QuoteThis year marks 125th birth anniversary of Dr. Babasaheb Ambedkar. He was a ‘Mahapurush’ who gave us our Constitution: PM Modi
QuoteThere were many hurdles in Dr. Ambedkar’s life but there was no feeling of revenge or ill-will within him: PM Modi
QuoteIt is our tricolour, the aspirations of 125 crore Indians & the Constitution that bind us together: PM Modi
QuoteForums like the NCC connect people from across India & create a feeling of oneness: PM

देश के कोने-कोने से आए हुए एनसीसी के सभी कैडेट्स और वि‍शाल संख्‍या में आए हुए अति‍थि‍गण,

26 जनवरी को प्रजासत्‍ता पर्व का उत्‍साह और उमंग से हम लोगों ने उसे मनाया और लोकतंत्र के प्रति‍ हमारी श्रद्धा और नि‍ष्‍ठा को भारत के संवि‍धान के प्रति‍ हमारी आस्‍था को हमने फि‍र एक बार संकल्‍पबद्ध कि‍या है।

यह वर्ष बाबा साहेब अम्‍बेडकर की 125वीं जयंती का भी वर्ष है। जि‍स महापुरुष ने देश को ऐसा उत्‍तम सं‍वि‍धान दि‍या। जो महापुरुष जीवन भर संकटों से जूझते रहे, यातनाएं झेलते रहे, उपेक्षा का शि‍कार हुए, उसके बावजूद भी उन्‍होंने अपने आपको कभी भी मार्ग से वि‍चलि‍त नहीं होने दि‍या। बाधाएं आई, संकट आए और कभी-कभार सामाजि‍क उपेक्षा, वो इतना गहरा घाव करती है कि‍ जीवन भर सामान्‍य मानवि‍की उसको भुला नहीं सकता। लेकि‍न बाबा साहेब अम्‍बेडकर हम जैसे सामान्‍य जीवन नहीं थे। जीवन भर उपेक्षाओं को झेलने के बाद भी जब देश के लि‍ए संवि‍धान देने का अवसर आया, उस संवि‍धान के कि‍सी कोने में भी कि‍सी के प्रति‍ दुर्भाव नहीं है, बदले का भाव नहीं है। ऊपर से जीवन भर जो झेला था, उसके कारण जो मंथन हुआ था। उस मंथन में से संवि‍धान रूपी अमृत नि‍काला था जो आज हमें प्रजासत्‍ता पर्व के इतने सालों के बाद भी, आजादी के इतने वर्ष के बाद भी हमें बांधने में, कंधे से कंधा मि‍लाकर चलने में, देश के लि‍ए अपनी-अपनी जि‍म्‍मेवारि‍यां नि‍भाने के लि‍ए हमें प्रेरि‍त करता है, हमारा मार्गदर्शक है।

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आप हि‍न्‍दुस्‍तान के कोने-कोने से आए हो, वो कौन-सी बात है जो हमें खींचकर के लाती है, वो कौन-सी बात है जो हमें भाषा की कठि‍नाई हो तो भी, वेशभूषा अलग हो, रहन-सहन अलग हो, उसके बावजूद भी एकजुट रहने की ताकत देती है, वो है हमारी भारत माता, हमारा ति‍रंगा झंडा, यह हमारा संवि‍धान। और सवा सौ करोड़ देशवासि‍यों के सपने, उनकी आशा-आकांक्षा, इच्‍छा हमें कुछ करने की प्रेरणा देती है।

एनसीसी कैडेट के रूप में परेड में शामि‍ल होने का अवसर मि‍ले। अपने स्‍थान पर एनसीसी में यूनि‍फॉर्म पहन करके, सीना तानकर के, साथ-साथ चलने का मौका मि‍ले। कभी camp life जीने का अवसर मि‍ले, कभी शस्‍त्रार्थों को नि‍कट से देखने का अवसर मि‍ले। ये उम्र ऐसी होती है कि‍ इन सारी बातों में thrill होता है, कुछ adventure का भाव भी होता है और रगों में देशभक्‍ति‍ लगातार ऊर्जा बनकर के हमें नए सपनों के लि‍ए, जीने के लि‍ए संकल्‍पबद्ध करती रहती है।

