नमस्ते, साल मुबारक, भाई दूज की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,
Good evening Wembley a big thank you. Big thank you for being here. This is a historic day for a great partnership and you are the heartbeat between two great nations’, two vibrant democracies, two wonderful people, we are celebrating this very special relationship in this very special venue with friends of India specially Excellency Prime Minister Cameron. I was told that London would be cold but not this much. Your wonderful and warm welcome make me feel at home. I am grateful to Prime Minister Cameron for his kind words and thanks every body
मै करीब 12 साल के बाद आज आपके बीच आया हूं। 12 साल में Thames में बहुत पानी बह चुका है। तब मैं जब आया था तो मुख्यमंत्री के रूप में आपसे मिला था और आज जब आपके बीच में आया हूं तो देशवासियों ने मुझे एक नई जिम्मेवारी दी है और उस नई जिम्मेवारी को पूरा करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहा हूं और मेरे प्यारे देशवासियों में आपको विश्वास दिलाता हूं जो सपने आपने देखे हैं, जो सपने हर हिन्दुस्तानी ने देखे हैं, वे सपने पूरे करने का सामर्थ्य भारत में है, ये मैं भलीभांति अनुभव कर रहा हूं।
पिछले 18 महीने के अनुभव से मैं कह सकता हूं कि भारत को गरीब रहने का कोई कारण नहीं है। हमें बिना कारण गरीबी को पाल करके रखा है। और पता नहीं क्यों, आदतन हमें गरीबी को पुचकारने में जरा मजा आने लग गया है। भारत सामर्थ्यवान है, सवा सौ करोड़ देशवासी, 250 करोड़ भुजाएं, और वो देश जिसमें eight hundred million, 65 प्रतिशत जनसंख्या, 35 साल से कम उम्र की हो, भारत जवानी से लबालब भरा हुआ देश है और जिस देश के पास इतने युवा हों, वो देश अब पीछे नहीं रह सकता और वो देश विकास की इस यात्रा में अब रुक नहीं सकता है।
मैं दो दिन से यहां हूं, UK की सरकार ने, प्रधानमंत्री कैमरन ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, सम्मान किया, उनके लिए मैं हृदय से उनका बहुत-बहुत आभारी हूं। लेकिन ये सम्मान किसी एक व्यक्ति का नहीं है, ये सम्मान सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों का है। भारत की महान लोकतांत्रिक परंपराओं का देश है। प्रधानमंत्री कैमरन के साथ इसके पूर्व भी मुझे अनेक बार मिलने का, बातचीत करने का अवसर मिला है और मैंने अनुभव किया है, उनसे जब भी मिलना हुआ, वो ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए इतनी तारीफ करते हैं, इतनी तारीफ करते हैं, इतना गौरवगान करते हैं, ऐसा लगता है जैसे वो यहां के भारतीय समुदाय के साथ पूरी तरह घुल-मिल गए हैं। भारतीय समुदाय के प्रति उनकी संवेदना साफ-साफ नजर आती है। मैं उनके भारतीयों के प्रति जो प्रेम है इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूं, उनका धन्यवाद करता हूं और आप लोगों का उनके साथ जो नाता है और आपके माध्यम से उन्होंने भारत को जिस रूप से जाना है और उसके कारण भारत के प्रति भी उनके मन में वो ही आदर, वो ही लगाव हर बात में महसूस होता है। और कौन भारतीय होगा, जिसको इस बात का गर्व न हो कि आज ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने महात्मा गांधी खड़े हों, इससे बड़ा गर्व क्या होगा? ये लंदन की धरती, आजादी का जंग इस धरती पर भी भारतीय लोगों ने आ करके आजादी के जंग की लड़ाई को ताकत दी थी। उसमें एक थे श्यामजी कृष्ण वर्मा। 1930 में उनका स्वर्गवास हो गया। विद्वान थे, बैरिस्टर थे और यहां रह करके वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे, भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ते थे और उसके लिए यहां के Bar association ने उनको निकाल दिया था। वकालत करने की उनकी सनक को रद्द कर दिया गया था। आज मैं प्रधानमंत्री कैमरन का आभारी हूं कि करीब-करीब सौ साल के बाद उन्होंने घड़ी की सुई का उल्टा कर दिया। और कल मुझे श्यामजी कृष्ण वर्मा को, जो अब तो रहे नहीं लेकिन उनके सम्मान में, उनको फिर से बार की membership को continue करने वाला कागज मुझे सौंपा।
जब मैं गुजरात में था, 2003 में मैं यहां आया था। मैं यहां से जिनेवा पंडित श्यामजी वर्मा की अस्थि लेने के लिए जाने वाला था, श्यामजी कृष्ण वर्मा लंदन की धरती पर रह करके आजादी का जंग लड़ रहे थे। वीर सावरकर जैसे अनेक महापुरुषों को, मदनलाल ढींगरा जैसे तेजस्वी, ओजस्वी नौजवानों को वे यहां प्रोत्साहित करते थे। 1930 में उनका स्वर्गवास हुआ तो उनकी इच्छा व्यक्त की थी कि उनके स्वर्गवास के बाद उनकी अस्थि हिन्दुस्तान आजाद जब हो, तो आजाद हिन्दुस्तान में ले जाई जाएं। लेकिन 1930 से 2003 तक भारत से कोई आया नहीं वो अस्थि लेने के लिए। भारत मां के उस लाल की अस्थि ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला और 2003 में मैं ले गया। और गुजरात में कच्छ मांडवी, जो उनका जन्म स्थान था वहां एक भव्य स्मारक बनाया है, उनके स्मृति चिह्न अस्थि वहां रखे हैं। आज मुझे यहां के bar का जो स्वीकृति पत्र फिर से मिला है, वो भी मैं गुजरात सरकार को सुपुर्द करूंगा और वो भी उस Museum में रखा जाएगा। और इसलिए मैं कहता हूं कि प्रधानमंत्री कैमरन ने घड़ी की सुई को उल्टा घुमाया है। मैं उनका आभारी हूं।
