 5-10 मिनट बाहर आ जाएं तो लोग आ जाएंगे। और मैं देख रहा हूं दूर-दूर तक काफी मात्रा में लोग बाहर भी दिखते हैं।

साथियों,
आप भी जानते हैं बिहार के लोग भी जानते हैं। हम वो पार्टी हैं जब हम गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में आपने मुझे काम दिया था। तब भी हमारा एक मंत्र था कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। हमारी मूलभूत सोच रही है यह हमारा देश, नेशन फर्स्ट। और इसलिए काम भले गुजरात में करते थे, काम भले गुजरात की जिम्मेवारी को निभाने का था, लेकिन गुजरात का विकास भी भारत के विकास के लिए। यही मंत्र हमारे लिए हिंदुस्तान का हर कोना, हिंदुस्तान का हर राज्य, हिंदुस्तान का हर भाषा-भाषी नागरिक यह हमारे लिए पूजनीय है, वंदनीय है। और इसलिए बिहार का भी गौरव करना, बिहार के सामर्थ्य का स्वीकार करना। यह हमारे लिए बहुत सहज बात है। और मैं सूरत के मीडिया के लोगों को कहूंगा कि वे लोग थोड़ा रिसर्च करेंगे तो उनके अखबारों में एक चीज छपी हुई है। जब बिहार के 100 साल हुए तो बिहार में तो उसका जश्न होना बहुत स्वाभाविक था। लेकिन बिहार के बाहर हमने गुजरात में बिहार के 100 साल आन-बान-शान के साथ मनाए थे। इतना ही नहीं हमने बिहार के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में, जिन्होंने प्रगति की थी, जिन्होंने बिहार की विकास यात्रा में योगदान किया था। ऐसे भिन्न-भिन्न क्षेत्र के 100 लोगों को सूरत में बुला के उनका सार्वजनिक सम्मान किया था। क्योंकि बिहार की वह टैलेंट, बिहार का वह सामर्थ्य, उसकी ताकत हम भली-भांति पहले से जानते रहे हैं।