जब आप 26 जनवरी की इस परेड के लि‍ए एक महीने से एक समूह जीवन का अनुभव कर रहे थे। ये तो कठि‍नाई रहती होगी कि‍ सुबह तीन-साढ़े तीन बजे उठना, मन करता है इतनी बड़ी ठंड में थोड़ा-सा लंबा सो ले, लेकि‍न बि‍गुल बजता है, whistle बजती है, चल पड़ना होता है। शुरू के पांच-दस मि‍नट तो ऐसे ही चले जाते हैं, कि‍ अरे क्‍या दि‍न नि‍कलेगा? लेकि‍न जैसे ही rhythm में आ जाते हैं फि‍र मन करता है इस रास्‍ते को छोड़ना नहीं है और यही, यही जि‍न्‍दगी की ताकत होती है। कुछ पल भले ही उलझन रहे, लेकि‍न पल भर में जो अपने आप को संभाल लेता है, मकसद के लि‍ए, मंजि‍ल के लि‍ए अपने आप को आहुत कर देता है उसे जि‍न्‍दगी जीने का एक अलग आनन्‍द आता है।

आप सभी कैडेट ने एक समूह जीवन की अनुभूति‍ की है। मैदान में जो सीखा है वो पाया है। आदेश के अनुसार हाथ-पैर चलते होंगे। वो discipline की दुनि‍या एक है, लेकि‍न उसके बाद अपने नए-नए मि‍त्रों के साथ, नए-नए साथि‍यों के साथ महीना बि‍ताया होगा। जब आप उनसे छोटे-छोटे वि‍षयों की जानकारी लेते होंगे। खान-पान के लि‍ए पूछते होंगे, रहन-सहन के लि‍ए पूछते होंगे। तब आप अपने भीतर धीरे-धीरे मां भारती को आत्‍मसात करते हैं। कश्‍मीर का बालक जब केरल के बालक के साथ बातें करता है तो मन से कश्‍मीर और केरल को जोड़ता है। अपनेपन का अहसास करता है। अपना वि‍स्‍तार होता है। सामूहि‍क जीवन अहम् को व्‍यम् की ओर ले जाता है। स्‍व को समस्‍ति‍ से जोड़ने का अवसर पैदा करता है। सामूहि‍क जीवन एक नई ऊर्जा को जन्‍म देता है। अकेले-अकेले जो अनुभव करते हैं, सामूहि‍क जीवन में एक नई अनुभूति‍ होती है और ऐसे ही कार्यक्रमों के माध्‍यम से एक सामूहि‍क जीवन जीने का अवसर मि‍लता है। मैदान में जो सि‍खते हैं, उससे ज्‍यादा अन्‍य समय में सामूहि‍क जीवन से सि‍खते हैं और मैं जानता हूं जब आप यहां से वि‍दाई लेंगे, वो पल कैसा होगा। कि‍तने होंगे जि‍नकी आंख में आंसू होंगे, हर कि‍सी को लगता होगा अब फि‍र कब मि‍लेंगे, ये अपनापन आया कहां से? जब आप अपने गांव से यहां आने के लि‍ए चले थे, महीने भर के लि‍ए। तब न कोई छोड़ने आया होगा, न ही कि‍सी ने आंसू बहाए होंगे और न ही आपके दि‍ल मे चोट पहुंची होगी कि‍ मैं अपने गांव से दि‍ल्‍ली जा रहा हूं, लेकि‍न आज दि‍ल्‍ली से अपने गांव जा रहे हो, अपनों के बीच जा रहे हो, लेकि‍न कुछ खोया-खोया महसूस कर रहे हो। ये जो अपनापन, यही देश की बहुत बड़ी ताकत होती है। इसी ताकत को एक संस्‍कार के रूप में जीवि‍त रखे, देश के लि‍ए मरने का मौका हर कि‍सी के नसीब में नहीं होता, लेकि‍न देश के लि‍ए जीने का अवसर हर इंसान की जि‍न्‍दगी में होता है।