भारत जिस विकास यात्रा की ओर आगे बढ़ रहा है, हमारा देश दुनिया के लिए एक अजूबा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्व के जिन-जिन लोगों से मेरा मिलना हुआ है, एक बात अवश्य पूछते हैं, क्योंकि हर देश किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है और इसलिए वे कभी-कभी मुझे पूछते हैं कि मोदी जी हमारा इतना छोटा देश, ये परेशानी, वो परेशानी; ये तकलीफ वो तकलीफ; ये समुदाय ऐसा करता है, वो समुदाय ऐसा करता है, वो लोग ऐसा करते हैं, अक्सर बातें करते हैं, फिर मुझे पूछते हैं कि मोदी जी ये बताइए ये आपका सवा सौ करोड़ का देश इतने प्यार से, इतने मिलजुल करके कैसे रहता है? लोगों को आश्चर्य है ऐसा देश जहां सौ भाषाएं हों, 1500 बोलियां हों, हजारों प्रकार के खानपान की पद्धतियां हों। दक्षिण से निकलें, उत्तर पहुंचते-पहुंचते सैंकड़ों प्रकार की वेशभूषा नजर आती हो, कितनी विविधताओं से भरा हुआ हमारा देश है और विविधता, ये हमारी विशेषता भी है; विविधता, ये हमारी आन, बान, शान भी है; विविधता, ये हमारी शक्ति भी है।
अब आप देखिए पंजाब के हमारे सिख भाई, कितनी त्याग और बलिदान की गाथाएं जुड़ी हुई हैं। भारत की आन, बान, शान के लिए कितने सिखों ने अपने सिर न्यौच्छावर कर दिए थे और सिख समाज की एक विशेषता रही है कि वे मां भारती की भी रक्षा करते रहे। मां भारती की रक्षा के लिए अपना खून बहाते रहे और आजाद हिंदुस्तान में भारत माता की संतानों का पेट भरने के लिए वे खेतों में अपना पसीना बहाते रहे और हिंदुस्तान भर का पेट भरने के लिए उन्होंने कभी कमी नहीं रखी।
मैं जब कल यहां आया, यहां के सिख समाज के सभी वरिष्ठ लोग मुझे मिलने आए थे। बहुत प्यार से बातें हुईं। हम दोनों ने मिल करके अपने दुखों को, अपने दर्दों को बांटा। उनके दिल पर जो गुजरती हैं बातें, उनकी भावनाओं का मैं आदर करता हूं, उनकी कठिनाई को मैं समझता हूं। और मैंने विश्वास दिलाया है कि जिन-जिन बातों को आप कर रहे हैं, मैं पूरी तरह उन चीजों में लगा हुआ हूं। आने वाले भविष्य में आपको उसके नतीजे भी नजर आ जाएंगे।
भारत की धरती पर कबीर और रहीम की बातें हम सबको प्रेरणा देती रही हैं। सूफी परंपरा, आज विश्व में जो आतंकवाद के नाम पर जो चीजें चल रही हैं, कभी मुझे लगता है अगर सूफी परंपरा बलवान हुई होती, इस्लाम में ही इस सूफी परंपरा का अगर प्रभाव पड़ा होता और जिसने सूफी परंपरा को समझा होता, वो कभी हाथ में बंदूक लेने का विचार नहीं करता। ऐसी विविधताओं से भरी दुनिया के सभी प्रमुख सम्प्रदाय हिंदुस्तान की धरती पर हैं। और सिर्फ कहने को नहीं, भारी मात्रा में समुदाय हैं। हमारे यहां ऋतुएं कितनी हैं, हमारे यहां विविधताएं कितनी हैं, हमारे यहां पेड-पौधे देखें, ये देश विविधताओं से, परमात्मा की कृपा से पुलकित हुआ है और आप उस देश के एक प्रकार से सच्चे Ambassador हैं। भारतीय समुदाय का व्यक्ति जहां गया, वहां सबके साथ रहने का, जीने के संस्कार ले करके गया। विविधताओं के बीच में भी सबके साथ कैसे जीया जाता है, अपनी पंरपराओं को बचाते हुए सबके साथ कैसे घुल-मिल करके जिंदगी जी सकते हैं, अगल-बगल में किसी को खंरोच भी न आ जाए उसके बाद भी गति तेज कर सकते हैं, लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, ऊंचाईयां और बढ़ा सकते हैं, ये आपने दिखाया है। विश्व भर में फैले हुए भारतीय समाज ने ये संस्कार का परिचय करवाया है, ये शक्ति का परिचय करवाया है और उन्हीं के माध्यम से हिंदुस्तान की सही पहचान भी बनती है। और इसलिए विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को भी इस महान परंपरा को आपके अपने व्यवहार से, अपने चरित्र से, अपने आचरण से दुनिया को अपने भारत की ताकत का परिचय करवाया है इसलिए आप सब मेरे भाई-बहन ह्दय के, ह्दय से अभिनंदन के अधिकारी हैं, बहुत-बहुत बधाई के अधिकारी हैं।
भाइयों-बहनों, आज विश्व में भारत की अपनी एक गरिमा, एक गौरव, उसका अनुभव आप भी करते होंगे। पूरी दुनिया आज भारत के प्रति बहुत आशा की नजर से देख रही है। भारत का नाम सुनते ही India सुनते ही आपको जिन-जिन विदेश में लोगों को मिलते हो, आपको भी महसूस होता है कि नहीं होता है? आपको भी ध्यान में आता है कि दुनिया का नजरिया बदलता है? पहले लोग मिलते हैं वे अब मिलते हैं तो बड़ी गर्मजोशी से मिलते हैं? पहले हाथ मिलाते थे अब हाथ पकड़ के रखते हैं? ये बदलाव जो है, ये बदलाव ही भारत की सफलता की एक निशानी के रूप में है।