साथियों,
यह चुनाव सूरत में रहने वाले बिहार के मेरे भाई बहनों की तो पल-पल की नजर थी। और मैंने देखा है कि बिहार के लोगों को राजनीति समझानी नहीं पड़ती है। वह दुनिया को राजनीति समझाने की ताकत रखते हैं। देखिए इस चुनाव में एनडीए गठबंधन जो विजय हुआ है। और महागठबंधन जो पराजित हुआ है, उस दोनों के बीच में 10 प्रतिशत जितने वोट का फर्क है। 10 प्रतिशत। यह बहुत बड़ी बात है जी। यानी सामान्य मतदाता ने एकतरफ़ा और मुद्दा क्या विकास। आज बिहार के अंदर विकास के प्रति जो ललक है हर जगह पर महसूस होती थी। और मैंने देखा था जब कोविड के समय देशभर से हमारे श्रमिक भाई-बहन मुसीबत में थे। लॉकडाउन था। पैदल चल-चल के अपने वतन की ओर जा रहे थे। ट्रेन में लोगों को ले जाना यह भी चिंता का विषय था। कहीं फैल ना जाए। लेकिन मुझे एक बार वीडियो कॉन्फ्रेंस से बिहार के लोगों से बात करने का मौका मिला। और जो उन्होंने मुझे बताया वो बड़ा मेरे लिए सुखद था। वे पैदल गए थे। कई लंबे-लंबे समय तक पैदल चले। व्हीकल मिला, फिर पैदल गए। कुछ लोगों ने वहां जाकर के इस समय का उपयोग करके कोई न कोई व्यवसाय शुरू किया। और जब मेरी उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात हुई तो मैं हैरान था कि इतने कम समय में उन्होंने इतनी प्रगति कर दी थी। तो उन्होंने कहा कोविड हमारे लिए तो आशीर्वाद बन गया। बोले अब हम तो किसी राज्य में वापस नहीं जाएंगे। हम तो यही रहेंगे। यह बिहार के लोगों की ताकत है। और वही बिहार आज दुनियाभर में छाया हुआ है। दुनिया में कहीं जाइए। बिहार की टैलेंट आपको नजर आएगी। और ऐसा बिहार अब विकास में नई ऊंचाई को प्राप्त करने का मिजाज दिखा रहा है। इस चुनाव में उस मिजाज के दर्शन हुए हैं। बिहार की माताएं-बहनें और बिहार के नौजवान। महिला-युवा एक ऐसा माय कॉम्बिनेशन बना है जिसने आने वाले अनेक दशकों की राजनीति का नींव मजबूत कर दी है दोस्तों। और जो राजनीति के लोग हैं, जो राजनीति पर विवेचना करते हैं उनको कई महीने लगने वाले हैं बिहार के चुनाव नतीजों का क्या-क्या प्रभाव होने वाला है इसका एनालिसिस करने में। और मैं साफ मानता हूं। हिंदुस्तान की राजनीति में, इस चुनाव में आपने देखा होगा। पिछले दो साल से बिहार में ये जमानती नेता, जो जमानत पर घूम रहे हैं, वे बिहार में जा जाकर के जातिवाद जातिवाद का भाषण देते रहते थे। और उनसे जितनी ताकत थी उन्होंने जातिवाद का जहर फैलाने की कोशिश की थी। और पुराने जमाने से उनको लगता था शायद इससे उनका खेल हो जाएगा। बिहार के इस चुनाव ने जातिवाद के उस जहर को पूरी तरह नकार दिया है। यह देश के लिए बहुत ही उज्जवल संकेत है। बिहार के अंदर सार्वजनिक कार्यक्रमों में गैरकानूनी तरीके से जमीन कब्जा करके, मकानों को कब्जा करके जो वक्फ बना दिया जाता था। हमने देखा था तमिलनाडु में हजार साल पुराने गांव के गांव वक्फ प्रॉपर्टी बना दिए गए थे। देशभर में चिंता बन पड़ी थी। तब जाकर के हमने पार्लियामेंट में कानून पास किया वक्फ को लेकर के। बिहार के इस चुनाव में ये जमानती नामदार, उनके साथी दल सार्वजनिक रूप से वक्फ कानून को फाड़ देते थे और ये कहते थे कि हम जीत करके आएंगे, वक्फ कानून को लागू नहीं होने देंगे। बिहार के लोगों ने इस सांप्रदायिक जहर को भी विकास की राह पर चलते हुए पूरी तरह नकार दिया है।

साथियों,
वहां पर बिहार के वरिष्ठ नेता आपने पिछले दो तीन साल के बिहार विधानसभा के दृश्य देखे होंगे। जिस प्रकार से नीतीश कुमार को अपमानित करने की फैशन बन गई थी। ऐसे भद्दे शब्दों का उपयोग होता था। जो पार्लियामेंट में भी जो दूसरे नामदार हैं वो भी पार्लियामेंट की सारी मर्यादाएं तोड़ के जिस प्रकार की भद्दी हरकतें करते हैं, वैसी पटना में होती थी। ना देश की जनता इसे स्वीकार करती है। और ना ही बिहार की जनता कतई इसको स्वीकार कर सकती है। ऐसी कई बातें हैं जिन्होंने इनके प्रति पूरी तरह नफरत का माहौल इस चुनाव में नजर आ रहा था। साथियों, समाज के सब वर्ग ने, बिहार के सभी क्षेत्र ने एनडीए को, एनडीए के साथी दलों को अभूतपूर्व समर्थन दिया है। अगर मैं जहां दलित समुदाय के प्रभाव वाले क्षेत्र वाली सीटें 38 सीटें, उनमें 34 सीटें एनडीए जीत गया। ये इतना बड़ा झूठ फैलाते थे। दलित समाज ने उनको ठुकरा दिया।