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अगर हम जागृत प्रयास करे, हम जि‍एंगे तो भी देश के लि‍ए। कुछ कर गुजरेंगे तो भी देशवासि‍यों के लि‍ए, जीवन को संकल्‍पों से परि‍श्रम की पराकाष्‍ठा करके, ऐसे जीवन को हासि‍ल करेंगे जो जीवन देश को काम आएगा। और तब जाकर के जीवन का संतोष कुछ और होगा। और इसलि‍ए आज सारे कैडेट जब देश के कोने-कोने मे वापि‍स जाने वाले हैं, मैं उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और जो यहां माहौल देखा है, इसी माहौल को अपने यहां कैसे पनपाएं। अगर यहां हमने स्‍वच्‍छता देखी है तो स्‍वच्‍छता का भाव अपने गांव में कैसे पहुंचाए। अगर यहां हमने देशभक्‍ति‍ का माहौल देखा है तो अपने गांव में देशभक्‍ति‍ का माहौल कैसे बनाए। यहां हमने जो अनुभव कि‍या है, उसका वि‍स्‍तार हम कैसे करे, इन संकल्‍पों को लेकर के चले। मैं फि‍र एक बार सभी कैडेट्स को, एनसीसी को, एनसीसी की परंपरा को हृदय से बहुत-बहुत अभि‍नंदन करता हूं और आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भारत माता की जय, भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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ॐ.. माता वैष्णो देवी दे चरने च मत्था टेकना जय माता दी!

जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, जितेंद्र सिंह, वी सोमन्ना जी, डिप्टी सीएम सुरेंद्र कुमार जी, जम्मू कश्मीर विधानसभा में नेता विपक्ष सुनील जी, संसद में मेरे साथी जुगल किशोर जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। वीर जोरावर सिंह जी की यह भूमि है, मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं।

साथियों,

आज का ये कार्यक्रम भारत की एकता और भारत की इच्छाशक्ति का विराट उत्सव है। माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से आज वादी-ए-कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। मां भारती का वर्णन करते हुए हम श्रद्धाभाव से कहते आए हैं- कश्मीर से कन्याकुमारी। ये अब रेलवे नेटवर्क के लिए भी हकीकत बन गया है। उधमपुर, श्रीनगर, बारामुला, ये रेल लाइन प्रोजेक्ट, ये सिर्फ नाम नहीं है। ये जम्मू कश्मीर के नए सामर्थ्य की पहचान है। भारत के नए सामर्थ्य का जयघोष है। थोड़ी देर पहले मुझे चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। आज ही दो नई वंदे भारत ट्रेनें जम्मू कश्मीर को मिली हैं। यहां जम्मू में नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हुआ है। 46 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्टस जम्मू और कश्मीर के विकास को नई गति देंगे। मैं आप सभी लोगों को विकास के नए दौर के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

जम्मू कश्मीर की अनेक पीढ़ियां रेल कनेक्टिविटी का सपना देखते देखते गुजर गई। मैं कल सीएम उमर अब्दुल्ला जी का एक बयान देख रहा था और अभी भाषण में भी बताया, वो भी बोले थे कि जब वो सातवीं-आठवीं में पढ़ते थे, तब से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। आज जम्मू कश्मीर के लाखों लोगों का सपना पूरा हुआ है। और ये भी हकीकत है, जितने अच्छे काम हैं ना, वो मेरे लिए ही बाकी रहे हैं।

साथियों,

ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि इस प्रोजेक्ट ने हमारे कार्यकाल में गति पकड़ी और हमने इसे पूरा करके दिखाया। बीच में कोविड के कालखंड के कारण भी अनेक मुसीबतें आई, लेकिन हम डटे रहे।