विश्व आज भारत को एक शक्ति के रूप में पहचान रहा है, विश्व आज भारत को एक संभावनाओं की भूमि के रूप में देख रहा है और हमारी भी कोशिश है कि भारत का स्थान अब दुनिया में ओरों के साथ बराबरी का होना चाहिए और हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं चाहते, अगर हम चाहते हैं तो बराबरी चाहते हैं बराबरी। और मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है वो बराबरी से बात करता है। जुड़ना चाहता है तो win-win के फार्मूला के साथ जुड़ना चाहता है। आगे बढ़ना चाहता है तो कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ना चाहता है। और ये आने वाले उत्तम भविष्य के शुभ संकेत के रूप में मैं देखता हूं।
विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है उसमें दो प्रमुख समस्याएं हैं। सारी दुनिया के जितने भी नेता, जब भी मिलते हैं इन दो बातों से परेशानियों की चर्चा करते ही करते हैं, एक आतंकवाद, दूसरा ग्लोबल वार्मिग। आतंकवाद हो या ग्लोबल वार्मिंग हो, सारी मानव जाति को बचाने की जिम्मेवारी सभी देशों की है, मानवता में विश्वास करने वाले हर नागरिक की है और भारत इसके लिए सही रास्ता दिखा सकता है। महात्मा गांधी का जीवन, महात्मा गांधी के उपदेश, महात्मा गांधी का अहिंसा का शस्त्र, उसमें वो ताकत है, अगर आज के परिप्रेक्ष्य में विश्व गांधी को समझने का प्रयास करे तो आतंकवाद से मुक्ति का रास्ता भी मिल सकता है और ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति का भी रास्ता मिल सकता है क्योंकि गांधी इतने दीर्घ दृष्टा थे। और इसलिए भारत की वो भी जिम्मेवारी है कैसे संकट की घड़ी में मानवता के कल्याण के लिए विश्व को इन समस्याओं से बाहर निकलने के लिए भारत अपनी भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा, ये मैं आप मेरे देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं।
देश आज विकास की नई ऊंचाईयों की ओर तेज गति से चल रहा है और मैं विश्वास से कहता हूं कि भारत ने जो गति पकड़ी है, भारत ने जो दिशा पकड़ी है; उस गति से, उस दिशा से बहुत ही जल्द हम उसके फल भी देखने शुरू करेंगे। आजादी के सत्तर साल के बाद आपको जान करके हैरानी होगी, आज भी हिंदुस्तान में 18 हजार गांव ऐसे हैं जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों, क्या ये काम मुझे पूरा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? उन 18 हजार गांवों में, जहां बिजली नहीं पहुंची है, वहां बिजली पहुंचनी चाहिए कि नहीं पहुंचनी चाहिए? आजादी के सत्तर साल के बाद भी अगर मेरा देशवासी अंधेरे में जिंदगी जीने के लिए मजबूर है तो हमें प्रायश्चित करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? भाइयों-बहनों, मैंने बीड़ा उठाया है, आप मुझे आशीर्वाद देंगे? मैंने बीड़ा उठाया है, राज्यों से कहा है मुझे मदद कीजिए, आने वाले एक हजार दिवस में इन 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का संकल्प करके चला हूं।
जब मुझे पहली बार लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्तान के तिरंगे झंडे के नीचे से देश को संबोधित करने का पहला अवसर मिला; बचपन में जिंदगी में कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक चाय बेचने वाला, गरीब परिवार का बेटा, लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा फहराता होगा। और उस दिन मैंने कहा था, स्वच्छ भारत का सपना मैंने देशवासियों के सामने रखा था। बहुतों को आश्चर्य हुआ था कि लाल किले पर से तो कितनी बड़ी-बड़ी बातें करनी चाहिए, कितनी बड़ी-बड़ी योजनाएं रखनी चाहिए, अखबारों में headline छप जाएं ऐसी चीजें बतानी चाहिए और ये मोदी कहां से आ गया, ये सफाई की बातें करने के लिए लाल किले का उपयोग कर रहा है। बहुतों को बुरा लगा था, लेकिन मुझे, मुझे अच्छा लगा था मेरा देश अगर साफ-सुथरा हो, गंदगी से मुक्त मेरी भारत माता हो, आपको आनंद होगा कि नहीं होगा? गरीब की जिंदगी में बदलाव आएगा कि नहीं आएगा? उस काम को मैंने शुरू किया है, उसमें पहला काम उठाया Toilet बनाने का और मैं, मैं ये विदेश में रहने वाले मेरे भारतीय भाइयों-बहनों का भी आभार व्यक्त करता हूं कि कई भारतीय भाई-बहन जो विदेश में रहते हैं, उन्होंने भी अपने गांवों में public toilet बनाने के लिए पैसे दिए, बनवाए।
हमारे यहां बालिकाएं 3 साल, 5 साल, 6 साल, 8 साल; दूसरी या तीसरी कक्षा में आती हैं तो स्कूल जाना छोड़ देती हैं। पता चला कारण क्या तो बच्चियों के लिए स्कूल में अलग toilet नहीं था। क्या 21वीं सदी में हमारी बेटियां अनपढ़ रहें, ये हमें मंजूर है क्या? क्या उनके साथ ये अन्याय है कि नहीं है? और इसलिए मैंने एक बीड़ा उठाया, एक निश्चित समय-सीमा में भारत के सभी स्कूलों में girls child के लिए अलग toilet बनना चाहिए और आज मैं खुशी से कह सकता हूं कि सबने मिल करके उस काम को पूरा कर दिया। क्या ये काम नहीं होने चाहिए थे क्या? पहले होने चाहिए थे कि नहीं होने चाहिए थे?