साथियों,
देश ये मुस्लिम लीगी माओवादी कांग्रेस को, एमएमसी, मुस्लिम लीग माओवादी कांग्रेस देश तो अस्वीकार कर चुकी है। कांग्रेस पार्टी में जो राष्ट्रीय विचारों से पले-बढ़े लोग हैं। जिन्होंने कभी इंदिरा जी और राजीव गांधी जैसे लोगों के नेतृत्व में काम किया है। ऐसे कांग्रेस का बहुत बड़ा वर्ग ये नामदार की हरकतों से आज दुखी है। वह कहते हैं कांग्रेस को कोई बचा नहीं सकता है। ये हालत हो गई है। एक दो दशक में 50-60 साल तक एकछत्र राज करने वाले लोग इस प्रकार से खत्म हो जाएं, ये साफ-साफ उनके लिए आत्मनिरीक्षण का विषय है। वे अपने साथियों को भी पराजय के कारण नहीं समझा पा रहे। वे अपनी पार्टी को भी पराजय के कारण समझा नहीं पा रहे हैं और इसलिए सरल रास्ता ढूंढ लिया है। कभी ईवीएम हरा देता है, कभी इलेक्शन कमीशन हरा देता है, कभी मतदाता सूची का शुद्धिकरण हरा देता है। एक ऐसी बहानेबाजी उन्होंने खोज ली है। वो बहानेबाजी खुद को तो शायद कुछ दिन ठीक रखेगी। लंबे अरसे तक उनके कैडर को स्वीकार्य नहीं होगा। मुझे मालूम है पार्लियामेंट में जब युवा कांग्रेस के सांसद मिलते हैं जो फर्स्ट टाइम कांग्रेस के सांसद हैं या उनके इंडिया अलायंस के सांसद है वो मिलते हैं वो कहते हैं साहब क्या करें? हमारी तो कैरियर खत्म हो रही है। मैंने कहा क्या हुआ? बोले हमें संसद में बोलने का अवसर ही नहीं मिल रहा है। हर बार संसद को ताला लगा दो। यही करते रहते हैं। वह अपने क्षेत्र में जवाब नहीं दे पा रहे हैं। वह कह रहे अगर हम हमारे क्षेत्र के विषयों को संसद में नहीं उठाएंगे तो दोबारा हमें कौन भेजेगा? पूरा युवा वर्ग कांग्रेस का जो पहली बार पार्लियामेंट में आया है वे अपने भविष्य को लेकर के चिंतित हो गया है।

साथियों,
ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है। हमें विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना है। हमें विकसित भारत के संकल्प को पूरा करके रहना है दोस्तों। मैं जानता हूं स्वदेशी उनके मुंह से नहीं निकलता है। आत्मनिर्भर भारत उनके मुंह से नहीं निकलता है। विकसित भारत बनना चाहिए वो नहीं निकलता है। क्योंकि उनकी प्राथमिकता ही यह देश नहीं है। ये देश के लोग नहीं है। यह देश के लोगों का भविष्य नहीं है। मैं नौजवान साथियों को कहना चाहता हूं, जिनकी सोच युवाओं के उत्कर्ष के लिए नहीं हो सकती है, उनको युवा कभी स्वीकार नहीं कर सकता है। और इसलिए साथियों बिहार के चुनाव नतीजे हिंदुस्तान की राजनीति के अत्यंत महत्वपूर्ण नतीजे हैं। और मैंने कल भी कहा था कि लोकसभा के चुनाव के बाद जितने राज्यों में चुनाव हुए सब जगह पर उनकी हालत खराब है। पांच या छह राज्यों में चुनाव हुए उन सबके कुल मिला के कांग्रेस को जो एमएलए मिले हैं उससे ज्यादा कल हमें अकेले बिहार में मिले। ये हाल है। लेकिन साथियों हर विजय हमारे लिए जिम्मेवारी लेकर के आता है। हर विजय हमें कुछ ज्यादा देश के लिए करने की प्रेरणा देता है। हर विजय जन सामान्य के साथ जुड़ने की हमें प्रेरणा देता है। इस मंत्र को लेकर के हमें चलना है। आज जनजातीय गौरव दिवस है। भगवान बरसा मुंडा की 150 वर्ष हुए हैं। आज उनकी जन्म जयंती है। हम सबके लिए यह जनजातीय गौरव दिवस भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आज जो शानदार कार्यक्रम डेडियापाड़ा में मुझे करने का अवसर मिला। इस महत्वपूर्ण अवसर में उसको भागीदार होने का मुझे अवसर मिला। और अभी सूरत के लोगों के दर्शन करने का अवसर मिला। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मेरे साथ बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम।

बहुत-बहुत धन्यवाद।