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साथियों,

रास्ते में आने जाने की मुश्किलें, मौसम की परेशानी, लगातार पहाड़ों से गिरते पत्थर, ये प्रोजेक्ट पूरा करना मुश्किल था, चुनौतीपूर्ण था। लेकिन हमारी सरकार ने चुनौती को ही चुनौती देने का रास्ता चुना है। आज जम्मू कश्मीर में बन रहे अनेकों ऑल वेदर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इसका उदाहरण हैं। कुछ महीने पहले ही सोनमर्ग टनल शुरू हुई है। अभी कुछ देर पहले ही मैं चिनाब और अंजी ब्रिज से होकर आपके बीच आया हूं। इन पुलों पर चलते हुए मैंने भारत के बुलंद इरादों को, हमारे इंजीनियर्स, हमारे श्रमिकों के हुनर और हौसलों को जीया है। चिनाब ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। लोग फ्रांस में, पैरिस में एफिल टावर देखने के लिए जाते हैं। औऱ ये ब्रिज एफिल टावर से भी बहुत ऊंचा है। अब लोग चिनाब ब्रिज के ज़रिए कश्मीर देखने तो जाएंगे ही, ये ब्रिज भी अपने आप में एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। सब लोग सेल्फी प्वाइंट पर जाकर के सेल्फी निकालेंगे। हमारा अंजी ब्रिज भी इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। ये भारत का पहला केबल सपोर्टेड रेलवे ब्रिज है। ये दोनों ब्रिज सिर्फ ईंट, सीमेंट, स्टील और लोहे के ढांचे नहीं हैं, ये पीर पंजाल की दुर्गम पहाड़ियों पर खड़ी, भारत की शक्ति का जीवंत प्रतीक है। ये भारत के उज्ज्वल भविष्य की सिंहगर्जना है। ये दिखाता है, विकसित भारत का सपना जितना बड़ा है, उतना ही बुलंद हमारा हौसला है, हमारा सामर्थ्य है। और सबसे बड़ी बात नेक इरादा है, अपार पुरुषार्थ है।

साथियों,

चिनाब ब्रिज हो या फिर अंजी ब्रिज, ये जम्मू की और कश्मीर की, दोनों क्षेत्रों की समृद्धि का ज़रिया बनेंगे। इससे टूरिज्म तो बढ़ेगा ही, इकॉनॉमी के दूसरे सेक्टर्स को भी लाभ होगा। जम्मू और कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी, दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी। इससे यहां की इंडस्ट्री को गति मिलेगी, अब कश्मीर के सेब कम लागत में देश के बड़े बाजारों तक पहुंच पाएंगे और समय पर पहुंच पाएंगे। सूखे मेवे हों या पश्मीना शॉल, यहां का हस्तशिल्प अब आसानी से देश के किसी भी हिस्से तक पहुंच पाएगा। इससे जम्मू कश्मीर के लोगों को देश के दूसरे हिस्सों में आना-जाना भी बहुत आसान होगा।

साथियों,

मैं यहां संगलदान के एक स्टूडेंट का अखबार में कमेंट पढ़ रहा था। उस स्टूडेंट ने कहा कि उसके गांव के उन्हीं लोगों ने अब तक ट्रेन देखी थी, जो गांव से बाहर गए थे। गांव के ज्यादातर लोगों ने ट्रेन का सिर्फ वीडियो ही देखा था। उन्हें अब तक यकीन ही नहीं हो रहा, कि असली ट्रेन उनकी आंखों के सामने से गुजरेगी। मैंने ये भी पढ़ा कि बहुत से लोग ट्रेनों के आने-जाने का टाइम याद कर रहे हैं। एक और बिटिया ने बड़ी अच्छी बात कही, उस बिटिया ने कहा- अब मौसम नहीं तय करेगा कि रास्ते खुलेंगे या बंद रहेंगे, अब ये नई ट्रेन सेवा, हर मौसम में लोगों की मदद करती रहेगी।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, मां भारती का मुकुट है। ये मुकुट एक से बढ़कर एक खूबसूरत रत्नों से जड़ा हुआ है। ये अलग-अलग रत्न जम्मू-कश्मीर का सामर्थ्य हैं। यहां की पुरातन संस्कृति, यहां के संस्कार, यहां की आध्यात्मिक चेतना, प्रकृति का सौंदर्य, यहां की जड़ी-बूटियों का संसार, फलों और फूलों का विस्तार, यहां के युवाओं में, आप लोगों में जो टैलेंट है, वो मुकुट मणि की तरह चमकता है।