भाइयों-बहनों, हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका बैंक में account भी नहीं था। आज के युग में अगर बैंक खाते में कोई गरीब को बैंक के दरवाजे तक जाने की स्थिति न हो तो इससे बड़ी शर्मिंदगी क्या हो सकती है और इसलिए एक अभियान चलाया, सौ-डेढ़ सौ दिन के अंदर 19 करोड़ नए बैंक के खाते खुल गए। अगर हम व्यवस्थाएं बदलना चाहते हैं तो देश तैयार है, देश ने अपना मन बना लिया है और उसके कारण बदलाव नजर आने लगा है।
भाइयों-बहनों, भारत अपनी पुरानी समस्याओं से मुक्त हो ये तो जरूरी है लेकिन क्या मुसीबतों से मुक्ति पा करके बैठे रहने से चलेगा क्या? भारत को अपनी कठिनाइयों से तो मुक्ति लेनी है लेकिन भारत को आधुनिक भारत भी बनाना है, समृद्ध भारत भी बनाना है, विकास की नई ऊंचाइयों को भी पार करना है।
हमारे यहां रेलवे, रेलवे बहुत पुरानी हमारे यहां व्यवस्था है लेकिन जिस गति से रेलवे का विकास होना चाहिए, दूर-सुदूर क्षेत्रों में जहां रेल पहुंची नहीं वहां पहुंचाना चाहिए। बाबा आदम के जमाने से जिस गति से रेल चलती थी वो वक्त चला गया, अब तेज गति से चलने वाली रेल चाहिए। अच्छी सुविधा वाली रेल चाहिए और इसलिए हमने रेलवे में hundred percent foreign direct investment के लिए हमने दरवाजे खोल दिए हैं।
पहली बार, पहली बार London stock exchange में भारत की रेलवे Rupees bond ले करके आई है दोस्तों rupees bond। ये पहली बार हुआ है और हम तो जब bond की बात आती है तो सबसे पहले James bond की याद आती है। मनोरंजन की दुनिया मनोरंजन की दुनिया, entertainment के लिए James bond हम भली भांति परिचित हैं, उससे आगे जाएं तो जब bond की बात आती है तो brook bond tea की याद आती है। अगर James bond मनोरंजन देता है तो brook bond ताजगी देता है। Brook bond, tea bond, that’s bond लेकिन अब, अब न मनोरंजन से चलना है न सर्फ ताजगी से चलना है, अब तो विकास की राह पर जाना है और इसलिए James bond, Brook bond, Rupee bond, foreign direct investment में FDI और जब में FDI की बात करता हूं तो उसका एक महत्वपूर्ण पहलू तो है foreign direct investment लेकिन मेरे लिए दूसरा भी एक महत्वपूर्ण पहलू है Fast Develop India और इन दोनों को balance करते हुए हम आगे बढ़ना चाहते हैं। गत वर्ष की तुलना में आज foreign direct investment में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। ये अपने-आप में इस बात का सबूत है कि विश्व का भारत के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। और भारत के प्रति जो विश्वास बढ़ रहा है वो ही भारत को आगे बढ़ाने की एक सबसे बड़ी हमारी ताकत है और उस ताकत को ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।
Defence Sector, आज भी हमारी रक्षा के लिए हमें दुनिया की मदद पर निर्भर रहना पड़ता है, depended रहना पड़ता है, हमें शस्त्र बाहर से लाने पड़ते हैं, अरबों-खरबों रुपये हमारे बाहर चले जाते हैं। हमने बीड़ा उठाया है, अगर भारत के वीर भारत की रक्षा करते हैं, तो भारत के वीरों के हाथ में वो शस्त्र भी भारत के वीरों के हाथों से बना हुआ होना चाहिए। और इसलिए दुनिया से रक्षा के क्षेत्र में उपयोग आने वाले साधन, चाहे वो पनडुब्बियां हों, चाहे हेलीकॉप्टर हों, हवाई जहाज हों, टैंक हों, छोटे हथियार हों, ये भारत में निर्माण कैसे हो, उसके expertize भारत में कैसे आएं, technology हिंदुस्तान में कैसे आए? उस पर हम भारी मात्रा में बल दे रहे हैं और मैं आज आप को खुशखबरी सुनाता हूं, शस्त्रार्थ की दुनिया में जो भी बड़े-बड़े player हैं वे आज भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, भारत में आने के लिए दरवाजे खोज रहे हैं। और मैं विश्व को कहना चाहता हूं कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनना, मतलब विश्व की one-six th humanity हम दुनिया की one-sixth आबादी है। उनकी सुरक्षा मतलब विश्व की एक-छठवें वाली सुरक्षा की गारंटी बन जाती है। और वो अपने-आप में दुनिया को सुरक्षित रखने की एक ताकत भी देती है, एक नया विश्वास पैदा करती है। हम अपना तो भला करना चाहते हैं लेकिन हमारी भलाई में ओरों की भलाई भी होनी चाहिए।
मैने कहा था ग्लोबल वार्मिंग की चिंता। भारत ने बीड़ा उठाया है दो चीजों का। एक, हम दुनिया को सूर्यपुत्र राष्ट्र, वो देश जिनको सूर्य की शक्ति का अधिक लाभ मिलता है, जहां गर्मी रहती है, उजाला रहता है। पूरे विश्व के ऐसे देशों का हम एक संगठन करना चाहते हैं। भारत ने बीड़ा उठाया है कि दुनिया में 102 देश ऐसे हैं कि जिनको सहज रूप से सूर्य शक्ति का लाभ मिलता है वो एक प्रकार से सूर्यपुत्र राष्ट्र हैं। दुनिया में पेट्रोल वाले देशों का संगठन है, G-7 है, G-20 है, आसियान है, सब कुछ है, लेकिन सूर्यपुत्रों को कभी इकट्ठा किसी ने नहीं किया, हमने बीड़ा उठाया है दुनिया के सूर्यपुत्रों को इकट्ठा करने का। ये देश मिल करके Solar energy में research करें, renewable energy में research करें, सूर्य शक्ति का जीवन में कैसे सर्वाधिक उपयोग हो, प्रकृति की रक्षा हो। तो एक तो हम वैश्विक, इस व्यवस्था का नेतृत्व भारत करने जा रहा है और मैं देख रहा हूं, मैं पिछले कुछ दिनों से विश्व के नेताओं से बात कर रहा हूं, सब दूर से मुझे सकारात्मक समर्थन मिल रहा है और उसकी पहली प्राथमिक मीटिंग इसी महीने के अंत में हम पैरिस में करने जा रहे हैं। सभी देश के लोगों को इस एक अलग से मीटिंग करूंगा वहां मैं बुलाऊंगा उनको बात समझाने वाला हूं। भारत नेतृत्व कर सकता है, भारत नेतृत्व कर सकता है। इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।
दूसरा काम, ये बात सही है कि भारत में अभी इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है। तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।
दूसरा काम, यह बात सही है कि भारत में भी हर जगह पर 24 घंटे बिजली नहीं पहुंची। 18 हजार गांव को मैंने बताया कि जहां खंभा भी नहीं है। लेकिन जहां बिजली है वहां अभी 24 घंटे नहीं है। हमने बीड़ा उठाया है, 2019, महात्मा गांधी के डेढ़ सौ साल हो रहे हैं। दो सपने हैं मेरे, एक सफाई का और दूसरा 24 घंटे बिजली पहुंचाने का और इसलिए हमने एक अभियान चलाया है, Solar Energy का, Wind Energy का, Renewable Energy का। Hundred Seventy five गीगावॉट Renewable Energy का काम शुरू किया है। भारत में जब भी बिजली की बात आती थी मेगावॉट की बात आती थी, मेगावॉट। मेगावॉट से ज्यादा हम कभी सोच ही नहीं पाते थे। पहली बार हिन्दुस्तान गीगावॉट पर सोचने लगा है। जब मैं विश्व के नेताओं से मिलता हूं और Hundred Seventy five गीगावॉट बिजली के लक्ष्य की बात करता हूं, Renewable Energy की सारे विश्व के नेता, उनको अचरज होता है, वह सोचते हैं आप ये कैसे सोच सकते हैं लेकिन मेरे देशवासियों आप के आशीर्वाद से मुझे पूरा भरोसा है कि भारत एक सूर्य शक्ति राष्ट्र बन सकता है, सूर्य शक्ति राष्ट्र बन सकता है। हम उसे बनाने की दिशा में और उसके बाद जो छोटे-छोटे टापू देश हैं जो जिदंगी और मौत के बिना गुजारा कर रहे हैं उनको लगता है कि Global Warming के कारण अगर समुद्र की सतह बढ़ गई, तो उनका टापू डूब जाएगा कहां जाएंगे। ऐसे सैंकड़ों टापुओं पर रहने वाले लोग, उनकी जिंदगी में खुशी लाने का काम हिन्दुस्तान की धरती पर हो सकता है और उस काम को हम कर रहे हैं दोस्तो।
आज दुनिया में कोई भी Institution होगी। चाहे World Bank हो, IMF हो, दुनिया की कोई भी Rating agency हो। हर कोई एक स्वर से कहता है कि भारत विश्व के बड़े देशों की, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy है। बहुत तेज गति से बढ़ने वाली Economy है।
दुनिया में एक Transparency International इस प्रकार का रेटिंग करते हैं कि वो कौन देश हैं जहां भ्रष्टाचार कम है और भ्रष्टाचार कम हो रहा है। हम जानते हैं हमारे देश में ये बदनामी हमको है हमारे सिर पर लिखी हुई है। दीमक की तरह भ्रष्टाचार ने हमें तबाह करके रखा हुआ है। लेकिन क्या दीमक की दवाई नहीं है क्या और दवाई होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? जनता के पैसे का पाई-पाई का हिसाब जनता को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए या किसी के घर भरने के लिए जनता का धन होता है क्या? और इसलिए भाइयों और बहनों हमने कदम उठाए हैं उसका परिणाम यह हुआ है Transparency International नाम की Institution, उसने भारत को पहले की स्थिति से दस points आगे कर करके हमारे यहां भ्रष्टाचार कम हुआ है, उसको सर्टिफिकेट दे दिया है। पहली बार, पहली बार हम china से अच्छी स्थिति में आ गये हैं जो कभी नहीं आते थे। Ease doing business में हम दुनिया के आखिरी छोर पर खड़े थे। हमने कुछ कदम उठाएं, कुछ निर्णय किए, आज हम बहुत तेजी से हमारा नंबर ऊपर की ओर जा रहा है और देखते ही देखते सुफल उसके नज़र आने लगे हैं।