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साथियों,

आप भलीभाँति जानते हैं, मैं दशकों से जम्मू औऱ कश्मीर आता जाता रहा हूं, interior इलाकों में मुझे जाने का, रहने का अवसर मिला है। मैंने इस सामर्थ्य को लगातार देखा है, महसूस किया है और इसलिए मैं पूरे समर्पण भाव के साथ जम्मू-कश्मीर के विकास में जुटा हूं।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, भारत की शिक्षा और संस्कृति का गौरव रहा है। आज भारत, दुनिया के बड़े नॉलेज हब्स में से एक, हमारा जम्मू कश्मीर बन रहा है, तो इसमें जम्मू कश्मीर की भागीदारी भी भविष्य में भी बढ़ने वाली है। यहां IIT, IIM, AIIMS और NIT जैसे संस्थान हैं। जम्मू और श्रीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज हैं। जम्मू और कश्मीर में रिसर्च इकोसिस्टम का भी विस्तार हो रहा है।

साथियों,

यहां पढ़ाई के साथ-साथ दवाई के लिए भी अभूतपूर्व काम हो रहे हैं। बीते कुछ सालों में ही, दो स्टेट लेवल के कैंसर संस्थान बने हैं। पिछले पाँच वर्षों में यहां सात नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। आप भी जानते हैं, जब मेडिकल कॉलेज खुलता है तो उससे मरीजों के साथ ही उस क्षेत्र के युवाओँ को भी सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। जम्मू-कश्मीर में अब MBBS सीटों की संख्या 500 से बढ़कर 1300 तक पहुंच गई है। मुझे खुशी है कि अब रियासी जिले को भी नया मेडिकल कॉलेज मिलने जा रहा है। श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस, ये आधुनिक अस्पताल तो है, ये दान-पुण्य करने की हमारी जो संस्कृति है, उसका भी उदाहरण है। इस मेडिकल कॉलेज को बनाने में जो राशि लगी है, उसके लिए भारत के कोने-कोने से, माता वैष्णों देवी के चरणों में आने वाले लोगों ने दान दिया हुआ है। मैं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को, उनके अध्यक्ष मनोज जी को इस पवित्र कार्य के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। इस अस्पताल की क्षमता भी 300 बेड से बढ़ाकर 500 बेड की जा रही है। कटरा में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले लोगों को भी इससे बहुत सहूलियत रहने वाली है।

साथियों,

केंद्र में भाजपा-एनडीए की सरकार को अब 11 साल हो रहे हैं। ये 11 साल, गरीब कल्याण के नाम समर्पित रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना से 4 करोड़ गरीबों का पक्के घर का सपना पूरा हुआ है। उज्ज्वला योजना से 10 करोड़ रसोइयों, उसमें धुएं का अंत हुआ है, हमारी बहनों को, बेटियों को, उनकी सेहत की रक्षा हुई है। आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से हर थाली में भरपेट अनाज सुनिश्चित हुआ है। जनधन योजना से पहली बार 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के लिए बैंक का दरवाज़ा खुला है। सौभाग्य योजना से अंधेरे में जी रहे ढाई करोड़ परिवारों में बिजली की रोशनी पहुंची है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने 12 करोड़ शौचालयों ने खुले में शौच की मजबूरी से मुक्ति दिलाई है। जल जीवन मिशन से 12 करोड़ नए घरों में नल से जल पहुंचने लगा है, महिलाओं का जीवन आसान हुआ है। पीएम किसान सम्मान निधि से 10 करोड़ छोटे किसानों को सीधी आर्थिक सहायता मिली है।

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साथियों,

सरकार के ऐसे अनेक प्रयासों से पिछले 11 साल में 25 करोड़ से ज्यादा गरीबों ने, गरीबी को हमारे ही गरीब भाई-बहनों ने, गरीबी के खिलाफ जंग लड़ी और 25 करोड़ गरीब, गरीबी को परास्त करकर के, वियजी होकर के, गरीबी से बाहर निकले हैं। अब वो नए मध्यम वर्ग का हिस्सा बने हैं। जो लोग अपने आप को समाज व्यवस्था के एक्सपर्ट मानते हैं, बड़े एक्सपर्ट मानते हैं, जो लोग अगले पिछले की राजनीति में डूबे रहते हैं, जो लोग दलितों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकते रहे हैं, जरा जिन योजनाओं का मैंने सिर्फ उल्लेख किया है, उसकी तरफ नजर कर लीजिए। कौन लोग हैं जिनको ये सुविधाएं मिली हैं, वो कौन लोग हैं जो आजादी के 7-7 दशक तक इन प्राथमिक सुविधाओं से वंचित रहे थे। ये मेरे दलित भाई-बहन हैं, ये मेरे आदिवासी भाई-बहन हैं, ये मेरे पिछड़े भाई-बहन हैं, ये पहाड़ों पर गुजारा करने वाले, ये जंगलों में बसने वाले, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी पूरी करने वाले, ये वो परिवार हैं, जिनके लिए मोदी ने अपने 11 साल खपा दिए हैं। केंद्र सरकार का प्रयास है कि गरीबों को, नए मध्यम वर्ग को ज्यादा से ज्यादा ताकत दे। वन रैंक वन पेंशन हो, 12 लाख रुपए तक की सैलरी को टैक्स फ्री करना हो, घर खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देना हो, सस्ती हवाई यात्रा के लिए मदद देनी हो, हर तरह से सरकार, गरीब और मध्यम वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

गरीबों को गरीबी से मुक्ति पाने के लिए उनकी मदद करना, लेकिन ईमानदारी से जीने वाले, देश के लिए समय-समय पर टैक्स देने वाले, मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ाना, इसके लिए भी आजादी में पहली बार इतना काम हुआ है, जो हमने करके दिखाया है।

साथियों,

हम अपने यहां नौजवानों के लिए लगातार रोजगार के नए अवसर बढ़ा रहे हैं। और इसका एक अहम जरिया है- टूरिज्म। टूरिज्म से रोजगार मिलता है, टूरिज्म लोगों को जोड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पड़ोस का देश, मानवता का विरोधी, मेलजोल का विरोधी, टूरिज्म का विरोधी, इतना ही नहीं वो ऐसा देश है, गरीब की रोज़ी-रोटी का भी विरोधी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान ने पहलगाम में इन्सानियत और कश्मीरियत, दोनों पर वार किया। उसका इरादा भारत में दंगे कराने का था। उसका इरादा कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई को रोकना था। इसलिए पाकिस्तान ने टूरिस्ट्स पर हमला किया। वो टूरिज्म, जो बीते 4-5 साल में लगातार बढ़ रहा था, हर साल यहां रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट आ रहे थे। जिस टूरिज्म से, जम्मू कश्मीर के गरीबों के घर चलते हैं, उसको पाकिस्तान ने निशाना बनाया। कोई घोड़े चलाने वाला, कोई पोर्टर, कोई गाइड, कोई गेस्ट हाउस वाला, कोई दुकान-ढाबा चलाने वाला, पाकिस्तान की साजिश इन सबको तबाह करने की थी। आतंकियों को चुनौती देने वाला नौजवान आदिल, वो भी तो वहां मेहनत-मजदूरी करने गया था, लेकिन अपने परिवार की देख रेख कर सके, इसलिए मेहनत कर रहा था। आतंकियों ने उस आदिल को भी मार दिया।

साथियों,

पाकिस्तान की इस साजिश के खिलाफ जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर के लोग उठ खड़े हुए हैं, जम्मू कश्मीर की आवाम ने इस बार जो ताकत दिखाई है, ये सिर्फ पाकिस्तान नहीं, दुनियाभर की आतंकवादी मानसिकता को, जम्मू कश्मीर के लोगों ने कड़ा संदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर का नौजवान अब आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बना चुका है। ये वो आतंकवाद है, जिसने घाटी में स्कूल जलाए, और सिर्फ स्कूल यानी इमारत नहीं जलाई थी, दो-दो पीढ़ी का भविष्य जला दिया था। अस्पताल तबाह किए। जिसने कई पीढ़ियों को बर्बाद किया। यहां जनता अपनी पसंद के नुमाइंदे चुन सके, यहां चुनाव हो सकें, ये भी आतंकवाद के चलते बड़ी चुनौती बन गया था।