मेरा कहने का तात्पर्य है हमें आधुनिक भारत बनाना है। Clean India हो, Skill India हो, Digital India हो, इन सब एक क्षेत्रों में हम कार्यों को नई ऊचांइयों पर ले जाने की दिशा में एक भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
लेकिन मेरे देशवासियों हम ये गलती कभी न करें कि जो हम टीवी के पर्दे पर देखते हैं बस वही हिन्दुस्तान है ऐसा सोचने की गलती कभी न करें। अखबार की Headline में जो है उतना ही हिन्दुस्तान है ऐसा नहीं है। हिन्दुस्तान बहुत बड़ा है। टीवी के पर्दे के बाहर भी सवा सौ करोड़ देशवासियों का हिन्दुस्तान बहुत गहरा हिन्दुस्तान है, बहुत ऊंचा हिन्दुस्तान है, बहुत ही उत्तम हिन्दुस्तान है और इसलिए न कभी आपने पढ़ा होगा, न कभी आपने सुना होगा।
भाइयों और बहनों राजस्थान में अलवर करके जगह है अलवर में इमरान खान नाम का एक व्यक्ति है। ये इमरान खान शिक्षा के लिए समर्पित व्यक्ति है। अलवर जैसे छोटे स्थान का इमरान खान उसने मोबाइल फोन की 50 Apps बनाई और वो भी विद्यार्थियों को काम आए ऐसी शिक्षा से संबंधित उसने App बनाई और बनाई इतना ही नही अलवर के इमरान खान ने खुद ने मिलाई हुई शिक्षा में स्टुडेंट को काम आने वाली ये 50 App उसने विद्यार्थियों के नाम मुफ्त में समर्पित कर दी। मेरा हिन्दुस्तान, वो अलवर के इमरान खान में मेरा हिन्दुस्तान है।
भाइयों और बहनों कुछ समय पहले हरियाणा, जहां हमारे यहां बेटा और बेटी के Ratio में बहुत बड़ा अन्तर है। मैंने एक अभियान चलाया वहां, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ शुरूआत मैंने हरियाणा से की और उसका असर ऐसा था एक छोटे से गांव के सरपंच ने selfie with daughter ऐसा एक प्रयोग किया। मेरे ध्यान में आया, मैंने उसकी भी तारीफ की और मैं हैरान था कि सारी दुनिया में हर किसी के Mobile का Interest बन गया था। selfie with daughter. एक जनांदोलन खड़ा हो गया। दुनिया के बड़े-बड़े राजनेता हो, शिक्षा जगत के वरिष्ठ लोग हों, आर्थिक जगत के वरिष्ठ लोग हों, हर किसी ने अपनी बेटी के साथ selfie निकाल करके mobile phone पर circulate किया। मां-बेटियों का गौरव बढ़ाने का एक अभियान चल पड़ा। ये है मेरा हिन्दुस्तान ऐसे लाखों लोग है जो आदिवासियों के बीच जा करके, वहां की कठिनाई को भी जी करके, कोई शिक्षा में लगा है, कोई लोगों को हेल्थ की चिंता कर रहा है, कोई लोगों के संस्कार की चिंता कर रहा है। दूर-सुदूर गांवों में ऐसे अनेक तपस्वी लोग बैठे हैं जो जीवन में समाज सेवा का व्रत ले करके काम कर रहे है।
भाईयों-बहनों ऐसे कोटि-कोटि जनों की तपस्या, ऐसे कोटि-कोटि जनों का सामर्थ्य यहीं तो हैं जिसके भरोसे मैं कहता हूं हिन्दुस्तान बहुत आगे बढ़ने वाला है। हिन्दुस्तान दुनिया में विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला है।
भाईयों-बहनों मैं आज जब लंदन में आया हूं इतनी सारी मात्रा में हमारे प्रवासी भारतीय भाई-बहन बैठें हैं। मैं कुछ बातें आपको बताना चाहता हूं, OCI, OCI के कारण कुछ समस्याएं है ऐसा मेरी बातें मेरे ध्यान में आई हैं। उस प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और OCI की समस्या से अब आपका मुक्ति मिल जाएगी। उसी प्रकार से OCI और PIO इसको merger कर दिया हमने, लेकिन कुछ लोगों को उसमें दिक्कत आ रही है। मैंने उसके लिए आदेश कर दिए है, उसको भी सरल कर दिया गया है। फिर भी आपकी कोई कठिनाईयां होगी, तो उसको address करने की व्यवस्था बन चुकी है।
Visa का Problem रहता था अब उसको Electronic Travel Authorization कर दिया गया है। उसके कारण आपको उस दिक्कत से भी मुक्ति दिलाई गई है। भारत सरकार ने मदद नाम का एक Online platform तैयार किया है। MADAD (मदद) उस Online platform पर जा करके आप अपनी आवश्यक चीजें प्राप्त कर सकते है। वीजा की Problem हो और कोई OCI का problem हो, PIO का Problem हो उसके लिए रास्ते, उसमें एक platform पर वो समस्या का समाधान का मार्ग आपको मिल जाए इसकी व्यवस्था की गई है।
एक E-Migration portal बनाया गया है। जिसके कारण एक स्थान पर से दूसरे स्थान पर जाने वाले व्यक्ति को प्राथामिक जानकारियों की जरूरत पड़ती है। ये E-Migration portal के द्वारा वो जानकारियां भी आपको उपलब्ध हो जाएंगी।