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साथियों,

बरसों तक आतंक सहने के बाद जैसे जम्मू-कश्मीर ने इतनी बर्बादी देखी थी कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने सपने देखना ही छोड़ दिया था, आतंकवाद को ही अपना भाग्य मान लिया था। जम्मू-कश्मीर को इस स्थिति से निकालना जरूरी था, और हमने ये करके दिखाया है। आज जम्मू-कश्मीर का नौजवान नए सपने भी देख रहा है और उन्हें पूरे भी कर रहा है। अब कश्मीर का नौजवान बाज़ारों को, शॉपिंग मॉल्स को, सिनेमा हॉल को गुलज़ार देखकर के खुश है। यहां के लोग जम्मू कश्मीर को फिर से फिल्मों की शूटिंग का प्रमुख केंद्र बनते देखना चाहते हैं, इस क्षेत्र को स्पोर्ट्स का हब बनते देखना चाहते हैं। यही भाव हमने अभी माता खीर भवानी के मेले में भी देखा है। जिस तरह हजारों लोग माता के दर पर पहुंचे, वो नए जम्मू कश्मीर की तस्वीर दिखाता है। अब 3 तारीख से अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है। ईद की उमंग भी हम चारों तरफ देख रहे हैं। विकास का जो वातावरण जम्मू-कश्मीर में बना था, वो पहलगाम के हमले से डिगने वाला नहीं है। जम्मू-कश्मीर के आप सभी लोगों को, और आप सबसे नरेंद्र मोदी का वायदा है, मैं यहां विकास को रुकने नहीं दूंगा, यहां के नौजवानों को सपने पूरा करने से कोई भी बाधा अगर रूकावट बनती है, तो उस बाधा को पहले मोदी का सामना करना पड़ेगा।

साथियों,

आज 6 जून है, याद कीजिए एक महीने पहले, ठीक एक महीने पहले, 6 मई की वो रात, पाकिस्तान के आतंकियों पर कयामत बरसी थी। अब पाकिस्तान कभी भी ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा, तो उसे अपनी शर्मनाक शिकस्त याद आएगी। पाकिस्तानी फौज और आतंकियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत, पाकिस्तान में सैंकड़ों किलोमीटर अंदर जाकर के आतंकवादियों पर इस तरह वार करेगा। बरसों की मेहनत से उन्होंने आतंक की जो इमारतें बनाईं थीं, वो कुछ मिनटों में ही खंडहर में बदल गईं हैं। और ये देख पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया था, और उसने अपना गुस्सा जम्मू के, पूंछ के, दूसरे जिलों के लोगों पर भी निकाला। पूरी दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने कैसे यहां घर उजाड़े, बच्चों पर गोले फेंके, स्कूल-अस्पताल तबाह किए, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों पर शेलिंग की। आपने जिस तरह पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला किया, वो हर देशवासी ने देखा है। इसलिए अपने परिवारजनों, उनके साथ हर देशवासी पूरी शक्ति से खड़ा है।

साथियों,

जिन लोगों की क्रॉस बॉर्डर फायरिंग में मृत्यु हुई है, उनके परिवार के सदस्य को कुछ दिन पहले ही नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं। शेलिंग से प्रभावित 2 हजार से ज्यादा परिवारों की तकलीफ भी हमारी अपनी तकलीफ है। इन परिवारों को शेलिंग के बाद अपने घर की मरम्मत के लिए आर्थिक मदद दी गई थी। अब केंद्र सरकार ने ये तय किया है, कि इस मदद को और बढ़ाया जाए। आज के इस कार्यक्रम में, मैं इसकी भी जानकारी आपको देना चाहता हूं।

साथियों,

जिन घरों में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें अब 2 लाख रुपए और जो घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 1 लाख रुपए की सहायता अलग से दी जाएगी, अतिरिक्त दी जाएगी। यानी अब उन्हें पहली बार की मदद के बाद ये एक्सट्रा धनराशि मिलेगी।