एक Indian community welfare fund, विश्व में रहने वाले भारतीयों को कभी-कभी संकट आ जाता है। उनको संकट से मदद करने के लिए एक Indian community welfare fund इसकी भी व्यवस्था कर दी गई है और जब मैं गुजरात में था तो लंदन से जो भी लोग मिलने आते थे मेरा गला पकड़ते थे हमारे मित्र सीबी पटेल आते थे। वो lead करते थे और मैं कहता था कि अब मैं तो गुजरात का मुख्यमंत्री हूं मैं क्या कर सकता हूं। अब मैं प्रधानमंत्री बन गया, तो ये मुझे कह रहे हैं कि मोदी जी बताओ अब तो मुख्यमंत्री नहीं हो, क्या करोगे। तो आज मैं लंदन की धरती पर आया हूं। 2003 में आया था। तब मैं एक काम यहां करके गया था। लंदन-अहमदाबाद के बीच में Direct flight तब अटल जी की सरकार थी। यहां के लोगों ने मुझे जो कहा मैंने उनको पहुंचाया और अटल जी ने उस काम कर दिया था। लेकिन बाद में क्या हुआ आप जानते हैं, कैसे हुआ मैं बताना नहीं चाहता, क्यों हुआ मुझे भी मालूम नहीं, किसने किया अब नाम देने की जरूरत क्या है। लेकिन मेरे प्यारे भाईयों-बहनों 15 दिसंबर से तो मेरे प्यारे देशवासियों 15 दिसंबर से लंदन-अहमदाबाद Direct flight शुरू हो जाएगी।
भाईयों-बहनों शायद दुनिया के किसी नेता को भी ऐसा सौभाग्य नहीं मिलता होगा। ये आपका आर्शीवाद, ये आपका प्यार ऐसी ठंड में भी इतनी बड़ी तादाद में आज आपने एक नया इतिहास बना दिया है।
यहां पर आपसे मेरे एक Request है जिसके पास सुई वाली घड़ी हो जरा घड़ी बाहर निकालिएं, आपकी सुई वाली घड़ी हो जरा बाहर निकालिएं। कितने बजे हैं पौने सात। मैं जरा आपको एक रहस्य बताना चाहता हूं। भारत और इंग्लैंड का नाता कितना गहरा है, भारत और इंग्लैंड के बीच में अपनापन कितना है, हमें भारत और इंग्लैंड के समय को देखने के लिए दो घड़ी रखने की जरूरत नहीं है। आप इसको उलटा कर दिजिए, आपको हिन्दुस्तान का time नजर आ जाएगा। आपकी घड़ी अगर आप सीधी करोगे तो UK का time है, उलटी करोगे इंडिया का time है। अब आपको कभी हिन्दुस्तान फोन करना हो तो हिसाब नहीं लगाना पड़ेगा कि साढ़े पांच घंटे वापिस जाएं, फिर समय तय करें। घड़ी को उलटा कर दो कि हां ठीक है भई इतना ही time हुआ होगा।
ये दुनिया के दो कोई भी देश के साथ ऐसा समीकरण नहीं है। इतना ही नहीं, इंग्लैंड और भारत का ये प्यार हमारे अड़ोस-पड़ोस में भी किसी को नहीं है। ये सौभाग्य, ये सौभाग्य सिर्फ हिन्दुस्तान और इंग्लैंड के बीच का है। भाईयों-बहनों जब तक सूरज-चांद रहेगा, जब तक समय की गति चलेगी, भारत और इंग्लैंड का नाता और मजबूत होता जाएगा। हम कंधे से कंधा मिला करके विकास की नई ऊचाईयों को पार करते चले जाएगें।
भाईयों-बहनों आपने मुझे बहुत प्यार दिया। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। 12 साल के बाद आया हूं, लेकिन 12 साल में जो प्यार आपने समेट के रखा था, वो सारा प्यार की वर्षा आज आपने मेरे पर कर दी। ये प्यार, ये उमंग, ये विश्वास का प्रतीक है। ये आपकी उमंग और उत्साह, आपके भीतर जो सपने है उन सपनों का एहसास कराता है। और मैं मेरे प्यारे देशवासियों आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं, आपके माध्यम से विश्वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाईयों-बहनों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपके passport का रंग कोई भी क्यों न हों, मेरा और आपका नाता उस खून के रंग के साथ जुड़ा हुआ है और जुड़ा रहेगा। आपके passport के रंग से आपके passport के रंग से तय नहीं होगा कि आप कौन है। हमारे लिए तो आप सब हमारे है। जितना अधिकार हिन्दुस्तान पर नरेंद्र मोदी का है उतना ही अधिकार आप सबका भी है। उस हमारी भारत मां के लिए, हम भी कोई संकल्प करें, हम भी भारत मां के जीवन के साथ जुड़ने का प्रयास करें, अपनी शक्ति, समय कभी न कभी मां भारती के लिए लगाने के लिए कभी न कभी सोचे। देश आपका इंतजार कर रहा है दोस्तों, देश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
भारत, भारत आपको विश्वास दिलाता है कि आपके पास जो सामर्थ्य है उसमें खाद डालने का काम करने की ताकत भारत के गरीब से गरीब व्यक्ति में भी है। जो आपके सपनों को वटवृक्ष बना सकता है। आपके सपनों को पूरा करने के लिए उर्वरा धरती दे सकता है और उसके लिए मैं विश्वभर में फैले मेरे भारतीय भाईयो-बहनों को आग्रह से कहता हूं कि आइएं। देश आगे बढ़ रहा है, हम भी साथ-साथ चल पड़े, हम भी आगे बढ़े।
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद!