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साथियों,

हमारी सरकार बॉर्डर किनारे बसे लोगों को देश का प्रथम प्रहरी मानती है। बीते दशक में सरकार ने बॉर्डर के जिलों में विकास और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व काम किया है, इस दौरान करीब दस हज़ार नए बंकर्स बनाए गए हैं। इन बंकरों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने हालात में लोगों का जीवन बचाने में बड़ी मदद की है। मुझे ये बताते हुए खुशी है, कि जम्मू औऱ कश्मीर डिविजन के लिए दो बॉर्डर बटालियन बनाई गई है। दो वूमन बटालियन बनाने का भी काम पूरा कर लिया गया है।

साथियों,

हमारा जो इंटरनेशनल बॉर्डर है, उसके पास जो बहुत दुर्गम इलाके हैं, वहां भी सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करके नया इंफ्रा बनाया जा रहा है। कठुआ से जम्मू हाईवे को सिक्स लेन का एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है, अखनूर से पूंछ हाईवे का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत भी बॉर्डर के गांवों में विकास के काम को और गति दी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के 400 ऐसे गांव जहां ऑल वेदर कनेक्टिविटी नहीं थी, उन्हें 1800 किलोमीटर की नई सड़कें बिछाकर जोड़ा जा रहा है। इस पर भी सरकार 4200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

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साथियों,

आज मैं जम्मू-कश्मीर के आप लोगों से, खासकर यहां के नौजवानों से एक विशेष आग्रह भी करने आया हूं और जम्मू कश्मीर की धरती से मैं देश को भी आग्रह करना चाहता हूं। आपने देखा है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाई है। आज दुनिया भारत के डिफेंस इकोसिस्टम की चर्चा कर रही है। और इसके पीछे एक ही कारण है, हमारी सेनाओं का ‘Make in India’ पर भरोसा। सेनाओं ने जो कर दिखाया, अब वही हर भारतवासी को दोहराना है। इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग की घोषणा की है। इस मिशन के तहत सरकार मैन्युफैक्चरिंग को नई उड़ान देने का काम कर रही है। मैं जम्मू-कश्मीर के युवाओं से कहूंगा, आइए, इस मिशन का हिस्सा बनिए। देश को आपकी आधुनिक सोच चाहिए, देश को आपके इनोवेशन की जरूरत है। आपके आइडिया, आपकी स्किल, भारत की सुरक्षा को, भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाई देंगे। पिछले दस वर्षों में भारत एक बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बना है। अब हमारा लक्ष्य है, दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपोर्टर्स में भारत का नाम भी शामिल हो। इस लक्ष्य की ओर हम जितना तेजी से बढ़ेंगे, उतनी ही तेजी से भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हमें एक और संकल्प लेना है, जो सामान भारत में बना हो, जिसमें हमारे देशवासियों का पसीना लगा हो, हम सबसे पहले उसे ही खरीदें और यही राष्ट्रभक्ति है, यही राष्ट्र की सेवा है। सीमा पर हमें हमारी सेनाओं का मान बढ़ाना है और बाजार में हमें मेड इन इंडिया का गौरव बढ़ाना है।

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साथियों,

एक सुनहरा और उज्ज्वल भविष्य जम्मू-कश्मीर का इंतजार कर रहा है। केंद्र सरकार और यहां की सरकार मिलकर, विकास के कार्यों में जुटी हैं, एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं। शांति और खुशहाली के जिस रास्ते पर हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें उसे लगातार मजबूत करना है। मां वैष्णो के आशीर्वाद से विकसित भारत, विकसित जम्मू-कश्मीर का ये संकल्प सिद्धि तक पहुंचे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से ये ढेर सारे विकास के प्रोजेक्ट्स के लिए और एक से बढ़कर इतने शानदार प्रोजेक्ट्स के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिये -

भारत माता की जय! आवाज हिन्दुस्तान के हर कोने में गूँजनी चाहिए।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!