His Majesty King Abdulla,
The Crown Prince,
Delegates from both countries,
Leaders from the business community,
Namaskar,
Friends,
Many countries across the world share borders, and many also share markets. However, the relationship between India and Jordan is one where historic trust and future economic opportunities converge.
This was also the essence of my discussion with His Majesty yesterday. We held detailed deliberations on how to transform geography into opportunity, and opportunity into growth.

Your Majesty,
Under your leadership, Jordan has emerged as a bridge that is greatly facilitating cooperation and alignment between different regions. During our meeting yesterday, you explained how Indian companies can access the markets of the United States, Canada, and other countries through Jordan. I would urge the Indian companies present here to fully leverage these opportunities.
Friends,
Today, India is Jordan’s third-largest trading partner. I am aware that numbers carry significance in the world of business. However, we are not here merely to count figures, we are here to build a long-term relationship.
There was a time when trade from Gujarat reached Europe via Petra. To ensure our future prosperity, we must revive those links once again and each one of you will play a vital role in making this vision a reality.
Friends,
As you are all aware, India is rapidly progressing toward becoming the world’s third-largest economy. India’s growth rate is over eight percent. This growth is the result of productivity-driven governance and innovation-driven policies.
Today, new avenues of opportunity are opening up in India for every business and every investor from Jordan. You can become partners in India’s rapid growth and secure strong returns on your investments.
Friends,
Today, the world needs new engines of growth. It needs trusted and resilient supply chains. Together, India and Jordan can play a significant role in meeting the needs of the global economy.

I would like to highlight a few key sectors for mutual cooperation with you, sectors where vision, viability, and velocity are all present.
First, Digital Public Infrastructure and IT. India’s experience in this domain can be of significant value to Jordan as well. India has transformed digital technology into a model for inclusion and efficiency. Frameworks such as UPI, Aadhaar, and Digi Locker have today become global benchmarks. His Majesty and I discussed the possibility of aligning these frameworks with Jordan’s systems. Together, our two countries can directly connect startups across sectors such as fintech, health-tech, and agri-tech. We can build a shared ecosystem, one that links ideas with capital, and innovation with scale.
Friends,
There are also significant opportunities in the pharma and medical devices sectors. Today, healthcare is not merely a sector, it is a strategic priority.
If Indian companies manufacture medicines and medical devices in Jordan, it will benefit the people of Jordan, while also enabling the country to emerge as a reliable hub for West Asia and Africa. Whether it is generics, vaccines, Ayurveda, or wellness, India brings trust, and Jordan brings reach.
Friends,
The next sector is agriculture. India has extensive experience in farming under dry climatic conditions, and this experience can make a real difference in Jordan. We can collaborate on solutions such as precision farming and micro-irrigation. We can also work together to develop cold chains, food parks, and storage facilities. Just as we are undertaking joint ventures in fertilizers, we can move forward together in other areas as well.
Friends,
Infrastructure and construction are essential for rapid growth. Collaboration in these areas will provide us with both speed and scale.

His Majesty has shared his vision for developing railways and next-generation infrastructure in Jordan. I would like to assure him that our companies are both capable of, and eager to, partner in turning this vision into reality.
During our meeting yesterday, His Majesty also highlighted the infrastructure reconstruction needs in Syria. Indian and Jordanian companies can collaborate to address these requirements together.
Friends,
The world today cannot progress without green growth. Clean energy is no longer just an option; it has become a need. India is already playing a significant role as an investor in solar, wind, green hydrogen, and energy storage. Jordan also possesses immense potential in this domain, which we can work together to unlock.
Similarly, the automobile and mobility sector holds great potential. Today, India ranks among the world’s top countries in affordable EVs, two-wheelers, and CNG mobility solutions. In this sector as well, we should collaborate extensively.
Friends,
Both India and Jordan take great pride in their culture and heritage. There is significant scope for heritage and cultural tourism between our countries. I believe that investors from both nations should actively explore opportunities in this domain.
In India, a large number of films are produced every year. Opportunities can be created for shooting these films in Jordan, and for holding joint film festivals, with the necessary encouragement to support them. We also look forward to a large delegation from Jordan at the upcoming WAVES Summit in India.
Friends,
Geography is Jordan’s strength. India possesses both skill and scale. When these strengths come together, they will create new opportunities for the youth of both countries.
The vision of both our governments is perfectly clear. It is now up to all of you in the business community to translate this vision into reality through your imagination, innovation, and entrepreneurship.
In conclusion, I would like to say once again:

Come…
Let us invest together
Innovate Together
And Grow Together
Your Majesty,
Once again, I would like to express my heartfelt gratitude to you, the Government of Jordan, and all the distinguished dignitaries present at this event.
Shukran.
Thank you very much.


